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ग्राइप वाटर Gripe Water Detail and Uses in Hindi

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ग्राइप वाटर, शिशुओं को दिया जाता है। यह पानी शिशुओं में पेट दर्द, जठरांत्र संबंधी समस्या, दर्द, उलटी कर देना, समेत अन्य पेट की सामान्य दिक्कतों के लिए एक सुरक्षित दवाई है। यह घरेलू उपचार में प्रयोग किये जाने वाले द्रव्यों जैसे की सौंफ, पानी, चीनी आदि से तैयार किया जाता है। कुछ कंपनियां इसमें सोडा बाईकार्बोनेट, अदरक, सोया, कैमोमाइल आदि भी डालती हैं। वयस्क भी इसे अधिक मात्रा में आंतों के दर्द, गैस या अन्य पेट के रोगों के लिए इसे प्रयोग कर सकते हैं।

ग्राइप वाटर पहली बार विलियम वुडवर्ड द्वारा बनाया गया था व मूल रूप से इसमें 3.6% अल्कोहल, डिल तेल, सोडियम बाइकार्बोनेट, चीनी और पानी थे। अब अल्कोहल और सूक्रोज तो प्रयोग नहीं किये जाते परन्तु सोडियम बाइकार्बोनेट और सौंफ के तेल अथवा डिल का तेल, इसके प्राथमिक सक्रिय संघटक हैं। छोटे बच्चों को अल्कोहल वाली दवा नहीं दी जानी चाहिए। ब्रिटेन में लोगों के विरोध के चलते ग्राइप वाटर से अल्कोहल को हटा दिया गया। ग्राइप वाटर का फार्मूला अब निर्माता पर निर्भर करता है। अलग-अलग ब्रांड के अलग-अलग घटक है।

यह शिशुओं के कोलिक infantile colic की दवा है। इनफेंटाइल कोलिक शिशुओं में शुरुवाती चार-पांच महीनों में देखा जाता है। इसमें बच्चे बहुत अधिक रोते हैं तथा ऐसा अक्सर शाम-रात में होता है। कोलिक तब कहा जाता है जब बच्चा एक सप्ताह में कम से कम तीन बार, एक दिन में 3 घंटे रोता है और ऐसा तीन सप्ताह से लगातार चला आ रहा है।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य केवल दवा के बारे में सही जानकारी देना है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं करते। साथ ही बच्चे को कोई भी दवा डॉक्टर की सलाह के बिना न दें।

Gripe Water was formulated in England in 1851. The original Woodward’s Gripe Water contained 3.6% alcohol, dill oil, sodium bicarbonate, sugar, and water. Now alcohol and sucrose are not used in the formulation.

The formulation of Gripe water varies from brand to brand. It is as herbal supplement to babies for infantile colic, stomach discomfort, gas, hiccups and teething. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

ग्राइप वाटर के घटक Ingredients of Gripe Water

Woodward’s Gripe Water

Each 5 ml contains

  1. स्वर्जिकाक्षार Sarjikakshara 50 mg
  2. सोआ तेल Anethum Graveolens oil 5 mg
  3. चीनी Sugar 1.10 gram
  4. पानी Aqua Water added to make 5 ml
  5. Preservatives Bronopol, Sodium Methylparaben, Sodium Propylparaben, Sodium Benzoate

Mommy’s Bliss, Night Time, Gripe Water

  1. सोंठ का एक्सट्रेक्ट Organic Ginger Extract (Zingiber officinale) (rhizome) 5 mg
  2. कैमोमाइल एक्सट्रेक्ट Organic Chamomile Extract (Matricaria recutita) (flower) 5 mg
  3. सौंफ का एक्सट्रेक्ट Organic Fennel Extract (Foeniculum vulgare) (seed)    4 mg
  4. लेमन बाम का एक्सट्रेक्ट Organic Lemon Balm Extract (Melissa officinalis) (leaf) 4 mg
  5. पैशन फ्लावर Organic Passion Flower Extract (Passiflora incarmate) (leaf) 4 mg

स्वर्जिकाक्षार Sarjikakshara अथवा सज्जीखार को वैसे तो आयुर्वेद में क्षार युक्त वनस्पतियों से बनाते हैं परन्तु आजकर सोडा बाई कार्ब को भी शुद्ध स्वर्जिकाक्षार मानते हैं। यह तीक्ष्ण, स्वभाव से गर्म, पाचक, दीपन, विरेचक है तथा कफ, कब्ज़, पाइल्स, गुल्म और प्लीहा वृद्धि में लाभप्रद है। ग्राइप वाटर में सोडियम बाइकार्बोनेट, हाइपर एसिडिटी और अपच को कम करने में मदद करता है। ग्राइप वाटर में इसके डालने से क्या लाभ है यह तो ज्यादा समझ नहीं आता क्योंकि छोटे बच्चे में हाइपरएसिडिटी की समस्या नहीं पायी जाती।

सोआ या सोया (एनेथम ग्रेवोलेंस) अजवाइन परिवार का पौधा है। डिल आयल इसी पौधे के बीजों से प्राप्त एसेंशियल आयल है। यह ग्राइप वाटर में पेट के दर्द को दूर करने के लिए डाला जाता है। यह गैसहर, मूत्रल, और पेट की समस्याएँ दूर करने वाली औषधि है। डिल बीज का तेल गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रास्ते की चिकनी मांसपेशियों पर स्पस्मॉलिटिक प्रभाव डालता है और हो रही ऐंठन और दर्द में राहत देता है। यह गैस, पेट फूलना, ऐंठन सभी में फायदा करता है।

चीनी होने के कारण यह स्वाद में अच्छा हो जाता है और बच्चे इसे पीने पर रोना बंद कर देते हैं।

ग्राइप वाटर के लाभ/फ़ायदे Benefits of Gripe Water

  1. यह बच्चों के लिए सुरक्षित है।
  2. यह पेट, गैस, और पेट की ने तकलीफों में लाभप्रद है।
  3. इसमें सोया या ग्लूटेन नहीं होता।
  4. इसमें सौंफ या सोआ का एक्सट्रेक्ट होता है जो कि पेट की सामान्य समस्याओं में असरदार है।

ग्राइप वाटर के चिकित्सीय उपयोग Uses of Gripe Water

  1. जठरांत्र संबंधी दर्द gastrointestinal colic
  2. अतिसंधी, अपच और पेट फूलना Hyperacidity, indigestion and flatulence
  3. दांत निकलना Teething
  4. दांत निकलने के कारण नींद की गड़बड़ी और चिड़चिड़ापन sleep disturbances and irritability due to
  5. gastrointestinal disorders and teething

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Gripe Water

  1. ग्राइप वाटर को दिन में तीन बार दिया जाता है।
  2. वुडवर्ड्स नवजात बच्चों को ग्राइप वाटर 2.5 ml या आधा टीस्पून की मात्रा में दे सकते हैं।
  3. एक से छः महीने के बच्चे को 5 ml या एक टीस्पून की मात्रा में दे सकते हैं।
  4. छः महीने से एक साल के बच्चे को के बच्चे को 10 ml या दो टीस्पून की मात्रा में दे सकते हैं।
  5. दो साल या उससे अधिक उम्र के बच्चे को दो-तीन टीस्पून की मात्रा में दे सकते हैं।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  1. प्रयोग करने से पहले बोतल को अच्छे से हिला लें। इसे ड्रॉपर या टीस्पून से दें।
  2. इसे 24 घंटों में तीन बार से ज्यादा प्रयोग न करें।
  3. बोतल को खोलने के बाद, लेबल पर लिखे तय समय के अन्दर प्रयोग करें।
  4. बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  5. कुछ बच्चों में एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है। ऐसे में इसे बच्चे को न दें।
  6. बच्चे को कोई भी सप्लीमेंट देने से पहले डॉक्टर से अवश्य संपर्क करें।
  7. इस दवा का कोई नुकसान नहीं है, लेकिन इसे देने का कितना फायदा है यह नहीं कहा जा सकता। इस पर बहुत शोध नहीं किये गए हैं।
  8. निर्माता के अनुसार इसके इन्ग्रेडियंट भिन्न हो सकते हैं।

Uric Acid यूरिक एसिड जानकारी और उपयोगी टिप्स

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यूरिक एसिड एक केमिकल है जो शरीर में तब निर्मित होता है, जब शरीर में प्यूरिन purine metabolism नामक पदार्थ टूटता है। प्यूरिन purines शरीर के टिश्यूज़, कुछ खाद्य पदार्थ और पेय में पाए जाते हैं जैसे मटर, बीन्स, बियर, मांस, प्रोटीनयुक्त आहार आदि। यूरिक एसिड रक्त में घुलकर किडनियों तक पहुंचता है। वहां से, यह मूत्र के माध्यम से बाहर निकाल दिया जाता है। यदि शरीर में बहुत यूरिक एसिड पैदा हो रहा है लेकिन यह पर्याप्त मात्रा में नहीं निकाला जा रहा है तो रक्त में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ता है। मेडिकल भाषा में यूरिक एसिड का उच्च स्तर हाइपरुरिसेमिया hyperuricemia कहलाता है।

uric acid

कभी-कभी यूरिक एसिड सुई की तरह क्रिस्टल बना सकते हैं । जब ऐसा जोड़ों में होता है तब यह दर्द का कारण बन जाता है। यह क्रिस्टल गुर्दे में भी जम सकते हैं और पथरी के कारण बन सकते हैं। यूरिक एसिड के बढ़ने पर कई रोगों के होने का खतरा बढ़ जाता है। इससे गाउट, मधुमेह, इंसुलिन प्रतिरोध और उच्च रक्तचाप शरीर ने सूजन gout, urolithiasis, acute and chronic nephropathy, diabetes mellitus, cardiovascular disease आदि क्रोनिक समस्याएं हो सकती है।

गाउट वह स्थिति है जब जब शरीर के जोड़ों में दर्द होने लगता है। अक्सर, गाउट का दर्द पैर की अंगुली, घुटनों, कलाई, उंगलियों और कुहनी पर होता है। पहले यह कुछ समय में ठीक हो जाता है लेकिन बाद में यह अधिक बार होने लगता है।

आजकल यूरिक एसिड की समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। यूरिक एसिड के बढ़ने के कई कारण हैं जैसे की पाचन समस्या, व्यायाम न करना, खान-पान, जेनेटिक, किडनी की समस्या आदि।

25 वर्ष की आयु के बाद कम शारीरिक मेहनत करने वाले लोगों में यूरिक एसिड बढ़ने का ख़तरा बढ़ जाता है। शरीर में जब कम गैस्ट्रिक एसिड बनता है तो पाचन कमज़ोर हो जाता है। पाचन की कमजोरी से शरीर में यूरिक एसिड का उत्पादन बढ़ जाता है और स्थिति गाउट की हो जाती है। देखा जाए तो ज्यादातर शार्रीरिक समस्याओं का कारण कमज़ोर पाचन है। इसलिए पाचन पर सबसे पहले ध्यान देना चाहिए। ऐसे भोज्य पदार्थ जो की गैस्ट्रिक जूस को कम करते हों को बहुत अधिक नहीं लेना चाहिए। एन्टासिड का प्रयोग बहुत लम्बे समय तक लगातार नहीं किया जाना चाहिए। विटामिन डी की कमी से भी पाचन कमजोर होता है।

एक और ध्यान देने योग्य बात है कि ज्यादातर हाइपरुरिसेमिया के मामलों में विटामिन डी की कमी भी देखी जाती है। मनुष्यों और पशुओं में किये गए कई अध्ययन दिखाते हैं, विटामिन डी और यूरिक एसिड के मेटाबोलिज्म studies have shown an inversed association between serum UA and 1,25(OH)2D के तरीके आपस में जुड़े हुए हैं। यदि शरीर में विटामिन डी की कमी है तो पैराथोइरोइड हॉर्मोन vitamin D insufficiency can activate parathyroid to induce the release of parathyroid hormone which raise UA level के स्टीमुलेशन से यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाता है।

यूरिक एसिड और दूसरे मेटाबोलिक डिसऑर्डर high level of uric acid is closely related to all the metabolic diseases, such as gout, chronic nephropathy obesity, hypertension, type 2 diabetes, nonalcoholic fatty liver disease, coronary artery disease, and stroke आपस में बहुत अधिक जुड़े हुए हैं। इसलिए यदि बार-बार जोड़ों के दर्द, सूजन, यूरिक एसिड की पथरी आदि से परेशान हैं तो व्यक्ति को तुरंत यूरिक एसिड, विटामिन डी, शुगर लेवल की जांच करा लेनी चाहिए और जीवनशैली, खान-पान और दवाओं के माध्यम से स्वास्थ्य को ठीक करना चाहिए जिससे भविष्य में स्वास्थ्य समस्याएं न हों।

यूरिक एसिड के लक्षण

  1. गठिया
  2. जोड़ों में सूजन, दर्द
  3. त्वचा सम्बन्धी दिक्कतें
  4. जोड़ों का लाल और गर्म लगना
  5. पैरों के अंगूठे में दर्द
  6. किडनी की पथरी आदि।

परीक्षण कैसे किया जाता है

रक्त के नमूने को लेकर उसकी जांच की जाती है। ज्यादातर समय रक्त कोहनी के अंदर या हाथ के पीछे स्थित नसों से निकाला जाता है।

सामान्य परिणाम

  1. शरीर में यूरिक एसिड का नार्मल रेंज / सामान्य मान 3.5 और 7.2 मिलीग्राम / डीएल के बीच होते हैं।
  2. विभिन्न प्रयोगशालाओं में सामान्य सीमाएं थोड़ी भिन्न हो सकती हैं।
  3. यूरिक एसिड की सामान्य रेंज
  4. पुरुष: 3.4-7.0 mg/dL
  5. स्त्री: 2.4-6.0 mg/dL

यूरिक एसिड के साइड इफेक्ट्स / नुकसान

बढ़ा हुआ यूरिक एसिड शरीर में अनेक समस्याओं को कारण बन सकता है। इनमें से कुछ निम्न हैं:

  1. गठिया / वातरक्त
  2. शरीर में एसिड का अधिक होना
  3. किडनी की पथरी
  4. किडनी पर अधिक दबाव
  5. जोड़ों की समस्या
  6. त्वचा सम्बन्धी रोग
  7. उच्च रक्तचाप

यूरिक एसिड को कम करना क्यों ज़रूरी है

  1. यूरिक एसिड को कम करना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यह अन्य बहुत से रोगों के होने का कारण हैं जैसे:
  2. किडनी फंक्शन का कम होना lower kidney function
  3. गठिया gouty arthritis
  4. एंडोथेलियल डिसफंक्शन endothelial dysfunction
  5. हृदय रोग cardiovascular diseases
  6. इंसुलिन प्रतिरोध insulin resistance

यूरिक एसिड की समस्या में क्या खाना चाहिए (पथ्य)

नियमित भोजन में निम्नलिखित पदार्थों को शामिल करें।

  1. गिलोय का सेवन, पाउडर, काढ़े या चूर्ण के रूप में लम्बे समय तक करें। यह शरीर से अधिक पित्त और यूरिक एसिड को मूत्र के रास्ते शरीर से बाहर करने में सहायक है। यह गाउट में फायदेमंद है।
  2. पुर्ननवा, विडंग का सेवन यूरिक एसिड को कम करने में सहायक है।
  3. कैशोर गुग्गुल का सेवन हर तरह के गाउट, यूरिक एसिड के ज्यादा होने और ज्यादा कोलेस्ट्रोल में लाभप्रद है।
  4. प्याज का सेवन करें। चूहों में किये गए एक्सपेरिमेंट में देखा गया प्याज के सेवन से यूरिक एसिड का स्तर कम होता है।
  5. हल्दी का सेवन करें। अजवाइन का सेवन करें।
  6. दालचीनी, अदरक, जीरा, सौंफ, को भोजन में शामिल करें।
  7. जौ, गेहूं, शालि चावल, सांठी चावल सेव्य है।
  8. बकरी, गाय अथवा भैंस का दूध पियें।
  9. कडवे, अधिक गर्म न अधिक ठण्डे भोजन का सेवन करें।
  10. अन्नानास, स्ट्राबेरी, चेरी, ब्लूबेरी आदि को सेवन करें।
  11. चना, मूंग, अरहर, करेला, परवल पथ्य हैं।
  12. खाना बनाने के लिए ओलिव आयल का प्रयोग करें।
  13. गुग्गुल, त्रिफला और त्रिकटु का सेवन लाभप्रद है।
  14. शरीर में एसिड की मात्रा को कम करें,फलों के रस पीने से शरीर का एसिड कम होता है।
  15. नींबू का सेवन करें। यह शरीर का पीएच बनाये रखने में मदद करता है। यह वितामिन सी का अच्छा स्रोत है और शरीर से विजातीय पदार्थों को निकालने में भी मदद करता है। नींबू में सिट्रिक एसिड होता है जो की यूरिक एसिड को कम करता है। गाउट अटैक में दिन में कई बार नींबू का रस पानी में डाल कर पिया जा सकता है।
  16. पानी पर्याप्त मात्रा में पियें।
  17. मौसमी फलों का सेवन करें।
  18. गाउट अटैक में रोटी, सब्जी और दाल खाएं। मौसमी फलों को ज्यादा खाएं। दूध और पानी पियें।
  19. पाचन सही रखें, कब्ज़ न होने दें।

यूरिक एसिड में क्या नहीं खाना चाहिए (अपथ्य)

यदि आप नीचे दिए गए भोजन को कम मात्रा (जैसे नमक, कुछ सब्जियां) में या पूरी तरह नहीं (जैसे मांस, समुद्री जंतुओं का मांस, अल्कोहल) रूप में लेते हैं, तो यूरिक एसिड आगे से नहीं बढ़ेगा और बढ़ा हुआ यूरिक एसिड भी कण्ट्रोल में आ सकता है। Examination Survey 2007-2008 in USA and Taiwan Nutrition survey demonstrated that the serum uric acid (SUA) level increases with more intake of meat, seafood, and alcohol, especially beer correspondingly.

  1. गाउट अटैक हो तो फैट वाले आइटम, आर्टिफीशियल स्वीटनर, कार्बोनेटेड शीतल पेय और फिजी पेय, सिगरेट, मैदा, मांस, पेस्ट्री और केक, चीनी, बीयर, ब्राउन शुगर, चॉकलेट, कॉफी, सफेद चीनी के साथ कस्टर्ड, जैम, जेली, लिकर, पास्ता, सूजी, टेबल साल्ट, काली चाय, ब्रेड्स सफेद, चावल, सिरका आदि न खाएं।
  2. ज्यादा प्रोटीन वाला भोजन और यीस्ट, फर्मेंटेशन द्वारा बनाया भोजन न करें।
  3. टमाटर, गोभी, बंद गोभी, मशरूम, बीन्स, पालक का सेवन न करें।
  4. राजमा, सोया बीन, भिन्डी, मटर, पनीर, अरबी, का अधिक मात्रा में सेवन न करें।
  5. मांस, समुद्री भोजन और अल्कोहल का सेवन न करें।
  6. ओमेगा 3 फैट एसिड से परहेज करें।
  7. मछलियों का सेवन न करें।
  8. गरिष्ठ भोजन का सेवन न करें।
  9. शिलाजीत का सेवन न करें।
  10. नमक का सेवन कम करें।
  11. फ्रुक्टोज fructose, कोल्ड ड्रिंक्स, बिवरेज, अधिक मिठाई का सेवन न करें।
  12. पिज़्ज़ा, बर्गर, मैदा, तले हुए भोजन न करें।
  13. शुगर का सेवन कम करें।
  14. तम्बाकू का सेवन न करें।
  15. बियर न लें।
  16. दिन में सोना, व्यायाम, गर्म सेंक, उरद डाल और मटर हानिप्रद हैं।
  17. बहुत धूप में न रहें।

आवश्यकता से अधिक श्रम न करें। वज़न कम करें। यदि पेट पर चर्बी है तो उसे कम करें। वज़न कम करने के लिए क्रेश डाइटिंग न करें क्योंकि बहुत अधिक लम्बे समय तक भूखे रहने से तथा अचानक वज़न कम होने से यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। सही भोजन का चयन करके और हल्का व्यायाम करके वज़न को कम करने की कोशिश करें।

कुछ लोग बेकिंग सोडा लेने की सलाह देते हैं। लेकिन इसमें सोडियम अधिक होता है, इसलिए इसका सेवन नियमित नहीं किया जाना चाहिए। अधिक सोडियम शरीर में अधिक पानी का अवधारण कराता है और रक्तचाप को बढ़ा सकता है।

आयुर्वेदिक दवाइयां जो यूरिक एसिड, गठिया में लाभप्रद हैं

  1. गिलोय सत्व / गिलोय चूर्ण / गिलोय काढ़ा / गिलोय एक्सट्रेक्ट
  2. त्रिफला चूर्ण (उत्तम रसायन, अध्ययन भी दिखाते हैं विभितकी यूरिक एसिड कम करती है)
  3. पटोलादि काढ़ा (परवल वात दोष को कम करता है)
  4. निम्बादी चूर्ण (यदि त्वचा रोग भी है)
  5. मंजिष्ठादि कषाय (यदि जोड़ों में दर्द त्वचा रोग के साथ है)
  6. कैशोर गुग्गुलु (जोड़ों का रूखा होना, पुराना दर्द, घुटने के जोड़ से आवाज आना)
  7. रसनासप्तक क्वाथ (आमपाचन)
  8. पुनर्नावासव / पुनर्नवारिष्ट (यदि सूजन है)
  9. पुनार्नावादि कषाय
  10. अमृतारिष्ट (यदि बुखार के साथ गठिया है)
  11. अमृता गुग्गुलु (गिलोय यूरिक एसिड कम करने में बहुत लाभप्रद है)
  12. पुनर्नवा गुग्गुलु (सूजन, पानी का अवधारण में)
  13. त्रिफला गुग्गुलु
  14. सिंहनाद गुग्गुलु

खाने में सही भोजन के चुनाव, व्यायाम, और पानी पीने से यूरिक एसिड में बहुत लाभ होता है। diet poor in purine-rich food (protein rich, sugars, alcohol) and rich in vegetables and water intake is necessary इस बात की आवश्यकता है की व्यक्ति उन पदार्थों को जाने जिनमें प्यूरिन होता है जो शरीर में टूट कर यूरिक एसिड का स्तर तुरंत ही बढ़ा देते है जैसे की बियर, अल्कोहल, प्रोटीन युक्त आहार, oat आदि। ऐसे पदार्थों का सेवन बिलकुल low purine diet न के बराबर करे। खाने में ऐसा भोजन किया जाए जो सुपाच्य, हल्का और पौष्टिक हो और जिसमें प्यूरिन purine-poor diet e.g. onion, celery, leek, turnip न हो। खीरा, करेला, लता जाति की अन्य सब्जियां भोजन में ली जानी चाहिए। हल्दी वाला दूध पियें। मिठाई, वसा युक्त, बाज़ार में मिलने वाले मैदा युक्त आहार न खाएं। दैनिक हल्का व्यायाम करें और दिनचर्या को नियमित रखें। लो फैट डाइट लेने से वज़न और यूरिक एसिड दोनों ही नियंत्रित होते हैं। डॉक्टर के निर्देशानुसार दवा का सेवन भी अवश्य करें।

प्याज Onion जानकारी, लाभ, प्रयोग और सावधानियां

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प्याज को तो सभी जानते हैं। संस्कृत में इसका नाम पलाण्डु, यवनेष्ट, दुर्गन्ध, मुखदूषक आदि हैं। हिंदी में इसे पियाज या प्याज़ और गुजराती में डूंगरी कहते हैं। इंग्लिश में इसे अनियन और लैटिन में एलियम सेपा कहते हैं। प्याज कच्चा और पका कर दोनों ही तरीकों से खाया जाता है। प्याज के बिना तो करी वाली सब्जी बन ही नहीं सकती। कच्चा प्याज सलाद की तरह और भरते में डाला जाता है। इसका रस निकाल कर भी प्रयोग करते हैं।

onion health benefits

प्याज भोजन तो है ही लेकिन यह औषधि भी है। इसमें गंधक, जिसे सल्फर भी कहते हैं, होने से यह पूरे स्वास्थ्य को सही कर सकती है।

सल्फर शरीर के हर टिश्यू में पाया जाता है और अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है। यह शरीर में बैक्टीरिया को बढ़ने को रोकता है और टॉक्सिक पदार्थों से सेल्स की रक्षा करता है। यह बालों, त्वचा, जोड़ों और कनेक्टिव टिश्यू के सही विकास के लिए भी ज़रूरी है। सल्फर जोड़ों के दर्द, नाखूनों के टूटने, और शरीर से नुकसान दायक केमिकल्स को दूर करने में सक्षम है। यह धमनियों को इलास्टिक बनाये रखता है और एंटीऑक्सीडेंट की सिंथेसिस के लिए भी ज़रूरी है। प्याज, लहसुन की ही तरह गंधक का आर्गेनिक स्रोत है। यह प्रोटीन में कम है इसलिए यूरिक एसिड की समस्या में भी लाभप्रद है। प्याज को आंतरिक और बाह्य, दोनों ही तरह से प्रयोग किया जाता है। यह कफनिःसारक व मूत्रल होता है। इसे पुरानी खांसी, वूपिंग कफ, जकड़न आदि में अन्य पदार्थों के साथ प्रयोग किया जाता है।

प्याज ही एक ऐसी सब्जी है जिसे काटने पर आँखों से आंसू आते हैं और आँखों में जलन होती है। ऐसा इसमें पाए जाने वाले कुछ कंपाउंड्स lachrymator compounds के कारण होता है।

सामान्य जानकारी

प्याज का पौधा रसोन/लहसुन की ही भाँती एक 2-3 फुट उंचा क्षुप है। इसके पत्ते लम्बे और अन्दर से पोपले होते हैं। इसके पुष्प सफ़ेद होते हैं। भूमि के अन्दर कन्द होते हैं। सफ़ेद कन्द के दो प्रकार माने गए हैं – छोटा वाला घोड़ पियाज और बड़ा वाला पटनहिया प्याज। पटनहिया प्याज क्षीरपलांडू कहा गया है। सफ़ेद कन्द मधुर और पिच्छिल होता है। लाल कन्द को आयुर्वेद में राजपलांडू कहा गया है। यह सफ़ेद प्याज से अधिक तीक्ष्ण होता है।

  • वानस्पतिक नाम: Allium cepa
  • कुल (Family): प्लांडू कुल / लिलीएसिएई
  • औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: बीज, बल्ब, पौधा जिसे स्प्रिंग अनियन कहते हैं।
  • वितरण: प्याज का उत्पत्ति स्थान एशिया माना जाता है और अब यह पूरे विश्व में उगाई जाती है।
  • प्राप्तिस्थान: समस्त भारत।

प्याज का वैज्ञानिक वर्गीकरण Scientific Classification

  • किंगडम Kingdom: प्लांटी Plantae – Plants
  • सबकिंगडम Subkingdom: ट्रेकियोबाईओन्टा Tracheobionta संवहनी पौधे
  • सुपरडिवीज़न Superdivision: स्परमेटोफाईटा Spermatophyta बीज वाले पौधे
  • डिवीज़न Division: मैग्नोलिओफाईटा Magnoliophyta – Flowering plants फूल वाले पौधे
  • क्लास Class: Liliopsida – Monocotyledons एकबीजपत्री
  • सबक्लास Subclass: Liliidae
  • आर्डर Order: Liliales लिलीएल्स
  • परिवार Family:  Liliaceae – लिली परिवार
  • जीनस Genus: Allium L. – एलियम
  • प्रजाति Species: Allium cepa एलियम सेपा

प्याज के संघटक Phytochemicals

प्याज में सिलापिक्रिन, सिलामेरिन, सिलीनाइन, सिनिस्ट्रिन, शक्कर, म्युसिलेज, लवण आदि पाए जाते है। इसके कन्द तथा पौधे दोनों में ही उग्रगंध युक्त व चरपरा तेल तथा गंधक पाया जाता है।

  • Alliins (alkylcysteine sulphoxides):
  • Fructosans (polysaccharides, 10-40%)
  • Saccharose and other sugars
  • Flavonoids quercetin-4′-O-beta-D-glucoside
  • Steroid Saponins

प्याज काटते समय आँख में आंसू क्यों आते हैं?

प्याज में अमीनो एसिड सल्फोक्सिड्स sulfoxides होते हैं जो कि प्याज कोशिकाओं में सल्फ़ेनिक एसिड के रूप में होते हैं। प्याज में लेक्राइमेट्री-फैक्टर सिंथेस एंजाइम भी होते हैं। यह एंजाइम और सल्फ़ेनिक एसिड अलग अलग कोशिका में होते हैं।

जब आप प्याज काटते हैं, तो अन्यथा अलग-अलग एंजाइम और सल्फ़ेनिक एसिड मिल जाते हैं और सिन-प्रोपेनथिऑल एस-ऑक्साइड syn-propanethiol S-oxide का उत्पादन करना शुरू होता है, जो एक वाष्पशील सल्फर कंपाउंड है। यह उड़ती हुई वाष्पशील सल्फर कंपाउंड की गैस आंखों के पानी के साथ प्रतिक्रिया करती है और सल्फ्यूरिक एसिड बनाती है। इस प्रकार सल्फ्यूरिक एसिड ने आँखों में जलन पैदा करने का कारण बनता है। जलन से लेक्राइमल ग्लैंड उत्तेजित होते हैं और आँसूओं का निकलना शुरू हो जाता है।

कच्चे प्याज की पोषकता

कच्चे प्याज में बहुत कम कैलोरी होती है, करीब 40 कैलोरी प्रति 100 ग्राम। इसमें 89 प्रतिशत पानी, 9 प्रतिशत कार्बोहायड्रेट, 1.7 प्रतिशत फाइबर और कुछ मात्रा में प्रोटीन भी होता है। इसके अतिरिक्त इसमें खनिज और विटामिन भी आये जाते है। नीचे 20 ग्राम प्याज की पोषकता दी गई है। ब्रैकेट में प्याज के सेवन से मिलने वाले पोषक पदार्थ को प्रतिदिन ज़रूरी मात्रा के रतिशत रूप में दिया गया है।

  1. कैलोरीज Calories 8
  2. पानी Water 89 %
  3. प्रोटीन Protein 0.2 g
  4. कार्बोहायड्रेट Carbs 1.9 g
  5. चीनी Sugar 0.8 g
  6. फाइबर Fiber 0.3 g

विटामिन्स

  1. विटामिन सी Vitamin C 1.48 mg (2%)
  2. विटामिन डी Vitamin D 0 µg ~
  3. विटामिन ई Vitamin E 0 µg
  4. विटामिन के Vitamin K 0.08 µg
  5. विटामिन बी१ Vitamin B1 (Thiamine) 0.01 mg (1%)
  6. विटामिन बी२ Vitamin B2 (Riboflavin) 0.01 mg
  7. विटामिन बी३ Vitamin B3 (Niacin) 0.02 mg
  8. विटामिन बी५ Vitamin B5 (Panthothenic acid) 0.02 mg (1%)
  9. विटामिन बी६ Vitamin B6 (Pyridoxine) 0.06 mg (5%)
  10. विटामिन बी१२ Vitamin B12 0 µg ~
  11. फोलेट Folate 3.8 µg (1%)
  12. काओलिन Choline 1.22 mg (0%)

खनिज पदार्थ Minerals

  1. कैल्शियम Calcium  4.6 mg 0%
  2. आयरन Iron  0.04 mg 1%
  3. मैग्नीशियम Magnesium 2 mg 1%
  4. फास्फोरस Phosphorus 5.8 mg 1%
  5. पोटेशियम Potassium 29.2 mg 1%
  6. सोडियम Sodium  0.8 mg 0%
  7. जिंक Zinc 0.03 mg 0%
  8. कॉपर Copper 0.01 mg 1%
  9. मैग्नीज Manganese  0.03 mg 1%
  10. सेलेनियम Selenium  0.1 µg 0%

अमीनो अम्ल Amino Acids

  1. ट्रिप्टोफैन Tryptophan 3 mg
  2. थ्रोनिन Threonine 4 mg
  3. आईसोल्यूसीन Isoleucine 3 mg
  4. ल्यूसीन Leucine 5 mg
  5. लाइसिन Lysine 8 mg
  6. मेथियोनीन Methionine 1 mg
  7. सिस्टीन Cysteine 1 mg
  8. टाईरोसिन Tyrosine 3 mg
  9. वेलिन Valine 4 mg
  10. आर्गीनिन Arginine 21 mg
  11. हिस्टीडाइन Histidine 3 mg
  12. एलनिन Alanine 4 mg
  13. एस्पेरेटिक एसिड Aspartic acid 18 mg
  14. ग्लूटामिक एसिड Glutamic acid 52 mg
  15. ग्लाइसीन Glycine 5 mg
  16. प्रोलाइन Proline 2 mg
  17. सेरीन Serine 4 mg

प्याज के आयुर्वेदिक गुण और कर्म

प्याज गुणों में लहसुन के सदृश्य ही गुण वाला है। यह भी गंधक युक्त है। यह पाक और रस में मधुर माना गया है। गुण में उष्ण और बहुत अधिक पित्त को बढ़ाने वाला नहीं है। इसके सेवन से बल और वीर्य की वृद्धि होती है। यह भारी और वात दोष को दूर करने वाला है।

यह कटु-मधुर रस है। कटु रस जीभ पर रखने से मन में घबराहट करता है, जीभ में चुभता है, जलन करते हुए आँख मुंह, नाक से स्राव कराता है जैसे की सोंठ, काली मिर्च, पिप्पली, लाल मिर्च आदि। मधुर रस, धातुओं में वृद्धि करता है। यह बलदायक है तथा रंग, केश, इन्द्रियों, ओजस आदि को बढ़ाता है। यह शरीर को पुष्ट करता है। मधुर रस, गुरु (देर से पचने वाला) है। यह वात शामक है।

  • रस (taste on tongue): मधुर, कटु
  • गुण (Pharmacological Action): गुरु, तीक्ष्ण, स्निग्ध
  • वीर्य (Potency): उष्ण
  • विपाक (transformed state after digestion): मधुर

विपाक का अर्थ है जठराग्नि के संयोग से पाचन के समय उत्पन्न रस। इस प्रकार पदार्थ के पाचन के बाद जो रस बना वह पदार्थ का विपाक है। शरीर के पाचक रस जब पदार्थ से मिलते हैं तो उसमें कई परिवर्तन आते है और पूरी पची अवस्था में जब द्रव्य का सार और मल अलग हो जाते है, और जो रस बनता है, वही रस उसका विपाक है। मधुर विपाक, भारी, मल-मूत्र को साफ़ करने वाला होता है।

प्रधान कर्म

  1. वातहर: द्रव्य जो वातदोष निवारक हो।
  2. दीपन: द्रव्य जो जठराग्नि तो बढ़ाये लेकिन आम को न पचाए।
  3. कफनिःसारक / छेदन: द्रव्य जो श्वासनलिका, फेफड़ों, गले से लगे कफ को बलपूर्वक बाहर निकाल दे।
  4. रक्त स्तंभक: जो चोट के कारण या आसामान्य कारण से होने वाले रक्त स्राव को रोक दे।
  5. विरेचन: द्रव्य जो पक्व अथवा अपक्व मल को पतला बनाकर अधोमार्ग से बाहर निकाल दे।
  6. दीपन: द्रव्य जो जठराग्नि तो बढ़ाये लेकिन आम को न पचाए।
  7. बाजीकरण: द्रव्य जो रति शक्ति में वृद्धि करे।
  8. शुक्रल: द्रव्य जो शुक्र की वृद्धि करे।
  9. मूत्रल : द्रव्य जो मूत्र ज्यादा लाये।
  10. हृदयोत्तेजक: द्रव्य जो हृदय को उत्तेजित करे।
  11. आर्त्तवजनन: मासिक लाने वाला।
  12. त्वग्दोषहर: त्वचा रोगों को दूर करने वाला।
  13. यकृदुत्तेजक: लीवर को उत्तेजित करने वाला।

बाह्यप्रयोग

  1. शोथहर: द्रव्य जो शोथ / शरीर में सूजन, को दूर करे।
  2. वेदनास्थापन: दर्द निवारक।

प्याज खाने के स्वास्थ्य लाभ Health Benefits of Onion in Hindi

  1. प्याज़ में घुलनशील फाइबर फ्रुक्टन होता है व यह कब्ज़ दूर करने में मदद करता है। फ्रुक्टन फ्रुक्टोस का पॉलीमर है। प्याज में कार्बोहायड्रेट का भण्डारण इसी रूप में होता है।
  2. यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है। डायबिटीज में इसके सेवन से इन्सुलिन उत्पन्न होता है। एक अध्ययन में देखा गया दैनिक 100 ग्राम प्याज का सेवन ब्लड शुगर के लेवल को काफी हद तक नियंत्रित करता है। यह टाइप 1 और 2, दोनों तरह की डायबिटीज में लाभप्रद है।
  3. यह कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह अच्छे कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता और बुरे कोलेस्ट्रोल को कम करता है।
  4. यह प्रकृति में गर्म है और पित्त वर्धक है।
  5. यह शरीर में कफ को कम करती है।
  6. इसमें विटामिन सी, एंथोसाईनिन, क्वरसेटिन आदि होने से यह अच्छा एंटीऑक्सीडेंट है।
  7. इसमें फोलेट पाए जाते हैं जो की मेटाबोलिज्म और कोशिकाओं के विकास के लिए ज़रूरी है।
  8. यह हृदय के लिए कई कारणों से लाभप्रद है। इसमें पाया जाने वाला थायोसलफिनेट Thiosulfinates धमिनियों में रक्त के थक्के जमने से रोकता है। इसमें पोटैशियम है जो की ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में लाभप्रद है। यह खून को पतला करती है। यह बुरे कोलेस्ट्रोल को कम करती है।
  9. इसमें गंधक के कंपाउंड हैं जो की शरीर की बीमारियों से रक्षा करते हैं।
  10. दही के साथ प्याज खाने से दस्त, आंव वाली दस्त, और खूनी दस्त में लाभ होता है।
  11. प्याज को कच्चा खाने से उसमें पाए जाने वाले विटामिन, खनिज, एंटीऑक्सीडेंट तथा अन्य पोषक पदार्थ नष्ट नहीं होते।
  12. प्याज के सेवन से शरीर में यूरिक एसिड कम होता है। चूहों में किये गए एक्सपेरिमेंट में इस बात की पुष्टि होती है।
  13. प्याज के सेवन से शरीर में हानिप्रद जीवाणु नष्ट होते हैं।
  14. प्याज के नियमित सेवन से हड्डियाँ मजबूत होती है।
  15. प्याज को चबा कर खाने से मुंह के बैक्टीरिया नष्ट होते हैं और दांतों के रोगों से बचाव होते है। एक रूसी डॉक्टर Russian Doctor, B.P. Tohkin के अनुसार तीन मिनट तक प्याज चबाने से मुंह के सभी बैक्टीरिया नष्ट होते हैं।
  16. खून की कमी को प्याज़ के सेवन से दूर किया जा सकता है।
  17. यह लिपिड को कम करती है।
  18. प्याज में क्वरसेटिन Quercetin bioflavonoid यौगिक पाया जाता है जो की हिस्टामिन का रिलीज़ रोकता है और सूजन को कम करता है।

प्याज दवा की तरह निम्न रोगों में लाभप्रद है

  1. धमनीकाठिन्य Arteriosclerosis
  2. सामान्य जुखाम Common cold
  3. खांसी / ब्रोंकाइटिस Cough/bronchitis
  4. पाचन की कमजोरी Dyspeptic complaints
  5. कफ और बुखार  Fevers and colds
  6. उच्च रक्तचाप Hypertension
  7. मुंह और ग्रसनी का सूजन Inflammation of the mouth and pharynx
  8. भूख में कमी Loss of appetite
  9. संक्रमण की प्रवृत्ति Tendency to infection

प्याज के औषधीय उपयोग Medicinal Uses of ONION in Hindi

प्याज गंधक युक्त होता है। इसमें स्टार्च, कैल्शियम, लोहा और विटामिन पाए जाते हैं। यह आंतरिक प्रयोग में दीपन, रोचन, मूत्रजनन, शुक्रजनन, बाजिकारक, बलकारक और बाह्य प्रयोग में दर्द निवारक, शोथहर और त्वचा के रोग दूर करने वाली है।  यूनानी मत के अनुसार कन्द तीसरे दर्जे के गरम और पहले दर्जे के खुश्क हैं। बीज दूसरे दर्जे के गर्म और खुश्क हैं। बीजों को मुख्य रूप से वाजीकारक और लेखन माना गया है। प्याज के बीजों को अरबी और फ़ारसी में बज्रुल्ब्स्ल और तुख्मेपियाज कहते हैं।

प्याज को कान रोग, दाद-खुजली, कामशक्ति की कमी, अतिसार, पेट दर्द, वायु के रोगों में प्रयोग किया जाता है।

पीलिया

  • आधा कप सफ़ेद प्याज के रस में पिसी हल्दी और गुड़ मिलाकर पीने से लाभ होता है।
  • प्याज को काट, उसमें काली मिर्च और सेंधा नमक डाल कर भी खाना चाहिए।

अस्थमा, खांसी

प्याज का रस + शहद, मिलाकर चाटना चाहिए।

उलटी

  • प्याज का रस + अदरक का रस, पीने से उल्टियां रुक जाती हैं।
  • थोड़ी- थोड़ी देर पर पर प्याज का एक टीस्पून रस पियें।

पाचन की कमजोरी

प्याज को सिरके के साथ खाएं।

बवासीर

प्याज का रस को 30 ml की मात्रा में मिश्री के साथ लेते हैं।

कान का दर्द, टिनिटस, कान में आवाजें आना

प्याज के रस की कुछ बूंदे कान में टपकाते हैं।

आँख में दर्द, नजला

प्याज का रस + शहद, के साथ मिलाकर आँख में लगाते हैं।

अनिद्रा

रात के भोजन में कच्ची प्याज खाएं।

नपुंसकता, स्वप्नदोष, वीर्य की कमी

प्याज का रस 10 ml + अदरक का रस + शहद 6 ग्राम + घी 4 ग्राम, मिलाकर सेवन करें। ऐसा एक महीने तक करें।

पेट दर्द

प्याज का रस + हींग + काला नमक, का सेवन करें।

मधुमक्खी का काटना

प्रभावित जगह पर प्याज का रस लगायें।

पेट के कीड़े

प्याज का रस एक चम्मच की मात्रा में एक सप्ताह तक सेवन करें।

कॉलरा, हैजा

  1. प्याज का रस + नींबू का रस + पुदीने का रस, मिलाकर पियें।
  2. प्याज 30 ग्राम को सात काली मिर्च के साथ कूट कर, रोगी को दें। इसमें थोड़ी चीनी भी मिला सकते हैं।

गले की खराश, कोल्ड-कफ

प्याज का रस और शहद पियें।

पथरी

प्याज का रस सुबह खाली पेट पियें।

पेशाब की जलन, पेशाब के रोग

प्याज 10 ग्राम को आधा लीटर पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो इसे छान लें। इसे ठंडा करके पी लें।

अजीर्ण

प्याज में नींबू निचौड़ भोजन के साथ खाने से लाभ होता है।

वाजीकरण

  1. सफ़ेद प्याज को काट कर घी में भून लें। इसमें एक चम्मच शहद मिला कर नियमित खाली पेट खाएं।
  2. प्याज का रस और शहद पियें।

पटाखे से जल जाना

प्याज का रस लगाएं।

नकसीर

प्याज का रस नाक में टपकाते हैं।

गठिया का दर्द

प्याज का रस + सरसों का तेल, बराबर मात्रा में मिलाकर मालिश करें।

मोच

प्याज और हल्दी को पीस कर प्रभावित जगह पर बाधें।

सूजन

सरसों के तेल में प्याज के बारीक टुकड़े फ्राई करें। थोड़ी हल्दी डालें और सहता हुआ पुल्टिस बना सूजन पर लगायें।

दाद-खुजली

प्याज का लेप करें।

फोड़े-फुंसी

प्याज को कच्चा या भून कर पुल्टिस बनाकर लगाएं।

वार्ट

कच्चा प्याज रगड़ें।

प्याज की औषधीय मात्रा

  1. सलाद की तरह एक मीडियम साइज़ प्याज को काट कर दिन में एक-दो बार खाना चाहिए।
  2. प्याज के रस को 10-30 ml की मात्रा में पी सकते हैं।
  3. बीजों के चूर्ण को लेने की मात्रा 1 से 3 ग्राम है।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side-effects/Contraindications

  1. प्याज़ में फ्रुक्टन होता है। अधिक मात्रा में इसका सेवन गैस, पेट फूलना और पेट में दर्द कर सकता है।
  2. कुछ लोग फ्रुक्टन fructans are also known FODMAPs (fermentable oligo-, di monosaccharides and polyols) का पाचन करने में सक्षम नहीं होते। उनमें फ्रुक्टन युक्त भोज्य पदार्थ खाने के बाद पाचन समस्या हो सकती है। ऐसा सभी में नहीं होता लेकिन इरीटेबल बोवेल सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति के साथ हो सकता है।
  3. प्याज के सेवन से मुंह और पसीने से प्याज की बदबू आ सकती है।
  4. आयुर्वेद के अनुसार अत्यधिक मात्रा में प्याज का सेवन बेचैनी, पेशाब में जलन, पेट-अंत में जलन, आदि कर सकता है।
  5. अधिक मात्रा में इसके सेवन से विरेचन होता है।
  6. यह पित्त प्रकृति के लोगों के लिए अहितकर कहा गया है।
  7. प्याज गर्म स्वभाव वाले लोगों में प्यास पैदा करता है।
  8. गर्भावस्था में प्याज को औषधीय मात्रा या अधिक मात्रा में प्रयोग नहीं करना चाहिए। भोजन के रूप में इसे खाने से कोई नुकसान नहीं देखा गया है।
  9. प्याज के हानिप्रद असर को कम करने के शहद, अनार का रस, सिरका और नमक का प्रयोग किया जा सकता है।
  10. प्याज़ की बदबू को कम करने के लिए गुड़ का सेवन करना चाहिए।
  11. प्याज को बहुत अधिक मात्रा में न खाएं।

सौंफ अर्क Saunf Ark

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सौंफ का अर्क, सौंफ से तैयार किया जाता है। सौंफ अर्क बनाने के लिए सौंफ को साफ़ करके रात में पानी में भिगो देते हैं। भिगो देने से सौंफ मुलायम हो जाती है। अगले दिन पानी और सौंफ को नाड़िका यंत्र में डाल कर, इसे वाष्पीकृत करके भाप को कंडेंस कर अर्क बना लिया जाता है। अर्क को बोतलों में इकठ्ठा कर लिया जाता है। सौंफ से बनने वाला यह अर्क, सौंफ का अर्क कहलाता है।

सौंफ का अर्क, सौंफ की ही तरह मुख्य रूप से पाचन की समस्याओं और विशेष रूप उलटी, दस्त, अतिसार और शरीर में पित्त की अधिकता में प्रयोग किया जाता है। इसके सेवन भूख ठीक से लगती है और पाचन अच्छा होता है। पेट से अफारा दूर होता है और ऐठन वाले दर्द में राहत होती है। यह शीतल गुण से शरीर में पित्त की अधिकता से होने वाली जलन को कम करता है। यह स्त्रियों सम्बन्धी दिक्कतों जैसे की मासिक के दौरान दर्द, ऐंठन, योनि में दर्द आदि में भी लाभप्रद है।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: पाचन की समस्याएं
  • मुख्य गुण: वात-पित्त शामक, छर्दीनिग्रहण

Saunf Ark is prepared from Saunf/Sounf/Fennel seeds. Arka / Arq can be defined as a liquid obtained by distillation of certain liquids or drugs soaked in water using distillation apparatus. The drugs are boiled in distillation apparatus to get the vapors which on condensation give Ark of desired herb. Ark contains the volatile part of drug. Arq-e-Saunf is beneficial is common disorders related to digestive system.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

सौंफ अर्क के घटक Ingredients of Saunf Ark

  • सौंफ 1 किलो
  • पानी 7 लीटर

आयुर्वेदिक गुण और कर्म

स्वाद में यह मधुर, कटु, तिक्त, गुण में लघु और चिकनी है। स्वभाव से यह शीतल है और मधुर विपाक है। यह शीत वीर्य है। वीर्य का अर्थ होता है, वह शक्ति जिससे द्रव्य काम करता है। आचार्यों ने इसे मुख्य रूप से दो ही प्रकार का माना है, उष्ण या शीत। शीत वीर्य औषधि के सेवन से मन प्रसन्न होता है। यह जीवनीय होती हैं। यह स्तम्भनकारक और रक्त तथा पित्त को साफ़ / निर्मल करने वाली होती हैं।

  • रस (taste on tongue): मधुर, कटु, तिक्त
  • गुण (Pharmacological Action): लघु, स्निग्ध
  • वीर्य (Potency): शीत
  • विपाक (transformed state after digestion): मधुर

विपाक का अर्थ है जठराग्नि के संयोग से पाचन के समय उत्पन्न रस। इस प्रकार पदार्थ के पाचन के बाद जो रस बना वह पदार्थ का विपाक है। शरीर के पाचक रस जब पदार्थ से मिलते हैं तो उसमें कई परिवर्तन आते है और पूरी पची अवस्था में जब द्रव्य का सार और मल अलग हो जाते है, और जो रस बनता है, वही रस उसका विपाक है। प्रायः मधुर तथा लवण रस के पदार्थों का विपाक मधुर होता है, खट्टे पदार्थों का विपाक अम्लीय और तिक्त, कटु, कषाय रसों का विपाक कटु होता है। मधुर विपाक, भारी, मल-मूत्र को साफ़ करने वाला होता है। यह कफ या चिकनाई का पोषक है। शरीर में शुक्र धातु, जिसमें पुरुष का वीर्य और स्त्री का आर्तव को बढ़ाता है। इसके सेवन से शरीर में निर्माण होते हैं।

प्रधान कर्म

  • अनुलोमन: द्रव्य जो मल व् दोषों को पाक करके, मल के बंधाव को ढीला कर दोष मल बाहर निकाल दे।
  • मूत्रल : द्रव्य जो मूत्र ज्यादा लाये। diuretics
  • आमदोषहर: टोक्सिन दूर करे।
  • छर्दीनिग्रहण: उलटी रोकने वाला।
  • कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
  • दीपन: द्रव्य जो जठराग्नि तो बढ़ाये लेकिन आम को न पचाए।
  • शीतल: स्तंभक, ठंडा, सुखप्रद है, और प्यास, मूर्छा, पसीना आदि को दूर करता है।

सौंफ अर्क के लाभ/फ़ायदे Benefits of Saunf Ark

  1. अर्क सौंफ पित्त-वात के रोगों में प्रयोग की जाता है।
  2. यह गैस, अफारा में लाभप्रद है।
  3. यह पित्त की अधिकता, एसिड रिफ्लक्स, जलन आदि में लाभप्रद है।
  4. यह भूख बढ़ाता है और पाचन को बेहतर करता है।
  5. इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है।
  6. इसे बच्चे-बड़े सभी ले सकते हैं।

सौंफ अर्क के चिकित्सीय उपयोग Uses of Saunf Ark

  1. सौंफ के अर्क को अरूचि, जी मिचलाना, अम्लपित्त, संग्रहणी, अतिसार, प्रवाहिका, रक्तातिसार, आमदोष आदि में अकेले ही या अन्य किसी दवा के अनुपान रूप में लेते हैं।
  2. अफारा Flatulence
  3. अपच Indigestion
  4. पेट में दर्द Stomach ache
  5. मन्दाग्नि Mandagni (Impaired digestive fire)
  6. आध्मान Adhmana (Flatulance with gurgling sound)
  7. शूल Shula (Colicky Pain)
  8. कृमि Krimi (Helminthiasis/Worm infestation)
  9. योनि शूल Yoni shula (Pain in female genital tract)
  10. आईबीएस Irritable bowel syndrome
  11. जी मिचलाना और उलटी Nausea and Vomiting
  12. अतिसार Diarrhoea
  13. वात-पित्त रोग

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Saunf Ark

  1. सौंफ के अर्क को दिन में दो से तीन बार ले सकते हैं।
  2. इसे खाली पेट लेना चाहिए।
  3. इसे लेने की मात्रा 20 से 60 ml है।
  4. खांसी में इसे शहद के साथ लें।
  5. बच्चों को वयस्कों को दी जाने वाली मात्रा का आधा या उम्र के हिसाब से, दवा दी जा सकती है।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  1. गर्भावस्था में कोई दवा बिना डॉक्टर की सलाह के न लें।
  2. प्रयोग करने से पहले बोतल को अच्छे से हिला लें।

उपलब्धता

  1. इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
  2. बैद्यनाथ Baidyanath Saunf Ark Price INR 53.00
  3. डाबर Dabur Saunf Ark INR 57.00

शर्बत बनफशा Sharbat Banafsha Detail and Uses in Hindi

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बनफशा, बनप्शा, बन्फश, फारफीर, ब्लू वायलेट, स्वीट वायलेट आदि वाओला ओडोराटा Viola odorata Flower के नाम है। इसका उत्पत्ति स्थान फारस है और यह मुख्य रूप से यूनानी चिकित्सा पद्यति में दवाई की तरह प्रयोग किया जाता है।

बनफशा भारत में अनुष्णाशीत पश्चिमी हिमालय में लगभग 5000 फुट की उंचाई पर पाया जाता है। बनफशा के पौधे छः अंगुल तक के होते हैं और पत्ते रोम युक्त और ब्राह्मी की पत्तियोंके समान दांतेदार होती हैं। इसके फूलों का रंग बैंगनी होता है और यह खुशबूदार होते हैं।

यूनानी चिकित्सा में पूरे पौधे को दवाई के रूप में प्रयोग करते हैं और बनफसा कहते हैं। इसके सूखे फूल को गुलेबनफ्शा कहा जाता है। यूनानी में इसे पहले दर्जे का ठण्डा और तर माना गया है। यह श्लेष्मनिस्सारक, स्वप्नजनन, और शीतल है। इसे पेट दर्द, गले में दर्द, पित्त की अधिकता, अधिक प्यास में प्रयोग किया जाता है। यह फेफड़ों के रोगों, जुखाम, खांसी, सूखी खांसी, और पेट और लीवर में अधिक गर्मी के रोगों में दवा के तौर पर दिया जाता है।

शरबत बनफशा अथवा गुलबनफ्सा का शरबत, में बनफशा ही मुख्य औषधीय द्रव्य है। शर्बत का मतलब है मीठा पेय पदार्थ। दवा वाले शर्बत द्रव्यों के काढ़े, फांट अथवा अर्क आदि में चीनी और प्रीज़रवेटिव डाल के बनाया जाता है।

शरबत बनफशा को जुखाम, खांसी, सूखी खांसी, बुखार, नजला, दिल की धड़कन, तनाव, कमजोरी आदि में दिया जाता है। यह जुखाम और खांसी की बहुत अच्छी दवाई है। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

Sharbat Banafsha (Synonuym: Sharbat-e-Banafsha, Sharbat-e-Banaphsha), is an Unani herbal medicine used in treatment of respiratory ailments and excess heat inside body.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: यूनानी हर्बल दवाई
  • मुख्य उपयोग: फेफड़े सम्बन्धी रोग
  • मुख्य गुण: शरीर में ठण्डक देना और फेफड़े के रोगों में लाभ करना

शर्बत बनफशा के घटक Ingredients of Sharbat Banafsha

  1. गुल बनफ्सा Gul Banafsha Viola odorata Flower 1/2 kg
  2. कन्द Qand Safed Sugar 8 kg
  3. सिट्रिक एसिड Citric Acid 15 gram
  4. सोडियम बेन्जोएट Sodium benzoate 12 grams

शर्बत बनफशा के लाभ/फ़ायदे Benefits of Sharbat Banafsha

  1. यह शरीर को ठंडक देता है।
  2. यह अधिक प्यास को शांत करता है।
  3. यह शरीर को ताकत देता है और पुराने रोग में इसके सेवन से बल मिलता है।
  4. यह पित्त और कफ की अधिकता से होने वाले रोगों में फायदेमंद है।
  5. यह हर्बल है।

शर्बत बनफशा के चिकित्सीय उपयोग Uses of Sharbat Banafsha

  1. तीव्र प्यास लगना
  2. नज़ला, जुखाम, खांसी
  3. क्रोनिक ब्रोंकाइटिस
  4. तपेदिक में खांसी
  5. सूखी खाँसी
  6. बुखार, सिरदर्द और दर्द
  7. दिल की अनियमित धड़कन
  8. गले की खराश
  9. बुखार के बाद कमजोरी

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Sharbat Banafsha

  1. इसे लेने की मात्रा 20 से 40 ml है।
  2. इसे दिन में एक बार लेना है।
  3. इसे दूसरी दवाओं के साथ या चार गुना पानी में मिला कर लेते हैं।
  4. या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

यह मीठा है इसलिए डायबिटीज में इसका सेवन न करें।

इसके सेवन का कोई साइड इफ़ेक्ट ज्ञात नहीं है।

बनफशा Viola odorata in Hindi

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बनफशा, बनप्शा, बन्फश, फारफीर, ब्लू वायलेट, स्वीट वायलेट आदि वाओला ओडोराटा Viola odorata Flower के नाम है। इसका उत्पत्ति स्थान फारस है और यह मुख्य रूप से यूनानी चिकित्सा पद्यति में दवाई की तरह प्रयोग किया जाता है।

bansafa
By Majercsik László / LaMa (http://zoldvilaginfo.info) [GFDL (http://www.gnu.org/copyleft/fdl.html) or CC BY-SA 3.0 (http://creativecommons.org/licenses/by-sa/3.0)], via Wikimedia Commons
बनफशा भारत में अनुष्णाशीत पश्चिमी हिमालय में लगभग 5000 फुट की उंचाई पर पाया जाता है। बनफशा के पौधे छः अंगुल तक के होते हैं और पत्ते रोम युक्त और ब्राह्मी की पत्तियों के समान दांतेदार होती हैं। इसके फूलों का रंग बैंगनी होता है और यह खुशबूदार होते हैं।

यूनानी चिकित्सा में पूरे पौधे को दवाई के रूप में प्रयोग करते हैं और बनफसा कहते हैं। इसके सूखे फूल को गुलेबनफ्शा कहा जाता है। यूनानी में इसे पहले दर्जे का ठण्डा और तर माना गया है। यह श्लेष्मनिस्सारक, स्वप्नजनन, और शीतल है। इसे पेट दर्द, गले में दर्द, पित्त की अधिकता, अधिक प्यास में प्रयोग किया जाता है। यह फेफड़ों के रोगों, जुखाम, खांसी, सूखी खांसी, और पेट और लीवर में अधिक गर्मी के रोगों में दवा के तौर पर दिया जाता है।

पुराने दिनों में बनफ्शा को ईरान से आयात किया जाता था, लेकिन अब यह कश्मीर में कांगड़ा और चंबा से एकत्र किया जाता है। यूनानी चिकित्सा में जड़ी बूटी, परिपक्व फूल का दवा के रूप में उपयोग स्वेदजनन/डाइफोरेक्टिक, ज्वरनाशक/एंटीपीरेक्टिक और मूत्रवर्धक की तरह अकेले या अन्य दवाओं के नुस्खे में प्रयोग किया जाता है। इसका फुफ्फुसीय प्रभाव है और आम तौर पर इसे फांट, काढ़े की तरह प्रयोग किया जाता है।

बनफशा से बना गुलकंद, रोग़न बनफशा , खामीरा-ए-बनफ्शा और शरबत-ए-बनफ्शा दवाई की तरह श्वसन पथ, ब्रोंकाइटिस, बुखार, अनिद्रा, जोड़ों के दर्द आदि में दिया जाता है। यूनानी चिकित्सकों ने सूजन दूर करने के गुण से बनफ्शा से बने काढ़े को फुफ्फुस, यकृत की बीमारियों में दिया जाता है।

सामान्य जानकारी

  1. वानस्पतिक नाम: वाओला ओडोराटा
  2. कुल (Family): वायोलेसीए
  3. औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: पूरा पौधा
  4. पौधे का प्रकार: हर्ब
  5. वितरण: अनुष्णाशीत पश्चिमी हिमालय में
  6. पर्यावास: लगभग 5000 फुट की उंचाई पर, कश्मीर, काँगड़ा, और चम्बा में।

बनफशा के स्थानीय नाम / Synonyms

  1. हिन्दी: Banapsa, Banafsha, Vanapsha
  2. अंग्रेजी: Sweet Violet, Wood violet, Common violet, Garden violet
  3. तमिल: Vayilethe
  4. उर्दू: Banafshaa, Banafsaj, Kakosh, Fareer

बनफशा का वैज्ञानिक वर्गीकरण Scientific Classification

  1. किंगडम Kingdom: प्लांटी Plantae – Plants
  2. सबकिंगडम Subkingdom: ट्रेकियोबाईओन्टा Tracheobionta संवहनी पौधे
  3. सुपरडिवीज़न Superdivision: स्परमेटोफाईटा Spermatophyta बीज वाले पौधे
  4. डिवीज़न Division: मैग्नोलिओफाईटा Magnoliophyta – Flowering plants फूल वाले पौधे
  5. क्लास Class: मैग्नोलिओप्सीडा Magnoliopsida – द्विबीजपत्री
  6. सबक्लास Subclass: डिल्लेनीडाए Dilleniidae
  7. आर्डर Order: विओलेल्स Violales
  8. परिवार Family: विओलेसिएइ Violaceae – वायलेट फॅमिली
  9. जीनस Genus: वाइला Viola L.– वायलेट
  10. प्रजाति Species: Viola odorata L. – स्वीट वायलेट

बनफशा के संघटक Phytochemicals

फूलों में वायलिन नामक एक उलटी लाने वाला पदार्थ है जो पौधे के सभी भागों में मौजूद होता है। यह पदार्थ कड़वा और तीव्र होता है। इसके अतिरिक्त इसमें एक अस्थिर तेल, रटिन (2%), साइनाइन (5.3%), एक बेरंग क्रोमोजेन, एक ग्लाइकोसाइड मिथाइल सैलिसिलेट और चीनी पाया जाता है। वाष्पशील तेल में अल्फा- और बैटेरोन होते हैं। रूट स्टॉक में सैपोनिन (0.1-2.5%) होता है।

बनफशा के आयुर्वेदिक गुण और कर्म

बनफ्शा का पंचांग (पाँचों अंग) स्वाद में कटु, तिक्त गुण में हल्का, तर है। स्वभाव से यह ठण्डा और कटु विपाक है। यह वातपित्त शामक और शोथहर है। यह जन्तुनाशक, पीड़ा शामक और शोथ दूर करने वाला है।

  • रस (taste on tongue): कटु, तिक्त
  • गुण (Pharmacological Action): लघु, स्निग्ध,
  • वीर्य (Potency): आयुर्वेद में उष्ण / यूनानी में पहले दर्जे का ठण्डा
  • विपाक (transformed state after digestion): कटु

प्रधान कर्म

  1. कफनिःसारक / छेदन: द्रव्य जो श्वासनलिका, फेफड़ों, गले से लगे कफ को बलपूर्वक बाहर निकाल दे।
  2. मूत्रल: द्रव्य जो मूत्र ज्यादा लाये। diuretics
  3. शोथहर: द्रव्य जो शोथ / शरीर में सूजन, को दूर करे। antihydropic
  4. श्लेष्महर: द्रव्य जो चिपचिपे पदार्थ, कफ को दूर करे।
  5. शीतल: स्तंभक, ठंडा, सुखप्रद है, और प्यास, मूर्छा, पसीना आदि को दूर करता है।
  6. बल्य: द्रव्य जो बल दे।

बनफशा इन रोगों में लाभप्रद है:

  1. दमा Asthma
  2. ब्रोंकाइटिस Bronchitis
  3. सर्दी Colds
  4. खांसी Cough
  5. डिप्रेशन Depression
  6. फ्लू के लक्षण Flu symptoms
  7. नींद (अनिद्रा) insomnia
  8. फेफड़े की समस्याएं Lung problems
  9. रजोनिवृत्ति के लक्षण Menopausal symptoms
  10. घबराहट Nervousness
  11. पाचन समस्याओं Digestion problems
  12. मूत्र समस्याएं Urinary problems आदि।

बनफशा के औषधीय उपयोग Medicinal Uses of Viola odorata in Hindi

बनफशा पौधे के पत्ते, फूल समेत पूरे पौधे को दवा की तरह प्रयोग किया जाता है। इसके केवल सूखे फूल को गुले बनफशा कहते हैं। यूनानी चिकित्सा में इसका बहुत प्रयोग किया जाता है। बनफशा की अनेक प्रजातियाँ है जैसे की वायोला सिनेरेआ और वायोला सर्पेंस। इनमें से नीले और जामुनी रंग के फूलों वनस्पति उत्तम मानी जाती है।

गुलेबनफशा में वमनकारी अल्कालॉयड, तेल, रंजक द्रव्य, वायोलेक्वरसेटिन आदि पाए जाते हैं।

आमतौर पर बनफशा को जुखाम, नज़ला, कफ, खाँसी, जकड़न, श्वसन तंत्र की सूजन, भरी हुई नाक, ब्रोंकाइटिस, ऐंठन, मस्तिष्क, हिस्टीरिया, कलाई के गठिया, तंत्रिका तनाव, हिस्टीरिया, शारीरिक और मानसिक थकावट, रजोनिवृत्ति के लक्षण, अवसाद और चिड़चिड़ापन coryza, cough, congestion, and inflammation of the respiratory tract, spasmodic cough, neuralgia, hysteria, rheumatism of wrist आदि में दिया जाता है। यह श्लेष्म को पतला करता है जिससे वह आसानी से निकल सकता है। यह बच्चों और गर्भवती माताओं के लिए सुरक्षित है।

इसके फूलों का मदर टिंक्चर डिस्पिनिया, खांसी, सूखी खांसी, गले में खराश, ग्रीवा ग्रंथियों की सूजन के उपचार के लिए होम्योपैथी में दिया जाता है।

बनफशा शरीर में जलन, आँखों की जलन, पेशाब की जलन आदि में शीतल गुणों के कारण लाभप्रद हैं। इसे पेट दर्द, पेट और आंतों की सूजन, अनुचित आहार के कारण पाचन समस्याएं, गैस, जलन,पित्ताशय की बीमारियों, और भूख न लगना आदि में भी इसका उपयोग किया जाता है।

इसके पत्तों का पेस्ट दर्द और सूजन पर बाह्य रूप से लगाया जाता है। इसे त्वचा विकारों के में और त्वचा साफ़ करने के लिए भी पेस्ट की तरह लगाते हैं।

बनफशा की औषधीय मात्रा

गुले बनफशा को लेने की आंतरिक मात्रा 5-6 ग्राम है।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side-effects/Contraindications

  1. बनफशा का कोई ज्ञात साइड इफ़ेक्ट नहीं है।
  2. वैसे तो इसे बच्चों और गर्भवती माताओं के लिए इसे सुरक्षित कहा गया है, लेकिन डॉक्टर की सलाह के बिना इसे गर्भावस्था में प्रयोग न करें।
  3. बनफशा का किसी दवा के साथ इंटरेक्शन ज्ञात नहीं है।

रोग़न बनफशा Roghan Banafsha Detail and Uses in Hindi

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रोग़न बनफशा, एक यूनानी दवा है। रोग़न तेल को कहते हैं। इसमें मुख्य द्रव्य बनफशा होने से इसे रोग़न बनफशा या बनफशा का तेल कहते हैं। रोग़न बनफशा को सिर पर लगाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इससे मालिश करने से सिर दर्द और नींद न आने की समस्या में आराम मिलता है। इसे लगाने से बाल भी मजबूत होते हैं।

Roghan Banafsha, is Unani medicated oil used for scalp massage. Its application given relief in headache, insomnia and hair fall problem. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and how to use in Hindi language.

  • पर्याय: Roghan-e-Banafsha
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: यूनानी तेल
  • मुख्य उपयोग: सिर पर लगाने के लिए
  • मुख्य गुण: सिर दर्द में आराम देना, नींद की समस्या में लाभ करना

रोग़न बनफशा के घटक Ingredients of Roghan Banafsha

गुलेबनफशा Gul Banafsha 300 g.

रोग़न कुंजद Roghan Kunjad 3 lit

बनफशा, बनप्शा, बन्फश, फारफीर, ब्लू वायलेट, स्वीट वायलेट आदि वाओला ओडोराटा Viola odorata Flower के नाम है। इसका उत्पत्ति स्थान फारस है और यह मुख्य रूप से यूनानी चिकित्सा पद्यति में दवाई की तरह प्रयोग किया जाता है। इसके सूखे फूल को गुलेबनफ्शा कहा जाता है। यूनानी में इसे पहले दर्जे का ठण्डा और तर माना गया है। यह श्लेष्मनिस्सारक, स्वप्नजनन, और शीतल है।

कुंजद, शीरज़, सिमसिम, समसम, हल, तिल, तिल्ली आदि तिल के नाम हैं। रोग़न कुंजद का मतलब है, तिल का तेल।इस तेल का बेस आयल, तिल का तेल है। तिल का तेल, भारी, संकोचक और स्वाभाव से गर्म है। मालिश करने के लिए यह बहुत ही लाभकारी है। तिल का तेल बालों को पोषण देता है। यह बालों की नमी बनाये रखने में सहयोगी है। इसका प्रयोग बालों का टूटना, कमजोरी और रूखापन दूर करता है। इसका प्रयोग बालों का असमय सफ़ेद होना रोक, बालों को उनक नेचुरल रंग देने में सहायक है।

रोग़न बनफशा के लाभ/फ़ायदे Benefits of Roghan Banafsha

  1. यह सिर को ठंडक देता है।
  2. इसको लगाने से रूखापन दूर होता है।
  3. यह बालों का गिरना कम करता है।
  4. यह बालों को घना बनाता है।

रोग़न बनफशा के चिकित्सीय उपयोग Uses of Roghan Banafsha

  1. असमय बलों का गिरना Premature Hair Decay
  2. सिर की मालिश
  3. नींद न आना
  4. दिमाग में रूखापन और गर्मी Yuboosat-e-Dimagh (Dryness and hotness widespread in the brain)
  5. सिर में दर्द Suda-Sahar (Headache)

प्रयोग की विधि How to Use?

  1. यह तेल केवल बाह्य प्रयोग के लिए है।
  2. इसे एक हेयर तेल की तरह स्कैल्प पर मसाज करते है।
  3. तेल को बालों की जड़ों पर उँगलियों की सहायता से लगायें।
  4. जड़ों में तेल लग जाने पर हल्के हाथ से स्कैल्प की मालिश करें।
  5. इसे रात में लगायें और अगली सुबह धो लें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  1. यह तेल केवल बाह्य प्रयोग के लिए है।
  2. इसे आंतरिक रूप से प्रयोग न करें।
  3. इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

सोमराजी तेल Somraji Tail (Oil) Detail and Uses in Hindi

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सोमराजी तैल, एक आयुर्वेदिक औषधीय तेल है। इसे भैषज्य रत्नावली के कुष्ठरोगाधिकार से लिया गया है। इस दवा में मुख्य घटक सोमराजी है। इसके अतिरिक्त इसमें हल्दी, दारुहल्दी, सफ़ेद सरसों, कूठ, करंज, चक्रमर्द, अमलतास के पत्ते और सरसों का तेल है। इस तेल की मालिश से समस्त प्रकार के कुष्ठ, नाड़ीव्रण, दुष्टव्रण, पीलिका, पीड़िका, व्यंग, गंबीर वात-रक्त, कंडू, दाद, पामा आदि नष्ट होते हैं।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

Somraji Oil is an herbal medicated oil. It is an Ayurvedic oil and used for massaging. It helps in skin diseases.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल आयुर्वेदिक दवाई
  • मुख्य उपयोग: त्वचा रोग
  • मुख्य गुण: एंटीसेप्टिक, शोथहर, त्वचारोगहर

सोमराजी तेल के घटक Ingredients of Somraji Tail

  1. बावची Somaraji (Bakuchi) (Sd.) 24 g
  2. हल्दी Haridra (Rz.) 24 g
  3. दारूहल्दी Daruharidra (St.) 24 g
  4. सरसों के बीज Sarshapa (Sd.) 24 g
  5. कूठ Kushtha (Rt.) 24 g
  6. करंज Karanja (Sd.) 24 g
  7. चक्रमर्द Edagajabija (Chakramarda) (Sd.) 24 g
  8. अमलतास के पत्ते Aragvadha (Lf.) 24 g
  9. सरसों का तेल Sarshapa taila (Ol.) 768 g
  10. पानी Water 3.072 l

सोमराजी, बावची, बाकुची (संस्कृत), बावची (हिन्दी), हावुच (बंगाली), बावची (मराठी), बावची (गुजराती), कर्पोकरिशी (तमिल अथवा भावंचि (तेलुगु,) सौंरेलिया कौरिलीफोलिया (लैटिन पौधे के बीज हैं। यह सभी प्रकार के त्वचा और कुष्ट रोगो में लाभप्रद है। इसे सफ़ेद दाग में भी प्रयोग किया जाता है।

सोमराजी बीज में उड़नशील तेल, स्थिर तेल विशेष प्रकार का राल, दो क्रिस्टलाइन -, सोरोलिडिन तथा अन्य तत्व पाए जाते हैं। यह कुष्ठघ्न एवं कृमि है। ‌‌‌

हल्दी के बहुत से नाम हैं। इसे हरिद्रा, कांचनी, पीता, निशा, वरवर्णिनी, कृमिघ्ना, हलदी, योषितप्रिया, हट्टविलासिनी आदि नामों से पुकारते हैं। संस्कृत में जितने पर्यायवाची रात्रि के हैं, वे सभी हल्दी के भी नाम है।

हिंदी में यह हल्दी, बंगाली में ह्लुद, मराठी हलद, गुजराती में हालदार, कन्नड़ में अरसीन तथा तमिल में पासुपू कहलाती है। इसका फ़ारसी नाम जरदोप, अरेबिक में डरुफुस्सुकर, और अंग्रेजी में टर्मरिक है। इसका वैज्ञानिक नाम करक्यूमा लोंगा है। हल्दी स्वाद में चरपरी, कडवी, रूखी, गर्म, कफ, वात त्वचा के रोगों, प्रमेह, रक्त विकार, सूजन, पांडू रोग, और घाव को दूर करने वाली है।

दारुहरिद्रा या दारु हल्दी हिमालय क्षेत्र में छ: से दस हजार फीट की उंचाई पर पाई जाने वाली वनस्पति है। इसकी हल्दी जैसी पीली लकड़ी के कारण दारू हल्दी कहा जाता है। इसका बॉटनिकल नाम बर्बेरिस एरिस्टाटा है। उत्तराखंड में इसे किल्मोड़ा, किल्मोड़ी अथवा किन्गोड़ कहते हैं। इसे बुखार, पीलिया, शुगर, नेत्र और त्वचा रोगों में प्रयोग किया जाता है।

करंज गरम, कृमिनाशक, वात पीडा, कुष्ठ, कण्डू, व्रण तथा खुजली को नष्ट करता है। इसके लेप से त्वचा विकार नष्ट होते हैं।

सरसों का तेल अथवा कड़वा तेल एक दवा भी है। इसे लगाने से गर्माहट आती है। इस तेल की मालिश करने से शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और रक्त संचार अच्छा होता है। त्वचा संबंधी समस्याओं में इसे अन्य द्रव्यों के साथ लगा कर मिलाने से त्वचा रोग दूर होते हैं। यह शरीर के किसी भी भाग में फंगस को बढ़ने से रोकता है और त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाता है।

सोमराजी तेल के चिकित्सीय उपयोग Uses of Somraji Tail

  1. कंडू Kandu (Itching)
  2. कच्छु Kacchu (Itching)
  3. पामा Pama (Eczema)
  4. पीड़क Pidaka (Carbuncle)
  5. नीलिका Nilika (Mole)
  6. दुष्ट व्रण Dushta Vrana (Non-healing ulcer)
  7. नाड़ीव्रण Nadivrana (Fistula)
  8. गठिया Vatarakta (Gout)
  9. व्यंग Vyanga (Pigmentation disorder)
  10. कुष्ठ Kushtha (Diseases of skin)
  11. दाद, रिंगवर्म Dadru (Taeniasis)
  12. चर्म रोग Diseases of skin
  13. फफुंदीय संक्रमण Fungal infection

सोमराजी तेल की प्रयोग विधि How to use Somraji Tail

  1. यह तेल केवल बाह्य प्रयोग के लिए है।
  2. इसे प्रभावित स्थान पर लगायें।
  3. इसे लम्बे समय तक नियमित लगाएं।
  4. यदि लगाने पर रैश, खुजली, आदि हो तो इसे न लगाएं।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  1. यह तेल केवल बाह्य प्रयोग के लिए है।
  2. इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  3. प्रयोग से पहले पैच टेस्ट करें. त्वचा के छोटे पैच पर तेल को लगायें, और कुछ देर धूप में रखें। एक सप्ताह तक यदि किसी प्रकार का कोई रिएक्शन न दिखे तो प्रयोग और जगहों पर करें।

उपलब्धता

  1. इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
  2. बैद्यनाथ Baidyanath Somraji Tel
  3. पतंजलि Patanjali Divya Pharmacy Somraaji Taila
  4. तथा अन्य बहुत सी फर्मसियाँ।

मुसली सूत्र कैप्सूल Musli Sutra Detail and Uses in Hindi

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मुसली सूत्र कैप्सूल, आयुर्वेद के सिद्धांतों पर आधारित एक दवाई है जो की मुख्य रूप से पुरुषों के लिए है लेकिन महिलायें भी इसका सेवन कर सकती हैं। यह शक्तिवर्धक, जोश वर्धक, और वाजीकारक औषधि है। इसके सेवन से प्रजनन अंगों को ताकत मिलती है और यौन दुर्बलता दूर होती है।

इस दवा का मुख्य घटक मुस्ली है। मुस्ली का सेवन शरीर और मन को फिर से दुर्बलता को दूर करता है। इसके सेवन से कामेच्छा, शुक्राणुओं की संख्या बढ़ जाती है और सामान्य दुर्बलता का इलाज होता है। यह एक शक्तिशाली पुरुष और महिला यौन उत्तेजक के रूप में काम करता है। यह रक्त और वीर्य वर्धक है।

मुसली सूत्र कैप्सूल, थकावट, चिड़चिड़ापन, काम में में न लगना, शारीरिक कमजोरी आदि में लाभप्रद है। यह पुरुषों के लिए टॉनिक है। इसकी एक से दो गोली, सुबह और शाम दूध के साथ ली जानी चाहिए।

टेस्टोस्टेरोन पुरुषों के वृषण और एड्रेनल ग्लैंड से स्रावित होने वाला एंड्रोजन समूह का एक स्टीरॉएड हार्मोन है। यह प्रमुख पुरुष हॉर्मोन है जो की एनाबोलिक स्टीरॉएड है। टेस्टोस्टेरॉन पुरुषों में उनके प्रजनन अंगों के सही से काम करने और पुरुष लक्षणों जैसे की मूंछ-दाढ़ी, आवाज़ का भारीपन, ताकत आदि के लिए जिम्मेदार है। यदि टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो जाता है तो यौन प्रदर्शन पर सीधे असर पड़ता है, जैसे की इंद्री में शिथिलता, कामेच्छा की कमी, चिडचिडापन, आदि। मूसली, अश्वगंधा और गोखरू के सेवन से शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को सुधारने में मदद होती है।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

Musli Sutra is a Health Tonic for males. This medicine is useful in fatigue, general debility, and sexual disorders of male (night fall, erectile dysfunction, low libido, premature ejaculation and for improving performance).

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  1. उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  2. दवाई का प्रकार: आयुर्वेदिक दवाई
  3. मुख्य उपयोग: पुरुषों के लिए टॉनिक
  4. मुख्य गुण: एंटीऑक्सीडेंट, रसायन, टॉनिक
  5. दवा का अनुपान: गर्म जल अथवा गर्म दूध
  6. दवा को लेने का समय: दिन में दो बार, प्रातः और सायं

मुसली सूत्र पॉवर कैप्सूल के घटक Ingredients of Musli Sutra

  1. सफ़ेद मूसली 150 mg
  2. अश्वगंधा 100 mg
  3. गोखरू 40 mg
  4. शतावर 50 mg
  5. त्रिफला 50 mg
  6. मकरध्वज 5 mg
  7. त्रिवंग भस्म 5 mg
  8. लोह भस्म 5 mg
  9. अभ्रक भस्म 3 mg
  10. शुद्ध शिलाजीत 50 mg
  11. Excipients भावना द्रव्य: पान, सफ़ेद मूसली, केवांच बीज, विदारीकन्द आदि।

मुसली को हर्बल वियाग्रा के रूप में जाना जाता है। यह पुरुष प्रजनन प्रणाली को दुरुस्त करती है। मुसली की जड़ों को पुरुषों की यौन कमजोरी दूर करने के लिए पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। यह पुरुषों में यौन कमजोरी के लिए एक पोषक टॉनिक के रूप में कार्य करती है।

अश्वगंधा को असगंध, आसंध और विथानिया, विंटर चेरी आदि नामों से जाना जाता है। इसकी जड़ को सुखा, पाउडर बना आयुर्वेद में वात-कफ शामक, बलवर्धक रसायन की तरह प्रयोग किया जाता है। यह एक टॉनिक दवा है। यह शरीर को बल देती है। असगंध तिक्त-कषाय, गुण में लघु, और मधुर विपाक है। यह एक उष्ण वीर्य औषधि है। यह वात-कफ शामक, अवसादक, मूत्रल, और रसायन है जो की स्पर्म काउंट को बढ़ाती है।

  1. अश्वगंधा जड़ी बूटी पुरुषों में यौन शक्ति बढ़ाने के लिए प्रयोग की जाती है।
  2. यह पुरुष प्रजनन अंगों पर विशेष प्रभाव डालती है।
  3. यह पुरुषों में जननांग के विकारों के लिए एक बहुत ही अच्छी दवा है।
  4. यह वीर्य की मात्रा और गुणवत्ता को बढ़ाने में भी मदद करती है।
  5. यह शुक्र धातु की कमी, उच्च रक्तचाप, मूर्छा भ्रम, अनिद्रा, श्वास रोगों, को दूर करने वाली उत्तम वाजीकारक औषधि है।

गोखरू आयुर्वेद की एक प्रमुख औषधि है। इस मुख्य रूप से पेशाब रोगों और पुरुषों में यौन कमजोरी के लिए प्रयोग किया जाता है। गोखरू शीतल, मूत्रशोधक, मूत्रवर्धक, वीर्यवर्धक, और शक्तिवर्धक है। यह पथरी, पुरुषों के प्रमेह, सांस की तकलीफों, शरीर में वायु दोष के कारण होने वाले रोगों, हृदयरोग और प्रजनन अंगों सम्बन्धी रोगों की उत्तम दवा है। यह वाजीकारक है और पुरुषों के यौन प्रदर्शन में सुधार करता है।

गोखरू का प्रयोग यौन शक्ति को बढ़ाने में बहुत लाभकारी माना गया है। यह नपुंसकता, किडनी/गुर्दे के विकारों, प्रजनन अंगों की कमजोरी-संक्रमण, आदि को दूर करता है।

त्रिफला (फलत्रिक, वरा) आयुर्वेद का सुप्रसिद्ध रसायन है। यह आंवला, हर्र, बहेड़ा को बराबर मात्रा में मिलाकर बनता है। यह रसायन होने के साथ-साथ एक बहुत अच्छा विरेचक, दस्तावर भी है। इसके सेवन से पेट सही से साफ़ होता है, शरीर से गंदगी दूर होती है और पाचन सही होता है। यह पित्त और कफ दोनों ही रोगों में लाभप्रद है। त्रिफला प्रमेह, कब्ज़, और अधिक पित्त नाशक है। यह मेदोहर और कुछ दिन के नियमित सेवन से वज़न को कम करने में सहायक है। यह शरीर से अतिरिक्त चर्भी को दूर करती है और आँतों की सही से सफाई करती है।

मकरध्वज (Makardhwaj) नपुंसकता, शीघ्रपतन, स्तंभन दोष, इरेक्टाइल डिसफंक्शन और अन्य स्थितियों के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है। यह एक इनोर्गानिक पदार्थ है तथा सल्फाइड ऑफ़ मरकरी और गोल्ड का कॉम्बिनेशन है। मकरध्वज को सोने, पारद और गंधक को एक निश्चित अनुपात में, आयुर्वेद में बताये गए तरीकों से बनाया जाता है। मकरध्वज का सेवन शरीर, दिल, और दिमाग को ताकत देता है।

अभ्रक भस्म आयुर्वेद में प्रयोग की जानी वाली जानी-मानी दवाई है। इसे अकेले तथा अन्य घटकों के साथ मिलाकर देने से बहुत से रोगों का नाश होता है। यह कफ रोगों, उदर रोगों, नसों की कमजोरी, पुरुषों के विकारों में बहुत लाभप्रद है। इसके सेवन से शरीर को लोहा, मैग्नीशियम, कैल्शियम, आदि मिलते हैं । यह यौन दुर्बलता को दूर करने वाली औषधि है। यह त्रिदोष, घाव, प्रमेह, पेट रोग, कफ रोग, वीर्य विकार, गांठ, विष और कृमिमें लाभप्रद है।

त्रिवंग भस्म में शुद्ध वंग, शुद्ध नाग और शुद्ध यशद है। यह प्रमेह, मूत्रपिण्ड या मूत्रवाहिनी नली श्वेत प्रदर, दर्द, मधुमेह, यकृत विकार, प्लीहा विकारों, त्वचा संबंधी विकार, सर्दी आदि से संबंधित रोगों में यह उत्तम लाभ करती है।

शिलाजीत पहाड़ों से प्राप्त, सफेद-भूरा मोटा, चिपचिपा राल जैसा पदार्थ है (संस्कृत शिलाजतु) जिसमे सूजन कम करने, दर्द दूर करने, अवसाद दूर करने, टॉनिक के, और एंटी-ऐजिंग गुण होते हैं। इसमें कम से कम 85 खनिजों पाए जाते है। शिलाजीत एक टॉनिक है जो पुरुषों में यौन विकारों के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है। शिलाजीत रस में अम्लीय और कसैला, कटु विपाक और समशीतोष्ण (न अधिक गर्म न अधिक ठंडा) है।

ऐसा माना जाता है, संसार में रस-धातु विकृति से उत्पन्न होने वाला कोई भी रोग इसके सेवन से दूर हो जाता है। शिलाजीत शरीर को निरोगी और मज़बूत करता है।

  1. यह पुरुषों के प्रमेह की अत्यंत उत्तम दवा है।
  2. यह वाजीकारक है और इसके सेवन से शरीर में बल-ताकत की वृद्धि होती है।
  3. यह पुराने रोगों, मेदवृद्धि, प्रमेह, मधुमेह, गठिया, कमर दर्द, कम्पवात, जोड़ो का दर्द, सूजन, सर्दी, खांसी, धातु रोग, रोगप्रतिरोधक क्षमता की कमी आदि सभी में लाभप्रद है।
  4. यह शरीर में ताकत को बढाता है तथा थकान और कमजोरी को दूर करता है।
  5. यह यौन शक्ति की कमी को दूर करता है।
  6. यह भूख को बढाता है।
  7. यह पुरुषों में नपुंसकता, शीघ्रपतन premature ejaculation, कम शुक्राणु low sperm count, स्तंभन erectile dysfunction में उपयोगी है।
  8. यह शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने में मदद करता है।
  9. शिलाजीत के सेवन के दौरान, आहार में दूध की प्रधानता रहनी चाहिए।

लौह भस्म आयरन का ऑक्साइड है और आयुर्वेद बहुत अधिक प्रयोग होता है। यह क्रोनिक बिमारियों के इलाज़ के लिए प्रयोग किया जाता है। यह पांडू रोग या अनीमिया को नष्ट करता है। लौह भस्म को पाण्डु (anaemia), प्रमेह (diabetes), यक्ष्मा (tuberculosis), अर्श (piles), कुष्ठ (skin disorders), कृमि रोग (worm infestation), क्षीणतवा (cachexia), स्थूलया (obesity), ग्रहणी (bowel syndrome), प्लीहा रोग (spleenic disorders), मेदोरोगा (hyperlipidemia), अग्निमांद्य (dyspepsia), शूल (spasmodic pain), और विषविकार (poisoning) में प्रयोग किया जाता है।

कर्म Principle Action

  1. बाजीकरण: द्रव्य जो रति शक्ति में वृद्धि करे।
  2. शुक्रकर: द्रव्य जो शुक्र का पोषण करे।
  3. वृष्य: द्रव्य जो बलकारक, वाजीकारक, वीर्य वर्धक हो।
  4. शोथहर: द्रव्य जो शोथ / शरीर में सूजन, को दूर करे।
  5. रसायन: द्रव्य जो शरीर की बीमारियों से रक्षा करे और वृद्धवस्था को दूर रखे।

मुसली सूत्र कैप्सूल के लाभ/फ़ायदे Benefits of Musli Sutra

  1. इसमें मुस्ली, गोखरू, अश्वगंधा, शिलाजीत जैसे द्रव्य हैं जो की पुरुषों के विशेष रूप से उपयोगी माने गए हैं।
  2. यह यौन दुर्बलता को दूर करने में सहायक है।
  3. यह दवाई नसों को ताकत देती है। इसके सेवन से नसों की कमजोरी दूर होती है।
  4. यह शीघ्रपतन, स्तंभन दोष, अनैच्छिक शुक्रपात, स्वप्नदोष में लाभप्रद है।
  5. यह शारीरिक दुर्बलता को करती है।
  6. यह वीर्य की मात्रा को बढ़ाती है।
  7. यह शुक्राणुओं की संख्या बढाती है।
  8. इसके सेवन से खून की कमी दूर होती है।
  9. यह टेस्टोस्टेरोन के लेवल को बढ़ाती है।
  10. इसमें आम पाचन गुण है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को दूर करने में मददगार है।
  11. यह प्राकृतिक कामोद्दीपक या वाजीकारक है।
  12. यह यौन संतुष्टि को बढ़ावा देती है।
  13. इसके सेवन से उर्जा की वृद्धि होती है।
  14. यह स्मृति, बुद्धि को बढ़ाती है और अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखती है।

मुसली सूत्र कैप्सूल के चिकित्सीय उपयोग Uses of Musli Sutra

आयुर्वेद की मुख्य ८ शाखाएं हैं, इनमें से वाज़ीकरण यौन-क्रियायों की विद्या तथा प्रजनन Sexology and reproductive medicine चिकित्सा से सम्बंधित है। वाज़ीकरण के लिए उत्तम वाजीकारक वनस्पतियाँ और खनिजों का प्रयोग किया जाता है जो की सम्पूर्ण स्वास्थ्य को सही करती हैं और जननांगों पर विशेष प्रभाव डालती है। आयुर्वेद में प्रयोग किये जाने वाले उत्तम वाजीकरण द्रव्यों में शामिल है, मूसली, अश्वगंधा, शतावरी, गोखरू, केवांच, शिलाजीत, मकरध्वज, विधारा, आदि।  यह द्रव्य कामोत्तेजक है, स्नायु, मांसपेशियों की दुर्बलता, को दूर करने वाले है तथा धातु वर्धक, वीर्यवर्धक, शक्तिवर्धक तथा बलवर्धक हैं।

पुरुषों के लिए

  1. यौन कमजोरी के लिए sexual disorders of male
  2. नपुंसकता, शीघ्रपतन, मर्दाना कमजोरी impotency
  3. स्वप्न दोष Night fall, erectile dysfunction
  4. प्रमेह urinary disorders
  5. पुरुषों में यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए
  6. शरीर की कोशिकाओं की ताकत बढ़ाने के लिए
  7. शारीरिक कमजोरी, स्ट्रेस

महिलाओं के लिए  

  1. कामोत्तेजक
  2. रीवायवेनर
  3. थकान और सामान्य दुर्बलता

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Musli Sutra

  1. 1-2 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  2. इसे दूध, पानी के साथ लें।
  3. इसे भोजन करने के बाद लें।
  4. या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  1. लम्बे समय तक प्रयोग बिना डॉक्टर के परामर्श के न करें ।
  2. इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  3. इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  4. कुलथी का सेवन शिलाजीत के सेवन के दौरान नहीं किया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए है की, कुलथी पथरी की भेदक है।
  5. यह हमेशा ध्यान रखें की जिन दवाओं में पारद, गंधक, खनिज आदि होते हैं, उन दवाओं का सेवन लम्बे समय तक नहीं किया जाता। इसके अतिरिक्त इन्हें डॉक्टर के देख-रेख में बताई गई मात्रा और उपचार की अवधि तक ही लेना चाहिए।
  6. इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  7. इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  8. दवा की सटीक मात्रा व्यक्ति के पाचन, उम्र, वज़न और स्वास्थ्य को देख कर ही तय की जा सकती है।
  9. दवा के साथ-साथ भोजन और व्यायाम पर भी ध्यान दें।
  10. पानी ज्यादा मात्रा में पियें।

साइलेक्स कैप्सूल Sillax Detail and Uses in Hindi

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साइलेक्स कैप्सूल, मैपल ओवेरसीस द्वारा निर्मित दवाई है। यह दवा आयुर्वेद के वाजीकारक द्रव्यों से निर्मित है और पुरुषों में यौन समस्याओं में प्रयोग की जा सकती है। इस दवा का प्रमुख द्रव्य अश्वगंधा है। इसके अतिरिक्त इसमें अकरकरा, मूसली, अश्वगंधा, शतावर आदि भी है। इसके सेवन से पुरुषों में ताकत, उर्जा और यौन शक्ति बढ़ती है।इस दवाके लेबल पर लिखा है, इसे केवल डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।

टेस्टोस्टेरोन पुरुषों के वृषण और एड्रेनल ग्लैंड से स्रावित होने वाला एंड्रोजन समूह का एक स्टीरॉएड हार्मोन है। यह प्रमुख पुरुष हॉर्मोन है जो की एनाबोलिक स्टीरॉएड है। टेस्टोस्टेरॉन पुरुषों में उनके प्रजनन अंगों के सही से काम करने और पुरुष लक्षणों जैसे की मूंछ-दाढ़ी, आवाज़ का भारीपन, ताकत आदि के लिए जिम्मेदार है। यदि टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो जाता है तो यौन प्रदर्शन पर सीधे असर पड़ता है, जैसे की इंद्री में शिथिलता, कामेच्छा की कमी, चिडचिडापन, आदि। मूसली, अश्वगंधा और शतावर, सालम मिश्री, केवांच आदि के सेवन से शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को सुधारने में मदद होती है।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है।कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

Sillax medicine is for males only and helps to improve sexual functions, testicular functions, quality of the sperms, erection, sexual desire and sexual satisfaction. It helps to increase the sexual power and treat all types of disorders in men. It is an excellent combination of non-hormonal, aphrodisiac, anxiolytic and rejuvenating drugs. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: आयुर्वेदिक दवाई
  • मुख्य उपयोग: पुरुषों के लिए टॉनिक
  • मुख्य गुण: एंटीऑक्सीडेंट, रसायन, टॉनिक
  • दवा का अनुपान: गर्म जल अथवा गर्म दूध
  • मूल्य MRP: साइलेक्स 50 कैप्सूल @ ₹ 1,250.00

साइलेक्स कैप्सूल के घटक Ingredients of Sillax

  1. अश्वगंधा 100 mg
  2. अकरकरा 50 mg
  3. सफ़ेद मूसली 50 mg
  4. सालम मिश्री 50 mg
  5. शतावरी 50 mg
  6. शुद्ध शिलाजीत 50 mg
  7. केवांच 50 mg
  8. जायफल 25 mg
  9. जावित्री 25 mg
  10. एखारो 25 mg
  11. बला 25 mg
  12. पान 25 mg

अश्वगंधा को असगंध, आसंध और विथानिया, विंटर चेरी आदि नामों से जाना जाता है। इसकी जड़ को सुखा, पाउडर बना आयुर्वेद में वात-कफ शामक, बलवर्धक रसायन की तरह प्रयोग किया जाता है। यह एक टॉनिक दवा है। यह शरीर को बल देती है। असगंध तिक्त-कषाय, गुण में लघु, और मधुर विपाक है। यह एक उष्ण वीर्य औषधि है। यह वात-कफ शामक, अवसादक, मूत्रल, और रसायन है जो की स्पर्म काउंट को बढ़ाती है।

  1. अश्वगंधा जड़ी बूटी पुरुषों में यौन शक्ति बढ़ाने के लिए प्रयोग की जाती है।
  2. यह पुरुष प्रजनन अंगों पर विशेष प्रभाव डालती है।
  3. यह पुरुषों में जननांग के विकारों के लिए एक बहुत ही अच्छी दवा है।
  4. यह वीर्य की मात्रा और गुणवत्ता को बढ़ाने में भी मदद करती है।
  5. यह शुक्र धातु की कमी, उच्च रक्तचाप, मूर्छा भ्रम, अनिद्रा, श्वास रोगों, को दूर करने वाली उत्तम वाजीकारक औषधि है।

मुसली को हर्बल वियाग्रा के रूप में जाना जाता है। यह पुरुष प्रजनन प्रणाली को दुरुस्त करती है। मुसली की जड़ों को पुरुषों की यौन कमजोरी दूर करने के लिए पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। यह पुरुषों में यौन कमजोरी के लिए एक पोषक टॉनिक के रूप में कार्य करती है। मुसली का सेवन शरीर और मन को फिर से दुर्बलता को दूर करता है। इसके सेवन से कामेच्छा, शुक्राणुओं की संख्या बढ़ जाती है और सामान्य दुर्बलता का इलाज होता है। यह एक शक्तिशाली पुरुष और महिला यौन उत्तेजक के रूप में काम करता है। यह रक्त और वीर्य वर्धक है।

शिलाजीत पहाड़ों से प्राप्त, सफेद-भूरा मोटा, चिपचिपा राल जैसा पदार्थ है (संस्कृत शिलाजतु) जिसमे सूजन कम करने, दर्द दूर करने, अवसाद दूर करने, टॉनिक के, और एंटी-ऐजिंग गुण होते हैं। इसमें कम से कम 85 खनिजों पाए जाते है। शिलाजीत एक टॉनिक है जो पुरुषों में यौन विकारों के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है। शिलाजीत रस में अम्लीय और कसैला, कटु विपाक और समशीतोष्ण (न अधिक गर्म न अधिक ठंडा) है।

  1. ऐसा माना जाता है, संसार में रस-धातु विकृति से उत्पन्न होने वाला कोई भी रोग इसके सेवन से दूर हो जाता है। शिलाजीत शरीर को निरोगी और मज़बूत करता है।
  2. यह पुरुषों के प्रमेह की अत्यंत उत्तम दवा है।
  3. यह वाजीकारक है और इसके सेवन से शरीर में बल-ताकत की वृद्धि होती है।
  4. यह पुराने रोगों, मेदवृद्धि, प्रमेह, मधुमेह, गठिया, कमर दर्द, कम्पवात, जोड़ो का दर्द, सूजन, सर्दी, खांसी, धातु रोग, रोगप्रतिरोधक क्षमता की कमी आदि सभी में लाभप्रद है।
  5. यह शरीर में ताकत को बढाता है तथा थकान और कमजोरी को दूर करता है।
  6. यह यौन शक्ति की कमी को दूर करता है।
  7. यह भूख को बढाता है।
  8. यह पुरुषों में नपुंसकता, शीघ्रपतन premature ejaculation, कम शुक्राणु low sperm count, स्तंभन erectile dysfunction में उपयोगी है।
  9. यह शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने में मदद करता है।
  10. शिलाजीत के सेवन के दौरान, आहार में दूध की प्रधानता रहनी चाहिए।

जायफल या जातीफल एक प्रसिद्ध मसाला है। यह मिरिस्टिका फ्रेगरेंस वृक्ष के फल में पाए जाने वाले बीज की सुखाई हुई गिरी है। जायफल और जावित्री दोनों एक ही बीज से प्राप्त होते हैं। जायफल की बाहरी खोल outer covering या एरिल को जावित्री Mace कहते है और इसे भी मसाले की तरह प्रयोग किया जाता है। भारत में जायफल के वृक्ष तमिलनाडु में और कुछ संख्या में केरल, आंध्र प्रदेश, निलगिरी की पहाड़ियों में पाए जाते है।

जायफल को बाजिकारक aphrodisiac दवाओं और तेल को तिलाओं में डाला जाता है। यह पुरुषों की इनफर्टिलिटी, नपुंसकता, शीघ्रपतन premature ejaculationकी दवाओं में भी डाला जाता है। यह इरेक्शन को बढ़ाता है लेकिन स्खलन को रोकता है। यह शुक्र धातु को बढ़ाता है। यह बार-बार मूत्र आने की शिकायत को दूर करता है तथा वात-कफ को कम करता है।

कर्म Principle Action

  1. बाजीकरण: द्रव्य जो रति शक्ति में वृद्धि करे।
  2. शुक्रकर: द्रव्य जो शुक्र का पोषण करे।
  3. वृष्य: द्रव्य जो बलकारक, वाजीकारक, वीर्य वर्धक हो।
  4. शोथहर: द्रव्य जो शोथ / शरीर में सूजन, को दूर करे।
  5. रसायन: द्रव्य जो शरीर की बीमारियों से रक्षा करे और वृद्धवस्था को दूर रखे।

साइलेक्स कैप्सूल के लाभ/फ़ायदे Benefits of Sillax

  1. यह प्राकृतिक और आयुर्वेदिक हर्बल है।
  2. यह शुक्राणुओं की कमी, समयपूर्व उत्सर्जन और स्वप्न दोष जैसी समस्याओं में उपयोगी है।
  3. यह मूत्र में वीर्य की समस्या में उपयोगी है।
  4. यह प्रजनन क्षमता और यौन शक्ति को बढ़ाता है।
  5. यह शारीरिक दुर्बलता और थकान को कम करने में सहायक है।

साइलेक्स कैप्सूल के चिकित्सीय उपयोग Uses of Sillax

  1. शीघ्रपतन
  2. यौन कमजोरी के लिए sexual disorders of male
  3. नपुंसकता, शीघ्रपतन, मर्दाना कमजोरी impotency
  4. स्वप्न दोष Night fall, erectile dysfunction
  5. प्रमेह urinary disorders
  6. पुरुषों में यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए
  7. शरीर की कोशिकाओं की ताकत बढ़ाने के लिए
  8. शारीरिक कमजोरी, स्ट्रेस

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Sillax

  • 1-2 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे दूध, पानी के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  1. CAUTION: TO BE TAKEN UNDER MEDICAL SUPERVISION.
  2. लेबल पर दावा है की यह जीएमपी प्रमाणित है और सख्त गुणवत्ता नियंत्रित वातावरण में निर्मित की गई है।
  3. लेबल पर यह भी दावा है की यह 100% हर्बल है और आयुर्वेदिक (कोई साइड इफेक्ट्स नहीं) है।
  4. भंडारण निर्देश: सूखी जगह में स्टोर करें।
  5. इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  6. इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  7. दवा की सटीक मात्रा व्यक्ति के पाचन, उम्र, वज़न और स्वास्थ्य को देख कर ही तय की जा सकती है।
  8. परिणाम अनिश्चित हैं और अलग-अलग व्यक्तिओं में भिन्न हो सकते हैं।
  9. यह दवा आपके लिए प्रभावी हो भी सकती है और नहीं भी।
  10. कुलथी का सेवन शिलाजीत के सेवन के दौरान नहीं किया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए है की, कुलथी पथरी की भेदक है।
  11. दवा के साथ-साथ भोजन और व्यायाम पर भी ध्यान दें।
  12. पानी ज्यादा मात्रा में पियें।

कुतुब 30 एक्स Kutub 30X Detail and Uses in Hindi

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कुतुब 30 एक्स एक ऐलोपथिक दवाई जो की प्रिसक्रिप्शन ड्रग (डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर मिलने वाली ) है। यह दवा केवल पुरुषों के लिए है और बेटर इरेक्शन पाने में मदद करती है।

कुतुब 30 एक्स को इरेक्टाइल डिसफंक्शन / स्तम्भन दोष या नपुंसकता में लिया जाता है। इरेक्टाइल डिसफंक्शन वो स्थति है जिसमें पुरुष का लिंग ठीक से खड़ा नहीं हो पाता जिस कारण पुरुष चाह कर भी सेक्स का आनंद नहीं ले सकता। इसमें लिंग में कडापन और सख्ती नहीं होती और इस वज़ह से सेक्स करना संभव नहीं हो पाता।

यह दवाई, रोग का इलाज करती है उसे ठीक नहीं करती। इस दवा का सेवन सेक्स करने से एक घंटा पहले किया जाता है। भारी, फैटी भोजन का सेवन इस दवा का असर थोडा कम कर देता है। इसलिए इसे खाली पेट लेना चाहिए। इस पेज पर इस दवा के बारे बताया गया है जो की केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

Kutub 30X is an Allopathic medicine is for achieving erection and used in treatment of erectile dysfunction or ED, condition in which man cannot get, or keep, a hard-erect penis suitable for sexual activity. It works by increasing blood flow to the penis and relaxing the muscles. It should be taken an hour before the sexual intercourse. There are few conditions in which it should not be taken and like any other medicine it produces certain side-effect including headache, nausea, lowering of blood pressure etc. While taking this medicine the blood pressure should be monitored carefully. In case of serious side-effects, intake of medicine should be stopped and doctor should be consulted.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  1. ब्रांड: Hetero Healthcare Ltd.
  2. रोग: इरेक्टाइल डिसफंक्शन
  3. उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  4. दवाई का प्रकार: एलोपैथिक
  5. मुख्य उपयोग: Premature ejaculation
  6. मूल्य: 4 गोली @ Rs. 220.00

कुतुब 30 एक्स के घटक Ingredients of Kutub 30X

डापॉक्सेटिन Dapoxetine 30 mg + सिलडेनाफिल सिट्रेट Sildenafil 50 mg

डापॉक्सेटिन दवा चयनात्मक सेरोटोनिन रिअपटेक इनहिबिटर selective serotonin reuptake inhibitors’ (SSRIs) है। यह दवाई स्खलन होने के समय को बढ़ा देती है और स्खलन पर नियंत्रण में सुधार कर सकती है। यह दवा स्खलन के बारे में चिंता कर होने वाली हताशा को कम कर सकती है। इसका उपयोग 18 से 64 वर्ष के आयु वर्ग के पुरुष में समयपूर्व स्खलन का इलाज करने के लिए किया जाता है।

शीघ्रपतन तब होता है जब कोई व्यक्ति थोड़े से ही यौन उत्तेजना से स्खलित हो जाता है जिससे यौन संबंधों में समस्याएं पैदा हो सकती है।

डीपॉक्सेटीन न लें यदि:

  1. आप डीपॉक्सेटीन या इस दवा की अन्य किसी भी सामग्री के एलर्जी है ।
  2. आपको हृदय की समस्याएं होती हैं, जैसे दिल की विफलता या हृदय ताल के साथ समस्याएं
  3. आपके पास बेहोशी का इतिहास है।
  4. आप में उन्माद के लक्षण में हैं।
  5. गंभीर अवसाद
  6. आपके पास मध्यम या गंभीर यकृत समस्याएं हैं।

यदि आप निम्न दवाएं ले रहे हैं:

  1. अवसाद की दवाएं ‘monoamine oxidase inhibitors’ (MAOIs)’मोनोअमैन ऑक्सीडेज इनहिबिटर’ (एमओओआईएस) कहा जाता है।
  2. सीज़ोफ्रेनिया के लिए इस्तेमाल किया गया थियरीज़ीन Thioridazine
  3. अवसाद के लिए अन्य दवाइयां
  4. लिथियम Lithium: द्विध्रुवी विकार के लिए एक दवा
  5. लाइनोजॉल्ड Linezolid: संक्रमण का इलाज करने के लिए इस्तेमाल किया गया एक एंटीबायोटिक
  6. ट्रिटोपॉफन Tryptophan: आपकी नींद में मदद करने के लिए एक दवा है
  7. सेंट जॉन पौधा St John’s wort: एक हर्बल दवा
  8. ट्रामेडोल Tramadol गंभीर दर्द के इलाज के लिए
  9. माइग्रेन के उपचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं

ऊपर दी गई दवाओं के साथ डीपॉक्सेटीन न लें। यदि ऊपर दी गई किसी भी दवा का सेवन कर रहे हैं तो दवा का सेवन रोक दें। अन्य दवा के सेवन को रोक देने के दो सप्ताह बाद डीपॉक्सेटीन का सेवन करें। जब डीपॉक्सेटीन का सेवन रूकें तो एक सप्ताह बाद ही अन्य दवा शुरू करें।

सिलडेनाफिल सिट्रेट / साईट्रेट है को इरेक्टाइल डिसफंक्शन (नपुंसकता) में दिया जाता है। इसका सेवन फास्फोडिस्ट्रस 5 (PDE 5) एंजाइम के प्रवाह को रोककर टिश्यू को रिलैक्स करता है तथा रक्तसंचार को आसान बना देता है। यह दोनों ही चीज़े स्तम्भन में सहयोगी हैं।

यह बाद ध्यान रखने योग्य है, की किसी भी अन्य दवा की तरह इसको लेने से भी शरीर पर कई तरह के दुष्प्रभाव / नुकसान हैं। इसलिए यदि आवश्यक हो तो ही इसका प्रयोग करें तथा यदि किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या के लिए कोई दवा लेते हैं, तो उस दवा का इसके साथ इंटरेक्शन क्या होता है यह भलिभांति समझ लें।

कुतुब 30 एक्स के चिकित्सीय उपयोग Uses of Kutub 30X

स्तंभन दोष या इरेक्टाइल डिसफंक्शन Erectile dysfunction ( संभोग के दौरान शिश्न / लिंग / जनेन्द्रिय के उत्तेजित न होने या उसे बनाए न रख सकने के कारण पैदा हुई यौन निष्क्रियता)

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Mankind Manforce Tablet

  1. नोट: यह प्रिस्क्रिप्शन ड्रग है।
  2. इसे दिन में एक बार ही लेना है।
  3. एक बार से ज्यादा न लें। यह हानिकारक है।
  4. इसे पानी के साथ लें।
  5. इसे सेक्स करने से करीब एक से तीन घंटा पहले लें।
  6. भारी भोजन के साथ लेने पर इसका अवशोषण धीरे से होता है।
  7. अल्कोहल का सेवन दवा के असर को कम करता है।
  8. यह रक्तचाप को कम करती है।
  9. या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

इसका सेवन न करें यदि Contraindications

  1. कोई भी नाइट्रेट मेडिकेशन (osorbide salts, sodium nitroprusside, amyl nitrite, nicorandil or organic nitrates), ले रहें हों तो इसका सेवन न करें। यह रक्तचाप को खतरनाक ढंग से कम देगा।
  2. अगर एनजाइना है, छाती में दर्द है, तो भी इसका सेवन नं करें।
  3. दिल की बिमारी है जिस कारण से सेक्स करने की मनाही है।
  4. पिछले 6 महीने में स्ट्रोक हुआ हो।
  5. लीवर की गंभीर बीमारी है।
  6. रक्तचाप नियंत्रित नहीं है।
  7. आखों के रोग nonarteritic anterior ischaemic optic neuropathy (NAION) retinitis pigmentosa में
  8. दवा में प्रयोग किसी भी घटक से एलर्जी है।

दवाएं जो सिलडेनाफिल सिट्रेट के साथ इंटरैक्ट करती हैं Drug interactions

  1. अलसर की दवा cimetidine
  2. फंगस की दवा ketoconazole and itraconazole
  3. एंटीबायोटिक्स erythromycin and rifampicin
  4. कुछ प्रोटीएज इनहिबिटर ritonavir and saquinavir

कुछ संभावित साइड-इफेक्ट्स Possible Side-effects

  1. सिर दर्द, चक्कर आना
  2. त्वचा का लाल, गर्म होना
  3. अपच, एसिडिटी
  4. नाक जाम होना
  5. साइनस कंजेशन
  6. नाक में सूजन
  7. लूज़ मोशन
  8. त्वचा पर चक्कते
  9. चिड़चिड़ापन
  10. शरीर गर्म महसूस होना
  11. आँखों में जलन

गंभीर साइड-इफेक्ट्स Serious Side-effects

  1. हृदय की धड़कन में परिवर्तन
  2. पेशाब का इन्फेक्शन, पेशाब में जलन, बार बार पेशाब की इच्छा
  3. पेशाब में खून जाना
  4. नाक से खून आना
  5. लगातार सिरदर्द
  6. हाथ-पैर सुन्न होना
  7. आँखों का लाल होना
  8. पफी आँखे
  9. आँखों में दर्द
  10. मांसपेशियों में दर्द

अगर यह लक्षण हो तो डॉक्टर से संपर्क करें:

  1. छाती में दर्द
  2. दिल की धड़कन बढ़ना
  3. सुनाई न देना
  4. सीज़र, फिट्स
  5. सही से दिखाई न देना
  6. रंगहीन चीजें कलरफुल लगना
  7. लाल-पीले धब्बे दिखना
  8. इरेक्शन का कुछ घंटों तक रहना, इससे पेनिस को नुकसान होता है

दवा से एलर्जी के लक्षण Allergic reactions

  1. कफ, सांस ठीक से न आना
  2. चेहरे पर सूजन
  3. शरीर के अन्य हिस्सों पर सूजन
  4. हाइव्स, रैश
  5. बेहोशी
  6. हेफीवर जैसे लक्षण।

भण्डारण Storage

  1. इसे 30°C से कम तापक्रम पर रखें। इसे ठन्डे और सूखे स्थान पर रखें।
  2. दवा को बाथरूम, सिंक आदि गीली जगहों पर न रखें।
  3. इसे कमरे की खिड़की, धूप वाली जगह या कार में न रखें।
  4. नमी और गर्मी दवा को ख़राब कर देती है।

सौंफ अर्क Saunf Ark

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सौंफ का अर्क, सौंफ से तैयार किया जाता है। सौंफ अर्क बनाने के लिए सौंफ को साफ़ करके रात में पानी में भिगो देते हैं। भिगो देने से सौंफ मुलायम हो जाती है। अगले दिन पानी और सौंफ को नाड़िका यंत्र में डाल कर, इसे वाष्पीकृत करके भाप को कंडेंस कर अर्क बना लिया जाता है। अर्क को बोतलों में इकठ्ठा कर लिया जाता है। सौंफ से बनने वाला यह अर्क, सौंफ का अर्क कहलाता है।

सौंफ का अर्क, सौंफ की ही तरह मुख्य रूप से पाचन की समस्याओं और विशेष रूप उलटी, दस्त, अतिसार और शरीर में पित्त की अधिकता में प्रयोग किया जाता है। इसके सेवन भूख ठीक से लगती है और पाचन अच्छा होता है। पेट से अफारा दूर होता है और ऐठन वाले दर्द में राहत होती है। यह शीतल गुण से शरीर में पित्त की अधिकता से होने वाली जलन को कम करता है। यह स्त्रियों सम्बन्धी दिक्कतों जैसे की मासिक के दौरान दर्द, ऐंठन, योनि में दर्द आदि में भी लाभप्रद है।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: पाचन की समस्याएं
  • मुख्य गुण: वात-पित्त शामक, छर्दीनिग्रहण

Saunf Ark is prepared from Saunf/Sounf/Fennel seeds. Arka / Arq can be defined as a liquid obtained by distillation of certain liquids or drugs soaked in water using distillation apparatus. The drugs are boiled in distillation apparatus to get the vapors which on condensation give Ark of desired herb. Ark contains the volatile part of drug. Arq-e-Saunf is beneficial is common disorders related to digestive system.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

सौंफ अर्क के घटक Ingredients of Saunf Ark

  • सौंफ 1 किलो
  • पानी 7 लीटर

आयुर्वेदिक गुण और कर्म

स्वाद में यह मधुर, कटु, तिक्त, गुण में लघु और चिकनी है। स्वभाव से यह शीतल है और मधुर विपाक है। यह शीत वीर्य है। वीर्य का अर्थ होता है, वह शक्ति जिससे द्रव्य काम करता है। आचार्यों ने इसे मुख्य रूप से दो ही प्रकार का माना है, उष्ण या शीत। शीत वीर्य औषधि के सेवन से मन प्रसन्न होता है। यह जीवनीय होती हैं। यह स्तम्भनकारक और रक्त तथा पित्त को साफ़ / निर्मल करने वाली होती हैं।

  • रस (taste on tongue): मधुर, कटु, तिक्त
  • गुण (Pharmacological Action): लघु, स्निग्ध
  • वीर्य (Potency): शीत
  • विपाक (transformed state after digestion): मधुर

विपाक का अर्थ है जठराग्नि के संयोग से पाचन के समय उत्पन्न रस। इस प्रकार पदार्थ के पाचन के बाद जो रस बना वह पदार्थ का विपाक है। शरीर के पाचक रस जब पदार्थ से मिलते हैं तो उसमें कई परिवर्तन आते है और पूरी पची अवस्था में जब द्रव्य का सार और मल अलग हो जाते है, और जो रस बनता है, वही रस उसका विपाक है। प्रायः मधुर तथा लवण रस के पदार्थों का विपाक मधुर होता है, खट्टे पदार्थों का विपाक अम्लीय और तिक्त, कटु, कषाय रसों का विपाक कटु होता है। मधुर विपाक, भारी, मल-मूत्र को साफ़ करने वाला होता है। यह कफ या चिकनाई का पोषक है। शरीर में शुक्र धातु, जिसमें पुरुष का वीर्य और स्त्री का आर्तव को बढ़ाता है। इसके सेवन से शरीर में निर्माण होते हैं।

प्रधान कर्म

  • अनुलोमन: द्रव्य जो मल व् दोषों को पाक करके, मल के बंधाव को ढीला कर दोष मल बाहर निकाल दे।
  • मूत्रल : द्रव्य जो मूत्र ज्यादा लाये। diuretics
  • आमदोषहर: टोक्सिन दूर करे।
  • छर्दीनिग्रहण: उलटी रोकने वाला।
  • कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
  • दीपन: द्रव्य जो जठराग्नि तो बढ़ाये लेकिन आम को न पचाए।
  • शीतल: स्तंभक, ठंडा, सुखप्रद है, और प्यास, मूर्छा, पसीना आदि को दूर करता है।

सौंफ अर्क के लाभ/फ़ायदे Benefits of Saunf Ark

  1. अर्क सौंफ पित्त-वात के रोगों में प्रयोग की जाता है।
  2. यह गैस, अफारा में लाभप्रद है।
  3. यह पित्त की अधिकता, एसिड रिफ्लक्स, जलन आदि में लाभप्रद है।
  4. यह भूख बढ़ाता है और पाचन को बेहतर करता है।
  5. इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है।
  6. इसे बच्चे-बड़े सभी ले सकते हैं।

सौंफ अर्क के चिकित्सीय उपयोग Uses of Saunf Ark

  1. सौंफ के अर्क को अरूचि, जी मिचलाना, अम्लपित्त, संग्रहणी, अतिसार, प्रवाहिका, रक्तातिसार, आमदोष आदि में अकेले ही या अन्य किसी दवा के अनुपान रूप में लेते हैं।
  2. अफारा Flatulence
  3. अपच Indigestion
  4. पेट में दर्द Stomach ache
  5. मन्दाग्नि Mandagni (Impaired digestive fire)
  6. आध्मान Adhmana (Flatulance with gurgling sound)
  7. शूल Shula (Colicky Pain)
  8. कृमि Krimi (Helminthiasis/Worm infestation)
  9. योनि शूल Yoni shula (Pain in female genital tract)
  10. आईबीएस Irritable bowel syndrome
  11. जी मिचलाना और उलटी Nausea and Vomiting
  12. अतिसार Diarrhoea
  13. वात-पित्त रोग

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Saunf Ark

  1. सौंफ के अर्क को दिन में दो से तीन बार ले सकते हैं।
  2. इसे खाली पेट लेना चाहिए।
  3. इसे लेने की मात्रा 20 से 60 ml है।
  4. खांसी में इसे शहद के साथ लें।
  5. बच्चों को वयस्कों को दी जाने वाली मात्रा का आधा या उम्र के हिसाब से, दवा दी जा सकती है।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  1. गर्भावस्था में कोई दवा बिना डॉक्टर की सलाह के न लें।
  2. प्रयोग करने से पहले बोतल को अच्छे से हिला लें।

उपलब्धता

  1. इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
  2. बैद्यनाथ Baidyanath Saunf Ark Price INR 53.00
  3. डाबर Dabur Saunf Ark INR 57.00

शर्बत बनफशा Sharbat Banafsha Detail and Uses in Hindi

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बनफशा, बनप्शा, बन्फश, फारफीर, ब्लू वायलेट, स्वीट वायलेट आदि वाओला ओडोराटा Viola odorata Flower के नाम है। इसका उत्पत्ति स्थान फारस है और यह मुख्य रूप से यूनानी चिकित्सा पद्यति में दवाई की तरह प्रयोग किया जाता है।

बनफशा भारत में अनुष्णाशीत पश्चिमी हिमालय में लगभग 5000 फुट की उंचाई पर पाया जाता है। बनफशा के पौधे छः अंगुल तक के होते हैं और पत्ते रोम युक्त और ब्राह्मी की पत्तियोंके समान दांतेदार होती हैं। इसके फूलों का रंग बैंगनी होता है और यह खुशबूदार होते हैं।

यूनानी चिकित्सा में पूरे पौधे को दवाई के रूप में प्रयोग करते हैं और बनफसा कहते हैं। इसके सूखे फूल को गुलेबनफ्शा कहा जाता है। यूनानी में इसे पहले दर्जे का ठण्डा और तर माना गया है। यह श्लेष्मनिस्सारक, स्वप्नजनन, और शीतल है। इसे पेट दर्द, गले में दर्द, पित्त की अधिकता, अधिक प्यास में प्रयोग किया जाता है। यह फेफड़ों के रोगों, जुखाम, खांसी, सूखी खांसी, और पेट और लीवर में अधिक गर्मी के रोगों में दवा के तौर पर दिया जाता है।

शरबत बनफशा अथवा गुलबनफ्सा का शरबत, में बनफशा ही मुख्य औषधीय द्रव्य है। शर्बत का मतलब है मीठा पेय पदार्थ। दवा वाले शर्बत द्रव्यों के काढ़े, फांट अथवा अर्क आदि में चीनी और प्रीज़रवेटिव डाल के बनाया जाता है।

शरबत बनफशा को जुखाम, खांसी, सूखी खांसी, बुखार, नजला, दिल की धड़कन, तनाव, कमजोरी आदि में दिया जाता है। यह जुखाम और खांसी की बहुत अच्छी दवाई है। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

Sharbat Banafsha (Synonuym: Sharbat-e-Banafsha, Sharbat-e-Banaphsha), is an Unani herbal medicine used in treatment of respiratory ailments and excess heat inside body.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: यूनानी हर्बल दवाई
  • मुख्य उपयोग: फेफड़े सम्बन्धी रोग
  • मुख्य गुण: शरीर में ठण्डक देना और फेफड़े के रोगों में लाभ करना

शर्बत बनफशा के घटक Ingredients of Sharbat Banafsha

  1. गुल बनफ्सा Gul Banafsha Viola odorata Flower 1/2 kg
  2. कन्द Qand Safed Sugar 8 kg
  3. सिट्रिक एसिड Citric Acid 15 gram
  4. सोडियम बेन्जोएट Sodium benzoate 12 grams

शर्बत बनफशा के लाभ/फ़ायदे Benefits of Sharbat Banafsha

  1. यह शरीर को ठंडक देता है।
  2. यह अधिक प्यास को शांत करता है।
  3. यह शरीर को ताकत देता है और पुराने रोग में इसके सेवन से बल मिलता है।
  4. यह पित्त और कफ की अधिकता से होने वाले रोगों में फायदेमंद है।
  5. यह हर्बल है।

शर्बत बनफशा के चिकित्सीय उपयोग Uses of Sharbat Banafsha

  1. तीव्र प्यास लगना
  2. नज़ला, जुखाम, खांसी
  3. क्रोनिक ब्रोंकाइटिस
  4. तपेदिक में खांसी
  5. सूखी खाँसी
  6. बुखार, सिरदर्द और दर्द
  7. दिल की अनियमित धड़कन
  8. गले की खराश
  9. बुखार के बाद कमजोरी

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Sharbat Banafsha

  1. इसे लेने की मात्रा 20 से 40 ml है।
  2. इसे दिन में एक बार लेना है।
  3. इसे दूसरी दवाओं के साथ या चार गुना पानी में मिला कर लेते हैं।
  4. या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

यह मीठा है इसलिए डायबिटीज में इसका सेवन न करें।

इसके सेवन का कोई साइड इफ़ेक्ट ज्ञात नहीं है।

बनफशा Viola odorata in Hindi

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बनफशा, बनप्शा, बन्फश, फारफीर, ब्लू वायलेट, स्वीट वायलेट आदि वाओला ओडोराटा Viola odorata Flower के नाम है। इसका उत्पत्ति स्थान फारस है और यह मुख्य रूप से यूनानी चिकित्सा पद्यति में दवाई की तरह प्रयोग किया जाता है।

bansafa
By Majercsik László / LaMa (http://zoldvilaginfo.info) [GFDL (http://www.gnu.org/copyleft/fdl.html) or CC BY-SA 3.0 (http://creativecommons.org/licenses/by-sa/3.0)], via Wikimedia Commons
बनफशा भारत में अनुष्णाशीत पश्चिमी हिमालय में लगभग 5000 फुट की उंचाई पर पाया जाता है। बनफशा के पौधे छः अंगुल तक के होते हैं और पत्ते रोम युक्त और ब्राह्मी की पत्तियों के समान दांतेदार होती हैं। इसके फूलों का रंग बैंगनी होता है और यह खुशबूदार होते हैं।

यूनानी चिकित्सा में पूरे पौधे को दवाई के रूप में प्रयोग करते हैं और बनफसा कहते हैं। इसके सूखे फूल को गुलेबनफ्शा कहा जाता है। यूनानी में इसे पहले दर्जे का ठण्डा और तर माना गया है। यह श्लेष्मनिस्सारक, स्वप्नजनन, और शीतल है। इसे पेट दर्द, गले में दर्द, पित्त की अधिकता, अधिक प्यास में प्रयोग किया जाता है। यह फेफड़ों के रोगों, जुखाम, खांसी, सूखी खांसी, और पेट और लीवर में अधिक गर्मी के रोगों में दवा के तौर पर दिया जाता है।

पुराने दिनों में बनफ्शा को ईरान से आयात किया जाता था, लेकिन अब यह कश्मीर में कांगड़ा और चंबा से एकत्र किया जाता है। यूनानी चिकित्सा में जड़ी बूटी, परिपक्व फूल का दवा के रूप में उपयोग स्वेदजनन/डाइफोरेक्टिक, ज्वरनाशक/एंटीपीरेक्टिक और मूत्रवर्धक की तरह अकेले या अन्य दवाओं के नुस्खे में प्रयोग किया जाता है। इसका फुफ्फुसीय प्रभाव है और आम तौर पर इसे फांट, काढ़े की तरह प्रयोग किया जाता है।

बनफशा से बना गुलकंद, रोग़न बनफशा , खामीरा-ए-बनफ्शा और शरबत-ए-बनफ्शा दवाई की तरह श्वसन पथ, ब्रोंकाइटिस, बुखार, अनिद्रा, जोड़ों के दर्द आदि में दिया जाता है। यूनानी चिकित्सकों ने सूजन दूर करने के गुण से बनफ्शा से बने काढ़े को फुफ्फुस, यकृत की बीमारियों में दिया जाता है।

सामान्य जानकारी

  1. वानस्पतिक नाम: वाओला ओडोराटा
  2. कुल (Family): वायोलेसीए
  3. औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भाग: पूरा पौधा
  4. पौधे का प्रकार: हर्ब
  5. वितरण: अनुष्णाशीत पश्चिमी हिमालय में
  6. पर्यावास: लगभग 5000 फुट की उंचाई पर, कश्मीर, काँगड़ा, और चम्बा में।

बनफशा के स्थानीय नाम / Synonyms

  1. हिन्दी: Banapsa, Banafsha, Vanapsha
  2. अंग्रेजी: Sweet Violet, Wood violet, Common violet, Garden violet
  3. तमिल: Vayilethe
  4. उर्दू: Banafshaa, Banafsaj, Kakosh, Fareer

बनफशा का वैज्ञानिक वर्गीकरण Scientific Classification

  1. किंगडम Kingdom: प्लांटी Plantae – Plants
  2. सबकिंगडम Subkingdom: ट्रेकियोबाईओन्टा Tracheobionta संवहनी पौधे
  3. सुपरडिवीज़न Superdivision: स्परमेटोफाईटा Spermatophyta बीज वाले पौधे
  4. डिवीज़न Division: मैग्नोलिओफाईटा Magnoliophyta – Flowering plants फूल वाले पौधे
  5. क्लास Class: मैग्नोलिओप्सीडा Magnoliopsida – द्विबीजपत्री
  6. सबक्लास Subclass: डिल्लेनीडाए Dilleniidae
  7. आर्डर Order: विओलेल्स Violales
  8. परिवार Family: विओलेसिएइ Violaceae – वायलेट फॅमिली
  9. जीनस Genus: वाइला Viola L.– वायलेट
  10. प्रजाति Species: Viola odorata L. – स्वीट वायलेट

बनफशा के संघटक Phytochemicals

फूलों में वायलिन नामक एक उलटी लाने वाला पदार्थ है जो पौधे के सभी भागों में मौजूद होता है। यह पदार्थ कड़वा और तीव्र होता है। इसके अतिरिक्त इसमें एक अस्थिर तेल, रटिन (2%), साइनाइन (5.3%), एक बेरंग क्रोमोजेन, एक ग्लाइकोसाइड मिथाइल सैलिसिलेट और चीनी पाया जाता है। वाष्पशील तेल में अल्फा- और बैटेरोन होते हैं। रूट स्टॉक में सैपोनिन (0.1-2.5%) होता है।

बनफशा के आयुर्वेदिक गुण और कर्म

बनफ्शा का पंचांग (पाँचों अंग) स्वाद में कटु, तिक्त गुण में हल्का, तर है। स्वभाव से यह ठण्डा और कटु विपाक है। यह वातपित्त शामक और शोथहर है। यह जन्तुनाशक, पीड़ा शामक और शोथ दूर करने वाला है।

  • रस (taste on tongue): कटु, तिक्त
  • गुण (Pharmacological Action): लघु, स्निग्ध,
  • वीर्य (Potency): आयुर्वेद में उष्ण / यूनानी में पहले दर्जे का ठण्डा
  • विपाक (transformed state after digestion): कटु

प्रधान कर्म

  1. कफनिःसारक / छेदन: द्रव्य जो श्वासनलिका, फेफड़ों, गले से लगे कफ को बलपूर्वक बाहर निकाल दे।
  2. मूत्रल: द्रव्य जो मूत्र ज्यादा लाये। diuretics
  3. शोथहर: द्रव्य जो शोथ / शरीर में सूजन, को दूर करे। antihydropic
  4. श्लेष्महर: द्रव्य जो चिपचिपे पदार्थ, कफ को दूर करे।
  5. शीतल: स्तंभक, ठंडा, सुखप्रद है, और प्यास, मूर्छा, पसीना आदि को दूर करता है।
  6. बल्य: द्रव्य जो बल दे।

बनफशा इन रोगों में लाभप्रद है:

  1. दमा Asthma
  2. ब्रोंकाइटिस Bronchitis
  3. सर्दी Colds
  4. खांसी Cough
  5. डिप्रेशन Depression
  6. फ्लू के लक्षण Flu symptoms
  7. नींद (अनिद्रा) insomnia
  8. फेफड़े की समस्याएं Lung problems
  9. रजोनिवृत्ति के लक्षण Menopausal symptoms
  10. घबराहट Nervousness
  11. पाचन समस्याओं Digestion problems
  12. मूत्र समस्याएं Urinary problems आदि।

बनफशा के औषधीय उपयोग Medicinal Uses of Viola odorata in Hindi

बनफशा पौधे के पत्ते, फूल समेत पूरे पौधे को दवा की तरह प्रयोग किया जाता है। इसके केवल सूखे फूल को गुले बनफशा कहते हैं। यूनानी चिकित्सा में इसका बहुत प्रयोग किया जाता है। बनफशा की अनेक प्रजातियाँ है जैसे की वायोला सिनेरेआ और वायोला सर्पेंस। इनमें से नीले और जामुनी रंग के फूलों वनस्पति उत्तम मानी जाती है।

गुलेबनफशा में वमनकारी अल्कालॉयड, तेल, रंजक द्रव्य, वायोलेक्वरसेटिन आदि पाए जाते हैं।

आमतौर पर बनफशा को जुखाम, नज़ला, कफ, खाँसी, जकड़न, श्वसन तंत्र की सूजन, भरी हुई नाक, ब्रोंकाइटिस, ऐंठन, मस्तिष्क, हिस्टीरिया, कलाई के गठिया, तंत्रिका तनाव, हिस्टीरिया, शारीरिक और मानसिक थकावट, रजोनिवृत्ति के लक्षण, अवसाद और चिड़चिड़ापन coryza, cough, congestion, and inflammation of the respiratory tract, spasmodic cough, neuralgia, hysteria, rheumatism of wrist आदि में दिया जाता है। यह श्लेष्म को पतला करता है जिससे वह आसानी से निकल सकता है। यह बच्चों और गर्भवती माताओं के लिए सुरक्षित है।

इसके फूलों का मदर टिंक्चर डिस्पिनिया, खांसी, सूखी खांसी, गले में खराश, ग्रीवा ग्रंथियों की सूजन के उपचार के लिए होम्योपैथी में दिया जाता है।

बनफशा शरीर में जलन, आँखों की जलन, पेशाब की जलन आदि में शीतल गुणों के कारण लाभप्रद हैं। इसे पेट दर्द, पेट और आंतों की सूजन, अनुचित आहार के कारण पाचन समस्याएं, गैस, जलन,पित्ताशय की बीमारियों, और भूख न लगना आदि में भी इसका उपयोग किया जाता है।

इसके पत्तों का पेस्ट दर्द और सूजन पर बाह्य रूप से लगाया जाता है। इसे त्वचा विकारों के में और त्वचा साफ़ करने के लिए भी पेस्ट की तरह लगाते हैं।

बनफशा की औषधीय मात्रा

गुले बनफशा को लेने की आंतरिक मात्रा 5-6 ग्राम है।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side-effects/Contraindications

  1. बनफशा का कोई ज्ञात साइड इफ़ेक्ट नहीं है।
  2. वैसे तो इसे बच्चों और गर्भवती माताओं के लिए इसे सुरक्षित कहा गया है, लेकिन डॉक्टर की सलाह के बिना इसे गर्भावस्था में प्रयोग न करें।
  3. बनफशा का किसी दवा के साथ इंटरेक्शन ज्ञात नहीं है।

रोग़न बनफशा Roghan Banafsha Detail and Uses in Hindi

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रोग़न बनफशा, एक यूनानी दवा है। रोग़न तेल को कहते हैं। इसमें मुख्य द्रव्य बनफशा होने से इसे रोग़न बनफशा या बनफशा का तेल कहते हैं। रोग़न बनफशा को सिर पर लगाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इससे मालिश करने से सिर दर्द और नींद न आने की समस्या में आराम मिलता है। इसे लगाने से बाल भी मजबूत होते हैं।

Roghan Banafsha, is Unani medicated oil used for scalp massage. Its application given relief in headache, insomnia and hair fall problem. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and how to use in Hindi language.

  • पर्याय: Roghan-e-Banafsha
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: यूनानी तेल
  • मुख्य उपयोग: सिर पर लगाने के लिए
  • मुख्य गुण: सिर दर्द में आराम देना, नींद की समस्या में लाभ करना

रोग़न बनफशा के घटक Ingredients of Roghan Banafsha

गुलेबनफशा Gul Banafsha 300 g.

रोग़न कुंजद Roghan Kunjad 3 lit

बनफशा, बनप्शा, बन्फश, फारफीर, ब्लू वायलेट, स्वीट वायलेट आदि वाओला ओडोराटा Viola odorata Flower के नाम है। इसका उत्पत्ति स्थान फारस है और यह मुख्य रूप से यूनानी चिकित्सा पद्यति में दवाई की तरह प्रयोग किया जाता है। इसके सूखे फूल को गुलेबनफ्शा कहा जाता है। यूनानी में इसे पहले दर्जे का ठण्डा और तर माना गया है। यह श्लेष्मनिस्सारक, स्वप्नजनन, और शीतल है।

कुंजद, शीरज़, सिमसिम, समसम, हल, तिल, तिल्ली आदि तिल के नाम हैं। रोग़न कुंजद का मतलब है, तिल का तेल।इस तेल का बेस आयल, तिल का तेल है। तिल का तेल, भारी, संकोचक और स्वाभाव से गर्म है। मालिश करने के लिए यह बहुत ही लाभकारी है। तिल का तेल बालों को पोषण देता है। यह बालों की नमी बनाये रखने में सहयोगी है। इसका प्रयोग बालों का टूटना, कमजोरी और रूखापन दूर करता है। इसका प्रयोग बालों का असमय सफ़ेद होना रोक, बालों को उनक नेचुरल रंग देने में सहायक है।

रोग़न बनफशा के लाभ/फ़ायदे Benefits of Roghan Banafsha

  1. यह सिर को ठंडक देता है।
  2. इसको लगाने से रूखापन दूर होता है।
  3. यह बालों का गिरना कम करता है।
  4. यह बालों को घना बनाता है।

रोग़न बनफशा के चिकित्सीय उपयोग Uses of Roghan Banafsha

  1. असमय बलों का गिरना Premature Hair Decay
  2. सिर की मालिश
  3. नींद न आना
  4. दिमाग में रूखापन और गर्मी Yuboosat-e-Dimagh (Dryness and hotness widespread in the brain)
  5. सिर में दर्द Suda-Sahar (Headache)

प्रयोग की विधि How to Use?

  1. यह तेल केवल बाह्य प्रयोग के लिए है।
  2. इसे एक हेयर तेल की तरह स्कैल्प पर मसाज करते है।
  3. तेल को बालों की जड़ों पर उँगलियों की सहायता से लगायें।
  4. जड़ों में तेल लग जाने पर हल्के हाथ से स्कैल्प की मालिश करें।
  5. इसे रात में लगायें और अगली सुबह धो लें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  1. यह तेल केवल बाह्य प्रयोग के लिए है।
  2. इसे आंतरिक रूप से प्रयोग न करें।
  3. इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

सोमराजी तेल Somraji Tail (Oil) Detail and Uses in Hindi

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सोमराजी तैल, एक आयुर्वेदिक औषधीय तेल है। इसे भैषज्य रत्नावली के कुष्ठरोगाधिकार से लिया गया है। इस दवा में मुख्य घटक सोमराजी है। इसके अतिरिक्त इसमें हल्दी, दारुहल्दी, सफ़ेद सरसों, कूठ, करंज, चक्रमर्द, अमलतास के पत्ते और सरसों का तेल है। इस तेल की मालिश से समस्त प्रकार के कुष्ठ, नाड़ीव्रण, दुष्टव्रण, पीलिका, पीड़िका, व्यंग, गंबीर वात-रक्त, कंडू, दाद, पामा आदि नष्ट होते हैं।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

Somraji Oil is an herbal medicated oil. It is an Ayurvedic oil and used for massaging. It helps in skin diseases.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल आयुर्वेदिक दवाई
  • मुख्य उपयोग: त्वचा रोग
  • मुख्य गुण: एंटीसेप्टिक, शोथहर, त्वचारोगहर

सोमराजी तेल के घटक Ingredients of Somraji Tail

  1. बावची Somaraji (Bakuchi) (Sd.) 24 g
  2. हल्दी Haridra (Rz.) 24 g
  3. दारूहल्दी Daruharidra (St.) 24 g
  4. सरसों के बीज Sarshapa (Sd.) 24 g
  5. कूठ Kushtha (Rt.) 24 g
  6. करंज Karanja (Sd.) 24 g
  7. चक्रमर्द Edagajabija (Chakramarda) (Sd.) 24 g
  8. अमलतास के पत्ते Aragvadha (Lf.) 24 g
  9. सरसों का तेल Sarshapa taila (Ol.) 768 g
  10. पानी Water 3.072 l

सोमराजी, बावची, बाकुची (संस्कृत), बावची (हिन्दी), हावुच (बंगाली), बावची (मराठी), बावची (गुजराती), कर्पोकरिशी (तमिल अथवा भावंचि (तेलुगु,) सौंरेलिया कौरिलीफोलिया (लैटिन पौधे के बीज हैं। यह सभी प्रकार के त्वचा और कुष्ट रोगो में लाभप्रद है। इसे सफ़ेद दाग में भी प्रयोग किया जाता है।

सोमराजी बीज में उड़नशील तेल, स्थिर तेल विशेष प्रकार का राल, दो क्रिस्टलाइन -, सोरोलिडिन तथा अन्य तत्व पाए जाते हैं। यह कुष्ठघ्न एवं कृमि है। ‌‌‌

हल्दी के बहुत से नाम हैं। इसे हरिद्रा, कांचनी, पीता, निशा, वरवर्णिनी, कृमिघ्ना, हलदी, योषितप्रिया, हट्टविलासिनी आदि नामों से पुकारते हैं। संस्कृत में जितने पर्यायवाची रात्रि के हैं, वे सभी हल्दी के भी नाम है।

हिंदी में यह हल्दी, बंगाली में ह्लुद, मराठी हलद, गुजराती में हालदार, कन्नड़ में अरसीन तथा तमिल में पासुपू कहलाती है। इसका फ़ारसी नाम जरदोप, अरेबिक में डरुफुस्सुकर, और अंग्रेजी में टर्मरिक है। इसका वैज्ञानिक नाम करक्यूमा लोंगा है। हल्दी स्वाद में चरपरी, कडवी, रूखी, गर्म, कफ, वात त्वचा के रोगों, प्रमेह, रक्त विकार, सूजन, पांडू रोग, और घाव को दूर करने वाली है।

दारुहरिद्रा या दारु हल्दी हिमालय क्षेत्र में छ: से दस हजार फीट की उंचाई पर पाई जाने वाली वनस्पति है। इसकी हल्दी जैसी पीली लकड़ी के कारण दारू हल्दी कहा जाता है। इसका बॉटनिकल नाम बर्बेरिस एरिस्टाटा है। उत्तराखंड में इसे किल्मोड़ा, किल्मोड़ी अथवा किन्गोड़ कहते हैं। इसे बुखार, पीलिया, शुगर, नेत्र और त्वचा रोगों में प्रयोग किया जाता है।

करंज गरम, कृमिनाशक, वात पीडा, कुष्ठ, कण्डू, व्रण तथा खुजली को नष्ट करता है। इसके लेप से त्वचा विकार नष्ट होते हैं।

सरसों का तेल अथवा कड़वा तेल एक दवा भी है। इसे लगाने से गर्माहट आती है। इस तेल की मालिश करने से शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और रक्त संचार अच्छा होता है। त्वचा संबंधी समस्याओं में इसे अन्य द्रव्यों के साथ लगा कर मिलाने से त्वचा रोग दूर होते हैं। यह शरीर के किसी भी भाग में फंगस को बढ़ने से रोकता है और त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाता है।

सोमराजी तेल के चिकित्सीय उपयोग Uses of Somraji Tail

  1. कंडू Kandu (Itching)
  2. कच्छु Kacchu (Itching)
  3. पामा Pama (Eczema)
  4. पीड़क Pidaka (Carbuncle)
  5. नीलिका Nilika (Mole)
  6. दुष्ट व्रण Dushta Vrana (Non-healing ulcer)
  7. नाड़ीव्रण Nadivrana (Fistula)
  8. गठिया Vatarakta (Gout)
  9. व्यंग Vyanga (Pigmentation disorder)
  10. कुष्ठ Kushtha (Diseases of skin)
  11. दाद, रिंगवर्म Dadru (Taeniasis)
  12. चर्म रोग Diseases of skin
  13. फफुंदीय संक्रमण Fungal infection

सोमराजी तेल की प्रयोग विधि How to use Somraji Tail

  1. यह तेल केवल बाह्य प्रयोग के लिए है।
  2. इसे प्रभावित स्थान पर लगायें।
  3. इसे लम्बे समय तक नियमित लगाएं।
  4. यदि लगाने पर रैश, खुजली, आदि हो तो इसे न लगाएं।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  1. यह तेल केवल बाह्य प्रयोग के लिए है।
  2. इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  3. प्रयोग से पहले पैच टेस्ट करें. त्वचा के छोटे पैच पर तेल को लगायें, और कुछ देर धूप में रखें। एक सप्ताह तक यदि किसी प्रकार का कोई रिएक्शन न दिखे तो प्रयोग और जगहों पर करें।

उपलब्धता

  1. इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
  2. बैद्यनाथ Baidyanath Somraji Tel
  3. पतंजलि Patanjali Divya Pharmacy Somraaji Taila
  4. तथा अन्य बहुत सी फर्मसियाँ।

मुसली सूत्र कैप्सूल Musli Sutra Detail and Uses in Hindi

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मुसली सूत्र कैप्सूल, आयुर्वेद के सिद्धांतों पर आधारित एक दवाई है जो की मुख्य रूप से पुरुषों के लिए है लेकिन महिलायें भी इसका सेवन कर सकती हैं। यह शक्तिवर्धक, जोश वर्धक, और वाजीकारक औषधि है। इसके सेवन से प्रजनन अंगों को ताकत मिलती है और यौन दुर्बलता दूर होती है।

इस दवा का मुख्य घटक मुस्ली है। मुस्ली का सेवन शरीर और मन को फिर से दुर्बलता को दूर करता है। इसके सेवन से कामेच्छा, शुक्राणुओं की संख्या बढ़ जाती है और सामान्य दुर्बलता का इलाज होता है। यह एक शक्तिशाली पुरुष और महिला यौन उत्तेजक के रूप में काम करता है। यह रक्त और वीर्य वर्धक है।

मुसली सूत्र कैप्सूल, थकावट, चिड़चिड़ापन, काम में में न लगना, शारीरिक कमजोरी आदि में लाभप्रद है। यह पुरुषों के लिए टॉनिक है। इसकी एक से दो गोली, सुबह और शाम दूध के साथ ली जानी चाहिए।

टेस्टोस्टेरोन पुरुषों के वृषण और एड्रेनल ग्लैंड से स्रावित होने वाला एंड्रोजन समूह का एक स्टीरॉएड हार्मोन है। यह प्रमुख पुरुष हॉर्मोन है जो की एनाबोलिक स्टीरॉएड है। टेस्टोस्टेरॉन पुरुषों में उनके प्रजनन अंगों के सही से काम करने और पुरुष लक्षणों जैसे की मूंछ-दाढ़ी, आवाज़ का भारीपन, ताकत आदि के लिए जिम्मेदार है। यदि टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो जाता है तो यौन प्रदर्शन पर सीधे असर पड़ता है, जैसे की इंद्री में शिथिलता, कामेच्छा की कमी, चिडचिडापन, आदि। मूसली, अश्वगंधा और गोखरू के सेवन से शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को सुधारने में मदद होती है।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

Musli Sutra is a Health Tonic for males. This medicine is useful in fatigue, general debility, and sexual disorders of male (night fall, erectile dysfunction, low libido, premature ejaculation and for improving performance).

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  1. उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  2. दवाई का प्रकार: आयुर्वेदिक दवाई
  3. मुख्य उपयोग: पुरुषों के लिए टॉनिक
  4. मुख्य गुण: एंटीऑक्सीडेंट, रसायन, टॉनिक
  5. दवा का अनुपान: गर्म जल अथवा गर्म दूध
  6. दवा को लेने का समय: दिन में दो बार, प्रातः और सायं

मुसली सूत्र पॉवर कैप्सूल के घटक Ingredients of Musli Sutra

  1. सफ़ेद मूसली 150 mg
  2. अश्वगंधा 100 mg
  3. गोखरू 40 mg
  4. शतावर 50 mg
  5. त्रिफला 50 mg
  6. मकरध्वज 5 mg
  7. त्रिवंग भस्म 5 mg
  8. लोह भस्म 5 mg
  9. अभ्रक भस्म 3 mg
  10. शुद्ध शिलाजीत 50 mg
  11. Excipients भावना द्रव्य: पान, सफ़ेद मूसली, केवांच बीज, विदारीकन्द आदि।

मुसली को हर्बल वियाग्रा के रूप में जाना जाता है। यह पुरुष प्रजनन प्रणाली को दुरुस्त करती है। मुसली की जड़ों को पुरुषों की यौन कमजोरी दूर करने के लिए पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। यह पुरुषों में यौन कमजोरी के लिए एक पोषक टॉनिक के रूप में कार्य करती है।

अश्वगंधा को असगंध, आसंध और विथानिया, विंटर चेरी आदि नामों से जाना जाता है। इसकी जड़ को सुखा, पाउडर बना आयुर्वेद में वात-कफ शामक, बलवर्धक रसायन की तरह प्रयोग किया जाता है। यह एक टॉनिक दवा है। यह शरीर को बल देती है। असगंध तिक्त-कषाय, गुण में लघु, और मधुर विपाक है। यह एक उष्ण वीर्य औषधि है। यह वात-कफ शामक, अवसादक, मूत्रल, और रसायन है जो की स्पर्म काउंट को बढ़ाती है।

  1. अश्वगंधा जड़ी बूटी पुरुषों में यौन शक्ति बढ़ाने के लिए प्रयोग की जाती है।
  2. यह पुरुष प्रजनन अंगों पर विशेष प्रभाव डालती है।
  3. यह पुरुषों में जननांग के विकारों के लिए एक बहुत ही अच्छी दवा है।
  4. यह वीर्य की मात्रा और गुणवत्ता को बढ़ाने में भी मदद करती है।
  5. यह शुक्र धातु की कमी, उच्च रक्तचाप, मूर्छा भ्रम, अनिद्रा, श्वास रोगों, को दूर करने वाली उत्तम वाजीकारक औषधि है।

गोखरू आयुर्वेद की एक प्रमुख औषधि है। इस मुख्य रूप से पेशाब रोगों और पुरुषों में यौन कमजोरी के लिए प्रयोग किया जाता है। गोखरू शीतल, मूत्रशोधक, मूत्रवर्धक, वीर्यवर्धक, और शक्तिवर्धक है। यह पथरी, पुरुषों के प्रमेह, सांस की तकलीफों, शरीर में वायु दोष के कारण होने वाले रोगों, हृदयरोग और प्रजनन अंगों सम्बन्धी रोगों की उत्तम दवा है। यह वाजीकारक है और पुरुषों के यौन प्रदर्शन में सुधार करता है।

गोखरू का प्रयोग यौन शक्ति को बढ़ाने में बहुत लाभकारी माना गया है। यह नपुंसकता, किडनी/गुर्दे के विकारों, प्रजनन अंगों की कमजोरी-संक्रमण, आदि को दूर करता है।

त्रिफला (फलत्रिक, वरा) आयुर्वेद का सुप्रसिद्ध रसायन है। यह आंवला, हर्र, बहेड़ा को बराबर मात्रा में मिलाकर बनता है। यह रसायन होने के साथ-साथ एक बहुत अच्छा विरेचक, दस्तावर भी है। इसके सेवन से पेट सही से साफ़ होता है, शरीर से गंदगी दूर होती है और पाचन सही होता है। यह पित्त और कफ दोनों ही रोगों में लाभप्रद है। त्रिफला प्रमेह, कब्ज़, और अधिक पित्त नाशक है। यह मेदोहर और कुछ दिन के नियमित सेवन से वज़न को कम करने में सहायक है। यह शरीर से अतिरिक्त चर्भी को दूर करती है और आँतों की सही से सफाई करती है।

मकरध्वज (Makardhwaj) नपुंसकता, शीघ्रपतन, स्तंभन दोष, इरेक्टाइल डिसफंक्शन और अन्य स्थितियों के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है। यह एक इनोर्गानिक पदार्थ है तथा सल्फाइड ऑफ़ मरकरी और गोल्ड का कॉम्बिनेशन है। मकरध्वज को सोने, पारद और गंधक को एक निश्चित अनुपात में, आयुर्वेद में बताये गए तरीकों से बनाया जाता है। मकरध्वज का सेवन शरीर, दिल, और दिमाग को ताकत देता है।

अभ्रक भस्म आयुर्वेद में प्रयोग की जानी वाली जानी-मानी दवाई है। इसे अकेले तथा अन्य घटकों के साथ मिलाकर देने से बहुत से रोगों का नाश होता है। यह कफ रोगों, उदर रोगों, नसों की कमजोरी, पुरुषों के विकारों में बहुत लाभप्रद है। इसके सेवन से शरीर को लोहा, मैग्नीशियम, कैल्शियम, आदि मिलते हैं । यह यौन दुर्बलता को दूर करने वाली औषधि है। यह त्रिदोष, घाव, प्रमेह, पेट रोग, कफ रोग, वीर्य विकार, गांठ, विष और कृमिमें लाभप्रद है।

त्रिवंग भस्म में शुद्ध वंग, शुद्ध नाग और शुद्ध यशद है। यह प्रमेह, मूत्रपिण्ड या मूत्रवाहिनी नली श्वेत प्रदर, दर्द, मधुमेह, यकृत विकार, प्लीहा विकारों, त्वचा संबंधी विकार, सर्दी आदि से संबंधित रोगों में यह उत्तम लाभ करती है।

शिलाजीत पहाड़ों से प्राप्त, सफेद-भूरा मोटा, चिपचिपा राल जैसा पदार्थ है (संस्कृत शिलाजतु) जिसमे सूजन कम करने, दर्द दूर करने, अवसाद दूर करने, टॉनिक के, और एंटी-ऐजिंग गुण होते हैं। इसमें कम से कम 85 खनिजों पाए जाते है। शिलाजीत एक टॉनिक है जो पुरुषों में यौन विकारों के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है। शिलाजीत रस में अम्लीय और कसैला, कटु विपाक और समशीतोष्ण (न अधिक गर्म न अधिक ठंडा) है।

ऐसा माना जाता है, संसार में रस-धातु विकृति से उत्पन्न होने वाला कोई भी रोग इसके सेवन से दूर हो जाता है। शिलाजीत शरीर को निरोगी और मज़बूत करता है।

  1. यह पुरुषों के प्रमेह की अत्यंत उत्तम दवा है।
  2. यह वाजीकारक है और इसके सेवन से शरीर में बल-ताकत की वृद्धि होती है।
  3. यह पुराने रोगों, मेदवृद्धि, प्रमेह, मधुमेह, गठिया, कमर दर्द, कम्पवात, जोड़ो का दर्द, सूजन, सर्दी, खांसी, धातु रोग, रोगप्रतिरोधक क्षमता की कमी आदि सभी में लाभप्रद है।
  4. यह शरीर में ताकत को बढाता है तथा थकान और कमजोरी को दूर करता है।
  5. यह यौन शक्ति की कमी को दूर करता है।
  6. यह भूख को बढाता है।
  7. यह पुरुषों में नपुंसकता, शीघ्रपतन premature ejaculation, कम शुक्राणु low sperm count, स्तंभन erectile dysfunction में उपयोगी है।
  8. यह शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने में मदद करता है।
  9. शिलाजीत के सेवन के दौरान, आहार में दूध की प्रधानता रहनी चाहिए।

लौह भस्म आयरन का ऑक्साइड है और आयुर्वेद बहुत अधिक प्रयोग होता है। यह क्रोनिक बिमारियों के इलाज़ के लिए प्रयोग किया जाता है। यह पांडू रोग या अनीमिया को नष्ट करता है। लौह भस्म को पाण्डु (anaemia), प्रमेह (diabetes), यक्ष्मा (tuberculosis), अर्श (piles), कुष्ठ (skin disorders), कृमि रोग (worm infestation), क्षीणतवा (cachexia), स्थूलया (obesity), ग्रहणी (bowel syndrome), प्लीहा रोग (spleenic disorders), मेदोरोगा (hyperlipidemia), अग्निमांद्य (dyspepsia), शूल (spasmodic pain), और विषविकार (poisoning) में प्रयोग किया जाता है।

कर्म Principle Action

  1. बाजीकरण: द्रव्य जो रति शक्ति में वृद्धि करे।
  2. शुक्रकर: द्रव्य जो शुक्र का पोषण करे।
  3. वृष्य: द्रव्य जो बलकारक, वाजीकारक, वीर्य वर्धक हो।
  4. शोथहर: द्रव्य जो शोथ / शरीर में सूजन, को दूर करे।
  5. रसायन: द्रव्य जो शरीर की बीमारियों से रक्षा करे और वृद्धवस्था को दूर रखे।

मुसली सूत्र कैप्सूल के लाभ/फ़ायदे Benefits of Musli Sutra

  1. इसमें मुस्ली, गोखरू, अश्वगंधा, शिलाजीत जैसे द्रव्य हैं जो की पुरुषों के विशेष रूप से उपयोगी माने गए हैं।
  2. यह यौन दुर्बलता को दूर करने में सहायक है।
  3. यह दवाई नसों को ताकत देती है। इसके सेवन से नसों की कमजोरी दूर होती है।
  4. यह शीघ्रपतन, स्तंभन दोष, अनैच्छिक शुक्रपात, स्वप्नदोष में लाभप्रद है।
  5. यह शारीरिक दुर्बलता को करती है।
  6. यह वीर्य की मात्रा को बढ़ाती है।
  7. यह शुक्राणुओं की संख्या बढाती है।
  8. इसके सेवन से खून की कमी दूर होती है।
  9. यह टेस्टोस्टेरोन के लेवल को बढ़ाती है।
  10. इसमें आम पाचन गुण है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को दूर करने में मददगार है।
  11. यह प्राकृतिक कामोद्दीपक या वाजीकारक है।
  12. यह यौन संतुष्टि को बढ़ावा देती है।
  13. इसके सेवन से उर्जा की वृद्धि होती है।
  14. यह स्मृति, बुद्धि को बढ़ाती है और अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखती है।

मुसली सूत्र कैप्सूल के चिकित्सीय उपयोग Uses of Musli Sutra

आयुर्वेद की मुख्य ८ शाखाएं हैं, इनमें से वाज़ीकरण यौन-क्रियायों की विद्या तथा प्रजनन Sexology and reproductive medicine चिकित्सा से सम्बंधित है। वाज़ीकरण के लिए उत्तम वाजीकारक वनस्पतियाँ और खनिजों का प्रयोग किया जाता है जो की सम्पूर्ण स्वास्थ्य को सही करती हैं और जननांगों पर विशेष प्रभाव डालती है। आयुर्वेद में प्रयोग किये जाने वाले उत्तम वाजीकरण द्रव्यों में शामिल है, मूसली, अश्वगंधा, शतावरी, गोखरू, केवांच, शिलाजीत, मकरध्वज, विधारा, आदि।  यह द्रव्य कामोत्तेजक है, स्नायु, मांसपेशियों की दुर्बलता, को दूर करने वाले है तथा धातु वर्धक, वीर्यवर्धक, शक्तिवर्धक तथा बलवर्धक हैं।

पुरुषों के लिए

  1. यौन कमजोरी के लिए sexual disorders of male
  2. नपुंसकता, शीघ्रपतन, मर्दाना कमजोरी impotency
  3. स्वप्न दोष Night fall, erectile dysfunction
  4. प्रमेह urinary disorders
  5. पुरुषों में यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए
  6. शरीर की कोशिकाओं की ताकत बढ़ाने के लिए
  7. शारीरिक कमजोरी, स्ट्रेस

महिलाओं के लिए  

  1. कामोत्तेजक
  2. रीवायवेनर
  3. थकान और सामान्य दुर्बलता

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Musli Sutra

  1. 1-2 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  2. इसे दूध, पानी के साथ लें।
  3. इसे भोजन करने के बाद लें।
  4. या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  1. लम्बे समय तक प्रयोग बिना डॉक्टर के परामर्श के न करें ।
  2. इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  3. इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  4. कुलथी का सेवन शिलाजीत के सेवन के दौरान नहीं किया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए है की, कुलथी पथरी की भेदक है।
  5. यह हमेशा ध्यान रखें की जिन दवाओं में पारद, गंधक, खनिज आदि होते हैं, उन दवाओं का सेवन लम्बे समय तक नहीं किया जाता। इसके अतिरिक्त इन्हें डॉक्टर के देख-रेख में बताई गई मात्रा और उपचार की अवधि तक ही लेना चाहिए।
  6. इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  7. इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  8. दवा की सटीक मात्रा व्यक्ति के पाचन, उम्र, वज़न और स्वास्थ्य को देख कर ही तय की जा सकती है।
  9. दवा के साथ-साथ भोजन और व्यायाम पर भी ध्यान दें।
  10. पानी ज्यादा मात्रा में पियें।

साइलेक्स कैप्सूल Sillax Detail and Uses in Hindi

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साइलेक्स कैप्सूल, मैपल ओवेरसीस द्वारा निर्मित दवाई है। यह दवा आयुर्वेद के वाजीकारक द्रव्यों से निर्मित है और पुरुषों में यौन समस्याओं में प्रयोग की जा सकती है। इस दवा का प्रमुख द्रव्य अश्वगंधा है। इसके अतिरिक्त इसमें अकरकरा, मूसली, अश्वगंधा, शतावर आदि भी है। इसके सेवन से पुरुषों में ताकत, उर्जा और यौन शक्ति बढ़ती है।इस दवाके लेबल पर लिखा है, इसे केवल डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।

टेस्टोस्टेरोन पुरुषों के वृषण और एड्रेनल ग्लैंड से स्रावित होने वाला एंड्रोजन समूह का एक स्टीरॉएड हार्मोन है। यह प्रमुख पुरुष हॉर्मोन है जो की एनाबोलिक स्टीरॉएड है। टेस्टोस्टेरॉन पुरुषों में उनके प्रजनन अंगों के सही से काम करने और पुरुष लक्षणों जैसे की मूंछ-दाढ़ी, आवाज़ का भारीपन, ताकत आदि के लिए जिम्मेदार है। यदि टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो जाता है तो यौन प्रदर्शन पर सीधे असर पड़ता है, जैसे की इंद्री में शिथिलता, कामेच्छा की कमी, चिडचिडापन, आदि। मूसली, अश्वगंधा और शतावर, सालम मिश्री, केवांच आदि के सेवन से शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को सुधारने में मदद होती है।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है।कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

Sillax medicine is for males only and helps to improve sexual functions, testicular functions, quality of the sperms, erection, sexual desire and sexual satisfaction. It helps to increase the sexual power and treat all types of disorders in men. It is an excellent combination of non-hormonal, aphrodisiac, anxiolytic and rejuvenating drugs. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: आयुर्वेदिक दवाई
  • मुख्य उपयोग: पुरुषों के लिए टॉनिक
  • मुख्य गुण: एंटीऑक्सीडेंट, रसायन, टॉनिक
  • दवा का अनुपान: गर्म जल अथवा गर्म दूध
  • मूल्य MRP: साइलेक्स 50 कैप्सूल @ ₹ 1,250.00

साइलेक्स कैप्सूल के घटक Ingredients of Sillax

  1. अश्वगंधा 100 mg
  2. अकरकरा 50 mg
  3. सफ़ेद मूसली 50 mg
  4. सालम मिश्री 50 mg
  5. शतावरी 50 mg
  6. शुद्ध शिलाजीत 50 mg
  7. केवांच 50 mg
  8. जायफल 25 mg
  9. जावित्री 25 mg
  10. एखारो 25 mg
  11. बला 25 mg
  12. पान 25 mg

अश्वगंधा को असगंध, आसंध और विथानिया, विंटर चेरी आदि नामों से जाना जाता है। इसकी जड़ को सुखा, पाउडर बना आयुर्वेद में वात-कफ शामक, बलवर्धक रसायन की तरह प्रयोग किया जाता है। यह एक टॉनिक दवा है। यह शरीर को बल देती है। असगंध तिक्त-कषाय, गुण में लघु, और मधुर विपाक है। यह एक उष्ण वीर्य औषधि है। यह वात-कफ शामक, अवसादक, मूत्रल, और रसायन है जो की स्पर्म काउंट को बढ़ाती है।

  1. अश्वगंधा जड़ी बूटी पुरुषों में यौन शक्ति बढ़ाने के लिए प्रयोग की जाती है।
  2. यह पुरुष प्रजनन अंगों पर विशेष प्रभाव डालती है।
  3. यह पुरुषों में जननांग के विकारों के लिए एक बहुत ही अच्छी दवा है।
  4. यह वीर्य की मात्रा और गुणवत्ता को बढ़ाने में भी मदद करती है।
  5. यह शुक्र धातु की कमी, उच्च रक्तचाप, मूर्छा भ्रम, अनिद्रा, श्वास रोगों, को दूर करने वाली उत्तम वाजीकारक औषधि है।

मुसली को हर्बल वियाग्रा के रूप में जाना जाता है। यह पुरुष प्रजनन प्रणाली को दुरुस्त करती है। मुसली की जड़ों को पुरुषों की यौन कमजोरी दूर करने के लिए पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। यह पुरुषों में यौन कमजोरी के लिए एक पोषक टॉनिक के रूप में कार्य करती है। मुसली का सेवन शरीर और मन को फिर से दुर्बलता को दूर करता है। इसके सेवन से कामेच्छा, शुक्राणुओं की संख्या बढ़ जाती है और सामान्य दुर्बलता का इलाज होता है। यह एक शक्तिशाली पुरुष और महिला यौन उत्तेजक के रूप में काम करता है। यह रक्त और वीर्य वर्धक है।

शिलाजीत पहाड़ों से प्राप्त, सफेद-भूरा मोटा, चिपचिपा राल जैसा पदार्थ है (संस्कृत शिलाजतु) जिसमे सूजन कम करने, दर्द दूर करने, अवसाद दूर करने, टॉनिक के, और एंटी-ऐजिंग गुण होते हैं। इसमें कम से कम 85 खनिजों पाए जाते है। शिलाजीत एक टॉनिक है जो पुरुषों में यौन विकारों के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है। शिलाजीत रस में अम्लीय और कसैला, कटु विपाक और समशीतोष्ण (न अधिक गर्म न अधिक ठंडा) है।

  1. ऐसा माना जाता है, संसार में रस-धातु विकृति से उत्पन्न होने वाला कोई भी रोग इसके सेवन से दूर हो जाता है। शिलाजीत शरीर को निरोगी और मज़बूत करता है।
  2. यह पुरुषों के प्रमेह की अत्यंत उत्तम दवा है।
  3. यह वाजीकारक है और इसके सेवन से शरीर में बल-ताकत की वृद्धि होती है।
  4. यह पुराने रोगों, मेदवृद्धि, प्रमेह, मधुमेह, गठिया, कमर दर्द, कम्पवात, जोड़ो का दर्द, सूजन, सर्दी, खांसी, धातु रोग, रोगप्रतिरोधक क्षमता की कमी आदि सभी में लाभप्रद है।
  5. यह शरीर में ताकत को बढाता है तथा थकान और कमजोरी को दूर करता है।
  6. यह यौन शक्ति की कमी को दूर करता है।
  7. यह भूख को बढाता है।
  8. यह पुरुषों में नपुंसकता, शीघ्रपतन premature ejaculation, कम शुक्राणु low sperm count, स्तंभन erectile dysfunction में उपयोगी है।
  9. यह शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने में मदद करता है।
  10. शिलाजीत के सेवन के दौरान, आहार में दूध की प्रधानता रहनी चाहिए।

जायफल या जातीफल एक प्रसिद्ध मसाला है। यह मिरिस्टिका फ्रेगरेंस वृक्ष के फल में पाए जाने वाले बीज की सुखाई हुई गिरी है। जायफल और जावित्री दोनों एक ही बीज से प्राप्त होते हैं। जायफल की बाहरी खोल outer covering या एरिल को जावित्री Mace कहते है और इसे भी मसाले की तरह प्रयोग किया जाता है। भारत में जायफल के वृक्ष तमिलनाडु में और कुछ संख्या में केरल, आंध्र प्रदेश, निलगिरी की पहाड़ियों में पाए जाते है।

जायफल को बाजिकारक aphrodisiac दवाओं और तेल को तिलाओं में डाला जाता है। यह पुरुषों की इनफर्टिलिटी, नपुंसकता, शीघ्रपतन premature ejaculationकी दवाओं में भी डाला जाता है। यह इरेक्शन को बढ़ाता है लेकिन स्खलन को रोकता है। यह शुक्र धातु को बढ़ाता है। यह बार-बार मूत्र आने की शिकायत को दूर करता है तथा वात-कफ को कम करता है।

कर्म Principle Action

  1. बाजीकरण: द्रव्य जो रति शक्ति में वृद्धि करे।
  2. शुक्रकर: द्रव्य जो शुक्र का पोषण करे।
  3. वृष्य: द्रव्य जो बलकारक, वाजीकारक, वीर्य वर्धक हो।
  4. शोथहर: द्रव्य जो शोथ / शरीर में सूजन, को दूर करे।
  5. रसायन: द्रव्य जो शरीर की बीमारियों से रक्षा करे और वृद्धवस्था को दूर रखे।

साइलेक्स कैप्सूल के लाभ/फ़ायदे Benefits of Sillax

  1. यह प्राकृतिक और आयुर्वेदिक हर्बल है।
  2. यह शुक्राणुओं की कमी, समयपूर्व उत्सर्जन और स्वप्न दोष जैसी समस्याओं में उपयोगी है।
  3. यह मूत्र में वीर्य की समस्या में उपयोगी है।
  4. यह प्रजनन क्षमता और यौन शक्ति को बढ़ाता है।
  5. यह शारीरिक दुर्बलता और थकान को कम करने में सहायक है।

साइलेक्स कैप्सूल के चिकित्सीय उपयोग Uses of Sillax

  1. शीघ्रपतन
  2. यौन कमजोरी के लिए sexual disorders of male
  3. नपुंसकता, शीघ्रपतन, मर्दाना कमजोरी impotency
  4. स्वप्न दोष Night fall, erectile dysfunction
  5. प्रमेह urinary disorders
  6. पुरुषों में यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए
  7. शरीर की कोशिकाओं की ताकत बढ़ाने के लिए
  8. शारीरिक कमजोरी, स्ट्रेस

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Sillax

  • 1-2 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे दूध, पानी के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  1. CAUTION: TO BE TAKEN UNDER MEDICAL SUPERVISION.
  2. लेबल पर दावा है की यह जीएमपी प्रमाणित है और सख्त गुणवत्ता नियंत्रित वातावरण में निर्मित की गई है।
  3. लेबल पर यह भी दावा है की यह 100% हर्बल है और आयुर्वेदिक (कोई साइड इफेक्ट्स नहीं) है।
  4. भंडारण निर्देश: सूखी जगह में स्टोर करें।
  5. इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  6. इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  7. दवा की सटीक मात्रा व्यक्ति के पाचन, उम्र, वज़न और स्वास्थ्य को देख कर ही तय की जा सकती है।
  8. परिणाम अनिश्चित हैं और अलग-अलग व्यक्तिओं में भिन्न हो सकते हैं।
  9. यह दवा आपके लिए प्रभावी हो भी सकती है और नहीं भी।
  10. कुलथी का सेवन शिलाजीत के सेवन के दौरान नहीं किया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए है की, कुलथी पथरी की भेदक है।
  11. दवा के साथ-साथ भोजन और व्यायाम पर भी ध्यान दें।
  12. पानी ज्यादा मात्रा में पियें।

कुतुब 30 एक्स Kutub 30X Detail and Uses in Hindi

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कुतुब 30 एक्स एक ऐलोपथिक दवाई जो की प्रिसक्रिप्शन ड्रग (डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर मिलने वाली ) है। यह दवा केवल पुरुषों के लिए है और बेटर इरेक्शन पाने में मदद करती है।

कुतुब 30 एक्स को इरेक्टाइल डिसफंक्शन / स्तम्भन दोष या नपुंसकता में लिया जाता है। इरेक्टाइल डिसफंक्शन वो स्थति है जिसमें पुरुष का लिंग ठीक से खड़ा नहीं हो पाता जिस कारण पुरुष चाह कर भी सेक्स का आनंद नहीं ले सकता। इसमें लिंग में कडापन और सख्ती नहीं होती और इस वज़ह से सेक्स करना संभव नहीं हो पाता।

यह दवाई, रोग का इलाज करती है उसे ठीक नहीं करती। इस दवा का सेवन सेक्स करने से एक घंटा पहले किया जाता है। भारी, फैटी भोजन का सेवन इस दवा का असर थोडा कम कर देता है। इसलिए इसे खाली पेट लेना चाहिए। इस पेज पर इस दवा के बारे बताया गया है जो की केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

Kutub 30X is an Allopathic medicine is for achieving erection and used in treatment of erectile dysfunction or ED, condition in which man cannot get, or keep, a hard-erect penis suitable for sexual activity. It works by increasing blood flow to the penis and relaxing the muscles. It should be taken an hour before the sexual intercourse. There are few conditions in which it should not be taken and like any other medicine it produces certain side-effect including headache, nausea, lowering of blood pressure etc. While taking this medicine the blood pressure should be monitored carefully. In case of serious side-effects, intake of medicine should be stopped and doctor should be consulted.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  1. ब्रांड: Hetero Healthcare Ltd.
  2. रोग: इरेक्टाइल डिसफंक्शन
  3. उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  4. दवाई का प्रकार: एलोपैथिक
  5. मुख्य उपयोग: Premature ejaculation
  6. मूल्य: 4 गोली @ Rs. 220.00

कुतुब 30 एक्स के घटक Ingredients of Kutub 30X

डापॉक्सेटिन Dapoxetine 30 mg + सिलडेनाफिल सिट्रेट Sildenafil 50 mg

डापॉक्सेटिन दवा चयनात्मक सेरोटोनिन रिअपटेक इनहिबिटर selective serotonin reuptake inhibitors’ (SSRIs) है। यह दवाई स्खलन होने के समय को बढ़ा देती है और स्खलन पर नियंत्रण में सुधार कर सकती है। यह दवा स्खलन के बारे में चिंता कर होने वाली हताशा को कम कर सकती है। इसका उपयोग 18 से 64 वर्ष के आयु वर्ग के पुरुष में समयपूर्व स्खलन का इलाज करने के लिए किया जाता है।

शीघ्रपतन तब होता है जब कोई व्यक्ति थोड़े से ही यौन उत्तेजना से स्खलित हो जाता है जिससे यौन संबंधों में समस्याएं पैदा हो सकती है।

डीपॉक्सेटीन न लें यदि:

  1. आप डीपॉक्सेटीन या इस दवा की अन्य किसी भी सामग्री के एलर्जी है ।
  2. आपको हृदय की समस्याएं होती हैं, जैसे दिल की विफलता या हृदय ताल के साथ समस्याएं
  3. आपके पास बेहोशी का इतिहास है।
  4. आप में उन्माद के लक्षण में हैं।
  5. गंभीर अवसाद
  6. आपके पास मध्यम या गंभीर यकृत समस्याएं हैं।

यदि आप निम्न दवाएं ले रहे हैं:

  1. अवसाद की दवाएं ‘monoamine oxidase inhibitors’ (MAOIs)’मोनोअमैन ऑक्सीडेज इनहिबिटर’ (एमओओआईएस) कहा जाता है।
  2. सीज़ोफ्रेनिया के लिए इस्तेमाल किया गया थियरीज़ीन Thioridazine
  3. अवसाद के लिए अन्य दवाइयां
  4. लिथियम Lithium: द्विध्रुवी विकार के लिए एक दवा
  5. लाइनोजॉल्ड Linezolid: संक्रमण का इलाज करने के लिए इस्तेमाल किया गया एक एंटीबायोटिक
  6. ट्रिटोपॉफन Tryptophan: आपकी नींद में मदद करने के लिए एक दवा है
  7. सेंट जॉन पौधा St John’s wort: एक हर्बल दवा
  8. ट्रामेडोल Tramadol गंभीर दर्द के इलाज के लिए
  9. माइग्रेन के उपचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं

ऊपर दी गई दवाओं के साथ डीपॉक्सेटीन न लें। यदि ऊपर दी गई किसी भी दवा का सेवन कर रहे हैं तो दवा का सेवन रोक दें। अन्य दवा के सेवन को रोक देने के दो सप्ताह बाद डीपॉक्सेटीन का सेवन करें। जब डीपॉक्सेटीन का सेवन रूकें तो एक सप्ताह बाद ही अन्य दवा शुरू करें।

सिलडेनाफिल सिट्रेट / साईट्रेट है को इरेक्टाइल डिसफंक्शन (नपुंसकता) में दिया जाता है। इसका सेवन फास्फोडिस्ट्रस 5 (PDE 5) एंजाइम के प्रवाह को रोककर टिश्यू को रिलैक्स करता है तथा रक्तसंचार को आसान बना देता है। यह दोनों ही चीज़े स्तम्भन में सहयोगी हैं।

यह बाद ध्यान रखने योग्य है, की किसी भी अन्य दवा की तरह इसको लेने से भी शरीर पर कई तरह के दुष्प्रभाव / नुकसान हैं। इसलिए यदि आवश्यक हो तो ही इसका प्रयोग करें तथा यदि किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या के लिए कोई दवा लेते हैं, तो उस दवा का इसके साथ इंटरेक्शन क्या होता है यह भलिभांति समझ लें।

कुतुब 30 एक्स के चिकित्सीय उपयोग Uses of Kutub 30X

स्तंभन दोष या इरेक्टाइल डिसफंक्शन Erectile dysfunction ( संभोग के दौरान शिश्न / लिंग / जनेन्द्रिय के उत्तेजित न होने या उसे बनाए न रख सकने के कारण पैदा हुई यौन निष्क्रियता)

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Mankind Manforce Tablet

  1. नोट: यह प्रिस्क्रिप्शन ड्रग है।
  2. इसे दिन में एक बार ही लेना है।
  3. एक बार से ज्यादा न लें। यह हानिकारक है।
  4. इसे पानी के साथ लें।
  5. इसे सेक्स करने से करीब एक से तीन घंटा पहले लें।
  6. भारी भोजन के साथ लेने पर इसका अवशोषण धीरे से होता है।
  7. अल्कोहल का सेवन दवा के असर को कम करता है।
  8. यह रक्तचाप को कम करती है।
  9. या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

इसका सेवन न करें यदि Contraindications

  1. कोई भी नाइट्रेट मेडिकेशन (osorbide salts, sodium nitroprusside, amyl nitrite, nicorandil or organic nitrates), ले रहें हों तो इसका सेवन न करें। यह रक्तचाप को खतरनाक ढंग से कम देगा।
  2. अगर एनजाइना है, छाती में दर्द है, तो भी इसका सेवन नं करें।
  3. दिल की बिमारी है जिस कारण से सेक्स करने की मनाही है।
  4. पिछले 6 महीने में स्ट्रोक हुआ हो।
  5. लीवर की गंभीर बीमारी है।
  6. रक्तचाप नियंत्रित नहीं है।
  7. आखों के रोग nonarteritic anterior ischaemic optic neuropathy (NAION) retinitis pigmentosa में
  8. दवा में प्रयोग किसी भी घटक से एलर्जी है।

दवाएं जो सिलडेनाफिल सिट्रेट के साथ इंटरैक्ट करती हैं Drug interactions

  1. अलसर की दवा cimetidine
  2. फंगस की दवा ketoconazole and itraconazole
  3. एंटीबायोटिक्स erythromycin and rifampicin
  4. कुछ प्रोटीएज इनहिबिटर ritonavir and saquinavir

कुछ संभावित साइड-इफेक्ट्स Possible Side-effects

  1. सिर दर्द, चक्कर आना
  2. त्वचा का लाल, गर्म होना
  3. अपच, एसिडिटी
  4. नाक जाम होना
  5. साइनस कंजेशन
  6. नाक में सूजन
  7. लूज़ मोशन
  8. त्वचा पर चक्कते
  9. चिड़चिड़ापन
  10. शरीर गर्म महसूस होना
  11. आँखों में जलन

गंभीर साइड-इफेक्ट्स Serious Side-effects

  1. हृदय की धड़कन में परिवर्तन
  2. पेशाब का इन्फेक्शन, पेशाब में जलन, बार बार पेशाब की इच्छा
  3. पेशाब में खून जाना
  4. नाक से खून आना
  5. लगातार सिरदर्द
  6. हाथ-पैर सुन्न होना
  7. आँखों का लाल होना
  8. पफी आँखे
  9. आँखों में दर्द
  10. मांसपेशियों में दर्द

अगर यह लक्षण हो तो डॉक्टर से संपर्क करें:

  1. छाती में दर्द
  2. दिल की धड़कन बढ़ना
  3. सुनाई न देना
  4. सीज़र, फिट्स
  5. सही से दिखाई न देना
  6. रंगहीन चीजें कलरफुल लगना
  7. लाल-पीले धब्बे दिखना
  8. इरेक्शन का कुछ घंटों तक रहना, इससे पेनिस को नुकसान होता है

दवा से एलर्जी के लक्षण Allergic reactions

  1. कफ, सांस ठीक से न आना
  2. चेहरे पर सूजन
  3. शरीर के अन्य हिस्सों पर सूजन
  4. हाइव्स, रैश
  5. बेहोशी
  6. हेफीवर जैसे लक्षण।

भण्डारण Storage

  1. इसे 30°C से कम तापक्रम पर रखें। इसे ठन्डे और सूखे स्थान पर रखें।
  2. दवा को बाथरूम, सिंक आदि गीली जगहों पर न रखें।
  3. इसे कमरे की खिड़की, धूप वाली जगह या कार में न रखें।
  4. नमी और गर्मी दवा को ख़राब कर देती है।

डेपॉक्सेटिन Dapoxetine tablet Detail and Uses in Hindi

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डेपॉक्सेटिन एक ऐलोपथिक प्रिसक्रिप्शन ड्रग (डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर मिलने वाली ) है। यह दवा केवल पुरुषों के लिए है और बेटर इरेक्शन पाने में मदद करती है।

डेपॉक्सेटिन को इरेक्टाइल डिसफंक्शन / स्तम्भन दोष या नपुंसकता में लिया जाता है। इरेक्टाइल डिसफंक्शन वो स्थति है जिसमें पुरुष का लिंग ठीक से खड़ा नहीं हो पाता जिस कारण पुरुष चाह कर भी सेक्स का आनंद नहीं ले सकता। इसमें लिंग में कडापन और सख्ती नहीं होती और इस वज़ह से सेक्स करना संभव नहीं हो पाता।

डापॉक्सेटिन दवा चयनात्मक सेरोटोनिन रिअपटेक इनहिबिटर selective serotonin reuptake inhibitors’ (SSRIs) है। यह दवाई स्खलन होने के समय को बढ़ा देती है और स्खलन पर नियंत्रण में सुधार कर सकती है। यह दवा स्खलन के बारे में चिंता कर होने वाली हताशा को कम कर सकती है। इसका उपयोग 18 से 64 वर्ष के आयु वर्ग के पुरुष में समयपूर्व स्खलन का इलाज करने के लिए किया जाता है। शीघ्रपतन तब होता है जब कोई व्यक्ति थोड़े से ही यौन उत्तेजना से स्खलित हो जाता है जिससे यौन संबंधों में समस्याएं पैदा हो सकती है।

यह दवाई 30mg और 60 mg की स्ट्रेंग्थ में उपलब्ध है। वैज्ञानिक अध्ययन में, 30 mg की डोज़ लेने पर 2.5% से 51.8 प्रतिशत पुरुषों में; 60 mg की डोज़ लेने पर 3.3% से 58.4% प्रतिशत पुरुषों में एजकुलेशन पर कण्ट्रोल देखा गया। इसी प्रकार के रिजल्ट सेक्सुअल सेटिसफेक्शन (30 mg के लिए 52.4% से 70.9% और 60 mg के लिए 56.7% से 79.2 प्रतिशत पुरुषों) पर भी देखे गये।

यह दवाई, रोग का इलाज करती है उसे ठीक नहीं करती। इस दवा का सेवन सेक्स करने से एक घंटा पहले किया जाता है। भारी, फैटी भोजन का सेवन इस दवा का असर थोडा कम कर देता है। इसलिए इसे खाली पेट लेना चाहिए। इस पेज पर इस दवा के बारे बताया गया है जो की केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें।

क्योंकि यह एलोपैथिक दवाई है, इसलिए इसके बहुत से साइड इफेक्ट्स भी है। उदाहरण के लिए इसके सेवन से जी मिचलाना, उल्टी, सिर दर्द nausea, diarrhea, dizziness, headache आदि लक्षण हो सकते हैं। 60 mg डोज़ लेने पर करीब 20 प्रतिशत और 30 mg की डोज़ लेने पर 9 प्रतिशत लोगों में जी मिचलाना देखा गया। दवा की स्ट्रेंथ बढ़ जाने पर एडवर्स रिएक्शन की संभावना भी बढ़ जाती है।

इस जानकारी का प्रयोग सेल्फ-मेडिकेशन के लिए न करें।

Dapoxetine ((+)-(S)-N,N-dimethyl-(α)-[2(1- naphthalenyloxy)ethyl]-benzenemethanamine hydrochloride) is a selective serotonin (5-HT) reuptake inhibitor, similar in structure to fluoxetine. Dapoxetine hydrochloride is a water-soluble powder with a molecular weight of 341.88.

Dapoxetine is a fast-acting compound that attains its peak plasma concentration in about 1.5 hours after dosing.

This medicine is to be taken by men aged 18 to 65 years, 1 to 2 hours prior to anticipated sexual activity only.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • रोग: इरेक्टाइल डिसफंक्शन
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: एलोपैथिक
  • मुख्य उपयोग: Premature ejaculation
  • उपलब्धता Availability: 30mg, 60 mg

डेपॉक्सेटिन के घटक Ingredients of Dapoxetine tablet

  1. डेपॉक्सेटिन 30 mg या 60 mg
  2. डेपॉक्सेटिन के चिकित्सीय उपयोग Uses of Dapoxetine tablet
  3. स्तंभन दोष या इरेक्टाइल डिसफंक्शन Erectile dysfunction ( संभोग के दौरान शिश्न / लिंग / जनेन्द्रिय के उत्तेजित न होने या उसे बनाए न रख सकने के कारण पैदा हुई यौन निष्क्रियता)

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Dapoxetine tablet

नोट: यह प्रिस्क्रिप्शन ड्रग है। ℞ निशान का मतलब है “प्रिस्क्रिप्शन”। यह सिंबल लैटिन भाषा में प्रयोग किये जाने शब्द recipere का संक्षिप्त नाम है जिसका शाब्दिक मतलब है “लेने के लिए” या “इस प्रकार लें” ।

  1. इसे 24 घंटे में एक बार ही लेना है।
  2. इसका असर कम से कम 4 घंटे तक बना रहता है।
  3. इससे 60-70 फीसदी लोगों में जल्दी डिस्चार्ज की समस्या से राहत मिलती है।
  4. एक बार से ज्यादा न लें। यह हानिकारक है।
  5. इसे पानी के साथ लें।
  6. इसे सेक्स करने से करीब एक से तीन घंटा पहले लें।
  7. भारी भोजन के साथ लेने पर इसका अवशोषण धीरे से होता है।

डीपॉक्सेटीन न लें यदि Contraindications:

  1. आप डीपॉक्सेटीन या इस दवा की अन्य किसी भी सामग्री के एलर्जी है ।
  2. आपको हृदय की समस्याएं होती हैं, जैसे दिल की विफलता या हृदय ताल के साथ समस्याएं
  3. आपके पास बेहोशी का इतिहास है।
  4. आप में उन्माद के लक्षण में हैं।
  5. गंभीर अवसाद
  6. आपके पास मध्यम या गंभीर यकृत समस्याएं हैं।

यदि आप निम्न दवाएं ले रहे हैं:

  1. अवसाद की दवाएं ‘monoamine oxidase inhibitors’ (MAOIs)’मोनोअमैन ऑक्सीडेज इनहिबिटर’ (एमओओआईएस) कहा जाता है।
  2. सीज़ोफ्रेनिया के लिए इस्तेमाल किया गया थियरीज़ीन Thioridazine
  3. अवसाद के लिए अन्य दवाइयां
  4. लिथियम Lithium: द्विध्रुवी विकार के लिए एक दवा
  5. लाइनोजॉल्ड Linezolid: संक्रमण का इलाज करने के लिए इस्तेमाल किया गया एक एंटीबायोटिक
  6. ट्रिटोपॉफन Tryptophan: आपकी नींद में मदद करने के लिए एक दवा है
  7. सेंट जॉन पौधा St John’s wort: एक हर्बल दवा
  8. ट्रामेडोल Tramadol गंभीर दर्द के इलाज के लिए
  9. माइग्रेन के उपचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं
  10. सीवाईपी 3 ए 4 इनहिबिटर CYP3A4 Inhibitors: केटोकोनैजोल, रिटोनेविर, साक्विनाविर, नेल्फीनाविर,अत्ज़ानविर, टेलिथ्रोमाइसिन और नेफोजोडोन। ketoconazole, itraconazole, ritonavir, saquinavir, nelfinavir, atazanavir, telithromycin and Nefazodone

ऊपर दी गई दवाओं के साथ डीपॉक्सेटीन न लें। यदि ऊपर दी गई किसी भी दवा का सेवन कर रहे हैं तो दवा का सेवन रोक दें। अन्य दवा के सेवन को रोक देने के दो सप्ताह बाद डीपॉक्सेटीन का सेवन करें। जब डीपॉक्सेटीन का सेवन रूकें तो एक सप्ताह बाद ही अन्य दवा शुरू करें। Do not take dapoxetine at the same time as any of the medicines listed above। If you have taken any of these medicines, you will need to wait 14 days after you stop taking it before you can start taking dapoxetine। Once you have stopped taking dapoxetine, you will need to wait 7 days before taking any of the medicines listed above.

निम्नलिखित के साथ डापॉक्सेटिन लेने से बचें

  1. शराब
  2. रिक्रिएशन ड्रग जैसे ecstasy, LSD
  3. नारकोटिक्स या बेंजोडायजेपाइनस

निम्न रोगों में डापॉक्सेटिन लेने से बचें:

  1. उन्माद या द्विध्रुवी विकार Mania or bipolar disorder
  2. कोआगुलोपाथी Coagulopathies
  3. गुर्दे की दुर्बलता Renal Impairment
  4. मिर्गी Epilepsy
  5. ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन Orthostatic hypotension
  6. गर्भावस्था और स्तनपान Pregnancy & Lactation
  7. भारी मशीनरी ड्राइविंग या संचालन Driving or operating heavy machinery

डीपॉक्सेटीन के साइड इफेक्ट्स Adverse Side-effects

  1. जी मिचलाना Nausea
  2. सरदर्द Headache
  3. उपरी श्वसन पथ का संक्रमण Upper respiratory tract infection
  4. दस्त Diarrhea
  5. चक्कर आना Dizziness
  6. राइनाइटिस Rhinitis
  7. अनिद्रा Insomnia
  8. अपच Dyspesia
  9. घबराहट Nervousness

भारत में उपलब्ध ब्रांड

  1. Dapox (30 mg) Ranbaxy Laboratories Ltd. Dasutra (30 mg) Hetero Healthcare Ltd.
  2. Dasutra (60 mg) Hetero Healthcare Ltd.
  3. Duralast (30 mg) Sun Pharmaceutical Industries Ltd.
  4. Duralast (60 mg) Sun Pharmaceutical Industries Ltd.
  5. Ejalong (30 mg) Emcure Pharmaceuticals Ltd.
  6. Kutub (30 mg) Hetero Healthcare Ltd.
  7. Kutub (60 mg) Hetero Healthcare Ltd.
  8. Sustinex (30 mg) Emcure Pharmaceuticals Ltd.
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