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हब्बे अज़ाराक़ी Habbe Azaraqi Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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हब्ब-ए-अज़ाराकी,  Habb-e-Azaraqi  in Hindi language एक यूनानी दवाई है। इसमें मुहर्रिक (उत्तेजना) और मुकावावी-ए-एसाब (तंत्रिका टॉनिक) कार्रवाई है। यह दवा नज़ला, फालीज (पक्षाघात), लकवा (चेहरे की पाल्सी), निक्रस (गठिया), वाजा-उल-मुफसिल (गठिया), न्यूरेलजिया, हेमिप्लेगिया, कटिस्नायुशूल आदि में उपयोगी है।

हब्ब-ए-अज़ाराकी, अज़ाराकी (स्ट्रिकनोस नक्स-वोमिका), फिलफिल सियाह (पाइपर निग्रम), फिलफिल दरज़ (पाइपर लांगम), और अजवेन (ट्राइस्पेर्मम अम्मी) से तैयार है। यूनानी में, हब्बे का मतलब है टेबलेट जिसे हर्बल पाउडर, कुछ तरल और बाइंडर से तैयार किया जाता है। चूंकि इस दवा का मुख्य घटक अज़ाराकी है, इसे हब्ब-ए-अज़ाराकी नाम दिया गया है। यह दवा हर्बल है और वेजेटेरियन भी इसे ले सकते हैं।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

यह पेज हब्बे अज़ाराक़ी के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

  • हब्बे अज़ाराक़ी में मौजूद सामग्री क्या हैं?
  • हब्बे अज़ाराक़ी के उपयोग क्या हैं?
  • हब्बे अज़ाराक़ी के दुष्प्रभाव क्या हैं?
  • हब्बे अज़ाराक़ी को कब नहीं लेते हैं?
  • हब्बे अज़ाराक़ी के संभावित दवा interatcion क्या हैं?
  • हब्बे अज़ाराक़ी से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?

Habbe Azaraqi is Herbal Unani medicine. It is indicated in treatment of paralysis, facial paralysis, hemiplegia and arthritis. It has carminative, laxative and digestive properties. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: हब्बे अज़ाराक़ी, हब्ब-ए-अज़ाराकी
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल यूनानी दवा
  • मुख्य उपयोग: तंत्रिका विकार जैसे पक्षाघात और एंटी-गठिया के रूप में भी प्रयोग किया जाता है
  • मुख्य गुण: तंत्रिका टोनिक, उत्तेजक
  • गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं करें
  • मूल्य MRP: Hamdard Habbe Azaraqi 100 pills @ Rs 26

हब्बे अज़ाराक़ी के घटक Ingredients of Habbe Azaraqi

प्रत्येक 250 मिलीग्राम गोली में शामिल हैं:

  • पाइपर निग्रम (फिलफिल सियाह) 62.5 मिलीग्राम
  • पाइपर लांगम (फिलफिल दरज़) 62.5 मिलीग्राम
  • नक्स-वोमिका, Detoxified (Azaraqi) 125 मिलीग्राम
  • एक्वा ट्रेचिस्पेरम अम्मी (र्क अजवेन) क्यूएस

हब्बे अज़ाराक़ी के लाभ/फ़ायदे Benefits of Habbe Azaraqi

  • यह सीएनएस (केंद्रीय तंत्रिका तंत्र) पर कार्य करता है।
  • यह जननांग अंग के तंत्रिका केंद्र पर काम करता है और पुरुषों में यौन इच्छाओं को बढ़ाता है।
  • यह कब्ज में राहत देता है।
  • यह तंत्रिका दर्द में राहत देता है।
  • यह भूख और पाचन में सुधार करता है।
  • यह हेमिप्लेगिया, बेल्स पाल्सी और कंपकंपी में फायदेमंद है।
  • यह रक्त शोधक (मुसाफी-ए-बांध) है।
  • यह तासीर में गर्म है और कफ में राहत देता है।

हब्बे अज़ाराक़ी के चिकित्सीय उपयोग Uses of Habbe Azaraqi

हब्बे अज़ाराक़ी Habbe Azaraqi तंत्रिकाओं को मजबूत और उत्तेजित करता है। यह पक्षाघात, चेहरे की पक्षाघात, हेमिप्लेगिया और गठिया में उपयोगी है। इसमें तंत्रिका उत्तेजक, गैसहर, रेचक और पाचन गुण हैं।

  • आंतों का कालिक
  • कटिस्नायुशूल
  • खांसी
  • गठिया
  • गाउट
  • चेहरे का पक्षाघात
  • जोड़ों में दर्द
  • तंत्रिका कमजोरी
  • न्यूरोटिक स्नेह
  • पक्षाघात
  • पीठ दर्द
  • फेफड़ों की बीमारी
  • मांसपेशियों में दर्द
  • मांसपेशी में कमज़ोरी
  • लूम्बेगो
  • स्थानीय पक्षाघात

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Habbe Azaraqi

  • 1 या 2 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे पानी के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

हब्बे अज़ाराक़ी के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • उचित खुराक उपयोगकर्ता की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। उचित खुराक निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है।
  • ध्यान रखें कि प्राकृतिक उत्पाद हमेशा सुरक्षित हों ऐसा जरूरी नहीं हैं।
  • इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह के आधार पर बताई गई अवधि तक किया जा सकता है।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • यह हमेशा ध्यान रखें की जिन दवाओं में नक्स वोमिका होता है उसे लम्बे समय तक नहीं लेना चाहिए।
  • यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।
  • अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।

हब्बे अज़ाराक़ी के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।
  • यह रक्तस्राव की प्रवृत्ति को बढ़ा सकता है, इसलिए सर्जरी से 2 सप्ताह पहले और सर्जरी के बाद से इसे नहीं लिया जाना चाहिए।

हब्बे अज़ाराक़ी को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, वे इसका सेवन न करें।
  • शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है bleeding disorder, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या हब्बे अज़ाराक़ी को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले तो सकते हैं। लेकिन इस से हो सकता है कि दोनों ही दवाएं काम नहीं करें। इसलिए, दवा के असर को देखना ज़रूरी है।

हब्बे अज़ाराक़ी को कितनी बार लेना है?

  • इसे दिन में 1 बार / 2 बार लेना चाहिए।
  • इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।

क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?

दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।

क्या हब्बे अज़ाराक़ी सुरक्षित है?

हां, सिफारिश की खुराक में लेने के लिए सुरक्षित है।

हब्बे अज़ाराक़ी का मुख्य संकेत क्या है?

तंत्रिका सम्बन्धी रोग, कफ रोग।

हब्बे अज़ाराक़ी का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?

  • वात कम करना ।
  • पित्त वृद्धि करना।
  • कफ कम करना।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

नहीं।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

डॉक्टर द्वारा निर्देशित समय के लिए।

हब्बे अज़ाराक़ी लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन के बाद लिया जाना चाहिए एक ही समय में दैनिक रूप में लेने की कोशिश करें।

क्या हब्बे अज़ाराक़ी एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या हब्बे अज़ाराक़ी लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है। पीरियड्स के दौरान नहीं लें, अगर आपको रक्तस्राव पैटर्न पर कोई प्रभाव महसूस होता है।

क्या मैं इसे गर्भावस्था के दौरान ले सकती हूँ?

नहीं।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

हाँ।

क्या इसे बच्चों को दे सकते हैं?

नहीं।

क्या यह दवा केवल डॉक्टर से पूछ कर ही लेनी है?

हाँ।


वृद्धिवाधिका वटी Vridhivadhika Vati Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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वृद्धिवाधिका वटी Vridhivadhika Vati in Hindi गुटिका, एक आयुर्वेदिक दवाई है जिसे मुख्य रूप से शरीर में एबनॉर्मल ग्रोथ के लिए प्रयोग किया जाता है। यह थाइरोइड, हर्निया और हाइड्रोसील में दी जाती है। वृद्धिवाधिका वटी में कज्जली, लौह भस्म ,ताम्र भस्म, कांस्य भस्म, शंख भस्म, कपर्दक भस्म, सेंधा नमक ,काला नमक, विद लवण, समुद्र लवण, त्रिकटु , त्रिफला, इलायची के बीज, देवदारु आदि होते हैं।

इस दवा का नाम है, वृद्धि बाधिका वटी और इस नाम से ही पता चलता है यह शरीर की सेल्स की आसामान्य वृद्धि होने में बाधिका है और ऐसी ग्रोथ को रोकती है। इसलिए इसे ट्यूमर में भी दिया जाता है।  हाइड्रोसील की केवल शुरूआती स्थिति में ही इसे लेने से लाभ होता है। इसके सेवन के साथ साथ अंडकोष की और वृद्धि नहीं हो, कदम्ब अथवा अरंड के पत्ते पर घी लगाकर और सेंक करके अंडकोष पर लपेटना चाहिए।

वृद्धि बधिका वटी को अन्य दवाओं के साथ लेने से रोगों में अधिक फायदा होता है।  हाइड्रोसील में इसे चन्द्रप्रभा वटी के साथ दे सकते हैं। थाइरोइड की समस्या में इसे कांचनार गुगुल्लु के साथ लेते हैं। हर्निया में इसे आरोग्यवर्धिनी वती के साथ दिया जाता है। लेकिन ध्यान रहे, एक रस औषधि होने से इस दवा की मात्रा, फ्रीक्वेंसी और लेने की अवधि पर विशेष ध्यान देना ज़रूरी है। इसमें धातुएं है, मिनरल हैं जिनका अधिकता में सेवन शरीर के अंगों पर बुरा असर दिखा सकता है। इसलिए इस दवा को तभी लें, जब डॉक्टर ने निर्देशित किया हो।

यह पेज वृद्धिवाधिका वटी के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

  • वृद्धिवाधिका वटी में मौजूद सामग्री क्या हैं?
  • वृद्धिवाधिका वटी के उपयोग क्या हैं?
  • वृद्धिवाधिका वटी के दुष्प्रभाव क्या हैं?
  • वृद्धिवाधिका वटी को कब नहीं लेते हैं?
  • वृद्धिवाधिका वटी के संभावित दवा interatcion क्या हैं?
  • वृद्धिवाधिका वटी से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?

Vridhivadhika Vati is Herbomineral Ayurvedic medicine. It is indicated in treatment of hydrocele, hernia, thyroid and diseases due to abnormal growth of cells. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: वृद्धिवाधिका वटी Vridhivadhika Vati, Vriddhi Vadhika Vati, Vriddhi Badhika Vati
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्ब और शुद्ध पारद-शुद्ध गंधक युक्त
  • मुख्य उपयोग: सेल्स की असामान्य ग्रोथ
  • मुख्य गुण: सेल्स की असामान्य वृद्धि होने से रोकना
  • दवा का अनुपान: ताज़ा जल अथवा हरीतकी का काढ़ा
  • दवा को लेने का समय: दिन में दो बार, प्रातः और सायं
  • दवा को लेने की अवधि: डॉक्टर के निर्देशानुसार

वृद्धिवाधिका वटी के घटक Ingredients of Vridhivadhika Vati

  • Shuddha Parad 1 part
  • Shuddha Gandhak 1 part
  • Loh Bhasm 1 part
  • Tamra Bhasm 1 part
  • Kansya Bhasm 1 part
  • Vang Bhasm 1 part
  • Shuddha Hartal 1 part
  • Shuddha Tuttiya 1 part
  • Shankha Bhasm 1 part
  • Kaudi Kapardika Bhasm 1 part
  • Sonth 1 part
  • Kali Mirch 1 part
  • Pippli 1 part
  • Haritaki 1 part
  • Vibhitaki 1 part
  • Amalki 1 part
  • Chavya 1 part
  • Vai Vidang 1 part
  • Vidhara Mula 1 part
  • Kachoor 1 part
  • Pippla Mula 1 part
  • Patha 1 part
  • Hapusha 1 part
  • Vacha 1 part
  • Elachi ka bej 1 part
  • Devdaro 1 part
  • Kala Namak 1 part
  • Vid Namak 1 part
  • Samudra lavan 1 part
  • Sambhar lavan 1 part

वृद्धिवाधिका वटी के लाभ/फ़ायदे Benefits of Vridhivadhika Vati

  • इसके सेवन से पाचन बेहतर होता है।
  • इससे पोषक तत्वों का अच्छे से अवशोषण होने में सहायता मिलती है।
  • इस दवा के सेवन से शरीर में मिनरल की कमी दूर होती है।
  • यह वात और कफ को कम करने वाली औषध है।
  • यह सेल्स की असमान्य वृद्धि को रोकने में सहायक है।

वृद्धिवाधिका वटी के चिकित्सीय उपयोग Uses of Vridhivadhika Vati

वृद्धिवाधिका वटी, हर्निया, हाइड्रोसील, थाइरोइड, ट्युमर और फ़ाइलेरिया आदि में दी जाती है।

  • अंडकोष में वायु भरना
  • अंडकोष में रक्त और पानी भरना
  • हर्निया के सभी प्रकार
  • ट्यूमर
  • थायराइड नोड्यूल या थायराइड ग्रंथि की असामान्य वृद्धि ,थाइरोइड प्रॉब्लम (कांचनार गुग्गुल के साथ)

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Vridhivadhika Vati

  • 1-3 रत्ती / 125mg-375 mg दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे  पानी हरीतकी के काढ़े के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

वृद्धिवाधिका वटी के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • यह तासीर में गर्म है। इसे ब्लीडिंग डिसऑर्डर में नहीं लें।
  • उचित खुराक उपयोगकर्ता की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। उचित खुराक निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है।
  • ध्यान रखें कि प्राकृतिक उत्पाद हमेशा सुरक्षित हों ऐसा जरूरी नहीं हैं।
  • इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह के आधार पर किया जाना चाहिए।
  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • इस औषधि को केवल विशिष्ट समय अवधि के लिए निर्धारित खुराक में लें।
  • इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • यह हमेशा ध्यान रखें की जिन दवाओं में पारद, गंधक, खनिज आदि होते हैं, उन दवाओं का सेवन लम्बे समय तक नहीं किया जाता। इसके अतिरिक्त इन्हें डॉक्टर के देख-रेख में बताई गई मात्रा और उपचार की अवधि तक ही लेना चाहिए।
  • यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।

वृद्धिवाधिका वटी के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।
  • इससे जी मिचलाना और उलटी हो सकती है।
  • इसे खाने से मुंह में मेटालिक टेस्ट आ सकता है।

वृद्धवाधिका वटी को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • अल्सर, अल्सरेटिव कोलाइटिस, पेट में दर्द और गुदा में दरारें होने पर इसे नहीं लें।
  • इसमें नमक है, उच्च रक्तचाप में इसे नहीं लें।
  • नमक कम लेने की सलाह है, तो इसे नहीं लें।
  • घाव जल्दी ठीक नहीं होता तो इसे नहीं लें।
  • जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, वे इसका सेवन न करें।
  • शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है bleeding disorder, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • डॉक्टर से परामर्श के बिना कोई आयुर्वेदिक दवाइयां नहीं लें।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

उपलब्धता

  • इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
  • बैद्यनाथ Baidyanath Vridhivadhika Bati
  • डाबर Dabur Vridhivadhika Vati
  • पतंजलि Patanjali Divya Pharmacy Vridhivadhika Vati
  • तथा अन्य बहुत सी फर्मसियाँ।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को लेना सेफ है?

वृद्धिबाधिका वटी आयुर्वेदिक रस-औषधि है जिसमें रस, पारा है। पारे को ही आयुर्वेद में रस या पारद कहा जाता है और बहुत सी दवाओं के निर्माण में प्रयोग किया जाता है। रस औषधियों के निर्माण में शुद्ध पारे और शुद्ध गंधक को मिलाकर पहले कज्जली बनायी जाती है जो की काले रंग की होती है। रासायनिक रूप से कज्जली, ब्लैक सल्फाइड ऑफ़ मरक्युरी है। कज्जली को रसायन माना गया है जो की त्रिदोष को संतुलित करती है। यदि इसे अन्य उपयुक्त घटकों के साथ मिलाकर दवा बनाई जाती है तो यह लगभग हर रोग को दूर कर सकती है।

  • रस औषधियां शरीर पर शीघ्र प्रभाव डालती हैं। इन्हें डॉक्टर की देख-रेख में ही लेना सही रहता है।
  • इसे लेने की मात्रा, फ्रीक्वेंसी और अवधि डॉक्टर के निर्देशानुसार हो, तो इसे लेना सेफ है। अन्यथा अधिकता में सेवन नुकसान कर सकता है।

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या वृद्धिवाधिका वटी को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले तो सकते हैं। लेकिन इस से हो सकता है कि दोनों ही दवाएं काम नहीं करें। इसलिए, दवा के असर को देखना ज़रूरी है।

वृद्धिवाधिका वटी को कितनी बार लेना है?

  • इसे दिन में 2 बार बार लेना चाहिए।
  • इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।

क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?

दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।

वृद्धिवाधिका वटी का मुख्य संकेत क्या है?

  • यह दवा अण्ड वृद्धि के रोग के लिए है। अंडकोष में वायु भर जाना, दर्द होना, रक्त  व जल भर जाना आदि सभी तरह के अंडकोष के विकारों में यह लाभप्रद है।
  • इसे आंत्र वृद्धि हर्निया में भी लेने से लाभ होता है।

वृद्धिवाधिका वटी का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?

  • वात कम करना।
  • पित्त वृद्धि करना।
  • कफ कम करना।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

हाँ। इसमें आयुर्वेदिक दवा के तरीके से तैयार पारा, गंधक, लोहा, ताम्बा, कांसा, टिन, हरताल, नीला थोथा, कौड़ी, आदि हैं।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

आप इसे डॉक्टर के द्वारा निर्देशित समय तक ले सकते हैं।

वृद्धिवाधिका वटी लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन के बाद लिया जाना चाहिए एक ही समय में दैनिक रूप में लेने की कोशिश करें।

क्या वृद्धिवाधिका वटी एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या वृद्धिवाधिका वटी लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है। पीरियड्स के दौरान नहीं लें, अगर आपको रक्तस्राव पैटर्न पर कोई प्रभाव महसूस होता है।

क्या मैं इसे गर्भावस्था के दौरान ले सकती हूँ?

नहीं।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

नहीं।

क्या इसे बच्चों को दे सकते हैं?

नहीं।

बैद्यनाथ वृद्धिवाधिका वटी का मूल्य क्या है?

  • 80 गोली Rs 179.00
  • 20 गोली Rs 62.00

दिव्य पतंजलि वृद्धिवाधिका वटी का मूल्य क्या है?

20 ग्राम Rs 40.00

डाबर  वृद्धिवाधिका वटी का मूल्य क्या है?

Dabur Vridhi Vadhika Vati 40 गोली @ Rs 92.00

पतंजलि इसबगोल की भूसी Patanjali Isabgol Bhusi Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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इसबगोल Isabgol Bhusi in Hindi की भूसी को सत इसबगोल, इस्पघुला, साइलियम हस्क के नाम से भी जानते हैं। यह प्लांटैगो ओवाटा नामक पौधे के बीजों से प्राप्त होता है। यह कब्ज़, पाइल्स, अधिक कोलेस्ट्रोल, अतिसार, लूज़ मोशन, किडनी ब्लैडर के रोगों में दिया जाता है। इसमें सौम्य विरेचक, शीतलन, मूत्रवर्धक गुण होते हैं।

ईसबगोल (Isabgol) का पौधा प्लांटैगो ओवाटा, मरुस्थलीय क्षेत्रों में जहाँ कम बारिश होती है वहाँ पाए जाते हैं। यह भारत के कुछ हिस्सों में, मालबा एवं सिंध, अरब की खाड़ी, और पर्शिया में पाया जाता है। यह एक प्रकार की झाड़ी है जिसके पत्ते धान के पत्तों जैसे और डालियाँ पतली होती हैं। डालियों के सिरे पर गेंहू जैसी बालें लगती है जिनमें बीज रहते हैं। बीज छोटे-छोटे नोकाकृति के होते हैं । यह कुछ बादामी रंग के होते हैं । प्रत्येक बीज के ऊपर एक पतला श्वेत वर्ण का आवरण होता है जिसे औषधीय प्रयोग के लिए अलग कर लिया जाता है। इसी को ईसबगोल की भूसी कहा जाता है और प्रायः कब्ज़ से आराम पाने के लिए प्रयोग किया जाता है। यूनानी में इसे मिज़ाज में शीतल और तर माना जाता है।

इसबगोल की भूसी को मुख्य रूप से कब्ज़ में लिया जाता है। इस भूसी में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला जेलैटिनस पदार्थ होता है जो पानी में भिगोने पर जेल बनाता है। इसबगोल का कोई स्वाद और गंध नहीं होता है। पानी को सूख लेने पर यह फूल जाता है और बल्क लेक्सेटिव का काम करता है। यह आँतों के रास्ते को फैलाने में मदद करता है और आंत्र आंदोलन को बढ़ावा देता है। इसतरह से कब्ज़ में कठोर स्टूल को आगे बढ़ाता है जिससे कब्ज़ से राहत होती है।

इसबगोल को लेने के दौरान कुछ सावधानियां रखी जानी चाहिए। इसबगोल को हमेशा पर्याप्त मात्रा में तरल के साथ लिया जाना चाहिए। 5 ग्राम इसबगोल को कम से कम 150 मिलीलीटर तरल के साथ लिया जाना चाहिए। ऐसा नहीं करने से एसोफैगस चोक हो सकती है। आंतों में बाधा हो सकती है यदि पर्याप्त तरल का सेवन नहीं किया जाता है। बुजुर्गों और कमजोर लोगों के उपचार के लिए इसके सेवन के लिए चिकित्सा पर्यवेक्षण की आवश्यकता होती है। इसबगोल को अन्य दवाओं से कम से कम 2 घंटे पहले या बाद में लिया जाना चाहिए। साथ में इसका सेवन करने पर अन्य दवाओं का अवशोषण कम हो जाता है।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

यह पेज इसबगोल के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

  • इसबगोल क्या होता है?
  • इसबगोल में मौजूद सामग्री क्या हैं?
  • इसबगोल के उपयोग क्या हैं?
  • इसबगोल के दुष्प्रभाव या नुकसान क्या हैं?
  • इसबगोल को कब नहीं लेते हैं?
  • इसबगोल के संभावित दवा interatcion क्या हैं?
  • इसबगोल से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?
  • पतंजलि इसबगोल का प्राइस क्या है?
  • पतंजलि इसबगोल को लेना कैसे है?

Isabgol Bhusi is Herbal Ayurvedic medicine. It is indicated in chronic constipation, temporary constipation due to illness or pregnancy, irritable bowel syndrome, constipation related to duodenal ulcer or diverticulitis and for stool softening in the case of hemorrhoids, or after anorectal surgery. It is bulk-forming laxative used therapeutically for restoring and maintaining bowel regularity. Isabgol is also used as a dietary supplement in the management of hypercholesterolaemia, to reduce the risk of coronary heart disease and reduce the increase in blood sugar levels after eating. It is used in short-term for symptomatic treatment of diarrhoea.  It has expectorant, antitussive and diuretic and laxative action.  Isabgol should not be used by patients with faecal impaction, undiagnosed abdominal symptoms, abdominal pain, nausea or vomiting unless advised by their health-care provider and in patients with constrictions of the gastrointestinal tract, potential or existing intestinal blockage, megacolon, diabetes mellitus that is difficult to regulate, or known hypersensitivity to the seed coats.

Bulking agents may diminish the absorption of some minerals (calcium, magnesium, copper and zinc), vitamins (B12), cardiac glycosides and coumarin derivatives.

Isabgol should be taken with adequate volumes of fluid. Products should never be taken orally in dried powder form owing to possibility of causing bowel or oesophageal obstruction.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: इसबगोल Isabgol Bhusi
  • Botanical name: प्लान्टागो ओवाटा या प्लान्टागो इसाबगुला Plantago ovata, P। isabgula
  • Common name: Psyllium husk, Ishadgola, Psyllium, Blonde Ispaghula, Ispaghula, Isabgol
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: कब्ज़, दस्त
  • मुख्य गुण: विरेचन, बल्क लेक्सेटिव
  • रासायनिक संरचना: फाइबर
  • गर्भावस्था में प्रयोग: कर सकते हैं

मूल्य MRP:

ISABGOL BHUSI PATANJALI 100 gram @  Rs 90

इसबगोल के घटक Ingredients of Isabgol Bhusi

Isabgol Husk

इसाबोल, जिसे साइलीयम भी कहा जाता है, प्लांटैगो ओवाटा के बीज से प्राप्त होता है।

औषधीय गुण

  • कोलेस्ट्रोल कम करना Antihypercholesterolaemic
  • पित्तहर एंटासिड antacid
  • दस्त रोकने वाला Antidiarrhoeal
  • भूख कम करने वाला
  • मूत्रवर्धक diuretic
  • विरेचक laxative

इसबगोल के लाभ/फ़ायदे Benefits of Isabgol Bhusi

  • इरीटेबल बाउल सिंड्रोम IBS में यह अच्छे परिणाम देता है।
  • इसका सेवन कोलेस्ट्रॉल और लिपिड को कम करता है।
  • इसके सेवन से आंत स्वस्थ होती हैं।
  • इसमें प्राकृतिक जेलैटिनस पदार्थ है।
  • इसमें फाइबर में बहुत अधिक है।
  • एक प्रयोग में देखा गया की २ महीने तक इसका सेवन रक्त में बढ़े हुए यूरिया hyperuremia को करीब 19% कम करता है।
  • डाइटरी सप्लीमेंट के तरह तक इसका ६ महीने तक सेवन ब्लड प्रेशर को कम करता है और कोरोनरी हार्ट डिजीज से बचाव करता है।
  • यह आंत से स्टूल को आगे पारित होने में मदद करता है और आंत्र आंदोलन को बढ़ावा देता है।
  • यह आंतों की दीवार के अंदर उचित स्नेहन प्रदान करता है।
  • यह आंतों में बैक्टीरिया और अन्य हानिकारक विषाक्त पदार्थों को अवशोषित करता है।
  • यह उच्च स्तर कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक है ।
  • यह गुण में विरेचक है।
  • यह ग्लूटेन फ्री होता है।
  • यह डायबिटीज में लाभप्रद है। रात में इसका सेवन, फास्टिंग शुगर को कण्ट्रोल करता है।
  • यह पानी को सोखने के बाद जेल बन कर फूल जाता है।
  • यह पुराने कब्ज़ में स्टूल की फ्रीक्वेंसी और आउटपुट को नियंत्रित करता है।
  • यह फाइबर का अच्छा स्रोत है।
  • यह बवासीर, मल के सख्त होने और बहुत अधिक प्यास में लगने प्रभावी है।
  • यह मुख्य रूप से इसके विरेचक गुणों के कारण कब्ज़ के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
  • यह शरीर के वजन को कम करने में फायदेमंद भी है।
  • यह समस्याएं कब्ज़, फिस्टुला और जैसी बीमारियों पर नियंत्रण में भी उपयोगी है।
  • यह सूजन को कम करता है।

इसबगोल के चिकित्सीय उपयोग Uses of Isabgol Bhusi

इसबगोल का मुख्य गुण मूत्रल और विरेचक है। यह हाइग्रोस्कोपिक है, और आंत से पानी को अवशोषित करता है । आयुर्वेद में इसे शीतल, शांतिदायक, और दस्त को साफ़ करने वाला कहा गया है। यह मल को आंत से दूर करने में सहायता करता है जिससे पेट के मरोड़, दर्द, मलावरोध से आराम मिलता है। पेचिश, अतिसार तथा आंतो के घाव में भी यह उपयोगी है।

ईसबगोल की भूसी का सेवन निम्न रोगों में लाभप्रद है:

  • आंतो को साफ़ करने के लिए
  • इरीटेबल बाउल सिंड्रोम
  • कब्ज़, बवासीर
  • कोलेस्ट्रोल की अधिकता
  • डायबिटीज
  • पाइल्स, गुदा में दरारें
  • पित्त की अधिकता
  • पेचिश, अतिसार, लूज़ मोशन
  • फास्टिंग शुगर ज्यादा होना
  • बहुत प्यास लगना
  • मधुमेह, शुक्रमेह
  • वज़न कम करना
  • शरीर में अधिक गर्मी
  • शरीर में यूरिया की अधिकता
  • स्वप्नदोष

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Isabgol Bhusi

ईसबगोल की भूसी को 5-10 ग्राम की मात्रा में एक गिलास पानी / दही / दूध के साथ मिला कर लेने चाहिए।

इसबगोल के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • इसके सेवन के दौरान पानी प्रयाप्त मात्रा में लेना ज़रूरी है।
  • इसे हमेशा 1 गिलास पानी या इतनी ही मात्रा के तरल के साथ लें।
  • इसे किसी भी दवा के सेवन के 1 घंटे बाद लें।
  • इसे लेट कर न लें।
  • उचित खुराक उपयोगकर्ता की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। उचित खुराक निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है।
  • ध्यान रखें कि प्राकृतिक उत्पाद हमेशा सुरक्षित हों ऐसा जरूरी नहीं हैं।

इसबगोल के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • निर्धारित खुराक में कभी कभी लेने से इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
  • इसमें फाइबर की उच्च मात्रा है जिससे पेट फूलना, गैस अधिक बनना, और फाइबर की अधिकता के अन्य लक्षण हो सकते हैं।
  • कुछ दवाओं का अवशोषण इसके सेवन से कम हो सकता है।
  • लगातार लेने से भूख कम हो सकती है, पेट में भारीपन लगता है और पेट भरा हुआ सा लगता है।
  • मुर्गियों पर किये गए प्रयोग दिखाते हैं इसका नियमित डाइट के साथ सेवन बढ़वार को कम करता है।
  • इसे छोटे बच्चों को न दें।
  • कुछ मामलों में इससे पेट में मरोड़ हो सकती है।
  • यदि इसे कम पानी के साथ लेते हैं तो निगलने में दिक्कत हो सकती है।

इसबगोल को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • अगर साईलियम से एलर्जी हो तो इसे न लें।
  • पानी की कमी है, डिहाइड्रेशन है तो इसे नहीं लें।
  • ज्यादा मात्रा में या शरीर में पानी की कमी होने पर देने से यह गले या आंत को चोक कर सकता है।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।
  • एपेंडिसाइटिस में इसे बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लें।
  • इसबगोल को संभावित या मौजूदा आंतों के अवरोध, मेगाकोलन, अनियंत्रित डायबिटीज, या ज्ञात अतिसंवेदनशीलता होने पर नहीं लिया जाना चाहिए।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या इसबगोल को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले सकते हैं।

इसबगोल को कितनी बार लेना है?

कब्ज़ में इसे दिन में एक बार लेना चाहिए।

क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?

दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।

क्या इसबगोल सुरक्षित है?

हां, सिफारिश की खुराक में लेने के लिए सुरक्षित है।

इसबगोल का मुख्य संकेत क्या है?

कब्ज़।

कब्ज़ में इसबगोल की भूसी को कैसे लेना चाहिए?

  • कब्ज़ में रोज रात को 5 से 10 ग्राम ईसबगोल की भूसी दूध / दही / पानी में मिलाकर खाने से फायदा होता है।
  • एक गिलास पानी में 1 से 2 चम्मच ईसबगोल की भूसी को मिलाएं और पी जाएँ।
  • यह बात ध्यान रखने योग्य है, इसे कभी भी सूखा नहीं लिया जाना चाहिए। इसे हमेशा पर्याप्त मात्रा में तरल के साथ लिया जाना चाहिए। बच्चों को यह बहुत ही कम मात्रा में और २ साल तक के बच्चों को तो नहीं ही दिया जाना चाहिए।
  • हल्की कब्ज़ में इसे दो से पांच दिन तक ले सकते हैं।
  • पुरानी कब्ज़ है तो इसे कुछ सप्ताह लेकर देखें और साथ ही डाइट में बदलाव लायें। सलाद, फल और सब्जी अधिक खाएं।

क्या दस्त में इसबगोल लेना चाहिए?

  • हाँ, यह दस्त में भी उपयोगी है। यह पतले स्टूल को कठोर करता है।
  • दस्त के दौरान दही के साथ मिला कर इसे लेना चाहिए। डीएसटी में इसे दिन में दो बार लेना चाहिए।
  • दस्त में इसे दो से पांच दिन लें।

क्या इसे नोक्टर्नल फाल/नाईटफल/स्वप्नदोष में लेना चाहिए?

  • हाँ, इसे लेने से लाभ हो सकता है। इससे कब्ज़ दूर होती है और साथ इसका शरीर पर शीतलन प्रभाव होता है।
  • इसका एक दो चम्मच, पानी में मिलाकर सोने से पहले लें। ऐसा तीन महीने तक करें।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

नहीं।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

कब्ज़ की परेशानी हो तो इसे रात में सोने से पहले ले लें।

इसबगोल लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे रात में सोने से पहले लें।

क्या इसबगोल एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या इसबगोल लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

हाँ, यदि शुगर नियंत्रित है तो।

क्या इसे बच्चों को दे सकते हैं?

7 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए, आप इस दवा को कम मात्रा में दे सकते हैं। लेकिन सही स्वास्थ्य समस्या और सही खुराक जानने के लिए चिकित्सक की सलाह लेनी ज़रूरी है।

क्या गर्भावस्था में इसे ले सकती हूँ?

हाँ। गर्भावस्था और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान इसका सेवन पूरी तरह से सुरक्षित है। यह एक बल्क लेक्सेटिव है जो शरीर में अवशोषित नहीं होता और स्टूल के रास्ते शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। इसके सेवन से फ़ीटस पर कोई बुरा असर नहीं होता।

सत इसबगोल Sat Isabgol Psyllium Husk Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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इसबगोल Isabgol Bhusi in Hindi की भूसी को सत इसबगोल, इस्पघुला, साइलियम हस्क के नाम से भी जानते हैं। यह प्लांटैगो ओवाटा नामक पौधे के बीजों से प्राप्त होता है। यह कब्ज़, पाइल्स, अधिक कोलेस्ट्रोल, अतिसार, लूज़ मोशन, किडनी ब्लैडर के रोगों में दिया जाता है। इसमें सौम्य विरेचक, शीतलन, मूत्रवर्धक गुण होते हैं।

इसबगोल की भूसी को मुख्य रूप से कब्ज़ में लिया जाता है। इस भूसी में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला जेलैटिनस पदार्थ होता है जो पानी में भिगोने पर जेल बनाता है। इसबगोल का कोई स्वाद और गंध नहीं होता है। पानी को सूख लेने पर यह फूल जाता है और बल्क लेक्सेटिव का काम करता है। यह आँतों के रास्ते को फैलाने में मदद करता है और आंत्र आंदोलन को बढ़ावा देता है। इसतरह से कब्ज़ में कठोर स्टूल को आगे बढ़ाता है जिससे कब्ज़ से राहत होती है।

इसबगोल को लेने के दौरान कुछ सावधानियां रखी जानी चाहिए। इसबगोल को हमेशा पर्याप्त मात्रा में तरल के साथ लिया जाना चाहिए। 5 ग्राम इसबगोल को कम से कम 150 मिलीलीटर तरल के साथ लिया जाना चाहिए। ऐसा नहीं करने से एसोफैगस चोक हो सकती है। आंतों में बाधा हो सकती है यदि पर्याप्त तरल का सेवन नहीं किया जाता है। बुजुर्गों और कमजोर लोगों के उपचार के लिए इसके सेवन के लिए चिकित्सा पर्यवेक्षण की आवश्यकता होती है। इसबगोल को अन्य दवाओं से कम से कम 2 घंटे पहले या बाद में लिया जाना चाहिए। साथ में इसका सेवन करने पर अन्य दवाओं का अवशोषण कम हो जाता है।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

यह पेज इसबगोल के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

  • इसबगोल क्या होता है?
  • इसबगोल में मौजूद सामग्री क्या हैं?
  • इसबगोल के उपयोग क्या हैं?
  • इसबगोल के दुष्प्रभाव या नुकसान क्या हैं?
  • इसबगोल को कब नहीं लेते हैं?
  • इसबगोल के संभावित दवा interaction क्या हैं?
  • इसबगोल से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?
  • सत इसबगोल का प्राइस क्या है?
  • सत इसबगोल को लेना कैसे है?

Isabgol Bhusi is Herbal Ayurvedic medicine. It is indicated in chronic constipation, temporary constipation due to illness or pregnancy, irritable bowel syndrome, constipation related to duodenal ulcer or diverticulitis and for stool softening in the case of hemorrhoids, or after anorectal surgery. It is bulk-forming laxative used therapeutically for restoring and maintaining bowel regularity. Isabgol is also used as a dietary supplement in the management of hypercholesterolaemia, to reduce the risk of coronary heart disease and reduce the increase in blood sugar levels after eating. It is used in short-term for symptomatic treatment of diarrhoea.  It has expectorant, antitussive and diuretic and laxative action.  Isabgol should not be used by patients with faecal impaction, undiagnosed abdominal symptoms, abdominal pain, nausea or vomiting unless advised by their health-care provider and in patients with constrictions of the gastrointestinal tract, potential or existing intestinal blockage, megacolon, diabetes mellitus that is difficult to regulate, or known hypersensitivity to the seed coats.

Bulking agents may diminish the absorption of some minerals (calcium, magnesium, copper and zinc), vitamins (B12), cardiac glycosides and coumarin derivatives.

Isabgol should be taken with adequate volumes of fluid. Products should never be taken orally in dried powder form owing to possibility of causing bowel or oesophageal obstruction.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: Sat Isabgol Psyllium Husk
  • निर्माता: The Sidhpur Sat- Isabgol Factory from Sidhpur, Gujarat, India
  • Botanical name: प्लान्टागो ओवाटा या प्लान्टागो इसाबगुला Plantago ovata, P। isabgula
  • Common name: Psyllium husk, Ishadgola, Psyllium, Blonde Ispaghula, Ispaghula, Isabgol
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: कब्ज़, दस्त
  • मुख्य गुण: विरेचन, बल्क लेक्सेटिव
  • रासायनिक संरचना: फाइबर
  • गर्भावस्था में प्रयोग: कर सकते हैं

मूल्य MRP:

  • Sat Isabgol Psyllium Husk 50 gram Rs 60.00
  • Sat Isabgol Psyllium Husk 100 gram Price Rs 100.00
  • Sat Isabgol Psyllium Husk 200 gram Rs 190.00

इसबगोल क्या होता है?

ईसबगोल (Isabgol) का पौधा प्लांटैगो ओवाटा, मरुस्थलीय क्षेत्रों में जहाँ कम बारिश होती है वहाँ पाए जाते हैं। यह भारत के कुछ हिस्सों में, मालबा एवं सिंध, अरब की खाड़ी, और पर्शिया में पाया जाता है। यह एक प्रकार की झाड़ी है जिसके पत्ते धान के पत्तों जैसे और डालियाँ पतली होती हैं।

डालियों के सिरे पर गेंहू जैसी बालें लगती है जिनमें बीज रहते हैं। बीज छोटे-छोटे नोकाकृति के होते हैं । यह कुछ बादामी रंग के होते हैं । प्रत्येक बीज के ऊपर एक पतला श्वेत वर्ण का आवरण होता है जिसे औषधीय प्रयोग के लिए अलग कर लिया जाता है। इसी को ईसबगोल की भूसी कहा जाता है और प्रायः कब्ज़ से आराम पाने के लिए प्रयोग किया जाता है। यूनानी में इसे मिज़ाज में शीतल और तर माना जाता है।

इसबगोल के घटक Ingredients of Isabgol Bhusi

Isabgol Husk

इसाबोल, जिसे साइलीयम भी कहा जाता है, प्लांटैगो ओवाटा के बीज से प्राप्त होता है।

औषधीय गुण

  • कोलेस्ट्रोल कम करना Antihypercholesterolaemic
  • पित्तहर एंटासिड antacid
  • दस्त रोकने वाला Antidiarrhoeal
  • भूख कम करने वाला
  • मूत्रवर्धक diuretic
  • विरेचक laxative

इसबगोल के लाभ/फ़ायदे Benefits of Isabgol Bhusi

  • इरीटेबल बाउल सिंड्रोम IBS में यह अच्छे परिणाम देता है।
  • इसका सेवन कोलेस्ट्रॉल और लिपिड को कम करता है।
  • इसके सेवन से आंत स्वस्थ होती हैं।
  • इसमें प्राकृतिक जेलैटिनस पदार्थ है।
  • इसमें फाइबर में बहुत अधिक है।
  • एक प्रयोग में देखा गया की २ महीने तक इसका सेवन रक्त में बढ़े हुए यूरिया hyperuremia को करीब 19% कम करता है।
  • डाइटरी सप्लीमेंट के तरह तक इसका ६ महीने तक सेवन ब्लड प्रेशर को कम करता है और कोरोनरी हार्ट डिजीज से बचाव करता है।
  • यह आंत से स्टूल को आगे पारित होने में मदद करता है और आंत्र आंदोलन को बढ़ावा देता है।
  • यह आंतों की दीवार के अंदर उचित स्नेहन प्रदान करता है।
  • यह आंतों में बैक्टीरिया और अन्य हानिकारक विषाक्त पदार्थों को अवशोषित करता है।
  • यह उच्च स्तर कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक है ।
  • यह गुण में विरेचक है।
  • यह ग्लूटेन फ्री होता है।
  • यह डायबिटीज में लाभप्रद है। रात में इसका सेवन, फास्टिंग शुगर को कण्ट्रोल करता है।
  • यह पानी को सोखने के बाद जेल बन कर फूल जाता है।
  • यह पुराने कब्ज़ में स्टूल की फ्रीक्वेंसी और आउटपुट को नियंत्रित करता है।
  • यह फाइबर का अच्छा स्रोत है।
  • यह बवासीर, मल के सख्त होने और बहुत अधिक प्यास में लगने प्रभावी है।
  • यह मुख्य रूप से इसके विरेचक गुणों के कारण कब्ज़ के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
  • यह शरीर के वजन को कम करने में फायदेमंद भी है।
  • यह समस्याएं कब्ज़, फिस्टुला और जैसी बीमारियों पर नियंत्रण में भी उपयोगी है।
  • यह सूजन को कम करता है।

इसबगोल के चिकित्सीय उपयोग Uses of Isabgol Bhusi

इसबगोल का मुख्य गुण मूत्रल और विरेचक है। यह हाइग्रोस्कोपिक है, और आंत से पानी को अवशोषित करता है । आयुर्वेद में इसे शीतल, शांतिदायक, और दस्त को साफ़ करने वाला कहा गया है। यह मल को आंत से दूर करने में सहायता करता है जिससे पेट के मरोड़, दर्द, मलावरोध से आराम मिलता है। पेचिश, अतिसार तथा आंतो के घाव में भी यह उपयोगी है।

ईसबगोल की भूसी का सेवन निम्न रोगों में लाभप्रद है:

  • आंतो को साफ़ करने के लिए
  • इरीटेबल बाउल सिंड्रोम
  • कब्ज़, बवासीर
  • कोलेस्ट्रोल की अधिकता
  • डायबिटीज
  • पाइल्स, गुदा में दरारें
  • पित्त की अधिकता
  • पेचिश, अतिसार, लूज़ मोशन
  • फास्टिंग शुगर ज्यादा होना
  • बहुत प्यास लगना
  • मधुमेह, शुक्रमेह
  • वज़न कम करना
  • शरीर में अधिक गर्मी
  • शरीर में यूरिया की अधिकता
  • स्वप्नदोष

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Isabgol Bhusi

ईसबगोल की भूसी को 5-10 ग्राम की मात्रा में एक गिलास पानी / दही / दूध के साथ मिला कर लेने चाहिए।

इसबगोल के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • इसके सेवन के दौरान पानी प्रयाप्त मात्रा में लेना ज़रूरी है।
  • इसे हमेशा 1 गिलास पानी या इतनी ही मात्रा के तरल के साथ लें।
  • इसे किसी भी दवा के सेवन के 1 घंटे बाद लें।
  • इसे लेट कर न लें।
  • उचित खुराक उपयोगकर्ता की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। उचित खुराक निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है।
  • ध्यान रखें कि प्राकृतिक उत्पाद हमेशा सुरक्षित हों ऐसा जरूरी नहीं हैं।

इसबगोल के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • निर्धारित खुराक में कभी कभी लेने से इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
  • इसमें फाइबर की उच्च मात्रा है जिससे पेट फूलना, गैस अधिक बनना, और फाइबर की अधिकता के अन्य लक्षण हो सकते हैं।
  • कुछ दवाओं का अवशोषण इसके सेवन से कम हो सकता है।
  • लगातार लेने से भूख कम हो सकती है, पेट में भारीपन लगता है और पेट भरा हुआ सा लगता है।
  • मुर्गियों पर किये गए प्रयोग दिखाते हैं इसका नियमित डाइट के साथ सेवन बढ़वार को कम करता है।
  • इसे छोटे बच्चों को न दें।
  • कुछ मामलों में इससे पेट में मरोड़ हो सकती है।
  • यदि इसे कम पानी के साथ लेते हैं तो निगलने में दिक्कत हो सकती है।

इसबगोल को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • अगर साईलियम से एलर्जी हो तो इसे न लें।
  • पानी की कमी है, डिहाइड्रेशन है तो इसे नहीं लें।
  • ज्यादा मात्रा में या शरीर में पानी की कमी होने पर देने से यह गले या आंत को चोक कर सकता है।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।
  • एपेंडिसाइटिस में इसे बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लें।
  • इसबगोल को संभावित या मौजूदा आंतों के अवरोध, मेगाकोलन, अनियंत्रित डायबिटीज, या ज्ञात अतिसंवेदनशीलता होने पर नहीं लिया जाना चाहिए।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या इसबगोल को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले सकते हैं।

इसबगोल को कितनी बार लेना है?

कब्ज़ में इसे दिन में एक बार लेना चाहिए।

क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?

दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।

क्या इसबगोल सुरक्षित है?

हां, सिफारिश की खुराक में लेने के लिए सुरक्षित है।

इसबगोल का मुख्य संकेत क्या है?

कब्ज़।

कब्ज़ में इसबगोल की भूसी को कैसे लेना चाहिए?

  • कब्ज़ में रोज रात को 5 से 10 ग्राम ईसबगोल की भूसी दूध / दही / पानी में मिलाकर खाने से फायदा होता है।
  • एक गिलास पानी में 1 से 2 चम्मच ईसबगोल की भूसी को मिलाएं और पी जाएँ।
  • यह बात ध्यान रखने योग्य है, इसे कभी भी सूखा नहीं लिया जाना चाहिए। इसे हमेशा पर्याप्त मात्रा में तरल के साथ लिया जाना चाहिए। बच्चों को यह बहुत ही कम मात्रा में और २ साल तक के बच्चों को तो नहीं ही दिया जाना चाहिए।
  • हल्की कब्ज़ में इसे दो से पांच दिन तक ले सकते हैं।
  • पुरानी कब्ज़ है तो इसे कुछ सप्ताह लेकर देखें और साथ ही डाइट में बदलाव लायें। सलाद, फल और सब्जी अधिक खाएं।

क्या दस्त में इसबगोल लेना चाहिए?

  • हाँ, यह दस्त में भी उपयोगी है। यह पतले स्टूल को कठोर करता है।
  • दस्त के दौरान दही के साथ मिला कर इसे लेना चाहिए। डीएसटी में इसे दिन में दो बार लेना चाहिए।
  • दस्त में इसे दो से पांच दिन लें।

क्या इसे नोक्टर्नल फाल/नाईटफल/स्वप्नदोष में लेना चाहिए?

  • हाँ, इसे लेने से लाभ हो सकता है। इससे कब्ज़ दूर होती है और साथ इसका शरीर पर शीतलन प्रभाव होता है।
  • इसका एक दो चम्मच, पानी में मिलाकर सोने से पहले लें। ऐसा तीन महीने तक करें।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

नहीं।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

कब्ज़ की परेशानी हो तो इसे रात में सोने से पहले ले लें।

इसबगोल लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे रात में सोने से पहले लें।

क्या इसबगोल एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या इसबगोल लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

हाँ, यदि शुगर नियंत्रित है तो।

क्या इसे बच्चों को दे सकते हैं?

7 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए, आप इस दवा को कम मात्रा में दे सकते हैं। लेकिन सही स्वास्थ्य समस्या और सही खुराक जानने के लिए चिकित्सक की सलाह लेनी ज़रूरी है।

क्या गर्भावस्था में इसे ले सकती हूँ?

हाँ। गर्भावस्था और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान इसका सेवन पूरी तरह से सुरक्षित है। यह एक बल्क लेक्सेटिव है जो शरीर में अवशोषित नहीं होता और स्टूल के रास्ते शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। इसके सेवन से फ़ीटस पर कोई बुरा असर नहीं होता।

पतंजलि बादाम रोगन Divya Badam Rogan (Almond Oil) Uses, Benefits, Dosage in Hindi

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बादाम रोगन Badam Rogan (Almond Oil) in Hindi, आलमंड आयल, स्वीट अल्मोन्ड तेल, बादाम के तेल को कहते हैं। बादाम तेल को मीठे बादामों से कोल्ड प्रेस करके निकाला जाता है। यह सुनहरे पीले रंग का होता है और इसकी गंध बादामों की तरह की होती है। इसमें असंतृप्त फैटी एसिड की उच्च मात्रा होती है जो कुल वसा का 93% है।

बादाम का तेल अपने कई स्वास्थ्य लाभों के लिए चिकित्सीय रूप में उपयोग किया जाता है। इसमें स्नेहन, सूजन दूर करने के, प्रतिरक्षा-बूस्टिंग और एंटी-हेपेटोटोक्सिसिटी प्रभाव सहित कई गुण होते हैं। इसके आंतरिक सेवन से दिमाग और आंतो की ड्राईनेस दूर होती है। इसे कुछ मात्रा में पीने से इरीटेबल बोवेल सिंड्रोम के लक्षण कम होते हैं। इसका सेवन करने से शरीर में अचछा कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल) का स्तर बढ़ाता है, जबकि कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल) कम हो जाते हैं।

बादाम रोगन क्या होता है?

बादाम रोगन को स्वीट अल्मोन्ड (Prunus Amygdalus Dulcis) के कर्नल से प्राप्त किया जाता है। बादाम रोगन में फैटी एसिड, लिनोलिक एसिड का 30% तक होता है। उच्च लिनोलिक एसिड ट्रांस-एपिडर्मल वॉटर लॉस को कम करने में योगदान देता है, जिसके परिणामस्वरूप नमी प्रतिधारण बेहतर होता है जिससे जो त्वचा कोमल होती है।

  • इसे ड्राई स्किन की स्थिति जैसे सोरायसिस और एक्जिमा के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग त्वचा की रंगत और टोन में सुधार लाता है।
  • बादाम तेल में फोलिक एसिड, अल्फा टोकोफेरोल और जिंक पाए जाते हैं जो त्वचा विकारों के उपचार के लिए उपयोगी हैं । यह सदियों से प्रयोग किया जा रहा है।
  • इसे आंतरिक और बाह्य दोनों ही तरीकों से इस्तेमाल किया जाता है।
  • इसे लगाने से मांसपेशियाँ रिलैक्स होती हैं। कॉस्मेटिक रूप से इसमें चमड़ी की सफाई और मॉइस्चराइज़र करने के गुण होते हैं।

यह पेज बादाम रोगन के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

  • बादाम रोगन में मौजूद सामग्री क्या हैं?
  • बादाम रोगन के उपयोग upyog क्या हैं?
  • बादाम रोगन के फायदे faide क्या हैं?
  • बादाम रोगन के दुष्प्रभाव या नुकसान nuksan क्या हैं?
  • बादाम रोगन को कब नहीं लेते हैं?
  • बादाम रोगन के संभावित दवा interatcion क्या हैं?
  • बादाम रोगन से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?

Badam Rogan (Almond Oil) is Herbal medicine obtained from the cold pressed Almond kernals. It is edible and used both internally and externally. It is indicated in treatment of dry skin, chapped lips, blemishes, under eye dark circle, constipation, migraine etc. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: बादाम रोगन Badam Rogan, Almond Oil, Roghan Badam Shirin, Badam Oil, Sweet Almond Oil
  • निर्माता: पतंजलि
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • सक्रिय घटक: ओलेइक एसिड (ओमेगा 9), लिनोलिक एसिड (ओमेगा 6, एलए)
  • मुख्य उपयोग: बाह्य और आंतरिक उपयोग
  • मुख्य गुण: स्नेहन

बादाम रोगन में उपस्थित फैटी एसिड का प्रतिशत

  • ओलेइक एसिड 62 – 86%
  • लिनोलिक एसिड 20 – 30%
  • पाल्मेटिक एसिड 4-9%
  • स्टियरिक एसिड मैक्स 3%

बादाम रोगन के घटक Ingredients of Badam Rogan (Almond Oil)

बादाम का तेल

बादाम रोगन के लाभ/फ़ायदे Benefits of Badam Rogan (Almond Oil)

त्वचा के लिए फायदेमंद

  • बादाम तेल विटामिन ई का एक समृद्ध स्रोत है और त्वचा देखभाल उत्पादों के लिए उत्कृष्ट है।
  • बादाम रोगन को त्वचा पर लगाने से त्वचा मॉइस्चराइज़ होती है। इसमें मोनो और पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, खनिजों की में उच्च मात्रा है। साथ ही इसमें ग्लाइकोसाइड्स भी पाए जाते हैं।
  • यह कोशिकाओं के लिए ग्लिसरॉलव फैटी एसिड उपलब्ध कराता है जो सेल्स के सामान्य रूप से कार्य करने के लिए आवश्यक हैं।
  • बादाम रोगन में विटामिन ए, बी 1, बी 2, बी 6, विटामिन ई और डी भी होते हैं। इन विटामिन की मौजूदगी इसे एंटीऑक्सीडेंट गुण देती है।
  • एंटीऑक्सीडेंट होने से बादाम रोगन, मुक्त कणों को बेअसर करके महत्वपूर्ण सेल संरचनाओं की रक्षा करता है।

यदि आप एक चम्मच बादाम रोगन पीते हैं तो आपको करीब 2 मिलीग्राम विटामिन ई मिलती है। विटामिन ई वसा घुलनशील एंटीऑक्सीडेंट है, जिसे केवल खाद्य पूरक के रूप में ही प्राप्त किया जा सकता है। विटामिन ई झुर्रियों, न्यूरोलॉजिकल बीमारियों जैसे अल्जाइमर रोग और मधुमेह जैसी आंखों के विकार आदि के खिलाफ सुरक्षा देता है। विटामिन ई के सेवन से शरीर में फ्री रेडिकल के कारण होने वाली कोशिकाओं की क्षति से रक्षा करने में मदद मिलती है। विटामिन ई का टॉपिकल एप्लीकेशन त्वचा के पोषण और बालों के विकास में उपयोगी है।

त्वचा पर विटामिन ई लगाने से बहुत से त्वचा लाभ होते हैं । सोरायसिस, एरिथेमा, आदि विटामिन ई के प्रभाव से कम कहोते हैं। विटामिन ई , घावों के निशान और त्वचा पर खिंचाव के निशान को हल्का करता है।

एलर्जी और जलन की समस्या होने पर यह बहुत उपयोगी होता है, यह स्ट्रेच मार्क्स रोकता है और निप्पल की दरारों को ठीक करता है।

यदि चेहरे पर दाग धब्बे हो, झुर्रियां हो रही हो, ड्राई स्किन है तो इसका रेगुलर प्रयोग करके देखें। जिन लोगों का फेस ऑयली है उन्हें इसके इस्तेमाल में सावधानी रखनी चाहिए नहीं तो अकने ब्रेकआउट हो सकता है।

लिप्स का रखे ख्याल

बादाम के तेल से होंठों की मालिश करने से ब्लडका सर्कुलेशन ठीक से होता है और फटे होटों में आराम मिलता है। इसे आप रोजाना अपने लिप्स पर लगा सकते हैं। इसे लगाने से कोई भी नुकसाननहीं है अपितु यह होठों से पेट में जाता है तोभी बहुत लाभ होता है।

आँखों के नीचे काले घेरे में उपयोगी

  • यह आँखों के नीचे के काले घेरे को भी कम करता है।
  • इसे लगाने से त्वचा नरम, और रिलैक्स होती है।
  • सोने से पहले आँखों के नीचे बादाम के तेल से हलकी मालिश करनी चाहिए। ऐसा रोज करने से काले घेरे कम होते हैं।

बालों के लिए लाभकारी

  • इसे लगाने से क्षतिग्रस्त, शुष्क और संवेदनशील बालों में फायदा होता है।
  • बालों का झड़ना रुकता है और जड़ें मज़बूत होती हैं।
  • इससे स्कैल्प की मालिश करने से बालों का ड्राईनेस और रूसी की समस्या दूर होती है।

स्वास्थ्य के लिए उपयोगी

  • बादाम रोगन में एंटी-तनाव], एंटी-ऑक्सीडें], इम्यूनोस्टिमुलेंट],लिपिड कम करने के, और रेचक गुण होते हैं।
  • बादाम मस्तिष्क की शक्ति को संरक्षित करने, मांसपेशियों को मजबूत करने में बेहद फायदेमंद है।
  • इसके सेवन से तांबा, लौह और विटामिन मिलता है।
  • इसे सोने से पहले दूध में मिलाकर लेने से पेट ठीक से साफ़ होता है और आंतरिक रूक्षता दूर होती है।

माइग्रेन में लाभप्रद

  • माइग्रेन जिसे आधा शीशी, आधे सिर का दर्द भी कहते हैं, के शुरू होने की संभावना में इसका नस्य लेने से लाभ होता है।
  • इसकी कुछ बूँदें नाक में डाल कर कुछ देर लेते रहने से आराम मिलता है।
  • अगर माइग्रेन होता हो, तो इसका नस्य लेकर अँधेरे कमरे में लेट जाएँ।

बच्चों के लिए फायदेमंद

  • बादाम रोगन को आप बच्चों की मालिश में इस्तेमाल कर सकते हैं। आप इसे दूध में मिलाकर भी बच्चों को दे सकते हैं।
  • इससे उन्हें बादाम खाने जैसे लाभ मिलते हैं।
  • यह बच्चों में कब्ज़ की समस्या को दूर करता है और दूध की पौष्टिकता भी बढ़ाता है।
  • बादाम रोगन बच्चों के मस्तिष्क, स्किन, आँतों और पूरे स्वास्थ्य के लिए उत्तम है।

बादाम रोगन के चिकित्सीय उपयोग Uses of Badam Rogan (Almond Oil)

बादाम रोगन के अनेकों स्वास्थ्य लाभ है। जो लाभ बादामों को खाने से मिलते हैं वही बादाम के तेल को पीने से भी मिलते हैं। आप इसे त्वचा पर बाहरी रूप से लगा भी सकते हैं। इसे बालों में लगा सकते हैं और बच्चों की मालिश भी कर सकते हैं।

  • आंखों के नीचे काले घेरे Under eye dark circle
  • ऑयब्रो के लिए eyebrows
  • कब्ज Constipation
  • केश तेल Hair oil
  • चमकदार, स्वस्थ त्वचा Radiant, healthy skin
  • चेहरे के लिएFor face
  • तनाव Stress
  • तेज स्मृति Sharper memory
  • थकान Tiredness
  • दमकती त्वचा Glowing skin
  • प्रतिरक्षा में सुधार Improving immunity
  • फटी एड़ी Cracked heels
  • फटे हुए होठ Chapped lips
  • बाल झड़ना Hair fall
  • मजबूत हड्डियों  Stronger bones
  • मस्तिष्क और नसों को मजबूत करना Strengthening brain and nerves
  • मस्तिष्क कार्यों में सुधार Improving brain functions
  • माइग्रेन Migraine
  • मालिश के लिए  For massaging
  • रूखी त्वचा Dry skin
  • रूखे सूखे बाल Dull dry hair
  • रूसी Dandruff
  • शरीर की शक्ति में सुधार Improving body strength
  • स्वस्थ बाल Healthy hair

बादाम रोग़न कैसे इस्तेमाल करते हैं How to Use Badam Rogan (Almond Oil)

  • बादाम रोगन को वस्यक एक चम्मच की मात्रा में ले सकते हैं। इसे आप ऐसे ही या दूध में डाल कर पी सकते हैं। कब्ज़ रहती हो तो इसे सोने से पहले दूध में मिलाकर लेना चाहिए।
  • यह तेल स्वस्थ वसा में समृद्ध है और इसमें प्रोटीन, खनिज और विटामिन की अच्छी मात्रा होती है। इसके पौष्टिक गुणों के अलावा,इसमें औषधीय गुण भी होते हैं।
  • बच्चों को बड़ों को दी जाने वाली मात्रा की आधी मात्रा दे सकते हैं।
  • नाक और कान में ज़रूरत होने पर 2-3 बूँद ड्रॉपर की सहायता से डाल सकते हैं।

त्वचा के लिए

इसे लगाने के लिए बादाम तेल की कुछ बूंदे लें और सर्कुलर मोशन में त्वचा की मालिश करें। ऐसा कम से कम दिन में एक बार करें।

फटे लिप्स के लिए

कुछ बूंदे लेकर, हल्की मालिश करते हुए होठों पर लगा लें।

बालों के लिए

रात में सोने से पहले बादाम रोगन से बालों की जड़ों की सर्कुलर मोशन में मालिश करें। रात भर तेल को बालों में लगा रहने दें और अगले दिन धो दें। ऐसा हर बार बाल धोने से पहले करें जब तक बालों में इम्प्रोवमेंट नहीं हो जाए।

बादाम रोगन के साइड-इफेक्ट्स Side effects/ Contraindications

  • यह बहुत ही सेफ तेल है जिसे सदियों से इस्तेमाल किया जा रहा है।
  • इसके सेवन में किसी विशेष सावधानी की ज़रूरत नहीं है। आप इसे कम मात्रा में शिशु को भी दे सकते हैं।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या बादाम रोगन को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले सकते हैं।

बादाम रोगन को कितनी बार लेना है?

इसे दिन में 1 बार लेना चाहिए।

क्या बादाम रोगन सुरक्षित है?

हां।

बादाम रोगन के दुष्प्रभाव या नुकसान nuksan क्या हैं?

यह बहुत सेफ है, इसका कोई भी ज्ञात साइड इफ़ेक्ट नहीं है।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

नहीं।

क्या बादाम रोगन एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या बादाम रोगन लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है।

क्या मैं इसे गर्भावस्था के दौरान ले सकती हूँ?

हाँ।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

हाँ।

क्या इसे बच्चों को दे सकते हैं?

हाँ।

पतंजलि बादाम रोगन DIVYA BADAM ROGAN की कीमत क्या है?

दिव्य बादाम रोगन की 60 ml की कीमत Rs 150 है।

क्या पतंजलि आलमंड आयल और पतंजलि बादाम रोगन अलग उत्पाद हैं?

  • हाँ, बिलकुल। पतंजलि आलमंड आयल केवल और केवल बाह्य प्रयोग के लिए है। पतंजलि आलमंड आयल, एक हेयर आयल है जिसे बालों के लिए इस्तेमाल करते हैं।
  • बादाम रोघन, बादाम की गिरी को कोल्ड प्रेस करके निकाला जाता है और यह बादामों का तेल है। यह अन्य बीजों के तेल की तरह खाने योग्य है।

कृपया किसी भी तेल के आंतरिक प्रयोग से पहले, उत्पाद के लेबल पर पढ़ें कि क्या यह आंतरिक प्रयोग के लिए ठीक है या नहीं।

हमदर्द रोगन बादाम शिरीन Hamdard Roghan Badam Shirin (Almond Oil) Uses, Benefits, Dosage in Hindi

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हमदर्द रोगन बादाम शिरीन Hamdard Roghan Badam Shirin in Hindi, हमदर्द द्वारा निर्मित है और बहुत अच्छी क्वालिटी का बादाम तेल है।

यह स्थापित प्रक्रियाओं का उपयोग कर बेहतरीन गुणवत्ता वाले मीठे बादामों, Maghz Badam से बना है। हमदर्द रोगन बादाम शिरीन ने अपनी गुणवत्ता बनाई रखी है। यह कांच की शीशी में आता है और इसकी स्मेल स्वाद बादाम जैसी है।

यह 100 शुद्ध बादाम तेल हड्डियों को मजबूत बनाता है, शरीर की प्रतिरक्षा में वृद्धि करता है और मस्तिष्क की स्मृति को तेज करता है, –त्वचा को चमक प्रदान करता है और बालों के स्वास्थ्य में सुधार करता है।

रोगन बादाम शिरीन तनाव से राहत देता है, मस्तिष्क शक्ति को मजबूत करता है, कब्ज से राहत देता है, स्ट्रेस तनाव से लड़ता है और दिल के लिए अच्छा है। यह सर्दियों में शरीर को गर्म रखता है, त्वचा को पोषण देता है, शिशुओं के लिए मजबूत हड्डियों के निर्माण में प्रसवपूर्व और प्रसवबाद देखभाल में उपयोगी होता है।

यदि कमजोर प्रतिरक्षा, कमजोर स्मृति, रूखी बेजान त्वचा और बाल गिरने की समस्या से परेशान हैं।, तो इसका प्रयोग ज़रूर करके देखें।

हमदर्द रोगन बादाम शिरीन क्या है? What is Roghan Badam Shirin?

  • रोगन Roghan यूनानी चिकित्सा में तेल को कहते हैं। यह बादाम का तेल है इसलिए इसका नाम रोग़न बादाम है।
  • रोगन बादाम को स्वीट अल्मोन्ड (Prunus Amygdalus Dulcis) के कर्नल से प्राप्त किया जाता है। रोगन बादाम में फैटी एसिड, लिनोलिक एसिड का 30% तक होता है। उच्च लिनोलिक एसिड ट्रांस-एपिडर्मल वॉटर लॉस को कम करने में योगदान देता है, जिसके परिणामस्वरूप नमी प्रतिधारण बेहतर होता है जिससे जो त्वचा कोमल होती है।
  • इसे ड्राई स्किन की स्थिति जैसे सोरायसिस और एक्जिमा के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग त्वचा की रंगत और टोन में सुधार लाता है।
  • बादाम तेल में फोलिक एसिड, अल्फा टोकोफेरोल और जिंक पाए जाते हैं जो त्वचा विकारों के उपचार के लिए उपयोगी हैं । यह सदियों से प्रयोग किया जा रहा है।
  • इसे आंतरिक और बाह्य दोनों ही तरीकों से इस्तेमाल किया जाता है।
  • इसे लगाने से मांसपेशियाँ रिलैक्स होती हैं। कॉस्मेटिक रूप से इसमें चमड़ी की सफाई और मॉइस्चराइज़र करने के गुण होते हैं।

यह पेज रोगन बादाम के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

  • रोगन बादाम में मौजूद सामग्री क्या हैं?
  • रोगन बादाम के उपयोग upyog क्या हैं?
  • रोगन बादाम के फायदे faide क्या हैं?
  • रोगन बादाम के दुष्प्रभाव या नुकसान nuksan क्या हैं?
  • रोगन बादाम को कब नहीं लेते हैं?
  • रोगन बादाम के संभावित दवा interatcion क्या हैं?
  • रोगन बादाम से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?

Badam Rogan (Almond Oil) is Herbal medicine obtained from the cold pressed Almond kernels. It is edible and used both internally and externally. It is indicated in treatment of dry skin, chapped lips, blemishes, under eye dark circle, constipation, migraine etc. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: रोगन बादाम Badam Rogan, Almond Oil, Roghan Badam Shirin, Badam Oil, Sweet Almond Oil, Hamdard Roghan Badam Shirin Sweet Almond Oil
  • निर्माता: Hamdard
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • सक्रिय घटक: ओलेइक एसिड (ओमेगा 9), लिनोलिक एसिड (ओमेगा 6, एलए)
  • मुख्य उपयोग: बाह्य और आंतरिक उपयोग
  • मुख्य गुण: स्नेहन, ताकत देना

रोगन बादाम में उपस्थित फैटी एसिड का प्रतिशत

  • ओलेइक एसिड 62 – 86%
  • लिनोलिक एसिड 20 – 30%
  • पाल्मेटिक एसिड 4-9%
  • स्टियरिक एसिड मैक्स 3%

रोगन बादाम के घटक Ingredients of Badam Rogan (Almond Oil)

रोगन बादाम या बादाम की गिरी का तेल

रोगन बादाम शिरीन या आलमंड आयल, स्वीट अल्मोन्ड तेल, बादाम के तेल को कहते हैं। बादाम तेल को मीठे बादामों से कोल्ड प्रेस करके निकाला जाता है। यह सुनहरे पीले रंग का होता है और इसकी गंध बादामों की तरह की होती है। इसमें असंतृप्त फैटी एसिड की उच्च मात्रा होती है जो कुल वसा का 93% है।

रोगन बादाम के लाभ/फ़ायदे Benefits of Badam Rogan (Almond Oil)

रोगन बादाम, पूरे स्वास्थ्य और सौंदर्य के लिए फायदेमंद है। यह तेल चेहरे और बालों की देखभाल Roghan Badam Shirin in skin and hair care के लिए लोकप्रिय है। इसमें कई अन्य उपयोग भी हैं। रोशन बदाम शिरिन स्वाद, रंग और प्रभावकारिता में उत्कृष्ट है। बादाम का तेल अपने कई स्वास्थ्य लाभों के लिए चिकित्सीय रूप में उपयोग किया जाता है। इसमें स्नेहन, सूजन दूर करने के, प्रतिरक्षा-बूस्टिंग और एंटी-हेपेटोटोक्सिसिटी प्रभाव सहित कई गुण होते हैं। इसके आंतरिक सेवन से दिमाग और आंतो की ड्राईनेस दूर होती है। इसे कुछ मात्रा में पीने से इरीटेबल बोवेल सिंड्रोम के लक्षण कम होते हैं। इसका सेवन करने से शरीर में अचछा कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल) का स्तर बढ़ाता है, जबकि कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल) कम हो जाते हैं।

त्वचा के लिए फायदेमंद

  • बादाम तेल विटामिन ई का एक समृद्ध स्रोत है और त्वचा देखभाल उत्पादों के लिए उत्कृष्ट है।
  • रोगन बादाम को त्वचा पर लगाने से त्वचा मॉइस्चराइज़ होती है। इसमें मोनो और पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, खनिजों की में उच्च मात्रा है। साथ ही इसमें ग्लाइकोसाइड्स भी पाए जाते हैं।
  • यह कोशिकाओं के लिए ग्लिसरॉलव फैटी एसिड उपलब्ध कराता है जो सेल्स के सामान्य रूप से कार्य करने के लिए आवश्यक हैं।
  • रोगन बादाम में विटामिन ए, बी 1, बी 2, बी 6, विटामिन ई और डी भी होते हैं। इन विटामिन की मौजूदगी इसे एंटीऑक्सीडेंट गुण देती है।
  • एंटीऑक्सीडेंट होने से रोगन बादाम , मुक्त कणों को बेअसर करके महत्वपूर्ण सेल संरचनाओं की रक्षा करता है।

यदि आप एक चम्मच रोगन बादाम पीते हैं तो आपको करीब 2 मिलीग्राम विटामिन ई मिलती है। विटामिन ई वसा घुलनशील एंटीऑक्सीडेंट है, जिसे केवल खाद्य पूरक के रूप में ही प्राप्त किया जा सकता है। विटामिन ई झुर्रियों, न्यूरोलॉजिकल बीमारियों जैसे अल्जाइमर रोग और मधुमेह जैसी आंखों के विकार आदि के खिलाफ सुरक्षा देता है। विटामिन ई के सेवन से शरीर में फ्री रेडिकल के कारण होने वाली कोशिकाओं की क्षति से रक्षा करने में मदद मिलती है। विटामिन ई का टॉपिकल एप्लीकेशन त्वचा के पोषण और बालों के विकास में उपयोगी है।

  • त्वचा पर विटामिन ई लगाने से बहुत से त्वचा लाभ होते हैं । सोरायसिस, एरिथेमा, आदि विटामिन ई के प्रभाव से कम कहोते हैं। विटामिन ई , घावों के निशान और त्वचा पर खिंचाव के निशान को हल्का करता है।
  • एलर्जी और जलन की समस्या होने पर यह बहुत उपयोगी होता है, यह स्ट्रेच मार्क्स रोकता है और निप्पल की दरारों को ठीक करता है।
  • यदि चेहरे पर दाग धब्बे हो, झुर्रियां हो रही हो, ड्राई स्किन है तो इसका रेगुलर प्रयोग करके देखें। जिन लोगों का फेस ऑयली है उन्हें इसके इस्तेमाल में सावधानी रखनी चाहिए नहीं तो अकने ब्रेकआउट हो सकता है।

लिप्स का रखे ख्याल

बादाम के तेल से होंठों की मालिश करने से ब्लडका सर्कुलेशन ठीक से होता है और फटे होटों में आराम मिलता है। इसे आप रोजाना अपने लिप्स पर लगा सकते हैं। इसे लगाने से कोई भी नुकसाननहीं है अपितु यह होठों से पेट में जाता है तोभी बहुत लाभ होता है।

आँखों के नीचे काले घेरे में उपयोगी

  • यह आँखों के नीचे के काले घेरे को भी कम करता है।
  • इसे लगाने से त्वचा नरम, और रिलैक्स होती है।
  • सोने से पहले आँखों के नीचे बादाम के तेल से हलकी मालिश करनी चाहिए। ऐसा रोज करने से काले घेरे कम होते हैं।

बालों के लिए लाभकारी

  • इसे लगाने से क्षतिग्रस्त, शुष्क और संवेदनशील बालों में फायदा होता है।
  • बालों का झड़ना रुकता है और जड़ें मज़बूत होती हैं।
  • इससे स्कैल्प की मालिश करने से बालों का ड्राईनेस और रूसी की समस्या दूर होती है।

स्वास्थ्य के लिए उपयोगी

  • रोगन बादाम में एंटी-तनाव], एंटी-ऑक्सीडें], इम्यूनोस्टिमुलेंट],लिपिड कम करने के, और रेचक गुण होते हैं।
  • बादाम मस्तिष्क की शक्ति को संरक्षित करने, मांसपेशियों को मजबूत करने में बेहद फायदेमंद है।
  • इसके सेवन से तांबा, लौह और विटामिन मिलता है।
  • इसे सोने से पहले दूध में मिलाकर लेने से पेट ठीक से साफ़ होता है और आंतरिक रूक्षता दूर होती है।

माइग्रेन में लाभप्रद

  • माइग्रेन जिसे आधा शीशी, आधे सिर का दर्द भी कहते हैं, के शुरू होने की संभावना में इसका नस्य लेने से लाभ होता है।
  • इसकी कुछ बूँदें नाक में डाल कर कुछ देर लेते रहने से आराम मिलता है।
  • अगर माइग्रेन होता हो, तो इसका नस्य लेकर अँधेरे कमरे में लेट जाएँ।

बच्चों के लिए फायदेमंद

  • रोगन बादाम को आप बच्चों की मालिश में इस्तेमाल कर सकते हैं। आप इसे दूध में मिलाकर भी बच्चों को दे सकते हैं।
  • इससे उन्हें बादाम खाने जैसे लाभ मिलते हैं।
  • यह बच्चों में कब्ज़ की समस्या को दूर करता है और दूध की पौष्टिकता भी बढ़ाता है।
  • रोगन बादाम बच्चों के मस्तिष्क, स्किन, आँतों और पूरे स्वास्थ्य के लिए उत्तम है।

रोगन बादाम के चिकित्सीय उपयोग Uses of Badam Rogan (Almond Oil)

रोगन बादाम के अनेकों स्वास्थ्य लाभ है। जो लाभ बादामों को खाने से मिलते हैं वही बादाम के तेल को पीने से भी मिलते हैं। आप इसे त्वचा पर बाहरी रूप से लगा भी सकते हैं। इसे बालों में लगा सकते हैं और बच्चों की मालिश भी कर सकते हैं।

  • आंखों के नीचे काले घेरे Under eye dark circles
  • ऑयब्रो के लिए eyebrows
  • कब्ज Constipation
  • केश तेल Hair oil
  • चमकदार, स्वस्थ त्वचा Radiant, healthy skin
  • चेहरे के लिएFor face
  • तनाव Stress
  • तेज स्मृति Sharper memory
  • थकान Tiredness
  • दमकती त्वचा Glowing skin
  • प्रतिरक्षा में सुधार Improving immunity
  • फटी एड़ी Cracked heels
  • फटे हुए होठ Chapped lips
  • बाल झड़ना Hair fall
  • मजबूत हड्डियों  Stronger bones
  • मस्तिष्क और नसों को मजबूत करना Strengthening brain and nerves
  • मस्तिष्क कार्यों में सुधार Improving brain functions
  • माइग्रेन Migraine
  • मालिश के लिए  For massaging
  • रूखी त्वचा Dry skin
  • रूखे सूखे बाल Dull dry hair
  • रूसी Dandruff
  • शरीर की शक्ति में सुधार Improving body strength
  • स्वस्थ बाल Healthy hair

बादाम रोग़न कैसे इस्तेमाल करते हैं How to Use Badam Rogan (Almond Oil)

  • रोगन बादाम को वस्यक एक चम्मच की मात्रा में ले सकते हैं। इसे आप ऐसे ही या दूध में डाल कर पी सकते हैं। कब्ज़ रहती हो तो इसे सोने से पहले दूध में मिलाकर लेना चाहिए।
  • यह तेल स्वस्थ वसा में समृद्ध है और इसमें प्रोटीन, खनिज और विटामिन की अच्छी मात्रा होती है। इसके पौष्टिक गुणों के अलावा,इसमें औषधीय गुण भी होते हैं।
  • बच्चों को बड़ों को दी जाने वाली मात्रा की आधी मात्रा दे सकते हैं।
  • नाक और कान में ज़रूरत होने पर 2-3 बूँद ड्रॉपर की सहायता से डाल सकते हैं।

त्वचा के लिए

इसे लगाने के लिए बादाम तेल की कुछ बूंदे लें और सर्कुलर मोशन में त्वचा की मालिश करें। ऐसा कम से कम दिन में एक बार करें।

फटे लिप्स के लिए

कुछ बूंदे लेकर, हल्की मालिश करते हुए होठों पर लगा लें।

बालों के लिए

रात में सोने से पहले रोगन बादाम से बालों की जड़ों की सर्कुलर मोशन में मालिश करें। रात भर तेल को बालों में लगा रहने दें और अगले दिन धो दें। ऐसा हर बार बाल धोने से पहले करें जब तक बालों में इम्प्रोवमेंट नहीं हो जाए।

रोगन बादाम के साइड-इफेक्ट्स Side effects/ Contraindications

यह बहुत ही सेफ तेल है जिसे सदियों से इस्तेमाल किया जा रहा है।

इसके सेवन में किसी विशेष सावधानी की ज़रूरत नहीं है। आप इसे कम मात्रा में शिशु को भी दे सकते हैं।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या रोगन बादाम को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले सकते हैं।

रोगन बादाम को कितनी बार लेना है?

इसे दिन में 1 बार लेना चाहिए।

क्या रोगन बादाम सुरक्षित है?

हां।

रोगन बादाम के दुष्प्रभाव या नुकसान nuksan क्या हैं?

यह बहुत सेफ है, इसका कोई भी ज्ञात साइड इफ़ेक्ट नहीं है।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

नहीं।

क्या रोगन बादाम एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या रोगन बादाम लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है।

क्या मैं इसे गर्भावस्था के दौरान ले सकती हूँ?

हाँ।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

हाँ।

क्या इसे बच्चों को दे सकते हैं?

हाँ।

हमदर्द रोग़न बादाम शिरीन का प्राइस क्या है?

  • ROGHAN BADAM SHIRIN OIL 25ML Price MRP Rs 103.00
  • ROGHAN BADAM SHIRIN OIL 50ML Price MRPRs 197.00
  • ROGHAN BADAM SHIRIN OIL 100ML Price MRP Rs 378.00

हमदर्द डायाबीट कैप्सूल Hamdard Diabeat Capsule Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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हमदर्द निर्मित डायाबीट कैप्सूल Hamdard Diabeat Capsulein Hindi डायबिटीज के लिए हर्बल दवाई है। यह दवा डायबिटीज में शुगर लेवल को कण्ट्रोल करती है। यह बहुत अधिक प्यास लगना, भूख लगना, अधिक पेशाब आना आदि लक्षणों में लाभ करती है। यह एंटीऑक्सीडेंट है और सेल्स को फ्री सेल डैमेज से बचाती है। इस औषध के सभी घटक हर्बल होने से यह लम्बे समय तक लेने के लिए सुरक्षित है

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। मार्किट में इसी तरह के फोर्मुले की अन्य फार्मसियों द्वारा निर्मित दवाएं उपलब्ध हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

यह पेज हमदर्द डायाबीट कैप्सूल के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

  • हमदर्द डायाबीट कैप्सूल में मौजूद सामग्री क्या हैं?
  • हमदर्द डायाबीट कैप्सूल के उपयोग upyog क्या हैं?
  • हमदर्द डायाबीट कैप्सूल के फायदे faide क्या हैं?
  • हमदर्द डायाबीट कैप्सूल के दुष्प्रभाव या नुकसान nuksan क्या हैं?
  • हमदर्द डायाबीट कैप्सूल को कब नहीं लेते हैं?
  • हमदर्द डायाबीट कैप्सूल के संभावित दवा interaction क्या हैं?
  • हमदर्द डायाबीट कैप्सूल से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?

Diabeat Capsule (Hamdard) is Herbal Ayurvedic medicine. It is indicated in management of diabetes. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: हमदर्द डायाबीट कैप्सूल Hamdard Diabeat Capsule
  • निर्माता: हमदर्द
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: डायबिटीज management of diabetes
  • मुख्य गुण: ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करना
  • दवा का अनुपान: गुनगुना जल
  • दवा को लेने का उचित समय: सुबह खाली पेट और शाम को भोजन से आधा – एक घंटे पहले
  • मूल्य MRP:1 Packet of 60 capsules MRP ₹ 102.00

हमदर्द डायाबीट कैप्सूल के घटक Ingredients of Diabeat Capsule

प्रत्येक कैप्सूल में शामिल हैं: –

  • तुखम-ए-कलोंजी (निगेल सातिवा ) 240.0 मिलीग्राम
  • तुखम-ए-मेथी (ट्राइगोनेला फीनम ग्राइकम ) 120.0 मिलीग्राम
  • तुखम-ए-कासनी (सिचोरियम इंटिबस) 120.0 मिलीग्राम
  • नेब नीम (अज़ादिरिक्ता इंडिका) 20.0 मिलीग्राम

कलोंजी Nigella sativa

निगेला सतिवा या कलोंजी (फैमिली रानुनकुलेसीए) दुनिया भर में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला औषधीय पौधा है। । इसे यूनानी और तिब्ब, आयुर्वेद और सिद्ध में दवाओं को बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इस पौधे के अधिकांश चिकित्सकीय गुण थाइमोक्विनोन की उपस्थिति के कारण हैं जो इसमें मौजूद आवश्यक तेल का प्रमुख बायोएक्टिव घटक है। सबसे महत्वपूर्ण सक्रिय यौगिक थाइमोक्विनोन (30% -48%), थाइमोहाइड्रोक्विनोन, डिथिमोक्विनोन, पी-सीमेन (7% -15%), कारवाक्रोल (6% -12%), 4-टेरपीनॉल (2% -7%), टी-एनेथोल (1% -4%), सेक्वाइटरपीन लांगिफोलिन (1% -8%) α-pinene और thymol आदि हैं ।

कलोंजी में एंटीडाइबेटिक, एंटीहाइपरर्टेन्सिव, इम्यूनोमोडालेटर, एनाल्जेसिक, एंटी-इंफ्लैमेटरी, स्पास्मोलाइटिक, ब्रोंकोडाइलेटर, हेपेटो-सुरक्षात्मक, गुर्दे सुरक्षात्मक, गैस्ट्रो-सुरक्षात्मक, एंटीऑक्सीडेंट गुण, यकृत टॉनिक, मूत्रवर्धक, पाचन, एंटी-डायरियल, भूख उत्तेजक, एनाल्जेसिक, एंटी-बैक्टीरिया आदि गुण हैं।

कलोंजी को श्वसन प्रणाली, पाचन तंत्र, गुर्दे और यकृत फंक्शन, कार्डियो संवहनी प्रणाली और प्रतिरक्षा प्रणाली के समर्थन के साथ-साथ अन्य विभिन्न प्रकार के विकारों, बीमारियों के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है। मधुमेह टाइप 2 वाले व्यक्तियों और ग्लूकोज असहिष्णुता वाले लोगों में इसका अत्यधिक चिकित्सकीय लाभ हो सकता है क्योंकि यह इंसुलिन के ग्लूकोज-प्रेरित स्राव को बढ़ाता है और आंतों के श्लेष्म से ग्लूकोज अवशोषण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है ।

नीम Neem Azadirachta indica

  • नीम, आयुर्वेद में सर्वरोगनिवारिण औषधि है। कड़वे स्वाद के कारण यह रक्त दोषों और मधुमेह में विशेष रूप से लाभप्रद है।
  • नीम, रस में तिक्त है। गुण में लघु-रूक्ष है। तासीर में यह शीतल और कटु विपाक है। कर्म में यह ज्वरघ्न, पित्तहर, ग्राही और रक्तदोषहर है।
  • यह सूजन को दूर करने वाली और बुखार की अत्यंत अच्छी दवाई है।

मेथी Methi Trigonella foenum

  • मेथी के दाने का मधुमेह में प्रयोग सर्विदित है। मेथी के दानों को कफ रोगों, दूध क स्राव को बढ़ाने के लिए, और कोलाइटिस, हर्निया, बुखार, उल्टी, और ब्रोंकाइटिस के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
  • मेथी रस में तिक्त है। गुण में स्निग्ध है। तासीर में यह उष्ण और कटु विपाक है। कर्म में यह वातहर, कफहर, दीपन और रुच्य है।

हमदर्द डायाबीट कैप्सूल के लाभ/फ़ायदे Benefits of Diabeat Capsule

  • यह हर्बल दवाई है।
  • यह एंटीऑक्सीडेंट है।
  • यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करती है।
  • यह इन्सुलिन के प्रति रेसिस्टेंट को कम करती है।
  • यह इन्सुलिन के स्राव को बढ़ाती है।
  • यह आँतों से ग्लूकोस के अवशोषण को देर से होने देती है।

हमदर्द डायाबीट कैप्सूल के चिकित्सीय उपयोग Uses of Diabeat Capsule

यह दवा शर्करा के स्तर के बेहतर नियंत्रण और मधुमेह की जटिलताओं की संभावना को कम करने के लिए मधुमेह में प्रयोग की जाती है।

डायाबीट को निम्न में प्रयोग करते हैं:

  • मधुमेह
  • कोलेस्ट्रॉल और लिपिड्स का बढ़ा स्तर
  • मधुमेह से सम्बंधित परेशानियाँ

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Diabeat Capsule

  • 2 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे पानी के साथ लें।
  • इसे भोजन से 1 घंटे पहले लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

हमदर्द डायाबीट कैप्सूल के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • उचित खुराक उपयोगकर्ता की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। उचित खुराक निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है।
  • इस दवा के सेवन के दौरान ब्लड शुगर लेवल की बराबर जांच करते रहें।
  • इसे आप एलोपैथी की दवा के सेवन के दौरान भी ले सकते हैं।
  • जब शर्करा स्तर नियंत्रित हो जाए अलोपथिक दवा की मात्रा कम कर दें। दवा का काम ब्लड शुगर को कम करना है, इसलिए इसका सेवन केवल निर्धारित मात्रा में ही करें।
  • दवा के सेवन के दौरान कृपया नियमित ब्लड शुगर की जांच करें। यदि यह आपको सूट करे तो निश्चित ही इसे लें। लेकिन यदि इसके सेवन से आपको किसी भी प्रकार की दिक्कत हो, ब्लड शुगर घटने के बजाये बढ़ जाए तो इसे न लें।

हमदर्द डायाबीट कैप्सूल के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।

हमदर्द डायाबीट कैप्सूल को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • गर्भावस्था में किसी भी दवा का सेवन बिना डॉक्टर की सलाह के न करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या हमदर्द डायाबीट कैप्सूल को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं।

हमदर्द डायाबीट कैप्सूल को कितनी बार लेना है?

  • इसे दिन में 2 बार लेना चाहिए।
  • इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।

क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?

दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।

क्या हमदर्द डायाबीट कैप्सूल सुरक्षित है?

हां, सिफारिश की खुराक में लेने के लिए सुरक्षित है।

हमदर्द डायाबीट कैप्सूल का मुख्य संकेत क्या है?

डायबिटीज।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

नहीं।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

आप इसे कई महीने के लिए ले सकते हैं।

हमदर्द डायाबीट कैप्सूल लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन के पहले लिया जाना चाहिए। दैनिक रूप से एक ही समय पर लेने की कोशिश करें।

क्या हमदर्द डायाबीट कैप्सूल एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या हमदर्द डायाबीट कैप्सूल लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

हाँ।

क्या मैं इसे गर्भावस्था के दौरान ले सकती हूँ?

बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लें।

क्या केवल इस दवा को खाने से शुगर कण्ट्रोल हो जाएगा?

  • नहीं। केवल दवा को खा कर शुगर कण्ट्रोल करना कठिन है।
  • डायबिटीज में दवा के सेवन के साथ जीवनशैली / लाइफस्टाइल में ज़रूरी परिवर्तन लायें।
  • ताज़े फल खाएं, नॉन-स्टार्ची भोजन करें। भोजन बहुत ज्यादा न करें।
  • रोजाना सैर पर जाएँ। व्यायाम करें। खुश रहें।

ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त Dhootapapeshwar Brahmi Vati Suvarnayukta Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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श्री धूतपापेश्वर लिमिटेड निर्मित ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त Brahmi Vati Suvarnayukta in Hindi एक आयुर्वेदिक स्वर्णकल्प है जो मेद्य रसयान है। इस दवा का मुख्य संकेत चिंता, मानसिक तनाव और थकान है। यह मस्तिष्क शक्ति और ताकत में सुधार करने के लिए भी फायदेमंद है। यह संवेदी और मोटर अंगों की क्षमता में सुधार करती है और ब्रेन पॉवर और स्मृति को बढ़ावा देती है। यह मस्तिष्क के लिए टॉनिक है। यह आक्षेप, बेहोशी और नसों की कमजोरी में फायदेमंद है।

यह स्वर्ण युक्त दवा है। इसमें स्वर्ण भस्म डाली जाती है जो इसके रसायन गुण को और बढ़ा देती है। ब्राह्मी वटी , सुवर्ण भस्म के साथ ब्रह्मी, शंखपुष्पि, वच, जटामांसी आदि का संयोजन है। यह उत्कृष्ट मस्तिष्क टॉनिक है और मस्तिष्क कोशिकाओं को पोषण देती है। यह मस्तिष्क से संबंधित समस्याओं के प्रबंधन में मदद करती है। यह तनाव से मुक्त होने और तनाव से संबंधित विकारों से निपटने में भी मदद करती है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। मार्किट में इसी तरह के फोर्मुले की अन्य फार्मसियों द्वारा निर्मित दवाएं उपलब्ध हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

इस दवा को चिकित्सा पर्यवेक्षण के तहत प्रयोग करें।

यह पेज ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

  • ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त में मौजूद सामग्री क्या हैं?
  • ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त के उपयोग upyog क्या हैं?
  • ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त के फायदे faide क्या हैं?
  • ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त के दुष्प्रभाव या नुकसान nuksan क्या हैं?
  • ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त को कब नहीं लेते हैं?
  • ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त के संभावित दवा interaction क्या हैं?
  • ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?

Brahmi Vati Suvarnayukta (Shree Dhootapapeshwar Ltd) is Herbomineral Ayurvedic medicine. It is Suvarnakalpa with excellent Medhya, Mastishka Balya and Rasayan action. It is indicated in treatment of stress diseases, memory disturbance and promote capacity of sensory as well as motor organs, intelligence and memory. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त Brahmi Vati Suvarnayukta
  • निर्माता: श्री धूतपापेश्वर लिमिटेड
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: स्वर्ण कल्प
  • मुख्य उपयोग: मानसिक तनाव और थकान
  • मुख्य गुण: एंग्जायटी और रक्तचाप कम करना, शरीर को बल देना
  • दोष इफ़ेक्ट: त्रिदोषहर

मूल्य MRP:

  • 1 Packet of 10 tablet at MRP ₹ 374
  • 1 Packet of 30 tablet at MRP MRP ₹ 1071

ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त के घटक Ingredients of Brahmi Vati Suvarnayukta

Each tablet contains

  • स्वर्ण भस्म Suvarna Bhasma 1.5 mg
  • ब्राह्मी Brahmi 100 mg
  • वच Vacha 50 mg
  • शंखपुष्पि Shankhapushpi 50 mg
  • गिलोय Guduchi 25 mg
  • जटामांसी Jatamansi 25 mg
  • भावना Bhavana – Brahmi, Shankapushpi, Jatamansi, Guduchi

जाने प्रमुख द्रव्यों को

स्वर्ण भस्म

सुवर्ण, कनक, हेम, हाटकं, ब्रह्मकंचन, चामिकरा, शतकुम्भ, तपनीय, रुक्कम जाबूनद हिरण्य, सुरल, व जातरूपकम आदि सभी सोने अर्थात स्वर्ण के नाम हैं।

स्वर्ण की भस्म में सोना बहुत ही सूक्ष्म रूप में (नैनो मीटर 10-9) विभक्त होता है। इसके अतिरिक्त इसके शोधन और मारण में बहुत सी वनस्पतियाँ प्रयोग की जाती हैं। इन कारणों से स्वर्ण की भस्म शरीर की कोशिकायों में सरलता से प्रवेश कर जाती हैं और इस प्रकार यह शरीर का हिस्सा बन जाती हैं।

आयुर्वेद में स्वर्ण भस्म का विशेष स्थान है। यह शारीरिक और मानसिक शक्ति में सुधार करने वाली औषध है। यह हृदय और मस्तिष्क को विशेष रूप से बल देने वाली है। आयुर्वेद में हृदय रोगों और मस्तिष्क की निर्बलता में स्वर्ण भस्म को सर्वोत्तम माना गया है।

स्वर्ण भस्म आयुष्य है और बुढ़ापे को दूर करती है। यह भय, शोक, चिंता, मानसिक क्षोभ के कारण हुई वातिक दुर्बलता को दूर करती है। स्वर्ण भस्म को बल (शारीरिक, मानसिक, यौन) बढ़ाने के लिए एक टॉनिक की तरह दिया जाता रहा है। यह रसायन, बल्य, ओजवर्धक, और जीर्ण व्याधि को दूर करने में उपयोगी है। स्वर्ण भस्म का सेवन पुराने रोगों को दूर करता है। यह जीर्ण ज्वर, खांसी, दमा, मूत्र विकार, अनिद्रा, कमजोर पाचन, मांसपेशियों की कमजोरी, तपेदिक, प्रमेह, रक्ताल्पता, सूजन, अपस्मार, त्वचा रोग, सामान्य दुर्बलता, अस्थमा समेत अनेक रोगों में उपयोगी है।

शंखपुष्पि

  • आयुर्वेद में शंखपुष्पि Convolvulus pluricaulis दवा की तरह पूरे पौधे को प्रयोग करते हैं।
  • शंखपुष्पि उन्माद, पागलपण और अनिद्रा को दूर करने वाली औषध है। यह स्ट्रेस, एंग्जायटी, मानसिक रोग और मानसिक कमजोरी को दूर करती है। शंखपुष्पि एक ब्रेन टॉनिक है।
  • रस: कटु, तिक्त, काषाय
  • वीर्य: शीतल
  • विपाक: कटु
  • गुण: सार
  • दोष पर प्रभाव: कफ-पित्त कम करना
  • शंखपुष्पि पित्तहर, कफहर, रसायन, मेद्य, बल्य, मोहनाशक और आयुष्य है। यह मानसरोगों और अपस्मार के इलाज में प्रयोग की जाने वाली वनस्पति है।

ब्राह्मी / बाकोपा मोनोरिए Bacopa monniera

ब्राह्मी स्वाद में कड़वी, गुण में लघु है। स्वभाव से यह शीत है और मधुर विपाक है। वीर्य का अर्थ होता है, वह शक्ति जिससे द्रव्य काम करता है। आचार्यों ने इसे मुख्य रूप से दो ही प्रकार का माना है, उष्ण या शीत। शीत वीर्य औषधि के सेवन से मन प्रसन्न होता है। यह जीवनीय होती हैं। यह स्तम्भनकारक और रक्त तथा पित्त को साफ़ / निर्मल करने वाली होती हैं।

  • रस (taste on tongue): कड़वी, मधुर
  • गुण (Pharmacological Action): लघु
  • वीर्य (Potency): शीत
  • विपाक (transformed state after digestion): मधुर
  • दोष: त्रिदोष संतुलित करना

विपाक का अर्थ है जठराग्नि के संयोग से पाचन के समय उत्पन्न रस। इस प्रकार पदार्थ के पाचन के बाद जो रस बना वह पदार्थ का विपाक है। शरीर के पाचक रस जब पदार्थ से मिलते हैं तो उसमें कई परिवर्तन आते है और पूरी पची अवस्था में जब द्रव्य का सार और मल अलग हो जाते है, और जो रस बनता है, वही रस उसका विपाक है। मधुर विपाक, भारी, मल-मूत्र को साफ़ करने वाला होता है। यह कफ या चिकनाई का पोषक है। शरीर में शुक्र धातु, जिसमें पुरुष का वीर्य और स्त्री का आर्तव आता को बढ़ाता है। इसके सेवन से शरीर में निर्माण होते हैं।

ब्राह्मी विशेष रूप से दिमाग के लिए फायदेमंद है। यह एक नर्वस टॉनिक, शामक, कायाकल्प, एंटीकनवेल्सेट और सूजन दूर करने वाली औषध है। आयुर्वेद में, ब्राह्मी को भावनात्मक तनाव, मानसिक थकान, स्मृति का नुकसान, और वात विकार को कम करने के लिए दिया जाता है। यह मस्तिष्क के कार्यों, स्मृति और सीखने को बढ़ावा देती है यह मिर्गी, दौरे, क्रोध, चिंता और उन्माद में लाभप्रद है।

वच

  • वच को कैलमस रूट, स्वीट फ्लैग, उग्रगंध आदि नामों से जानते हैं। इसका लैटिन नाम एकोरस कैलमस Acorus
  • calamus है। वच का शाब्दिक अर्थ है बोलना, और यह हर्ब कंठ के लिए अच्छी है।
  • रस: कटु, तिक्त, काषाय
  • वीर्य: उष्ण
  • विपाक: कटु
  • गुण: लघु, रूक्ष
  • दोष पर प्रभाव: कफ-पित्त कम करना, पित्त बढ़ाना
  • वच दीपन, पाचन, लेखन, प्रमाथि, कृमिनाशक, उन्मादनाशक, अपस्मारघ्न, और विरेचक है। यह मस्तिष्क के लिए रसायन है और शिरोविरेचन है।
  • वच को गर्भावस्था में प्रयोग करने का निषेध है।

दवा के औषधीय कर्म

  • आयुष्य: जीवनीय
  • उन्मादहर: उन्माद / पागलपन को दूर करना।
  • निद्राजनन: नींद लाने वाला। sedative
  • प्रजनाशक्तिवर्धन: मेद्य को बढ़ाना।
  • बल्य: ताकत देना।
  • मज्जाधातु रसायन: नसों के लिए लाभदायक।
  • मनोरोग्घ्न: मानसिक रोगों को दूर करना। Alleviates mental diseases
  • मेद्य: बुद्धिवर्धक intellect-promoting
  • वातहर: वायु को संतुलित करना।
  • हृदय: हृदय के लिए लाभकारी।

ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त के लाभ/फ़ायदे Benefits of Brahmi Vati Suvarnayukta

  • इसका प्रयोग शरीर में ठंडक देता है।
  • यह आवाज़ सम्बन्धी दोषों को दूर करती है।
  • यह नेत्रों के लिए हितकर है।
  • यह प्राकृतिक है और इस्तेमाल करने के लिए सुरक्षित है।
  • यह बेहोशी, दौरे पड़ना, मसों की कमजोरी में लाभप्रद दवा है।
  • यह मस्तिष्क के लिए टॉनिक है।
  • यह मानसिक थकावट को कम करती है।
  • यह मासिक सम्बन्धी दिक्कतों में लाभ करती है।
  • यह याददाश्त को बढ़ाती है।
  • यह यौन कमजोरी को दूर करती है।
  • यह वात, पित्त, और कफ को संतुलित करती है और त्रिदोषनाशक है।
  • यह वीर्य दोष को दूर करती है।
  • यह स्वरभंग, हकलेपन और बोलने की दिक्कतों को दूर करती है।

ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त के चिकित्सीय उपयोग Uses of Brahmi Vati Suvarnayukta

  • अनिद्रा
  • अल्जाइमर
  • अवसाद, तनाव
  • उन्माद Unmada (Mania/Psychosis)
  • भूलने की बिमारी
  • मनोदशा Manodosha (Mental disorder)
  • मानस रोग (Mental disorders)
  • मानसिक थकान
  • मानसिक विकार
  • मिर्गी Apasmara (Epilepsy)
  • सिर में दर्द
  • स्मरण शक्ति की कमी

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Brahmi Vati Suvarnayukta

  • 1-2 गोली, दिन में दो बार या तीन बार लें अथवा रुग्णावस्था के अनुसार लें।
  • इसे शहद, दूध, सरस्वतारिष्ट अथवा पानी के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • उचित खुराक उपयोगकर्ता की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। उचित खुराक निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है।
  • ध्यान रखें कि प्राकृतिक उत्पाद हमेशा सुरक्षित हों ऐसा जरूरी नहीं हैं।
  • इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह के आधार पर 1 से 2 महीने तक किया जा सकता है।
  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • इस औषधि को केवल विशिष्ट समय अवधि के लिए निर्धारित खुराक में लें।
  • इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।

साइड-इफेक्ट्स Side effects

निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।

कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • इसमें वच है जिसे प्रेगनेंसी में नहीं लिया जाता।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले तो सकते हैं। लेकिन इस से हो सकता है कि दोनों ही दवाएं काम नहीं करें। इसलिए, दवा के असर को देखना ज़रूरी है।

ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त को कितनी बार लेना है?

  • इसे दिन में 2 बार / 3 बार लेना चाहिए।
  • इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।

क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?

दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।

क्या ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त सुरक्षित है?

हां, सिफारिश की खुराक में लेने के लिए सुरक्षित है।

ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त का मुख्य संकेत क्या है?

उन्माद, अपस्मार, भ्रम, आक्षेप, मनोदुर्बल्या, अनिद्रा, स्मुतिमंद्य, मानसिक तनाव, चिंता और थकान।

ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?

त्रिदोषहर।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

हाँ, यह एक स्वर्णकलप है ।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

आप इसे 1-2 महीने के लिए ले सकते हैं।

ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन के बाद लिया जाना चाहिए एक ही समय में दैनिक रूप में लेने की कोशिश करें।

क्या ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे गर्भावस्था के दौरान ले सकती हूँ?

नहीं।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

हाँ।

क्या इसे बच्चों को दे सकते हैं?

सही स्वास्थ्य समस्या और सही खुराक जानने के लिए चिकित्सक की सलाह लें।

इस दवा को चिकित्सा पर्यवेक्षण के तहत प्रयोग करें।


संजीवनी वटी Sanjivani Vati Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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संजीवनी वटी Sanjivani Vati in Hindi आयुर्वेद की एक क्लासिकल आयुर्वेदिक दवा है जिसका वर्णन शारंगधर संहिता  में दिया गया है। संजीवनी वटी में लाइफ सेविंग गुण है। संजीवनी का अर्थ है ही है जीवन देने वाली। यह शरीर में विष के प्रभाव को कम करती है और विभिन्न रोगों के लिए जिम्मेदार आम दोष को भी दूर करती है।

संजीवनी वटी में दीपन, पाचन, ज्वरघ्न, कफघ्न, अनुलोमन, विषघ्न और कृमिघ्न गुण हैं। यह वात और कफ को कम करती है और इसलिए दोनों के बढ़ जाने के कारण होने वाले विकारों में लाभप्रद है। इस दवा में स्वेदजनन गुण है और यह बुखार में उपयोगी है। इस दवा का मुख्य संकेत है, बुखार, टाइफाइड, विसुचिका (गैस्ट्रोएंटेरिटिस), गुल्म और सांप काटना। यह सामान्य सर्दी, अपचन, पेट में दर्द, कीड़ा उपद्रव और खांसी में भी फायदेमंद है।

संजीवनी वटी में दस औषधीय जड़ी-बूटियां हैं जैसे त्रिफला, विडंग, सोंठ, पिप्पली, वच, गुडुची, वत्सनाभ और भल्लाटक। इन जड़ी-बूटियों को गोमूत्र की मदद से मिश्रित किया जाता है और आद्रका स्वरस (अदरक का रस) के साथ टेबलेट (गोलियाँ) के रूप में बना लिया जाता है।

संजीवनी वटी Sanjiwani vati में प्रयुक्त जड़ी बूटी शरीर विषाक्त पदार्थों को हटाने में मदद करते हैं। इसके अलावा, वाचा, पिपाली, शुन्थी, भल्लाटकक शरीर में पसीने का कारण बनता है जो इस दवा को बुखार का इलाज करने में मदद करता है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

यह पेज संजीवनी वटी के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

  • संजीवनी वटी में मौजूद सामग्री क्या हैं?
  • संजीवनी वटी के उपयोग upyog क्या हैं?
  • संजीवनी वटी के फायदे faide क्या हैं?
  • संजीवनी वटी के दुष्प्रभाव या नुकसान nuksan क्या हैं?
  • संजीवनी वटी को कब नहीं लेते हैं?
  • संजीवनी वटी के संभावित दवा interaction क्या हैं?
  • संजीवनी वटी से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?

Sanjivani Vati is Herbal Ayurvedic medicine. It is indicated in treatment of Jwar (Fever), Visuchika (Gastroenteritis), Gulma, snake bite, common cold, indigestion, stomach ache, worm infestation and cough. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: संजीवनी वटी Sanjivani Vati, Sanjivani Guti, Sanjivani Vati, Sanjeevani Vati, Sanjiwani Vati
  • निर्माता: Baidyanath, Patanjali Divya Pharmacy
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल दवा जिसमें वत्सनाभ और भल्लाटक है
  • मुख्य उपयोग: बुखार
  • मुख्य गुण: विषघ्न, आमपाचन, कृमिघ्न, स्वेदन
  • दोष इफ़ेक्ट: वात-कफ कम करना
  • गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं

संजीवनी वटी के घटक Ingredients of Sanjivani Vati

  • विडंग Vidanga (Fr.) 1 Part
  • सोंठ Nagara (Shunthi) (Rz.) 1 Part
  • पिप्पली Krishna (Pippali) (Fr.) 1 Part
  • हरीतकी Pathya (Haritaki) (P.) 1 Part
  • आंवला Amala (Amalaki) (P.) 1 Part
  • विभितकी Bibhitaka (P.) 1 Part
  • बच Vacha (Rz.) 1 Part
  • गिलोय Guduchi (St.) 1 Part
  • भल्लाटक Bhallataka- Shuddha (Fr.) 1 Part
  • वत्सनाभ Visha (Vatsanabha) – Shuddha (Rt.Tr.) 1 Part
  • गौमूत्र Gomutra Q.S. for mardana

भल्लाटक सेमेकरपस एनाकार्डियम

  • भल्लाटक, अनला, भल्ली, वीरा वृक्ष, अग्नि वक्रता, अरुस्करा, अरुस्का, तपना, अग्नि मुखी और धनु आदि सेमेकरपस अनाकार्डियम के संस्कृत नाम हैं। भल्लाटक में शरीर ऊतकों में गहराई से प्रवेश करने की क्षमता है। इससे भूख बढ़ जाती है और कमजोर पाचन के कारण परिस्थितियों का इलाज होता है। यह वात और कफ को कम करता है।
  • भल्लाटक स्वाद और विपाक में तेज है। यह शक्ति में गर्म है और कृमि (परजीवी संक्रमण), उदर रोग (उत्तेजना सहित पेट की बीमारियों), अनाहा (कब्ज), सोफ (एडीमा) पाइल्स , वात-पित्त रोग, अग्निमंद्य (पाचन की शक्ति कम होना), आम दोष , बुखार और गुल्म (ट्यूमर) आदि में दवा की तरह बहुत ही कम मात्रा में शुद्ध करने के बाद प्रयोग किया जाता है।
  • भल्लाटक गर्भावस्था के दौरान और अधिक पित्त होने के दौरान अत्यधिक गर्मी, छोटे बच्चों, बुजुर्गों में contraindicated है।
  • भल्लाटक, एलर्जी का कारण बन सकता है। यह खुजली, जलन, अतिरिक्त प्यास और मूत्र में कमी का कारण बन सकता है।
  • भल्लाटक लेते समय इसे सभी मसालों, गर्मी और पित्त बढाने वाले भोजन को नहीं खाने की सलाह दी जाती है।

वत्सनाभ

वत्सनाभ भा या अकोनाइट जीनस एकोनिटम के कई प्रजातियों को संदर्भित करता है। अकोनाइट पौधों की जड़ों बेहद जहरीले होती हैं। उनके डिटॉक्सिफिकेशन के बाद आयुर्वेद में बुखार, रूमेटोइड गठिया, कटिस्नायुशूल और उच्च रक्तचाप जैसी विभिन्न बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल करते हैं।

शोधन एल्कालोइड सामग्री को कम कर देता है।आयुर्वेद में उल्लिखित शोधित वत्तनभा की चिकित्सीय खुराक 8 मिलीग्राम से 16 मिलीग्राम / दिन है। वत्सनाभ प्रजातियां जहरीले प्रभाव डालती हैं और उच्च खुराक में कार्डियोटॉक्सिक और न्यूरोटॉक्सिक हो सकती है। वत्सनाभ के पारंपरिक आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशनकी अधिकता हाइपोटेंशन, ब्रैडकार्डिया या बिडरेक्शनल टैचिर्डिया कर सकता है।

सोंठ या शुंठी

अदरक का सूखा रूप सोंठ या शुंठी कहलाता है। सोंठ को भोजन में मसले की तरह और दवा, दोनों की ही तरह प्रयोग किया जाता है। सोंठ का प्रयोग आयुर्वेद में प्राचीन समय से पाचन और सांस के रोगों में किया जाता रहा है। इसमें एंटी-एलर्जी, वमनरोधी, सूजन दूर करने के, एंटीऑक्सिडेंट, एन्टीप्लेटलेट, ज्वरनाशक, एंटीसेप्टिक, कासरोधक, हृदय, पाचन, और ब्लड शुगर को कम करने गुण हैं।

पिप्पली

पिप्पली उत्तेजक, वातहर, विरेचक है तथा खांसी, स्वर बैठना, दमा, अपच, में पक्षाघात आदि में उपयोगी है। यह तासीर में गर्म है। पिप्पली पाउडर शहद के साथ खांसी, अस्थमा, स्वर बैठना, हिचकी और अनिद्रा के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। यह एक टॉनिक है।

विडंग

विडंग (एम्बेलिका राइब्स) का औषधीय प्रयोग प्राचीन शास्त्रीय ग्रंथों में वर्णित है। इसका प्रयोग चरक, सुश्रुत, वाग्भट्ट ने इसे कई रोगों में चिकित्सीय रूप से प्रयोग किया। लेकिन मुख्य रूप से यह एक कृमिघ्न है। यह पाचन, कृमिघ्न, रेचक है।

Vidang / Embelia एस्केसीडल (राउंड वर्म को मारता है), कार्मिनेटिव, एंटीबायोटिक, हाइपोग्लाइसेमिक गुण भी हैं। यह आंत्र परजीवी के उपचार के लिए आयुर्वेद में प्रयुक्त मुख्य जड़ीबूटी है। यह पेट विकार, कब्ज, गैस, अपच, बवासीर आदि में उपयोगी है। विरेचन गुण होने से है यह कब्ज़, पाइल्स, भगंदर एन उपयोगी है।

वायविडंग Embelia Ribes कृमि रोग, मेदवृद्धि तथा कफ रोगों में विशेष रूप से उपयोगी है। यह अनुलोमन, एंटीबैक्टीरियल, कृमिनाशक, और एंटीबायोटिक है। यह आयुर्वेद में पेट के कीड़ों के लिए प्रयोग की जाने वाली प्रमुख वनस्पति है। यह पेट के सभी रोगों, कब्ज़, अफारा, अपच, पाइल्स आदि में उपयोगी है।

प्रधान कर्म

  • अनुलोमन: द्रव्य जो मल व् दोषों को पाक करके, मल के बंधाव को ढीला कर दोष मल बाहर निकाल दे।
  • कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
  • वातहर: द्रव्य जो वातदोष निवारक हो।
  • पित्तकर: द्रव्य जो पित्त को बढ़ाये।
  • छेदन: द्रव्य जो श्वास नलिका, फुफ्फुस, कंठ से लगे मलको बलपूर्वक निकाल दे।
  • दीपन: द्रव्य जो जठराग्नि तो बढ़ाये लेकिन आम को न पचाए।
  • पाचन: द्रव्य जो आम को पचाता हो लेकिन जठराग्नि को न बढ़ाये।
  • ढीला कर दोष मल बाहर निकाल दे।
  • अमानाशक: टॉसिन या अमा को नष्ट करता है।

संजीवनी वटी के लाभ/फ़ायदे Benefits of Sanjivani Vati

  • यह आमवात नाशक है।
  • यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
  • यह वात-कफ को कम करती है।
  • कफ कम करने के गुण के कारण इसे खांसी, जुखाम, जकड़न आदि में प्रयोग किया जाता है।
  • इसके सेवन से पित्त स्राव बढ़ता है और पाचन सही करता है।
  • यह भूख न लगना, जी मिचलाना, पाचन की कमजोरी, अजीर्ण में लाभ देती है।
  • इसके सेवन से गुल्म, वस्तिरोग, तिल्ली के रोग, अर्श, आनाह, मलबंध आदि में लाभ होता है।

संजीवनी वटी के चिकित्सीय उपयोग Uses of Sanjivani Vati

  • गुल्म Abdominal lump (Gulma)
  • अजीर्ण Ajirna (Dyspepsia)
  • कफ रोग Cold, cough, flu
  • गैस्ट्रोएंटेरिटिस Digestive gastroenteritis
  • बुखार Fever associated with indigestion
  • सन्निपात बुखार High fever due to vitiation of all doshas
  • अपच Indigestion
  • सांप काटना Sarpadansha (Snake bite)
  • विषैले जीवों का काटना Snake bite and other poisons
  • टाइफाइड Typhoid
  • विशुचिका Vishuchi (Gastro-enteritis with piercing pain)

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Sanjivani Vati

  • 1-2 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे अदरक के जूस या गर्म पानी के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

संजीवनी वटी के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • उचित खुराक उपयोगकर्ता की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। उचित खुराक निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है।
  • ध्यान रखें कि प्राकृतिक उत्पाद हमेशा सुरक्षित हों ऐसा जरूरी नहीं हैं।
  • इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह के आधार पर 1 से 2 महीने तक किया जा सकता है।
  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • इस औषधि को केवल विशिष्ट समय अवधि के लिए निर्धारित खुराक में लें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • यह हमेशा ध्यान रखें की जिन दवाओं में भल्लाटक, वत्सनाभ जैसी जड़ी बूटियाँ होती हैं, उन दवाओं का सेवन लम्बे समय तक नहीं किया जाता। इसके अतिरिक्त इन्हें डॉक्टर के देख-रेख में बताई गई मात्रा और उपचार की अवधि तक ही लेना चाहिए।
  • यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।

संजीवनी वटी के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।

संजीवनी वटी को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। इसका सेवन गर्भावस्था में न करें।
  • जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, वे इसका सेवन न करें।
  • शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है bleeding disorder, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

उपलब्धता

  • इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
  • बैद्यनाथ Baidyanath Sanjivani Vati
  • झंडू Zandu Sanjivani Vati
  • पतंजलि Patanjali Divya Pharmacy Sanjivani Vati
  • तथा अन्य बहुत सी फर्मसियाँ।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या संजीवनी वटी को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले तो सकते हैं। लेकिन इस से हो सकता है कि दोनों ही दवाएं काम नहीं करें। इसलिए, दवा के असर को देखना ज़रूरी है।

संजीवनी वटी को कितनी बार लेना है?

  • इसे दिन में 2 बार बार लेना चाहिए।
  • इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।

क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?

दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।

क्या संजीवनी वटी सुरक्षित है?

हां, सिफारिश की खुराक में लेने के लिए सुरक्षित है।

संजीवनी वटी का मुख्य संकेत क्या है?

बुखार।

संजीवनी वटी का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?

  • वात कम करना।
  • पित्त वृद्धि करना।
  • कफ कम करना।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

नहीं।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

आप इसे 1-2 महीने के लिए ले सकते हैं।

संजीवनी वटी लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन के बाद लिया जाना चाहिए एक ही समय में दैनिक रूप में लेने की कोशिश करें।

क्या संजीवनी वटी एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या संजीवनी वटी लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है। पीरियड्स के दौरान नहीं लें, अगर आपको रक्तस्राव पैटर्न पर कोई प्रभाव महसूस होता है।

क्या मैं इसे गर्भावस्था के दौरान ले सकती हूँ?

नहीं।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

हाँ।

क्या इसे बच्चों को दे सकते हैं?

नहीं।

पतंजलि गंगाधर चूर्ण Patanjali Gangadhar Churna Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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पतंजलि गंगाधर चूर्ण Patanjali Gangadhar Churna in Hindi में एंटीडाइरियल, जीवाणुरोधी और डिटॉक्सिफिकेशन गुण हैं तथा इस हर्बल आयुर्वेदिक चूर्ण को दस्त, डिसेंट्री, मालअब्सोर्बशन सिंड्रोम में दिया जाता है। यह एक  शास्त्रीय आयुर्वेदिक दवा है जिसमें बराबर की मात्रा में मोथा, इंद्रजौ, बेलगिरी, लोध्र, मोचरस और धातकी है। इस चूर्ण का सेवन शरीर से सूक्ष्म जीवों और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल देता है। यह अम्लता के संतुलन को फिर से स्थापित करता है और पाचन एंजाइमों को उत्तेजित करता है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

यह पेज पतंजलि गंगाधर चूर्ण के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

  • पतंजलि गंगाधर चूर्ण में मौजूद सामग्री क्या हैं?
  • पतंजलि गंगाधर चूर्ण के उपयोग upyog क्या हैं?
  • पतंजलि गंगाधर चूर्ण के फायदे faide क्या हैं?
  • पतंजलि गंगाधर चूर्ण के दुष्प्रभाव या नुकसान nuksan क्या हैं?
  • पतंजलि गंगाधर चूर्ण को कब नहीं लेते हैं?
  • पतंजलि गंगाधर चूर्ण के संभावित दवा interaction क्या हैं?
  • पतंजलि गंगाधर चूर्ण से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?

Patanjali Gangadhar Churna is Herbal Ayurvedic medicine. It is indicated in treatment of diarrhoea, dysentery and malabsorption syndrome. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: पतंजलि गंगाधर चूर्ण Patanjali Gangadhar Churna
  • निर्माता: पतंजलि दिव्य फार्मेसी
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: पेट खराब होना
  • मुख्य गुण: एंटीडाईरियल
  • दोष इफ़ेक्ट: वात कम करना, पित्त वर्धक
  • मूल्य MRP: Patanjali Divya Gangadhar Churna 50 gram @ Rs 23

पतंजलि गंगाधर चूर्ण के घटक Ingredients of Patanjali Gangadhar Churna

  • नागरमोथा Cyperus rotundus 1 part
  • इंद्रजौ Holarrhena antidysenterica 1 part
  • बेल गिरी Aegle marmelos 1 part
  • लोध्र Symplocos racemosa 1 part
  • मोचरस Shalmali Exdute Extract of Bombax malabaricum 1 part
  • धाय फूल  Woodfordia fruticosa 1 part

नागरमोथा

भद्रमुस्टा, नट ग्रास, आमोद, नागरमोथा को आयुर्वेद में बहुत सी दवाओं के निर्माण में प्रयोग किया जाता है। यह सूजन दूर करने वाला, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीडाइरियल और डाइयुरेटिक है।

बेल

बेल, का धार्मिक और औषधीय महत्व है। इसके पत्तों को पूजन में प्रयोग करते हैं। बेल का वृक्ष ऊँचा होता हैं और इसके फल का बाहरी आवरण बहुत कठोर होता है। बेल की छाल या जड़ को आयुर्वेद में बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है यह दशमूल की बृहत् पंचमूल का हिस्सा है इसलिए जहाँ भी दशमूल पड़ता है वहां बेल का प्रयोग किया जाता है।

बेल को दो प्रकार का माना जाता है जंगली जिसके फल छोटे होते हैं और बड़े फल जो उगाया जाता है। दवा की तरह जंगली फलों का प्रयोग किया जाता है। बेल का कच्चा फल आँतों और पेट के लिए बहुत लाभप्रद है। यह कब्ज़ को दूर करता है, और आंतों की कार्यक्षमता को बढ़ाता है। यह भूक को ठीक करता है और शरीर को बल देता है। बेल का कच्चा फल, पुराने पेचिश, अल्सरेटिव कोलाइटिस, हैजे, पेचिश, पेट के कीड़ों, और आँतों को ताकत देने वाला है।

कच्ची बेल की गिरी, सोंठ, नागरमोथा, धनिया, खस को समान मात्रा लेकर काढा बनाकर पीने से पतले दस्त ठीक होते हैं।

इंद्रजौ

कुटज, गिरीमालिका, कलिंग, वत्सका, इंद्रयव, कुरुच, कूड़े आदि होलीरीना एंटीडायसेंट्रिका के नाम है। इसके बीज, छाल और बीजों को दवाई की तरह से प्रयोग किया जाता है। यह संकोचक, कृमिनाशक, अमीबा नष्ट करने वाला, मूत्रवर्धक और अतिसार नाशक है। इसे मुख्य रूप से दस्त, पेचिश, आंव में इस्तेमाल किया जाता है। कुटुज इम्यून सिस्टम को उत्तेजित करता है।

प्रधान कर्म

  • अतिसाराघ्न: Antidiarrheal
  • कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
  • दीपन: द्रव्य जो जठराग्नि तो बढ़ाये लेकिन आम को न पचाए।
  • शीतल: स्तंभक, ठंडा, सुखप्रद है, और प्यास, मूर्छा, पसीना आदि को दूर करता है।
  • शोथहर: द्रव्य जो शोथ / शरीर में सूजन, को दूर करे।

पतंजलि गंगाधर चूर्ण के लाभ/फ़ायदे Benefits of Patanjali Gangadhar Churna

  • यह पाचन और अवशोषण को सही करता है।
  • यह भूख में सुधार करता है।
  • इसेक सेवन से अतिसार और पेचिश रुकती है।
  • यह शरीर से दूषित पदार्थों को नष्ट करता है।

पतंजलि गंगाधर चूर्ण के चिकित्सीय उपयोग Uses of Patanjali Gangadhar Churna

  • दस्त Atisara (Diarrhoea)
  • पेचिश Pravahika (Dysentery)
  • अल्सेरेटिव कोलाइटिस Ulcerative colitis
  • मॉलअब्सोर्बशन सिंड्रोम Malabsorption syndrome

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Patanjali Gangadhar Churna

  • 1-3 ग्राम दिन में तीन बार लें।
  • इसे छाछ, पानी के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के पहले लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

पतंजलि गंगाधर चूर्ण के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • उचित खुराक उपयोगकर्ता की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। उचित खुराक निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है।
  • इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह के आधार पर 2 से 4 महीने तक किया जा सकता है।
  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

पतंजलि गंगाधर चूर्ण के साइड-इफेक्ट्स Side effects

निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।

पतंजलि गंगाधर चूर्ण को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या पतंजलि गंगाधर चूर्ण को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले सकते हैं।

पतंजलि गंगाधर चूर्ण को कितनी बार लेना है?

  • इसे दिन में 2 बार / 3 बार लेना चाहिए।
  • इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।

क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?

दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।

क्या पतंजलि गंगाधर चूर्ण सुरक्षित है?

हां, सिफारिश की खुराक में लेने के लिए सुरक्षित है।

पतंजलि गंगाधर चूर्ण का मुख्य संकेत क्या है?

दस्त, पेचिश, आँतों के रोग आदि।

पतंजलि गंगाधर चूर्ण का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?

  • वात कम करना।
  • पित्त वृद्धि करना।
  • कफ कम करना।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

नहीं।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

आप इसे 2-4 महीने के लिए ले सकते हैं।

पतंजलि गंगाधर चूर्ण लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन के पहले लिया जाना चाहिए एक ही समय में दैनिक रूप में लेने की कोशिश करें।

क्या पतंजलि गंगाधर चूर्ण एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या पतंजलि गंगाधर चूर्ण लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे गर्भावस्था के दौरान ले सकती हूँ?

डॉक्टर से सलाह लें।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

हाँ।

क्या इसे बच्चों को दे सकते हैं?

7 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए, आप इस दवा को कम मात्रा में दे सकते हैं। लेकिन सही स्वास्थ्य समस्या और सही खुराक जानने के लिए चिकित्सक की सलाह लेनी ज़रूरी है।

दवा की बोतल खोलने के बाद इसे कितने दिन में प्रयोग कर लें?

  • इसे जल्दी से जल्दी इस्तेमाल करना सही रहता है।
  • दवा को गंदे हाथों से नहीं छुएं।

दिव्य पुत्रजीवक बीज Patanjali Putrajeevak Beej Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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पुत्रजीवक बीज Patanjali Putrajeevak Beej in Hindi, बांझपन और गर्भाशय से संबंधित समस्याओं के लिए फायदेमंद है। पुत्रजीवक और शिवलिंगी के बीज को नियमित रूप से लेने पर तो बांझपन और शिशुहीनता के कारणों का इलाज किया जाता है। Putrjeevak Beej और Shivlingi Beej के बीज का पाउडर लें 1-1 ग्राम या 1/4 चम्मच की मात्रा में, गाय के दूध के साथ खाली पेट लिया जाता है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं।

यह पेज पुत्रजीवक बीज के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

  • पुत्रजीवक बीज में मौजूद सामग्री क्या हैं?
  • पुत्रजीवक बीज के उपयोग upyog क्या हैं?
  • पुत्रजीवक बीज के फायदे faide क्या हैं?
  • पुत्रजीवक बीज के दुष्प्रभाव या नुकसान nuksan क्या हैं?
  • पुत्रजीवक बीज को कब नहीं लेते हैं?
  • पुत्रजीवक बीज के संभावित दवा interaction क्या हैं?
  • पुत्रजीवक बीज से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?

Patanjali Putrajeevak Beej is Herbal Ayurvedic medicine. It is indicated in treatment of infertility. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: पुत्रजीवक बीज Patanjali Putrajeevak Beej, Divya Putrajeevak Beej
  • निर्माता: पतंजलि दिव्य फार्मेसी
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: ताकत देना और बच्चा ठहरने में लाभप्रद
  • मुख्य गुण: गर्भाशय की मांसपेशियों को मजबूत करना
  • दोष इफ़ेक्ट:वात-पित्त कम करना
  • मूल्य MRP: DIVYA PUTRAJEEVAK BEEJ 250 grams Price Rs 75

पुत्रजीवक बीज के घटक Ingredients of Patanjali Putrajeevak Beej

पुत्रजीवक के बीज, जिसका वानस्पतिक नाम Putranjiva Roxburghii है। इसे आम बोलचाल की भाषा में Putrajeevak, Putranjiva, Jiyopota, Jivaputrak, Putranjivah, Putrajivah, आदि नामों से जानते हैं।

यह वनस्पति भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया आदि देशों में पायी जाती है।

आयुर्वेदिक गुण और कर्म

पुत्रजीवक रस में कटु, लवण, तथा गुण में रूक्ष और गुरु है। यह शीत वीर्य और मधुर विपाक है। इसमें गर्भस्थापक, वात कफहर, विषघ्न, शोथाघ्न और तृषाहर गुण हैं।

  • रस (taste on tongue): कटु, लवण
  • गुण (Pharmacological Action): गुरु, रुक्ष
  • वीर्य (Potency): शीत
  • विपाक (transformed state after digestion): मधुर
  • कर्म: गर्भस्थापक, वात कफहर, विषघ्न, शोथाघ्न और तृषाहर गुण

पुत्रजीवक बीज के लाभ/फ़ायदे Benefits of Patanjali Putrajeevak Beej

  • इसका विशेष प्रभाव प्रजनन अंगों पर होता है। यदि पुरुष इसका सेवन करते हैं तो शुक्राणुओं की गिनती और गुणवत्ता में सुधार होता है।
  • इसके सेवन से रोजोविकर/मासिक धर्म menstrual disorders के विकारों में लाभ होता है।
  • इसके सेवन से शरीर में सूजन दूर होती है।
  • इससे गर्भाशय की कमजोरी दूर होती है ।
  • बार बार गर्भपात होता हो तो इसे अश्वगंधा पाउडर और मिश्री के साथ, लेकर देखना चाहिए।
  • यह इनफर्टिलिटी infertility में लाभप्रद है।
  • यह एक गर्भाशय की टॉनिक uterine tonic है और गर्भाशय को बल देती है।
  • यह प्रजनन प्रणाली के अंगों के स्वास्थ्य में सुधार करता है।
  • यह महिला बांझपन उपचार के लिए लाभप्रद है।

दवा के औषधीय कर्म

  • आक्षेपनाशक: Antispasmodic अनैच्छिक पेशी की ऐंठन से राहत देना
  • एंटीइन्फ्लेमेटरी: Anti-inflammatory सूजन को कम करना
  • एनाल्जेसिक: Analgesic दर्द में राहत
  • गर्भस्थापना: जो गर्भ की स्थापना में मदद करे।
  • गर्भाशय टॉनिक: गर्भाशय को ताकत देना।
  • रक्तस्तंभक: Styptic
  • रसायन: द्रव्य जो शरीर की बीमारियों से रक्षा करे और वृद्धवस्था को दूर रखे।
  • वातहर: द्रव्य जो वातदोष निवारक हो।

पुत्रजीवक बीज के चिकित्सीय उपयोग Uses of Patanjali Putrajeevak Beej

  • अज्ञात में शुक्रपात spermatorrhoea
  • ओलिगोस्पर्मिया oligospermia
  • कब्ज़ Constipation
  • कोल्ड cold
  • पेशाब में जलन Dysuria (painful or difficult urination)
  • प्रजनन अंगों के विकार Diseases of female genital organs
  • बच्चा होने की संभावना बढ़ाने के लिए Improves chances of conception
  • बहुत प्यास लगना Excessive thirst
  • बार बार गर्भपात होना Recurrent miscarriages
  • बुखार fever
  • योनि से आसामान्य स्राव Abnormal discharge from vagina
  • वाजीकरण Aphrodisiac (improves sexual desire)
  • शरीर में जलन Burning sensation
  • शुक्र में समस्या Semen disorders
  • सफ़ेद पानी की समस्या leucorrhoea
  • स्त्री बांझपन Female Infertility
  • स्पर्म समस्या Male infertility related to sperms

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Patanjali Putrajeevak Beej

  • पुत्रजीवक बीज को पीस लें कर एयर टाइट कंटेनर में रख लें।
  • 3-6 ग्राम, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे दूध के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के पहले लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

पुत्रजीवक बीज के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • इसके सेवन के दौरान गर्म तासीर का भोजन, बाहर का भोजन, अधिक तेल, खटाई, मिर्च, मसाले, बाहर की चाट आदि का सेवन नहीं करें।
  • उचित खुराक उपयोगकर्ता की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। उचित खुराक निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है।
  • इसका इस्तेमाल 6-7 महीने तक किया जा सकता है।
  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

पुत्रजीवक बीज के साइड-इफेक्ट्स Side effects

निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।

पुत्रजीवक बीज को कब प्रयोग न करें Contraindications

इसके लिए कोई ज्ञात contraindications नहीं है।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या पुत्रजीवक बीज को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं।

पुत्रजीवक बीज को कितनी बार लेना है?

  • इसे दिन में 2 बार लेना चाहिए।
  • इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।

क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?

दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।

क्या पुत्रजीवक बीज सुरक्षित है?

हां, सिफारिश की खुराक में लेने के लिए सुरक्षित है।

पुत्रजीवक बीज का मुख्य संकेत क्या है?

इनफर्टिलिटी।

पुत्रजीवक बीज का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?

  • वात कम करना ।
  • पित्त कम करना ।
  • कफ वृद्धि करना।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

नहीं।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

आप इसे 6-7 महीने या जब तक ज़रूरत लगे, के लिए ले सकते हैं।

पुत्रजीवक बीज लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन खाली पेट सुबह और भोजन से एक घंटे पहले या भोजन के 3 घंटे बाद रात को लेना चाहिए। इसे एक ही समय में दैनिक रूप में लेने की कोशिश करें।

क्या पुत्रजीवक बीज एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या पुत्रजीवक बीज लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

हाँ।

यह किस प्रकृति के व्यक्तियों के लिए उपयुक्त नहीं है?

यह तासीर में ठंडा है जिससे यह कफ प्रकृति के लिए अधिक उपयुक्त नहीं है। जिन व्यक्तियों में वायु या पित्त दोष बढ़ा हुआ होता है यह उनके लिए अधिक उपयोगी है।

क्या पुत्रजीवक बीज से एलर्जी होती है?

नहीं।

शिवलिंगी बीज Patanjali Shivlingi Beej Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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शिवलिंगी बीज Patanjali Shivlingi Beej in Hindi, एक पौधे से प्राप्त होते हैं जिसका वानस्पतिक नाम ब्रायनोप्सिस लैसिनीसा (डिप्लोसिक्लोस पाल्माटस) Bryonopsis laciniosa (Syn Diplocyclos palmatus) है और इन्हें पीस कर पाउडर बना कर मुख्य रूप से स्त्रियों में बाँझपन के उपचार में प्रयोग करते हैं।

आयुर्वेद में शिवलिंगी को कई अन्य नामों जैसे लिंगिनी, लिंगिका, ईशलिंगी, शिवलिंगी और शिवलिंगी के रूप में जाना जाता है और औषधीय रूप से प्रयोग किया जाता है। शिवलिंगी बीज को मुख्य रूप से स्त्रियों की प्रजनन क्षमता और गर्भधारण की संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए उपयोग किया जाता हैं। गर्भधारण के लिए यह बहुत मूल्यवान दवा है।  शिवलिंगी बीजों का मुख्य संकेत महिलाओं की प्रजनन संबंधी विकारों के लिए है।

जिन महिलाओं के बच्चा नहीं हो पा रहा, उन्हें पुत्रजीवक बीज और शिवलिंगी बीज, दोनों को पीस लेना चाहिए और रख लेना चाहिए। दोनों पाउडर को रोजाना एक ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के सुबह कुछ भी खाने से पहले लेना चाहिए। इसके साथ ही फल घृत, एक चम्मच की मात्रा में लेना चाहिए। कुछ महिलाओं को इनके साथ ही दिव्य रसायन वटी की दो गोली और चन्द्रप्रभा वटी की दो गोली दिन में दो बार लेने की सलाह भी दी जाती है। साथ ही प्राणायाम और व्यायाम भी किया जाना चाहिए।

यह पेज शिवलिंगी बीज के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

  • शिवलिंगी बीज में मौजूद सामग्री क्या हैं?
  • शिवलिंगी बीज के उपयोग upyog क्या हैं?
  • शिवलिंगी बीज के फायदे faide क्या हैं?
  • शिवलिंगी बीज के दुष्प्रभाव या नुकसान nuksan क्या हैं?
  • शिवलिंगी बीज को कब नहीं लेते हैं?
  • शिवलिंगी बीज के संभावित दवा interaction क्या हैं?
  • शिवलिंगी बीज से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?

Shivlingi Beej is Herbal Ayurvedic medicine containing Shivlingi Seeds. These seeds are obtained from a plant and used for improving chances of conception.

Shivlingi Beej is indicated in treatment of infertility. For increasing chances of conception, promoting fertility in wome, give 1 gram powder of Shivlingi beej + 1 gram powder of Putrajivak giri with milk of mulching cow having a calf daily early morning before eating anything. Also take 1 spoon Phala Ghrita. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: शिवलिंगी बीज Patanjali Shivlingi Beej
  • निर्माता: पतंजलि
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: बच्चा ठहरने में लाभप्रद
  • मुख्य गुण: गर्भाशय की मांसपेशियों को मजबूत करना
  • दोष पर प्रभाव: कफ कम करना, पित्त बढ़ाना
  • अंग पर प्रभाव: गर्भाशय, अंडाशय, और वृषण
  • मुख्य संकेत: बांझपन

मूल्य MRP:

DIVYA SHIVLINGI BEEJ 100 gram @ Rs 180

शिवलिंगी बीज के घटक Ingredients of Patanjali Shivlingi Beej

शिवलिंगी बीज, वानस्पतिक नाम ब्रायनोप्सिस लैसिनीसा (डिप्लोसिक्लोस पाल्माटस) Bryonopsis laciniosa (Syn। Diplocyclos palmatus)

शिवलिंगी बीज के लाभ/फ़ायदे Benefits of Patanjali Shivlingi Beej

  • इसका सेवन सूजन दूर करता है।
  • इसके सेवन से कब्ज़ की समस्या में भी लाभ होता है। इसमें वाटर सोलुब्ल फाइबर होता है जो आँतों से स्टूल को आसानी से आगे बढ़ने में सहयोग करता है। ।
  • इसके सेवन से टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ता है।
  • इसके सेवन से पीरियड ठीक तरीके से आते हैं।
  • इसके सेवन से पीरियड्स से जुड़ी प्रॉब्लम दूर होती है।
  • इसमें रोगाणुरोधी और एंटीफंगल गुण है।
  • इसमें वाजीकारक गुण है।
  • पुरुषों द्वारा इसका सेवन करने पर, यह प्रजनन अंगों के सही काम करने मे मदद करता है।
  • यह ओवरी से अंडाणु के निकलने की संभावना को बढ़ाता है।
  • यह कफ दोष को कम करता है।
  • यह खून में लिपिड के लेवल को कम करता है।
  • यह गर्भाशय को साफ़ करता है, सूजन दूर करता है, कफ को कम करता है, डिम्बग्रंथि कार्यों में सुधार और हार्मोन असंतुलन सुधारता है, और इन गुणों के कारण यह बच्चा ठहरने की संभावना को बढ़ाता है।
  • यह गर्भाशय टॉनिक है।
  • यह बुखार में शरीर के तापमान को करने में मदद करता है।
  • यह यौन ऊर्जा को बढ़ाता है।
  • यह शरीर में मर्दाना ताकत बढ़ाता है।
  • यह स्पर्म काउंट को बढ़ाता है।
  • शिवलिंगी के बीजों के सेवन से प्रजनन क्षमता बढ़ती है।

आयुर्वेदिक गुण

  • रस (taste on tongue): कटु/तीखा, तिक्त/कड़वा
  • गुण (Pharmacological Action): लघु/हल्का, रुक्ष/सुखाने वाला, तीक्ष्ण
  • वीर्य (Potency): उष्ण / गर्मी बढ़ाने वाला
  • विपाक (transformed state after digestion): कटु/तीखा

शिवलिंगी बीज के चिकित्सीय उपयोग Uses of Patanjali Shivlingi Beej

शिवलिंगी बीज को दर्दनाक मासिक धर्म, डिसमोनोरिया, मासिक धर्म की अवधि के दौरान, अंडाशय में दर्द, गर्भाशय की सूजन, गर्भाशय टॉनिक की तरह प्रयोग किया जाता है। बीजों का मुख्य संकेत महिलाओं की प्रजनन संबंधी विकारों और गर्भपात को रोकने के लिए है। शिवलिंगी बीज में सूजन कम करने के, एंटी-फंगल, एंटीमाइक्रोबायल, एनाल्जेसिक, एंटीहाइपरलिपिडमिक, शुक्राणुजन्य/ स्पेर्मेटोजेनिक और गर्भाशय टॉनिक के गुण होते हैं।

  • प्रजनन क्षमता को बढ़ावा देने के रूप में fertility promoting medicine
  • बुखार Fever
  • महिला बांझपन infertility
  • वाजीकरण यौन टॉनिक
  • सूजन Inflammations
  • स्त्री रोग संबंधी समस्याएं (सफेद पानी, मासिक धर्म की समस्याएं, योनि की समस्याएं असामान्य रक्तस्राव, भारी रक्तस्राव, दर्दनाक पीरियड्स,बाँझपन) Gynecological problems (white discharge, menstruation problems, vaginal dysfunctions abnormal bleeding, heavy bleeding, painful periods, barrenness)
  • हाइपरग्लेसेमिया और मधुमेह
  • ओलिगोस्पर्मिया

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Patanjali Shivlingi Beej

  • पुत्रजीवक बीज और शिवलिंगी बीज, दोनों को पीस लें और रख लें।
  • दोनों पाउडर को रोजाना एक ग्राम की मात्रा में या एक चौथाई चम्मच की मात्रा में गाय के दूध के साथ सुबह खाली पेट लें।
  • पुत्रजीवक तासीर में ठंडा है और शिवलिंगी तासीर में गर्म है। पुत्रजीवक वात और पित्त कम करता है जबकि शिवलिंगी कफ कम करता है और पित्त बढ़ाता है। इसलिए, दोनों की मात्रा को व्यक्ति को अपनी वात-पित्त-कफ दोष की प्रकृति के अनुसार कम या ज्यादा करके देखना चाहिए।
  • इसके साथ ही फल घृत, एक चम्मच की मात्रा में लेना चाहिए।
  • कुछ महिलाओं को इनके साथ ही दिव्य रसायन वटी की दो गोली और चन्द्रप्रभा वटी की दो गोली दिन में दो बार लेने की सलाह भी दी जाती है।
  • साथ ही प्राणायाम और व्यायाम भी किया जाना चाहिए।

शिवलिंगी बीज के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • यदि शिवलिंगी के बीज से पित्त की अधिकता के लक्षण हों, जैसे हाथ-पैर की जलन, ब्लीडिंग अधिक आना, एसिडिटी आदि तो इस पाउडर को या तो कम मात्रा में लें या नहीं लें। केवल पुत्रजीवक का पाउडर लें।
  • इसके सेवन के दौरान गर्म तासीर का भोजन, बाहर का भोजन, अधिक तेल, खटाई, मिर्च, मसाले, बाहर की चाट आदि का सेवन नहीं करें।
  • उचित खुराक उपयोगकर्ता की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। उचित खुराक निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है।
  • इसका इस्तेमाल 6-7 महीने तक किया जा सकता है।
  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • यह पित्त वर्धक है और कफ को कम करता है।
  • यदि इसे लेने पर पित्त अधिक बढ़ जाए तो इसकी की मात्रा को कम कर दें।
  • बांझपन के अंतर्निहित कारण का इलाज करें।

दवाओं का पारस्परिक प्रभाव

  • ज्ञात नहीं है।
  • शिवलिंगी बीज के साइड-इफेक्ट्स Side effects
  • निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
  • इसे लेने से शरीर में गर्मी बढ़ती है।
  • इसे लेने से कुछ महिलाओं में पीरियड्स की ब्लीडिंग अधिक हो सकती है।

शिवलिंगी बीज को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसके लिए कोई ज्ञात contraindications नहीं है।
  • गर्भ ठहर जाए तो इसे नहीं लें।
  • यदि पीरियड लम्बे समय तक चलते हैं, तो इसे नहीं लें।
  • यदि इसके सेवन से पीरियड्स में ब्लीडिंग बढ़ जाए तो इसकी मात्रा को कम कर दें।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या शिवलिंगी बीज को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले तो सकते हैं। लेकिन इस से हो सकता है कि दोनों ही दवाएं काम नहीं करें। इसलिए, दवा के असर को देखना ज़रूरी है।

क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?

दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।

क्या शिवलिंगी बीज सुरक्षित है?

हां, सिफारिश की खुराक में लेने के लिए सुरक्षित है।

शिवलिंगी बीज का मुख्य संकेत क्या है?

इनफर्टिलिटी।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

नहीं।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

आप इसे 6-7 महीने या जब तक ज़रूरत लगे, के लिए ले सकते हैं।

शिवलिंगी बीज लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन के पहले या खाली पेट लिया जाना चाहिए एक ही समय में दैनिक रूप में लेने की कोशिश करें।

क्या शिवलिंगी बीज एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या शिवलिंगी बीज लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है, अगर पीरियड कि ब्लीडिंग पर असर नहीं होता।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

हाँ।

हड़जोड़ Hadjod Bindbone Cissus quadrangularis

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हड़जोड़ को अस्थिसंधानक, अस्थि श्रृंखला भी कहते हैं और इसे मुख्य रूप से टूटी हुई हड्डी को जोड़ने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसके प्रयोग से हड्डियों और जोड़ों को मजबूत करने में मदद होती है। इससे टूटी हड्डी की हीलिंग तेज होती है। हड़जोड़ में एंटीऑक्सीडेंट, दर्द निवारक और हड्डी को जोड़ने के गुण होते हैं।

हड़जोड़ के प्रयोग से हड्डी का खनिज घनत्व को बढ़ता है। हड़जोड़ को हड्डी के फ्रैक्चर, कमज़ोर हड्डियों, ऑस्टियोपोरोसिस, में प्रयोग करते हैं। इसे अन्य विकारों में भी प्रयोग करते हैं जैसे मोटापा, मेटाबोलिक सिंड्रोम, भूख नहीं लगना, पाचन की कमजोरी, आंतों में कीड़े, गठिया, आदि।

हड़जोड़ को आयुर्वेद समेत दुनिया के कई पारम्परिक चिकित्सा में इस्तेमाल किया जाता है। इसे थाईलैंड और अफ़ीका में भी इस्तेमाल करते हैं। पौधे के सभी भाग दवा की तरह से इस्तेमाल किये जाते हैं।

हड़जोड़ के तने का जूस, दिन में दो बार 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में फ्रैक्चर उपचार, कम अस्थि खनिज घनत्व और हड्डियों की कमजोरी सहित हड्डियों के कई रोगों में लिया जाता है।

हड़जोड़ का पौधा

हड़जोड़ का वानस्पतिक नाम सीसस क्वाड्रैंगुलरिस | कैसस क्वाड्रैंगुलरिस Cissus quadrangularis है व यह अंगूर परिवार का बहुवर्षी पौधा है। यह एक बेल है।

देखने में हड़जोड़, खंडाकार चतुष्कोणीय तनेवाली लता है। हर इसके हर खंड से एक अलग पौधा उगाया जा सकता है। चतुष्कोणीय तने में हृदय के आकार वाली पत्तियां होती है। छोटे फूल लगते हैं। पत्तियां छोटी-छोटी होती है और लाल रंग के मटर के दाने के बराबर फल लगते हैं। यह बरसात में फूलती है और जाड़े में फल आते हैं।

हड़जोड़ में सोडियम, पोटैशियम और कैल्शियम कार्बोनेट पाया जाता है और इसे टूटी हड्डी जोड़ने में में बहुत लाभप्रद पाया गया है। हड्डी जोड़ने में इसका आंतरिक और बाह्य दोनों तरह से इस्तेमाल होता है। आंतरिक रूप से इसके तने का जूस 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में लिया जाता है।

हड़जोड़ के स्थानीय नाम / Synonyms

  • Scientific name: Cissus Quadrangularis
  • Sanskrit: Asthisandhani, Asthisamhara, Asthisamhrit, Asthisamyojaka, Vajravalli
  • Assamese: Harjara
  • Bengali: Hadajora
  • Gujrati: Hadasankala
  • Hindi: Hadjod
  • Kannada: Mangaravalli, Vajravalli, Sanduballi
  • Malayalam: Changalam Parande
  • Marathi: Kandvel
  • Oriya: Hadbhanga
  • Punjabi: Haddjor
  • Tamil: Perandai
  • Telugu: Nalleru
  • Urdu: Hathjod
  • English: Adament creeper, Bone setter, Edible-stemmed vine
  • Unani: Hadjoda
  • Siddha: Piranda

वैज्ञानिक वर्गीकरण Scientific Classification

  • किंगडम Kingdom: प्लांटी Plantae – Plants
  • सबकिंगडम Subkingdom: ट्रेकियोबाईओन्टा Tracheobionta संवहनी पौधे
  • सुपरडिवीज़न Superdivision: स्परमेटोफाईटा Spermatophyta बीज वाले पौधे
  • डिवीज़न Division: मैग्नोलिओफाईटा Magnoliophyta – Flowering plants फूल वाले पौधे
  • क्लास Class: मैग्नोलिओप्सीडा Magnoliopsida – द्विबीजपत्री
  • सबक्लास Subclass: रोजेरिडेएइ Rosidae
  • आर्डर Order: Rhamnales
  • परिवार Family: Vitaceae – Grape family
  • जीनस Genus: सीसस Cissus L. – treebine
  • प्रजाति Species: Cissus quadrangularis  L..– veldt-grape

हड़जोड़ के औषधीय हिस्से

हड़जोड़ लता की पत्तियां और तने औषधीय भाग हैं। दवाई की तरह से ताज़ा पत्तियों और तने से निकाले गए रस का उपयोग किया जाता है।

हड़जोड़ के औषधीय हिस्सों में रासायन

हड़जोड़ के पत्तों और तने में कई बायोएक्टिव घटक होते हैं। इसमें सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम कार्बोनेट, विटामिन सी, विटामिन ई, Quercetin, Kaempferol, β-sitosterol, एसिटिलेटेड ग्लाइकोसाइड्स, रेल्वरेट्रोल ग्लाइकोसाइड्स, रेसवर्टरोल, पाइसैटैनोल, पैलिडोल, पार्टनोकिसिन ए, जेनिस्टीन, क्वाड्रैंगुलरिन एसी और डेडेज़िन समेत स्टिलबेन यौगिक आदि मौजूद होते हैं।

हड़जोड़ के प्रयोग के फायदे

  • इसके इस्तेमाल से दर्द में राहत होती है।
  • इसके रस से कुल्ला करने से मसूड़ों की सूजन कम होती है।
  • इसमें एंथेलमिंटिक या कृमिघ्न गुण हैं।
  • इसमें कामोद्दीपक गुण हैं।
  • फ्रैक्चर में प्रयोग किये जाने पर यह हड्डी के बनने की दर को बढ़ाता है और हड्डी में रक्त परिसंचरण और पोषक आपूर्ति में सुधार करता है।
  • यह एचडीएल-कोलेस्ट्रॉल (अच्छा कोलेस्ट्रॉल) बढ़ाता है।
  • यह कुल कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल-कोलेस्ट्रॉल, और ट्राइग्लिसराइड्स को कम करता है।
  • यह खून साफ़ करता है।
  • यह चयापचय को बढ़ावा देता है।
  • यह जॉइंट्स की गतिशीलता में सुधार करता है।
  • यह पाचन उत्तेजक है।
  • यह पाचन क्षमता और यकृत समारोह में सुधार करता है।
  • यह फ्रैक्चर उपचार की दर में तेजी लाता है।
  • यह ब्लीडिंग को रोकता है।
  • यह मासिक धर्म के दौरान होने वाले अत्यधिक रक्तस्राव को कम करता है।
  • यह लीवर की रक्षा करता है।
  • यह शरीर की वसा को कम करता है और समग्र लिपिड प्रोफाइल में सुधार करता है।
  • यह श्रोणि, पेट, नितंब, और ऊपरी जांघों के आसपास वसा जमावट को कम करता है।
  • यह जोड़ों की सूजन और दर्द को कम करने में मदद कर सकता है।
  • यह हड्डियों और जोड़ों को मजबूत करता है।
  • यह हड्डियों का वजन बढ़ाता है।
  • यह हड्डी की ताकत बढ़ाता है और हड्डी द्रव्यमान को बहाल करता है।
  • यह हड्डी खनिज घनत्व (बीएमडी) बढ़ाता है।
  • यह हड्डी द्रव्यमान बढ़ाता है।
  • यह हड्डी में खनिजरण को बढ़ाता है और खनिज नोड्यूल के गठन को बढ़ावा देता है।

हड़जोड़ के औषधीय उपयोग Medicinal Uses of Hadjod in Hindi

हडजोड या सिसस क्वाड्रैंगुलरिस का स्टेम हड्डी फ्रैक्चर, त्वचा संक्रमण, कब्ज, आंखों की बीमारियों, ब्लीडिंग पाइल्स, एनीमिया, अस्थमा, अनियमित मासिक धर्म, जलन और घावों के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। स्टेम रस स्कर्वी और अनियमित मासिक धर्म में उपयोगी है। लाइम वाटर में उबला हुआ स्टेम पेस्ट अस्थमा में दिया जाता है। सूखे शूट का पाउडर पाचन समस्याओं में उपयोगी है।

हडजोड या हड्डी सेटर में टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने की क्षमता है। अध्ययन दिखाता है, विटामिन और अनाबोलिक स्टेरॉयड की उपस्थिति, जो हड्डी के एस्ट्रोजेनिक रिसेप्टर्स पर कार्य कर सकती है। पौधे शुरुआती ossification और हड्डियों के पुनर्निर्माण में मदद करता है। पौधे का मौखिक सेवन, चयापचय की उत्तेजना और फ्रैक्चर हड्डी में ऑस्टियोबालास्ट्स द्वारा खनिज कैल्शियम, सल्फर और स्ट्रोंटियम खनिजों के बढ़ने से फ्रैक्चर की त्वरित उपचार में मदद करता है।

  • अपच
  • अभ्यास के कारण एथलीटों में जोड़ो दर्द
  • आंतरिक रक्तस्राव
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल
  • उदरशूल
  • उपदंश
  • उपापचयी लक्षण
  • ऑस्टियोपोरोसिस
  • कम हड्डी खनिज घनत्व
  • कमजोर और नाजुक हड्डियाँ
  • कान बहना
  • कामोद्दीपक
  • किसी भी प्रकार का हड्डी फ्रैक्चर
  • त्वचा रोग
  • कृमिनाशक
  • गाउट
  • जिंजीवाइटिस
  • जोड़ों का दर्द
  • ट्यूमर
  • पाचन में सुधार
  • पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग
  • पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस
  • पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस
  • बच्चों में हड्डी कमजोर होना
  • ब्लीडिंग पाइल्स
  • फ्रैक्चर
  • मधुमेह
  • मिरगी
  • मैक्सिलोफेशियल फ्रैक्चर
  • मोटापा
  • रजोनिवृत्ति, कम कामेच्छा, और मासिक धर्म विकार
  • सूजन
  • हड्डियों को मजबूत करने और हड्डी के विकास को बढ़ावा देने के लिए
  • हड्डी फ्रैक्चर

सीसस क्वाड्रैंगुलरिस की औषधीय मात्रा

सीसस क्वाड्रैंगुलरिस के स्वरस को पीते हैं और इसके पेस्ट को बाहरी रूप से लगाते हैं।

आंतरिक प्रयोग

  • हडजोड के ताजे तने से कूट पीस और दबा कर निकाले गए ताज़े रस की औषधीय मात्रा निम्न है:
  • वयस्क: 10 से 20 मिलीलीटर, दिन में दो बार।
  • बच्चों को इसकी आधी मात्रा (5 ml) दी जा सकती है। यदि बच्चा पांच साल से छोटा है तो उसे 2।5 ml की मात्रा दिन में दो बार दे सकते हैं।
  • इसे भोजन के बाद लें। इसे दूध या घी के साथ ले सकते हैं।

बाह्य इस्तेमाल

सीसस क्वाड्रैंगुलरिस के स्टेम और पत्तियों से तैयार पेस्ट को फ्रैक्चरर्ड हिस्से पर लगाया जाता है और साफ कपड़े से ढक दिया जाता है।

हड़जोड़ के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • गर्भावस्था, स्तनपान, मधुमेह, और उच्च रक्तचाप के मामले में किसी को डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
  • इसका सेवन खाली पेट नहीं किया जाना चाहिए।
  • यह गैर-विषैला है।
  • यह एक खाद्य पदार्थ है और अच्छी तरह से सहन किया जाता है।
  • उचित खुराक उपयोगकर्ता की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। उचित खुराक निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है।
  • ध्यान रखें कि प्राकृतिक उत्पाद हमेशा सुरक्षित हों ऐसा जरूरी नहीं हैं।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।

हड़जोड़ के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • यह पित्त को बढ़ाता है जो पित्त प्रकृति व्यक्ति वाले व्यक्ति में एसिडिटी, दिल की धड़कन इत्यादि का कारण बन सकता है।
  • कुछ दुष्प्रभावों में सिरदर्द, अत्यधिक गैस, नींद की समस्याएं आदि शामिल हैं।
  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।
  • कुछ संवेदनशील लोगों में, इसके हीटिंग और ड्राईइंग गुणों के कारण, यह जलन, बेचैनी, अनिद्रा, सूखापन, शुष्क मुंह, पसीना आदि जैसे लक्षण कर सकता है।
  • अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
  • उच्च खुराक केंद्रीय तंत्रिका तंत्र अवसाद, sedation, मांसपेशी आराम, त्वचा चकत्ते या एलर्जी का कारण बन सकता है।
  • बाहरी रूप से लगाने के लिए पेस्ट का इस्तेमाल नरम ऊतकों पर निशान बना सकता है। तो, ध्यान से लागू करें।
  • लंबी अवधि की सुरक्षा अज्ञात है क्योंकि कोई अध्ययन नहीं किया गया है।

हड़जोड़ को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • गर्भावस्था या स्तनपान में इसकी सुरक्षा के बारे में अध्ययन उपलब्ध नहीं है। इसलिए, गर्भवती महिला और स्तनपान कराने के दौरान इसके उपयोग से बचें।
  • जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, वे इसका सेवन न करें।
  • शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है bleeding disorder, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।
  • यह रक्त शर्करा को कम कर सकता है। निर्धारित शल्य चिकित्सा से कम से कम 2 सप्ताह पहले इसका उपयोग करना बंद करें क्योंकि यह रक्त शर्करा का स्तर कम करता है।
  • अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।

हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी Hajrul Yahood Bhasma Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी Hajrul Yahood Bhasma | Hazrul Yahud Bhasma in Hindi एक आयुर्वेदिक दवा है, जिसे पेशाब में कठिनाई, पथरी आदि में के इलाज में प्रयोग किया जाता है। यह पित्त और कफ को बैलेंस करने वाली दवाई है। हजरुल यहूद भस्म को अकेले ही या अन्य दवाओं के घटक की तरह से प्रयोग किया जा सकता है।

हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी को लाइम सिलिकेट से बनाते हैं। इसमें मूत्रल, पथरी घुलाने, खुजली दूर करने और दर्द निवारक के गुण हैं। यह तासीर में ठंडी है और पित्त या गर्मी को कम करती है। इसका मुख्य प्रभाव किडनी, पेशाब के ब्लैडर और त्वचा पर होता है। इन गुणों के कारण यह पथरी, पेशाब कम आना, पेशाब में जलन, दर्द आदि में फायदेमंद है।

हजरुल यहूद भस्म को 250 मिलीग्राम – 500 मिलीग्राम की मात्रा में लिया जाता है। इसे लेने की फ्रीक्वेंसी दिन में एक या दो बार है जो रोग और रोगी की स्थिति पर निर्भर है। इस दवा को एक से दो महीने तक इस्तेमाल कर सकते हैं।

यह पेज हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

  • हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी में मौजूद सामग्री क्या हैं?
  • हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी के उपयोग upyog क्या हैं?
  • हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी के फायदे faide क्या हैं?
  • हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी के दुष्प्रभाव या नुकसान nuksan क्या हैं?
  • हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी को कब नहीं लेते हैं?
  • हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी के संभावित दवा interaction क्या हैं?
  • हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?

Hajrul Yahud Bhasma (Fossil stone calyx) is Ayurvedic medicine. It is indicated in treatment of problems associated with Kidney stones. It acts as a powerful diuretic. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  1. संदर्भ ग्रंथ: सिद्ध योग संग्रह
  2. दवा का नाम: हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी Hajrul Yahood Bhasma
  3. पर्याय/अन्य नाम: हज़रुल यहूद भस्म Hazrul Yahud Bhasma, कैलक्लाइंड लाइम सिलिकेट Calcined Lime Silicate, बेर पत्थर भस्म, Ber Patthar Bhasma, बदरशमा भस्म, Badarashma Bhasma, संगे यहूद भस्म Sange Yahood Bhasma,
  4. उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  5. दवाई का प्रकार: मिनरल
  6. मुख्य उपयोग: गुर्दे की पथरी, मूत्रकृच्छता, वृक्‍कशूल
  7. मुख्य गुण: मूत्रल, दर्द निवारक
  8. दोष इफ़ेक्ट: पित्त और कफ संतुलित करना
  9. गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं करें

हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी के घटक Ingredients of Hajrul Yahood Bhasma

हजरुल यहूद अथवा बेर पत्थर, एक प्रकार का फॉसिल पत्थर जिससे भस्म और पिष्टी के तरीके से इस्टे बनाते हैं। बेर पत्थर की भस्म को यूनानी वैद्यक में हजरुल यहूद कहते हैं।

हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी के लाभ/फ़ायदे Benefits of Hajrul Yahood Bhasma

मूत्रवर्धक

यह डाईयुरेटिक है और पेशाब की मात्रा को बढ़ाने वाली दवा है। यह मूत्र विकारों में उपयोगी है। अश्मरी रोग में इसके सेवन से लाभ होता है, यह एक मूत्रल औषधि है। यह अश्मरी के टुकड़े करके मूत्रमार्ग द्वारा निकालने वाला है।

पेशाब में क्रिस्टल

पेशाब में क्रिस्टल की समस्या में इसके सेवन से फायदा हो सकता है।

पथरी में लाभप्रद

इसमें पथरी को घुलाने के गुण होते हैं। यह मूत्रल भी है। इन गुणों के कारण पथरी की समस्या में इसके सेवन से फायदा हो सकता है। हजरुल याहूद भस्म हर्बल संयोजन से बना है जो पत्थरों को धीरे-धीरे भंग कर सकता है। इसे लेने से पथरी दूर होगी या नहीं यह निश्चितता से नहीं कह सकते क्योंकि यह पथरी के आकार, लोकेशन और व्यक्ति की स्थति पर निर्भर है।

किडनी के दर्द में राहत

इसके दर्द निवारक गुण से यह पथरी के कारण हो रहे दर्द में लाभप्रद है।

हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी के चिकित्सीय उपयोग Uses of Hajrul Yahood Bhasma

हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी को बाहरी और आंतरिक दोनों तरह से इस्तेमाल करते हैं, बाहरी रूप से इसके पाउडर को खुजली, रिंग वर्म और फोड़े आदि पर लगाते हैं और आंतरिक रूप से पेशाब की समस्या में सेवन करते हैं।

  • गुर्दे की पथरी Kidney Stones
  • पेशाब का रुकना Urinary retention
  • पेशाब में जलन – दर्द Dysuria
  • रीनल कोलिक Renal Colic

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Hajrul Yahood Bhasma

  • 2 रत्ती से 4 रत्ती/ 250mg-500 मिलीग्राम, नारियल के पानी या गुलकंद के साथ दिन में तीन बार लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • इसे तीन महीने या चिकित्सक द्वारा बताए समय तक लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • उचित खुराक उपयोगकर्ता की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। उचित खुराक निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है।
  • ध्यान रखें कि प्राकृतिक उत्पाद हमेशा सुरक्षित हों ऐसा जरूरी नहीं हैं।
  • इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह के आधार पर 1 से 3 महीने तक किया जा सकता है।
  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • इस औषधि को केवल विशिष्ट समय अवधि के लिए निर्धारित खुराक में लें।
  • इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।

हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी के साइड-इफेक्ट्स Side effects

निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।

हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

उपलब्धता

  • इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
  • बैद्यनाथ Baidyanath Hajrul Yahood Bhasma आकार
  • (प्राइस: 10 ग्राम @ 146.00 तथा 5 ग्राम @ 86.00)
  • पतंजलि Patanjali Divya Pharmacy Hajrul Yahood Bhasma (प्राइस: 5 ग्राम @ 15 रुपये)
  • श्री धूतपापेश्वर Shree Dhootapapeshwar Limited SDL Hajrul Yahood Bhasma (प्राइस: 10 ग्राम @ ₹115.00)
  • तथा अन्य बहुत सी फर्मसियाँ।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले सकते हैं।

हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी को कितनी बार लेना है?

  • इसे दिन में 2 बार / 3 बार लेना चाहिए।
  • इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।

क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?

दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।

क्या हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी सुरक्षित है?

हां, सिफारिश की खुराक में लेने के लिए सुरक्षित है।

हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी का मुख्य संकेत क्या है?

पथरी।

हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?

  • पित्त कम करना।
  • कफ कम करना।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

नहीं।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

आप इसे 1-3 महीने के लिए ले सकते हैं। डॉक्टर से लेकर ट्रीटमेंट के बारे में और दवा के बारे में राय लें।

हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन के बाद लिया जाना चाहिए एक ही समय में दैनिक रूप में लेने की कोशिश करें।

क्या हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है।

क्या मैं इसे गर्भावस्था के दौरान ले सकती हूँ?

नहीं।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

हाँ।

क्या इसे बच्चों को दे सकते हैं?

7 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए, आप इस दवा को कम मात्रा में दे सकते हैं। लेकिन सही स्वास्थ्य समस्या और सही खुराक जानने के लिए चिकित्सक की सलाह लेनी ज़रूरी है।

अर्शोघ्नी वटी Arshoghni Vati Detail and Uses in Hindi

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अर्शोघ्नी वटी Arshoghni Vatiin Hindi एक आयुर्वेदिक दवा है। यह दवा दोनों प्रकार के बवासीर के लिए लाभदायक है। अर्शोघ्नी वटी, का सेवन पाइल्स में पाइल्स के आकार को कम करने में मदद करता है और ब्लीडिंग पाइल्स में एसट्रिनजेंट एक्शन ब्लीडिंग में आराम देता है। इस दवा का सेवन आप कुछ महीनों तक कर सकते हैं।

बवासीर के दो प्रकार माने जाते हैं: बादी और खूनी। खूनी बवासीर, में जब रक्तस्राव ज्यादा हो तो इस दवा का प्रयोग इसे रोकने में मदद करता है। इस दवा का नियमित प्रयोग बवासीर को नष्ट करता है। बावासीर में इसका प्रयोग मस्सों को सुखा देता है। यह दर्द, जलन, खुजली तथा बवासीर से जुडी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में आराम दिलाती है।

अर्शोघ्नी वटी दस्तावर laxative है और कब्ज़ को दूर करती है। यह दवा वायुनाशक और रक्त-रोधक है।

यह पेज अर्शोघ्नी वटी के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

  • अर्शोघ्नी वटी में मौजूद सामग्री क्या हैं?
  • अर्शोघ्नी वटी के उपयोग upyog क्या हैं?
  • अर्शोघ्नी वटी के फायदे faide क्या हैं?
  • अर्शोघ्नी वटी के दुष्प्रभाव या नुकसान nuksan क्या हैं?
  • अर्शोघ्नी वटी को कब नहीं लेते हैं?
  • अर्शोघ्नी वटी के संभावित दवा interaction क्या हैं?
  • अर्शोघ्नी वटी से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?

संदर्भ: सिद्ध योग संग्रह,  अर्शरोगाधिकार, अर्धोगनी वटी; आयुर्वेदिक फॉर्मूलेरी ऑफ इंडिया, वॉल्यूम। II 10: 3

दवा का नाम: अर्शोघ्नी वटी Arshoghni Vati, Arshoghni Bati, Arshoghni Tablet

उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।

दवाई का प्रकार: हर्ब और मिनरल युक्त

मुख्य उपयोग: अर्श

दोष इफ़ेक्ट: वात-पित्त संतुलित करना

गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं करें

अर्शोघ्नी वटी के घटक Ingredients of Arshoghni Vati

  • निम्बोली Azadirachta indica – Fruit 24 ग्राम
  • बकायन के फल की मींगी Melia azadirach 24 ग्राम
  • खून-खराबा (यूनानी-दमउल अखवे) Khunakharaba 24 ग्राम
  • तृणकान्त पिष्टी Trinakanta Pishti (Kaharuba) 48 ग्राम
  • शुद्ध रसौत Rasanjana aqueous extract of Berberis aristata144 ग्राम

बनाने की विधि: पहले निम्बोली और बकायन की मींगी को अच्छे से पीसकर बारीक़ पाउडर बना उसमे अन्य द्रव मिला दें और २ रत्ती की गोलियां बनाकर सुखा लें।

अर्शोघ्नी वटी के लाभ/फ़ायदे Benefits of Arshoghni Vati

  • यह खून साफ़ करती है।
  • यह गुदा क्षेत्र में खुजली और जलन कम करती है।
  • यह गैस हर है।
  • यह तासीर में ठंडी है और पित्त दोष और वात दोष को कम करती है।
  • यह ब्लीडिंग को रोकती है।
  • यह विरेचक है।

अर्शोघ्नी वटी के चिकित्सीय उपयोग Uses of Arshoghni Vati

  • यह दवा अर्श या बवासीर piles के उपचार में प्रयोग की जाती है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थो को निकलती है और वायुनाशक है। यह कब्ज़ में आराम देती है और रक्त बवासीर bleeding piles में ब्लीडिंग को बंद करती है।
  • बवासीर
  • गुदा फिशर

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Arshoghni Vati

  • 125 – 250 mg, 1-2 गोली दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • एक दिन में 6 गोली (750 mg) से ज्यादा नहीं लें।
  • इसे मट्ठे या ठन्डे पानी के साथ लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।
  • इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

अर्शोघ्नी वटी के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • सबसे पहले कब्ज़ नं रहे इसका उपाय करें।
  • कब्ज़ के लिए त्रिफला चूर्ण या अन्य चूर्ण लें। कब्ज़ न रहे इसके लिए लाइफस्टाइल और डाइट में बदलाव लायें।
  • पानी और तरल का सेवन ज्यादा करें।
  • उचित खुराक उपयोगकर्ता की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। उचित खुराक निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है।
  • ध्यान रखें कि प्राकृतिक उत्पाद हमेशा सुरक्षित हों ऐसा जरूरी नहीं हैं।
  • इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह के आधार पर 1 से 2 महीने तक किया जा सकता है।
  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

अर्शोघ्नी वटी के साइड-इफेक्ट्स Side effects

निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।

अर्शोघ्नी वटी को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था के दौरान बिना डॉक्टर की सलाह के न लें। इस दवा के लिए सुरक्षा प्रोफ़ाइल गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए अच्छी तरह से स्थापित नहीं है।
  • मधुमेह और उच्च रक्तचाप वाले लोगों को यह चिकित्सा चिकित्सा पर्यवेक्षण के तहत लेनी चाहिए।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या अर्शोघ्नी वटी को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले तो सकते हैं। लेकिन इस से हो सकता है कि दोनों ही दवाएं काम नहीं करें। इसलिए, दवा के असर को देखना ज़रूरी है।

अर्शोघ्नी वटी को कितनी बार लेना है?

  • इसे दिन में 2 बार / 3 बार लेना चाहिए।
  • इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।

क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?

दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।

क्या अर्शोघ्नी वटी सुरक्षित है?

हां, सिफारिश की खुराक में लेने के लिए सुरक्षित है।

अर्शोघ्नी वटी का मुख्य संकेत क्या है?

पाइल्स जिसे बवासीर कहते हैं।

अर्शोघ्नी वटी का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?

  • वात कम करना।
  • पित्त कम करना।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

हाँ।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

आप इसे 1-2 महीने के लिए ले सकते हैं।

अर्शोघ्नी वटी लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन के पहले लिया जाना चाहिए एक ही समय में दैनिक रूप में लेने की कोशिश करें।

क्या अर्शोघ्नी वटी एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या अर्शोघ्नी वटी लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है। पीरियड्स के दौरान नहीं लें, अगर आपको रक्तस्राव पैटर्न पर कोई प्रभाव महसूस होता है।

क्या मैं इसे गर्भावस्था के दौरान ले सकती हूँ?

नहीं।

क्या इसे बच्चों को दे सकते हैं?

7 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए, आप इस दवा को कम मात्रा में दे सकते हैं। लेकिन सही स्वास्थ्य समस्या और सही खुराक जानने के लिए चिकित्सक की सलाह लेनी ज़रूरी है।

Arshoghni Vati is classical Herbomineral Ayurvedic medicine. It is indicated in treatment of bleeding and non-bleeding piles. This medicine has astringent, carminative, laxative, styptic and anti-hemorrhoid action. It is cool in potency and balances Vata and Pitta Dosha.


आरग्वधारिष्ट Aragwadharishtam  Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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आरग्वधारिष्ट Aragwadharishtam in Hindi एक क्लासिकल आयुर्वेदिक दवाइ है जो विभिन्न त्वचा रोगों के लिए उपयोग की जाती है। यह सभी तरह के त्वचा रोगों जैसे सफ़ेद रोग, एक्जिमा, स्केबीज़, नही ठीक होने वाले अल्सर आदि में दी जाती है। यह आयुर्वेद की आसव-अरिष्ट वर्ग की दवा है जिसमें कुछ प्रतिशत सेल्फ जनरेटेड अल्कोहल होता है जो दवा के शरीर में सही अवशोषण और दवा के संरक्षण में सहयोग करता है। त्वचा रोगों में ली जाने वाली दवा के साथ व्यक्ति को रोग के ठीक होने के लिए बताए गए पथ्य और अपथ्य का नियम से पालन करना चाहिए।

यह पेज आरग्वधारिष्ट के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

  • आरग्वधारिष्ट में मौजूद सामग्री क्या हैं?
  • आरग्वधारिष्ट के उपयोग upyog क्या हैं?
  • आरग्वधारिष्ट के फायदे faide क्या हैं?
  • आरग्वधारिष्ट के दुष्प्रभाव या नुकसान nuksan क्या हैं?
  • आरग्वधारिष्ट को कब नहीं लेते हैं?
  • आरग्वधारिष्ट के संभावित दवा interaction क्या हैं?
  • आरग्वधारिष्ट से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?

उत्पाद की जानकारी

  • दवा का नाम: आरग्वधारिष्ट Aragwadharishtam
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल आयुर्वेदिक आसव-अरिष्ट
  • मुख्य उपयोग: SKIN DISEASES, ERYSIPELAS, LEUKODERMA
  • मुख्य गुण: खून साफ़ करना, विरेचक
  • दोष इफ़ेक्ट: वात तथा कफ दोष को संतुलित करना
  • गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं करें।

एक दिन में ली जा सकने वाली मात्रा: दिन में दो बार, 12 से 24 ml की मात्रा वयस्कों द्वारा ली जा सकती है

आरग्वधारिष्ट के घटक Ingredients of Aragwadharishtam

  • आरग्वध अमलतास कैसिया फिस्टुला
  • वायविडंग एम्बेलिका राइब्स
  • आमलकी (आमला)
  • हरीतकी
  • निशोथ
  • इलायची
  • लौंग
  • काली मिर्च
  • गुड़
  • शहद

आरग्वधारिष्ट के लाभ/फ़ायदे Benefits of Aragwadharishtam

  • इसके सेवन से त्वचा साफ़ होती है।
  • यह  शरीर में मौजूद किसी भी विषाक्त पदार्थ की प्रणाली को बाहर निकाल सकता है।
  • यह त्वचा के सभी विकारों में लाभप्रद है।
  • यह पाचन और अवशोषण को बढ़ाती है।
  • यह सूजन को कम करती है।
  • यह हर्बल है और इसे लेने का कोई गंभीर साइड इफ़ेक्ट नहीं है।

आरग्वधारिष्ट के चिकित्सीय उपयोग Uses of Aragwadharishtam

आरग्वधारिष्ट को चमड़ी के सभी रोगों में दिया जा सकता है। यह दवा खून साफ़ करती है। इसमें विरेचन के भी गुण हैं। इसे कुछ महीनों तक लेने से शरीर में पाचन और अवशोषण ठीक होता है और विषाक्त पदार्थ नष्ट होते हैं

  • आँतों के कीड़े
  • पाइल्स बवासीर
  • त्वचा पर फोड़े
  • नहीं ठीक होने वाले घाव
  • सफ़ेद रोग
  • खून साफ़ करना
  • फोड़े फुंसी होना
  • खुजली

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Aragwadharishtam

  • यह आयुर्वेद का अरिष्ट है और इसे लेने की मात्रा 12-24 मिलीलीटर है।
  • दवा को पानी की बराबर मात्रा के साथ-साथ मिलाकर लेना चाहिए।
  • इसे सुबह नाश्ते के बाद और रात्रि के भोजन करने के बाद लें।
  • इसे भोजन के 30 मिनट में बाद, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • यह दवा बच्चों को भी दी जा सकती है। दवा की मात्रा बच्चे की आयु, स्वास्थ्य और वज़न पर निर्भर करती है।  बच्चे को आधा टीस्पून दवा पानी में मिला कर दे सकते हैं।
  • परिणाम सेवन के कुछ सप्ताह बाद मिलते हैं।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

आरग्वधारिष्ट के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • उचित खुराक उपयोगकर्ता की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। उचित खुराक निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है।
  • ध्यान रखें कि प्राकृतिक उत्पाद हमेशा सुरक्षित हों ऐसा जरूरी नहीं हैं।
  • इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह के आधार पर 1 से 2 महीने तक किया जा सकता है।
  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • इस औषधि को केवल विशिष्ट समय अवधि के लिए निर्धारित खुराक में लें।
  • यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।
  • इसमें 5-10% self-generated अल्कोहल है।
  • दवा के सेवन के दौरान गरिष्ठ भोजन, घी, दूध, चीनी, चावल, आदि का सेवन न करें।
  • नियमित व्यायाम करें।

आरग्वधारिष्ट के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।
  • अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।

आरग्वधारिष्ट को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। इसका सेवन गर्भावस्था में न करें।
  • इसमें गुड़, शहद, द्राक्षा है इसलिए डायबिटीज में इसका सेवन न करें।
  • पतले दस्त, पेचिश में इसे नहीं लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

उपलब्धता

  • इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
  • कोट्टाकल Kottakkal Arya Vaidya Sala Aragwadharishtam
  • AVP Aragwadharishtam
  • Kairali Products Aragwadharishtam
  • Pankajakasthuri Herbals India Aragwadharishtam
  • Arya Vaidya Sala Aragwadharishtam
  • Vaidyaratnam Aragwadharishtam
  • तथा अन्य बहुत सी फर्मसियाँ।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या आरग्वधारिष्ट को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले तो सकते हैं। लेकिन इस से हो सकता है कि दोनों ही दवाएं काम नहीं करें। इसलिए, दवा के असर को देखना ज़रूरी है।

आरग्वधारिष्ट को कितनी बार लेना है?

  • इसे दिन में 2 बार लेना चाहिए।
  • इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।

क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?

दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।

क्या आरग्वधारिष्ट सुरक्षित है?

हां, सिफारिश की खुराक में लेने के लिए सुरक्षित है।

आरग्वधारिष्ट का मुख्य संकेत क्या है?

त्वचा रोग।

आरग्वधारिष्ट का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?

  • वात कम करना।
  • पित्त वृद्धि करना।
  • कफ कम करना।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

हाँ।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

आप इसे 1-2 महीने के लिए ले सकते हैं।

आरग्वधारिष्ट लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन के बाद लिया जाना चाहिए एक ही समय में दैनिक रूप में लेने की कोशिश करें।

क्या आरग्वधारिष्ट एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या आरग्वधारिष्ट लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है। पीरियड्स के दौरान नहीं लें, अगर आपको रक्तस्राव पैटर्न पर कोई प्रभाव महसूस होता है।

क्या मैं इसे गर्भावस्था के दौरान ले सकती हूँ?

नहीं।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

नहीं।

क्या इसे बच्चों को दे सकते हैं?

7 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए, आप इस दवा को कम मात्रा में दे सकते हैं। लेकिन सही स्वास्थ्य समस्या और सही खुराक जानने के लिए चिकित्सक की सलाह लेनी ज़रूरी है।

क्या इसे प्रेगनेंसी में ले सकते हैं?

प्रेगनेंसी में कोई भी दवा बिना डॉक्टर की सलाह के लेने से बचें। प्रेगनेंसी में हॉर्मोन लेवल में बहुत बदलाव होता है। इम्युनिटी भी कम हो जाती है। गर्भाशय में पल रहे शिशु तक भी दवा जाती है। इसलिए, कोई दवा कैसे शरीर पर असर करेगी यह कह नहीं सकते। इसके अतिरिक्त इस दवा के विषय में पर्याप्त शोध भी उपलब्ध नहीं है। इसलिए किसी भी तरह के दवा के सेवन से बचें।

Aragwadharishtam (Classical) is Herbal Ayurvedic medicine. It is indicated in treatment of skin diseases. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

अयस्कृति Ayaskriti Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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अयस्कृति Ayaskriti in Hindi को मुख्य रूप से एनीमिया, वज़न घटाने के उपचार, त्वचा रोगों आदि में उपयोग किया जाता है। यह आमतौर पर दक्षिण भारतीय आयुर्वेद इस्तेमाल की जाती है और वहीँ की आयुर्वेदिक फार्मेसी इसे बनाती है। इसमें लौह एक घटक के रूप में होता है। संस्कृत में अयस शब्द लोहे के लिए प्रयोग किया जाता है। क्योंकि यह अयस अर्थात लोहे की कृति है इसलिए यह अयस्कृति है।

अयस्कृति के सेवन से शरीर में खून की कमी दूर होती है। यह पेशाब के रोगों और त्वचा के विकारों में फायदेमंद है। इसे ग्रहणी, मोटापा, खून की कमी, भूख नहीं लगना, पाइल्स आदि में निर्धारित किया जाता है।

यह पेज अयस्कृति के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

  • अयस्कृति में मौजूद सामग्री क्या हैं?
  • अयस्कृति के उपयोग upyog क्या हैं?
  • अयस्कृति के फायदे faide क्या हैं?
  • अयस्कृति के दुष्प्रभाव या नुकसान nuksan क्या हैं?
  • अयस्कृति को कब नहीं लेते हैं?
  • अयस्कृति के संभावित दवा interaction क्या हैं?
  • अयस्कृति से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?

उत्पाद की जानकारी

  • संदर्भ: चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, अष्टांगहृदयम
  • दवा का नाम: अयस्कृति Ayaskriti
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्ब और मिनरल युक्त
  • मुख्य उपयोग: मधुमेह, चयापचय विकार, मोटापा, इरीटेबल आंत्र सिंड्रोम, मालबॉस्पशन विकार, बवासीर, ल्यूकोडार्मा, और एनीमिया।
  • मुख्य गुण: खून की कमी दूर करना
  • दोष इफ़ेक्ट: वात और कफ कम करना
  • गर्भावस्था में प्रयोग: बिना डॉक्टर की सलाह नहीं करें

अयस्कृति के घटक Ingredients of Ayaskriti

  • Asana Pterocarpus marsupium (Ht. Wd.) 960 g
  • Tinisha Anogeissus lactifolia (Ht. Wd.) 960 g
  • Bhurja Betula utilis (St. Bk.) 960 g
  • Shvetavaha Calotropis procera (St. Bk.) 960 g
  • Prakirya (Lata Karanja) Sapindus trifoliatus (Sd.) 960 g
  • Khadira Acacia catech (Ht. Wd.) 960 g
  • Kadara (Shveta Khadira) Acacia polyentha (Ht. Wd.) 960 g
  • Bhandi (Shirisha) (St. Bk.) 960 g
  • Shishapa Dalbergia sisoo (Ht. Wd.) 960 g
  • Meshashringi Prosopis spicegera (Lf.) 960 g
  • Pitachandana Santalum album (Ht. Wd.) 960 g
  • Raktachandana Pterocarpus santalinus (Ht. Wd.) 960 g
  • Shvetacandana (Ht. Wd.) 960 g
  • Tala Borassus flabellifer (Fl.) 960 g
  • Palasha Butea monosperma (Sd.) 960 g
  • Jongaka (Agaru) Aquilaris agallocha (Ht. Wd.) 960 g
  • Shaka Grewia populifolia (Ht. Wd.) 960 g
  • Shala Shorea robusta (Ht. Wd.) 960 g
  • Kramuka Phyllanthus reticulates (Sd.) 960 g
  • Dhava (St. Bk.) 960 g
  • Kalinga (Kutaja) Holarrhena antidysenterica (Sd.) 960 g
  • Chagakarna (Ajakarna) Acacia leucophloea (Ht. Wd.) 960 g
  • Ashvakarna Cassia fistula (Ht. Wd.) 960 g
  • Water for decoction 98. 304 l. reduced to 24. 576 l.
  • Guda 9. 600 kg

Prakshepa Dravyas

  • Kshaudra (Madhu) 1. 536 kg
  • Vatsaka (Kutaja) Holarrhena antidysenterica (St. Bk.) 48 g
  • Murva Marsdenia tenacissima (Rt.) 48 g
  • Bharngi Clerodendron serratum (Rt.) 48 g
  • Katuka Picrorrhiza kurroa (Rz.) 48 g
  • Maricha Piper nigrum (Fr.) 48 g
  • Ghunapriya (Ativisha) Aconitum heterophylum (Rt.) 48 g
  • Gandira Coleus forskohlii (Rz.) 48 g
  • Ela (Sukshmaila) Ela Elettaria cardamomum (Sd.) 48 g
  • Patha (Rt.) 48 g
  • Ajaji (Shveta jiraka) Carum carvi (Fr .) 48 g
  • Katvanga (Araluka) phalam Oroxylum indicum (St. Bk.) 48 g
  • Ajamoa (Ajamoda) Trchyspermum roxburghianum (Fr.) 48 g
  • Siddhartha (Sarshapa) Brassica alba (Sd.) 48 g
  • Vacha Acorus calamus (Rz.) 48 g
  • Jiraka Cuminum cyminum (Fr.) 48 g
  • Hingu Ferula foetida (Exd.) 48 g
  • Vidanga Emblia ribes (Fr.) 48 g
  • Pashugandha Cleome gynandra (Rt.) 48 g
  • Pippali Piper longum (Fr.) 48 g
  • Pippali mula Piper longum (Rt.) 48 g
  • Chavya Piper retrofractum (St.) 48 g
  • Chitraka Plumbago zeylanica (Rt.) 48 g
  • Nagara (Shunthi) Zingiber officinale (Rz.) 48 g
  • Tikshnaloha Patra (Lauha) Pure iron foil 768 g

Pralepana Dravyas – for internal coating

  • Pippali Churna (Fr.) Q. S.
  • Kshaudra Q. S.
  • Ghrita Q. S. for external coating
  • Jatu (Laksha) (Res. Enc) Q. S.

अयस्कृति के लाभ/फ़ायदे Benefits of Ayaskriti

  • इसमें कृमिघ्न गुण है।
  • इसमें मौजूद जड़ी बूटी त्वचा रोगों का इलाज करती है।
  • यह एनीमिया में लाभप्रद है।
  • यह कफ वात शामक है ।
  • यह त्वचा रोगों में लाभप्रद है।
  • यह दीपन है और पाचन को उत्तेजित करती है।
  • यह पाचन, चयापचय और अव्शोष्ण में सुधार लाने वाली दवाई है।
  • यह पेशाब रोगों में लाभप्रद है।
  • यह रक्त शुद्ध करती है।
  • यह लेखनीय है।
  • यह शरीर में पानी के भराव, भून की कमी और मेटाबोलिज्म को सही कर वज़न कम करने में मदद करती है।
  • यह शोथहर है और सूजन करती है।

बायोमेडिकल एक्शन

  • Hypocholesterolemic: कोलेस्ट्रॉल कम करने।
  • एंटीइन्फ्लेमेटरी: शरीर तंत्र पर अभिनय करके सूजन को कम करना।
  • एंटीओबेसिटी: मोटापे को कम करता है।
  • एंटी-हाइपरग्लेसेमिक: रक्त में ग्लूकोज के उच्च स्तर का परामर्श करना।
  • एंटी-हाइपरलिपिडेमिक: रक्त में लिपिड के स्तर में कमी को बढ़ावा देना।
  • एंथेलमिंटिक: एंटीपारासिटिक, परजीवी कीड़े (हेल्मिंथ्स) और शरीर से अन्य आंतरिक परजीवी निष्कासित करते हैं।
  • एपेटाइज़र: भूख में सुधार होता है।
  • कारमेनेटिव: गैस को रोकना या पेट फूलना का ठीक करना।
  • पाचन: डाइजेस्टेंट।
  • ब्रोंकोडाइलेटर: ब्रोंची और ब्रोंचीओल्स को शांत करता है, श्वसन वायुमार्ग में प्रतिरोध कम करता है और फेफड़ों में वायु प्रवाह बढ़ता है।
  • हेपेटोप्रोटेक्टीव: यकृत की रक्षा करता है।

अयस्कृति के चिकित्सीय उपयोग Uses of Ayaskriti

सुश्रुत और वागभट्ट द्वारा अयस्कृति को पांडु रोग (एनीमिया) के साथ पेशाब रोग में उपयोगी बताया गया है। प्रमेह के उपद्रव जैसे कमजोरी, एनोरेक्सिया, शारीरिक दर्), खांसी, शोष और एनीमिया आदि इसके सेवन से दूर होते है।

Ayaskriti तरल रूप में उपलब्ध है और मुख्य रूप से एनीमिया, वजन घटाने थेरेपी, त्वचा रोगों आदि में प्रयोग किया जाता है। इसमें एंटी-कफ गुण हैं।

  • पाइल्स Arsha (Haemorrhoids)
  • अरुचि Aruchi (Tastelessness)
  • टॉनिक Blood tonic
  • ग्रहणी Grahani (Malabsorption syndrome)
  • कृमि Krimi (Helminthiasis/Worm infestation)
  • कुष्ठ Kushtha (Diseases of skin)
  • मेटाबोलिक रोग Metabolic disorders
  • पांडू Pandu (Anaemia)
  • प्रमेह Prameha (Urinary disorders)
  • शिवित्र Shvitra (Leucoderma/Vitiligo)
  • मोटापा Sthaulya (Obesity)

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Ayaskriti

  • इसे लेने की मात्रा 12-24 मिलीलीटर है।
  • दवा को पानी की बराबर मात्रा के साथ-साथ मिलाकर लेना चाहिए।
  • इसे सुबह नाश्ते के बाद और रात्रि के भोजन करने के बाद लें।
  • इसे भोजन के 30 मिनट में बाद, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • यह दवा बच्चों को भी दी जा सकती है। दवा की मात्रा बच्चे की आयु, स्वास्थ्य और वज़न पर निर्भर करती है। पांच साल के बच्चे को आधा टीस्पून दवा पानी में मिला कर दे सकते हैं।
  • परिणाम सेवन के कुछ सप्ताह बाद मिलते हैं।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

अयस्कृति के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • इसमें लोहा है जिसकी अधिक मात्रा अनसेफ होती है।
  • भोजन के लिए पुरानी जौ और गेहूं का उपयोग करें। चावल हानिकारक है।
  • उचित खुराक उपयोगकर्ता की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। उचित खुराक निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है।
  • ध्यान रखें कि प्राकृतिक उत्पाद हमेशा सुरक्षित हों ऐसा जरूरी नहीं हैं।
  • इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह के आधार पर 1 से 2 महीने तक किया जा सकता है।
  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • इस औषधि को केवल विशिष्ट समय अवधि के लिए निर्धारित खुराक में लें।
  • यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।
  • दवा के सेवन के दौरान गरिष्ठ भोजन, घी, दूध, चीनी, चावल, आदि का सेवन न करें।

अयस्कृति के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।
  • अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।

अयस्कृति को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • शरीर में खून की अधिकता हो तो इसका प्रयोग नहीं करें।
  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। इसका सेवन गर्भावस्था में न करें।
  • जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, वे इसका सेवन न करें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।
  • पित्त के लक्षण हैं, तो इसका सेवन नहीं करें।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या अयस्कृति को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले तो सकते हैं। लेकिन इस से हो सकता है कि दोनों ही दवाएं काम नहीं करें। इसलिए, दवा के असर को देखना ज़रूरी है।

अयस्कृति को कितनी बार लेना है?

  • इसे दिन में 2 बार लेना चाहिए।
  • इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।

क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?

दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।

क्या अयस्कृति सुरक्षित है?

हां, सिफारिश की खुराक में लेने के लिए सुरक्षित है।

अयस्कृति का मुख्य संकेत क्या है?

खून की कमी, प्रमेह और मेटाबोलिक रोग।

अयस्कृति का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?

  • वात कम करना।
  • पित्त वृद्धि करना।
  • कफ कम करना।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

हाँ।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

आप इसे 1-2 महीने के लिए ले सकते हैं।

अयस्कृति लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन के बाद लिया जाना चाहिए एक ही समय में दैनिक रूप में लेने की कोशिश करें।

क्या अयस्कृति एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या अयस्कृति लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है।

क्या इसे बच्चों को दे सकते हैं?

7 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए, आप इस दवा को कम मात्रा में दे सकते हैं। लेकिन सही स्वास्थ्य समस्या और सही खुराक जानने के लिए चिकित्सक की सलाह लेनी ज़रूरी है।

क्या इसे प्रेगनेंसी में ले सकते हैं?

प्रेगनेंसी में कोई भी दवा बिना डॉक्टर की सलाह के लेने से बचें। प्रेगनेंसी में हॉर्मोन लेवल में बहुत बदलाव होता है। इम्युनिटी भी कम हो जाती है। गर्भाशय में पल रहे शिशु तक भी दवा जाती है। इसलिए, कोई दवा कैसे शरीर पर असर करेगी यह कह नहीं सकते। इसके अतिरिक्त इस दवा के विषय में पर्याप्त शोध भी उपलब्ध नहीं है। इसलिए किसी भी तरह के दवा के सेवन से बचें।

Ayaskriti (Classical medicine) is Herbomineral Ayurvedic medicine. It is indicated in treatment of anemia, obesity, skin diseases, chronic urinary tract disorders, diabetes, ascites, . Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

Pharmacies Making Ayaskriti

You can buy this medicine online or from medical stores. Since it is a classical medicine, it is manufactured by many Ayurvedic pharmacies of South India.

Name of some of the Ayurvedic Pharmacies manufacturing this medicine are given below:

  • AVP Ayaskrithi
  • Kerala Ayurveda Ayaskriti
  • Kottakkal Arya Vaidya Sala Ayaskriti
  • Nagarjuna Ayaskrithi (Ayaskriti)
  • Vaidyaratnam Ayaskrithi
  • and many other Ayurvedic pharmacies.

अंगूरासव Angoorasava Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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अंगूरासव Angurasava in Hindi एक आयुर्वेदिक दवाई है जिसका मुख्य घटक अंगूर ग्रेप्स हैं। अंगूरासव एक टॉनिक दवाई है जिसके सेवन से शरीर में ताकत आती है। सामान्य दुर्बलता और भूख की कमी के लिए बहुत उपयोगी दवा है।

क्योंकि यह अंगूर से बना आसव है इसके सेवन से कफ कम होता है और अन्य आसव की तरह यह पित्त बढ़ा कर पाचन को दुरुस्त करता है। यह मुख्य रूप से राजयक्ष्मा, फेफड़े का क्षयरोग और कफ रोगों में लाभप्रद है। इसके सेवन से कमजोरी, पाचन की कमजोरी, सिरदर्द, अरुचि और कब्ज़ की समस्या में लाभ होता है। आप इसे हेल्थ टॉनिक की तरह से ले सकते हैं। यह शरीर को ताकत और सहनशक्ति प्रदान करता है। यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट से पाचन एंजाइम के स्राव में सुधार करता है।

अंगूर दुनिया के सबसे लोकप्रिय फलों में से एक हैं। अंगूर हृदय, आँखों, मस्तिष्क, रक्त, और जोड़ों के लिए अच्चा है। यह एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी और फाइबर का स्रोत होता है। अंगूर आवश्यक विटामिन और खनिजों की आपूर्ति करता है। यह आयुर्वेद की आसव – अरिष्ट प्रकार की दवा है। इसमें किण्वन के दौरान अल्कोहल उत्पन्न होता है। यह अल्कोहल दवा के शरीर में सही से और जल्दी अवशोषण में मदद करती है।

यह पेज अंगूरासव के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

  • अंगूरासव में मौजूद सामग्री क्या हैं?
  • अंगूरासव के उपयोग upyog क्या हैं?
  • अंगूरासव के फायदे faide क्या हैं?
  • अंगूरासव के दुष्प्रभाव या नुकसान nuksan क्या हैं?
  • अंगूरासव को कब नहीं लेते हैं?
  • अंगूरासव के संभावित दवा interaction क्या हैं?
  • अंगूरासव से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?

उत्पाद की जानकारी

  • पर्याय: Angurasava
  • संदर्भ: Ayurved Sar Sangrah (Durbalata Chikitsadhikar: Treatment of Weakness)
  •  दवा का नाम: अंगूरासव Angoorasava
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल आयुर्वेदिक आसव-अरिष्ट
  • मुख्य उपयोग: भूख कम लगना और सामान्य दुर्बलता
  • मुख्य गुण: वात तथा कफ दोष को संतुलित करना
  • दवा का अनुपान: गुनगुना जल
  • गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं करें।
  • एक दिन में ली जा सकने वाली मात्रा: दिन में दो बार, 12 से 24 ml की मात्रा वयस्कों द्वारा ली जा सकती है

अंगूरासव के घटक Ingredients of Angoorasava

  • Angoor Fresh Grape Juice Vitis Vinifera 100 Kg
  • Supari Areca Catechu 250 grams
  • Laung Syzygium Aromaticum 200 grams
  • Javitri Myristica Fragrans 200 grams
  • DalchiniCinnamomum Zeylanicum 200 grams
  • TejpataCinnamomum Tamala 200 grams
  • Sonth Zingiber Officinale 200 grams
  • Kali Mirch Piper Nigrum 200 grams
  • Pippali Piper Longum 200 grams
  • Nagkesar Mesua Ferrea 200 grams
  • Akarkara Anacyclus Pyrethrum 200 grams
  • Kamalkand Nelumbo Nucifera 200 grams
  • Kuth Saussurea Lappa 200 grams
  • Babul Bark Acacia Arabica 200 grams
  • Sugar 50 Kg
  • Dhataki Flowers Woodfordia Fruticosa 5 Kg

दवा के औषधीय कर्म

  • आयुष्य: जीवनीय
  • कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
  • छेदन: जमे हुए कफ को दूर करना
  • दीपन: भूख बढ़ाना
  • निद्राजनन: नींद लाने वाला। sedative
  • पित्तकर: पित्त बढ़ाना
  • पौष्टिक: पोषण देने वाला।
  • बलवर्धक: ताकत बढ़ाता है।
  • बल्य: ताकत देना।
  • रुचिकारक: स्वाद बढ़ाना
  • वातहर: वात दोष को दूर करना
  • वीर्यवर्धक: वीर्य बढ़ाना।
  • श्लेष्महर: कफ को दूर करना
  • हृदय: द्रव्य जो हृदय के लिए लाभप्रद है।

अंगूरासव के लाभ/फ़ायदे Benefits of Angoorasava

  • इसके सेवन से फेफड़े में बलगम का उत्पादन कम करने में मदद मिलती है।
  • इसके सेवन से सिर मे भारिपन, साइनसाइटिस, खांसी, जुखाम, सर्दी, अस्थमा, छींकने, आदि मे विशेष लाभ होता है।
  • इसमें ब्रोन्कोडायलेटर गुण है।
  • इसमें म्यूकोलाईटिक गुण है जिससे यह बलगम को ढीला करने में मदद करता है।
  • इसे इससे फेफड़ों के संक्रमण में ले सकते हैं।
  • इसे ब्रोंकाइटिस के उपचार में किया जा सकता है।
  • यह फेफड़ों में हवा के प्रवाह में सुधार करता है।
  • यह वायुमार्ग में रुकावट दूर कर सांस लेना आसान करता है।
  • यह शरीर के प्रतिरोध immunity में सुधार करता है।
  • यह सांस की नली में सूजन को कम करने में सहायक हो सकता है।

अंगूरासव के चिकित्सीय उपयोग Uses of Angoorasava

अंगूरासव एक हेल्थ टॉनिक है जिसके सेवन से शरीर में ताकत आती है, भूख बढ़ती है और पाचन ठीक से होता है। यह भूख को उत्तेजित करता है।

अंगूरासव को आम सर्दी-खांसी के लक्षणों से लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह सांस लेना आसान बनाता है और सूजन को कम करता है। इसकी जड़ी बूटियाँ, आयुर्वेद में मुख्य रूप से कफ और श्वशन रोगों में पुराने समय से इस्तेमाल की जा रही है और बहुत सेफ हैं। इसके सेवन से नाक जाम होना, नाक बहना, साँस लेने में कठिनाई, छींकने, माथे में भारी लगना, कफ बनना और सिरदर्द आदि लक्षणों में लाभ मिला सकता है।

  • अस्थमा
  • क्षय – तपेदिक टी बी
  • खांसी
  • गले में संक्रमण / गले के विकार
  • दुर्बलता
  • पुराने श्वसन रोग
  • भूख नहीं लगना
  • सूखी खांसी

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Angoorasava

  • यह आयुर्वेद का अरिष्ट है और इसे लेने की मात्रा 12-24 मिलीलीटर है।
  • दवा को पानी की बराबर मात्रा के साथ-साथ मिलाकर लेना चाहिए।
  • इसे सुबह नाश्ते के बाद और रात्रि के भोजन करने के बाद लें।
  • इसे भोजन के 30 मिनट में बाद, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • यह दवा बच्चों को भी दी जा सकती है। दवा की मात्रा बच्चे की आयु, स्वास्थ्य और वज़न पर निर्भर करती है। पांच साल के बच्चे को आधा टीस्पून दवा पानी में मिला कर दे सकते हैं।
  • परिणाम सेवन के कुछ सप्ताह बाद मिलते हैं।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

अंगूरासव के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह के आधार पर 1 से 2 महीने तक किया जा सकता है।
  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • इस औषधि को केवल विशिष्ट समय अवधि के लिए निर्धारित खुराक में लें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।
  • इसे निर्धारित मात्रा में लें।
  • इसे खाली पेट न लें।
  • इसमें 5-10% self-generated अल्कोहल है।
  • दवा के सेवन के दौरान गरिष्ठ भोजन, घी, दूध, चीनी, चावल, आदि का सेवन न करें।
  • नियमित व्यायाम करें।

अंगूरासव के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।

अंगूरासव को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। इसका सेवन गर्भावस्था में न करें।
  • इसमें चीनी,अं गूर है इसलिए डायबिटीज में इसका सेवन न करें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

उपलब्धता

  • इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
  • Baidyanath Angoorasava
  • Zandu Angoorasava

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या अंगूरासव को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले तो सकते हैं। लेकिन इस से हो सकता है कि दोनों ही दवाएं काम नहीं करें। इसलिए, दवा के असर को देखना ज़रूरी है।

अंगूरासव को कितनी बार लेना है?

  • इसे दिन में 2 बार लेना चाहिए।
  • इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।

क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?

दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।

क्या अंगूरासव सुरक्षित है?

हां, सिफारिश की खुराक में लेने के लिए सुरक्षित है।

अंगूरासव का मुख्य संकेत क्या है?

कमजोरी, टीबी, टॉनिक।

अंगूरासव का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?

  • वात कम करना।
  • पित्त वृद्धि करना।
  • कफ कम करना।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

नहीं।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

आप इसे 1-2 महीने के लिए ले सकते हैं।

अंगूरासव लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन के बाद लिया जाना चाहिए एक ही समय में दैनिक रूप में लेने की कोशिश करें।

क्या अंगूरासव एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या अंगूरासव लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है। पीरियड्स के दौरान से नहीं लें, अगर आपको रक्तस्राव पैटर्न पर कोई प्रभाव महसूस होता है।

क्या मैं इसे गर्भावस्था के दौरान ले सकता हूँ?

नहीं।

क्या एक मधुमेह व्यक्ति इसे ले सकता है?

यदि अनियंत्रित शुगर है तो इसका सेवन न करें। यदि शुगर नियंत्रण में है और कुछ मात्रा में मीठे का प्रयोग कर सकते है तो इसे भी लिया जा सकता है।

क्या इसे बच्चों को दे सकते हैं?

7 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए, आप इस दवा को कम मात्रा में दे सकते हैं। लेकिन सही स्वास्थ्य समस्या और सही खुराक जानने के लिए चिकित्सक की सलाह लेनी ज़रूरी है।

Angoorasav refrenced from Ayurved Sar Sangrah (Durbalata Chikitsadhikar: Treatment of Weakness) and is very useful medicine for general debility and loss of appetite. Angoorasava is prepared from juice of fresh grapes and beneficial ayurvedic herbs such as Trikatu, Nutmeg, Mace, Tejpatta, Dalchini etc. It Stimulates appetite and improves the secretion of digestive enzyme from the gastrointestinal tract.

पतंजलि दिव्य अभयारिष्ट Patanjali Abhayarishta (Abhyaristh) Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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दिव्य अभयारिष्ट Divya Patanjali Abhyaristh पतंजलि आयुर्वेद के द्वारा निर्मित आयुर्वेद की एक क्लासिकल दवाई है। दिव्य अभयारिष्ट एक आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन है जो आपके पाचन तंत्र को सही करता है और आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को नष्ट करता है। यह प्राकृतिक द्रव्यों से तैयार किया जाता है जिनमें विरेचक गुण होते हैं और पेरिस्टाल्टिक (लहरदार) संकुचनों को प्रेरित करते हैं जिससे इस प्रकार आंतों को साफ़ करने में सहायता होती है। आंतों में खाना आगे बढ़ता रहता है और पड़ा पड़ा सडन नहीं करता। यह पाचन में सुधार करता है, भूख बढ़ता है, गैस गठन को कम करता है और पाइल्स की सूजन कम करता है। कब्ज और पाइल्स में आप इसे ले सकते हैं।

अभयारिष्ट का मुख्य घटक अभया या हरीतकी है। हरीतकी सौम्य विरेचक, कसैली, भूख को बढ़ाने वाली, पाचन में सहायता देने वाली, बढ़े पित्त को कम करने वाली, और एंटीऑक्सीडेंट है। हरीतकी पेट की गैस, कब्ज, दस्त, पेचिश, पाचन संबंधी विकार, उल्टी, बढ़े हुए जिगर और तिल्ली, खांसी और दमा, और चयापचय के लिए इलाज, के लिए प्रयोग की जाती है।

अभयारिष्ट आठ प्रकार के उदर रोगों को नष्ट करती है। यह कब्ज़ और सूजन को दूर करती है। यदि किसी को बवासीर के शुरुवाती लक्षण हो तो इस दवा का प्रयोग बावासीर को बढ़ने से रोकता है। अभयारिष्ट पेट के विकार्रों में भी लाभदायक है। यह पाचंन को सही करती है। यह मल-मूत्र को साफ़ करती है। अभयारिष्ट को कई महीनों तक लिया जा सकता है।

अभयारिष्ट के सेवन से आँतों में गति ठीक होती है जिससे स्टूल आगे ठीक से बढ़ता है। जहां अन्य लेक्सेटिव का सेवन आँतो को नुक्सान पहुंचाता है वहीँ यह दवा आँतों के ठीक काम करने में मदद करती है। अभयारिष्ट के सेवन से बवासीर में लाभ होता हैं क्योंकि कब्ज़ की समस्या दूर होती है। कब्ज़ से गुदा पर जोर पड़ता है जिससे पाइल्स का द्रव्यमान बढ़ जाता है, पाइल्स के मस्सों से खून गिरने लगता है और शौच के समय तेज दर्द होता है। अभयारिष्ट का सेवन बवासीर के मूल कारण पर काम करता है और रोगी को आराम देता है। इन्ही वजहों से यह गुदा की दरारों, दरारों में इन्फेक्शन आदि से राहत देता है।

आयुर्वेद के आसव अरिष्ट वर्ग की दवा होने से यह पाचन और अवशोषण को निश्चित रूप से ठीक करता है।

नीचे इस दवा के घटक, गुण, सेवनविधि, और मात्रा के बारे में जानकारी दी गयी है।

यह पेज अभयारिष्ट के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

  • अभयारिष्ट में मौजूद सामग्री क्या हैं?
  • अभयारिष्ट के उपयोग upyog क्या हैं?
  • अभयारिष्ट के फायदे faide क्या हैं?
  • अभयारिष्ट के दुष्प्रभाव या नुकसान nuksan क्या हैं?
  • अभयारिष्ट को कब नहीं लेते हैं?
  • अभयारिष्ट के संभावित दवा interaction क्या हैं?
  • अभयारिष्ट से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?

उत्पाद की जानकारी

  • दवा का नाम: अभयारिष्ट Abhayarishta
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: कब्ज़, पाइल्स
  • मुख्य गुण: विरेचक
  • दोष इफ़ेक्ट: वातशामक, कफशामक
  • गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं करें

मूल्य:

Patanjali Abhyaristh 450 ml @ Rs. 70.00

अभयारिष्ट के घटक Ingredients of Abhayarishta

  • Abhaya (Haritaki) Terminalia chebula Pericarp 4.8 kg
  • Mridvika (Draksha) Vitis vinifera Dry Fruit 2.4 kg
  • Vidanga Embelia ribes Fruit 480 g
  • Madhuka Kusuma (Madhuka) Madhuca indica Flower 480 g
  • Jala for decoction Water 49.152 liter reduced to 12.288 liter
  • Guda Jaggery 4.8 kg
  • Gokshur Tribulus terrestris Fruit 96 g
  • Trivrita (Trivrit) Operculina turpethum Root. 96 g
  • Dhanya (Dhanyaka) Coriandrum sativum Fruit 96 g
  • Dhataki Woodfordia fruticosa Flower 96 g
  • Indravaruni Citrullus colocynthis Root. 96 g
  • Cavya Piper retrofractum Stem 96 g
  • Madhurika Foeniculum vulgare Fruit 96 g
  • Sonth Zingiber officinale Rhizome 96 g
  • Danti Baliospermum montanum Root 96 g
  • Mocharasa Salmalia malabarica Exd. 96 g

अभयारिष्ट के लाभ/फ़ायदे Benefits of Abhayarishta

  • अभयारिष्ट एंटीऑक्सीडेंट है।
  • अभयारिष्ट कब्ज़ में राहत देती है। इसके सेवन से स्टूल कठोर नहीं होता।
  • अभयारिष्ट का उपयोग पाचन में सुधार करता है।
  • अभयारिष्ट जठराग्नि को प्रदीप्ति करता है।
  • अभयारिष्ट जिगर की रक्षा करता है और लिवर फंक्शन में सुधार करता है।
  • अभयारिष्ट दर्दनिवारक और एंटीमाइक्रोबियल है।
  • अभयारिष्ट पाइल्स के लक्षणों से आराम देती है।
  • अभयारिष्ट भूख बढ़ाता है।
  • अभयारिष्ट मलावरोध दूर करता है।
  • अभयारिष्ट मस्सों के साइज़ को कम कर सकती है और उन्हें ठीक करने में लाभ कर सकती है।
  • अभयारिष्ट विरेचक है जो की आंत के संकुचन को बढ़ा कर कब्ज़ दूर करता है।
  • इससे खुजली और खून गिरना रुकता है।
  • पाइल्स में होने वाली सूजन, दर्द और असुविधा में इसके सेवन और लगाने से लाभ होता है।

अभयारिष्ट के औषधीय गुण

  • अनुलोमन: द्रव्य जो मल व् दोषों को पाक करके, मल के बंधाव को ढीला कर दोष मल बाहर निकाल दे।
  • कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
  • दीपन: द्रव्य जो जठराग्नि तो बढ़ाये लेकिन आम को न पचाए।
  • पाचन: द्रव्य जो आम को पचाता हो लेकिन जठराग्नि को न बढ़ाये।
  • वातहर: द्रव्य जो वातदोष निवारक हो।
  • विरेचन: द्रव्य जो पक्व अथवा अपक्व मल को पतला बनाकर अधोमार्ग से बाहर निकाल दे।
  • शोथहर: द्रव्य जो शोथ / शरीर में सूजन, को दूर करे।

अभयारिष्ट के चिकित्सीय उपयोग Uses of Abhayarishta

अभयारिष्ट मूत्रल और दस्तावर है। इसके प्राकृतिक तत्व मल को नरम करते हैं और आंत्र गतिशीलता को बढ़ाते हैं, जो तीव्र और पुरानी कब्ज प्रभावी रूप से राहत देते हैं। यह दवा शरीर में द्रव-इलेक्ट्रोलाइटके संतुलन (खनिज और पानी संतुलन) को नहीं बिगाड़ती। यह दवा हैबिट फोर्मिंग लेक्सेटिव नहीं है।

  • अग्निमान्द्य (digestive impairment), पेट की गैस, पेट फूलना, एसिडिटी
  • अर्श (piles)
  • उदर रोग (diseases of abdomen)
  • जलोदर
  • बवासीर में उपयोगी
  • मुत्रविबंध (retention of urine), पेशाब करने में कठिनाई, कम पेशाब होना
  • विबंध/कब्ज (constipation)

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Abhayarishta

  • इस दवा को 12-24 ml की मात्रा में लिया जाना चाहिये।
  • इसे दिन में दो बार, सुबह और शाम पानी की बराबर मात्रा मिला कर लेना है।
  • इसे भोजन करने के बाद लिया जाना चाहिये।
  • अधिक मात्रा में लेने से पेट की गड़बड़ी, पेट में दर्द और लूज़ मोशन हो सकते हैं।
  • गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन गर्भपात का कारण बन सकता है।
  • इसलिए गर्भावस्था में इसका सेवन न करें।

अभयारिष्ट के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • अच्छे प्रभाव के लिए दवा के साथ-साथ जीवन शैली में भी परिवर्तन करें।
  • यह एक दवा है, इससे तुरंत जादुई असर नहीं होगा। दवा के साथ साथ खाने-पीने पर नियंत्रण और व्यायाम आवश्यक है।
  • पानी ज्यादा मात्रा में पियें।
  • पीने के लिए हल्का गर्म पानी लें।
  • खाने में सलाद ज़रूर लें।
  • जंक फ़ूड, केक, बिस्किट, कोल्ड ड्रिंक, मैदे से बने भोज्य पदार्थ न खाएं।
  • कब्ज़ के कारण को जानने का प्रयत्न करें। कई बार शरीर में किसी प्रकार का रोग जैसे की डायबिटीज, के कारण भी कब्ज़ हो जाता है।
  • आँतों में ड्राईनेस है, स्टूल बहुत ड्राई है तो घी या बादाम के तेल का सेवन करें। इससे आंतरिक रूक्षता दूर होगी।
  • बादाम रोग़न को एक चम्मच की मात्रा में दूध में मिलाकर नियमित पियें। चाहे तो देसी घी भी ले सकते हैं।
  • उचित खुराक उपयोगकर्ता की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। उचित खुराक निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है।
  • ध्यान रखें कि प्राकृतिक उत्पाद हमेशा सुरक्षित हों ऐसा जरूरी नहीं हैं।
  • इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह के आधार पर कुछ महीने तक किया जा सकता है।
  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • इस औषधि को केवल विशिष्ट समय अवधि के लिए निर्धारित खुराक में लें।
  •  यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।

अभयारिष्ट के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।

अभयारिष्ट को कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। इसका सेवन गर्भावस्था में न करें।
  • जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, वे इसका सेवन न करें।
  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
  • कोई अन्य रोग भी है, तो डॉक्टर से परामर्श के बिना कोई आयुर्वेदिक दवाइयां नहीं लें।
  • समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की राय प्राप्तकर सही उपचार कराएं जिससे रोग बिगड़े नहीं।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

Where to buy

  • आप इस दवा को सभी फार्मेसी दुकानों पर या ऑनलाइन खरीद सकते हैं।
  • अभयारिष्ट को बहुत सी आयुर्वेदिक फार्मास्यूटिकल कंपनियां बनाती है जैसे की बैद्यनाथ, डाबर, सांडू आदि।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या अभयारिष्ट को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले तो सकते हैं। लेकिन इस से हो सकता है कि दोनों ही दवाएं काम नहीं करें। इसलिए, दवा के असर को देखना ज़रूरी है।

अभयारिष्ट को कितनी बार लेना है?

  • इसे दिन में 2 बार लेना चाहिए।
  • इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।

क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?

दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।

क्या अभयारिष्ट सुरक्षित है?

हां, सिफारिश की खुराक में लेने के लिए सुरक्षित है।

अभयारिष्ट का मुख्य संकेत क्या है?

पाइल्स, फिस्टुला, कब्ज़, पाचन में सुधार।

अभयारिष्ट का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?

  • वात कम करना।
  • पित्त वृद्धि करना।
  • कफ कम करना।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

नहीं।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

आप इसे 1-2 महीने के लिए ले सकते हैं।

अभयारिष्ट लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन के बाद लिया जाना चाहिए एक ही समय में दैनिक रूप में लेने की कोशिश करें।

क्या अभयारिष्ट एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या अभयारिष्ट लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है। पीरियड्स के दौरान नहीं लें, अगर आपको रक्तस्राव पैटर्न पर कोई प्रभाव महसूस होता है।

क्या इसे प्रेगनेंसी में ले सकते हैं?

नहीं। आयुर्वेदिक उष्ण पोटेंसी विरेचक दवाओं का प्रयोग प्रेगनेंसी में नहीं करें।

Abhayarishta (Classical medicine) is a polyherbal classical Ayurvedic medicine used in treatment of pile. Its use gives relief in constipation and cures diseases of abdomen. It removes obstruction in elimination of urine and stool. Here information is given about complete list of ingredients, properties, uses and dosage of this medicine in Hindi language.

गुड़मार अर्क Gudmar Ark (Gudmar Arq) Uses, Benefits, Side Effects, Dosage, Warnings in Hindi

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गुड़मार अर्क Gudmar Ark in Hindi, आयुर्वेदिक अर्क है जिसे डायबिटीज में इस्तेमाल किया जाता है। गुड़मार अर्क को पीने से खून में चीनी का स्तर कण्ट्रोल होता है। डायबिटीज टाइप २ एक ऐसी स्थिति है जिसमें खून में शुगर का स्तर, नार्मल लेवल से अधिक रहता है। यदि से सही से मैनेज नहीं किया जाता तो हाई शुगर लेवल शरीर के सभी अंगों पर असर डालता है। इसलिए, यह बहुत अरुरी है कि खून में शुगर लेवल नियंत्रित रहे।

गुड़मार से खींचा जाने वाला यह अर्क, प्लाज्मा, रक्त, वसा और प्रजनन अंगों पर काम करता है। यह मूत्रल और भूख बढ़ाने वाला है। यह विरेचक है। यह कड़वा कसैला, तीखा, उष्ण, सूजन दूर करने वाला, पीड़ानाशक, पाचक, यकृत टॉनिक, मूत्रवर्धक, उत्तेजक, कृमिनाशक, विरेचक, ज्वरनाशक और गर्भाशय टॉनिक है।

यह दवाई एक आयुर्वेदिक अर्क है। अर्क बनाने के लिए गुड़मार को साफ़ करके रात में पानी में भिगो देते हैं। भिगो देने से यह मुलायम हो जाता है। अगले दिन इसे नाड़िका यंत्र में डाल कर, इसे वाष्पीकृत करके भाप को कंडेंस कर अर्क बना लिया जाता है। अर्क को बोतलों में इकठ्ठा कर लिया जाता है। गुड़मार से बनने वाला यह अर्क, गुड़मार अर्क कहलाता है।

यह पेज गुड़मार अर्क के बारे में हिंदी में जानकारी देता है जैसे कि दवा का कम्पोज़िशन, उपयोग, लाभ/बेनेफिट्स/फायदे, कीमत, खुराक/ डोज/लेने का तरीका, दुष्प्रभाव/नुकसान/खतरे/साइड इफेक्ट्स/ और अन्य महत्वपूर्ण ज़रूरी जानकारी।

  • गुड़मार अर्क में मौजूद सामग्री क्या हैं?
  • गुड़मार अर्क के उपयोग upyog क्या हैं?
  • गुड़मार अर्क के फायदे faide क्या हैं?
  • गुड़मार अर्क के दुष्प्रभाव या नुकसान nuksan क्या हैं?
  • गुड़मार अर्क को कब नहीं लेते हैं?
  • गुड़मार अर्क के संभावित दवा interaction क्या हैं?
  • गुड़मार अर्क से जुड़ी चेतावनियां और सुझाव क्या हैं?

उत्पाद की जानकारी

  • दवा का नाम: Gudmar Arq
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: डायबिटीज
  • मुख्य गुण: रक्तशर्करा को कम करना
  • दोष इफ़ेक्ट: कफ-हर, वातहर
  • गर्भावस्था में प्रयोग: बिना डॉक्टर की सलाह नहीं करें

गुड़मार अर्क के घटक Ingredients of Gudmar Ark

गुड़मार अर्क को जिम्नेमा सिल्विसट्रे नाम के पौधे से बनाते हैं।

गुड़मार अर्क के लाभ/फ़ायदे Benefits of Gudmar Ark

  • यह डायबिटीजरोधी Antidiabetic है।
  • यह खून में ग्लूकोज के लेवल को कम करता है।
  • यह इन्सुलिन का बहाव बढ़ाता है।
  • यह पंक्रियास की सेल्स का रीजनरेशन कराता है।
  • शरीर में ग्लोकोज़ के उपयोग को सही करता है।
  • आंत से शुगर के अवशोषण को रोकता है।
  • मोटापा दूर करने वाली Antiobesity हर्ब है।
  • बुखार को कम Antipyretic करता है।
  • कड़वी Bitter है।
  • हृदय के लिए टॉनिक Cardiotonic है।
  • मूत्रल Diuretic है।
  • कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली Hypocholesterolemic और ट्राइग्लिसराइड के लेवल को कम करता है।
  • विरेचक Laxative है।
  • गर्भाशय के लिए टॉनिक Uterotonic है।
  • कफ, पित्त, सांस लेने में तकलीफ, आँखों में दर्द आदि को दूर करता है।
  • यह सूजन, यकृत-वृद्धि, अपच, कब्ज़, पीलिया, पाइल्स, कृमि ब्रोंकाइटिस, विषम ज्वर, मासिक न आना, पथरी, त्वचा रोग और आँखों के रोगों में प्रयोग की जाता है।

गुड़मार अर्क के चिकित्सीय उपयोग Uses of Gudmar Ark

गुड़मार अर्क को दर्द, शोष, पाइल्स, अस्थमा, हृदय के रोगों, कफ, कृमि, कुष्ठ, आँखों के रोग, घाव, दांतों के कीड़ों, प्रमेह, और डायबिटीज के उपचार में प्रयोग किया जाता है।

  • मधुमेह
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर
  • उच्च ट्राइग्लिसराइड स्तर

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Gudmar Ark

  • गुड़मार के अर्क को दिन में दो से तीन बार ले सकते हैं।
  • इसे खाली पेट लेना चाहिए।
  • इसे लेने की मात्रा 20 से 60 ml है।
  • इसे हल्के गर्म पानी के साथ ले सकते हैं।
  • बच्चों को वयस्कों को दी जाने वाली मात्रा का आधा या उम्र के हिसाब से, दवा दी जा सकती है।

गुड़मार अर्क के इस्तेमाल में सावधनियाँ Cautions

  • उचित खुराक उपयोगकर्ता की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। उचित खुराक निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है।
  • ध्यान रखें कि प्राकृतिक उत्पाद हमेशा सुरक्षित हों ऐसा जरूरी नहीं हैं।
  • इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह के आधार पर 1 से 2 महीने तक किया जा सकता है।
  • उम्र और ताकत पर विचार करते हुए और किसी वैद्य की विशेषज्ञ सलाह के साथ, दवा का उचित अनुपात में उचित अनुपान के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

गुड़मार अर्क के साइड-इफेक्ट्स Side effects

निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।

गुड़मार अर्क को कब प्रयोग न करें Contraindications

इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लें।

भंडारण निर्देश

  • सूखी जगह में स्टोर करें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

दवा के बारे में पूछे जाने वाले कुछ सवाल

क्या केवल गुडमार का अर्क पीने से शुगर कम हो जायेगी?

नहीं, दवा के साथ लाइफस्टाइल और डाइट पर ध्यानदें ।कुछ व्यायाम करें। बिना व्यायाम के कोई भी दवा शुगर पर अच्छे से काम नहीं करेगी।

क्या इस दवा को एलोपैथिक दवाओं के साथ ले सकते हैं?

हाँ, ले सकते हैं। लेकिन दवाओं के सेवन में कुछ घंटों का गैप रखें।

क्या गुड़मार अर्क को होम्योपैथिक दवा के साथ ले सकते हैं?

ले तो सकते हैं। लेकिन इस से हो सकता है कि दोनों ही दवाएं काम नहीं करें। इसलिए, दवा के असर को देखना ज़रूरी है।

गुड़मार अर्क को कितनी बार लेना है?

  • इसे दिन में 2 बार / 3 बार लेना चाहिए।
  • इसे दिन के एक ही समय लेने की कोशिश करें।

क्या दवा की अधिकता नुकसान कर सकती है?

दवाओं को सही मात्रा में लिया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन साइड इफेक्ट्स कर सकता है।

क्या गुड़मार अर्क सुरक्षित है?

हां, सिफारिश की खुराक में लेने के लिए सुरक्षित है।

गुड़मार अर्क का मुख्य संकेत क्या है?

Diabetes.

गुड़मार अर्क का वात-पित्त या कफ पर क्या प्रभाव है?

  • वात कम करना।
  • पित्त वृद्धि करना।
  • कफ कम करना।

क्या इसमें गैर-हर्बल सामग्री शामिल है?

नहीं।

मैं यह दवा कब तक ले सकता हूँ?

आप इसे 1-2 महीने के लिए ले सकते हैं।

गुड़मार अर्क लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इसे भोजन के पहले लिया जाना चाहिए एक ही समय में दैनिक रूप में लेने की कोशिश करें। हो सके तो इसे खाली पेट लें या खाना खाने के आधा घंटे पहले लें या खाना खाने के 1 घंटे बाद लें।

क्या गुड़मार अर्क एक आदत बनाने वाली दवा है?

नहीं।

क्या यह दिमाग की अलर्टनेस पर असर डालती है?

नहीं।

क्या गुड़मार अर्क लेने के दौरान ड्राइव करने के लिए सुरक्षित है?

हाँ।

क्या मैं इसे पीरियड्स के दौरान ले सकती हूँ?

इसे लिया जा सकता है। पीरियड्स के दौरान नहीं लें, अगर आपको रक्तस्राव पैटर्न पर कोई प्रभाव महसूस होता है।

क्या इसे बच्चों को दे सकते हैं?

7 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए, आप इस दवा को कम मात्रा में दे सकते हैं। लेकिन सही स्वास्थ्य समस्या और सही खुराक जानने के लिए चिकित्सक की सलाह लेनी ज़रूरी है।

क्या इसे प्रेगनेंसी में ले सकते हैं?

प्रेगनेंसी में कोई भी दवा बिना डॉक्टर की सलाह के लेने से बचें। प्रेगनेंसी में हॉर्मोन लेवल में बहुत बदलाव होता है। इम्युनिटी भी कम हो जाती है। गर्भाशय में पल रहे शिशु तक भी दवा जाती है। इसलिए, कोई दवा कैसे शरीर पर असर करेगी यह कह नहीं सकते। इसके अतिरिक्त इस दवा के विषय में पर्याप्त शोध भी उपलब्ध नहीं है। इसलिए किसी भी तरह के दवा के सेवन से बचें।

Gudmar Ark (Classical medicine) is Ayurvedic medicine. It is indicated in management of diabetes. Arka / Arq can be defined as a liquid obtained by distillation of certain liquids or drugs soaked in water using distillation apparatus. The drugs are boiled in distillation apparatus to get the vapors which on condensation give Ark of desired herb. Ark contains the volatile part of drug. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi languag

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