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हमदर्द जरनाइड सिरप Hamdard Jernide Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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हमदर्द जरनाइड सिरप Hamdard Jernide in Hindi को जनरल डेबिलिटी, दुर्बलता में दिया जाता है। यह दवा पुरुषों के लिए है। इस दवा के सेवन से पेनिस की हाइपरसेंसटिविटी कम होती है। यह सेमनिफेरस ट्यूब्यूल की सूजन को कम करती है। जरनाइड पेशाब की जलन, पेशाब के समय दर्द और पेनिस के डिस्चार्ज में भी फायदेमंद है। इस यूनानी दवाई के सेवन से स्वप्नदोष में लाभ होता है। यह बिना मर्जी के वीर्य निकल जाने और शीघ्रपतन जैसे यौन विकारों में भी फायदेमंद हो सकती है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। मार्किट में इसी तरह के फोर्मुले की अन्य फार्मसियों द्वारा निर्मित दवाएं उपलब्ध हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Jernide (Hamdard) is Unani medicine। It is indicated in treatment of male sexual problems। Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language।

  • दवा का नाम: हमदर्द जरनाइड सिरप Hamdard Jernide, जेरनेइड सिरप
  • निर्माता: हमदर्द
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: यूनानी दवाई
  • मुख्य उपयोग: यौन विकार
  • मुख्य गुण: ताकत देना
  • मूल्य MRP: Hamdard Jernide 100ml @ Rs.70

हमदर्द जरनाइड सिरप के घटक Ingredients of Hamdard Jernide

Each 10 ml contains conc, aqueous extract form:

  • Berge Bakain (Melia azedarach), 5.22g
  • Berge Jhao (Tamarix Gallica), 5.22mg
  • Berge Yabrooj (Atropa Belladona), 0.73g
  • Asalassoos (Glycyrrhiza Glabra), 1.40g
  • Qand Sokhta, 4.45g
  • Sugar, 7.4g
  • Preservative: Sodium Benzoate

मुलेठी

मुलेठी की जड़ या लिकोरिस, को आयुर्वेद में यष्टिमधु कहते हैं।  मुलेठी को इसके मीठे स्वाद और एंटीअल्सर एक्शन के लिए जाना जाता है। लीकोरिस को कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने, श्वसन तंत्र संबंधी रोगों को ठीक करने और प्रतिरक्षा स्तर को बढ़ाने सहित विभिन्न बीमारियों के लिए प्रयोग किया जाता है। लीकोरिस का मुख्य घटक, ग्लिसरीफिसिन है। लीकोरिस में उपस्थित अन्य घटक ग्लूकोज, सूक्रोज, मैनाइट, स्टार्च, asparagine, कड़वाहट प्रिंसिपल, रेजिन, एक वाष्पशील तेल और रंग का पदार्थ है, जो सामूहिक रूप से औषधीय गुण लीकोरिस को देते हैं। यकृत पर इसकी लाभकारी कार्रवाई के माध्यम से, यह पित्त प्रवाह को बढ़ाता है और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है।

श्वसन रोग में इसके सेवन से जलन और सूजन कम हो जाती है। इंटरफेरोन के स्तर को बढ़ाकर यह प्रतिरक्षा को बढ़ाता है,  जिससे शरीर में वायरस रोगों से आराम होता है।  एंटी-एलर्जी गुण से यह एलर्जी रिनिटिस, नेत्रश्लेष्मलाशोथ और ब्रोन्कियल अस्थमा में उपयोगी होती है।

लीकोरिस युवा स्वस्थ पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन उत्पादन कम कर सकता है।  पोटेशियम की कमी से ग्रस्त व्यक्ति को लिकोरिस का उपयोग नहीं करना चाहिए।

हमदर्द जरनाइड सिरप के लाभ/फ़ायदे Benefits of Hamdard Jernide

  • यह सामान्य दुर्बलता और पुरुषों में कमजोरी के लिए उपयोगी है।
  • यह पेशाब के रोगों में फायदेमंद है।
  • यह हर्बल दवाई है।
  • इसे लेने से पुरुषों के यौन विकारों जैसे वीर्य निकल जाना, स्वपन दोष, शीघ्रपतन में फायदा होता है।
  • इससे पुरुष के प्रजनन अंगों को ताकत मिलती है।

हमदर्द जरनाइड सिरप के चिकित्सीय उपयोग Uses of Hamdard Jernide

  • वीर्य निकल जाना Spermatorrhoea
  • पेशाब में दर्द Painful micturations
  • सोये में वीर्य निकल जाना Nocturnal emission
  • बिस्तर गीला करना Enuresis
  • पेनिस में असामान्य सनसनी और कमजोरी Abnormal sensation and weakness of male organ

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Hamdard Jernide

  • 5 मिलीलीटर, दिन में दो बार लें। यदि कब्ज्ज़ नहीं है तो 7 मिलीलीटर की मात्रा ली जा सकती है। जब शिकायत कम हो जाती है, तो एक दिन छोड़ कर यह दवा लेनी चाहिए।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

हमदर्द जरनाइड सिरप के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह के आधार पर 1 से 2 महीने तक किया जा सकता है।

इसमें लिकोरिस या मुलेठी है। रक्तचाप की समस्या में इसका इस्तेमाल नहीं करें।

लिकोरिस को लम्बे समय तक लेने के शरीर पर कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं। हाइपोकेलिमिया, यकृत सिरोसिस, उच्च रक्तचाप और गंभीर गुर्दे  के रोग में मुलेठी का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए । बड़ी मात्रा में और अधिक समय के उपयोग से लिकोरिक रूट से उच्च रक्तचाप और कम पोटेशियम का स्तर हो सकता है, जिससे हृदय और मांसपेशियों की समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

हमदर्द जरनाइड सिरप के साइड-इफेक्ट्स Side effects

निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।

हमदर्द जरनाइड सिरप को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • इसमें चीनी है इसलिए डायबिटीज में इसे सावधानी से प्रयोग करें। यदि अनियंत्रित शुगर है तो इसका सेवन न करें। यदि शुगर नियंत्रण में है और कुछ मात्रा में मीठे का प्रयोग कर सकते है तो इसे भी लिया जा सकता है।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

पतंजलि श्वेत मूसली चूर्ण Patanjali Swet Mushli Churna Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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पतंजलि सफेद मूसली चूर्ण Patanjali Swet Mushli in Hindi, में सफ़ेद मुस्ली की जड़ का पाउडर है। सफ़ेद मुस्ली एक फर्टिलिटी टॉनिक है जो दिमाग, नसों और प्रजनन अंगों को ताकत देती है। यह शरीर के सभी टिश्यू पर काम करने वाली जड़ी बूटी है जोकि प्लाज्मा और प्रजनन अंगों पर काम करती है।

सफ़ेद मुस्ली में रसायन, जीवनीय, वाजीकारक, शुक्रल, ओजवर्धक, पित्तशामक और स्तन्य गुण हैं। इसके सेवन से शरीर में सूजन कम होती है। शुक्रवर्धक गुणों के कारण यह वीर्य को गाढ़ा करती है और शीघ्रपतन, बांझपन, नपुंसकता, और कम स्पर्म काउंट में लाभप्रद है। मुस्ली पौष्टिक टॉनिक है जो वजन को बढ़ाने में सहायक है। मूसली के सेवन से शरीर में ठंडक आती है जिससे पेशाब की जलन, पेट की जलन, अधिक पित्त की समस्या और पेशाब की बदबू में फायदा होता है।

  • आदमियों की यौन दिक्कत में मूसली को प्रजनन अंगों की समस्या में अश्वगंधा, बला, केवांच, गोखरू और गिलोय के साथ दिया जाता है।
  • औरतों की समस्या में इसे शतावर, हल्दी, मुलेठी और बला के साथ दिया जाता है। यह कॉम्बिनेशन, योनि से डिस्चार्ज की समस्या, ड्राईनेस, और बाँझपन में लाभप्रद है। सौंफ, अजवाइन, के साथ लेने से यह दूध की मात्रा को बढ़ाती है।
  • आँतों की सूजन में इसे आंवले, मंजीठ, लिकोरिस के साथ देते हैं।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। मार्किट में इसी तरह के फोर्मुले की अन्य फार्मसियों द्वारा निर्मित दवाएं उपलब्ध हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Swet Mushli (Patanjali) is Herbal Ayurvedic medicine. It is indicated in improving fertility. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: पतंजलि श्वेत मूश्ली Patanjali Safed (Swet) Musli Churna, Patanjali Swet Musli Churna, Divya Shvet Musli Powder, Safed Musli Ramdev
  • निर्माता: पतंजलि
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: वाजीकरण
  • मुख्य गुण: बल वर्धक, पौष्टिक, कामोद्दिपक
  • मूल्य MRP:  Patanjali Swet Musli Churna 100 gram @ Rs 325.00

पतंजलि सफेद मूसली चूर्ण के घटक Ingredients of Patanjali Swet Mushli

पतंजलि श्वेत मुस्ली चूर्ण में सफ़ेद मुस्ली की जड़ का पाउडर है। श्वेत मुस्ली, कंद के जड़ कई रोगों के उपचार में फायदेमंद होते हैं। यह कामोद्दीपक गुणों से भरपूर है। इसके शक्तिशाली कामोत्तेजक गुणों के कारण मूसली को पुरुषों के लिए विशेष रूप से उपयोगी माना गया है। इसमें प्रोटीन काफी अधिक है, जो शरीर को मजबूत करती है।

पतंजलि सफेद मूसली चूर्ण के लाभ/फ़ायदे Benefits of Patanjali Swet Mushli

इसके सेवन से स्तम्भन दोष जिसे इरेक्टाइल डिसफंक्शन भी कहते हैं, में भी लाभ हो सकता है। यह उत्तम वाजीकारक हैं और कामेच्छा शक्ति को बढ़ाती है।

टेस्टोस्टेरोन पुरुषों के वृषण और एड्रेनल ग्लैंड से स्रावित होने वाला एंड्रोजन समूह का एक स्टीरॉएड हार्मोन है। यह प्रमुख पुरुष हॉर्मोन है जो की एनाबोलिक स्टीरॉएड है। टेस्टोस्टेरॉन पुरुषों में उनके प्रजनन अंगों के सही से काम करने और पुरुष लक्षणों जैसे की मूंछ-दाढ़ी, आवाज़ का भारीपन, ताकत आदि के लिए जिम्मेदार है। यदि टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो जाता है तो यौन प्रदर्शन पर सीधे असर पड़ता है, जैसे की इंद्री में शिथिलता, कामेच्छा की कमी, चिडचिडापन, आदि। मूसली के सेवन से शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को सुधारने में मदद होती है।

मुसली को हर्बल वियाग्रा के रूप में जाना जाता है। यह पुरुष प्रजनन प्रणाली को दुरुस्त करती है। मुसली की जड़ों को पुरुषों की यौन कमजोरी दूर करने के लिए पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। यह पुरुषों में यौन कमजोरी के लिए एक पोषक टॉनिक के रूप में कार्य करती है।

यह शक्तिवर्धक, जोश वर्धक, और वाजीकारक औषधि है। इसके सेवन से प्रजनन अंगों को ताकत मिलती है और यौन दुर्बलता दूर होती है।

शरीर में यदि कमजोरी है तो सेक्स परफॉरमेंस भी कमजोर होगा।  मूसली प्रजनन अंगों को पुष्ट करती है और वीर्य की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार करते हैं। शुक्राणुओं के संख्या में इसके सेवन से वृद्धि संभव है।

पतंजलि सफेद मूसली चूर्ण के चिकित्सीय उपयोग Uses of Patanjali Swet Mushli

आयुर्वेद की मुख्य 8 शाखाएं हैं, इनमें से वाज़ीकरण यौन-क्रियायों की विद्या तथा प्रजनन Sexology and reproductive medicine चिकित्सा से सम्बंधित है। वाज़ीकरण के लिए उत्तम वाजीकारक वनस्पतियाँ और खनिजों का प्रयोग किया जाता है जो की सम्पूर्ण स्वास्थ्य को सही करती हैं और जननांगों पर विशेष प्रभाव डालती है। आयुर्वेद में प्रयोग किये जाने वाले उत्तम वाजीकरण द्रव्यों में मूसली शामिल है। यह द्रव्य कामोत्तेजक है, स्नायु, मांसपेशियों की दुर्बलता, को दूर करने वाले है तथा धातु वर्धक, वीर्यवर्धक, शक्तिवर्धक तथा बलवर्धक हैं।

सफेद मूसली चूर्ण, नपुंसकता impotency, धातुक्षीणता, शीघ्रपतन premature ejaculation, यौनविकार sexual disorders, seminal diseases आदि को दूर करने की एक नेचुरल दवा है। यह डायबिटीस diabetes के बाद होने वाली नपुंसकता की शिकायतों में भी लाभप्रद है।

  • तनाव, गठिया, मधुमेह
  • थकावट, स्टैमिना कम होना fatigue
  • दस्त, पेचिश, पेशाब में दर्द (dysuria)
  • परुषों के यौन रोग (इरेक्टाइल डिसफंक्शन erectile dysfunction, सूजाक sujak, इन्द्रिय शिथिलता, शीघ्रपतन, वीर्य क्षय, यौन दुर्बलता, कम शुक्राणु low sperm count)
  • पुरुष बाँझपन male infertility
  • प्रतिरक्षा-सुधार immunity improvement, टॉनिक, बॉडीबिल्डिंग में उपयोगी useful in bodybuilding
  • बल और ताकत की कमी low strength-stamina
  • मांसपेशियों में कमजोरी muscles weakness
  • यौन दुर्बलता Male Sexual Weakness
  • यौन प्रदर्शन में सुधार, कामोद्दीपक, सेक्स टॉनिक
  • लिबिडो कम होना कामेच्छा की कमी Low Libido
  • वाजीकरण improving Sexual Desire
  • वीर्य और शुक्र की कमी low semen volume, low sperm count
  • शरीर पर चर्बी की कमी, बहुत पतला होना emaciation
  • शीघ्रपतन Premature Ejaculation
  • शुक्र कीटों को बढ़ाना increasing Sperm Count
  • संधिशोथ, मधुमेह, बवासीर और रजोनिवृत्ति सिंड्रोम के लिए उपयोगी
  • समय से पहले बाल गिरना premature hair fall
  • सामान्य दुर्बलता (शारीरिक कमजोरी) और नपुंसकता impotency
  • सेक्सुअल टॉनिक sexual tonic
  • स्तनपान कराने वाली माताओं में दूध बढ़ाने के लिये
  • स्तम्भन दोष Erectile Dysfunction
  • स्त्रियों में इसका प्रयोग सफ़ेद पानी/श्वेत प्रदर leucorrhoea के इलाज और दूध बढ़ने के लिये किया जाता है। प्रसव और प्रसवोत्तर समस्याओं के लिए एक उपचारात्मक रूप में भी इसका प्रयोग होता है।
  • स्वप्नदोष Nocturnal Emission (Night Fall)

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Patanjali Swet Mushli

  • 1 चम्मच/5 ग्राम, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे दूध के साथ लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

पतंजलि सफेद मूसली चूर्ण के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • मूसली के सेवन से कफ बढ़ता है।

पतंजलि सफेद मूसली चूर्ण के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
  • यदि इसे लेने से कब्ज़ होता है, तो त्रिफला, इसबगोल की भूसी आदि का सेवन कर सकते हैं।
  • पानी की सही मात्रा पिएं।

पतंजलि सफेद मूसली चूर्ण को कब प्रयोग न करें Contraindications

शरीर में यदि बहुत अधिक बलगम, छाती में जकड़न, और ama/आम हो तो इसका प्रयोग न करें।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

जातिफलादि वटी (स्तंभक) Jatiphaladi Vati (Stambhak) Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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जातिफलादि वटी (स्तंभक) Jatiphaladi Vati (Stambhak) in Hindi को शारंगसंहिता में आकारकरभादि चूर्ण नाम से बताया गया है। यही योग वटी (बटी) के नाम से उपलब्ध है।

जातिफलादि वटी स्तंभक, एक वीर्यस्तम्भन की दवा है जोकि वातवाहिनी और शुक्रवाहिनी नाड़ियों पर काम करती है और वीर्यपात जल्दी नहीं होने देती। यह शीघ्र पतन की समस्या में दी जाती है। स्नायु के ढीले हो जाने पर वीर्य जल्दी निकल जाता है। ऐसे में इस दवा के सेवन से स्नायु कड़ी रहती है और वीर्य रुका रहता है। लेकिन यह प्रभाव अस्थायी होता है और इसलिए इसे बिस्तर पर जाने से पहले केवल एक बार ही लेने की सलाह दी जाती है।

जातीफलादि वटी का सेवन बहुत सावधानी से किए जाने की आवश्यकता होती है क्योंकि इसमें अफीम है। इसे बताई गई मात्रा में कम दिनों तक लिया जाना चाहिए। साथ ही इस दवा के सेवन के दौरान दूध, मलाई, रबड़ी आदि का सेवन करना चाहिए। सलाह दी जाती है कि शीघ्रपतन की समस्या में इस दवा का सेवन न ही करें। अन्य बहुत सी सुरक्षित हर्बल दवाएं है जिनमें अश्वगंधा, मूसली जैसे द्रव्य होते हैं जो कही अधिक सेफ हैं।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के बारे में, दवा की सेफ्टी, साइड इफेक्ट्स आदि के बारे में   आपको जानकारी देना है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं।

Jatiphaladi Vati (Stambhak) is Herbal Ayurvedic medicine. This formulation is for premature ejaculation or Shighrapatan. Premature ejaculation (PE) is most common male sexual disorder. It is inability to control or delay ejaculation, and thus affecting both partners.

PE is the occurrence of ejaculation before or very soon after the beginning of intercourse (occurs prior to or within about one minute of vaginal penetration). It is persistent or recurrent condition and occur after minimal sexual stimulation. The person ejaculates before, on, or shortly after penetration and before the person wishes it. The patient has little or no voluntary control.

  • दवा का नाम: जटिफलादि वटी Jatiphaladi Vati (Stambhak), Jatiphaladi Bati (Stambhak)
  • संदर्भ: शरंगधर संहिता, अध्याय 6, अकरकरभादी चूर्ण
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: शुद्ध अफीम युक्त हर्बल दवाई
  • मुख्य उपयोग: स्तम्भन
  • मुख्य गुण: नाड़ियों को बल देना

जातिफलादि वटी (स्तंभक) के घटक Ingredients of Jatiphaladi Vati (Stambhak)

जटीफलादि वटी, को निम्न द्रव्यों को मिलाकर बनाया गया है:

  • शुद्ध अहिफेन पैपेवर सोमनिफेरम 4 भाग
  • अकरकरा एन्साइक्लस पायरथ्रम 1 भाग
  • सोंठ सूखा अदरक ज़िंगबर ऑफीसिनेल 1 भाग
  • शीतल चीनी या पाइपर क्यूबबा 1 भाग
  • केसर क्रोकस सटिविज 1 भाग
  • पिप्पली पाइपर लोंगम 1 भाग
  • जैफल (जायफल) मिरिस्टिका फ्रग्ररेन्स 1 भाग
  • लौंग (क्लोव) साइज़ीगियम अरगोमटम 1 भाग
  • सफ़ेद चंदन सेंटलम एल्बम 1 भाग

जानिए मुख्य जड़ी-बूटियों को

अफीम

अफीम / अहिफेन, को पैपेवर सोमनिफेरम पौधे के फल से प्राप्त किया जाता है। पेवर सोमनिफेरम पौधे के फल के अपरिपक्व डोडे से लेटेक्स कट लगाकर बाहर से एकत्रित किया जाता है। सुखाने के बाद, संसाधित लेटेक को स्क्रैप किया जाता है और अलग-अलग आकार के टुकड़ों में बनाया जाता है। यह कच्चा अफीम है। कच्ची अफीम हेरोइन के निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला मूल पदार्थ है। भारत में, अफीम और अफीम आधारित उत्पादों की बिक्री के लिए, लाइसेंस आवश्यक हैं।

अफ़ीम कड़वा, कसैला, कब्ज करने वाला, कामोद्दीपक, शामक, श्वासनवश, मादक, सूक्ष्म, और एंटीस्पास्मोडिक है। ऑपियम का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसके शामक, शांत, कृत्रिम निद्रावस्था, शांत और एनाल्जेसिक गुणों के लिए किया जाता है।

इसका उपयोग खांसी, बुखार, और दस्त और पेचिश, माइग्रेन, मलेरिया के कारण पीठ के निचले हिस्से में सूजन, डिस्मेनोरेहिया, सिस्टिटिस, और अन्य दर्दनाक स्थितियां में किया जात है। अफीम का प्रमुख घटक मोर्फीन और पपावरिन है। अफीम की बड़ी खुराक केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के विषाक्त प्रभाव डालती है। इससे सांस धीमी होती है, पेट की निकासी को धीमा होती है, कब्ज और मूत्र प्रतिधारण होता है व नींद आती है। अफीम के साइड इफेक्ट में या तो ओवरस्टिम्यूलेशन या चक्कर आना, कमजोरी, सिरदर्द, हाइपरथर्मिया, खुजली वाली त्वचा, दंश और हाथों का कांपना, चक्कर आना, मूत्र रुकना, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर अवसाद आदि शामिल हैं।

अफीम की अधिक मात्रा में मानसिक क्षमता कम हो जाती है, प्रतिक्रियाशील उत्साह, ब्राडीकार्डिया, फुफ्फुसीय और मस्तिष्क में पानी जमा होना आदि हो सकता है।

जातिफल

जायफल या जातीफल एक प्रसिद्ध मसाला है। यह मिरिस्टिका फ्रेगरेंस वृक्ष के फल में पाए जाने वाले बीज की सुखाई हुई गिरी है। यह पित्तवर्धक, रुचिकारक, दीपन, अनुलोमन है। जायफल को बाजिकारक aphrodisiac दवाओं और तेल को तिलाओं में डाला जाता है। यह पुरुषों की इनफर्टिलिटी, नपुंसकता, शीघ्रपतन premature ejaculationकी दवाओं में भी डाला जाता है। यह इरेक्शन को बढ़ाता है लेकिन स्खलन को रोकता है। यह शुक्र धातु को बढ़ाता है। यह बार-बार मूत्र आने की शिकायत को दूर करता है तथा वात-कफ को कम करता है।

अकरकरा

आकारकरभ, अकरकरा, करकरा आदि एनासाइक्लस पायरेथम के संस्कृत नाम हैं। इसका अरेबिक नाम आकिरकिर्हा, ऊदुलकई और फ़ारसी में तर्खून कोही है। इंग्लिश में इसे पाइरेथ्रम रूट, पेलेटरी रूट, स्पेनिश पेलिटरी Pellitory Root आदि नामों से जानते हैं। अकरकरा की जड़ का मुख्य सक्रिय तत्व पेलिटोरिन है अथवा पारेथ्रिन है। यह अकरकरा को तीक्ष्ण और लार बहाने के गुण देता है। यह स्वाद व स्वभाव में कुछ-कुछ काली मिर्च के पिपरिन जैसा है। अकरकरा काम शक्ति को बढ़ाने और वाजीकारक की तरह, आंतरिक और बाहरी, दोनों ही तरह से प्रयोग किया जाता है। बाहरी रूप से इसका लेप (तिला के रूप में) और आंतरिक रूप से इसे चूर्ण की तरह प्रयोग किया जाता है। इसका सेवन उत्तेजना लाता है और इन्द्रिय को अधिक खून की सप्लाई करता है।

जातिफलादि वटी के कर्म Principle Action

बाजीकरण: द्रव्य जो रति शक्ति में वृद्धि करे।

स्तम्भन: इरेक्शन में सहायक।

जातिफलादि वटी (स्तंभक) के लाभ/फ़ायदे Benefits of Jatiphaladi Vati (Stambhak)

  • यह कामेच्छा और ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने का काम करता है।
  • यह शीघ्रपतन, स्तंभन दोष में लाभप्रद है।
  • यह दौर्बल्यतानाशक है।

जातिफलादि वटी (स्तंभक) के चिकित्सीय उपयोग Uses of Jatiphaladi Vati (Stambhak)

यह दवा शीघ्रपतन Premature Ejaculation के लिए प्रयोग की जा सकती है।

शीघ्रपतन या प्रीमेच्योर एजाकुलेशन वह स्थिति है जिसमेंसेक्स के दौरान 1 मिनट के भीतर स्खलन हो जाता है। जब यह हमेशा या लगभग हमेशा होता है है तो शीघ्र पतन की समस्या हो जाती है। इस यौन समस्या में स्खलन पर नियंत्रण की कमी रहती है। जिस कारण यौन संतुष्टि का अभाव रहता है और पार्टनर्स में निराशा तथा यौन प्रदर्शन की कमी, और संतुष्टि नहीं हो पाती। इस दवा के सेवन से वीर्य रुका रहता है। लेकिन इस दवा का प्रीमेच्योर एजाकुलेशन पर असर स्थाई नहीं है।

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Jatiphaladi Vati (Stambhak)

  • 1 गोली, रात को सोने से पहले गाय के दूध अथवा शहद अथवा घी के साथ लेनी चाहिए ।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

जातिफलादि वटी (स्तंभक) के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह पर ही करें।
  • इस औषधि को केवल विशिष्ट समय अवधि के लिए निर्धारित खुराक में लें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • इसमें अफीम है जो कम मात्रा में दवा है लेकिन अधिक मात्रा में शरीर पर कई तरह के बुरे प्रभाव डालती है। अफीम का सेवन लगातार करने पर इसकी लत पड़ जाती है तथा ताकत कम हो जाती है । लम्बे समय तक अफीम लेने से इरेक्शन होना बंद हो सकता है। शरीर में सूखापन बढ़ने लगता है, किसी काम में मन नहीं लगता, और शरीर की कांटी नष्ट होने लगती है। इसलिए अफीम वाली दवा का सेवन न ही करें तो बेहतर है। आयुर्वेद में शीघ्रपतन के लिए बहुत से ऐसी हर्बल दवाएं है जो लम्बे समय तक ली जा सकती है, सेफ हैं और शरीर पर पॉजिटिव तरीके से काम करती हैं।
  • इस पेज पर जानकारी इसलिए ही दी गई कि आप इस दवा के बारे में सही सही जान लें और किसी भ्रान्ति में न रहें। याद रखें, अफीम युक्त दवाओं के सेवन से मिलने वाले रिजल्ट इंस्टेंट तो हो सकते हैं लेकिन इनके लॉन्ग टर्म इफ़ेक्ट शरीर को नेगेटिव तरीके से प्रभावित कर सकते हैं।

जातिफलादि वटी (स्तंभक) के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • अफीम होने से इसके कई साइड इफेक्ट्स हैं।
  • इससे शरीर में ड्राईनेस बढती है। इसलिए इसके सेवन के दौरान अच्छी मात्रा में दूध, मलाई आदि चिकने पदार्थों के सेवन की सलाह दी जाती है।
  • इससे शरीर की कान्ति नष्ट हो सकती है।
  • इससे एनर्जी लेवल कम हो सकता है।
  • इससे कब्ज़ या पेशाब का रुकना या पाचन की अन्य समस्या हो सकती है।
  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।

जातिफलादि वटी (स्तंभक) को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • बहुत ड्राईनेस हो तो इस दवा का सेवन नहीं करें।
  • कब्ज़, पाइल्स में इसे नहीं लें।
  • पेशाब रुकने की समस्या में इसे नहीं लें।
  • जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, वे इसका सेवन न करें।
  • शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है bleeding disorder, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
  • शरीर में पहले से ही कोई अन्य विकार है तो डॉक्टर से परामर्श के बिना कोई आयुर्वेदिक दवाइयां नहीं लें।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

उपलब्धता

  • इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
  • बैद्यनाथ Baidyanath Jatiphaladi Bati (Stambhak) MRP Rs 619.80
  • तथा अन्य बहुत सी फर्मसियाँ।

बालचतुर्भद्र सिरप Balchaturbhadra Syrup Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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बालचतुर्भद्र सिरप Bal Chatur Bhadra Syrup in Hindi बच्चों के लिए आयुर्वेदिक दवाई है। यह सामान्य खांसी, जुखाम, नाक बहना, गले की खराश, जल्दी जल्दी खांसी होना, दांत निकलते समय होने वाले दस्त-लूज़ मोशन, आदि में लाभकारी है। इसे देने से बच्चे में भूख में सुधार होता है और गैस में आराम होता है। इसे अपच, बदहजमी, उलटी, पेट में गैस से दर्द आदि में भी दे सकते हैं।

यदि खांसी, जुखाम, कफ आदि शुरूआती हैं तो इस दवा से फायदा होता है। इसे तब तक देना चाहिए जब तक लक्षणों में सुधार नहीं हो जाए। इस दवाई को अनिश्चित समय तक नहीं देना है। जब लक्षण हैं, तभी देना है। ठीक होने पर दवा देना बंद कर देना है।

बालचतुर्भद्र चूर्ण और बालचतुर्भद्र सिरप के घटक द्रव्य समान हैं। बालचतुर्भद्र सिरप को बनाना नहीं पड़ता और इसे बोतल से निकाल कर बच्चे को निर्धारित मात्रा में दिया जा सकता है।

क्योंकि बच्चों में कफ, बुखार कई बार बहुत जल्दी बिगड़ जाते हैं जिससे उन्हें तेज बुखार, निमोनिया आदि हो सकता है इसलिए यदि लक्षण अधिक गंभीर हैं, या बिगड़ रहें हैं, या कोई असर नहीं हो रहा तो देर नहीं करें और डॉक्टर की सलाह लें। कफ यदि छाती में चला जाता है तो कोई हर्बल प्रोडक्ट काम नहीं करता और ऐसे में एंटीबायोटिक के द्वारा ही फेफड़े के बैक्टीरियल संक्रमण, निमोनिया, तेज बुखार आदि का इलाज़ किया जाता है।

हर्बल प्रोडक्ट शुरू के लक्षणों, हल्के लक्षणों में ही अधिक फायदेमंद होते हैं। इसलिए सलाह दी जाती है, यदि कफ अधिक है और बुखार बार बार आ रहा है, खांसी में आवाज़ आ रही है, बार बार खांसी हो रही है, बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो तुरंत ही निकट के डॉक्टर की सलाह से सही इलाज़ करवाएं।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

  • दवा का नाम: बालचतुर्भद्र सिरप, बालचातुर्भद्र सिरप, बालचातुर्भाद्र चूर्ण Balchaturbhadra Syrup
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: बच्चों के वात-कफ विकार
  • मुख्य गुण: वात-कफ कम करना
  • दोष इफ़ेक्ट: कफ और वात कम करना

Balchaturbhadra Syrup is Herbal Ayurvedic medicine. It is indicated in treatment of common paediatric health problems such as cold, cough, running nose, sore throat, early cough, teething diarrhea, loose motions in children etc. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

बालचतुर्भद्र सिरप के घटक Ingredients of Balchaturbhadra Syrup

5 मिलीलीटर बालचतुर्भद्र सिरप में:

  • नागरमोथा Cyperus Rotundus 50 mg
  • पिप्पली Piper Longum 50 mg
  • अतिविश Aconitum Heterophyllum 50 mg
  • करकटाश्रृंगी Pistacia Integerrima 50 mg
  • सिरप बेस और एक्सपिसिएंट्स क्यूएस

बालचतुर्भद्र सिरप के लाभ/फ़ायदे Benefits of Balchaturbhadra Syrup in Hindi

  • यह बच्चे में भूख बढ़ाने, पाचन ठीक करने और प्रतिरक्षा में सुधार करने वाली दवा है।
  • यह दवा उचित पोषक तत्व अवशोषण और विकास को बढ़ावा देती है।
  • यह पेट की गैस, गैस से दर्द में राहत देने वाली एंटी-स्पासस्ममोस्डिक और कारमिनेटिव एक्शन वाली दवा है।
  • यह आवर्तक संक्रमण से बच्चे को बचाती है और लक्षणों में आराम देती है।

बालचतुर्भद्र सिरप के चिकित्सीय उपयोग Uses of Balchaturbhadra Syrup

  • डायरिया, पेचिश Diarrhoea (atisaar), dysentery
  • मतली उल्टी Nausea, vomiting
  • अस्थमा, खाँसी, आम सर्दी (बुखार), बुखार Asthma, Cough, common cold (zukham), fever
  • गैस Abdominal pain due to gas

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Balchaturbhadra Syrup

  • 6 महीने से एक वर्ष: 1 से 1.5 मिलीग्राम दिन में दो बार।
  • 1 से 2 साल: दिन में दो बार 2 मिलीलीटर।
  • 2 से 3 साल: 2.5 मिलीग्राम दिन में दो बार।
  • 3 से 4 साल 3 मिलीलीटर दिन में दो बार।
  • 4 से 5 साल: दिन में दो बार 4 मिलीलीटर।
  • 5 से 12 साल: दिन में 5 मिलीलीटर तीन बार।
  • 13 वर्ष और 10 मिलीग्राम से अधिक दिन में तीन बार।

बालचतुर्भद्र सिरप के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • बच्चा छोटा है, कमज़ोर है तो खुद से कोई दवा नहीं दें, डॉक्टर की सलाह लेकर रोग का सही कारण पता लगाएं।
  • इस औषधि को केवल विशिष्ट समय अवधि के लिए निर्धारित खुराक में ही दें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न दें।
  • अगर बच्चे को सांस लेने में दिक्कत है, निमोनिया है या बुखार 3 दिनों से ज्यादा आ रहा है-ठीक नहीं हो रहा Laryngitis, High fever etc. तो डॉक्टर को तुरंत दिखाएँ।
  • यह दवा कफ और वात को कम करती है। अतः यह वात-कफ प्रवृति के बच्चों में अधिक लाभकारी है।
  • बोतल खोले के बाद तीन महीने के भीतर इस्तेमाल करना चाहिए।

बालचतुर्भद्र सिरप के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
  • इस सिरप की तासीर गर्म है। इससे पित्त बढ़ता है। इसलिए पित्त की अधिकता, नाक से खून गिरना आदि में इसे नहीं देना चाहिए।

बालचतुर्भद्र सिरप को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे सामान्य रूप से रोज नहीं देना है। जब कफ विकार हों तभी देना है।
  • यदि पित्त की अधिकता है तो इसे इस्तेमाल नहीं करें।
  • इसे कब्ज़ में नहीं दें।
  • पेट में अल्सर, जलन हो तो इसे नहीं प्रयोग करें।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

उपलब्धता

  • इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
  • Lion Balchaturbhadra Syrup: 200 ml @ Rs 210.00
  • Ayurveda Rasashala Balchaturbhadra Syrup
  • तथा अन्य बहुत सी फर्मसियाँ।

कुटकी Picrorhiza kurroa के बारे में जानकारी, उपयोग, फायदे और नुकसान

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कटुका अथवा कुटकी (पिकोरहाइज़ा कुर्रा रॉयल अन बेंथ) एक बारहमासी जड़ी बूटी है जो समशीतोष्ण जलवायु परिस्थितियों वाले अल्पाइन क्षेत्रों में पायी जाती है।

आयुर्वेद में इस औषधीय पौधे का नाम कुटका इसके अत्यंत कड़वे स्वाद के कारण है। लैटिन भाषा में इसे Picrorhiza kurroa  कहते है। Picorrhiza शब्द ग्रीक भाषा से लिया गया है। ग्रीक में, पिक्क्रो शब्द का अर्थ कड़वा होता है और रज्जा का मतलब जड़ है, इसलिए इस पौधे का नाम है कड़वी जड़।

पौधों के कंद को कड़वे टॉनिक की तरह यकृत विकार में प्राचीन समय से उपयोग किया जाता है। आयुर्वेदिक ग्रन्थों जैसे चरक संहिता और सुश्रुत संहिता और अन्य पुस्तकों में इसके उपचार में उपयोग के बारे में उल्लेख किया गया है। इसका प्रयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में मूल रूप सेपीलिया और जिगर विकारों में होता है। कटूकी को वैज्ञानिक अध्ययनॉन के द्वारा पीलिया और संबंधित रोगों के उपचारों के लाभप्रद माना गया है। यह लीवर की रक्षा करता है और बिलीरुबिन उत्सर्जन में सुधार करता है।

कुटकी, स्वाद में बहत कड़वी है और इसे डायबिटीज, ज्वर, त्वचा विकार, लीवर रोग में अन्य द्रव्यों के साथ मिलाकर दवाओं को बनाने में प्रयोग किया जाता है।

कुटकी की सामान्य जानकारी

पिकारहाइज़ा कुर्रा रॉयल एक्स बेंथ की कंद और जड़ों को दवा की तरह इस्तेमाल करते हैं। यह पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह पौधा 3000 से 5000 मीटर के बीच हिमालय में फैलता है। यह उत्तरी-पश्चिमी हिमालय, कश्मीर से सिक्किम के हिमालय में देखा जाता है। यह चट्टानी दरारों, और पहाड़ों पर और उसमें विभिन्न कार्बनिक तत्वों से समृद्ध मिट्टी में बढ़ता है। कटूकी हिमालय क्षेत्र में गढ़वाल से

कटुकी Scrophulariaceae परिवार के अंतर्गत आता है। यह बारहमासी जड़ी है। इसका पौधा एक लंबे झाड़ी है। यह 2.5 से 12 सेंटीमीटर लंबा है और 0.3 से 1 सेमी मोटे होता है। इसके फूल नीले रंग के साथ सफेद होते हैं। फूल आने की अवधि जून से अगस्त तक है।

  • वानस्पतिक नाम: Picrorhiza kurroa Royle ex Benth।
  • कुल (Family): Scrophulariaceae
  • औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: कन्द Rhizome with roots
  • पौधे का प्रकार: हर्ब
  • वितरण: अल्पाइन क्षेत्र, चीन, नेपाल, पाकिस्तान, भारत, भूटान और हिमालय के क्षेत्रों में
  • पर्यावास: ठंडी जगह

कुटकी के स्थानीय नाम / Synonyms

  • संस्कृत: तिक्त, तिक्त रोहिणी, कटुरोहिणी, कवी, सुतिक्तक, कटुका, रोहिणी
  • हिन्दी: कुटकी
  • अंग्रेजी: Katuka, Picrorhiza, Hellebore
  • असमिया: Katki, Kutki
  • गुजराती: Kadu, Katu
  • कन्नड़: Katuka rohini, katuka rohini
  • मलयालम: Kaduk rohini, Katuka rohini
  • मराठी: Kutki, Kalikutki
  • उड़िया: Katuki
  • पंजाबी: Karru, kaur
  • तमिल: Katuka rohini, Katuku rohini, Kadugurohini
  • तेलुगु: Karukarohini
  • उर्दू: Kutki

कुटकी का वैज्ञानिक वर्गीकरण Scientific Classification

  • किंगडम Kingdom: प्लांटी Plantae – Plants
  • सबकिंगडम Subkingdom: ट्रेकियोबाईओन्टा Tracheobionta संवहनी पौधे
  • सुपरडिवीज़न Superdivision: स्परमेटोफाईटा Spermatophyta बीज वाले पौधे
  • डिवीज़न Division: मैग्नोलिओफाईटा Magnoliophyta – Flowering plants फूल वाले पौधे
  • क्लास Class: मैग्नोलिओप्सीडा Magnoliopsida – द्विबीजपत्री
  • सबक्लास Subclass: एस्टेरिडए Asteridae
  • आर्डर Order: Scrophulariales
  • परिवार Family: Scrophulariaceae – Figwort family
  • जीनस Genus: Picrorhiza
  • प्रजाति Species: kurroa

कुटकी के संघटक Phytochemicals

कुटकी में कई महत्वपूर्ण फाइटोकेमिकल्स होते हैं। इरिडोइड ग्लाइकोसाइड्स Glucosides: picrorhizin and kutkins (mixture of kutkoside and picroside)।

कुटकी के लाभ/फायदे

लीवर की दवा

  • कुटकी लीवर की रक्षा करने वाली औषधि है। इसे लीवर रोगों जैसे जौंडिस, लीवर सिरोसिस, स्प्लीन / तिल्ली के डिसफंक्शन, वायरल रोगों और सूजन में प्रयोग किया जाता है। जलोदर की समस्या में इसका काढ़ा पीने से लाभ होता है।
  • पीलिया में कुटकी के पाउडर को लिया जाता है। कड़वेपन को कम करने के लिए इसे गुड़ के साथ लिया जा सकता है।

पाचन तन्त्र की समस्या में फायदेमंद

कुटकी पेट सम्बन्धी रोगों में लाभप्रद है। इसे निम्न समस्याओं में प्रयोग कर सकते हैं:

  • भूख कम लगना
  • गैस की समस्या
  • कब्ज़
  • पाइल्स

कुटकी में विरचन के गुण होने से इसे पेट साफ़ करने के लिए और कब्ज़ की समस्या इस्तेमाल किया जाता है। इससे गैस भी कम होती है और पाचन में सहयोग होता है। कब्ज़ में कुटकी के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर लिया जाता है। यह पाचन में सुधार, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा के चयापचय में मदद करता है।

इसे चयापचय की प्रक्रिया में सुधार किया जाता है। इससे विभिन्न समस्याओं जैसे कि मोटापा, धीमा चयापचय और यूरिया, क्रिएटिनिन, मधुमेह, गर्मी और अतिगलग्रंथिता के उच्च स्तर की तरह नियंत्रित किया जा सकता है।

बुखार में उपयोगी

कुटकी में बुखार कम करने के गुण है। इसे बार बार होने वाले बुखार की चिकित्सा में लिया जाता है। इसमें एंटी वायरल, एंटी बैक्टीरियल, लीवर प्रोटेक्टिव, एंटी पाईरेटिक और सूजन कम करने के गुण है जो बुखार होने के मूल कारणों पर असर करते हैं जिससे बुखार दूर होता है।

चमड़ी रोग दूर करना

चमड़ी के रोगों में कुटकी का सेवा करने से शरीर से टोक्सिंस दूर होते हैं और त्वचा के रोग ठीक होते हैं।

डायबिटीज में ब्लड शुगर कम करना

इस कड़वी जड़ी बूटी को शुगर की समस्या में भी लिया जाता है। इसमें रक्त शर्करा का स्तर, सीरम लिपिड पेरोक्साइड और रक्त यूरिया नाइट्रोजन को कम करने के लिए गुण हैं।

कुटकी के औषधीय उपयोग Medicinal Uses of Kutkiin Hindi

कटुका कूलिंग, विरेचक, कार्मिनेटिव, पाचन कराने वाला, लीवर रक्षक, एंटी-वायरल, ज्वरनाशक,immunomodulating, एंटीऑक्सीडेंट scavenging, ऐंठन दूर करने वाला और सूजन कम करने वाला है। बड़ी खुराक में लेने से यह एक रेचक की तरह कार्य करता है।

  • कटुका पीलिया, जिगर और प्लीहा रोगों में उपयोगी है।
  • इसे भूख नहीं लगना, पेट फूलना, कब्ज और बवासीर भी प्रयोग किया जाता है।
  • यह आंतरायिक बुखार की स्थिति और त्वचा रोग में लाभप्रद है।
  • यह कफ-पित्त का इलाज करने, मूत्र रोग (प्रहमा), कुष्ठ रोग में प्रयुक्त होता है।
  • इसे शीतलन एजेंट के रूप में, शरीर से अत्यधिक गर्मी को दूर करने में मदद करता है।

कुटकी की औषधीय मात्रा

वयस्कों के लिए कटुका पाउडर की खुराक एक से तीन ग्राम होती है और

  • बच्चों के लिए 500 मिलीग्राम से 1 ग्राम।
  • इसे पानी के साथ दो बार प्रतिदिन लेना चाहिए।
  • इसे भोजन के बाद लिया जाना चाहिए।
  • इसे खाली पेट उपभोग करना ठीक नहीं है। ऐसा करना मतली और उल्टी का कारण हो सकता है।
  • इसका स्वाद अत्यधिक कड़वा होता है।

कुटकी के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • इस औषधि को केवल विशिष्ट समय अवधि के लिए निर्धारित खुराक में लें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • कटूका लेना बंद कर दें, यदि पीलिया की तीव्रता तीन से पांच दिनों के भीतर कमी नहीं होती है या लक्षण बिगड़ जाते हैं।
  • क्रोनिक और गंभीर रूप से पीलिया में रोगियों को यह दवा चिकित्सा पर्यवेक्षण के तहत उपभोग करना चाहिए।
  • पीलिया जिसमें शरीर में जलन जैसे शरीर की खुजली, रक्तस्राव,एनीमिया, एडिमा, वजन घटाना आदि हों उसमें से सही तरीके से लेना चाहिए और इसे केवल जांच और चिकित्सा पर्यवेक्षण के तहत इलाज किया जाना चाहिए।
  • इसे लेते समय गरम, मसालेदार, तीखे, खट्टा, फैटी और भारी भोजन नहीं लेना चाहिए।
  • इसे लेते समय नरम, अर्द्ध-ठोस या तरल लेने के लिए सलाह दी जाती है जब तक सामान्य पाचन शक्ति
  • बहाल नहीं हो जाती और रक्त बिलीरूबिन स्तर सामान्य नहीं हो जाता है।

कुटकी के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • आयुर्वेद में इसका कोई विशेष साइड या विषाक्त प्रभाव नहीं बताया गया है। कटुका की सिफारिश की गई खुराक में इसके लेक्सेटिव गुण के कारण दस्त में इसका सेवन नहीं करें।
  • नैदानिक अध्ययनों में से किसी ने भी कोई नेगेटिव प्रभाव नहीं दिखाया है।
  • कटुका में रेचक गुण है। बड़ी मात्रा में सावधानी इसे सावधानी से इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • दस्त होने पर, बच्चों में और गर्भवती महिलाओं में खुराक को घटाना चाहिए।
  • अगर दवा लेनें पर दस्त पेट दर्द के साथ हों तो, दवा के मात्रा कम करें।
  • इसका कड़वा स्वाद मतली और उल्टी को प्रेरित कर सकता है।
  • संवेदनशील व्यक्तियों को इसे शहद या मीठी सिरप के साथ मिश्रित रूप से लेना चाहिए।

कुटकी को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था के दौरान बिना सलाह के न लें।
  • यदि किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।

अर्क चन्दनादि Chandanadi Ark Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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अर्क चन्दनादि Chandanadi Ark in Hindi, एक हर्बल दवा है जिसका प्रमुख घटक द्रव्य चन्दन है। यह एक अर्क है जिसे आसवन प्रक्रिया (डिस्टिलेशन तकनीक) से प्राप्त किया जाता है।

चन्दनादि अर्क का उपयोग गुर्दा, मूत्र मूत्राशय और मूत्र पथ की बीमारियों में किया जाता है। यह यूरीनरी सिस्टम में बैक्टीरिया के विकास को रोकता है और सूक्ष्मजीवों को नेगेटिव तरीके से प्रभावित करने में मदद करता है। यह पेशाब के दौरान होने वाली जलन/ सनसनी को कम करता है।

अर्क बनाने के लिए घटक द्रव्यों को साफ़ करके रात में पानी में भिगो देते हैं। भिगो देने से यह मुलायम हो जाते हैं। अगले दिन पानी और हर्ब्स को नाड़िका यंत्र में डाल कर, वाष्पीकृत करके, निकली हुई भाप को कंडेंस कर अर्क बना लिया जाता है। अर्क को बोतलों में इकठ्ठा कर लिया जाता है। चन्दन और अन्य जड़ी बूटियों से बनने वाला यह अर्क, चन्दनादि अर्क कहलाता है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

यह पेज अर्क चन्दनादि के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

Chandanadi Ark is Herbal Ayurvedic medicine. It is indicated in urinary diseases.

Arka / Arq can be defined as a liquid obtained by distillation of certain liquids or drugs soaked in water using distillation apparatus. The drugs are boiled in distillation apparatus to get the vapors which on condensation give Ark of desired herb. Ark contains the volatile part of drug.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: चन्दनादि अर्क Chandanadi Ark, Chandanadi Arq, Arka Chandanadi
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: आसवन तकनीक से बना अर्क
  • मुख्य उपयोग: गुर्दे, मूत्र मूत्राशय और मूत्र पथ के रोग
  • मुख्य गुण: गर्मी कम करना, मूत्र रोगों में फायदा
  • दोष इफ़ेक्ट: पित्त को कम करना
  • गर्भावस्था में प्रयोग: बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं करें

चिकित्सीय संकेत

  • क्रोनिक बुखार
  • नेफ्रैटाईटिस
  • पेशाब के दौरान सनसनी जलन
  • पेशाब में संक्रमण
  • मूत्र पथ के संक्रमण के साथ बुखार
  • यूरीमिया
  • पित्त की अधिकता
  • ब्लीडिंग डिसऑर्डर

अर्क चन्दनादि के घटक Ingredients of Chandanadi Ark

समान मात्रा में निम्न को लिया जाता है:

  • सफ़ेद चन्दन का बुरादा
  • मौसमी गुलाब के फूल
  • केवड़ा
  • वेदमुश्क अथवा मौलश्री के फूल
  • कमल के फूल

इन सब को आठ गुने पानी के साथ आसवन के लिए डाल दिया जाता है।

अर्क खीच कर बोतल में इकठ्ठा कर लेते हैं।

आयुर्वेदिक गुण

  • पित्तहर: द्रव्य जो पित्तदोष निवारक हो।
  • बस्तीशोधन: द्रव्य जो मूत्रल अंगों को साफ़ करे।
  • मूत्रकृच्छघ्न: द्रव्य जो मूत्रकृच्छ strangury को दूर करे।
  • मूत्रल : द्रव्य जो मूत्र ज्यादा लाये। diuretics
  • रक्तशोधन: द्रव्य जो खून साफ़ करे।
  • शीतल: स्तंभक, ठंडा, सुखप्रद है, और प्यास, मूर्छा, पसीना आदि को दूर करता है।

अर्क चन्दनादि के लाभ/फ़ायदे Benefits of Chandanadi Ark

  • इसमें जीवाणुनाशक और बैक्टीरिया की ग्रोथ को रोकने के गुण हैं।
  • इसे लेने से खून साफ़ होता है।
  • यह पेशाब के दौरान होने वाली जलन को कम करता है।
  • यह बैक्टीरियल ग्रोथ को रोकता है।
  • यह ब्लैडर की सूजन को कम करता है।
  • यह शरीर में ठंडक लाता है।
  • यह शरीर में विषाक्त पदार्थों को कम करता है।
  • यह शरीर से गंदगी को दूर करने में सहायक है।

अर्क चन्दनादि के चिकित्सीय उपयोग Uses of Chandanadi Ark

अर्क चंदानादी में शरीर में गर्मी, जलन और सूजन को कम करने के गुण हैं। इसे निम्न रोगों में प्रयोग किया जा सकता है:

पित्तजन्य विकार

शरीर में पित्त के बढ़ जाने से जलन होती है। गर्मी के रोग जैसे नाक से खून गिरना, आदि होते हैं। खट्टी डकार, पाचन की विकृति हो सकती है। पेशाब में जलन, दर्द और परेशानी होती है। ऐसे में इस अर्क का प्रयोग करके देखना चाहिए।

पेशाब की समस्या

  • पेशाबी की समस्या में अर्क चन्दनादि का प्रयोअग किया जाता है। इससे पेशाब के ब्लैडर में सूजन, पथरी के कारण हुई समस्या, पेशाब से खून गिरना, आदि में लाभ होता है। इसे पेशाब रोग Urinary tract infection UTI, यूरिमिया, हेमटुरिया में लिया जाता है।
  • इसे लेने से पेशाब साफ़ होता है और जलन शांत होती है।
  • पेशाब की समस्या में इस अर्क को मिश्री में मिलाकर लेना चाहिए।

शरीर से आसामान्य खून गिरना

शरीर में गर्मी बढ़ी हुई हो, नाक से खून गिरता हो, पेशाब में खून जाता हो, ब्लीडिंग डिसऑर्डर हो तो इसका इस्तेमाल करके देखा चाहिए।

सूजाक, पुराना प्रमेह

गोनोरिया की समस्या में इसे कबाब चीनी के तेल की 5 बूँद मिलाकर लेना चाहिए।

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Chandanadi Ark

  • इसे दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे लेने की मात्रा 12 ml-24 ml है।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

अर्क चन्दनादि के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।

अर्क चन्दनादि के साइड-इफेक्ट्स Side effects

निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।

अर्क चन्दनादि को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • डॉक्टर से परामर्श के बिना कोई आयुर्वेदिक दवाइयां नहीं लें।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

जहर मोहरा पिष्टी व भस्म Jaharmohra Pishti – Bhasma Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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जहरमोहरा Jawahar Mohra Pishti |Jahar Mohara | Zahar Mohra Bhas ma in Hindi पिष्टी और भस्म यूनानी चिकित्सा की औषधि है जिसे आयुर्वेदिक दवाओं में भी प्रयोग किया जाता है। यह पिष्टी और भस्म, जहरमोहरा Serpentine stone नामक पत्थर से बनाई जाती है। यह पत्थर सफ़ेद और कुछ हरा-पीलापन लिए हुए होता है। जो पत्थर चिकना और हल्का होता है, अच्छा माना जाता है। आयुर्वेद से अधिक इसका प्रयोग यूनानी हकीम अधिक करते हैं।

जहरमोहरा के पत्थर को दवा की तरह इस्तेमाल करने से पहले शुद्ध किया जाता है। शुद्ध करने के लिए, पत्थर को आग में तपा कर इक्कीस बार गौ दुग्ध या आंवले के रस में ठंडा किया जाता है।

जहर मोहरा भस्म और पिष्टी के बनाने का तरीका और दोनों में अंतर

शुद्ध ज़हरमोहरा की भस्म बनाने के लिए जहरमोहरा का बारीक पाउडर, गाय के दूध में छः घंटे खरल कर टिकिया बना कर, सुखाया जाता है जिसे गजपुट में पका कर भस्म तैयार की जाती है।

जहरमोहरा की पिष्टी बनाते समय आग का प्रयोग नहीं किया जाता है। पिष्टी बनाने के लिए जहरमोहरा के टुकड़ों को पानी से साफ़ करके सुखा लिया जाता है। इसका कपड़छन चूर्ण बनाया जाता है। इस बारीक पाउडर को खरल में गुलाब या चन्दनादि अर्क में घुटाई करके सुखा लेते हैं और इस तरह जहर मोहरा की पिष्टी या पाउडर बनता है।

भस्म और पिष्टी के बनाने के तरीके के कारण गुणों में भी कुछ अंतर होता है और वैद्य अधिकतर पिष्टी का प्रयोग करते हैं। पिष्टी अग्निपुटी नहीं होने के कारण अधिक सौम्य होती है और अधिक मातदिल मानी जाती है।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के बारे में आपको जानकारी देना है।

यह पेज जहर मोहरा पिष्टी के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

Jahar Mohra Pishti is mineral based Unani or Ayurvedic medicine. It is indicated in treatment of Heart, Liver and Brain problems, Acidity, and infectious diseases. It is found to be effective in management of epidemics like plague, cholera etc.  Chemical formula for Jahar Mohra is Hydrous Magnesium Silicate i.e. Mg3-xSi2O5(OH)4-2x, a basic formula for Serpentine group of minerals.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: जहरमोहरा खताई भस्म, ज़हरमोहरा खताई पिष्टी, जहर मोहरा पिष्टी, नागपाशान भस्म, नाग पाषण , Jahar Mohra Khatai, Jahar Mohra Pishti, Jahar Mohra Bhasma, Jahar Mohra, Zahar Mohra Bhasma, Zahar Mohra, Zehar Mohra, Nagapashana Bhasma, Naga Pashana, Nagashma
  • सन्दर्भ: सिद्ध योग संग्रह Siddha Yoga Sangraha by Vaidya Yadav Ji Trikam Ji Acharya in 20th century
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: भस्म और पिष्टी, मिनरल युक्त दवा
  • मुख्य उपयोग: विष के कारण उपद्रव, पेट के विकार, जलन, हैजा, दस्त, सूखा रोग आदि
  • मुख्य गुण: विष नाशक, दिल और दिमाग को ताकत देना
  • दोष इफ़ेक्ट: वात-पित्त और काफ को संतुलित करना
  • गर्भावस्था में प्रयोग: बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं प्रयोग करें

चिकित्सीय संकेत

  • अजीर्ण, कै, उल्टी
  • अतिसार
  • यकृत विकार
  • घबराहट
  • जीर्ण ज्वर
  • बालकों के हरे-पीले दस्त एवं सूखा रोग

जहर मोहरा पिष्टी के घटक Ingredients of Jahar Mohra Pishti

शुद्ध ज़हर मोहरा (Purified Serpentine)

जहर मोहरा पिष्टी के लाभ/फ़ायदे Benefits of Jahar Mohra Pishti

  • इसके सेवन से शरीर में जलन दूर होती है।
  • यह जहर या विष को शरीर से दूर करने के लिए प्रयोग की जाती है और इसलिए ही ज़हर मोहरा कहलाती है।
  • यह ताकत को बढ़ाती है।
  • यह दिल की घबराहट में आराम देती है।
  • यह पुराने बुखार में लाभप्रद है।
  • यह बच्चों के लिए अमृततुल्य मानी गई है।
  • यह बच्चों के शोष/सूखा रोग में अत्यंत लाभकारी है।
  • यह बदहज़मी, उलटी-कै-वमन, में लाभप्रद है।
  • यह मुख्य रूप से हृदय, मस्तिष्क और आँतों को बल देने वाली दवा है।
  • यह विसूचिका/हैजा, दस्त, हरे पीले स्टूल आना, आदि में फायदेमंद है।
  • यह वीर्य में वृद्धि करती  है।

प्रधान कर्म

  • कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
  • ग्राही: द्रव्य जो दीपन और पाचन हो तथा शरीर के जल को सुखा दे।
  • ज्वरहर: द्रव्य ज्वर को दूर करे।
  • त्रिदोषजित: वात-पित्त और कफ को संतुलित करने वाला।
  • दीपन: द्रव्य जो जठराग्नि तो बढ़ाये लेकिन आम को न पचाए।
  • पित्तहर: द्रव्य जो पित्तदोष पित्तदोषनिवारक हो। antibilious
  • विषहर : द्रव्य जो विष के प्रभाव को दूर करे।
  • व्रण रोपण: घाव ठीक करने के गुण।
  • शिथिलतानाशक: शिथिलता को संकुचित करने वाला।
  • शोथहर: द्रव्य जो शोथ / शरीर में सूजन, को दूर करे। antihydropic

जहर मोहरा पिष्टी के चिकित्सीय उपयोग Uses of Jahar Mohra Pishti

जहर मोहरा पिष्टी को गर्मियों में होने वाले कई रोगों में इस्तेमाल किया जाता है। यह कई रोगों में लाभप्रद है।

पित्तरोगों में लाभकारी

  • जहर मोहरा पिष्टी के सेवन से शरीर में पित्त दोष संतुलित होता है। यह मातदिल है। यह न तो बहुत गर्म है और न ही बहुत ठंडी है। चाहे प्रकृति वात या पित्त या कफ की हो, इसे कोई भी ले सकता है।
  • पित्त के कारण नाक से खून गिरना, उलटी होना और बदहज़मी आदि में इसे लेते हैं।

जहर दूर करने में उपयोगी

यह शरीर से विष को दूर करने वाली औषधि है। किसी ज़हरीले जीव जैसे सांप-बिच्छु के काटने से अथवा अफीम जैसे पदार्थ के कारण शरीर में यदि विष गया हो तो इसका प्रयोग किया जा सकता है। पानी में घिस कर इसे पिलाने से उलटी होकर जहर शरीर से दूर होता है।

यदि ज़हर के कारण शरीर में रोग उत्पन्न हो गए हैं तो इसे 2-3 महीने लगातार दूध में मिलाकर लेना चाहिए।

संक्रामक रोगों में प्रयोग

  • गर्मी के दिनों में उलटी, दस्त, हैजा, मलेरिया, आदि संक्रामक रोग फैलते हैं। ऐसे में इसकी पिष्टी को गुलाब जल के साथ लिया जाता है।
  • हैजा में इसे मयूरपंख की भस्म 2 रत्ती की साथ समान मात्रा में पुदीने के साथ लेते हैं। इससे उलटी, दस्त, ज्यादा प्यास लगना और दूसरे उपद्रव शांत होते हैं।
  • चेचक होने पर जहर मोहरा पिष्टी को आधी रत्ती की मात्रा में मोती पिष्टी चौथाई रत्ती, संगेयशव आधी रत्ती, कहरवा पिष्टी आधी रत्ती, के साथ गुलाब अर्क या केवड़ा अर्क के साथ लेना चाहिए।

 गंदे पानी के कारण होने वाले रोगों में लाभ

गंदे पानी से होने वाले रोगों में इसका प्रयोग किया जाना चाहिए। इससे अतिसार, संग्रहणी, सूजन, कमजोरी, आदि दूर होते हैं।

बच्चों के सूखा रोग में अत्यंत लाभकारी

सूखा रोग में इसे एक रत्ती की मात्रा में वंशलोचन (1 रत्ती), छोटी इलाइची का पाउडर आधी रत्ती, प्रवाल पिष्टी एक रत्ती में मिलाकर शहद के साथ देते हैं। इससे सूखा रोग दूर हो जाता है।

हृदय रोग में प्रयोग

इसे दिल की घबराहट, उच्च रक्त चाप, रक्त चाप से आँखों में लाली, सर में दर्द आदि लक्षणों में इसे गुल कंद के साथ देते हैं।

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Jahar Mohra Pishti

  • इसे लेने की मात्रा 1-2 रत्ती / 125mg-250mg दिन में दो बार से चार बार है।
  • इसे शहद, मौसंबी के जूस, अनार के जूस, दाड़िमावलेह, गाय के दूध, चन्दन के अर्क, गुलाब जल अथवा अन्य रोग निर्धारित अनुपान के साथ लेना चाहिए।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

जहर मोहरा पिष्टी के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • गर्मी के कारण होने वाले फोड़े-फुंसी, विस्फोट, आदि में इसे गुलाब जल, अर्क चन्दन अथवा नीम की छाल के काढ़े के साथ लेना चाहिए।
  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।

जहर मोहरा पिष्टी के साइड-इफेक्ट्स Side effects

निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।

जहर मोहरा पिष्टी को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान बना डॉक्टर की सलाह के नहीं लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

पतंजलि जहरमोहरा पिष्टी Patanjali Jaharmohra Pishti Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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पतंजलि जहरमोहरा पिष्टी Patanjali Jaharmohra Pishti (AFI) in Hindi एक क्लासिकल यूनानी दवाई है जिसे आयुर्वेद में भी प्रयोग किया जाता है।

जहरमोहरा पिष्टी में हल्के मूत्रवर्धक गुण होते हैं जो शरीर से विषाक्त पदार्थ को साफ करते हैं। यह धमनियों और हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करने में सहयोगी है। यह मांसपेशियों को रिलैक्स करने में भी मदद करती है।  इसमें विषघ्न गुण होते हैं जो पशु या कीड़े के काटने से सूजन का इलाज करते हैं।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त घटकों  के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

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Jaharmohra Pishti (Patanjali) is mineral Ayurvedic medicine. It is Powder of serpentine orephite. Jaharmohra is useful in many clinical conditions like heart diseases, palpitation, weakness of heart, burning sensation in body, liver disorder, cholera, nausea, vomiting, indigestion, gastritis, Pitta related disorders, heart burn, headache and gastro-enteritis etc. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: पतंजलि जहरमोहरा पिष्टी Patanjali Jaharmohra Pishti, Divya Jahar Mohra Pishti
  • प्रकार: भस्म और पिष्टी
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • मुख्य उपयोग: विष के कारण उपद्रव, पेट के विकार, जलन, हैजा, दस्त, सूखा रोग आदि
  • मुख्य गुण: विष नाशक, दिल और दिमाग को ताकत देना
  • दोष इफ़ेक्ट: वात-पित्त और काफ को संतुलित करना
  • गर्भावस्था में प्रयोग: बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं प्रयोग करें
  • मूल्य MRP: पतंजलि जहरमोहरा पिष्टी 5 gram @ 20 रुपये

पतंजलि जहरमोहरा पिष्टी के घटक Ingredients of Patanjali Jaharmohra Pishti

  • जहरमोहरा
  • गुलाब जल

पतंजलि जहरमोहरा पिष्टी के लाभ/फ़ायदे Benefits of Patanjali Jaharmohra Pishti

  • इसके सेवन से शरीर में जलन दूर होती है।
  • यह उच्च रक्तचाप कम करती है।
  • यह जहर या विष को शरीर से दूर करने के लिए प्रयोग की जाती है और इसलिए ही ज़हर मोहरा कहलाती है।
  • यह ताकत को बढ़ाती है।
  • यह दिल की कमजोरी में उपयोगी है।
  • यह दिल की घबराहट में आराम देती है।
  • यह पुराने बुखार में लाभप्रद है।
  • यह बच्चों के लिए अमृततुल्य मानी गई है।
  • यह बच्चों के शोष/सूखा रोग में अत्यंत लाभकारी है।
  • यह बदहज़मी, उलटी-कै-वमन, में लाभप्रद है।
  • यह मुख्य रूप से हृदय, मस्तिष्क और आँतों को बल देने वाली दवा है।
  • यह विसूचिका/हैजा, दस्त, हरे पीले स्टूल आना, आदि में फायदेमंद है।
  • यह वीर्य में वृद्धि करती  है।

प्रधान कर्म

  • कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
  • ग्राही: द्रव्य जो दीपन और पाचन हो तथा शरीर के जल को सुखा दे।
  • ज्वरहर: द्रव्य ज्वर को दूर करे।
  • त्रिदोषजित: वात-पित्त और कफ को संतुलित करने वाला।
  • दीपन: द्रव्य जो जठराग्नि तो बढ़ाये लेकिन आम को न पचाए।
  • पित्तहर: द्रव्य जो पित्तदोष पित्तदोषनिवारक हो। antibilious
  • विषहर : द्रव्य जो विष के प्रभाव को दूर करे।
  • व्रण रोपण: घाव ठीक करने के गुण।
  • शिथिलतानाशक: शिथिलता को संकुचित करने वाला।
  • शोथहर: द्रव्य जो शोथ / शरीर में सूजन, को दूर करे। antihydropic

पतंजलि जहरमोहरा पिष्टी के चिकित्सीय उपयोग Uses of Patanjali Jaharmohra Pishti

  • अजीर्ण, कै, उल्टी
  • अतिसार
  • गंदे पानी के कारण होने वाले रोग
  • घबराहट
  • जीर्ण ज्वर
  • दिल की घबराहट, उच्च रक्त चाप, रक्त चाप से आँखों में लाली, सर में दर्द
  • पित्तरोग
  • बालकों के हरे-पीले दस्त एवं सूखा रोग
  • यकृत विकार
  • शरीर में ज़हर
  • हैजा, संक्रामक रोग

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Patanjali Jaharmohra Pishti

  • इसे लेने की मात्रा 1-2 रत्ती / 125mg-250mg दिन में दो बार से चार बार है।
  • इसे शहद, मौसंबी के जूस, अनार के जूस, दाड़िमावलेह, गाय के दूध, चन्दन के अर्क, गुलाब जल अथवा अन्य रोग निर्धारित अनुपान के साथ लेना चाहिए।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

जहर मोहरा पिष्टी के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • गर्मी के कारण होने वाले फोड़े-फुंसी, विस्फोट, आदि में इसे गुलाब जल, अर्क चन्दन अथवा नीम की छाल के काढ़े के साथ लेना चाहिए।
  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।

जहर मोहरा पिष्टी के साइड-इफेक्ट्स Side effects

निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।

जहर मोहरा पिष्टी को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान बना डॉक्टर की सलाह के नहीं लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

अकीक पिष्टी भस्म Akik Pishti (Bhasma) Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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अकीक पिष्टी भस्म Akik Pishti in Hindi, एक प्रकार का खनिज पत्थर है। यह पत्थर कई प्रकार और रंगों का मिलता है तथा पीले और सफ़ेद रंग के पत्थरों को दवा बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अकीक पिष्टी को हृदय के लिए उत्तम माना गया है। साथ ही यह दिमाग को ताकत देने वाली और शरीर में वात और पित्त का नाश करने वाली औषध है। इसके सेवन से हृदय को बल मिलता है साथ ही तिल्ली और लीवर के विकारों में सुधार होता है। अह उन्माद, पथरी, बेहोशी, ब्लीडिंग होना, पुराना घाव आदि में लाभप्रद है। आँखों में इसे लगाने से दिखाई ठीक से देता है। यह ताकत देने वाली औषध भी मानी गई है।,

अकीक पिष्टी को अलग अलग अनुपानों के साथ लिया जाता है व इसका सबसे सामान्य अनुपान शहद है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त घटकों के आधार पर है। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। मार्किट में इसी तरह के फोर्मुले की अन्य फार्मसियों द्वारा निर्मित दवाएं उपलब्ध हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

यह पेज अकीक पिष्टी के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

Akik Pishti is mineral Ayurvedic Unani medicine. It is indicated in treatment of diseases of heart, head, bleeding disorders, wounds, Sujak, excessive heat inside body, Pitta disorders, Ashmari etc. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: अकीक पिष्टी Akik Pishti
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: मिनरल युक्त
  • मुख्य उपयोग: हृदय, सिर को बल देना और इनके रोगों में लाभ करना
  • मुख्य गुण: एसिड कम करना, बल वर्धक
  • दोष इफ़ेक्ट: पित्त और वात कम करना
  • गर्भावस्था में प्रयोग: बिना डॉक्टर की स्लाग=ह के नहीं करें
  • मूल्य MRP: पतंजलि 5 ग्राम @ 20 रुपए

अकीक पिष्टी के घटक Ingredients of Akik Pishti

  • शुद्ध अकीक Akika (Shuddha) churna QS
  • एलो वेरा Kumari rasa Aloe vera juice QS for mardana
  • केतकी Ketaki rasa (Fl) QS for mardana
  • जलपिप्पली Jalapippalika svarasa (Pl) QS for mardana
  • केले के कंद का रस Rambha rasa (Kadali svarasa) (R।) QS for mardana

अकीक पिष्टी के लाभ/फ़ायदे Benefits of Akik Pishti

  • इसके सेवन से सेक्स का प्रदर्शन ठीक होता है।
  • इसे वीर्य गाढ़ा होता है।
  • पैत्तिक रोगों में इसके सेवन से लाभ होता है।
  • यह घावों और सूजाक में फायदा करती है।
  • यह पागलपन, बेहोशी, को नष्ट करने वाली दवा है।
  • यह पुराने घाव, ब्लीडिंग की समस्या, रक्त प्रदर, सुजाक, घाव आदि को ठीक करती है।
  • यह बुखार की गर्मी को कम करने वाली द्वाइओ है।
  • यह वात-पित्त नाशक है।
  • यह शरीर में अथ्य्धिक गर्मी में फायदेमंद है।
  • यह सभी तरह की हृदय की दुर्बलता में लाभप्रद है।
  • यह सिर-आँखों के रोग में लाभप्रद है।

अकीक पिष्टी के चिकित्सीय उपयोग Uses of Akik Pishti

अकिक पिष्टी और अकीक भस्म का प्रयोग विभिन्न रोगों में किया जाता है। रक्तपित, शरीर में अधिक गर्मी, दिल की कमजोरी में अकिक पिष्टी लेने चाहिए जोकि अकीक भस्म से अधिक सौम्य है।

  • असामान्य गर्भाशय रक्तस्राव Abnormal uterine bleeding
  • अल्जाइमर रोग Alzheimer’s disease
  • आंखों में जलन Burning sensation in eyes
  • आँख आना Conjunctivitis
  • डिप्रेशन Depression
  • चिड़चिड़ापन और क्रोध के साथ अवसाद Depression with agitation, irritation and anger
  • ग्रहणी अल्सर Duodenal ulcer
  • शरीर के अंदर अत्यधिक गर्मी Excessive heat inside body
  • पेट में सूजन  Gastritis
  • सामान्य दुर्बलता General debility
  • गर्ड GERD
  • बाल झड़ना Hair loss
  • दिल की कमजोरी Heart weakness
  • एसिडिटी Heartburn
  • हदय क्षेत्र में जलन Hriddaha (Burning sensation in heart region)
  • हृदय रोग Hridroga (Heart disease)
  • कास (खाँसी) Kasa (Cough)
  • क्षय (पीथिसिस) Kshaya (Pthisis)
  • मानसिक थकान Mental fatigue
  • ऑस्टियोपोरोसिस Osteoporosis
  • पित्त दोष के कारण रोग Pitta Roga (Disease due to Pitta dosha
  • बेचैनी Restlessness
  • सिर का रोग Shiroroga (Disease of head)
  • अल्सरेटिव कोलाइटिस Ulcerative colitis
  • अल्सर Ulcers
  • वात दोष के कारण रोग Vataroga (Disease due to Vata dosha)

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Akik Pishti

  • 1- 3 रत्ती / 125mg-375 mg दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे शहद के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

अकीक पिष्टी के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह के आधार पर 1 से 2 महीने तक किया जा सकता है।
  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • इस औषधि को केवल विशिष्ट समय अवधि के लिए निर्धारित खुराक में लें।
  • इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।

अकीक पिष्टी के साइड-इफेक्ट्स Side effects

निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।

अकीक पिष्टी को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

उपलब्धता

  • इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
  • बैद्यनाथ Baidyanath Akik Pishti
  • पतंजलि Patanjali Divya Pharmacy Akik Pishti
  • तथा अन्य बहुत सी फर्मसियाँ।

अविलतोलादि भस्म Aviltoladi Bhasma Ganji – Aviltoladi Bhasmam Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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अविलतोलादि भस्म Aviltoladi Bhasma Ganji in Hindi, जड़ी बूटियों से बनी हुई भस्म है। इसका वर्णन आयुर्वेद के सहस्रयोगम में दिया गया है। फोर्मुले में बताए गए घटकों की पहले भस्म बनाई जाती है और इसमें पानी मिलाया जाता है, इस पानी को फिर छान लिया जाता है। छनने के बाद इसमें छाछ या दूध मिलाकर कांजी बनाते हैं। इस दवा का प्रयोग शोफ, गुल्म और पेट रोगों में किया जाता है।

यह दवा क्षार कल्पना (alkaline preparation) में आती है। क्षार को जन्तुओं (शंख, प्रवाल आदि), खनिज (बोरैक्स, नमक पेटी, पोटेशियम लवण आदि का मिश्रण) और पौधों (अपामार्ग, आक, स्नूही, वासा आदि) से प्राप्त किया जाता है। क्षारा कल्पना, क्षारीय पदार्थ वाली दवा है, जिसे एकल या मिश्रित रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

यह पेज अविलतोलादि भस्म के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

Aviltoladi Bhasma Ganji is Herbal Ayurvedic medicine. It is indicated in treatment of abnormal accumulation of fluid in tissues within the body.  Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: अविलतोलादि भस्म Aviltoladi Bhasma Ganji
  • दवाई का प्रकार: आयुर्वेदिक क्षार
  • मुख्य उपयोग: शरीर में पानी जमा होना
  • मुख्य गुण: दीपन, छेदन, भेदन, मूत्रल
  • गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं करें

अविलतोलादि भस्म के घटक Ingredients of Aviltoladi Bhasma Ganji

  • अविलतोलु पूति करंज छाल Aviltola bark Pongamia Pinnata
  • कडलाडि Apamarga Achyranthes Aspera
  • दन्ति Hastidanti Baliospermum Montanum
  • सफ़ेद आक Tapana Shwet Ark Calotropis Procera
  • एरंड जड़ Chitra Erand moola Ricinus Communis
  • चुल्ली Chulli Kokilaaksha Asteracantha Longifolia
  • शम्याकत्तोलि Samyaka tolu Bark Aragvadha Cassia fistula
  • पनविरल ताल पुष्प Panaviral Tala Pushpa
  • स्नूही जड़ Sehund Snuhi Moola Euphorbia Neriifolia
  • रम्भा कंद Rambha Kand Kela (Kadali) Rhizome Musa Paradisiaca

Aviltoladi Bhasma के आयुर्वेदिक कर्म

  • कफ निकालने वाला expectorant
  • कृमिनाशक anthelmintic ऐन्थेल्मिन्टिक
  • क्षारक caustic
  • गर्भनिरोधक contraceptive
  • जीवाणुरोधी antibacterial
  • मासिकधर्म के स्राव को बढ़ाने वाला emmenagogue
  • मूत्रल diuretic
  • रोगाणुरोधी antimicrobial
  • विषहर antidote ऐन्टिडोट

अविलतोलादि भस्म के लाभ / फ़ायदे Benefits of Aviltoladi Bhasma Ganji

  • यह मूत्रल है।
  • यह सूजन को कम करने की दवाई है।
  • इसके सेवन से शरीर में पानी के भराव में कमी आती है।
  • इसमें एंटासिड गुण हैं।

अविलतोलादि भस्म के चिकित्सीय उपयोग Uses of Aviltoladi Bhasma Ganji

  • इस दवा को मुख्य रूप से शोफ। गुल्म और उदर रोगों में लिया जाता है।
  • शोफ शरीर में कोशिकाओं के चारों ओर अत्यधिक तरल पदार्थ के जमाव को कहते हैं।
  •  गुल्म या वायु का गोला पेट में एक जगह वायु के एकत्रित होने को कहते हैं।

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Aviltoladi Bhasma Ganji

  • 2 रत्ती से 1 ग्राम / 250mg-1gram दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे छाछ अथवा पानी के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

अविलतोलादि भस्म के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह के आधार पर 2 से 4 महीने तक किया जा सकता है।
  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।

अविलतोलादि भस्म के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • इससे शरीर में ड्राईनेस बढती है।
  • इससे शरीर में पित्त बढ़ता है।

अविलतोलादि भस्म को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • अपामार्ग में गर्भनिरोधक contraceptive, गर्भनिरोधी antifertility और गर्भपात के गुण है।
  • बड़ी मात्रा में इसका सेवन वमनकारी (उल्टी लाने वाला) emetic है।
  • इसमें अपामर्ग, सेहुंड, आक जैसे पौधे हैं जो गर्भान्तक हैं। इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।
  • उच्च रक्तचाप में इसे नहीं लें।
  • जिन पुरुषों में स्पर्म काउंट की समस्या है, वीर्य दोष है, वे इसे प्रयोग नहीं करें।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या अविलतोलादि भस्म को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले तो सकते हैं। लेकिन इस से हो सकता है कि दोनों ही दवाएं काम नहीं करें। इसलिए, दवा के असर को देखना ज़रूरी है।

अविलतोलादि भस्म को कितनी बार लेना है?

  • इसे दिन में 2 बार बार लेना चाहिए।
  • इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।

क्या दवा की अधिकता नुक्सान कर सकती है?

दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।

क्या अविलतोलादि भस्म सुरक्षित है?

हां, सिफारिश की खुराक में लेने के लिए सुरक्षित है।

अविलतोलादि भस्म का मुख्य संकेत क्या है?

शरीर में पानी जमा होना।

अविलतोलादि भस्म का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?

  • वात कम करना।
  • पित्त वृद्धि करना।
  • कफ कम करना।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

नहीं।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

आप इसे 2-4 महीने के लिए ले सकते हैं।

अविलतोलादि भस्म लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन के बाद लिया जाना चाहिए एक ही समय में दैनिक रूप में लेने की कोशिश करें।

क्या अविलतोलादि भस्म एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या अविलतोलादि भस्म लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

नहीं।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

हाँ।

क्या उच्च रक्चाप / हाइपरटेंशन में इसे ले सकते है?

नहीं।

क्या मैं इसे गर्भावस्था के दौरान ले सकते हैं?

नहीं।

 दवा की एक्सपायरी डेट क्या है?

दवा यदि सही कंडीशन में स्टोर की गई है तो यह बनने के 5 साल तक ठाक रहती है।

अहिफेनासव Ahiphenasava Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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अहिफेनासव Ahiphenasava in Hindi एक आयुर्वेदिक आसव है। इसका प्रमुख घटक अहिफेन है। इस औषधि को अतिसार और विसूचिका के गंभीर मामलों में इस्तेमाल करते हैं।

अहिफेनासव को भैषज्य रत्नावली के अतिसार रोगाधिकार से लिया गया है।

अहिफेन क्या है?

अहिफेन, अफीम / अहिफेन, को पैपेवर सोमनिफेरम पौधे के फल से प्राप्त किया जाता है। पेवर सोमनिफेरम पौधे के फल के अपरिपक्व डोडे से लेटेक्स कट लगाकर बाहर से एकत्रित किया जाता है। सुखाने के बाद, संसाधित लेटेक को स्क्रैप किया जाता है और अलग-अलग आकार के टुकड़ों में बनाया जाता है। यह कच्चा अफीम है। कच्ची अफीम हेरोइन के निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला मूल पदार्थ है। भारत में, अफीम और अफीम आधारित उत्पादों की बिक्री के लिए, लाइसेंस आवश्यक हैं।

अफ़ीम कड़वा, कसैला, कब्ज करने वाला, कामोद्दीपक, शामक, श्वासनवश, मादक, सूक्ष्म, और एंटीस्पास्मोडिक है।

ऑपियम का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसके शामक, शांत, कृत्रिम निद्रावस्था, शांत और एनाल्जेसिक गुणों के लिए किया जाता है।

इसका उपयोग खांसी, बुखार, और दस्त और पेचिश, माइग्रेन, मलेरिया के कारण पीठ के निचले हिस्से में सूजन, डिस्मेनोरेहिया, सिस्टिटिस, और अन्य दर्दनाक स्थितियां में किया जात है। अफीम का प्रमुख घटक मोर्फीन और पपावरिन है। अफीम की बड़ी खुराक केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के विषाक्त प्रभाव डालती है। इससे सांस धीमी होती है, पेट की निकासी को धीमा होती है, कब्ज और मूत्र प्रतिधारण होता है व नींद आती है। अफीम के साइड इफेक्ट में या तो ओवरस्टिम्यूलेशन या चक्कर आना, कमजोरी, सिरदर्द, हाइपरथर्मिया, खुजली वाली त्वचा, दंश और हाथों का कांपना, चक्कर आना, मूत्र रुकना, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर अवसाद आदि शामिल हैं।

अफीम की अधिक मात्रा में मानसिक क्षमता कम हो जाती है, प्रतिक्रियाशील उत्साह, ब्राडीकार्डिया, फुफ्फुसीय और मस्तिष्क में पानी जमा होना आदि हो सकता है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

यह पेज अहिफेनासव के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि:

अहिफेनासव का कम्पोज़िशन, अहिफेनासव का उपयोग, अहिफेनासव के लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

Ahiphenasava is Herbal Ayurvedic medicine. It is indicated in treatment of severe diarrhea, dysentery and cholera. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • सन्दर्भ: Bhaishajya Ratnavali, Atisar Rogaadhikara
  • दवा का नाम: अहिफेनासव Ahiphenasava
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: लूज़ मोशन
  • मुख्य गुण: दस्त रोकना
  • दोष इफ़ेक्ट: पित्त वर्धक
  • गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं

अहिफेनासव के घटक Ingredients of Ahiphenasava

  • अल्कोहल Madhuka madya (Madhuka) (Fl.) 4.800 l
  • अहिफेन Ahiphena (Exd.) 192 g
  • मोथा Mustaka (Musta) (Rz.) 48 g
  • जातिफल  Jatiphala (Sd.) 48 g
  • कुटज IndraYava (Kutaja) (Sd.) 48 g
  • इला Ela (Sd.) 48 g

जातिफल

जायफल या जातीफल एक प्रसिद्ध मसाला है। यह मिरिस्टिका फ्रेगरेंस वृक्ष के फल में पाए जाने वाले बीज की सुखाई हुई गिरी है। यह पित्तवर्धक, रुचिकारक, दीपन, अनुलोमन है। यह कटु pungent, तिक्त bitter, तीक्ष्ण sharp और उष्ण hot potency है इसलिए इसमें कफनिःसारक, कफघ्न गुण हैं और यह कफ रोगों में लाभप्रद है। यह फेफड़ों से अवलम्बक कफ को दूर करता है।

पित्तवर्धक, रुचिकारक, दीपन, अनुलोमन होने से इसे पाचन की कमजोरी में भी प्रयोग किया जाता है। आयुर्वेद में इसे वायु और कफ रोगों में अकेले ही यह अन्य द्रव्यों के साथ प्रयोग करते हैं।

अहिफेनासव के लाभ/फ़ायदे Benefits of Ahiphenasava

  • अहिफेनासव आंतों से संबंधित समस्याओं जैसे दस्त, गंभीर जठरांत्र शोथ (गैस्ट्रोएन्टराइटिस) , पेचिश आदि में बहुत प्रभावी है।
  • यह पानी जैसे दस्त, उल्टी, पेट दर्द, ऐंठन, बुखार, मतली आदि में प्रयोग की जाती है।
  • इससे पेचिश के लक्षणों का प्रबंधन करने में मदद मिलती है।
  • आसव होने से यह दवा भूख और पाचन में सुधार लाती है।
  • इस दवा में एंटीडाइरियल और एंटी-माइक्रोबियल गुण हैं।
  • यह स्टूल के साथ बलगम या रक्त जाना में भी फायदा करती है।
  • यह आँतों में सूजन को कम करती है।

अहिफेनासव के चिकित्सीय उपयोग Uses of Ahiphenasava

  • तीव्र दस्त Severe Diarrhoea
  • गैस्ट्रोएन्टराइटिस Severe gastroenteritis
  • पेचिश Dysentery
  • हैजा Cholera

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Ahiphenasava

  • 5 to 10 बूँद दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे  पानी के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

अहिफेनासव के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • इस औषधि को केवल विशिष्ट समय अवधि के लिए निर्धारित खुराक में लें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।

अहिफेनासव के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।
  • इससे कब्ज़ हो सकता है। इसलिए रोग के लक्षण दूर होते हिन् दवा रोक देनी चाहिए।
  • अहिफेनासव को कब प्रयोग न करें Contraindications
  • गुर्दे की बीमारियों में इसे नहीं लें।
  • इसे मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे डिप्रेशन में नहीं लें।
  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। इसका सेवन गर्भावस्था में न करें।
  • शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है bleeding disorder, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या अहिफेनासव को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले तो सकते हैं। लेकिन इस से हो सकता है कि दोनों ही दवाएं काम नहीं करें। इसलिए, दवा के असर को देखना ज़रूरी है।

अहिफेनासव को कितनी बार लेना है?

  • इसे दिन में 2 बार / 3 बार लेना चाहिए।
  • इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।

क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?

  • इस दवा में अफीम और अल्कोहल है। इसकी अधिक मात्रा नुकसान करती है।
  • दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।

क्या अहिफेनासव सुरक्षित है?

  • सिफारिश की खुराक में लेने के लिए सुरक्षित है।
  • ज्यादा मात्रा में असुरक्षित है।

अहिफेनासव का मुख्य संकेत क्या है?

दस्त, पेचिश

अहिफेनासव का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?

  • वात कम करना।
  • पित्त वृद्धि करना।
  • कफ कम करना।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

नहीं।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

केवल कुछ दिन।

अहिफेनासव लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन के बाद लिया जाना चाहिए एक ही समय में दैनिक रूप में लेने की कोशिश करें।

क्या अहिफेनासव एक आदत बनाने वाली दवा है?

इसे केवल केवल तब तक लें जब तक रोग लक्षण हों। ज्यादा दिन लेने से आदत भी बन सकती है।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

कम मात्रा में नहीं।

क्या अहिफेनासव लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है। पीरियड्स के दौरान से नहीं लें, अगर आपको रक्तस्राव पैटर्न पर कोई प्रभाव महसूस होता है।

क्या मैं इसे गर्भावस्था के दौरान ले सकता हूँ?

नहीं।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

नहीं।

क्या इसे बच्चों को दे सकते हैं?

नहीं।

अशोकारिष्ट Ashokarishta Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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अशोकारिष्ट Ashokarishta in Hindi आयुर्वेद की एक बहुत ही जानी-मानी दवा है। अशोकारिष्ट स्त्रियों में होने वाली रोगों की दवा है। इसका उपयोग श्वेत प्रदर, मासिक में दर्द, मासिक की समस्या, खून की कमी, रक्तार्श (खूनी बवासीर) मन्दाग्नि, अरुचि, प्रमेह, शोथ और रक्त प्रदर को नष्ट करता है।

रक्त प्रदर में मेनोरेजीया और मीटरेजीया (menorrhagia and metrorrhagia) दोनों शामिल हैं। रक्त प्रदर का कारण होर्मोनेस का असंतुलन है जो पित्त की अधिकता के कारण होता है। रक्त प्रदर के कारण शरीर से खून का ह्रास होता है जिससे खून की कमी, सिर दर्द, कमजोरी, बेचनी, नींद न आना जैसी समस्याएं हो जाती हैं। अशोकारिष्ट एक टॉनिक है जो इन सभी समस्याओं में फायदेमंद है।

अशोकारिष्ट, का मुख्य घटक अशोक पेड़ की छाल है। अशोक के पेड़ की छाल का प्रयोग मासिक धर्म से जुड़े सभी विकार का इलाज करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह गर्भाशय को उत्तेजित करता है लेकिन संकुचन के बिना। यह गर्भ से अत्यधिक रक्तस्राव को रोकने के लिए प्रयोग किया जाता है।

 ध्यान देने योग्य बात यह है कि आपको अशोकारिष्ट तभी लेनी चाहिए जब ब्लीडिंग अधिक है, एब्नार्मल है,लम्बे समय तक होती है या पीरियड बहुत जल्दी जल्दी आ रहे हैं। आपको अशोकारिष्ट नहीं लेनी चाहिए यदि पीरियड नहीं आते, पीरियड बहुत कम दिन के लिए होते हैं या पीरियड बहुत लम्बे समय बाद आते हैं। यदि ऐसे में अशोकारिष्ट का सेवन किया जाता है तो पीरियड और ज्यादा डिले हो जायेंगे और ब्लीडिंग भी कम होगी।

जो महिलायें इनफर्टिलिटी की समस्या से ग्रसित हैं, उन्हें कुछ महीने अशोकारिष्ट का सेवन अवश्य करना चाहिए। अशोकारिष्ट का सेवन त्रिदोष नाशक है और वात, पित्त और कफ तीनों को ही संतुलित करता है।

यह आयुर्वेद की आसव – अरिष्ट प्रकार की दवा है। इसमें किण्वन के दौरान अल्कोहल उत्पन्न होता है। यह अल्कोहल दवा के शरीर में सही से और जल्दी अवशोषण में मदद करती है। दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

यह पेज अशोकारिष्ट के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

Ashokarishta is classical completely herbal Ayurvedic medicine. This medicine is referenced from Bhaishajya Ratnavali and indicated for various gynecological disorders. Ashokarishta shows beneficial effect in hormonal imbalance, absence of periods, heavy bleeding during periods, other period related disorders, infertility etc. Here information is given about properties, uses, benefits and dosage of this medicine in Hindi language.

  • पर्याय: Ashokarishtam
  • संदर्भ: भैषज्यरत्नावली
  • दवा का नाम: अशोकारिष्ट Ashokarishta
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल आयुर्वेदिक आसव-अरिष्ट
  • मुख्य उपयोग: योनि से अधिक ब्लड जाना
  • मुख्य गुण: वात तथा कफ दोष को संतुलित करना
  • दवा का अनुपान: गुनगुना जल
  • गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं करें।
  • एक दिन में ली जा सकने वाली मात्रा: दिन में दो बार, 12 से 24 ml की मात्रा वयस्कों द्वारा ली जा सकती है

अशोकारिष्ट के घटक Ingredients of Ashokarishta

  • अशोक Ashoka Saraca asoca Stem bark 4.8 kg
  • पानी Jal for decoction Water 49.152 l reduced to 12.288 l
  • गुड Guda Jaggery 9.6 kg
  • धातकी Dhataki Woodfordia fruticosa Flower 768 g
  • सफ़ेद जीरा Ajaji (shveta Jiraka) Cuminum cyminum Fruit 48 g
  • मोथा Mustaka (Musta) Cyperus rotundus Rhizome 48 g
  • सूखा अदरक पाउडर shunthi Zingiber officinale Rhizome 48 g
  • दारू हल्दी Darvi (Daruharidra) Berberis aristata Stem 48 g
  • उत्पल Utpala Nymphaea stellata Fl. 48 g
  • हरड़ Haritaki Terminalia chebula Pericarp 48 g
  • बहेड़ा Bibhitaka Terminalia belerica Pericarp 48 g
  • आमला Amalaki Emblica officinalis Pericarp 48 g
  • आम की गुठली Amrasthi (Amra) Mangifera indica। Endosperm (Beeja Majja) 48 g
  • सफ़ेद जीरा Jiraka (shveta Jiraka) Cuminum cyminum Fruit 48 g
  • वासा Vasa Adhatoda vasica Root 48 g
  • सफ़ेद चन्दन  Chandana (shveta Candana) 48 g

जाने दवा में प्रयुक्त जड़ी-बूटियों को

अशोक

अशोक की छाल को आयुर्वेद में प्रमुखता से स्त्री रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है। यह स्वभाव से शीत होती और प्रजनन तथा मूत्र अंगों पर विशेष रूप से काम करती है। यह गर्भाशय की कमजोरी और योनी की शिथिलता को दूर करती है। यह संकोचक, कडवा, ग्राही, रंग को सुधारने वाला, सूजन डोर करने वाला और रक्त विकारों को नष्ट करने वाला है।

  • रस (taste on tongue): मधुर, तिक्त, कषाय
  • गुण (Pharmacological Action): लघु, रुक्ष
  • वीर्य (Potency): शीत
  • विपाक (transformed state after digestion): कटु
  • कर्म: ग्राही, गर्भाशय रसायन, हृदय, प्रजास्थापना, स्त्री रोग्जित, वेदना स्थापना, विषघ्न, वर्ण्य

अशोक रक्त रोधक प्रयोगों में बहुत ही हितकर है। अशोक स्त्री रोगों में बहुत ही फायदा करता है। इसके सेवन से बाँझपन नष्ट होता है और राजोविकर दूर होते है। यह दर्द, सूजन, रक्त प्रदर, श्वेत प्रदर, दर्द, अतिसार, पथरी, पेशाब में दर्द, आदि में लाभप्रद है।

त्रिफला

त्रिफला (फलत्रिक, वरा) आयुर्वेद का सुप्रसिद्ध रसायन है। यह आंवला, हर्र, बहेड़ा को बराबर मात्रा में मिलाकर बनता है। यह रसायन होने के साथ-साथ एक बहुत अच्छा विरेचक, दस्तावर भी है। इसके सेवन से पेट सही से साफ़ होता है, शरीर से गंदगी दूर होती है और पाचन सही होता है। यह पित्त और कफ दोनों ही रोगों में लाभप्रद है। त्रिफला प्रमेह, कब्ज़, और अधिक पित्त नाशक है। यह मेदोहर और कुछ दिन के नियमित सेवन से वज़न को कम करने में सहायक है। यह शरीर से अतिरिक्त चर्भी को दूर करती है और आँतों की सही से सफाई करती है।

हरीतकी Terminalia chebula आयुर्वेद की रसायन औषधि है। यह पेट रोगों में प्रयोग की जाने वाली सबसे प्रभावी औषध है। संस्कृत में हरड़ को हरीतकी, हर्रे, हर्र, अभया, विजया, पथ्या, पूतना, अमृता, हैमवती, चेतकी, विजया, जीवंती और रोहिणी आदि नामों से जानते हैं। यूनानी में इसे हलीला कहते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार, हरीतकी में पांचो रस मधुर, तीखा, कडुवा, कसैला, और खट्टा पाए जाते हैं। गुण में यह लघु, रुक्ष, वीर्य में उष्ण और मधुर विपाक है। हरीतकी, विषाक्त पदार्थों को शरीर से निकलती है व अधिक वात को काम करती है। यह विरेचक laxative, कषाय astringent, और रसायन tonic है। यह सूजन को दूर करती है। यह मूत्रल और दस्तावर है। यह अफारे को दूर करती है और पेट के कीड़ों को भी नष्ट करती है।

बहेड़ा या विभीतक, बिभीतकी (Terminalia bellirica) रस में मधुर, कसैला, गुण में हल्का, रूक्ष, प्रकृति में गर्म, और मधुर विपाक है। यह त्रिदोषनाशक, धातुवर्द्धक, वीर्यवर्धक, पोषक, रक्तस्तम्भक, दर्द को शांत करने वाला तथा कब्ज में लाभकारी है। बहेड़े में टैनिन में पाए जाते हैं तथा यह रक्त को बहने से रोकता है। यह रस, रक्त, मांस और मेद से उत्पन्न विकारों और दोषों को दूर करता है। यह पित्त और कफ को संतुलित करता है।

बहेड़े का सेवन मन्दाग्नि, प्यास, वमन, अर्श, कृमि, खांसी-जुखाम, सांस फूलना, आवाज़ बैठना, आदि में लाभकारी है। यह मेद धातु पर तेज़ी से प्रभाव डालता है।

आंवला, ठंडक देने वाला, कसैला, पाचक, विरेचक, भूख बढ़ाने वाले और कामोद्दीपक माना गया है। इसमें ज्वरनाशक, सूजन दूर करने के और मूत्रवर्धक गुण है। आंवला एक रसायन है जो की शरीर में बल बढाता है और आयु की वृद्धि करता है। यह शरीर में इम्युनिटी boosts immunity को बढाता है। यह विटामिन सी vitamin C का उत्कृष्ट स्रोत है। इसके सेवन से बाल काले रहते है, वात, पित्त और कफ नष्ट होते है और शरीर में अधिक गर्मी का नाश होता है।

मोथा

मोथा में फाइटोएस्ट्रोजन पाए जाते हैं जो मासिक के असंतुलन और रजोनिवृत्ति में उपयोगी है। आयुर्वेद में रजोनिवृत्ति के लक्षणों से राहत पाने के लिए उन दवाओं का प्रयोग किया जाता है जिनमे फाइटोएस्ट्रोजन यानिकी पादप में पाए जाने वाले एस्ट्रोजन होते हैं और इन दवाओं में अशोकारिष्ट भी शामिल है।

वासा

वासा रक्त पित्त की दवा है। इसके सेवन से शरीर से असामान्य खून गिरना रुकता है।

दवा के औषधीय कर्म

  • रक्तप्रदरहर: द्रव्य जो रक्त प्रदर की समस्या को दूर करे।
  • प्रमेहहर: द्रव्य जो प्रमेह अर्थात मूत्र रोग को दूर करे।
  • श्वेतप्रदरहर: द्रव्य जो सफ़ेद पानी की समस्या को दूर करे।
  • कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
  • ग्राही: द्रव्य जो दीपन और पाचन हो तथा शरीर के जल को सुखा दे।
  • रक्त स्तंभक: जो चोट के कारण या आसामान्य कारण से होने वाले रक्त स्राव को रोक दे।
  • शोधक: द्रव्य जो शरीर की गंदगी को मुख द्वारा या मलद्वार से बाहर निकाल दे।

अशोकारिष्ट के लाभ/फ़ायदे Benefits of Ashokarishta

  • इसका एसट्रिनजेंट astringent गुण ब्लीडिंग डिसऑर्डर में लाभकारी है।
  • इसके सेवन से रोजोविकर/मासिक धर्म menstrual disorders के विकारों में लाभ होता है।
  • पोलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) में यदि पीरियड 5 दिन से ज्यादा आते हैं या तय समय से पहले आते हैं तो इस दवा के सेवन से लाभ होता है।
  • यह प्रजनन क्षमता को बढ़ाती है।
  • महिला प्रजनन अंगों और रक्त को rejuvenates करती है।
  • यह इनफर्टिलिटी infertility में भी लाभप्रद है।
  • यह एक गर्भाशय का टॉनिक uterine tonic है और गर्भाशय को बल देती है।
  • यह दवा मासिक की समस्याओं में लाभकारी है।
  • यह दवा रक्त और प्रजनन प्रणाली को पोषण देती है।
  • यह दवा होर्मोस का संतुलन करती है।
  • रजोनिवृत्ति में भी यह लाभप्रद है।

अशोकारिष्ट के चिकित्सीय उपयोग Uses of Ashokarishta

अशोकारिष्ट में बहुत से उपयोगी द्रव्य हैं। अशोक, शुंठी, हरीतकी, वासा, और चंदन रसायन हैं जो हृदय के सुचारू रूप से काम करने में मदद करते हैं और शरीर को ताकत और बल देते हैं। यह शरीर की धातुओं को भी पुष्ट करते हैं। हरीतकी, आमलकी और उत्पल सीधे रसायन के रूप में काम करते हैं। मोथा, सफ़ेद जीरा, सोंठ और हरीतकी पाचन तन्त्र पर काम करते हुए पाचन को सही करते हैं एवं धातुओं को भी पुष्ट करते हैं। ये सभी दीपन और पाचन हैं। उत्पल, हरीतकी और विभितकी दिमाग से चिन्ता, शोक आदि दूर करते हैं।

त्रिफला शरीर को शुद्ध करता है और विरेचक होने के कारण कब्ज़ का नाश करता है। इस प्रकार यह दवा पूरे शरीर, पाचन, दिल, दिमाग, धातुओं पर काम करती है और शरीर को पुष्ट कर रोगों में आराम देती है।

  • अपच indigestion, बहुमूत्रता
  • जननांग में दर्द Pain in female genital tract
  • पीठ में दर्द backache
  • बाँझपन Infertility and all irregularities of menstrual flow
  • बुखार fever, रक्त पित्त bleeding disorders, अर्श piles, bleeding piles
  • मासिक धर्म के दौरान दर्द Dysmenorrhea
  • रक्त प्रदर (मासिक में बहुत अधिक रक्त का स्राव Metrorrhagia और मासिक धर्म अनियमितता Menorrhagia)
  • सफेद पानी/लिकोरिया Leucorrhoea
  • सूजन inflammation, खून की कमी
  • हाथ पैर में जलन burning sensation in the legs and feet,
  • हॉर्मोन असंतुलन Hormonal imbalance

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Ashokarishta

  • यह आयुर्वेद का अरिष्ट है और इसे लेने की मात्रा 12-24 मिलीलीटर है।
  • दवा को पानी की बराबर मात्रा के साथ-साथ मिलाकर लेना चाहिए अथवा रोगानुसार अनुपान के साथ दवा लें।
  • अतिरज (पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग) व रक्तप्रदर (योनि से असामान्य खून जाना) में साथ में चन्द्रप्रभा वटी के साथ दवा लें।
  • इसे सुबह नाश्ते के बाद और रात्रि के भोजन करने के बाद लें।
  • इसे भोजन के 30 मिनट में बाद, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • परिणाम सेवन के कुछ सप्ताह बाद मिलते हैं।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

अशोकारिष्ट के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह के आधार पर 1 से 2 महीने तक किया जा सकता है। मेनूपॉज में इसे 4-5 महीने तक लिया जाता है।
  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • अगर पीरियड नहीं आते, तो इस दवा का सेवन नहीं करें। इससे पीरियड और डिले हो सकते हैं।
  • अगर पीरियड में बहुत दर्द होता है तो केवल इस दवा के इस्तेमाल से राहत नहीं होती।
  • अगर दवा लेने से पीरियड पर बुरा असर होता है, हॉर्मोन का असंतुलन लगता है, या एसिडिटी खट्टी डकार आदि होता है तो दवा की मात्रा कम करके देखें। फर्क नहीं हो तो दवा का सेवन बंद कर दें।
  • यह पित्त को बढ़ाती है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।
  • इसे खाली पेट न लें।
  • इसमें 5-10% self-generated अल्कोहल है।
  • दवा के सेवन के दौरान गरिष्ठ भोजन, घी, दूध, चीनी, चावल, आदि का सेवन न करें।
  • नियमित व्यायाम करें।

अशोकारिष्ट के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • क्योंकि यह दवा महिला हॉर्मोन पर असर डालती है इसलिए इसके सेवन से पीरियड पर असर हो सकता है।
  • कुछ महिलाओं में इसके सेवन से पीरियड देर से आ सकते है।
  • पीरियड की ब्लीडिंग कम हो सकती है।
  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।

अशोकारिष्ट को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्थ के दौरान न लें।
  • इसमें गुड़ है इसलिए डायबिटीज में इसका सेवन न करें।
  • यदि पीरियड तय डेट पर नहीं आते, अनियमित हैं तो इस दवा का सेवन नहीं करें। इससे पीरियड और डिले हो सकते हैं।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

उपलब्धता

  • इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
  • Ashokarishta is manufactured by Dabur, Shree Baidyanath Ayurved Bhawan, Patanjali Divya Pharmacy, Sandu Brothers; Oushadasala (Ashokarishtam), Keva Ayurveda Healthcare (Ashokarishtam), Kottakkal Aryavaidyasala, Nagarjuna (Asokarishtam)
  • तथा अन्य बहुत सी फर्मसियाँ।

Where to buy

आप इस दवा को सभी फार्मेसी दुकानों पर या ऑनलाइन खरीद सकते हैं।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या अशोकारिष्ट को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या अशोकारिष्ट को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले तो सकते हैं। लेकिन इस से हो सकता है कि दोनों ही दवाएं काम नहीं करें। इसलिए, दवा के असर को देखना ज़रूरी है।

अशोकारिष्ट को कितनी बार लेना है?

  • इसे दिन में 2 बार लेना चाहिए।
  • इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।

क्या अशोकारिष्ट की अधिकता नुकसान कर सकती है?

दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।

क्या अशोकारिष्ट सुरक्षित है?

हां, सिफारिश की खुराक में लेने के लिए सुरक्षित है।

अशोकारिष्ट का मुख्य संकेत क्या है?

स्त्री रोग जैसेकि योनि से असामान्य ब्लड जाना, पीरियड जल्दी जल्दी आना, बहुत अधिक पीरियड होना आदि।

अशोकारिष्ट का पीरियड पर क्या असर होता है?

अशोकारिष्ट ब्लीडिंग को कम करती है।

क्या अनियमित पीरियड्स, जो बहुत लम्बे समय के बाद आते हैं। मुझे यह दवा लेनी चाहिए?

नहीं, इससे पीरियड और देर से आयेंगे।

पीरियड के दौरान ब्लीडिंग बहुत कम होती है। क्या यह दवा लेने से ब्लीडिंग ठीक होगी?

नहीं इससे ब्लीडिंग और कम हो जायेगी। इसलिए कम ब्लीडिंग में इस दवा को नहीं लेना चाहिए।

मीनोपॉज के दौरान क्या इसे ले सकती हूँ?

हां, इसे लेने से मीनोपॉज के लक्षणों में आराम होता है।

क्या स्त्री रोगों के आलवा भी अशोकारिष्ट ली जाती है?

हाँ। यह ब्लीडिंग पाइल्स और ब्लीडिंग दिसोर्देर्स जैसे नाक से खून गिरना में भी प्रयोग की जाती है। यह भूख कम लगना और पाचन की सम्स्य में भी फायदा करती है।

अशोकारिष्ट का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?

  • वात कम करना।
  • पित्त वृद्धि करना।
  • कफ कम करना।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

नहीं।

यह दवा कब तक ले सकते हैं?

  • आप इसे 1-2 महीने के लिए ले सकते हैं।
  • अगर पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग होती है तो इसे पीरियड के दौरान ही लें या पीरियड शुरू होने के सप्ताह भर पहले लें।

अशोकारिष्ट लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन के बाद लिया जाना चाहिए एक ही समय में दैनिक रूप में लेने की कोशिश करें।

क्या अशोकारिष्ट एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या अशोकारिष्ट लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे दूध पिलाने के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है यदि पीरियड में ब्लीडिं घोटी हैं अथवा सफ़ेद पानी की समस्या है।

क्या मैं इसे गर्भावस्था के दौरान ले सकती हूँ?

नहीं। यह एक अरिष्ट है जो महिला हॉर्मोन पर असर डालता है। प्रेगनेंसी में हॉर्मोन के लेवल पर किसी भी तरह का असर गर्भावस्था को नेगेटिव तरीके से प्रभावित कर सकता है। साथ ही इसमें कई द्रव्य हैं जो तासीर में गर्म है। इसलिए गर्भावस्था में इस दवा को नहीं लेना है।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

इसे बनाने में गुड़ का प्रयोग होता है इसलिए डायबिटीज में इसे सावधानी से प्रयोग करें। यदि अनियंत्रित शुगर है तो इसका सेवन न करें। यदि शुगर नियंत्रण में है और कुछ मात्रा में मीठे का प्रयोग कर सकते है तो इसे भी लिया जा सकता है।

पतंजलि की अशोकारिष्ट का मूल्य क्या है?

दिव्य अशोकारिष्ट की 450 ml बोतल की कीमत Rs. 70.00 है।

बैद्यनाथ Ashokarishta का क्या प्राइस है?

Baidyanath Ashokarishta Price:

  • 680 ML  125.00
  • 450 ML  105.00
  • 225 ML  62.00

दवा की बोतल खोलने के बाद इसे कितने दिन में प्रयोग कर लें?

  • इसे जल्दी से जल्दी इस्तेमाल करना सही रहता है।
  • दवा को गंदे हाथों से नहीं छुएं।

दिव्य पतंजलि अर्जुन क्वाथ Patanjali Arjun Kwath  Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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दिव्य पतंजलि अर्जुन क्वाथ Patanjali Arjun Kwath in Hindi, में अर्जुन के वृक्ष की छाल है। इसे पानी में उबाल कर काढ़ा बनाकर दिन में दो बार पीने से हृदय रोगों में लाभ होता है। यह सभी प्रकार की हृदय रोगों में उपयोगी है।

अर्जुन की छाल, ज्वरनाशक, मूत्रल, और अतिसार नष्ट करने वाली होती है। यह उच्च रक्त्र्चाप को कम करती है। जब चोट पर नील पड़ जाए तो इसकी छाल का सेवन दूध के साथ करना चाहिए। लीवर सिरोसिस में इसे टोनिक की तरह प्रयोग किया जाता है। मानसिक तनाव, दिल की अनियमित धड़कन, उच्च रक्चाप में इसका सेवन लाभदायक है।  मासिक में अधिक रक्स्राव हो रहा हो तो, अर्जुन की छाल का एक चम्मच चूर्ण को एक कप दूध में उबालें। जब दूध आधा रह जाए तो थोड़ी मात्रा में मिश्री मिलकर, दिन में तीन बार सेवन करें।  इसका काढ़ा बनाकर छाले, घाव, अल्सर, आदि धोते हैं। अर्जुन के छाल का काढ़ा पीने से पेशाब रोगों में लाभ होता है। यह मूत्रल है। छाल का सेवन शरीर को बल देता है।

अर्जुन की छाल को रात भर पानी में भिगो, सुबह मसलकर छान कर पीते हैं। ऐसा एक महीने तक करने से उच्च रक्तचाप, चमड़ी के रोग, यौन रोग, अस्थमा, पेचिश, मासिक में ज्यादा खून जाना और पाचन में लाभ होता है। शरीर में विष होने पर छाल का काढ़ा लाभप्रद है। यह रक्त पित्त में भी बहुत उपयोगी है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

यह पेज दिव्य पतंजलि अर्जुन क्वाथ के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

Patanjali Arjun Kwath is Herbal Ayurvedic medicine। It is indicated in management of heart diseases। Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language।

  • दवा का नाम: दिव्य पतंजलि अर्जुन क्वाथ Patanjali Arjun Kwath
  • निर्माता: पतंजलि
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: हृदय रोग
  • मुख्य गुण: हृदय को बल देना, हृदय के लिए टॉनिक, रक्त्त स्तंभक, रक्तपित्त शामक, प्रमेहनाशक, विषहर
  • दोष इफ़ेक्ट: कफहर, पित्तहर

दिव्य पतंजलि अर्जुन क्वाथ के घटक Ingredients of Patanjali Arjun Kwath

अर्जुन के पेड़ की छाल

दिव्य पतंजलि अर्जुन क्वाथ के लाभ / फ़ायदे Benefits of Patanjali Arjun Kwath

  • अर्जुन की छाल का चूर्ण, cardiac diseases, hypertension, heaviness in the chest में करना चाहिए। यह  cardio protective and cardio-tonic है।
  • इसका सेवन एनजाइना के दर्द को धीरे-धीरे कम करता है। prevents and helps in the recovery from angina
  • यह अनियमित धड़कन, संकुचन को दूर करता है। regulates heart beat
  • यह उच्च रक्तचाप को कम करता है।
  • यह कार्डियोटॉनिक है। Cardiac tonic and stimulant
  • यह कोलेस्ट्रोल को कम करता है।
  • यह दिल की मांसपेशियों को मज़बूत करता है।
  • यह ब्लड वेसल को फैला देता है।
  • यह रक्त प्रवाह के अवरोध को दूर करता है।
  • यह लिपिड, कोलेस्ट्रोल, ट्राइग्लिसराइड लेवल को कम करता है।
  • यह वज़न को कम करता है।
  • यह सभी प्रकार के हृदय रोगों में फायदेमंद है।
  • यह स्ट्रोक के खतरे को कम करता है। reduces blood clots, reverses hardening of the blood vessels
  • यह हृदय की सूजन को दूर करता है।
  • यह हृदय के अत्यंत लाभकारी है। prevents congestive heart failure, ischemic, heals heart tissue scars after surgery
  • यह हृदय के ब्लॉकेज में लाभदायक है।
  • यह हृदय को ताकत देने वाली औषध है। nourishes heart muscle,  prevents arterial clogging
  • हृदय रोगों में अर्जुनारिष्ट का सेवन या अर्जुन की छाल का चूर्ण दिन में दो बार पानी या दूध के साथ करना चाहिए।

दिव्य पतंजलि अर्जुन क्वाथ के चिकित्सीय उपयोग Uses of Patanjali Arjun Kwath

अर्जुन के पेड़ की छाल का हृदय रोगों में बहुत प्रयोग होता है। यह अवरुद्ध धमनियों को खोलने में मदद करता है। टर्मिनलिया अर्जुन की छाल के प्रयोग से हृदय को बल मिलता है और धड़कन नियमित होती है।

  • अनियमित धड़कन Heart Palpitations
  • उच्च कोलेस्ट्रोल High Cholesterol
  • उच्च रक्तचाप Hypertension
  • कमज़ोर दिल Weak Heart
  • धमिनियों में रुकावट Blocked Arteries of Heart
  • हृदय रोग Heart Diseases

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Patanjali Arjun Kwath

  • इसका काढ़ा बनाने के लिए करीब एक चम्मच पतंजलि क्वाथ पाउडर को 400 ml पानी में उबालें जब तक पानी केवल 100 ml बचे। इसे छान लें।
  • इस तरह बने काढ़े को दिन में दो बार लें।
  • इसे सुबह नाश्ते से पहले और रात के भोजन के पहले लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

दिव्य पतंजलि अर्जुन क्वाथ के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • अर्जुन आयुर्वेद की एक निरापद औषध है।
  • इसका प्रयोग किसी भी तरह के साइड-इफेक्ट पैदा नहीं करता।
  • लम्बे समय तक इसका प्रयोग पूरी तरह से सुरक्षित है।
  • इसे गर्भावस्था में प्रयोग न करें।

दिव्य पतंजलि अर्जुन क्वाथ के साइड-इफेक्ट्स Side effects

निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।

दिव्य पतंजलि अर्जुन क्वाथ को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था के दौरान न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

उपलब्धता

इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या दिव्य पतंजलि अर्जुन क्वाथ को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले तो सकते हैं। लेकिन इस से हो सकता है कि दोनों ही दवाएं काम नहीं करें। इसलिए, दवा के असर को देखना ज़रूरी है।

दिव्य पतंजलि अर्जुन क्वाथ को कितनी बार लेना है?

  • इसे दिन में 2 बार / 3 बार लेना चाहिए।
  • इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।

क्या दिव्य पतंजलि अर्जुन क्वाथ सुरक्षित है?

हां, सिफारिश की खुराक में लेने के लिए सुरक्षित है।

दिव्य पतंजलि अर्जुन क्वाथ का मुख्य संकेत क्या है?

हृदय रोग।

दिव्य पतंजलि अर्जुन क्वाथ का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?

  • पित्त कम करना।
  • कफ कम करना।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

नहीं।

दिव्य पतंजलि अर्जुन क्वाथ लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन के पहले लिया जाना चाहिए एक ही समय में दैनिक रूप में लेने की कोशिश करें।

क्या दिव्य पतंजलि अर्जुन क्वाथ एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या दिव्य पतंजलि अर्जुन क्वाथ लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है।

क्या मैं इसे गर्भावस्था के दौरान ले सकती हूँ?

डॉक्टर की राय प्राप्त करें।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

हाँ।

पतंजलि दिव्य अर्जुन काढ़े की कीमत क्या है?

100 grams @ Rs. 14.00

दिव्य मुक्ता वटी Patanjali Divya Mukta Vati Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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दिव्य मुक्ता वटी Divya Mukta Vati in Hindi आयुर्वेदिक दवा है जो पतंजली दिव्य फार्मेसी द्वारा निर्मित है। यह उच्च रक्तचाप के लिए फोर्मुलेटेड दवा है। यह ब्लड प्रेशर के कारण हो रहे अनिद्रा, घबराहट, सीने में दर्द और अन्य संबंधित लक्षणों में भी राहत देती है।

दिव्य मुक्ता वटी के सेवन से कुछ लोगों में साइड इफेक्ट्स देखे जाते हैं। सबसे कॉमन साइड इफ़ेक्ट है, नाक जाम होना और पल्स पर असर होना। इसके अतिरिक्त भी कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं जैसे रेस्ट लेग सिंड्रोम, मुंह सूखना, बेचैनी, चक्कर आना, सर में दर्द होना आदि। ये लक्षण सभी में हो ऐसा बिलकुल ज़रूरी नहीं है। लेकिन इस दवा में सर्पगंधा होने से ऐसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। इसलिए इसे लेते समय दवा की मात्रा और फ्रीक्वेंसी को कम करने की ज़रूरत हो सकती है। साथ ही अगर दवा के लेने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल नहीं हो पा रहा तो डॉक्टर से उचित सलाह लें।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

यह पेज दिव्य मुक्ता वटी के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

Divya Mukta Vati (Patanjali) is Ayurvedic medicine. It is indicated in management of hypertension. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: दिव्य मुक्ता वटी Divya Mukta Vati
  • निर्माता: Patanjali Ayurvedic Pvt. Ltd.
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: आयुर्वेदिक दवाई।
  • मुख्य उपयोग: हल्के से मध्यम उच्च रक्तचाप का प्रबंधन।
  • मुख्य गुण: रक्तचाप कम करना।
  • दोष इफ़ेक्ट: वातकफ कम करना।
  • गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं करें. डॉक्टर की सलाह लें।

दिव्य मुक्ता वटी के घटक Ingredients of Divya Mukta Vati

Each 300 mg tablet contains

  • ब्राह्मी Brahmi Bacopa monnieri  46 mg
  • शंखपुष्पि Shankhapushpi Convolvulus pluricaulis 46 mg
  • उग्र गंध Ugra Gandha Vach Acorus calamus 46 mg
  • गाजवान Gaajwaan Onosma bracteatum 69 mg
  • ज्योतिष्मती Jyotishmti Celastrus paniculatus 19 mg
  • अश्वगंधा Ashwagandha Withania somnifera 46 mg
  • गिलोय Giloy Tinospora cordifolia 20 mg
  • प्रवाल पिष्टी Praval Pishti 6 mg
  • मोती पिष्टी Moti Pishti Mukta pishti 2 mg

Processed with aqueous extracts of

  • ब्राह्मी Brahmi Bacopa monnieri
  • जटामांसी Jatamansi Nardostachys jatamansi
  • शंखपुष्पि Shankhapushpi Convolvulus pluricaulis
  • सर्पगंधा Sarpagandha Rauwolfia serpentina
  • गिलोय Giloy Tinospora cordifolia

Excipients

Gum acacia, Talcum, Aerosil, Magnesium sterate, MCC QS

प्रयुक्त जड़ी बूटियों को जानें

गज़ोबन

गज़ोबन (ऑनोसमा ब्रेक्टिएटम बोरागिनसेई) यूनानी और आयुर्वेदिक योगों में प्रयोग की जानी वाली जड़ी बूटी है। यह ठंडा, कसैले, मूत्रवर्धक, स्पस्मॉलिटिक और हृदय टॉनिक है।

गज़ोबन को हृदय की कमजोरी, अनिद्रा, अवसाद, मानसिक थकावट, कब्ज, मिस्टरिस्टल्सिस, पीलिया, डिस्रुरिया, बुखार आदि में प्रयोग किया जाता है। गज़ोबन को परंपरागत रूप से एक टॉनिक के रूप में प्रयोग किया जाता है जो शरीर के प्रतिरक्षा प्रतिरोध को बनाने में मदद करता है और मूत्र उत्पादन को विनियमित करता है।

वच

वच को कैलमस रूट, स्वीट फ्लैग, उग्रगंध आदि नामों से जानते हैं। इसका लैटिन नाम एकोरस कैलमस Acorus calamus है। वच का शाब्दिक अर्थ है बोलना, और यह हर्ब कंठ के लिए अच्छी है। वच मस्तिष्क और न्यूरोलॉजिकल गतिविधि पर असर डालती है। यह मस्तिष्क, तंत्रिकाओं और इंद्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण उत्तेजक है।

  • रस: कटु, तिक्त, काषाय
  • वीर्य: उष्ण
  • विपाक: कटु
  • गुण: लघु, रूक्ष
  • दोष पर प्रभाव: कफ-पित्त कम करना, पित्त बढ़ाना
  • वच दीपन, पाचन, लेखन, प्रमाथि, कृमिनाशक, उन्मादनाशक, अपस्मारघ्न, और विरेचक है। यह मस्तिष्क के लिए रसायन है और शिरोविरेचन है।
  • वच को गर्भावस्था में प्रयोग करने का निषेध है।

शंखपुष्पि

  • आयुर्वेद में शंखपुष्पि Convolvulus pluricaulis दवा की तरह पूरे पौधे को प्रयोग करते हैं।
  • शंखपुष्पि उन्माद, पागलपण और अनिद्रा को दूर करने वाली औषध है। यह स्ट्रेस, एंग्जायटी, मानसिक रोग और मानसिक कमजोरी को दूर करती है। शंखपुष्पि एक ब्रेन टॉनिक है।
  • रस: कटु, तिक्त, काषाय
  • वीर्य: शीतल
  • विपाक: कटु
  • गुण: सार
  • दोष पर प्रभाव: कफ-पित्त कम करना
  • शंखपुष्पि पित्तहर, कफहर, रसायन, मेद्य, बल्य, मोहनाशक और आयुष्य है। यह मानसरोगों और अपस्मार के इलाज में प्रयोग की जाने वाली वनस्पति है।

अश्वगंधा

अश्वगंधा शामक, मूत्रवर्धक, सूजन कम करने वाली है और आम तौर पर ऊर्जा, धीरज बढ़ाने और एक अनुकूलन के रूप में कार्य करने के लिए दी जाती है। है जो सिमें मजबूत इम्युनोस्टिमुलेटरी और एंटीस्ट्रेस गुण है।

सर्पगन्धा

सर्पगन्धा रावोल्फिया सर्पेंटीना, के पत्ते और जड़ें मुख्य रूप से चिकित्सीय प्रयोजन के लिए उपयोग की जाती हैं। सर्पगन्धा को मुख्य रूप से उच्च रक्तचाप, मानसिक रोग और नींद न आने की समस्या में प्रयोग किया जाता है। इसके सेवन से ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद होती है व मस्तिष्क को आराम मिलता है और नींद अच्छी आती है।

यह स्वाद में कड़वी, गुण में रूखा करने वाला, और लघु है। स्वभाव से यह गर्म है और कटु विपाक है। क्योंकि यह एंटी-हिपनोटिक और ट्रैंक्विलाइज़र है इसलिए हिस्टीरिया, पागलपन, उन्माद, भ्रम, भूतबाधा आदि मानसिक विकारों में लाभप्रद है। यह पित्त वर्धक है और पाचन में सहयोगी है।

सर्पगन्धा में एंटीहाइपेरेन्सिव, एंटीसाइकोटिक, एंटिफर्टिलिटी, निद्राजनन, सीएनएस अवसादक, नारकोटिक, ऋणात्मक और ट्रेन्किविलाइज़र की गतिविधियों है। यह परिधीय कैटेकोलामाइन (नॉरएड्रेनालाईन) भंडार को कम करती है, जिससे रक्तचाप में कमी आती है।

बायोमेडिकल एक्शन

  • Hypolipidemic: रक्त में लिपिड स्तर कम करना ।
  • एंटीइन्फ्लेमेटरी: शरीर तंत्र पर काम करके सूजन को कम करना।
  • एंटीऑक्सिडेंट: मुक्त कण के ऑक्सीकरण प्रभाव को बेअसर करना।
  • एडाप्टेोजेन: शरीर को तनाव के अनुकूल होने में मदद करने में सहयोगी है।
  • कार्डिएक: हृदय से संबंधित।
  • कार्डियोप्रोटेक्टिव: दिल की सुरक्षा करता है।
  • टॉनिक: स्वास्थ्य में सुधार करना।
  • सेडेटिव: शांत या उत्प्रेरित नींद को बढ़ावा देना।

दिव्य मुक्ता वटी के लाभ/फ़ायदे Benefits of Divya Mukta Vati

  • यह नर्वस सिस्टम पर काम करती है।
  • यह उच्च रक्तचाप को कम करती है।
  • यह हृदय की असामान्य बढ़ी गति को कम करती है।
  • यह निद्राजनक है।
  • यह सेंट्रल नर्वस सिस्टम को डिप्रेस करती है।
  • यह एंग्जायटी, स्ट्रेस को कम करने में सहायक है।
  • यह हल्के से मध्यम उच्च रक्तचाप का प्रबंधन करने में मदद काम करती है।
  • यह अनिद्रा, चिंता, सिंड्रोम, नींद, रेस्टलेस पैर और उच्च रक्तचाप आदि को दूर करने में मदद काम करती है।
  • यह तनाव और व्याकुलता को करती है।

दिव्य मुक्ता वटी के चिकित्सीय उपयोग Uses of Divya Mukta Vati

  • दिव्य मुक्ता वटी को मुख्य रूप से ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके सेवन से मस्तिष्क को आराम मिलता है और नींद अच्छी आती है।
  • मुक्ता वटी का उपयोग हल्के से मध्यम उच्च रक्तचाप, अनिद्रा और चिंता के इलाज में किया जाता है। इससे चिंता कम होती है।
  • आदर्श रूप से, रक्तचाप रीडिंग को 120 से 80 (120/80) के नीचे होना चाहिए। अच्छे स्वास्थ्य के लिए इच्छुक लोगों के लिए यह आदर्श रक्तचाप है।
  • यदि रीडिंग 120/80 से 140/90 है तो, इसे नीचे लाने या इसे आगे बढ़ने से रोकने के लिए कदम उठाना अत्यंत ज़रूरी है।
  • हल्का उच्च रक्तचाप Mild hypertension or Stage 1 hypertension तब कहा जाता है जब कई हफ्तों तक ब्लड प्रेशर रीडिंग 130 से 139 मिमी एचजी या 80 से 89 मिमी एचजी है।
  • मध्यम उच्च रक्तचाप या स्टेज 2 उच्च रक्तचाप Mild hypertension or Stage 1 hypertension अधिक गंभीर उच्च रक्तचाप है। चरण 2 के उच्च रक्तचाप के लिए सिस्टोलिक दबाव 140 मिमी एचजी या उससे अधिक के या डायस्टोलिक दबाव 90 मिमी एचजी से अधिक होता है।

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Divya Mukta Vati

  • इसकी 1 या 2 गोली लें।
  • 140/90 मिमी एचजी से 159/99 मिमी एचजी में एक गोली एक बार में लें।
  • इससे ज्यादा में 2 गोली एक बार में लें।
  • इसे दिन में दो बार लिया जाना चाहिए।
  • इसे खाली पेट सुबह दूध के साथ और रात के खाने से घंटे भर पहले दूध के साथ लें। इसे पानी के साथ भी ले सकते है।
  • इसे भोजन करने के पहले लें।
  • दवा की डोज़ और लेने की फ्रीक्वेंसी को कम कर दें, यदि ब्लड प्रेशर मैनेज हो जाता है।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

दिव्य मुक्ता वटी के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • सभी ≥ 45 वर्ष से के लोगों को बीपी को प्रत्येक 5 वर्षों में कम से कम एक बार ब्लड प्रेशर नपवाना चाहिए। यह रिकॉर्डिंग कई मापों का औसत होना चाहिए।
  • उच्च रक्तचाप के प्रबंधन के लिए जीवनशैली में ज़रूरी बदलाव लाना ज़रूरी है।
  • कम नमक वाले आहार का सेवन अत्यधिक अनुशंसित है।
  • धूम्रपान नहीं करना ज़रूरी है।
  • आहार में आसान पचने योग्य खाद्य पदार्थ, फलों और सब्जियों को शामिल करें योग और प्राणायाम करें।
  • हर्बल दवा की प्रभावशीलता कई कारकों पर निर्भर करती है। एक व्यक्ति के लिए उपयुक्त दवा अनिवार्य रूप से दूसरे व्यक्ति में समान परिणाम नहीं देती है।
  • किसी दुष्प्रभाव से बचने के लिए सामग्री की सूची और उनके मतभेद की जांच करें।
  • यदि लक्षण बेहतर नहीं हो रहे या खराब होते हैं, तो डॉक्टर से परामर्श करें।
  • दवाई की ज्यादा मात्रा नहीं लें।

दिव्य मुक्ता वटी के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • इस दवा के कुछ हल्के साइड इफेक्ट हो सकते हैं।
  • इससे नाक के अंदर श्लेष्म झिल्ली की जलन और सूजन हो सकती है, जिससे नाक भरी और जाम लगती है।
  • इस दवा को लेने से व्यक्ति को शुष्क मुँह से पीड़ित हो सकता है।
  • इससे चक्कर आना, सिरदर्द, साँस लेने की समस्याएं और बेचैनी हो सकती है।
  • इसमें सर्पगंधा है जिसके दुष्प्रभाव में चक्कर आना, उनींदापन, स्तंभन दोष, सुस्ती, दाने, और प्रतिक्रियाशील परिवर्तन (ड्राइविंग के दौरान खतरनाक), यौन शक्ति में कमी, और भरी हुई नाक शामिल हैं।

दिव्य मुक्ता वटी को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था के दौरान न लें।
  • आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। इसका सेवन गर्भावस्था में न करें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।
  • विशिष्ट मतभेदों की पहचान नहीं की गई है।
  • कृपया किसी भी एलोपैथिक दवा और आयुर्वेदिक दवाओं के सेवन के बीच कम से कम एक घंटे के अंतराल को बनाए रखें।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें। साथ ही दवा के सेवन के दौरान ब्लड प्रेशर पर हो रहे असर पर ध्यान दें। साथ ही दवाओं की डोज़ को भी उसी अनुपात में कम या ज्यादा करें। यदि ब्लड प्रेशर मैनेज नहीं हो पा रहा तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

क्या दिव्य मुक्ता वटी को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले तो सकते हैं। लेकिन इस से हो सकता है कि दोनों ही दवाएं काम नहीं करें। इसलिए, दवा के असर को देखना ज़रूरी है।

दिव्य मुक्ता वटी को कितनी बार लेना है?

  • इसे दिन में 2 बार लेना चाहिए।
  • इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।

क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?

दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।

क्या दिव्य मुक्ता वटी सुरक्षित है?

हां, सिफारिश की खुराक में लेने के लिए सुरक्षित है।

दिव्य मुक्ता वटी का मुख्य संकेत क्या है? दिव्य मुक्ता वटी किस काम आती है इन हिंदी?

दिव्य मुक्ता वटी को माइल्ड और मोडरेट ब्लड प्रेशर को मैनेज करने में लिया जाता है। इसे एलोपैथिक दवाओं से ह रहे उपचार के दौरान भी ले सकते हैं।

दिव्य मुक्ता वटी का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?

  • वात कम करना।
  • पित्त वृद्धि करना।
  • कफ कम करना।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

नहीं।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

आप इसे कई महीने ले सकते हैं।

दिव्य मुक्ता वटी लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन के पहले लिया जाना चाहिए।

क्या दिव्य मुक्ता वटी एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या दिव्य मुक्ता वटी लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है। पीरियड्स के दौरान से नहीं लें, अगर आपको रक्तस्राव पैटर्न पर कोई प्रभाव महसूस होता है।

क्या मैं इसे गर्भावस्था के दौरान ले सकती हूँ?

नहीं।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

हाँ।

दिव्य मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर Patanjali Divya Mukta Vati Extra Power Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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दिव्य मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर Divya Mukta Vati Extra Power in Hindi आयुर्वेदिक दवा है जो पतंजली दिव्य फार्मेसी द्वारा निर्मित है। यह उच्च रक्तचाप के लिए फोर्मुलेटेड दवा है। यह ब्लड प्रेशर के कारण हो रहे अनिद्रा, घबराहट, सीने में दर्द और अन्य संबंधित लक्षणों में भी राहत देती है।

दिव्य मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर के सेवन से कुछ लोगों में साइड इफेक्ट्स देखे जाते हैं। सबसे कॉमन साइड इफ़ेक्ट है, नाक जाम होना और पल्स पर असर होना। इसके अतिरिक्त भी कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं जैसे रेस्ट लेग सिंड्रोम, मुंह सूखना, बेचैनी, चक्कर आना, सर में दर्द होना आदि। ये लक्षण सभी में हो ऐसा बिलकुल ज़रूरी नहीं है। लेकिन इस दवा में सर्पगंधा होने से ऐसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। इसलिए इसे लेते समय दवा की मात्रा और फ्रीक्वेंसी को कम करने की ज़रूरत हो सकती है। साथ ही अगर दवा के लेने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल नहीं हो पा रहा तो डॉक्टर से उचित सलाह लें।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

यह पेज दिव्य मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

Divya Mukta Vati Extra Power (Patanjali) is Herbal Ayurvedic medicine. It is indicated in management of hypertension. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: दिव्य मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर Divya Mukta Vati Extra Power
  • निर्माता: Patanjali Ayurvedic Pvt. Ltd.
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: आयुर्वेदिक दवाई।
  • मुख्य उपयोग: हल्के से मध्यम उच्च रक्तचाप का प्रबंधन।
  • मुख्य गुण: रक्तचाप कम करना।
  • दोष इफ़ेक्ट: वातकफ कम करना।
  • गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं करें. डॉक्टर की सलाह लें।
  • मूल्य MRP: 120 tablets @ Rs. 200

दिव्य मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर के घटक Ingredients of Divya Mukta Vati Extra Power

Each 300 mg tablet is prepared from:

Wet Extracts: NLT 60 % Total Solids of

  • गाजवान Gaozaban Onosma bracteatum Panchang 33.90 mg
  • ब्राह्मी Brahmi Bacopa monnieri Panchang 67.92 mg
  • शंखपुष्पि Shankhapushpi Convolvulus pluricaulis Panchang 67.92 mg
  • उग्र गंध Ugra Gandha Vach Root Acorus calamus 33.90 mg
  • अश्वगंधा Ashwagandha Withania somnifera Root 33.90 mg
  • ज्योतिष्मती Jyotishmti Celastrus paniculatus Seed 33.90 mg
  • सौंफ Saunf Foeniculum vulgare Fruit 33.90 mg
  • पुष्करमूल Pushkarmula Inula racemoa Root 33.90 mg
  • उस्तेखद्दूसUstekhddoos Lavender Lavandula stoechas 33.90 mg

Fine Powders of

  • जटामांसी Jatamansi Nardostachys jatamansi 18.65 mg
  • सर्पगंधा Sarpagandha Rauwolfia serpentina 37.30 mg
  • मोती पिष्टी Moti Pishti Mukta pishti 20.14 mg

प्रयुक्त जड़ी बूटियों को जानें

गज़ोबन

गज़ोबन (ऑनोसमा ब्रेक्टिएटम बोरागिनसेई) यूनानी और आयुर्वेदिक योगों में प्रयोग की जानी वाली जड़ी बूटी है। यह ठंडा, कसैले, मूत्रवर्धक, स्पस्मॉलिटिक और हृदय टॉनिक है।

गज़ोबन को हृदय की कमजोरी, अनिद्रा, अवसाद, मानसिक थकावट, कब्ज, मिस्टरिस्टल्सिस, पीलिया, डिस्रुरिया, बुखार आदि में प्रयोग किया जाता है। गज़ोबन को परंपरागत रूप से एक टॉनिक के रूप में प्रयोग किया जाता है जो शरीर के प्रतिरक्षा प्रतिरोध को बनाने में मदद करता है और मूत्र उत्पादन को विनियमित करता है।

वच

वच को कैलमस रूट, स्वीट फ्लैग, उग्रगंध आदि नामों से जानते हैं। इसका लैटिन नाम एकोरस कैलमस Acorus calamus है। वच का शाब्दिक अर्थ है बोलना, और यह हर्ब कंठ के लिए अच्छी है। वच मस्तिष्क और न्यूरोलॉजिकल गतिविधि पर असर डालती है। यह मस्तिष्क, तंत्रिकाओं और इंद्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण उत्तेजक है।

  • रस: कटु, तिक्त, काषाय
  • वीर्य: उष्ण
  • विपाक: कटु
  • गुण: लघु, रूक्ष
  • दोष पर प्रभाव: कफ-पित्त कम करना, पित्त बढ़ाना
  • वच दीपन, पाचन, लेखन, प्रमाथि, कृमिनाशक, उन्मादनाशक, अपस्मारघ्न, और विरेचक है। यह मस्तिष्क के लिए रसायन है और शिरोविरेचन है।
  • वच को गर्भावस्था में प्रयोग करने का निषेध है।

शंखपुष्पि

  • आयुर्वेद में शंखपुष्पि Convolvulus pluricaulis दवा की तरह पूरे पौधे को प्रयोग करते हैं।
  • शंखपुष्पि उन्माद, पागलपण और अनिद्रा को दूर करने वाली औषध है। यह स्ट्रेस, एंग्जायटी, मानसिक रोग और मानसिक कमजोरी को दूर करती है। शंखपुष्पि एक ब्रेन टॉनिक है।
  • रस: कटु, तिक्त, काषाय
  • वीर्य: शीतल
  • विपाक: कटु
  • गुण: सार
  • दोष पर प्रभाव: कफ-पित्त कम करना
  • शंखपुष्पि पित्तहर, कफहर, रसायन, मेद्य, बल्य, मोहनाशक और आयुष्य है। यह मानसरोगों और अपस्मार के इलाज में प्रयोग की जाने वाली वनस्पति है।

अश्वगंधा

अश्वगंधा शामक, मूत्रवर्धक, सूजन कम करने वाली है और आम तौर पर ऊर्जा, धीरज बढ़ाने और एक अनुकूलन के रूप में कार्य करने के लिए दी जाती है। है जो सिमें मजबूत इम्युनोस्टिमुलेटरी और एंटीस्ट्रेस गुण है।

सर्पगन्धा

  • सर्पगन्धा रावोल्फिया सर्पेंटीना, के पत्ते और जड़ें मुख्य रूप से चिकित्सीय प्रयोजन के लिए उपयोग की जाती हैं। सर्पगन्धा को मुख्य रूप से उच्च रक्तचाप, मानसिक रोग और नींद न आने की समस्या में प्रयोग किया जाता है। इसके सेवन से ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद होती है व मस्तिष्क को आराम मिलता है और नींद अच्छी आती है।
  • यह स्वाद में कड़वी, गुण में रूखा करने वाला, और लघु है। स्वभाव से यह गर्म है और कटु विपाक है। क्योंकि यह एंटी-हिपनोटिक और ट्रैंक्विलाइज़र है इसलिए हिस्टीरिया, पागलपन, उन्माद, भ्रम, भूतबाधा आदि मानसिक विकारों में लाभप्रद है। यह पित्त वर्धक है और पाचन में सहयोगी है।
  • सर्पगन्धा में एंटीहाइपेरेन्सिव, एंटीसाइकोटिक, एंटिफर्टिलिटी, निद्राजनन, सीएनएस अवसादक, नारकोटिक, ऋणात्मक और ट्रेन्किविलाइज़र की गतिविधियों है। यह परिधीय कैटेकोलामाइन (नॉरएड्रेनालाईन) भंडार को कम करती है, जिससे रक्तचाप में कमी आती है।

बायोमेडिकल एक्शन

  • Hypolipidemic: रक्त में लिपिड स्तर कम करना ।
  • एंटीइन्फ्लेमेटरी: शरीर तंत्र पर काम करके सूजन को कम करना।
  • एंटीऑक्सिडेंट: मुक्त कण के ऑक्सीकरण प्रभाव को बेअसर करना।
  • एडाप्टेोजेन: शरीर को तनाव के अनुकूल होने में मदद करने में सहयोगी है।
  • कार्डिएक: हृदय से संबंधित।
  • कार्डियोप्रोटेक्टिव: दिल की सुरक्षा करता है।
  • टॉनिक: स्वास्थ्य में सुधार करना।
  • सेडेटिव: शांत या उत्प्रेरित नींद को बढ़ावा देना।

दिव्य मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर के लाभ/फ़ायदे Benefits of Divya Mukta Vati Extra Power

  • यह नर्वस सिस्टम पर काम करती है।
  • यह उच्च रक्तचाप को कम करती है।
  • यह हृदय की असामान्य बढ़ी गति को कम करती है।
  • यह निद्राजनक है।
  • यह सेंट्रल नर्वस सिस्टम को डिप्रेस करती है।
  • यह एंग्जायटी, स्ट्रेस को कम करने में सहायक है।
  • यह हल्के से मध्यम उच्च रक्तचाप का प्रबंधन करने में मदद काम करती है।
  • यह अनिद्रा, चिंता, सिंड्रोम, नींद, रेस्टलेस पैर और उच्च रक्तचाप आदि को दूर करने में मदद काम करती है।
  • यह तनाव और व्याकुलता को करती है।

दिव्य मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर के चिकित्सीय उपयोग Uses of Divya Mukta Vati Extra Power

  • दिव्य मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर को मुख्य रूप से ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके सेवन से मस्तिष्क को आराम मिलता है और नींद अच्छी आती है।
  • दिव्य मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर का उपयोग हल्के से मध्यम उच्च रक्तचाप, अनिद्रा और चिंता के इलाज में किया जाता है। इससे चिंता कम होती है।
  • आदर्श रूप से, रक्तचाप रीडिंग को 120 से 80 (120/80) के नीचे होना चाहिए। अच्छे स्वास्थ्य के लिए इच्छुक लोगों के लिए यह आदर्श रक्तचाप है।
  • यदि रीडिंग 120/80 से 140/90 है तो, इसे नीचे लाने या इसे आगे बढ़ने से रोकने के लिए कदम उठाना अत्यंत ज़रूरी है।
  • हल्का उच्च रक्तचाप Mild hypertension or Stage 1 hypertension तब कहा जाता है जब कई हफ्तों तक ब्लड प्रेशर रीडिंग 130 से 139 मिमी एचजी या 80 से 89 मिमी एचजी है।
  • मध्यम उच्च रक्तचाप या स्टेज 2 उच्च रक्तचाप Mild hypertension or Stage 1 hypertension अधिक गंभीर उच्च रक्तचाप है। चरण 2 के उच्च रक्तचाप के लिए सिस्टोलिक दबाव 140 मिमी एचजी या उससे अधिक के या डायस्टोलिक दबाव 90 मिमी एचजी से अधिक होता है।

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Divya Mukta Vati Extra Power

  • इसकी 1 या 2 गोली लें।
  • 140/90 मिमी एचजी से 159/99 मिमी एचजी में एक गोली एक बार में लें।
  • इससे ज्यादा में 2 गोली एक बार में लें।
  • इसे दिन में दो बार लिया जाना चाहिए।
  • इसे खाली पेट सुबह दूध के साथ और रात के खाने से घंटे भर पहले दूध के साथ लें। इसे पानी के साथ भी ले सकते है।
  • इसे भोजन करने के पहले लें।
  • दवा की डोज़ और लेने की फ्रीक्वेंसी को कम कर दें, यदि ब्लड प्रेशर मैनेज हो जाता है।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

दिव्य मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • सभी ≥ 45 वर्ष से के लोगों को बीपी को प्रत्येक 5 वर्षों में कम से कम एक बार ब्लड प्रेशर नपवाना चाहिए। यह रिकॉर्डिंग कई मापों का औसत होना चाहिए।
  • उच्च रक्तचाप के प्रबंधन के लिए जीवनशैली में ज़रूरी बदलाव लाना ज़रूरी है।
  • कम नमक वाले आहार का सेवन अत्यधिक अनुशंसित है।
  • धूम्रपान नहीं करना ज़रूरी है।
  • आहार में आसान पचने योग्य खाद्य पदार्थ, फलों और सब्जियों को शामिल करें योग और प्राणायाम करें।
  • हर्बल दवा की प्रभावशीलता कई कारकों पर निर्भर करती है। एक व्यक्ति के लिए उपयुक्त दवा अनिवार्य रूप से दूसरे व्यक्ति में समान परिणाम नहीं देती है।
  • किसी दुष्प्रभाव से बचने के लिए सामग्री की सूची और उनके मतभेद की जांच करें।
  • यदि लक्षण बेहतर नहीं हो रहे या खराब होते हैं, तो डॉक्टर से परामर्श करें।
  • दवाई की ज्यादा मात्रा नहीं लें।

दिव्य मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • इस दवा के कुछ हल्के साइड इफेक्ट हो सकते हैं।
  • इससे नाक के अंदर श्लेष्म झिल्ली की जलन और सूजन हो सकती है, जिससे नाक भरी और जाम लगती है।
  • इस दवा को लेने से व्यक्ति को शुष्क मुँह से पीड़ित हो सकता है।
  • इससे चक्कर आना, सिरदर्द, साँस लेने की समस्याएं और बेचैनी हो सकती है।
  • इसमें सर्पगंधा है जिसके दुष्प्रभाव में चक्कर आना, उनींदापन, स्तंभन दोष, सुस्ती, दाने, और प्रतिक्रियाशील परिवर्तन (ड्राइविंग के दौरान खतरनाक), यौन शक्ति में कमी, और भरी हुई नाक शामिल हैं।

दिव्य मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था के दौरान न लें।
  • आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। इसका सेवन गर्भावस्था में न करें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।
  • विशिष्ट मतभेदों की पहचान नहीं की गई है।
  • कृपया किसी भी एलोपैथिक दवा और आयुर्वेदिक दवाओं के सेवन के बीच कम से कम एक घंटे के अंतराल को बनाए रखें।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

उपलब्धता

इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें। साथ ही दवा के सेवन के दौरान ब्लड प्रेशर पर हो रहे असर पर ध्यान दें। साथ ही दवाओं की डोज़ को भी उसी अनुपात में कम या ज्यादा करें। यदि ब्लड प्रेशर मैनेज नहीं हो पा रहा तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

क्या दिव्य मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले तो सकते हैं। लेकिन इस से हो सकता है कि दोनों ही दवाएं काम नहीं करें। इसलिए, दवा के असर को देखना ज़रूरी है।

दिव्य मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर को कितनी बार लेना है?

इसे दिन में 2 बार लेना चाहिए।

इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।

क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?

दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।

क्या दिव्य मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर सुरक्षित है?

हां, सिफारिश की खुराक में लेने के लिए सुरक्षित है।

दिव्य मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर का मुख्य संकेत क्या है? दिव्य मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर किस काम आती है इन हिंदी?

दिव्य मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर को माइल्ड और मोडरेट ब्लड प्रेशर को मैनेज करने में लिया जाता है। इसे एलोपैथिक दवाओं से ह रहे उपचार के दौरान भी ले सकते हैं।

दिव्य मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?

  • वात कम करना।
  • पित्त वृद्धि करना।
  • कफ कम करना।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

नहीं।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

आप इसे कई महीने ले सकते हैं।

दिव्य मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन के पहले लिया जाना चाहिए।

क्या दिव्य मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या दिव्य मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है। पीरियड्स के दौरान से नहीं लें, अगर आपको रक्तस्राव पैटर्न पर कोई प्रभाव महसूस होता है।

क्या मैं इसे गर्भावस्था के दौरान ले सकती हूँ?

नहीं।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

हाँ।


पतंजलि दिव्य गुलकंद Patanjali Divya Gulkand Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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पतंजलि गुलकंद Patanjali Gulkand in Hindi, एक क्लासिकल हर्बल उत्पाद है जिसे देसी गुलाब के फूलों की पंखुड़ियों से चीनी मिश्रित कर बनाया गया है। गुलकंद बना कर गुलाब की पंखुड़ियों को मीठे रूप में संरक्षित किया जाता है। यह एक आयुर्वेदिक टॉनिक है। इसे खाने से शरीर में शीतलता आती है और गर्मी-धूप से होने वाली आम परेशानियों जैसे फोड़े फुंसी, त्वचा समस्याएं, नकसीर फूटना, अपच, सूजन, अल्सर आदि मेंलाभ होता है।

गुलकंद बनाने का तरीका बहुत सरल है तथा इसे बनाने के लिए गुलाब के फूलों की ताज़ा पंखुड़ियाँ और चीनी की ज़रूरत होती है।

गुलकंद को बनाने के लिए, गुलाब की पंखुड़ियों को साफ़ किया जाता है और किसी कांच के ढक्कन लगे जार में डाला जाता है। इसमें चीनी मिलाई जाती है। चीनी से इसका स्वाद तो बढ़ता ही है साथ ही यह एक नेचुरल प्रेज़रवेटिव की तरह भी काम करती है। जार को रोज़ धूप में रखते हैं और साफ़ चम्मच से रोज मिक्स करते हैं। यह दो-तीन सप्ताह में धूप से पक जाता है। अगर आप इसे घर में बना रहे हैं तो इसमें इलाइची, प्रवाल पिष्टी और शंख भस्म भी मिला सकते हैं। इन्हें डालने से गुलकंद की शीतलता देने के गुण में वृद्धि होती है।

गुलकंद पुराने समय से बनाया जाता रहा है। ऐसा माना जाता है कि गुलकंद भारत में तुर्क द्वारा 7 सेंचुरी एडी में लाया गया। गुलकंद का नाम फ़ारसी-अरबी से आया है। मूल फारसी में ‘गुल’ गुलाब को और ‘कंद’ अरबी में मीठे को कहते हैं।

गुलकंद को गर्मियों में खाया जाता है क्योंकि इसे खाने से शरीर में शीतलता आती है और गर्मी के रोग दूर होते हैं। यह थकावट, सुस्ती, खुजली, दर्द और पीड़ा जैसी सभी गर्मी से संबंधित समस्याओं को कम करने में फायदेमंद है। गुलकंद के बहुत से स्वास्थ्य लाभ हैं। यह पेट की एसिडिटी को कम करता है तथा कब्ज रोकता है और गर्मी संबंधी समस्याओं का इलाज करता है। गुलकंद एक उत्कृष्ट रक्त शोधक भी है और शरीर विषाक्त पदार्थों को हटा देता है। घरेलू उपाय की तरह इसे गर्मी की समस्याओं जैसे मुंह के अल्सर, गर्मी के चकत्ते, गर्मी फोड़े, खुजली और दर्द, हीट स्ट्रोक, नकसीर फूटना, प्यास अधिक लगना आदि में प्रयोग किया जा सकता है। यह तनाव और थकान में राहत देता है, पेट में अल्सर, त्वचा के फोड़े फुंसी, हीट से रैश आदि इसके सेवन से दूर होते हैं।

यह शरीर को ताकत देता है और ठंडक लाता है। इसको खाने से गुलाब की पंखुड़ियों के एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव शरीर को मिलते हैं। इसके अतिरिक्त गुलकंद के अन्य बहुत से हेल्थ बेनेफिट्स हैं।

इसे खाने का कोई नुकसान नही है। इसे सभी खा सकते हैं। केवल उन लोगों को छोड़ कर जिन्हें कम चीनी खाने की सलाह है या डायबिटीज है। यह पेज पतंजलि गुलकंद के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

Patanjali Gulkand is Herbal Ayurvedic medicine. It is sweet Jam like preparation of Rose petals and sugar. It has sweet taste and cooling potency. It reduces pitta and gives relief in Pitta related disorders such as bleeding disorders, boils, inflammation etc. It is nutritive, strengthening, immunity boosting and rejuvenating. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: पतंजलि गुलकंद Patanjali Gulkand
  • अन्य नाम: Rose petal jam, Rose petal jelly
  • निर्माता: पतंजलि
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: गर्मी से होने वाली परेशानियों को दूर करना
  • मुख्य गुण: ठंडक देना
  • दोष इफ़ेक्ट: पित्त कम करना
  • मूल्य MRP: 400 gram @ Rs 52.00

पतंजलि गुलकंद के घटक Ingredients of Patanjali Gulkand

  • गुलाब की पंखुड़ियां
  • चीनी

पतंजलि गुलकंद के लाभ/फ़ायदे Benefits of Patanjali Gulkand

  • इसका उपयोग पीरियड्स की समय दर्द होने के इलाज के लिए किया जा सकता है।
  • इसे खाने से आंखों में सूजन और लाली में कमी आती है।
  • इसे लेने से भूख में सुधार होता है।
  • कब्ज़ रहती हो, तो रात को सोने से पहले उध के साथ एक चम्मच गुलकंद खाना चाहिए।
  • गुलकंद के 1 – 2 चम्मच उपभोग करने से अम्लता और पेट की गर्मी कम हो जाती है।
  • गुलकंद मुंह के अल्सर का इलाज करने में मदद करता है, दांतों और मसूड़ों को मजबूत करता है।
  • गुलकंद में थकावट, सुस्ती, खुजली, दर्द और पीड़ा को कम करने के गुण हैं।
  •  गुलकंद शरीर से विषाक्त पदार्थों को हटाने और खून को शुद्ध करने में मदद करता है।
  • धूप में बाहर निकलने से पहले दो चम्मच गुलकंद खाने से शरीर में ठंडक रहती है जिससे नकसीर फूटना व तेज गर्मी से होने वाले अन्य दोष दूर होते हैं।
  • यह अत्यधिक पसीना और खराब शरीर की गंध को कम करने में मदद करता है।
  • यह अल्सर के इलाज में भी मदद करता है और आंत में सूजन को रोकता है।
  • यह एक बहुत अच्छा पाचन टॉनिक है।
  • यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एक बहुत अच्छा कायाकल्प टॉनिक है।
  • यह कब्ज़ और पाचन समस्याओं को सुधारने में मदद करता है।
  • यह तंत्रिका तंत्र पर एक शांत प्रभाव है, इस प्रकार तनाव को कम करने में मदद करता है।
  • यह तलवों और हथेलियों में जलन को कम करने में भी मदद करता है।
  • यह दांतों और मसूड़ों को मजबूत करने और शरीर में अम्लता का उपचार करता है।
  • यह फ्लूइड रिटेंशन की समस्या में लाभप्रद है क्योंकि यह मूत्र उत्पादन में वृद्धि करने में मदद करता है।
  • यह मासिक धर्म दर्द से राहत में प्रभावी है।
  • यह योनी से अत्यधिक सफेद डिस्चार्ज की समस्या का इलाज करने में भी सहायक है।
  • यह शरीर में पित्त और गर्मी में कमी लाने वाली औषध है।

पतंजलि गुलकंद के चिकित्सीय उपयोग Uses of Patanjali Gulkand

  • गुलकंद को गर्मियों के दिनों में खाया जाता है। इस पित्त सम्बंधित समस्याएं और गर्मी के कारण होने वाले उपद्रव दूर होते हैं। इसमें विरेचक के गुण भी होते है जिससे कब्ज़ में राहत होती है।
  • गुलकंद में दीपन, हृदय, शुक्रल, मेद्य और त्रिदोष को संतुलित करने के गुण होते है।
  • एंग्जायटी anxiety
  • गर्मी के दोष red tongue tip, agitation, palpitations and headaches behind the eyes
  • त्वचा के रोग eczema, psoriasis, urticaria, itching and irritation
  • पाचन की दिक्कतें जैसे constipation, ulcers, inflammation, acidity, enteritis and heartburn
  • मासिक की दिक्कतें excessive menstrual bleeding
  • योनि में इन्फेक्शन-सूजन vaginal infections and inflammation
  • हाथ-तलुओं में जलन burning sensation in soles and palms

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Patanjali Gulkand

  • 1-2 चम्मच की मात्रा में इसे दिन में एक से दो बार ले सकते है।
  • कब्ज़ में इसे दूध के साथ लें।

पतंजलि गुलकंद के साइड-इफेक्ट्स Side effects

निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।

पतंजलि गुलकंद को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • डायबिटीज में इसे नहीं लेना चाहिए।
  • कम चीनी खाने की सलाह है, तो इसे नहीं खाएं।
  • पाचन बहुत कमज़ोर है तो इसे नहीं खाएं।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • डब्बे में से गुलकंद साफ़ और सूखे चम्मच से निकालें।

उपलब्धता

इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या पतंजलि गुलकंद को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं।

पतंजलि गुलकंद को कितनी बार लेना है?

इसे ज़रूरत अनुसार दिन में 1 बार अथवा 2 बार अथवा 3 बार लेना चाहिए।

क्या पतंजलि गुलकंद सुरक्षित है?

हां, सुरक्षित है।

पतंजलि गुलकंद का मुख्य संकेत क्या है?

पित्त दोष, शरीर में अधिक गर्मी के कारण होने वाले रोग।

पतंजलि गुलकंद का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?

  • वात कम करना।
  • पित्त कम करना।
  • कफ कम करना ।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

नहीं।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

आप इसे कई महीने ले सकते हैं।

पतंजलि गुलकंद लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन के बाद लिया जाना चाहिए। एक ही समय में दैनिक रूप में लेने की कोशिश करें।

क्या पतंजलि गुलकंद एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या पतंजलि गुलकंद लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है।

क्या मैं इसे गर्भावस्था के दौरान ले सकती हूँ?

हाँ।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

नहीं।

क्या इसे बच्चों को दे सकते हैं?

हाँ।

दवा की बोतल खोलने के बाद इसे कितने दिन में प्रयोग कर लें?

  • इसे जल्दी से जल्दी इस्तेमाल करना सही रहता है।
  • दवा को गंदे हाथों से नहीं छुएं।

पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी Patanjali Vishtindukadi Vati Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी Patanjali Vishtindukadi Vati in Hindi एक हर्बल आयुर्वेदिक दवाई है जो तंत्रिका तंत्र के सामान्य कामकाज में मदद करती है। यह पेट दर्द, तीव्र तंत्रिका दर्द, साइटिका, पुराने वात रोगों, कमर दर्द, जोड़ों का दर्द, में लाभप्रद है। इस दवाई में मुख्य घटक विषतिन्दुक है जिसे कुचला भी कहा जाता है। कुचला घातक जहरीला होता है और इसे आयुर्वेद में केवल शुद्ध (डिटॉक्सिफाइड) करने के बाद ही इस्तेमाल किया जाता है।

स्ट्रैक्नोस नोक्स-वोमिका बीजों में 13 एल्कोलोइड का मिश्रण होता है और इसके मुख्य एल्कालोइड स्ट्राइकेन और ब्रूसिन हैं। स्ट्रैक्विनिन और अन्य रसायन, मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं और मांसपेशी संकुचन का कारण बनते हैं। गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव होने के बावजूद पुराने समय से इसे आयुर्वेद, यूनानी चिकित्सा प्रणाली में पाचन तंत्र की बीमारियों, दिल की विकारों और परिसंचरण तंत्र, आंखों की बीमारियों और फेफड़ों की बीमारी के लिए उपयोग किया जाता है । इसका उपयोग अवसाद, माइग्रेन सिरदर्द , रजोनिवृत्ति के लक्षण और रक्त वाहिका विकार के लिए भी किया जाता है। आयुर्वेद में, कुचला के बीज पहले डिटॉक्सिफाइड किए जाते हैं और इसके बाद ही चिकित्सकीय उद्देश्य के लिए उपयोग किए जाते हैं।

कुचला को श्वसन तंत्र, न्यूरोमस्क्यूलर प्रणाली को उत्तेजित करने और जनरेटिव अंगों की कमजोरी में दिया जाता है। कुचला जहर है और इसलिए इसे लेड की जहरीले प्रभाव, सांप के काटने और अफीम की अधिक मात्रा के असर को कम करने में दिया जाता है। मांसपेशियों के धीरे धीरे बेकार होने के रोग wasting diseases में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।  नक्स वोमिका के सेवन से कब्ज़ और पाचन की कमजोरी भी दूर होती है।

शुद्ध कुचला Strychnos nux-vomica स्ट्रैक्नोस नक्स-वोमिका, श्वसन और वैसोमोटर केंद्रों को उत्तेजित करता है। इसका दिल पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है और एसिट्लोक्लिन acetylcholine के स्राव को रोकता है। यह सेरेब्रल प्रांतस्था और परिधीय नसों पर कार्य करता है, और चिह्नित अति सक्रियता दिखाता है। यह विषाक्त है। अधिकता में इसका सेवन हृदय पर बुरा असर डालता है और इसे उत्तेजित करता है। नक्स वोमिका को बड़ी खुराक घातक होती है। सुरक्षित खुराक में लेने पर भी दिमाग के सही सेर काम करने पर असर हो सकता है।

नक्स वोमिका को केवल और केवल डॉक्टर के द्वारा निर्देशित किए जाने पर ही लेना चाहिए। इसका सीधा प्रभाव हृदय और दिमाग पर पड़ता है। कुचला की अधिकता होने से इस दवा को एक से दो सप्ताह से अधिक नहीं सेवन करना चाहिए। एक डेढ़ महीने बाद अगर ज़रूरी हो तो इसका फिर से सेवन एक या दो सप्ताह तक किया जा सकता है। ऐसा करीब तीन से चार बार तक किया जा सकता है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

यह पेज पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

  • पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी में मौजूद सामग्री क्या हैं?
  • पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी के उपयोग क्या हैं?
  • पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी के दुष्प्रभाव क्या हैं?
  • पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी को कब नहीं लेते हैं?
  • पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?
  • दवा का नाम: पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी Patanjali Vishtindukadi Vati, Divya VISHTINDUKADI VATI
  • निर्माता: पतंजलि दिव्य फार्मेसी
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल कुचला युक्त दवाई
  • मुख्य उपयोग: पुराने वात रोग
  • मुख्य गुण: नर्वस सिस्टम और मांसपेशियों पर काम करना
  • दोष इफ़ेक्ट: वात और कफ कम करना और पित्त बढ़ाना
  • गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं करें।

Patanjali Vishtindukadi Vati is Herbal Ayurvedic medicine containing Strychnos nux-vomica. Vishamushti, Kuchla, Nux Vomica, Poison Nut, Semen Strychnos, or Strychnos nux-vomica, improves digestion and helps to remove of toxic substances from body. It work on central nervous system and strengthens the nervous system and muscular coordination. It strengthens muscles, joints and bones. Kuchla is used in Vata Roga like neuralgia, facial palsy, hemiplegia, insomnia as it alleviates Vata and pain and because of its sharpness. Being bitter and pungent, it is a good appetizer, digestive and astringent. Dribbling of the urine due to atonicity of bladder is corrected by it. It cures the laxity of body tissue. Kuchila Seeds are nervine, stomachic, and cardio-tonic, aphrodisiac, and respiratory stimulant.

In excessive doses, Strychnos is a virulent poison, producing stiffness of muscles and convulsions, ultimately leading to death. Strychnos nux-vomica Linn. has stimulating effects on respiratory and vasomotor centers. It has direct depressant effect on the heart and inhibits the release of acetylcholine. It acts on cerebral cortex and peripheral nerves and show marked hyperactivity. It is Toxic.

Large doses of nux vomica cause tetanic convulsions and eventually death results. Even with safe doses there may be some mental derangement. Long-term intake strychnine can cause liver damage.

Therefore, it is highly recommended to take this medicine with due caution and UNDER MEDICAL SUPERVISION ONLY. This page is intended to give you correct information about this medicine. Do not use this information to self-diagnose and self-medicate. It is always better to start with low dose. Do check the list of ingredients and their side effects.

पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी के घटक Ingredients of Patanjali Vishtindukadi Vati

इस दवा में निम्न द्रव्य हैं तथा कुचला इसमें प्रधान औषध है:

  • शुद्ध कुचला
  • सुपारी
  • काली मिर्च
  • इमली के बीज

पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी के लाभ/फ़ायदे Benefits of Patanjali Vishtindukadi Vati

  • इसके सेवन से तंतुओं की विकृति दूर होती है।
  • इसके सेवन से नए बुखार, पुराने बुखार, विषम ज्वर, आदि दूर होते हैं।
  • इसके सेवन से नसों को ताकत मिलती हैं और काम शक्ति बढ़ती है।
  • इसके सेवन से शरीर में वात और कफ कम होते हैं।
  • पित्त बढ़ाने के गुण के कारण, यह मन्दाग्नि में लाभप्रद है।
  • यह कठिन वात रोगों में लाभप्रद है।
  • यह पुराने वात रोगों में लाभप्रद है।

पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी के चिकित्सीय उपयोग Uses of Patanjali Vishtindukadi Vati

विषतिन्दुकादि वटी, वात रोगों में प्रयोग की जाने वाली दवा है। इसे पक्षाघात, माइग्रेन, कम्पवात, गृध्रसी आदी जैसे गंभीर रोगों में ही डॉक्टर की सलाह के बाद प्रयोग करने की सलाह दी जाती है। हल्के रोगों जैसे कब्ज़, भूख नहीं लगना आदि में इसका प्रयोग नहीं करना ही बेहतर है। इसे आयुर्वेद की प्रिस्क्रिप्शन दवा के तौर पर समझा जा सकता है जिसकी डोज़ और लेने की अवधि डॉक्टर के द्वारा निर्देशित की जाती है।

  • अफीम व्यसन
  • आर्थराइटिस Arthritis
  • ईडी, नपुंसकता
  • कटिवात
  • गाउट Gout
  • जोड़ों में दर्द pain in joints
  • डिप्रेशन
  • नपुंसकता
  • पक्षाघात लकवा
  • पार्किन्सन रोग
  • पुराने वात रोग
  • फेफड़ों की बीमारी
  • मांसपेशियों में दर्द Muscular Pain
  • मांसपेशी में कमज़ोरी
  • रुमेटिज्म Rheumatism
  • लम्बागो Lumbago
  • साइटिका Sciatica

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Patanjali Vishtindukadi Vati

विषतिन्दुकादि वटी को एक से दो सप्ताह से अधिक नहीं लेना है। दवा को 1 या 2 सप्ताह खाने के बाद, इसे लेना बंद कर दें। एक डेढ़ महीने बाद अगर ज़रूरी हो तो इसका फिर से सेवन एक या दो सप्ताह तक किया जा सकता है। ऐसा करीब तीन से चार बार तक किया जा सकता है। ध्यान रहे, यह दवा लम्बे समय तक नहीं ली जानी चाहिए. लम्बे समय तक सेवन करने से बहुत से दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

  • 1 गोली, दिन में एक अथवा दो बार लें।
  • इसे पर्याप्त मात्रा में दूध, मक्खन अथवा घी के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • नक्स वोमिका की उचित खुराक उपयोगकर्ता की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। नक्स वोमिका के लिए उचित खुराक निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है।
  • ध्यान रखें कि प्राकृतिक उत्पाद हमेशा सुरक्षित हों ऐसा जरूरी नहीं हैं।
  • नक्स वोमिका यूए का लम्बे समय तक इस्तेमाल असुरक्षित है ।
  • एक हफ्ते से अधिक समय तक नक्स वोमिका लेना, या 30 मिलीग्राम या उससे अधिक की उच्च मात्रा में, गंभीर साइड इफेक्ट्स का कारण बन सकता है।
  • लम्बे समय में लेने से इसके दुष्प्रभावों में बेचैनी, चक्कर आना, गर्दन और पीठ में स्टिफनेस, जबड़े और गर्दन की मांसपेशियों, आवेग, दौरे , सांस लेने की समस्याएं , जिगर की विफलता आदि होते हैं।
  • इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह से ही करें।
  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • इस औषधि को केवल विशिष्ट समय अवधि के लिए निर्धारित खुराक में लें।
  • इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • यह हमेशा ध्यान रखें की जिन दवाओं में विषैली वनस्पतियाँ होती हैं, उन दवाओं का सेवन लम्बे समय तक नहीं किया जाता। इसके अतिरिक्त इन्हें डॉक्टर के देख-रेख में बताई गई मात्रा और उपचार की अवधि तक ही लेना चाहिए।
  • यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।

पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।
  • यह दवा पेट में लम्बे समय तक रहती है और धीरे धीरे अब्सोर्ब होती है।
  • इसका ह्रदय पर अवसादक इफ़ेक्ट होता है।
  • नक्स वोमिका, नर्वस सिस्टम को स्टियुमेलेट करता है। अधिकता में यह न्यूरोमस्कुलर पाइजन है।

पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। इसका सेवन गर्भावस्था में न करें।
  • जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, वे इसका सेवन न करें।
  • शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है bleeding disorder, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
  • डॉक्टर से परामर्श के बिना कोई आयुर्वेदिक दवाइयां नहीं लें।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।
  • क्स वोमिका में स्ट्रैक्विनिन जिगर की क्षति का कारण बन सकता है या जिगर की बीमारी को और भी खराब कर सकता है। लाइव रोग में इसका इस्तेमाल न करें।

निम्न स्वास्थ्य समस्या होने पर इसे नहीं लेना चाहिए:

  • एसिडिटी hyperacidity
  • नाक संबंधी रक्तस्राव nasal haemorrhages
  • पेट फूलना acute flatulence
  • पेशाब में जलन burning urination
  • मूत्र असंयम urinary incontinence
  • मूत्रमार्ग की सूजन inflammation of the urethra

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

उपलब्धता

इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले तो सकते हैं। लेकिन इस से हो सकता है कि दोनों ही दवाएं काम नहीं करें। इसलिए, दवा के असर को देखना ज़रूरी है।

पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी को कितनी बार लेना है?

  • इसे दिन में 2 बार लेना चाहिए।
  • इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।

क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?

  • दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।
  • इसमें नक्स वोमिका है जो अधिकता में लिए जाने पर अत्यंत नुकसानदायक है।

क्या पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी सुरक्षित है?

  • सिफारिश की खुराक में और कम अवधि में डॉक्टर की सलाह से ही लेना सुरक्षित है। अपनेआप से इसे नहीं लें।
  • इसे लीवर रोग, किडनी रोग, आदि में नहीं लें।

पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी का मुख्य संकेत क्या है?

पुराने वात रोग।

पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?

  • वात कम करना।
  • पित्त वृद्धि करना।
  • कफ कम करना।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

नहीं।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

आप इसे 1-2 सप्ताह के लिए ले सकते हैं।

पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

  • इसे भोजन के बाद लिया जाना चाहिए एक ही समय में दैनिक रूप में लेने की कोशिश करें।
  • इसे दूध, बटर या घी के साथ लें।

क्या पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग पर असर डालती है?

हाँ, डाल सकती है।

क्या पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है। पीरियड्स के दौरान नहीं लें, अगर आपको रक्तस्राव पैटर्न पर कोई प्रभाव महसूस होता है।

क्या मैं इसे गर्भावस्था, स्तनपान कराने के दौरान ले सकती हूँ?

नहीं।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

हाँ।

क्या इसे बच्चों को दे सकते हैं?

नहीं।

क्या इसे केवल डॉक्टर की सलाह पर ही लेना चाहिए?

हां।

विषतिन्दुक वटी Vishtinduk Vati  Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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विषतिन्दुक वटी Vishtinduk Vati in Hindi आयुर्वेदिक दवा है जिसमें तंत्रिका टॉनिक, पाचन उत्तेजक और उत्तेजक (अंगों के कार्यों को उत्तेजित करना) के गुण होते हैं। इस दवा का मुख्य संकेत पुराने अथवा जीर्ण वात रोग   जैसे कटिस्नायुशूल, लुम्बागो, गठिया, पीठ में दर्द, मांसपेशी दर्द, पक्षाघात आदि हैं। यह नपुंसकता, कब्ज, और तंत्रिका संबंधी संक्रमण, दस्त, खसरा और रीढ़ की हड्डी की प्रणाली की कमी में भी फायदेमंद है।

विषतिन्दुक वटी को विषतिन्दुक के शुद्ध किए हुए चूर्ण से बनाया जाता है। विषतिन्दुक को कुचला, कुचिला, विंदू, तिंडुका, करास्कर, रामाफला, कुपाका, कालकुता, विशमुष्तिका, कुपुल्लू, विशुष्ष्ति, विश्वनाथुका और नक्स-वोमिका भी कहा जाता है।

नक्स वोमिका विष या जहर है। इसमें 2 सक्रिय एल्कोलोइड (स्ट्रैक्विनिन और ब्रूसिन) होते हैं, जो अत्यधिक जहरीले होते हैं। बीज जहर हैं जो घबराहट और मांसपेशी प्रणालियों को प्रभावित करते हैं जिससे टेटनिक आवेग और मृत्यु हो जाती है। छोटी खुराक में और शोधित करके इन बीजों के चूर्ण का प्रयोग यह और तंत्रिका संबंधी प्रेम, दस्त, और रीढ़ की हड्डी की प्रणाली की कमी के लिए दिया जाता है।

नक्स वोमिका मस्तिष्क और दिल को प्रभावित करता है। इसलिए, इस दवा को उचित सावधानी और केवल चिकित्सा पर्यवेक्षण के तहत लेने की अत्यधिक अनुशंसा की जाती है।  इस जानकारी का आत्म-निदान में उपयोग न करें। कम खुराक से शुरू करना हमेशा बेहतर होता है। सामग्री और उनके दुष्प्रभावों की सूची की जांच करें।

यह पेज विषतिन्दुक वटी के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

  • विषतिन्दुक वटी में मौजूद सामग्री क्या हैं?
  • विषतिन्दुक वटी के उपयोग क्या हैं?
  • विषतिन्दुक वटी के दुष्प्रभाव क्या हैं?
  • विषतिन्दुक वटी को कब नहीं लेते हैं?
  • विषतिन्दुक वटी के संभावित दवा interatcion क्या हैं?
  • विषतिन्दुक वटी से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?

Vishtinduk Vati is Herbal Ayurvedic medicine. It is indicated in treatment of Vata Roga.

It is prepared from Strychnos nux-vomica. Vishamushti, Kuchla, Nux Vomica, Poison Nut, Semen Strychnos, or Strychnos nux-vomica, improves digestion and helps to remove of toxic substances from body. It works on central nervous system and strengthens the nervous system and muscular coordination. It strengthens muscles, joints and bones. Kuchla is used in Vata Roga like neuralgia, facial palsy, hemiplegia, insomnia as it alleviates Vata and pain and because of its sharpness. Being bitter and pungent, it is a good appetizer, digestive and astringent. Dribbling of the urine due to atonicity of bladder is corrected by it. It cures the laxity of body tissue. Kuchila Seeds are nervine, stomachic, and cardio-tonic, aphrodisiac, and respiratory stimulant.

In excessive doses, Strychnos is a virulent poison, producing stiffness of muscles and convulsions, ultimately leading to death. Strychnos nux-vomica Linn. has stimulating effects on respiratory and vasomotor centers. It has direct depressant effect on the heart and inhibits the release of acetylcholine. It acts on cerebral cortex and peripheral nerves and show marked hyperactivity. It is Toxic.

Large doses of nux vomica cause tetanic convulsions and eventually death results. Even with safe doses there may be some mental derangement. Long-term intake strychnine can cause liver damage.

Therefore, it is highly recommended to take this medicine with due caution and UNDER MEDICAL SUPERVISION ONLY. This page is intended to give you correct information about this medicine. Do not use this information to self-diagnose and self-medicate. It is always better to start with low dose. Do check the list of ingredients and their side effects.

  • दवा का नाम: विषतिन्दुक वटी Vishtinduk Vati
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल नक्स वोमिका युक्त दवा
  • मुख्य उपयोग: वायु रोग
  • मुख्य गुण: वात कम करना, नदियों पर उत्तेजक प्रभाव
  • दोष इफ़ेक्ट: पित्त बढ़ाना, वात तथा कफ कम करना
  • गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं करें। इससे एबॉर्शन हो सकता है।

विषतिन्दुक वटी के घटक Ingredients of Vishtinduk Vati

इस टेबलेट को नक्स वोमिका के शोधित बीजों के चूर्ण से बनाया गया है।

नक्स वोमिका (कुचला) घातक जहरीला होता है और इसे आयुर्वेद में केवल शुद्ध (डिटॉक्सिफाइड) करने के बाद ही इस्तेमाल किया जाता है।

स्ट्रैक्नोस नोक्स-वोमिका बीजों में 13 एल्कोलोइड का मिश्रण होता है और इसके मुख्य एल्कालोइड स्ट्राइकेन और ब्रूसिन हैं। स्ट्रैक्विनिन और अन्य रसायन, मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं और मांसपेशी संकुचन का कारण बनते हैं। गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव होने के बावजूद पुराने समय से इसे आयुर्वेद, यूनानी चिकित्सा प्रणाली में पाचन तंत्र की बीमारियों, दिल की विकारों और परिसंचरण तंत्र, आंखों की बीमारियों और फेफड़ों की बीमारी के लिए उपयोग किया जाता है । इसका उपयोग अवसाद, माइग्रेन सिरदर्द , रजोनिवृत्ति के लक्षण और रक्त वाहिका विकार के लिए भी किया जाता है। आयुर्वेद में, कुचला के बीज पहले डिटॉक्सिफाइड किए जाते हैं और इसके बाद ही चिकित्सकीय उद्देश्य के लिए उपयोग किए जाते हैं।

कुचला को श्वसन तंत्र, न्यूरोमस्क्यूलर प्रणाली को उत्तेजित करने और जनरेटिव अंगों की कमजोरी में दिया जाता है। कुचला जहर है और इसलिए इसे लेड की जहरीले प्रभाव, सांप के काटने और अफीम की अधिक मात्रा के असर को कम करने में दिया जाता है। मांसपेशियों के धीरे धीरे बेकार होने के रोग wasting diseases में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।  नक्स वोमिका के सेवन से कब्ज़ और पाचन की कमजोरी भी दूर होती है।

शुद्ध कुचला Strychnos nux-vomica स्ट्रैक्नोस नक्स-वोमिका, श्वसन और वैसोमोटर केंद्रों को उत्तेजित करता है। इसका दिल पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है और एसिट्लोक्लिन acetylcholine के स्राव को रोकता है। यह सेरेब्रल प्रांतस्था और परिधीय नसों पर कार्य करता है, और चिह्नित अति सक्रियता दिखाता है। यह विषाक्त है। अधिकता में इसका सेवन हृदय पर बुरा असर डालता है और इसे उत्तेजित करता है। नक्स वोमिका को बड़ी खुराक घातक होती है। सुरक्षित खुराक में लेने पर भी दिमाग के सही सेर काम करने पर असर हो सकता है।

विषतिन्दुक वटी के लाभ/फ़ायदे Benefits of Vishtinduk Vati

  • यह अनुलोमन है।
  • यह कफहर और वातहर है।
  • यह पित्तकर है।
  • इसके सेवन से तंतुओं की विकृति दूर होती है।
  • इसके सेवन से नए बुखार, पुराने बुखार, विषम ज्वर, आदि दूर होते हैं।
  • इसके सेवन से नसों को ताकत मिलती हैं और काम शक्ति बढ़ती है।
  • यह मन्दाग्नि में लाभप्रद है।
  • यह कठिन वात रोगों में लाभप्रद है।
  • यह पुराने वात रोगों में लाभप्रद है।

विषतिन्दुक वटी के चिकित्सीय उपयोग Uses of Vishtinduk Vati

विषतिन्दुक वटी वात रोगों में प्रयोग की जाने वाली दवा है। इसे पक्षाघात, माइग्रेन, कम्पवात, गृध्रसी आदि जैसे गंभीर रोगों में ही डॉक्टर की सलाह के बाद प्रयोग करने की सलाह दी जाती है। हल्के रोगों जैसे कब्ज़, भूख नहीं लगना आदि में इसका प्रयोग नहीं करना ही बेहतर है। इसे आयुर्वेद की प्रिस्क्रिप्शन दवा के तौर पर समझा जा सकता है जिसकी डोज़ और लेने की अवधि डॉक्टर के द्वारा निर्देशित की जाती है।

  • अफीम व्यसन
  • आर्थराइटिस Arthritis
  • ईडी, नपुंसकता
  • कटिवात
  • गाउट Gout
  • जोड़ों में दर्द pain in joints
  • डिप्रेशन
  • नपुंसकता
  • पक्षाघात लकवा
  • पार्किन्सन रोग
  • पुराने वात रोग
  • फेफड़ों की बीमारी
  • मांसपेशियों में दर्द Muscular Pain
  • मांसपेशी में कमज़ोरी
  • रुमेटिज्म Rheumatism
  • लम्बागो Lumbago
  • साइटिका Sciatica

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Vishtinduk Vati

विषतिन्दुक वटी को एक से दो सप्ताह से अधिक नहीं लेना है। दवा को 1 या 2 सप्ताह खाने के बाद, इसे लेना बंद कर दें। एक डेढ़ महीने बाद अगर ज़रूरी हो तो इसका फिर से सेवन एक या दो सप्ताह तक किया जा सकता है। ऐसा करीब तीन से चार बार तक किया जा सकता है। ध्यान रहे, यह दवा लम्बे समय तक नहीं ली जानी चाहिए। लम्बे समय तक सेवन करने से बहुत से दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

  • 1 गोली, दिन में एक अथवा दो बार लें।
  • इसे पर्याप्त मात्रा में दूध, मक्खन अथवा घी के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

विषतिन्दुक वटी के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • नक्स वोमिका की उचित खुराक उपयोगकर्ता की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। नक्स वोमिका के लिए उचित खुराक निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है।
  • ध्यान रखें कि प्राकृतिक उत्पाद हमेशा सुरक्षित हों ऐसा जरूरी नहीं हैं।
  • नक्स वोमिका यूए का लम्बे समय तक इस्तेमाल असुरक्षित है ।
  • एक हफ्ते से अधिक समय तक नक्स वोमिका लेना, या 30 मिलीग्राम या उससे अधिक की उच्च मात्रा में, गंभीर साइड इफेक्ट्स का कारण बन सकता है।
  • लम्बे समय में लेने से इसके दुष्प्रभावों में बेचैनी, चक्कर आना, गर्दन और पीठ में स्टिफनेस, जबड़े और गर्दन की मांसपेशियों, आवेग, दौरे , सांस लेने की समस्याएं , जिगर की विफलता आदि होते हैं।
  • इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह से ही करें।
  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • इस औषधि को केवल विशिष्ट समय अवधि के लिए निर्धारित खुराक में लें।
  • इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • यह हमेशा ध्यान रखें की जिन दवाओं में विषैली वनस्पतियाँ होती हैं, उन दवाओं का सेवन लम्बे समय तक नहीं किया जाता। इसके अतिरिक्त इन्हें डॉक्टर के देख-रेख में बताई गई मात्रा और उपचार की अवधि तक ही लेना चाहिए।
  • यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।

विषतिन्दुक वटी के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।
  • यह दवा पेट में लम्बे समय तक रहती है और धीरे धीरे अब्सोर्ब होती है।
  • इसका ह्रदय पर अवसादक इफ़ेक्ट होता है।
  • नक्स वोमिका, नर्वस सिस्टम को स्टियुमेलेट करता है। अधिकता में यह न्यूरोमस्कुलर पाइजन है।

विषतिन्दुक वटी को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। इसका सेवन गर्भावस्था में न करें।
  • जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, वे इसका सेवन न करें।
  • शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है bleeding disorder, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
  • डॉक्टर से परामर्श के बिना कोई आयुर्वेदिक दवाइयां नहीं लें।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।
  • क्स वोमिका में स्ट्रैक्विनिन जिगर की क्षति का कारण बन सकता है या जिगर की बीमारी को और भी खराब कर सकता है। लाइव रोग में इसका इस्तेमाल न करें।
  • निम्न स्वास्थ्य समस्या होने पर इसे नहीं लेना चाहिए:
  • एसिडिटी hyperacidity
  • नाक संबंधी रक्तस्राव nasal haemorrhages
  • पेट फूलना acute flatulence
  • पेशाब में जलन burning urination
  • मूत्र असंयम urinary incontinence
  • मूत्रमार्ग की सूजन inflammation of the urethra

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

उपलब्धता

इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या विषतिन्दुक वटी को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले तो सकते हैं। लेकिन इस से हो सकता है कि दोनों ही दवाएं काम नहीं करें। इसलिए, दवा के असर को देखना ज़रूरी है।

विषतिन्दुक वटी को कितनी बार लेना है?

  • इसे दिन में 1 से 2 बार लेना चाहिए।
  • इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।

क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?

इसमें नक्स वोमिका है जो अधिक मात्रा में विष है। इसलिए दवा की अधिकता नहीं करें।

क्या विषतिन्दुक वटी सुरक्षित है?

डॉक्टर द्वारा बताई मात्रा और अनुपान के साथ लेने पर यह दवा सुरक्षित है।

विषतिन्दुक वटी का मुख्य संकेत क्या है?

वात रोग।

विषतिन्दुक वटी का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?

  • वात कम करना।
  • पित्त वृद्धि करना।
  • कफ कम करना।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

नहीं।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

आप इसे 1-2 सप्ताह तक ले सकते हैं।

विषतिन्दुक वटी लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन के बाद लिया जाना चाहिए एक ही समय में दैनिक रूप में लेने की कोशिश करें।

क्या विषतिन्दुक वटी एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या विषतिन्दुक वटी लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

यदि चक्कर आ रहे हो, तो ड्राइव नहीं करें।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है। पीरियड्स के दौरान नहीं लें, अगर आपको रक्तस्राव पैटर्न पर कोई प्रभाव महसूस होता है।

क्या मैं इसे गर्भावस्था के दौरान ले सकती हूँ?

नहीं।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

हाँ।

क्या इसे बच्चों को दे सकते हैं?

नहीं।

क्या इसे केवल डॉक्टर की सलाह पर ही लेना चाहिए?

हां।

शूलहरण योग Sulaharan Yoga Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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शूलहरण योग Sulaharan Yoga in Hindi शास्त्रीय आयुर्वेदिक दवा है जिसे शूल रोग चिकित्सा में दिया जाता है। इस दवा का मुख्य संकेत दर्द / कोलिक, मालअब्ज़ोर्बशन सिंड्रोम, दस्त और पाचन हानि है। यह गुल्म (घोस्ट ट्यूमर) में भी फायदेमंद है।

शूलहरण योग में टर्मिनलिया चेबुला (सूखे फल), जिंजीबर ओफीसिनेल (सूखे rhizome), पाइपर निगरम (सूखे फल), पाइपर लांगम (सूखे फल), स्ट्रैक्नोस नक्स-वोमिका (सूखे बीज), फेरुला फोएटाइडा (ओलेओ-गम-राल) , सल्फर और सेंधा नमक है।

चूंकि इस दवा में कुचला है, इसलिए इस दवा को केवल प्रत्यक्ष चिकित्सा पर्यवेक्षण के तहत लेने की अत्यधिक अनुशंसा की जाती है।

यह पेज शूलहरण योग के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

  • शूलहरण योग में मौजूद सामग्री क्या हैं?
  • शूलहरण योग के उपयोग क्या हैं?
  • शूलहरण योग के दुष्प्रभाव क्या हैं?
  • शूलहरण योग को कब नहीं लेते हैं?
  • शूलहरण योग के संभावित दवा interatcion क्या हैं?
  • शूलहरण योग से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?

Sulaharan Yoga is Herbomineral Ayurvedic medicine referenced from Rasendrasara Sangraha, Shularogachikitsa. It is indicated in treatment of colic pain. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: शूलहरण योग Sulaharan Yoga
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्ब और मिनरल युक्त
  • मुख्य उपयोग: कोलिक दर्द
  • मुख्य गुण: पित्त वर्धक
  • दोष इफ़ेक्ट: वात-कफ कम करना, पित्त वर्धक
  • गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं करें

शूलहरण योग के घटक Ingredients of Sulaharan Yoga

  • हरीतकी Haritaki (P.) 1 Part
  • सोंठ Shunthi (Rz.) 1 Part
  • काली मिर्च Maricha (Fr.) 1 Part
  • पिप्पली Pippali (Fr.) 1 Part
  • कुचला Kuchila (Visahmushti) – Suddha (Sd.) 1 Part
  • हींग Ramatha (Hingu) (Exd.) 1 Part
  • सेंधा नमक Saindhava lavana 1 Part
  • गंधक Gandhaka – Shddha 1 Part

कुचला विषतिन्दुक

विषतिन्दुक को कुचला, कुचिला, विंदू, तिंडुका, करास्कर, रामाफला, कुपाका, कालकुता, विशमुष्तिका, कुपुल्लू, विशुष्ष्ति, विश्वनाथुका और नक्स-वोमिका भी कहा जाता है।

नक्स वोमिका विष या जहर है। इसमें 2 सक्रिय एल्कोलोइड (स्ट्रैक्विनिन और ब्रूसिन) होते हैं, जो अत्यधिक जहरीले होते हैं। बीज जहर हैं जो घबराहट और मांसपेशी प्रणालियों को प्रभावित करते हैं जिससे टेटनिक आवेग और मृत्यु हो जाती है। छोटी खुराक में और शोधित करके इन बीजों के चूर्ण का प्रयोग यह और तंत्रिका संबंधी प्रेम, दस्त, और रीढ़ की हड्डी की प्रणाली की कमी के लिए दिया जाता है।

कुचला को श्वसन तंत्र, न्यूरोमस्क्यूलर प्रणाली को उत्तेजित करने और जनरेटिव अंगों की कमजोरी में दिया जाता है। कुचला जहर है और इसलिए इसे लेड की जहरीले प्रभाव, सांप के काटने और अफीम की अधिक मात्रा के असर को कम करने में दिया जाता है। मांसपेशियों के धीरे धीरे बेकार होने के रोग wasting diseases में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। नक्स वोमिका के सेवन से कब्ज़ और पाचन की कमजोरी भी दूर होती है।

शुद्ध कुचला Strychnos nux-vomica स्ट्रैक्नोस नक्स-वोमिका, श्वसन और वैसोमोटर केंद्रों को उत्तेजित करता है। इसका दिल पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है और एसिट्लोक्लिन acetylcholine के स्राव को रोकता है। यह सेरेब्रल प्रांतस्था और परिधीय नसों पर कार्य करता है, और चिह्नित अति सक्रियता दिखाता है। यह विषाक्त है। अधिकता में इसका सेवन हृदय पर बुरा असर डालता है और इसे उत्तेजित करता है। नक्स वोमिका को बड़ी खुराक घातक होती है। सुरक्षित खुराक में लेने पर भी दिमाग के सही सेर काम करने पर असर हो सकता है।

त्रिकटु

त्रिकटु सौंठ, काली मिर्च और पिप्पली का संयोजन है। यह आम दोष (चयापचय अपशिष्ट और विषाक्त पदार्थों), जो सभी रोग का मुख्य कारण है उसको दूर करता है। यह बेहतर पाचन में सहायता करता है और यकृत को उत्तेजित करता है। यह तासीर में गर्म है और कफ दोष के संतुलन में मदद करता है। यह पाचन और कफ रोगों, दोनों में ही लाभकारी है। इसे जुखाम colds, छीकें आना rhinitis, कफ cough, सांस लेने में दिक्कत breathlessness, अस्थमा asthma, पाचन विकृति dyspepsia, obesity और मोटापे में लिया जा सकता है।

अदरक का सूखा रूप सोंठ या शुंठी कहलाता है। सोंठ को भोजन में मसले की तरह और दवा, दोनों की ही तरह प्रयोग किया जाता है। सोंठ का प्रयोग आयुर्वेद में प्राचीन समय से पाचन और सांस के रोगों में किया जाता रहा है। इसमें एंटी-एलर्जी, वमनरोधी, सूजन दूर करने के, एंटीऑक्सिडेंट, एन्टीप्लेटलेट, ज्वरनाशक, एंटीसेप्टिक, कासरोधक, हृदय, पाचन, और ब्लड शुगर को कम करने गुण हैं।

काली मिर्च न केवल मसाला अपितु दवा भी है। इसे बहुत से पुराने समय से आयुर्वेद में दवाओं के बनाने और अकेले ही दवा की तरह प्रयोग किया जाता है। आयुर्वेद में इसे मरीच कहा जाता है। इसे गैस, वात व्याधियों, अपच, भूख न लगना, पाचन की कमी, धीमे मेटाबोलिज्म, कफ, अस्थमा, सांस लेने की तकलीफ आदि में प्रयोग किया जाता है। इसका मुख्य प्रभाव पाचक, श्वास और परिसंचरण अंगों पर होता है। यह वातहर, ज्वरनाशक, कृमिहर, और एंटी-पिरियोडिक हैं। यह बुखार आने के क्रम को रोकता है। इसलिए इसे निश्चित अंतराल पर आने वाले बुखार के लिए प्रयोग किया जाता है।

पिप्पली उत्तेजक, वातहर, विरेचक है तथा खांसी, स्वर बैठना, दमा, अपच, में पक्षाघात आदि में उपयोगी है। यह तासीर में गर्म है। पिप्पली पाउडर शहद के साथ खांसी, अस्थमा, स्वर बैठना, हिचकी और अनिद्रा के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। यह एक टॉनिक है।

त्रिकटु या त्रिकुटा के तीनो ही घटक आम पाचक हैं अर्थात यह आम दोष का पाचन कर शरीर में इसकी विषैली मात्रा को कम करते हैं। आमदोष, पाचन की कमजोरी के कारण शरीर में बिना पचे खाने की सडन से बनने वाले विषैले तत्व है। आम दोष अनेकों रोगों का कारण है।

हींग

हींग, तेल और रालयुक्त गोंद है जिसे इंग्लिश में ओले-गम-रेसिन कहते हैं। हींग के पौधे की जड़ एवं तने पर चीरा लगाकर इस गोंद को प्राप्त करते हैं। हींग स्वाद में कटु गुण में लघु, चिकनी और तेज है। स्वभाव से यह गर्म है और कटु विपाक है। यह उष्ण वीर्य है। वीर्य का अर्थ होता है, वह शक्ति जिससे द्रव्य काम करता है। आचार्यों ने इसे मुख्य रूप से दो ही प्रकार का माना है, उष्ण या शीत। उष्ण वीर्य औषधि वात, और कफ दोषों का शमन करती है। यह शरीर में प्यास, पसीना, जलन, आदि करती हैं। इनके सेवन से भोजन जल्दी पचता (आशुपाकिता) है। यह पित्त वर्धक है और पाचन को तेज करती है।

हींग का अधिक मात्रा में सेवन नुकसान करता है। यह शरीर का ताप तो नहीं बढ़ाता परन्तु धातुओं में उष्मा बढ़ा देता है। जहाँ कम मात्रा में यह पाचन में सहयोगी है, वहीँ इसकी अधिक मात्रा पाचन की दुर्बलता, लहसुन की तरह वाली डकार, शरीर में जलन, पेट में जलन, एसिडिटी, अतिसार, पेशाब में जलन आदि दिक्कतें पैदा करता है।

सेंधा नमक

सेंधा नमक, सैन्धव नमक, लाहौरी नमक या हैलाईट (Halite) सोडियम क्लोराइड (NaCl), यानि साधारण नमक, का क्रिस्टल पत्थर-जैसे रूप में मिलने वाला खनिज पदार्थ है। इसे त्रिकुटा के साथ लेने पर गैस नहीं रहती, पाचन ठीक होता है तथा हृदय को बल मिलता है।

शूलहरण योग के लाभ/फ़ायदे Benefits of Sulaharan Yoga

  • इसमें हींग, त्रिकुटा, सेंधा नमक, आदि हैं जो पाचन के सहयोगी हैं।
  • यह दवा अनुलोमन है और अफारे से आराम देती है।
  • यह अपच, बदहजमी, और गैस के दर्द में लाभप्रद है।
  • यह दवा कफ और वात को कम करती है।
  • यह दवा गैस में राहत देती है।
  • यह दवा  स्वभाव से गर्म है और शरीर में पित्त को बढ़ाती है।

शूलहरण योग के चिकित्सीय उपयोग Uses of Sulaharan Yoga

  • शूल Shula (Colicky Pain)
  • ग्रहणी Grahani (Malabsorption syndrome)
  • अतिसार Atisara (Diarrhoea)
  • गुल्म Gulma (Abdominal lump)
  • अग्निमांद्य Agnimandya (Digestive impairment)
  • अजीर्ण Ajirna (Dyspepsia)

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Sulaharan Yoga

  • 1 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे दूध के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

शूलहरण योग के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • नक्स वोमिका की उचित खुराक उपयोगकर्ता की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। नक्स वोमिका के लिए उचित खुराक निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है।
  • ध्यान रखें कि प्राकृतिक उत्पाद हमेशा सुरक्षित हों ऐसा जरूरी नहीं हैं।
  • नक्स वोमिका का लम्बे समय तक इस्तेमाल असुरक्षित है ।
  • एक हफ्ते से अधिक समय तक नक्स वोमिका लेना, या 30 मिलीग्राम या उससे अधिक की उच्च मात्रा में, गंभीर साइड इफेक्ट्स का कारण बन सकता है।
  • लम्बे समय में लेने से इसके दुष्प्रभावों में बेचैनी, चक्कर आना, गर्दन और पीठ में स्टिफनेस, जबड़े और गर्दन की मांसपेशियों, आवेग, दौरे , सांस लेने की समस्याएं , जिगर की विफलता आदि होते हैं।
  • इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह से ही करें।
  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • इस औषधि को केवल विशिष्ट समय अवधि के लिए निर्धारित खुराक में लें।
  • इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • यह हमेशा ध्यान रखें की जिन दवाओं में विषैली वनस्पतियाँ होती हैं, उन दवाओं का सेवन लम्बे समय तक नहीं किया जाता। इसके अतिरिक्त इन्हें डॉक्टर के देख-रेख में बताई गई मात्रा और उपचार की अवधि तक ही लेना चाहिए।
  • यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।

शूलहरण योग के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।
  • यह दवा पेट में लम्बे समय तक रहती है और धीरे धीरे अब्सोर्ब होती है।
  • इसका ह्रदय पर अवसादक इफ़ेक्ट होता है।
  • नक्स वोमिका, नर्वस सिस्टम को स्टियुमेलेट करता है। अधिकता में यह न्यूरोमस्कुलर पाइजन है।

शूलहरण योग को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। इसका सेवन गर्भावस्था में न करें।
  • जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, वे इसका सेवन न करें।
  • शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है bleeding disorder, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
  • डॉक्टर से परामर्श के बिना कोई आयुर्वेदिक दवाइयां नहीं लें।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।
  • क्स वोमिका में स्ट्रैक्विनिन जिगर की क्षति का कारण बन सकता है या जिगर की बीमारी को और भी खराब कर सकता है। लाइव रोग में इसका इस्तेमाल न करें।
  • निम्न स्वास्थ्य समस्या होने पर इसे नहीं लेना चाहिए:
  • एसिडिटी hyperacidity
  • नाक संबंधी रक्तस्राव nasal haemorrhages
  • पेट फूलना acute flatulence
  • पेशाब में जलन burning urination
  • मूत्र असंयम urinary incontinence
  • मूत्रमार्ग की सूजन inflammation of the urethra

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या शूलहरण योग को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले तो सकते हैं। लेकिन इस से हो सकता है कि दोनों ही दवाएं काम नहीं करें। इसलिए, दवा के असर को देखना ज़रूरी है।

शूलहरण योग को कितनी बार लेना है?

  • इसे दिन में 2 बार लेना चाहिए।
  • इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।

क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?

दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।

क्या शूलहरण योग सुरक्षित है?

इस दवा में नक्स वोमिका है।

नक्स वोमिका मस्तिष्क और दिल को प्रभावित करता है। इसलिए, इस दवा को उचित सावधानी और केवल चिकित्सा पर्यवेक्षण के तहत लेने की अत्यधिक अनुशंसा की जाती है। इस जानकारी का आत्म-निदान में उपयोग न करें। कम खुराक से शुरू करना हमेशा बेहतर होता है। सामग्री और उनके दुष्प्रभावों की सूची की जांच करें।

शूलहरण योग का मुख्य संकेत क्या है?

पेट का कोलिक।

शूलहरण योग का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?

  • वात कम करना।
  • पित्त वृद्धि करना।
  • कफ कम करना।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

हाँ। गंधक और सेंधा नमक।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

आप इसे 1-2 सप्ताह के लिए ले सकते हैं।

शूलहरण योग लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन के बाद लिया जाना चाहिए एक ही समय में दैनिक रूप में लेने की कोशिश करें।

क्या शूलहरण योग एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

हो सकता है।

क्या शूलहरण योग लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

नहीं, अगर दिमाग पर असर होता है।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है। पीरियड्स के दौरान नहीं लें, अगर आपको रक्तस्राव पैटर्न पर कोई प्रभाव महसूस होता है।

क्या मैं इसे गर्भावस्था के दौरान ले सकती हूँ?

नहीं।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

हाँ।

क्या इसे बच्चों को दे सकते हैं?

नहीं।

क्या इसे केवल डॉक्टर की सलाह पर ही लेना चाहिए?

हां।

माजून अज़ाराक़ी Majun Azaraqi Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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माजून अजाराकी Majoon-e-Azaraqi, Majun Azaraqi in Hindi, Hindi यूनाई दवाई है। माजून-ए-अज़ाराकी को आमतौर पर तंत्रिका, हेमिप्लेजिया, लकवा, चेहरे के पक्षाघात, कांपना, कटिस्नायुशूल, संधिशोथ, मिर्गी, सिफिलिस और न्यूरैस्थेनिया की बीमारियों के लिए दिया जाता है।

Majoon-e-Azaraqi 15 अवयवों से तैयार है। यह यूनानी चिकित्सा पद्धति का माजून Majun or Majoon है। है। माजून वे यूनाई दवाइयां है जो जड़ी बूटियों के पाउडर और चीनी या असल / शहद को मिलाकर बनाया जाता है। जड़ी बूटियों के पाउडर को चीनी और शाद के साथ अच्छे से मिक्स करके यह दवाएं तैयार की जाती हैं। दवा को नाम इसके प्रमुख द्रव्य या गुण के कारण दिया जाता है। इस दवा का नाम माजून अजाराकी है क्योंकि इस दवा का सिद्धांत घटक Azaraqi Mudabba है। अज़ाराक़ी Strychnos nuxvomica के बीज को कहते हैं।

यह पेज माजून अज़ाराक़ी के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

  • माजून अज़ाराक़ी में मौजूद सामग्री क्या हैं?
  • माजून अज़ाराक़ी के उपयोग क्या हैं?
  • माजून अज़ाराक़ी के दुष्प्रभाव क्या हैं?
  • माजून अज़ाराक़ी को कब नहीं लेते हैं?
  • माजून अज़ाराक़ी के संभावित दवा interatcion क्या हैं?
  • माजून अज़ाराक़ी से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?

 

  • दवा का नाम: माजून अज़ाराक़ी Majun Azaraqi
  • निर्माता: Hamdard
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल यूनानी
  • मुख्य उपयोग: तंत्रिका और मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम से संबंधित बीमारियाँ
  • गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं करें
  • मूल्य MRP: Hamdard Majun Azaraqi @ Rs. 120.00

MAJOON-E-AZARAQI is Herbal Unani Medicine. It is indicated in ailments of nerve, hemiplegia, lukwa, facial paralysis, tremor, trembling, tremors, sciatica, rheumatism, epilepsy syphilis, and neurasthenia.

माजून अज़ाराक़ी के घटक Ingredients of Majun Azaraqi

  • Azaraqi Mudabbar Strychnos nuxvomica Linn. Seed 30g
  • Berg-e-Gaozaban Borago officinalis Linn. Leaf 20g
  • Ustukhuddus Lavandula stoechas Linn. Flower 15g
  • Kateera Cochlospermum religiosum Linn. Gum 15g
  • Narjeel Cocos nucifera Linn. Endosperm 15g
  • Maghz-e-Chilghoza Pinus gerardiana Wall. Kernel 15g
  • Dana Heel Khurd Eletarria cardamomum (L.) Maton Seed 10g
  • Zarambad Curcuma zeodaria Linn. Rhizome 10g
  • Shaqaq-ul-Misri Pastinaca secacul Linn. Rhizome 10g
  • Sandal Safaid Santalum album Linn. Heartwood 10g
  • Aamla Emblica officinalis Gaertn. Fruit 10g
  • Halela Siyah Terminalia chebula Retz. Fruit 10g
  • Ood Hindi Aquilaria agallocha Roxb. Heartwood 5g
  • Qaranfal Syzygium aromaticum (L.) Merr. L M Perry Flower bud 5g
  • Qand Safaid Sugar 675g

अज़ाराक़ी

अज़ाराक़ी को कुचला, कुचिला, विंदू, तिंडुका, करास्कर, रामाफला, कुपाका, कालकुता, विशमुष्तिका, कुपुल्लू, विशुष्ष्ति, विश्वनाथुका और नक्स-वोमिका भी कहा जाता है।

नक्स वोमिका विष या जहर है। इसमें 2 सक्रिय एल्कोलोइड (स्ट्रैक्विनिन और ब्रूसिन) होते हैं, जो अत्यधिक जहरीले होते हैं। बीज जहर हैं जो घबराहट और मांसपेशी प्रणालियों को प्रभावित करते हैं जिससे टेटनिक आवेग और मृत्यु हो जाती है। छोटी खुराक में और शोधित करके इन बीजों के चूर्ण का प्रयोग यह और तंत्रिका संबंधी प्रेम, दस्त, और रीढ़ की हड्डी की प्रणाली की कमी के लिए दिया जाता है

कुचला को श्वसन तंत्र, न्यूरोमस्क्यूलर प्रणाली को उत्तेजित करने और जनरेटिव अंगों की कमजोरी में दिया जाता है। कुचला जहर है और इसलिए इसे लेड की जहरीले प्रभाव, सांप के काटने और अफीम की अधिक मात्रा के असर को कम करने में दिया जाता है। मांसपेशियों के धीरे धीरे बेकार होने के रोग wasting diseases में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। नक्स वोमिका के सेवन से कब्ज़ और पाचन की कमजोरी भी दूर होती है।

शुद्ध कुचला Strychnos nux-vomica स्ट्रैक्नोस नक्स-वोमिका, श्वसन और वैसोमोटर केंद्रों को उत्तेजित करता है। इसका दिल पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है और एसिट्लोक्लिन acetylcholine के स्राव को रोकता है। यह सेरेब्रल प्रांतस्था और परिधीय नसों पर कार्य करता है, और चिह्नित अति सक्रियता दिखाता है। यह विषाक्त है। अधिकता में इसका सेवन हृदय पर बुरा असर डालता है और इसे उत्तेजित करता है। नक्स वोमिका को बड़ी खुराक घातक होती है। सुरक्षित खुराक में लेने पर भी दिमाग के सही सेर काम करने पर असर हो सकता है।

माजून अज़ाराक़ी के लाभ/फ़ायदे Benefits of Majun Azaraqi

  • इसे खाने से दर्द और सूजन में आराम आता है।
  • इसे खाने से शरीर में गर्मी बढ़ती है।
  • यह गठिया, कटिस्नायुशूल, पक्षाघात, चेहरे की पाल्सी, कंपकंपी, और मिर्गी में फायदेमंद है।
  • यह गैस्ट्रिक टॉनिक है।
  • यह पेशाब के ब्लैडर का टॉनिक है।
  • यह सिफलिस के इलाज में भी फायदा करती है।

माजून अज़ाराक़ी के चिकित्सीय उपयोग Uses of Majun Azaraqi

माजून अज़ाराक़ी तंत्रिकाओं को मजबूत और उत्तेजित करता है। यह तंत्रिका रोगों में उपयोगी है, विशेष रूप से पक्षाघात, चेहरे की पक्षाघात, हेमिप्लेगिया और कोरिया में। इसको खाने से संधिशोथ और गठिया से भी राहत मिलती है। सर्दियों में इसे खाने से बलगम के रोग दूर होते हैं।

  • तंत्रिका, और कफ वाले रोग Amraz Asbania Balghamia (Nervine, Phlegmatic Diseases)
  • आतशक Atishak (Syphilis)
  • नर्तन रोग Chorea (neurological disorder characterized by jerky involuntary movements affecting especially the shoulders, hips, and face)
  • फालिज़ Falij (Paralysis)
  • साइटिका Irqunnisa (Sciatica)
  • लकवा Laqva (Facial Palsy)
  • निकरस Niqras (Gout)
  • ट्रेमर Rasha (Tremer)
  • मिरगी Sara (Epilepsy)
  • वजौल मफसिल Wajaul Mafasil (Arthralgia)
  • नसों की कमजोरी Weakness of nerves

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Majun Azaraqi

  • 3-5 ग्राम दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे दूध के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

माजून अज़ाराक़ी के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • उचित खुराक उपयोगकर्ता की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। उचित खुराक निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है।
  • ध्यान रखें कि प्राकृतिक उत्पाद हमेशा सुरक्षित हों ऐसा जरूरी नहीं हैं।
  • इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह के आधार पर कम दिनों तक किया जा सकता है।
  • इस औषधि को केवल विशिष्ट समय अवधि के लिए निर्धारित खुराक में लें।
  • इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • यह हमेशा ध्यान रखें की जिन दवाओं में नक्स वोमिका को डाला जाता है, उन दवाओं का सेवन लम्बे समय तक नहीं किया जाता। इसके अतिरिक्त इन्हें डॉक्टर के देख-रेख में बताई गई मात्रा और उपचार की अवधि तक ही लेना चाहिए।
  • यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।

माजून अज़ाराक़ी के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।
  • यह दवा पेट में लम्बे समय तक रहती है और धीरे धीरे अब्सोर्ब होती है।
  • नक्स वोमिका, नर्वस सिस्टम को स्टियुमेलेट करता है। अधिकता में यह न्यूरोमस्कुलर पाइजन है।

माजून अज़ाराक़ी को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, वे इसका सेवन न करें।
  • शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है bleeding disorder, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।
  • निम्न स्वास्थ्य समस्या होने पर इसे नहीं लेना चाहिए:
  • एसिडिटी hyperacidity
  • नाक संबंधी रक्तस्राव nasal haemorrhages
  • पेट फूलना acute flatulence
  • पेशाब में जलन burning urination
  • मूत्र असंयम urinary incontinence
  • मूत्रमार्ग की सूजन inflammation of the urethra

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
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