Quantcast
Channel: Hindi स्वास्थ्य ब्लॉग
Viewing all 441 articles
Browse latest View live

श्रीगोपाल तैल Shri Gopal Taila (Oil) Detail and Uses in Hindi

$
0
0

श्रीगोपाल तैल एक आयुर्वेदिक हर्बल तेल है जिसे भैषज्य रत्नावली से लिया गया है। यह तेल मालिश के लिए है तथा बाहरी रूप से प्रयोग किया जाता है। इसकी मालिश से नसों की कमजोरी, प्रमेह रोगों, सिर के दर, मस्तिष्क कमजोरी में लाभ होता है। इसे पुरुषों की यौन कमजोरी में भी बाहरी रूप से लिंग पर लगाया जाता है ।

Sri Gopal Taila is a classical herbal Ayurvedic medicinal oil. It is used externally in weakness of nerves, Nervous Diseases, Loss of Libido, Sexual Weakness and Impotency. It is a nervine tonic. Massaging with this oil cures weakness of body and mind.

Since it cures nerves weakness, it is useful in loss of libido and erectile dysfunction (ED). It gives sexual stamina and strength. Its few drops are rubbed on the male genital organs and pubic area at least on hour before sexual intercourse.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and how to use in Hindi language.

श्रीगोपाल तैल के घटक Ingredients of Sri Gopal Taila (Oil)

शतावरी रस, पेठा रस, आंवला रस, अश्वगंधा, जिंतिमुल, खरैती जड़, बेल छाल, अरलू छाल, खम्भारी, पढ़ल, अरणि, कटेली, मुर्वा मूल, केवड़ा, परिभंद्र, चोरपुष्पि पद्मक, अगर, नगरमोथ, शिला रस, सुगन्धि वरो, हरदे, बहेड़ा, जीवक, काकोली, क्षीरककोली, मेदा, महा मेदा, मुद्गापर्णी, माषपर्णी, जीवन्ति, मुलेठी, सुंठी, पिपर, केसर, दाल चीनी, जटामांसी, खस, देवदार, अनार, धनिया, छोटी इलायची।

श्रीगोपाल तैल के लाभ/फ़ायदे Benefits of Sri Gopal Taila (Oil)

  1. यह नसों की ताकत बढ़ाने के लिये अच्छा तेल है।
  2. इसकी मालिश से वात-पित्त-कफ के कारण होने वाले विकारों में लाभ होता है।
  3. सिर की इससे मालिश से सिर का दर्द दूर होता है और बद्धि तेज़ होती है।
  4. यह गर्भाशय को ताकत देता है।
  5. यह लिंग की मालिश में उपयोगी है।
  6. यह कामोद्दीपक है, तथा यौन कमजोरी को दूर करता है।
  7. यह कामेच्छा की कमी, कमजोरी और सामान्य दुर्बलता को दूर करता है है।
  8. यह वीर्य को बढ़ाता है और नपुंसकता को दूर करता है।

श्रीगोपाल तैल के चिकित्सीय उपयोग Uses of Sri Gopal Taila (Oil)

  1. तंत्रिका संबंधी विकार, यौन दुर्बलता
  2. नपुंसकता Premature Ejaculation, लिंग की कमजोरी, शिथिलता Unsatisfactory Erection or Sexual Deficiency
  3. इरेक्टाइल डिसफंक्शन
  4. यौन कमजोरी Sexual Weakness
  5. पीठ दर्द, कमर दर्द
  6. सिरदर्द, गर्दन में दर्द
  7. घुटने-जोड़ों का दर्द

प्रयोग की विधि

  1. यह तेल केवल बाह्य प्रयोग के लिए है।
  2. ज़रूरत के अनुसार, कुछ बूंदो को हाथ में लेकर प्रभावित स्थान पर इसे हल्की मालिश के साथ लागायें। सिर के दर्द में, माथे पर २-३ बूंदे लगाकर मालिश करें। लिंग की मालिश के लिए, यौन संबंध होने से एक घंटे पहले, तेल की 3 से 4 बूँदें लिंग त्वचा पर लगाकर हल्के से मालिश करें।
  3. यह बाहरी उपयोग के लिए ही है।
  4. इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है।
  5. इस तेल का प्रयोग ठीक से त्वचा पर करें।
  6. लिंग के संवेदनशील हिस्से (टिप) पर इसे न लगायें।

इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

You can buy this medicine online or from medical stores.

This medicine is manufactured by Baidyanath (Shri Gopal Tail), Dabur (Shrigopal Tail), Unjha Ayurvedic Pharmacy (Shri Gopal Tail), and many other Ayurvedic pharmacies.


मल्ल तैल Malla Taila (Oil) Detail and Uses in Hindi

$
0
0

मल्ल तैल एक आयुर्वेदिक तेल है। यह तेल मुख्य रूप से बाह्य रूप से लगाया जाता है। इसकी मालिश से नसों की कमजोरी, वात रोगों के दर्द में लाभ होता है। इसे पुरुषों की यौन कमजोरी में भी बाहरी रूप से इन्द्रिय पर लगाया जाता है।

आंतरिक रूप से भी इस तेल को बहुत ही कम मात्रा में अस्थमा, कफ, आदि में प्रयोग किया जाता है। यह तासीर में बहुत ही उग्र है तथा तुरंत ही परिणाम देता है। इसमें सफ़ेद संखिया है, इसलिए यह बहुत ही आवश्यक हो जाता है कि इसे बहुत ही कम मात्रा में लिया जाए और तभी लिया जाय जब डॉक्टर द्वारा निर्देशित हो।

Read in English Malla Taila

Malla Taila or Oil is a Classical Ayurvedic medicated oil. It contains White oxide of Arsenic, Nutmeg, Mace, Clove, Khurasani Ajwain, Carom seeds, Celery seeds, Cannabis seeds, Saffron, Celastrus and Sesame seeds. It is very hot in potency and used to strengthen the nerves. It is also indicated in pain due to Vata Dosha.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and how to use in Hindi language.

मल्ल तैल के घटक Ingredients of Malla Taila

  1. श्वेत संखिया Shwet Sankhiya 36 gram
  2. जायफल Jaiphal 36 gram
  3. जावित्री Javitri 36 gram
  4. खुरासानी अजवाइन Khurasani Ajwain 36 gram
  5. अजवाइन Ajwain 36 gram
  6. अजमोद Ajmoda 36 gram
  7. भांग के बीज Bhang seed 36 gram
  8. लौंग Lavanga 36 gram
  9. मालकांगनी Malkangni 72 gram
  10. केशर Kesar 375 mg
  11. तिल का तेल Til ka tel Sesame oil Q.S.

मल्ल तैल के लाभ/फ़ायदे Benefits of Malla Taila

  1. यह लिंग की मालिश में उपयोगी है।
  2. यह नसों की ताकत बढ़ाने के लिये अच्छा तेल है।
  3. इसकी मालिश से वात के कारण होने वाले दर्द में लाभ होता है।
  4. यह कामोद्दीपक है, तथा यौन कमजोरी को दूर करता है।
  5. यह नपुंसकता को दूर करता है।

मल्ल तैल के चिकित्सीय उपयोग Uses of Malla Taila

  1. तंत्रिका संबंधी विकार
  2. नपुंसकता Premature Ejaculation, लिंग की कमजोरी, शिथिलता Unsatisfactory Erection or Sexual Deficiency
  3. इरेक्टाइल डिसफंक्शन
  4. यौन कमजोरी Sexual Weakness

प्रयोग की विधि

  1. ज़रूरत के अनुसार, कुछ बूंदो को हाथ में लेकर प्रभावित स्थान पर इसे हल्की मालिश के साथ लगायें।
  2. लिंग की मालिश के लिए, यौन संबंध होने से एक घंटे पहले, तेल की 2 बूँदें, १० बूँद तिल के तेल में मिलाकर लिंग त्वचा पर लगाकर हल्के से मालिश करें।
  3. इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है।
  4. इस तेल का प्रयोग ठीक से त्वचा पर करें।
  5. लिंग के संवेदनशील हिस्से (टिप) पर इसे न लगायें।

इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

This medicine is manufactured by Baidyanath (Mall Tail) and some other Ayurvedic pharmacies.

पालरिविन फोर्ट टेबलेट Pallrywyn Forte Tablet Detail and Uses in Hindi

$
0
0

पालरिविन फोर्ट टेबलेट, चरक फार्मास्युटिकल द्वारा निर्मित एक आयुर्वेदिक दवा है। इसका प्रयोग नपुंसकता, नामर्दी, शीघ्रपतन, आदि पुरुषों के यौन रोगों तथा महिलाओं में कामेच्छा की कमी में होता है।

Read In English Pallrywyn Forte Tablet

Pallrywyn Forte Tablet is a herbomineral Ayurvedic medicine used to improve sexual functioning and sexual desires in both men and women. It helps in erection problems in males.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

पालरिविन फोर्ट टेबलेट के घटक Ingredients of Pallrywyn Forte Tablet

Each coated tablet contains:

  1. मकरध्वज Makardhwaj 80 mg
  2. जायफल Jaiphal Myristica fragrans 25 mg
  3. मूसली Shwet Musli Chlorophytum arundinaceum 25 mg
  4. शिलाजीत Shilajit Shuddha 20 mg
  5. कुलंजन Kulinjan Alpinia galanga 20 mg
  6. अभ्रक भस्म Abhrak Bhasma 10 mg
  7. अक्कलकरा Akkalkara Anacyclus pyrethrum 10 mg
  8. लौंग Lavang Caryophyllus aromaticus 10 mg
  9. लोह भस्म Loh Bhasma 10 mg
  10. पिप्पली Pippali Piper longum 10 mg
  11. तमालपत्र Tamalpatra Cinnamomum iners 10 mg
  12. विधारा Vriddhadaruk Argyreia speciosa 10 mg
  13. शुद्ध कपिलु Kupilu shuddha Purified Strychnos nux-vomica 5 mg
  14. स्वर्ण माक्षिक Suvarna Makshik Bhasma 5 mg
  15. त्रिवंग भस्म Trivang Bhasma 5 mg
  16. नाग केशर Nagkeshar Mesua ferrea 2 mg
  17. कपूर Karpur Camphora officinarum 0।5 mg

Extracts of:

  1. केवांच Kapikachhu shuddha Purified Mucuna pruriens 10 mg
  2. आमला Amalaki Emblica officinalis 40 mg
  3. अश्वगंधा Ashwagandha Withania somnifera 40 mg
  4. शतावरी Shatavari Asparagus racemosus 40 mg
  5. वाराहीकंद Varahikand Tacca aspera 20 mg
  6. विदारीकंद Vidarikand Ipomoea digitata 20 mg
  7. गोखरू Gokhshu Tribulus Terrestris 10 mg
  8. भावना Bhavana
  9. प्याज Palandu Allium cepa 30 mg
  10. पान Nagvalli Piper betle 30 mg

पालरिविन फोर्ट टेबलेट के लाभ/फ़ायदे Benefits of Pallrywyn Forte Tablet

  1. यह एक प्राकृतिक कामोद्दीपक है।
  2. यह दवा दोनों ही पुरुषों और महिलाओं में सेक्स की इच्छा को बेहतर बनाने में मदद करती है।
  3. इसमें प्राकृतिक घटक हैं जिन्हें सदियों से आयुर्वेद में प्रयोग किया जाता है।
  4. यह यौन समस्याओं को दूर करने वाली दवा है।
  5. यह प्रजनन अंगों को ताकत देती है।

पालरिविन फोर्ट टेबलेट के चिकित्सीय उपयोग Uses of Pallrywyn Forte Tablet

  1. यौन कमजोरी Psychogenic / idiopathic sexual weakness
  2. महिलाओं में कामवासना की कमी Frigidity in the female
  3. समय से पहले बुढ़ापा Premature senility
  4. स्त्री अथवा पुरुष में कामेच्छा में कमी loss of libido in both sexes
  5. शीघ्रपतन के प्रबंधन के लिए
  6. शुक्राणुओं की संख्या
  7. नपुंसकता, नामर्दी, समय पूर्व वीर्यपात

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Pallrywyn Forte Tablet

1-2 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।

इसे दूध, पानी के साथ लें।

इसे भोजन करने के बाद लें।

या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

चरक निओ Charak Neo Tablet

$
0
0

नियो टेबलेट चरक फार्मा द्वारा निर्मित एक आयुर्वेदिक हर्ब और मिनरल्स से बनी दवाई है। इसे प्रीमेच्योर एजाकुलेशन या शीघ्रपतन के उपचार में प्रयोग किया जाता है।

शीघ्रपतन में 1 मिनट या उससे भी कम समय में स्खलन हो जाता है। यह एक आम शिकायत है जो की चिंता,अवसाद, हार्मोन संबंधी समस्याओं, चोट, कुछ दवाओं के प्रभाव के कारण हो सकती है। यह पुरुषों में बहुत स्ट्रेस का कारण भी बन जाती है। इसके उपचार के लिए यह ज़रूरी है की पहले इसके होने के कारण का पता लगाया जाए जिससे निवारण आसान हो पाए।

Charak Neo Tablet is a herbomineral Ayurvedic medicine used to treat premature ejaculation. It helps by reducing stress, excitability and strengthening reproductive system.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

निओ टेबलेट के घटक Ingredients of Charak Neo Tablet

  1. कुचिला 20 मिलीग्राम
  2. मुलेठी 8 मिलीग्राम
  3. शुद्ध हिंगुल 8 मिलीग्राम
  4. मुक्ताशुक्ति 8 मिलीग्राम
  5. शुद्ध शिलाजीत 8 मिलीग्राम
  6. वंग भस्म 2 मिलीग्राम
  7. लोह भस्म 2 मिलीग्राम
  8. केवांच 56 मिलीग्राम
  9. सतावर 35 मिलीग्राम
  10. भावना प्याज 90 मिलीग्राम और भृंगराज16 मिलीग्राम

निओ टेबलेट के लाभ Benefits of Charak Neo Tablet

  1. यह शीघ्रपतन के लिए एक आयुर्वेदिक दवा है।
  2. यह उत्तेजना को कम कर देती है।
  3. यह तनाव, स्ट्रेस को कम कर करती है।
  4. यह एंटीऑक्सीडेंट है।
  5. यह नॉन हैबिट फोर्मिंग है।
  6. यह लंबे समय तक इस्तेमाल के लिए सुरक्षित है।
  7. यह प्रजनन अंगों को ताकत देती है।

निओ टेबलेट की महत्वपूर्ण चिकित्सीय उपयोग Uses of Charak Neo Tablet

शीघ्रपतन / समय पूर्व वीर्यपात / premature ejaculation

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Charak Neo Tablet

  • 1-2 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम, कम से कम 4-5 सप्ताह के लिए लें।
  • इसे दूध, पानी के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

चरक एडीज़ोय कैप्सूल Charak Addyzoa Capsule Detail and Uses in Hindi

$
0
0

चरक एडीज़ोय कैप्सूल, चरक फार्मास्युटिकल द्वारा निर्मित एक आयुर्वेदिक दवा है। यह शुक्राणु से संबंधित समस्याओं और पुरुष बांझपन के उपचार में उपयोगी है। इस दवा का सेवन शुक्राणु की संख्या, गतिशीलता, और शुक्राणु की आकृति में सुधार करता है। यह आयुर्वेद की उन जाने माने घटकों से निर्मित है जो की पुरुषों में प्रजनन क्षमता और यौन प्रदर्शन को सुधारते है। इसमें पूर्णचंद्रोदय रस, केवांच, शिलाजीत, मकरध्वज, गोखरू, अश्वगंधा, विधारा समेत बहुत से उत्कृष्ट घटक हैं जो की अपने रसायन, वाजीकारक, एंटीऑक्सीडेंट, पौष्टिक गुणों से पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बढ़ाते हैं और एक स्वस्थ्य संतान की प्राप्ति में सहायता करते हैं।

Charak Addyzoa Capsule is a herbomineral Ayurvedic medicine used to improve sperm count. It improves male fertility. It makes sperm thick and protects sperms from damage. Addyzoa Capsules strengthens reproductive organs and treats male infertility related to sperms.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

चरक एडीज़ोय कैप्सूल के घटक Ingredients of Charak Addyzoa Capsule

Each capsule contains:

Powders

  1. पूर्णचंद्रोदय रस Purnachandrodaya rasa 45 mg
  2. मुक्ताशुक्ति Muktashukti bhasma 30 mg
  3. स्वर्णमाक्षिक Suvarnamakshik bhasma 30 mg
  4. शिलाजीत Shilajit shuddha 30 mg
  5. सुवर्ण वंग Suvarna Vanga 30 mg
  6. अभ्रक भस्म Abhrak bhasma 15 mg
  7. मकरध्वज Makardhwaj rasa 15 mg
  8. रस सिंदूर Rasa sindur 5 mg

Extract of the following

  1. गोखरू Gokshur (Tribulus terrestris) 200 mg
  2. अष्टवर्ग Ashtavarga 200 mg
  3. मुस्ली Shwet musli (Chlorophytum arundinaceum) 150 mg
  4. केवांच Kapikachchhu shuddha (Purified Mucuna pruriens) 150 mg
  5. गिलोय Guduchi (Tinospora cordifolia) 150 mg
  6. अश्वगंधा Ashwagandha (Withania somnifera) 150 mg
  7. आमलकी Amalaki (Emblica officinalis) 75 mg
  8. बाला मूल Balamool (Sida cordifolia) 75 mg
  9. विधारा Vridhadharuk (Argyreia speciosa) 75 mg
  10. शतावर Shatavari (Asparagus racemosus) 75 mg
  11. वाराही कंद Varahikand (Tacca aspera) 30 mg
  12. चोपचीनी Chopchini (Smilax china) 30 mg
  13. विदारी कंद Vidarikand (Ipomoea digitata) 30 mg
  14. मुंजातक Munjatak (Eulophia campestris) 15 mg

चरक एडीज़ोय कैप्सूल के लाभ/फ़ायदे Benefits of Charak Addyzoa Capsule

  1. यह दवा पुरुष प्रजनन क्षमता में सुधार के लिए है।
  2. यह शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता, गुणवत्ता और मात्रा में सुधार करने में मदद करती है।
  3. यह पुरुष हार्मोन / टेस्टोस्टेरोन स्तर में सुधार करती है।
  4. यह एक प्राकृतिक कामोद्दीपक है।
  5. इसमें प्राकृतिक घटक हैं जिन्हें सदियों से आयुर्वेद में प्रयोग किया जाता है।
  6. यह प्रजनन अंगों को ताकत देती है।
  7. यह एंटीऑक्सीडेंट है और शुक्राणुओं को नुकसान से बचाता है।

चरक एडीज़ोय कैप्सूल के चिकित्सीय उपयोग Uses of Charak Addyzoa Capsule

  • शुक्राणुओं की संख्या / अल्पशुक्राणुता / वीर्य में शुक्राणु कोशिकाओं की कमी
  • शुक्राणु गतिशीलता में कमी
  • शुक्राणु की आकृति, बनावट में कमी

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Charak Addyzoa Capsule

शुक्राणुओं की संख्या 5 लाख / मिलीलीटर – 10 लाख / मिलीलीटर: 2 कैप्सूल, 90 दिनों के लिए एक दिन दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।

शुक्राणुओं की संख्या> 10 लाख / मिलीलीटर: 1 कैप्सूल 90 दिनों के लिए एक दिन दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।

या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

Helpful Tips for Healthy Sperms

  • धूम्रपान न करें।
  • शराब और कैफीन वाले उत्पादों को न लेवें।
  • जंक फूड न खाए। मोटापा करने वाले भोजन का सेवन न करें।
  • मोटे हैं तो वज़न कम करें।
  • ज्यादा मिठाई और चिकनाई न खाएं।
  • कम फैट वाले डेयरी उत्पाद लें।
  • स्ट्रेस, तनाव, एंग्जायटी को कम करने की कोशिश करें।
  • मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन करें।
  • एंटीऑक्सीडेंट (विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन ए) भोजन में शामिल करें।
  • सेलेनियम और जिंक का शुक्राणुओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए ऐसे भोजन खाएं जिनमें ये मौजूद हों।
  • अखरोट खाएं। यह शुक्राणुओं के लिए बहुत पौष्टिक होते है।
  • प्रसंस्कृत मांस और मिठाई बिलकुल न लें।

महामाष तेल (निरामिष) Mahamash Tail Detail and Uses in Hindi

$
0
0

महामाष तेल, एक हर्बल आयुर्वेदिक तेल है, जिसे भैषज्य रत्नावली के वात व्याधि रोगाधिकार से लिया गया है। इसे शरीर में वात के असुंतलन के होने के कारण होने वाले रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है। महामाष तेल का मुख्य घटक माष अर्थात उड़द की दाल है। इसमें दशमूल, अश्वगंधा, सहित बहुत से औषधीय वनस्पतियाँ है। इसका बेस तेल, तिल का तेल है।

Mahamash Tail is a polyherbal Ayurvedic medicated oil used in treatment of joint pain, arthritis, rheumatism, paralysis and other Vata vyadhi. It gives strength to muscles and cures sprain.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and how to use in Hindi language.

महामाष तेल (निरामिष) के घटक Ingredients of Mahamash Tail

तिल तेल, अश्वगंधा, कर्चुरा, देवदारु, बला, रसना, प्रसारिणी, कुष्ठा, परसका, भारंगी, विदारी, रक्तपुनर्नवा, शतावर, बिजौरा निम्बू, श्वेत जिरका, कृष्णा जिरका, हिंगू, गोखरू, पिप्पलिमुला, चित्रक, सेंधा नमक, जीवनीय गण (मेदा, महामेदा, काकोली, क्षीर काकोली, जीवक, ऋषभक, ऋद्धि, वृद्धि, मुलेठी, जीवन्ती)

दशमूल, माष क्वाथ

महामाष तेल (निरामिष) के लाभ/फ़ायदे Benefits of Mahamash Tail

  • यह माँसपेशियों को ताकत देता है।
  • यह सभी तरह की वात व्याधियों में लाभप्रद है।
  • यह जोड़ों के दर्द, सूजन, जकड़न को दूर करता है।
  • यह पक्षाघात, गर्दन की जकड़न, सर के दर्द, में भी लाभकारी है।

महामाष तेल (निरामिष) के चिकित्सीय उपयोग Uses of Mahamash Tail

  • जबड़े का जकड़ना
  • पीठ दर्द, कमर दर्द
  • सिरदर्द, गर्दन में दर्द
  • घुटने-जोड़ों का दर्द
  • चेहरे का लकवा
  • पीठ में स्टिफनेस
  • आर्थराइटिस, रुएमेटीज्म
  • इरेक्टाइल डिसफंक्शन

प्रयोग की विधि

  • प्रभावित त्वचा पर इसे दिन २-३ बार लगायें और हल्की मालिश करें।
  • आंतरिक प्रयोग के लिए वही तेल उपयुक्त होते हैं जिन पर साफ़- साफ़ ‘Suitable for internal Use’ लिखा हो। यदि न लिखा हो तो आंतरिक रूप से प्रयोग न करें।
  • इस तेल को मुख्यतः बाह्य रूप से जोड़ों के दर्द, मांसपेशियों की कमजोरी, नेर्वेस की कमजोरी में लगाया जाता है।
  • इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

This is a classical Ayurvedic medicine and is manufactured by Baidyanath (Mahamas Tel), Dabur (Mahamash Tail), Unjha (Mahamash Tail), Nagarjun (Mahamash Tailam), Kottakkal (Mahamasha Tailam), Kerala Ayurveda (Mahamasha Thailam), Vaidyaratnam (MahaMasha Thailam), AVP (Mahamasha Thailam) and many other Ayurvedic pharmacies.

थ्री नॉट थ्री कैप्सूल (दीनदयाल) 303 Capsules Detail and Uses in Hindi

$
0
0

थ्री नॉट थ्री कैप्सूल, या 303 कैप्सूल दीनदयाल औषधि द्वारा निर्मित, दवाई है जो की पुरुषों में होने वाली यौन समस्याओं में लाभप्रद है। यह वाजीकारक, शुक्रवर्धक, वीर्यवर्धक है तथा शीघ्रपतन, स्वप्नदोष आदि में लाभकरी है। थ्री नॉट थ्री कैप्सूल का सेवन इनफर्टिलिटी को दूर करता है। यह तीस साल से ऊपर के पुरुषों के लिए उत्तम रसायन है।

303 Capsules, is an herbs and mineral containing medicine. It is based on Ayurvedic principles and used to increase strength, stamina, fertility and vigour in males. It gives relief in fatigue, stress, and debility. It has rejuvenative effect.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

थ्री नॉट थ्री कैप्सूल के घटक Ingredients of 303 Capsules

निर्माता के अनुसार इसे 44 कीमती जड़ी बूटियों के एक्सट्रेक्ट तथा खनिज एवं 20 विदेशी जड़ी बूटियों से बनाया गया है।

इसके मुख्य घटक हैं, Ashwagandha, Shatavari, Amalaki (Emblica officinalis), Brahmi (Bacopa monnieri), Kaunch beej (Mucuna pruriens), Salam Panja, Vidhara, Datura Beej, Nutmug, Mace, Cinnamon, Clove, Shilajit, Makardhwaj etc. It contains Bhasma of Swarna, Rajat, Abhrak and Vanga। It is processed in Pann Swaras and Kwath of Musali, Gokhru, Brahmi, Vidarikand, and Amla.

थ्री नॉट थ्री कैप्सूल के लाभ/फ़ायदे Benefits of 303 Capsules

  • यह वाजीकारक है और यौन इच्छा को बढ़ाने वाली दवा है।
  • यह दवाई वीर्यवर्धक है और शुक्र में वीर्यकीटों की कमी को दूर करती है।
  • यह दवाई शीघ्रपतन जिसे इंग्लिश में प्रीमेच्योर एजाकुलेशन कहते है को दूर करती है।
  • यह अधिक वात और पित्त को संतुलित करती है।
  • यह स्ट्रेस, थकान को दूर करती है।
  • यह शरीर को उर्जा तथा शक्ति देती है।
  • यह नया उत्साह देती है।
  • इसका २-३ महीने लगातार सेवन करने से यौन अंगों को ताकत मिलती है और इनफर्टिलिटी की समस्या दूर होती है।

थ्री नॉट थ्री कैप्सूल के चिकित्सीय उपयोग Uses of 303 Capsules

  • कमजोरी, थकावट यौन उर्जा की कमी
  • शुक्र की कमी
  • स्तम्भन दोष, इन्द्रिय की शिथिलता-निस्तेज होना
  • स्नायु की दुर्बलता
  • धातु की कमी
  • प्रमेह
  • मूत्र रोग
  • बुढ़ापे की कमी
  • शीघ्र पतन
  • वीर्य दोष
  • शुक्र दोष
  • यौन दुर्बलता

सेवन विधि और मात्रा Dosage of 303 Capsules

  • 1 या 2 कैप्सूल (ज़रूरत के अनुसार), दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे दूध, रबड़ी या मलाई के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधानियाँ

  • यह दवा बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • दवा का सेवन निर्धारित मात्रा में ही करे।
  • अधिक मात्रा में सेवन हानिप्रद हो सकता है।

कहाँ से खरीदें

इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

कद्दू के बीज के फायदे Health Benefits of Pumpkin Seeds in Hindi

$
0
0

कद्दू को तो सभी जानते हैं। यह भारत भर में उगाया जाता है। यह एक पौष्टिक सब्जी है। पके कद्दू के अन्दर बहुत से बीज पाए जाते हैं। ये बीज ज्यादातर तो फेंक ही दिए जाते हैं। पर क्या आपको पता है, ये बीज अत्यंत ही पौष्टिक होते है। यह छोटे-छोटे बीज मिनरल्स से भरे हुए होते है। कद्दू के बीज उच्च रक्तचाप को कम करते है। यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर हैं। इनका सेवन खनिजों की कमी को दूर करता है।

pumpkin seeds

इसमें जिं, सेलेनियम और मैग्नीशियम होने के कारण यह पुरुषो के लिए विशेष रूप से लाभप्रद है। यह प्रोस्ट्रेट के रोगों prostate disorders में लाभ करता है। यह टेस्टोस्टेरोन को बढ़ाता है। १० ग्राम बीजों का सेवन प्रोस्ट्रेट Enlarged prostate और यौन समस्याओं, जैसे की इम्पोटेंसी, erectile dysfunction, sperms related disorders का एक प्राकृतिक उपचार है।

Pumpkin seeds are nutritionally very dense. They are good source of vitamins, minerals and protein. The seeds are rich in B-vitamins and calcium. They cure mineral and vitamin deficiency and improves overall health.

Pumpkin seeds are a rich source of zinc, selenium and magnesium. These are highly beneficial for disorders of male reproductive organs. They are recommended in treating prostate disorders such as enlarged prostate gland, sperm disorders, low testosterone, low fertility, impotency etc.

Here is given health benefits of pumpkin seeds in Hindi language.

Regular consumption of pumpkin seeds helps maintain the health of reproductive system.

कद्दू के बीज खाने के लाभ Health Benefits of Pumpkin Seeds

कद्दू के बीज में अच्छी मात्रा में जिंक / जस्ता पाया जाता है। एक चौथाई कप कद्दू के बीज का सेवन दैनिक ज़रूरत का करीब 17 प्रतिशत जिंक देता है। जिंक एक आवश्यक खनिज है। यह सेलुलर चयापचय, इम्युनिटी के लिए, प्रोटीन संश्लेषण, घाव भरने, में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह करीब 100 एंजाइमों का उत्प्रेरक है तथा बचपन, किशोरावस्था और गर्भावस्था, के दौरान सामान्य वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक है। जिंक की कमी से कम बढ़वार, भूख न लगना, इम्युनिटी की कमी, स्वाद का ठीक से न पता लग पाना, घावों का ज़ल्दी न भरना, आदि। क्योंकि जिंक डीएनए संश्लेषण और कोशिका विभाजन के लिए ज़रूरी है इसलिए प्रजनन स्वास्थ्य के लिए भी ज़रूरी है।

कद्दू के बीजों का सेवन पुरुषों के लिए विशेष लाभकारी है। कद्दू के बीज में क्योंकि ज्यादा जिंक है इसलिए यह जिंक की कमी के कारण होने वाले रोगों को दूर करता है। पुरुषों में जिंक कमी से लिंग की शिथिलता, शीघ्रपतन, नपुंसकता, इम्पोइम्पोटेंसी,अल्पजननग्रंथिता hypogonadism हो जाती है। जिंक की कमी से मेल सेक्सुअल हॉर्मोन टेस्टोस्टेरोन testosterone कम बनता है जिससे erectile dysfunction हो सकता है

कद्दू के बीज का सेवन सेक्स यौन शक्ति तथा प्रदर्शन में सुधार करता है। यह फर्टिलिटी, पोटेंसी, और सेक्स ड्राइव को बढ़ाता है।

कद्दू के बीज में मैगनिशियम magnesium काफी मात्रा में होता है। एक चौथाई कप कद्दू के बीज का सेवन दैनिक ज़रूरत का करीब 50 प्रतिशत मैग्नेशियम देता है। मैग्नीशियम शरीर में होने वाली विविध जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं, प्रोटीन संश्लेषण, मांसपेशियों और तंत्रिका के कामकाज, रक्त शर्करा नियंत्रण, और रक्तचाप विनियमन के लिये ज़रूरी है। यह डीएनए, आरएनए DNA, RNA और एंटीऑक्सीडेंट के संश्लेषण के लिए आवश्यक है। यह मांसपेशियों में संकुचन के लिए तथा हृदय के सही रूप से काम करने के लिए भी ज़रूरी है। मैग्नेशियम magnesium की कमी से भूख न लगना, मतली, उल्टी, थकान, कमजोरी, झुनझुनी, मांसपेशियों में संकुचन और ऐंठन, दौरे, व्यक्तित्व परिवर्तन, असामान्य हृदय लय, उच्च रक्तचाप, तथा माइग्रेन हो सकता है।

  1. मैग्नेशियम की कमी से पुरुषों में शीघ्रपतन की समस्या भी देखी गयी है। यदि आप कद्दू के बीज खाते हैं जो आप मैग्नेशियम की कमी तथा कमी के कारण होने वाले रोगों को दूर कर सकते हैं।
  2. इन बीजों में मिनरल्स जैसे की मैग्नेशियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस, जिंक, फाइबर और सेलेनियम selenium, मैंगनीज़, आयरन, पाए जाते है। सेलेनियम एंटीऑक्सीडेंट है जो शरीर को फ्री सेल डैमेज से बचाता है। सेलेनियम की कमी से पुरुषों तह महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्या हो जाती है। सेलेनियम पुरषों को प्रोस्ट्रेट कैंसर से भी बचाता है।
  3. यह प्रोस्ट्रेट के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा सप्लीमेंट है। कद्दू के बीज प्रोस्ट्रेट के बढ़ जाने BPH enlarged prostrate को ठीक करता है।
  4. कद्दू के बीज का सेवन आँतों में पाए जाने वाले परजीवियों जैसे की टेपवर्म को दूर करता है।
  5. यह ओमेगा ३ फैट, अल्फा लिनोलेनिक एसिड का उत्तम स्रोत है।
  6. यह विटामिन A, B1, B2, B3, का अच्छा स्रोत है।
  7. यह प्रोटीन, मोनोसैचुरेटेड फैट्स, फाईटोस्टेरोल विशेषतः बीटा-सीटोस्टेरोल से भरपूर है।
  8. इसमें मौजूद घटक delta-7-sterols and selenium शरीर की सूजन को दूर करते हैं।
  9. एक तिहाई कद्दू के बीजों का सेवन करीब 90 कैलोरी, 4 ग्राम फैट, 4 ग्राम प्रोटीन, और करीब 11 ग्राम कार्बोहायड्रेट देगा।
  10. कद्दू के बीज, तासीर में गर्म होते है तथा पित्त और कफ को कम करते हैं। ज्यादा मात्रा में खाने पर यह वात को बढ़ाते है। यह प्रोटीन में समृद्ध होते हैं। इसमें ज़रूरी विटामिन, मिनरल सभी पाए जाते है, तो खाइए इन बीजों को और बढाइए अपने स्वास्थ्य को।

झंडू विगोरेक्स Zandu Vigorex Detail and Uses in Hindi

$
0
0

विगोरेक्स, झंडू द्वारा निर्मित, दवाई है जो की पुरुषों के दैनिक जोशवर्धक है। इसमें आयुर्वेद के जाने माने वाजीकारक द्रव्य हैं जैसे की स्वर्ण, शिलाजीत, सफ़ेद मुस्ली, केवांच के बीज, गोक्षुरू, अश्वगंधा और प्रवाल भस्म।

आयुर्वेद की मुख्य ८ शाखाएं हैं, इनमें से वाज़ीकरण यौन-क्रियायों की विद्या तथा प्रजनन Sexology and reproductive medicine चिकित्सा से सम्बंधित है। वाज़ीकरण के लिए उत्तम वाजीकारक वनस्पतियाँ और खनिजों का प्रयोग किया जाता है जो की सम्पूर्ण स्वास्थ्य को सही करती हैं और जननांगों पर विशेष प्रभाव डालती है। आयुर्वेद में प्रयोग किये जाने वाले उत्तम वाजीकरण द्रव्यों में शामिल है, अश्वगंधा, शतावरी, गोखरू, आंवला, केवांच, शिलाजीत, मकरध्वज, मूसली, आदि। यह कामोत्तेजक होती है, स्नायु, मांसपेशियों की दुर्बलता, को दूर करती है तथा धातु वर्धक, वीर्यवर्धक, शक्तिवर्धक तथा बलवर्धक होती हैं।

स्वर्ण भस्म को आयुर्वेद में, जीवन शक्ति में सुधार तथा ताकत देने के लिए प्रयोग किया जाता है। शिलाजीत Shilajit के सेवन से शक्ति बढ़ती है। यह शरीर के लिए आवश्यक विटामिन और मिनरल देता है और ताकत देता है। सफेद मूसली Musali को आयुर्वेद में उत्तम वाजीकारक माना गया है।

केवांच के बीजो का सेवन शरीर में नर्वेस को ताकत देता है। गोखरू का प्रयोग मांसपेशियों की शक्ति बढ़ाने में मदद करता है। अश्वगंधा, एंटीस्ट्रेस है और तनाव तथा तंत्रिका तंत्र की थकान को दूर करती है।

प्रवाल भस्म शरीर के ऊतकों में रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है। यह कैल्शियम का एक समृद्ध और प्राकृतिक स्रोत है, जो थकान को दूर करने में मदद करता है।

झंडू विगोरेक्स के दो प्रकार हैं, विगोरेक्स टेबलेट और विगोरेक्स एस ऍफ़ कैप्सूल। SF कैप्सूल में ज्यादा घटक हैं। अगर कमजोरी अधिक है तो, विगोरेक्स एस ऍफ़ Vigorex SF capsules के सेवन से शुरूवात करें और स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए विगोरेक्स Vigorex tablets की एक गोली नियमित दूध से साथ लें।

Zandu Vigorex, is an herbs and mineral containing medicine. It is based on Ayurvedic principles and used to increase strength, stamina, fertility and vigour in males. It gives relief in fatigue, stress, and debility. It has rejuvenative effect.

It is available as Vigorex tablets and Vigorex SF Capsules.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

झंडू विगोरेक्स के घटक Ingredients of Zandu Vigorex

Zandu Vigorex

In Each tablet

  1. केवांच Kaunch Beej extract 125mg
  2. मूसली Safed Musali extract 100mg
  3. गोखरू Gokshur extract 75mg
  4. अश्वगंधा Ashwagandha extract 50mg
  5. शिलाजीत Shilajit 50mg
  6. जटीफल Jatiphal extract 25mg
  7. यशद भस्म Yashad Bhasma 25mg
  8. अभ्रक भस्म Abhrak Bhasma 25mg
  9. प्रवाल भस्म Praval Bhasma 25mg
  10. कपूर Shuddha Karpur 5mg
  11. स्वर्ण भस्म Swarna Bhasma 0।5mg
  12. Excipients q.s
  13. Zandu Vigorex SF

In each Capsules

  • केवांच Kauncha (Mucuna pruriens) 100 mg
  • अश्वगंधा Ashwagandha (Withania somnifera) 100 mg
  • शिलाजीत Shilajit 50 mg
  • मूसली Musali (Chlorophytum arundinaceum) 50 mg
  • चंद्रोदय रस Chandrodaya Ras 50 mg
  • प्रवाल भस्म Praval Bhasma 25 mg
  • गिलोय Gudhuchi (Tinospora cordifolia) 25 mg
  • आंवला Amalki (Emblica officianalis) 25 mg
  • गोखरू Gokhru (Tribulus terrestris) 25 mg
  • विषटिंडक Vishtinduik (Strychnos nux vomica) 25 mg
  • अभ्रक भस्म Abhrak Bhasma 25 mg
  • माणिक्य भस्म Manikya Bhasma 25 mg
  • काँटा लोहा भस्म Kanta Loha Bhasma 20 mg
  • जातिफल Jatiphala 15 mg
  • माणिक्य रस Manikya Rasa 10 mg
  • कपूर Kapur Baras 5mg

झंडू विगोरेक्स के लाभ/फ़ायदे Benefits of Zandu Vigorex

  1. यह वाजीकारक, शुक्रवर्धक, वीर्यवर्धक है तथा उत्तम रसायन है।
  2. यह लैंगिक और स्नायु की कमजोरी को दूर करती है।
  3. यह दैनिक जोशवर्धक है।
  4. यह जीवन में आनंद और उत्साह बढ़ाती है।
  5. यह नपुंसकता, शिश्न की कमजोरी, शारीरिक, मानसिक और यौन दुर्बलता को दूर करने वाली दवाई है।
  6. यह वाजीकारक है और यौन इच्छा को बढ़ाने वाली दवा है।
  7. यह दवाई वीर्यवर्धक है।
  8. यह दवाई शीघ्रपतन जिसे इंग्लिश में प्रीमेच्योर एजाकुलेशन कहते है को दूर करती है।
  9. यह स्ट्रेस, थकान को दूर करती है।
  10. यह शरीर को उर्जा तथा शक्ति देती है।
  11. इसका २-३ महीने लगातार सेवन करने से यौन अंगों को ताकत मिलती है और इनफर्टिलिटी की समस्या दूर होती है।
  12. झंडू विगोरेक्स के चिकित्सीय उपयोग Uses of Zandu Vigorex

  13. कमजोरी, थकावट उर्जा की कमी
  14. स्नायु की दुर्बलता
  15. शीघ्र पतन, स्तम्भन दोष, इन्द्रिय की शिथिलता-निस्तेज होना
  16. धातु की कमी
  17. प्रमेह
  18. मूत्र रोग
  19. बुढ़ापे की कमज़ोरी
  20. वीर्य दोष
  21. शुक्र दोष
  22. यौन दुर्बलता

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Zandu Vigorex

  • 1 या 2 कैप्सूल (ज़रूरत के अनुसार), दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे दूध, रबड़ी या मलाई के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधानियाँ

  • यह दवा बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • दवा का सेवन निर्धारित मात्रा में ही करे।
  • अधिक मात्रा में सेवन हानिप्रद हो सकता है।

कहाँ से खरीदें

इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।

फोर्टेज टेबलेट Alarsin Fortege Tablets Detail and Uses in Hindi

$
0
0

फोर्टेज टेबलेट एलारसिन द्वारा निर्मित हर्बल आयुर्वेदिक दवाई है। इसके सेवन से शरीर में उर्जा, शक्ति, और प्रजनन क्षमता में सुधार होता है। यह बढ़े हुए प्रोस्टेट, थकान, मांसपेशियों-नसों और यौन कमजोरी में फायदेमंद है।

इसमें जीवंती है जो की एक उत्तेजक और टॉनिक है। जीवंती शरीर की ऊर्जा के स्तर को बढ़ा देता है। यह सूजन को दूर करने वाली जड़ी-बूटी है। इसका प्रयोग यौन रोग के इलाज के लिए किया जाता है। इस जड़ी बूटी का मुख्य असर मूत्र और जननांगों अंगों पर पड़ता है। जीवंती दुर्बलता या ऊर्जा की कमी से पीड़ित लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।

इसका एक और मुख्य घटक कम्बोजी है, जो की उष्णकटिबंधीय हिमालय तथा डेक्कन प्रायद्वीप की चट्टानी पहाड़ी ढलानों पर पाया जाने वाला पौधा है। कम्बोजी दूसरे घटकों के असर को बढ़ाता है।

फोर्टेज टेबलेट में कुचला है, जो की बहुत ही जहरीला है। यह गैस्ट्रो आंत्र ट्रैक्ट को उत्तेजित करता है और अपच में इस्तेमाल किया जाता है। यह पुरानी कब्ज़, भूख न लगना, आदि को दूर करता है। यह शरीर में खून के दौरे और रक्तचाप को बढ़ाता है। यह बहुत ही नियंत्रित मात्रा में दिया जाता है।

Alarsin Fortege Tablets improves the total count and the motility of the sperms. It is good herbal medicine with no side effects in ameliorating oligospermia and sexual weakness. It gives energy and cures debility. It specially works on urinary and reproductive system. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

फोर्टेज टेबलेट के घटक Ingredients of Alarsin Fortege Tablets

प्रत्येक टेबलेट में:

  • जीवंती Jeevanti Leptadenia reticulata 56.5 mg
  • कम्बोजी Kamboji Breynia patens 56.0 mg
  • केवांच Kevanch Beej 30.0 mg
  • कुचला Suddha Kuchla Strychinos Nux Vomica 30.0 mg
  • समुद्रशोक बीज Samudra Shokha Beej Salvia plebeia 15.0 mg
  • वर्धरा बीज Vardhara Beej Rourea santoloides 15.0 mg
  • अश्वगंधा Ashwagandha 15.0 mg
  • वर्धरा मूल Vardhara Mool 15.0 mg
  • लौंग Lavang 7.5 mg
  • पिप्पली Pippali 7.5 mg
  • वच Vacha Acorus calamus 7.5 mg
  • काली मिर्च Kali Mirch 7.5 mg
  • सोंठ Sunthi 7.5 mg
  • कबाब चीनी Kabab Chini 7.5 mg
  • अकरकरा Akarkara 7.5 mg
  • सफ़ेद चन्दन Safed Chandan 4.5 mg
  • जायफल Jaiphal Nutmeg 4.5 mg
  • जावित्री Javitri Mace 3.0 mg

फोर्टेज टेबलेट के लाभ/फ़ायदे Benefits of Alarsin Fortege Tablets

  • यह यौन समस्याओं के लिए गैर हार्मोनल हर्बल दवा है।
  • यह जेनिटो-यूरिनरी और नेर्वेस सिस्टम को टोन करती है।
  • यह शुक्राणुओं की संख्या और गतिशीलता में सुधार करती है और गर्भाधान में मदद करती है।
  • यह वीर्य को गाढ़ा करती है।
  • यह पुरुष और महिला दोनों के लिए कामोद्दीपक है।
  • यह तनाव, थकान और थकावट को कम कर देती है।
  • यह मांसपेशियों और तंत्रिकाओं की कमजोरी को दूर करती है।
  • यह मेटाबोलिज्म में सुधार कार्त्ति है।

फोर्टेज टेबलेट के चिकित्सीय उपयोग Uses of Alarsin Fortege Tablets

  • थकावट
  • यौन कमजोरी
  • नसों की कमजोरी
  • मांसपेशिओं की कमी
  • वीर्य का पतलापन
  • वीर्य की कमी, पतलापन
  • प्रोस्ट्रेट का बढ़ना
  • मानसिक या शारीरिक नपुंसकता, इम्पोटेंसी
  • कम शुक्राणु, शुक्रकीटों की कम गतिशीलता
  • पेशाब की जलन
  • प्रमेह रोग
  • वाजीकारक
  • रजोनिवृत्ति सिंड्रोम, स्त्रियों में काम भाव की कमी

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Alarsin Fortege Tablets

1 से 2 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें। पुरुषों में नपुंसकता के लिए, 2 गोलियाँ तीन बार छह महीनों तक लें। अल्पशुक्राणुता, शुक्राणुओं की संख्या कम है, कम शुक्राणु गतिशीलता के लिए 2 टैब्स, एक दिन में तीन बार, 3-6 महीने के लिए या जब तक गर्भाधान नहीं हो जाता तब तक लें।

इसे पानी के साथ लें।

इसे भोजन करने के बाद लें।

इस दवा में कुचला है। इसलिए इस दवा का सेवन चिकित्सक की देखरेख में ही करें।

चॉइस पिल्स Choice oral contraceptive pills Detail and Uses in Hindi

$
0
0

चॉइस पिल्स DKT India लिमिटेड द्वारा निर्मित एक गर्भनिरोधक गोली है। यह गर्भ को रोकने और बच्चों में अंतर रखने के प्रयोग की जाती है। यह एक हार्मोनल गर्भनिरोधक गोली है। यह शरीर के होरमोन सिस्टम को प्रभावित करती है।

इसमें हार्मोन एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरोन हैं जो की कृत्रिम रूप से बनाए गए है। ये दोनों हार्मोन शरीर में महिला प्रजनन अंगों पर कई तरह से काम करते हैं। यह अंडाशय यानिकि ओवरी से अंडाणु के निकलने ovulation को रोकते है, निषेचन fertilization को मुश्किल करते हैं तथा निषेचन होने पर उसके गर्भाशय में स्थापन implant को रोकते हैं।

जो भी हार्मोनल कॉण्ट्रासेप्टिव पिल्स होती हैं उनकी एक गोली रोज़, 21 दिन तक ली जाती है। फिर 7 दिनों तक कोई गोली नहीं ली जाती या यहाँ पर यह लोहे युक्त गोली ली जाती है।

यदि सही ढंग से लिया जाए तो यह गोली गर्भावस्था को रोकने में 99% से अधिक कारगर है।

Choice oral contraceptive pills is a combined hormonal contraceptive pill for preventing pregnancy. It directly affects hormones in body and hence should be taken after consulting doctor. For example it is not suitable for women above the age of 35. It should not be taken while breastfeeding. There are many medical conditions in which intake of these pills can worsen the condition. Once you stop taking the pills it may take few months to gain normal fertility as it induces temporary infertility.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

ब्रांड का नाम: DKT India

जेनरिक: लेवोनॉरजस्ट्रेल Levonorgestrel और एथिनायलोएस्ट्राडिओल Ethinyloestradiol टैब , ferrous fumerate फेरस फ्यूमरेट के साथ

गोलियां: 21 गोली + 7 गोली

चॉइस पिल्स के घटक Ingredients of Choice Pills

सफेद रंग की गोली

  • लेवोनॉरजस्ट्रेल Levonorgestrel 0.15 mg
  • एथिनाय लोएस्ट्राडिओल Ethinyloestradiol 0.03mg

प्रत्येक भूरे रंग की गोली

फेरस फ्यूमरेट ferrous fumerate 60mg equivalent to ferrous iron 19.5mg

चॉइस पिल्स गर्भावस्था को कैसे रोकती है:

  • यह हर महीने होने वाले ओवूलेशन (ओवेरी से अंडा निकलना) को रोकती है।
  • यह गर्भाशयग्रीवा के म्यूकस को गाढ़ा करती है जिससे स्पर्म, एग तक न पहुँच पायें।
  • यह गर्भाशय की लाइनिंग को पतला करती है जिसिसे निषेचन हो जाने पर भी, गर्भ में निषेचित अंडाणु न आरोपित हो पाए।

चॉइस पिल्स को कैसे लें?

  1. चॉइस पिल्स का एक पैक एक महीने के लिए है। इसमें 28 पिल्स हैं।
  2. मासिक होने के पहले दिन से इसे लेना शुरू करें।
  3. जब सभी 28 गोलियां ले ली गई हों, नया पैक लें।
  4. ऐसे तो इसे महीने के किसी भी दिन से लेना शुरू किया जा सकता है लेकिन यदि इसे पीरियड के पहले दिन से लेते हैं तो यह अनचाहे गर्भ को करीब ९९ प्रतिशत तक रोकती है। लेकिन यदि महीने के किसी भी दिन से लेना शुरू किया जाए तो यह उतनी इफेक्टिव नहीं होती और गर्भ ठहर सकता है। इसलिए ऐसे में कंडोम आदि का प्रयोग करना चाहिए।

What to do if you miss a pill?

  1. गोली को लेना भूल जाना, इसकी गर्भनिरोधन की क्षमता को कम करता है। ऐसे में गर्भ ठहर सकता है।
  2. यदि आप एक गोली लेना भूली हैं और गोली लेने में 24 घंटे से ज्यादा हो गए हैं, तो जब याद आये तो भूली वाली गोली और उस दिन की गोली, यानिकि दो गोली लें।
  3. यदि २ या ज्यादा दिन तक गोली नहीं लीं हैं, या नया पैक दो दिन से ज्यादा के अंतर पर शुरू किया है, तो ऐसे में इस गर्भावस्था होने के चांसेस बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं क्योंकि ओवरी से एग निकल सकता है और उसका निषेचन भी हो सकता है। ऐसे में २ गोली लें और फिर रोजाना की एक गोली लेते रहें।

चॉइस पिल्स के चिकित्सीय उपयोग Uses of Choice Pills

  1. गर्भ को न ठहरने देना, बच्चों में गैप रखने के लिए
  2. इसे निम्न दिक्कतों में भी दिया जाता है:
  3. पीरियड में होने वाला दर्द, तकलीफ दूर करने के लिए
  4. मासिक में ज्यादा खून जाना
  5. एंडोमेट्रिओसिस
  6. चॉइस पिल्स के लाभ
  7. गर्भ को रोकना
  8. मासिक धर्म प्रवाह और ऐंठन में कमी
  9. एनीमिया में सुधार
  10. मासिक चक्र को नियमित करना
  11. डिम्बग्रंथि और एंडोमेट्रियल कैंसर से रक्षा

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Choice Pills

  1. इसकी 21 गोलियां + 7 गोलियां हैं।
  2. मासिक के पहले दिन से गोली लेना शुरू करें।
  3. अगले 21 दिन लगातार गोली लें।
  4. फिर 7 आयरन पूरकता वाली भूरी गोली लें।
  5. इस गोली को रोज़ एक ही समय पर लिया जाना चाहिए।
  6. दवा के सेवन के बाद २ घंटे पर उल्टी हो जाने पर, गंभीर दस्त (एक दिन में 6-8 बार) आदि होने पर गर्भावस्था हो सकती है। ऐसे में कंडोम का प्रयोग करें और गोली लेना भी जारी रखें।
  7. उलटी हो जाने पर दूसरी गोली लें।

Who should not take the pill?

  1. गर्भावस्था में
  2. 35 वर्ष से अधिक महिला
  3. धूम्रपान करने वाली महिला
  4. अधिक वज़न में
  5. थ्रोम्बोसिस (खून का थक्का)
  6. हृदय रोग, उच्च रक्तचाप
  7. गंभीर सिरदर्द, माईग्रेन
  8. स्तन कैंसर
  9. या लीवर की या पित्ताशय की थैली की बीमारी
  10. मधुमेह
  11. बच्चा होने के बाद
  12. बच्चा होने के बाद यदि आप स्तनपान नहीं करा रही तो जन्म के बाद 21 दिन पर गोली शुरू कर सकती हैं।
  13. स्तनपान कराते समय इसका सेवन न करें।
  14. गर्भपात के बाद
  15. या जिन्हें किसी तरह की अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हों, के लिए उपयुक्त नहीं हैं।
  16. यह गोली यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) के खिलाफ की रक्षा नहीं करती।

चॉइस पिल्स के नुकसान

  1. मतली और चक्कर
  2. स्तनों में दर्द
  3. सिरदर्द, माइग्रेन
  4. उच्च रक्तचाप
  5. वज़न बढ़ना
  6. मासिक के बीच में योनि से खून जाना
  7. मस्तिष्कीय रक्तस्राव
  8. मस्तिष्कीय रक्तस्राव
  9. पित्ताशय की थैली के रोग
  10. रेटिना थ्रोम्बोसिस
  11. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण
  12. अस्थाई बांझपन
  13. एडेमा / द्रव प्रतिधारण
  14. मासिक स्राव में परिवर्तन
  15. एलर्जी
  16. अवसाद सहित मनोदशा में बदलाव
  17. Vaginitis, कैंडिडिआसिस
  18. कॉन्टेक्ट लेंस लगाने पर परेशानी
  19. सीरम फोलेट स्तर में कमी आदि

ऐ-केयर एबॉर्शन पिल्स a-Kare Detail and Uses in Hindi

$
0
0

ऐ-केयर एक ऐलोपथिक प्रिसक्रिप्शन ड्रग (डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर मिलने वाली ) है जिसे गर्भपात कराने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसमें मीफेप्रिस्टोन 200 mg की एक गोली और माईज़ोप्रोस्टोल की 0.2 mg की चार गोलियां है। पहले मीफेप्रिस्टोन की गोली खाली पेट ली जाती है जो की गर्भावस्था के लिए हार्मोन प्रोजेस्टेरोन को रोकती है। यह सर्विक्स (गर्भाशय की गर्दन) को मुलायम करती है। फिर माईज़ोप्रोस्टोल की चार गोलियां 24 – 48 घंटे के अन्दर ली जाती हैं, जो की गर्भाशय से पदार्थ को बाहर करने का काम करते हैं।

यहाँ यह जानना बहुत ज़रूरी है की माईज़ोप्रोस्टोल को 24 घंटे से पहले और 48 घंटे के बाद लेने से दवा सही प्रकार से काम नहीं करती। इसलिए इसे 24 – 48 घंटे के बीच में लेना चाहिए।

इस दवा के सेवन से गर्भपात घर पर ही करवाया जा सकता है, लेकिन यह ज़रूरी है की ऐसा डॉक्टर की निगरानी में हो। पहले तो गर्भावस्था का कंफ़र्म होना आवश्यक है। यह भी पता लगाना ज़रुरी है की यह गर्भाशय में है या फालोपियन ट्यूब में। ऐसा डॉक्टर द्वारा अल्ट्रासाउंड द्वारा पता लगाया जाता है। दवा लेने के बाद, यह पता करने के लिए की एबॉर्शन पूरा हुआ की नहीं 15 दिनों के बाद फिर से एक अल्ट्रासाउंड किया जाता है। यदि एबॉर्शन न हुआ हो तो इसे दुबारा दवा दे कर या सर्जरी द्वारा निकला जाता है।

इस दवा के सेवन के बाद गर्भावस्था को नहीं चलने देना चाहिए क्योंकि बच्चे में बहुत सी जन्मजात विकृतियाँ हो जाती है।

ब्रांड का नाम : डीकेटी

जेनरिक: माईज़ोप्रोस्टोल और मीफेप्रिस्टोन

ऐ-केयर की प्रेगनेंसी केटेगरी:

केटेगरी एक्स X – मानव तथा पशुओं में किये गए अध्ययन, होने वाले बच्चों में असामान्यताओं fetal abnormalities को दिखाते है। इसका प्रयोग गर्भावस्था में वर्जित है।

Abortion pills can only be taken under supervision.

a-Kare is an abortion pill. It contains Mifepristone and Misoprostol. They are taken to induce labour when a decision has been made to stop a pregnancy.

Mifepristone blocks the pregnancy hormone progesterone which is needed to maintain a pregnancy. Blocking of hormone causes the lining of the uterus to change. Cervix (neck of the uterus) softens and the uterus is more likely to contract and labour when the second medication Misoprostol is given. Mifepristone decreases the time a woman may spend in labour from beginning induction of labour to the birth or miscarriage.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

ऐ-केयर के घटक Ingredients of a-Kare

माईज़ोप्रोस्टोल और मीफेप्रिस्टोन

ऐ-केयर के चिकित्सीय उपयोग Uses of a-Kare

यह दवा केवल एबॉर्शन कराने के लिए प्रयोग की जाती है। यह एक प्रिसक्रिप्शन ड्रग है और डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर मिलती है।

सेवन विधि और मात्रा Dosage of a-Kare

नोट: यह प्रिस्क्रिप्शन ड्रग है।

  1. इसे गर्भावस्था की पुष्टि के बाद, डॉक्टर के निर्देशानुसार ही लें।
  2. गर्भावस्था की पुष्टि के लिए अल्ट्रासाउंड pelvic ultrasound scan कराएं। इससे यह गर्भ कितने दिन का है व इसकी जगह ठीक से पता हो सकेगा inside the uterus / ectopic
  3. यह गोलियां गर्भपात कराने में 96% तक कारगर हैं.
  4. इनको लेने के बाद भी कुछ मामलों में यह संभावना रह ही जाती है की गर्भपात सही से न हो, बहुत खून जाए, इन्फेक्शन हो जाए या यह गोली काम न करे।
  5. आम तौर पर 1 टेबलेट मीफेप्रिस्टोन Mifepristone की पहले ली जाती है। इसे खाली पेट लेना होता है।
  6. फिर 48 घंटे बाद माईज़ोप्रोस्टोल Misoprostol की 4 गोलियाँ मुंह से ली जाती हैं या योनि के रास्ते गर्भ में डाली जाती हैं ।
  7. कुछ घंटों में 3-4 hours दर्द cramps के साथ बहुत अधिक ब्लीडिंग heavy bleeding शुरू हो जाती है। ब्लीडिंग के साथ टिश्यू tissue और क्लोट्स clots भी होते हैं। ब्लीडिंग के साथ कुछ सफ़ेद सा डिस्चार्ज भी हो सकता है जो की फ़ीटस के पार्ट्स होते हैं।
  8. ब्लीडिंग कुछ दिनों तक काफी मात्रा में जारी रहती है।
  9. ब्लीडिंग के दौरान पैड्स का इस्तेमाल करें।
  10. ब्लीडिंग पीरियड्स की ब्लीडिंग से ज्यादा होनी चाहिए।
  11. दर्द को कम करने के लिये ब्रूफेन ले सकते हैं। एस्पिरिन नहीं लेनी चाहिए।
  12. अगर एबॉर्शन होता तो माईज़ोप्रोस्टोल को डॉक्टर के निर्देश से फिर से लेना पड़ सकता है।
  13. योनि से ब्लीडिंग एक महीने तक जारी रह सकती है।
  14. यह अनिवार्य है की 15 दिनों के बाद एकअल्ट्रा साउंड स्कैन किया जाए जिससे यह पता लग सके की गर्भपात पूरा सही तरीके से हुआ है और गर्भाशय अब खाली है.
  15. गर्भपात के बाद दुबारा पीरियड्स कुछ महीनों में सामान्य हो पाते हैं।

पिल्स के द्वारा गर्भपात कराने के लाभ

  1. इसे घर पर ही किया जा सकता है।
  2. पिल्स के द्वारा गर्भपात कराने के नुकसान / साइड-इफेक्ट्स
  3. अपूर्ण गर्भपात
  4. भारी मात्रा में रक्तस्राव
  5. संक्रमण
  6. गर्भाशय में ब्लड क्लोट्स
  7. बुखार, चक्कर आना
  8. कमजोरी, हेमरेज
  9. ऐंठन, उलटी
  10. दर्द, सर में दर्द

इसे न लें यदि Contraindications

  1. गर्भ 9 सप्ताह से ज्यादा का हो
  2. एक्टोपिक प्रेगनेंसी
  3. पोरफाइरिया porphyria
  4. रक्त विकार जिसमे खून बहना न रुकता हो
  5. ब्लड क्लोटिंग डिसऑर्डर अधिवृक्क विफलता adrenal failure
  6. आईयूडी IUD लगी हो
  7. स्टेरॉयड दवा का सेवन
  8. गंभीर यकृत विफलता
  9. कुछ स्त्री रोग, गंभीर श्रोणि संक्रमण

अन्वान्टिड-किट एबॉर्शन पिल्स Unwanted kit Detail and Uses in Hindi

$
0
0

अन्वान्टिड-किट एक ऐलोपथिक प्रिसक्रिप्शन ड्रग (डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर मिलने वाली ) है जिसे गर्भपात कराने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसमें मीफेप्रिस्टोन 200 mg की एक गोली और माईज़ोप्रोस्टोल की 0.2 mg की चार गोलियां है। पहले मीफेप्रिस्टोन की गोली खाली पेट ली जाती है जो की गर्भावस्था के लिए हार्मोन प्रोजेस्टेरोन को रोकती है। यह सर्विक्स (गर्भाशय की गर्दन) को मुलायम करती है। फिर माईज़ोप्रोस्टोल की चार गोलियां 24 – 48 घंटे के अन्दर ली जाती हैं, जो की गर्भाशय से पदार्थ को बाहर करने का काम करते हैं।

यहाँ यह जानना बहुत ज़रूरी है की माईज़ोप्रोस्टोल को 24 घंटे से पहले और 48 घंटे के बाद लेने से दवा सही प्रकार से काम नहीं करती। इसलिए इसे 24 – 48 घंटे के बीच में लेना चाहिए।

इस दवा के सेवन से गर्भपात घर पर ही करवाया जा सकता है, लेकिन यह ज़रूरी है की ऐसा डॉक्टर की निगरानी में हो। पहले तो गर्भावस्था का कंफ़र्म होना आवश्यक है। यह भी पता लगाना ज़रुरी है की यह गर्भाशय में है या फालोपियन ट्यूब में। ऐसा डॉक्टर द्वारा अल्ट्रासाउंड द्वारा पता लगाया जाता है। दवा लेने के बाद, यह पता करने के लिए की एबॉर्शन पूरा हुआ की नहीं 15 दिनों के बाद फिर से एक अल्ट्रासाउंड किया जाता है। यदि एबॉर्शन न हुआ हो तो इसे दुबारा दवा दे कर या सर्जरी द्वारा निकला जाता है।

इस दवा के सेवन के बाद गर्भावस्था को नहीं चलने देना चाहिए क्योंकि बच्चे में बहुत सी जन्मजात विकृतियाँ हो जाती है।

ब्रांड का नाम : मैनकाइंड फार्मा

जेनरिक: माईज़ोप्रोस्टोल और मीफेप्रिस्टोन

अन्वान्टिड-किट की प्रेगनेंसी केटेगरी:

केटेगरी एक्स X – मानव तथा पशुओं में किये गए अध्ययन, होने वाले बच्चों में असामान्यताओं fetal abnormalities को दिखाते है। इसका प्रयोग गर्भावस्था में वर्जित है।

Abortion pills can only be taken under supervision.

Unwanted kit is an abortion pill. It contains Mifepristone and Misoprostol. They are taken to induce labour when a decision has been made to stop a pregnancy.

Mifepristone blocks the pregnancy hormone progesterone which is needed to maintain a pregnancy. Blocking of hormone causes the lining of the uterus to change. Cervix (neck of the uterus) softens and the uterus is more likely to contract and labour when the second medication Misoprostol is given. Mifepristone decreases the time a woman may spend in labour from beginning induction of labour to the birth or miscarriage.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

अन्वान्टिड-किट के घटक Ingredients of Unwanted kit

  • माईज़ोप्रोस्टोल और मीफेप्रिस्टोन
  • अन्वान्टिड-किट के चिकित्सीय उपयोग Uses of Unwanted kit
  • यह दवा केवल एबॉर्शन कराने के लिए प्रयोग की जाती है। यह एक प्रिसक्रिप्शन ड्रग है और डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर मिलती है।

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Unwanted kit

नोट: यह प्रिस्क्रिप्शन ड्रग है।

  1. इसे गर्भावस्था की पुष्टि के बाद, डॉक्टर के निर्देशानुसार ही लें।
  2. गर्भावस्था की पुष्टि के लिए अल्ट्रासाउंड pelvic ultrasound scan कराएं। इससे यह गर्भ कितने दिन का है व इसकी जगह ठीक से पता हो सकेगा inside the uterus / ectopic
  3. यह गोलियां गर्भपात कराने में 96% तक कारगर हैं.
  4. इनको लेने के बाद भी कुछ मामलों में यह संभावना रह ही जाती है की गर्भपात सही से न हो, बहुत खून जाए, इन्फेक्शन हो जाए या यह गोली काम न करे।
  5. आम तौर पर 1 टेबलेट मीफेप्रिस्टोन Mifepristone की पहले ली जाती है। इसे खाली पेट लेना होता है।
  6. फिर 48 घंटे बाद माईज़ोप्रोस्टोल Misoprostol की 4 गोलियाँ मुंह से ली जाती हैं या योनि के रास्ते गर्भ में डाली जाती हैं ।
  7. कुछ घंटों में 3-4 hours दर्द cramps के साथ बहुत अधिक ब्लीडिंग heavy bleeding शुरू हो जाती है। ब्लीडिंग के साथ टिश्यू tissue और क्लोट्स clots भी होते हैं। ब्लीडिंग के साथ कुछ सफ़ेद सा डिस्चार्ज भी हो सकता है जो की फ़ीटस के पार्ट्स होते हैं।
  8. ब्लीडिंग कुछ दिनों तक काफी मात्रा में जारी रहती है।
  9. ब्लीडिंग के दौरान पैड्स का इस्तेमाल करें।
  10. ब्लीडिंग पीरियड्स की ब्लीडिंग से ज्यादा होनी चाहिए।
  11. दर्द को कम करने के लिये ब्रूफेन ले सकते हैं। एस्पिरिन नहीं लेनी चाहिए।
  12. अगर एबॉर्शन होता तो माईज़ोप्रोस्टोल को डॉक्टर के निर्देश से फिर से लेना पड़ सकता है।
  13. योनि से ब्लीडिंग एक महीने तक जारी रह सकती है।
  14. यह अनिवार्य है की 15 दिनों के बाद एकअल्ट्रा साउंड स्कैन किया जाए जिससे यह पता लग सके की गर्भपात पूरा सही तरीके से हुआ है और गर्भाशय अब खाली है.
  15. गर्भपात के बाद दुबारा पीरियड्स कुछ महीनों में सामान्य हो पाते हैं।
  16. पिल्स के द्वारा गर्भपात कराने के लाभ
  17. इसे घर पर ही किया जा सकता है।

पिल्स के द्वारा गर्भपात कराने के नुकसान / साइड-इफेक्ट्स

  1. अपूर्ण गर्भपात
  2. भारी मात्रा में रक्तस्राव
  3. संक्रमण
  4. गर्भाशय में ब्लड क्लोट्स
  5. बुखार, चक्कर आना
  6. कमजोरी, हेमरेज
  7. ऐंठन, उलटी
  8. दर्द, सर में दर्द

इसे न लें यदि Contraindications

  1. गर्भ 9 सप्ताह से ज्यादा का हो
  2. एक्टोपिक प्रेगनेंसी
  3. पोरफाइरिया porphyria
  4. रक्त विकार जिसमे खून बहना न रुकता हो
  5. ब्लड क्लोटिंग डिसऑर्डर अधिवृक्क विफलता adrenal failure
  6. आईयूडी IUD लगी हो
  7. स्टेरॉयड दवा का सेवन
  8. गंभीर यकृत विफलता
  9. कुछ स्त्री रोग, गंभीर श्रोणि संक्रमण

मिफेजेस्ट किट एबॉर्शन पिल्स Mifegest Kit Detail and Uses in Hindi

$
0
0

मिफेजेस्ट किट एक ऐलोपथिक प्रिसक्रिप्शन ड्रग (डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर मिलने वाली ) है जिसे गर्भपात कराने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसमें मीफेप्रिस्टोन 200 mg की एक गोली और माईज़ोप्रोस्टोल की 0.2 mg (200 mcg) की चार गोलियां है। पहले मीफेप्रिस्टोन की गोली खाली पेट ली जाती है जो की गर्भावस्था के लिए हार्मोन प्रोजेस्टेरोन को रोकती है। यह सर्विक्स (गर्भाशय की गर्दन) को मुलायम करती है। फिर माईज़ोप्रोस्टोल की चार गोलियां 24 – 48 घंटे के अन्दर ली जाती हैं, जो की गर्भाशय से पदार्थ को बाहर करने का काम करते हैं।

यहाँ यह जानना बहुत ज़रूरी है की माईज़ोप्रोस्टोल को 24 घंटे से पहले और 48 घंटे के बाद लेने से दवा सही प्रकार से काम नहीं करती। इसलिए इसे 24 – 48 घंटे के बीच में लेना चाहिए।

इस दवा के सेवन से गर्भपात घर पर ही करवाया जा सकता है, लेकिन यह ज़रूरी है की ऐसा डॉक्टर की निगरानी में हो। पहले तो गर्भावस्था का कंफ़र्म होना आवश्यक है। यह भी पता लगाना ज़रुरी है की यह गर्भाशय में है या फालोपियन ट्यूब में। ऐसा डॉक्टर द्वारा अल्ट्रासाउंड द्वारा पता लगाया जाता है। दवा लेने के बाद, यह पता करने के लिए की एबॉर्शन पूरा हुआ की नहीं 15 दिनों के बाद फिर से एक अल्ट्रासाउंड किया जाता है। यदि एबॉर्शन न हुआ हो तो इसे दुबारा दवा दे कर या सर्जरी द्वारा निकला जाता है।

इस दवा के सेवन के बाद गर्भावस्था को नहीं चलने देना चाहिए क्योंकि बच्चे में बहुत सी जन्मजात विकृतियाँ हो जाती है।

ब्रांड का नाम : कैडिला

जेनरिक: माईज़ोप्रोस्टोल और मीफेप्रिस्टोन

मिफेजेस्ट किट की प्रेगनेंसी केटेगरी:

केटेगरी एक्स X – मानव तथा पशुओं में किये गए अध्ययन, होने वाले बच्चों में असामान्यताओं fetal abnormalities को दिखाते है। इसका प्रयोग गर्भावस्था में वर्जित है।

Abortion pills can only be taken under supervision.

Mifegest Kit is an abortion pill. It contains Mifepristone and Misoprostol. They are taken to induce labour when a decision has been made to stop a pregnancy.

Mifepristone blocks the pregnancy hormone progesterone which is needed to maintain a pregnancy. Blocking of hormone causes the lining of the uterus to change. Cervix (neck of the uterus) softens and the uterus is more likely to contract and labour when the second medication Misoprostol is given. Mifepristone decreases the time a woman may spend in labour from beginning induction of labour to the birth or miscarriage.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

मिफेजेस्ट किट के घटक Ingredients of Mifegest Kit

  1. मीफेप्रिस्टोन 1 tablet 200 mg और माईज़ोप्रोस्टोल 4 tablets 200 mcg
  2. मिफेजेस्ट किट के चिकित्सीय उपयोग Uses of Mifegest Kit
  3. यह दवा केवल एबॉर्शन कराने के लिए प्रयोग की जाती है। यह एक प्रिसक्रिप्शन ड्रग है और डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर मिलती है।

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Mifegest Kit

नोट: यह प्रिस्क्रिप्शन ड्रग है।

  1. इसे गर्भावस्था की पुष्टि के बाद, डॉक्टर के निर्देशानुसार ही लें।
  2. गर्भावस्था की पुष्टि के लिए अल्ट्रासाउंड pelvic ultrasound scan कराएं। इससे यह गर्भ कितने दिन का है व इसकी जगह ठीक से पता हो सकेगा inside the uterus / ectopic
  3. यह गोलियां गर्भपात कराने में 96% तक कारगर हैं.
  4. इनको लेने के बाद भी कुछ मामलों में यह संभावना रह ही जाती है की गर्भपात सही से न हो, बहुत खून जाए, इन्फेक्शन हो जाए या यह गोली काम न करे।
  5. आम तौर पर 1 टेबलेट मीफेप्रिस्टोन Mifepristone की पहले ली जाती है। इसे खाली पेट लेना होता है।
  6. फिर 48 घंटे बाद माईज़ोप्रोस्टोल Misoprostol की 4 गोलियाँ मुंह से ली जाती हैं या योनि के रास्ते गर्भ में डाली जाती हैं ।
  7. कुछ घंटों में 3-4 hours दर्द cramps के साथ बहुत अधिक ब्लीडिंग heavy bleeding शुरू हो जाती है। ब्लीडिंग के साथ टिश्यू tissue और क्लोट्स clots भी होते हैं। ब्लीडिंग के साथ कुछ सफ़ेद सा डिस्चार्ज भी हो सकता है जो की फ़ीटस के पार्ट्स होते हैं।
  8. ब्लीडिंग कुछ दिनों तक काफी मात्रा में जारी रहती है।
  9. ब्लीडिंग के दौरान पैड्स का इस्तेमाल करें।
  10. ब्लीडिंग पीरियड्स की ब्लीडिंग से ज्यादा होनी चाहिए।
  11. दर्द को कम करने के लिये ब्रूफेन ले सकते हैं। एस्पिरिन नहीं लेनी चाहिए।
  12. अगर एबॉर्शन होता तो माईज़ोप्रोस्टोल को डॉक्टर के निर्देश से फिर से लेना पड़ सकता है।
  13. योनि से ब्लीडिंग एक महीने तक जारी रह सकती है।
  14. यह अनिवार्य है की 15 दिनों के बाद एकअल्ट्रा साउंड स्कैन किया जाए जिससे यह पता लग सके की गर्भपात पूरा सही तरीके से हुआ है और गर्भाशय अब खाली है.
  15. गर्भपात के बाद दुबारा पीरियड्स कुछ महीनों में सामान्य हो पाते हैं।

पिल्स के द्वारा गर्भपात कराने के लाभ

  1. इसे घर पर ही किया जा सकता है।
  2. पिल्स के द्वारा गर्भपात कराने के नुकसान / साइड-इफेक्ट्स
  3. अपूर्ण गर्भपात
  4. भारी मात्रा में रक्तस्राव
  5. संक्रमण
  6. गर्भाशय में ब्लड क्लोट्स
  7. बुखार, चक्कर आना
  8. कमजोरी, हेमरेज
  9. ऐंठन, उलटी
  10. दर्द, सर में दर्द

इसे न लें यदि Contraindications

  1. गर्भ 9 सप्ताह से ज्यादा का हो
  2. एक्टोपिक प्रेगनेंसी
  3. पोरफाइरिया porphyria
  4. रक्त विकार जिसमे खून बहना न रुकता हो
  5. ब्लड क्लोटिंग डिसऑर्डर अधिवृक्क विफलता adrenal failure
  6. आईयूडी IUD लगी हो
  7. स्टेरॉयड दवा का सेवन
  8. गंभीर यकृत विफलता
  9. कुछ स्त्री रोग, गंभीर श्रोणि संक्रमण

एमटीपी किट एबॉर्शन पिल्स MTP Kit Detail and Uses in Hindi

$
0
0

एमटीपी किट एक ऐलोपथिक प्रिसक्रिप्शन ड्रग (डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर मिलने वाली ) है जिसे गर्भपात कराने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसमें मीफेप्रिस्टोन 200 mg की एक गोली और माईज़ोप्रोस्टोल की 0.2 mg (200 mcg) की चार गोलियां है। पहले मीफेप्रिस्टोन की गोली खाली पेट ली जाती है जो की गर्भावस्था के लिए हार्मोन प्रोजेस्टेरोन को रोकती है। यह सर्विक्स (गर्भाशय की गर्दन) को मुलायम करती है। फिर माईज़ोप्रोस्टोल की चार गोलियां 24 – 48 घंटे के अन्दर ली जाती हैं, जो की गर्भाशय से पदार्थ को बाहर करने का काम करते हैं।

यहाँ यह जानना बहुत ज़रूरी है की माईज़ोप्रोस्टोल को 24 घंटे से पहले और 48 घंटे के बाद लेने से दवा सही प्रकार से काम नहीं करती। इसलिए इसे 24 – 48 घंटे के बीच में लेना चाहिए।

इस दवा के सेवन से गर्भपात घर पर ही करवाया जा सकता है, लेकिन यह ज़रूरी है की ऐसा डॉक्टर की निगरानी में हो। पहले तो गर्भावस्था का कंफ़र्म होना आवश्यक है। यह भी पता लगाना ज़रुरी है की यह गर्भाशय में है या फालोपियन ट्यूब में। ऐसा डॉक्टर द्वारा अल्ट्रासाउंड द्वारा पता लगाया जाता है। दवा लेने के बाद, यह पता करने के लिए की एबॉर्शन पूरा हुआ की नहीं 15 दिनों के बाद फिर से एक अल्ट्रासाउंड किया जाता है। यदि एबॉर्शन न हुआ हो तो इसे दुबारा दवा दे कर या सर्जरी द्वारा निकला जाता है।

इस दवा के सेवन के बाद गर्भावस्था को नहीं चलने देना चाहिए क्योंकि बच्चे में बहुत सी जन्मजात विकृतियाँ हो जाती है।

ब्रांड का नाम : कैडिला

जेनरिक: माईज़ोप्रोस्टोल और मीफेप्रिस्टोन

एमटीपी किट की प्रेगनेंसी केटेगरी:

केटेगरी एक्स X – मानव तथा पशुओं में किये गए अध्ययन, होने वाले बच्चों में असामान्यताओं fetal abnormalities को दिखाते है। इसका प्रयोग गर्भावस्था में वर्जित है।

Abortion pills can only be taken under supervision.

MTP Kit is an abortion pill. It contains Mifepristone and Misoprostol. They are taken to MTP (medical termination of preganacy) when a decision has been made to stop a pregnancy.

Mifepristone blocks the pregnancy hormone progesterone which is needed to maintain a pregnancy. Blocking of hormone causes the lining of the uterus to change. Cervix (neck of the uterus) softens and the uterus is more likely to contract and labour when the second medication Misoprostol is given. Mifepristone decreases the time a woman may spend in labour from beginning induction of labour to the birth or miscarriage.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

एमटीपी किट के घटक Ingredients of MTP Kit

मीफेप्रिस्टोन 1 tablet 200 mg और माईज़ोप्रोस्टोल 4 tablets 200 mcg

एमटीपी किट के चिकित्सीय उपयोग Uses of MTP Kit

यह दवा केवल एबॉर्शन कराने के लिए प्रयोग की जाती है। यह एक प्रिसक्रिप्शन ड्रग है और डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर मिलती है।

सेवन विधि और मात्रा Dosage of MTP Kit

नोट: यह प्रिस्क्रिप्शन ड्रग है।

  1. इसे गर्भावस्था की पुष्टि के बाद, डॉक्टर के निर्देशानुसार ही लें।
  2. गर्भावस्था की पुष्टि के लिए अल्ट्रासाउंड pelvic ultrasound scan कराएं। इससे यह गर्भ कितने दिन का है व इसकी जगह ठीक से पता हो सकेगा inside the uterus / ectopic
  3. यह गोलियां गर्भपात कराने में 96% तक कारगर हैं.
  4. इनको लेने के बाद भी कुछ मामलों में यह संभावना रह ही जाती है की गर्भपात सही से न हो, बहुत खून जाए, इन्फेक्शन हो जाए या यह गोली काम न करे।
  5. आम तौर पर 1 टेबलेट मीफेप्रिस्टोन Mifepristone की पहले ली जाती है। इसे खाली पेट लेना होता है।
  6. फिर 48 घंटे बाद माईज़ोप्रोस्टोल Misoprostol की 4 गोलियाँ मुंह से ली जाती हैं या योनि के रास्ते गर्भ में डाली जाती हैं ।
  7. कुछ घंटों में 3-4 hours दर्द cramps के साथ बहुत अधिक ब्लीडिंग heavy bleeding शुरू हो जाती है। ब्लीडिंग के साथ टिश्यू tissue और क्लोट्स clots भी होते हैं। ब्लीडिंग के साथ कुछ सफ़ेद सा डिस्चार्ज भी हो सकता है जो की फ़ीटस के पार्ट्स होते हैं।
  8. ब्लीडिंग कुछ दिनों तक काफी मात्रा में जारी रहती है।
  9. ब्लीडिंग के दौरान पैड्स का इस्तेमाल करें।
  10. ब्लीडिंग पीरियड्स की ब्लीडिंग से ज्यादा होनी चाहिए।
  11. दर्द को कम करने के लिये ब्रूफेन ले सकते हैं। एस्पिरिन नहीं लेनी चाहिए।
  12. अगर एबॉर्शन होता तो माईज़ोप्रोस्टोल को डॉक्टर के निर्देश से फिर से लेना पड़ सकता है।
  13. योनि से ब्लीडिंग एक महीने तक जारी रह सकती है।
  14. यह अनिवार्य है की 15 दिनों के बाद एकअल्ट्रा साउंड स्कैन किया जाए जिससे यह पता लग सके की गर्भपात पूरा सही तरीके से हुआ है और गर्भाशय अब खाली है.
  15. गर्भपात के बाद दुबारा पीरियड्स कुछ महीनों में सामान्य हो पाते हैं।

पिल्स के द्वारा गर्भपात कराने के लाभ

  1. इसे घर पर ही किया जा सकता है।
  2. पिल्स के द्वारा गर्भपात कराने के नुकसान / साइड-इफेक्ट्स
  3. अपूर्ण गर्भपात
  4. भारी मात्रा में रक्तस्राव
  5. संक्रमण
  6. गर्भाशय में ब्लड क्लोट्स
  7. बुखार, चक्कर आना
  8. कमजोरी, हेमरेज
  9. ऐंठन, उलटी
  10. दर्द, सर में दर्द

इसे न लें यदि Contraindications

  1. गर्भ 9 सप्ताह से ज्यादा का हो
  2. एक्टोपिक प्रेगनेंसी
  3. पोरफाइरिया porphyria
  4. रक्त विकार जिसमे खून बहना न रुकता हो
  5. ब्लड क्लोटिंग डिसऑर्डर अधिवृक्क विफलता adrenal failure
  6. आईयूडी IUD लगी हो
  7. स्टेरॉयड दवा का सेवन
  8. गंभीर यकृत विफलता
  9. कुछ स्त्री रोग, गंभीर श्रोणि संक्रमण

प्रेगान्यूज़ Prega News for Detecting Pregnancy in Hindi

$
0
0

प्रेगान्यूज़, घर पर ही गर्भावस्था का पता लगाने वाला कार्ड है जो की सभी मेडिकल दुकानों पर उपलब्ध है। आप अपने घर पर गोपनीयता के साथ पर गर्भावस्था है या नहीं पता लगा सकती हैं। इस परीक्षण को करना बहुत ही आसान है। मूत्र की कुछ बूँदें निर्दिष्ट स्थान पर कार्ड पर डाली जाती हैं और परिणाम पढ़ा जाता है। अगर परिणाम में दो अलग-अलग लाइनें दिखाई देती हैं तो यह सकारात्मक positive है और गर्भ ठहर गया है। एक लाइन में कण्ट्रोल लाइन (सी) और एक अन्य लाइन में टेस्ट / परीक्षण लाइन (टी) होनी चाहिए। जब केवल एक ही लाइन दिखाई दे तो परिणाम नकारात्मक negative है।

preganews

ब्रांड: मैनकाइंड फार्मा

मूल्य: एमआरपी 50 रुपए

एचसीजी मूत्र परीक्षण का सिद्धांत

यह कार्ड गर्भावस्था का पता लगाने के लिए मूत्र में एचसीजी hCG (ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन) की उपस्थिति या अनुपस्थिति का पता लगाता है।

ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) एक ग्लाइकोप्रोटीन हार्मोन हैं जो की निषेचन के बाद नाल द्वारा स्रावित होता है। सामान्य गर्भावस्था में एचसीजी मूत्र व सीरम में पाया जाता है।

आरोपण के एक सप्ताह के भीतर एचसीजी का स्तर 5-50 mIU/m होता है। पहली मिस्ड माहवारी के समय, मूत्र और सीरम में एचसीजी का स्तर 100 mIU/ml होता है। एचसीजी स्तर गर्भावस्था के पहले 10 सप्ताह के दौरान तेजी से बढ़ता है और पहली तिमाही के अंत में यह 100,000-200,000 mIU/m तक पहुँच जाता है।

एचसीजी परीक्षण कार्ड बहुत ही संवेदनशील होता है और 25 mIU/mL की एचसीजी मात्रा का पता लगा सकता है और मिस्ड पीरियड के अगले दिन पर ही गर्भावस्था का पता लगाने में सक्षम है।

पैक के अंदर क्या है?

  1. एक कार्ड – गर्भावस्था के आसान पता लगाने के लिए
  2. एक ड्रॉपर – मूत्र की बूँदें इकट्ठा करने के लिए
  3. गर्भावस्था का पता लगाने के लिए कार्ड का प्रयोग कैसे करें?
  4. साफ-सूखे कंटेनर में सुबह उठने के बाद पहले मूत्र को इकठ्ठा करें क्योंकि इसमें एचसीजी की मात्रा ज्यादा होती है।
  5. मूत्र की 3 बूँद को कार्ड पर निर्धारित जगह पर डालें।
  6. 5 मिनट परिणाम पता करने के लिए प्रतीक्षा करें।

Positive Result: 5 मिनट के बाद, अगर 2 गुलाबी लाइनों दिखाई देते हैं, परिणाम सकारात्मक है।

Negative Result: एक गुलाबी लाइन प्रकट होता है, परिणाम नकारात्मक negative है।

अगर एक गहरी गुलाबी और एक हल्की गुलाबी रेखा कार्ड पर दिखाई दें तो हो सकता है मूत्र में एचसीजी हार्मोन पर्याप्त मात्रा में नहीं है। तो उस मामले में फिर से अगली सुबह परीक्षण दोहराना चाहिए ।

Invalid Test: जब नियंत्रण रेखा न हो तो परिणाम प्रकट नहीं होता औए यह वैलिड टेस्ट नहीं है।

False Negative: गलत नकारात्मक / फाल्स नेगेटिव परिणाम, तब हो सकता है जब एचसीजी का स्तर परीक्षण की संवेदनशीलता के स्तर से नीचे हो। जब गर्भावस्थाहोने का संदेह है, तो 48 घंटे बाद फिर परीक्षण किया जाना चाहिए।

सावधानियां

  1. समय सीमा समाप्ति दिनांक के बाद का प्रयोग न करें।
  2. थैली से बाहर निकालने के बाद तुरंत प्रयोग करें।
  3. उपयोग के बाद कार्ड को सही से डिस्पोस करें।

गर्भावस्था के शुरुवाती लक्षण Early Pregnancy Symptoms in Hindi

$
0
0

गर्भावस्था या गर्भ का ठहर जाना तब कहा जाता है, जब महिला के गर्भाशय में भ्रूण का विकास शुरू हो जाता है। अधिकांश महिलायों में हर मासिक चक्र में ओवरी / अंडाशय Ovary से एक अंडाणु Ovum चक्र के बीच में ओवरी से बाहर निकलता है। इस प्रक्रिया को ओवूलेशन Ovulation कहते है। यह अंडाणु फैलोपियन ट्यूब fallopian tube में कुछ घंटों तक निषेचन के लिए रहता है। अगर इस बीच इसे पुरुष स्पर्म / शुक्राणु sperm मिल जाता है तो यह निषेचित fertilization हो जाता है। निषेचित अंडाणु में अब कोशिकायों का विभाजन cell division शुरू होता है और अब यह एम्ब्रियो या भ्रूण Embryo कहलाता है। भ्रूण ट्यूब से निकल कर गर्भाशय में अपने आप को स्थापित करता है जिसे इम्प्लांटेशन Implantation कहते है। कुछ महिलाओं में अब योनि से हल्का खून भी जा सकता है जिसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग Implantation bleeding कहते हैं।

गर्भाधान के समय conception स्त्री के डिंब (अंडे) आदमी के शुक्राणु से निषेचित हैं और उसी समय बच्चे का लिंग sex of child boy or girl और गुण निश्चित हो जाते हैं। महिलाओं में केवल XX तथा पुरुष स्पर्म में XY क्रोमोजोम होते हैं। यदि X क्रोमोजोम वाले स्पर्म से अंडाणु निषेचित होता है और लड़की Girl होती है और यदि यही Y क्रोमोजोम से हो तो लड़का Boy होता है।

गर्भावस्था में होर्मोन Hormones in Pregnancy

  1. गर्भावस्था के शुरू होते ही महिला के शरीर में एस्ट्रोजन Estrogen और प्रोजेस्ट्रोन Progesterone होर्मोन अचानक नाटकीय ढंग से बढ़ जाते हैं। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन मुख्य गर्भावस्था के हार्मोन हैं।
  2. एस्ट्रोजन: गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजन गर्भाशय और नाल की वृद्धि में सुधार, पोषक तत्वों का हस्तांतरण, और बच्चे के विकास का समर्थन करने के लिए गर्भाशय और नाल को सक्षम बनाता है।
  3. एस्ट्रोजन भ्रूण के विकसित व परिपक्व होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एस्ट्रोजन का स्तर गर्भावस्था के दौरान तेजी से बढ़ता है और तीसरी तिमाही में अपने चरम तक पहुँचता है।
  4. पहली तिमाही के दौरान एस्ट्रोजेन के स्तर में तेजी से वृद्धि गर्भावस्था के साथ जुड़े मतली,जी मिचलाना तथा मॉर्निंग सिकनेस का कारण है तथा यह दूसरी तिमाही के दौरान,यही स्तनों में मिल्क डक्ट को बनाता है और स्तनों का विकास करता है जिससे जन्म के बाद बच्चे को माँ का दूध मिल सके।
  5. प्रोजेस्टेरोन: प्रोजेस्टेरोन का स्तर भी प्रेगनेंसी में असाधारण रूप से बढ़ जाता है। प्रोजेस्टेरोन का परिवर्तन पूरे शरीर में एक स्नायुबंधन ligaments और जोड़ों की ढीला करता है तथा गर्भाशय के आकार को बढ़ाने में मदद करता है। यही होर्मोन गर्भाशय के आकार को छोटी नाशपाती से बढ़ाकर एक पूरे विकसित बच्चे के आकार तक ले जाता है।
  6. इसके अतिरिक्त शरीर के दूसरे होर्मोन्स भी अलग तरह से काम करते हैं। हॉर्मोन का बदलाव महिलाओं के पूरे शरीर को प्रभावित करता है। यह होर्मोन्स बच्चे के विकास के लिए ज़रूरी वातावरण तैयार करते हैं।

गर्भावस्था के लक्षण Sign and Symptoms of Pregnancy in Hindi

गर्भावस्था के लिए हर महिला का शरीर अलग-अलग लक्षण दिखाता है। एक ही महिला में जो लक्षण पहली प्रेगनेंसी में हों ज़रूरी नहीं अगली में भी वही लक्षण दिखें। लेकिन गर्भावस्था के कुछ आम प्रारंभिक लक्षण जो की ज्यादातर महिलायों में दिखाई देती हैं वो नीचे दिए गए हैं।

  1. पीरियड न होना Missed period: अगर आपके पीरियड्स अनियमित नहीं हैं तो पीरियड का न होना गर्भावस्था का पहला संकेत है।
  2. स्तनों में सूजन Breast tenderness: गर्भावस्था के प्रारंभिक दिनों में हार्मोनल परिवर्तन स्तनों को संवेदनशील और भारी कर सकता है।
  3. मॉर्निंग सिकनेस, उलटी या बिना उल्टी मतली Nausea with or without vomiting: यह लक्षण अक्सर एक महीने के बाद शुरू होते हैं। हालांकि, कुछ महिलाओं ने पहले भी मिचली महसूस हो सकती है और कुछ में यह कभी नहीं होती। गर्भावस्था के दौरान मतली का कारण स्पष्ट तो नहीं है, लेकिन हार्मोन का बदलाव ही इसका मुख्य कारण हो सकता है।
  4. पेशाब में वृद्धि Increased urination: आप को सामान्य से अधिक बार पेशाब हो सकता है। आपके शरीर में रक्त की मात्रा गर्भावस्था के दौरान बढ़ जाती है, जिससे गुर्दे अतिरिक्त तरल पदार्थ बनता है जो मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकालता है।
  5. थकान Fatigue: गर्भावस्था के प्रारंभिक लक्षण में थकान भी शामिल है। गर्भावस्था के शुरू होने पर हार्मोन प्रोजेस्टेरोन का स्तर चढ़ता है जो की अधिक नींद करता है।
  6. मूडीनेस Moodiness: गर्भावस्था में आपके शरीर में हार्मोन असामान्य रूप से भावनात्मक और रोने वाला कर सकते हैं। चिडचिडापन, गुस्सा आना, दुखिन होना, एंग्जायटी होना, रोना भी आम हैं।
  7. सूजन Bloating: गर्भावस्था शुरू होने के दौरान हार्मोनल परिवर्तन से आप शरीर को फूला हुआ मसूस कर सकती हैं। आपको ऐसा लग सकता हैं जैसे की माहवारी शुरू होने वाली है।
  8. हल्की स्पोटिंग Light spotting: कभी-कभी कम मात्रा में योनि से रक्तस्राव light spotting from vagina हो सकता है। यह गर्भावस्था के शुरू होने के कुछ संकेतों में से एक है। इसे आरोपण रक्तस्राव implantation bleeding के रूप में जाना जाता है, यह तब होता है जब निषेचित अंडे अपने आप को गर्भाशय के अस्तर uterus lining के में स्थापित करता है। यह करीब गर्भाधान के – 10 से 14 दिनों के बाद होता है। आरोपण रक्तस्राव माहवारी के समय के आसपास होता है। हालांकि, यह सभी महिलाओं के साथ नहीं होता।
  9. ऐंठन Cramping: कुछ महिलाओं को गर्भाशय में हल्के ऐंठन का अनुभव हो सकता है।
  10. कब्ज Constipation: हार्मोनल परिवर्तन के कारण कब्ज व पाचन तंत्र में कुछ गड़बड़ी हो सकती है।
  11. कुछ खाद्य पदाथों के प्रति तीव्र संवेदनशीलता Food aversions: कुछ खानों के प्रति आप अधिक संवेदनशील हो सकते हैं। कुछ महिलाओं को रोटी की गंध, टमाटर आदि की गंध से ही उलटी आती है।
  12. नाक बंद होना Nasal congestion: हार्मोन के स्तर के बढ़ने के कारण आपको नाक में ज्यादा म्यूकस की शिकायत हो सकती है।

ये सभी संकेत और लक्षण signs and symptoms, ज्यादातर महिलायों में मिलते हैं। लेकिन हर प्रेगनेंसी अलग होती है। कई महिलायों में गर्भावस्था के कोई लक्षण ही नहीं होते। लेकिन अगर आप बच्चे के लिए प्रयास कर रही हैं, या पीरियड के बीच में कभी भी असुरक्षित यौन सम्बन्ध unprotected sexual intercourse or failure of contraception, condom tear बने हैं तो पीरियड का अपने समय से एक सप्ताह तक न होना delay of period for one week गर्भावस्था का एक प्रमुख संकेत है।

यदि पीरियड नहीं आये तो प्रेगनेंसी डिटेक्शन कार्ड जो की बाज़ार में हर मेडिकल स्टोर पर बिना डॉक्टर के पर्चे के करीबन 50 रुपये में मिलता है, को लेकर सुबह के पहले मूत्र की बूंदे डाल कर जांचे।

गर्भावस्था की पुष्टि होने पर आपको जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलकर सभी ज़रूरी टेस्ट कराने चाहिए।

गर्भावस्था का दूसरा महीना Second Month of Pregnancy in Hindi

$
0
0

गर्भावस्था या गर्भ का ठहर जाना तब कहा जाता है, जब महिला के गर्भाशय में भ्रूण का विकास शुरू हो जाता है। अधिकांश महिलायों में हर मासिक चक्र में ओवरी / अंडाशय Ovary से एक अंडाणु Ovum चक्र के बीच में ओवरी से बाहर निकलता है। इस प्रक्रिया को ओवूलेशन Ovulation कहते है। यह अंडाणु फैलोपियन ट्यूब fallopian tube में कुछ घंटों तक निषेचन के लिए रहता है। अगर इस बीच इसे पुरुष स्पर्म / शुक्राणु sperm मिल जाता है तो यह निषेचित fertilization हो जाता है। निषेचित अंडाणु में अब कोशिकायों का विभाजन cell division शुरू होता है और अब यह एम्ब्रियो या भ्रूण Embryo कहलाता है। भ्रूण ट्यूब से निकल कर गर्भाशय में अपने आप को स्थापित करता है जिसे इम्प्लांटेशन Implantation कहते है। कुछ महिलाओं में अब योनि से हल्का खून भी जा सकता है जिसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग Implantation bleeding कहते हैं।

गर्भाधान conception के समय स्त्री के डिंब (अंडे) आदमी के शुक्राणु से निषेचित हैं और उसी समय बच्चे का लिंग sex of child boy or girl और गुण निश्चित हो जाते हैं। महिलाओं में केवल XX तथा पुरुष स्पर्म में XY क्रोमोजोम होते हैं। यदि X क्रोमोजोम वाले स्पर्म से अंडाणु निषेचित होता है और लड़की Girl होती है और यदि यही Y क्रोमोजोम से हो तो लड़का Boy होता है।

अजन्मा बच्चा गर्भ में करीब 38 सप्ताह रहता है, लेकिन गर्भावस्था (गर्भ) का औसत समय 40 सप्ताह गिना जाता है। इसका कारण यह है गर्भावस्था को मासिक न आने वाले महीने के पहले दिन से गिना जाता हैं जबकि गर्भाधान conception पीरियड के बीच में (दो हफ्ते बाद) होता है।

गर्भावस्था को तीन ट्राइमेस्टर में बांटा जा सकता है: Pregnancy is divided into three trimesters

  1. पहली तिमाही First trimester: गर्भाधान से 12 सप्ताह (conception to 12 weeks / 1-3 months)
  2. दूसरी तिमाही Second trimester: 12 से 24 सप्ताह 24 (12 to 24 weeks / 3-6 months)
  3. तीसरी तिमाही Third trimester: 24 से 40 सप्ताह (24 to 40 weeks / 6-9 months or till delivery)

Second month of pregnancy (5-8 weeks)

इस समय होने वाली माँ और भ्रूण में बहुत तरह के बदलाव आ रहे होते है। माँ का शरीर होरमोन के बढते स्तर के कारण बहुत सारे बदलावों को महसूस कर रहा होता है। भ्रूण बहुत तेज़ी से विकसित होने लगता है और हर दिन के साथ एक बच्चे का आकार लेने लगता है।

दूसरे महीने में भ्रूण करीब 1.6 cm (crown to rump) लम्बा होता है। वज़न में यह 1 ग्राम होता है। तीसरे महीने की शुरूवात यानिकी 9 सप्ताह तक इसका वज़न 2 ग्राम तथा लम्बाई 2.3 cm हो जाती है।

गर्भाशय बढ़ रहा होता है तथा आपको बार-बार पेशाब के लिए बाथरूम के चक्कर लगाने पड़ते हैं।

  1. जी मिचलाना, उलटी आना आदि समस्याएं भी आम हैं।
  2. हो सकता है आपका कुछ भी खाने को मन न करे। आपको बहुत ज्यादा नींद आये।
  3. आपको कब्ज़ हो सकता है। ज्यादा फल खाने और खूब पानी पीने से इससे बचा जा सकता है।
  4. आपको बहुत थकावट महसूस हो सकती है।
  5. आपमें मिश्रित भावनाएँ, तनाव, मूड स्विंग्स हो सकते है।
  6. दूसरे महीने में बच्चे में कोशिकाओं का विभाजन तथा हाथों और पैरों का विकास हो रहा होता है।
  7. बच्चे का चेहरा भी आकार लेने लगता है।
  8. पलकें विकसित होती हैं लेकिन बंद रहती हैं।
  9. भीतरी कान का विकास शुरू होता है।
  10. हड्डियों का निर्माण होता है
  11. एड़ियां, कलाई, उंगलियाँ, और पैर की उंगलियाँ विकसित होती हैं
  12. जननांगों का विकास भी शुरू हो जाता है
  13. इस माह के अंत तक, सभी प्रमुख अंग और शरीर के सिस्टम विकसित होना शुरू हो जाते हैं

गर्भावस्था के दौरान पहली तिमाही में किये जाने वाले परीक्षण

कुछ परीक्षण गर्भावस्था की पहली तिमाही में किये जाते है:

१. रक्त परीक्षण Blood test

डॉक्टर टेस्ट के द्वारा निम्न का पता लगते हैं

  1. ब्लड ग्रुप
  2. आरएच (रीसस) कारक Rh (rhesus) factor
  3. हीमोग्लोबिन लेवल, एनीमिया
  4. हेपेटाइटिस बी
  5. उपदंश syphilis
  6. एचआईवी HIV
  7. जर्मन खसरा German measles, रूबेला
  8. और अन्य यौन संचारित रोग STD

२. मूत्र परीक्षण Urine Test

  1. गुर्दे के संक्रमण के लक्षण देखने के लिए
  2. एचसीजी स्तर को मापने के लिए hCG level
  3. ग्लूकोज (मधुमेह की जांच के लिए) और एल्बुमिन (एक प्रोटीन जो की गर्भावस्था प्रेरित उच्च रक्तचाप, प्री क्लेम्पसिया का संकेत हो सकता) का पता लगाने के लिए

३. और सोनोग्राफी या अल्ट्रासाउंड

  1. ये सभी टेस्ट डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में समय पर करा लिए जाने चाहिए।

गर्भावस्था का तीसरा महीना Third Month of Pregnancy in Hindi

$
0
0

गर्भावस्था या गर्भ का ठहर जाना तब कहा जाता है, जब महिला के गर्भाशय में भ्रूण का विकास शुरू हो जाता है। अधिकांश महिलायों में हर मासिक चक्र में ओवरी / अंडाशय Ovary से एक अंडाणु Ovum चक्र के बीच में ओवरी से बाहर निकलता है। इस प्रक्रिया को ओवूलेशन Ovulation कहते है। यह अंडाणु फैलोपियन ट्यूब fallopian tube में कुछ घंटों तक निषेचन के लिए रहता है। अगर इस बीच इसे पुरुष स्पर्म / शुक्राणु sperm मिल जाता है तो यह निषेचित fertilization हो जाता है। निषेचित अंडाणु में अब कोशिकायों का विभाजन cell division शुरू होता है और अब यह एम्ब्रियो या भ्रूण Embryo कहलाता है। भ्रूण ट्यूब से निकल कर गर्भाशय में अपने आप को स्थापित करता है जिसे इम्प्लांटेशन Implantation कहते है। कुछ महिलाओं में अब योनि से हल्का खून भी जा सकता है जिसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग Implantation bleeding कहते हैं।

गर्भाधान conception के समय स्त्री के डिंब (अंडे) आदमी के शुक्राणु से निषेचित हैं और उसी समय बच्चे का लिंग sex of child boy or girl और गुण निश्चित हो जाते हैं। महिलाओं में केवल XX तथा पुरुष स्पर्म में XY क्रोमोजोम होते हैं। यदि X क्रोमोजोम वाले स्पर्म से अंडाणु निषेचित होता है और लड़की Girl होती है और यदि यही Y क्रोमोजोम से हो तो लड़का Boy होता है।

अजन्मा बच्चा गर्भ में करीब 38 सप्ताह रहता है, लेकिन गर्भावस्था (गर्भ) का औसत समय 40 सप्ताह गिना जाता है। इसका कारण यह है गर्भावस्था को मासिक न आने वाले महीने के पहले दिन से गिना जाता हैं जबकि गर्भाधान conception पीरियड के बीच में (दो हफ्ते बाद) होता है। पहली तिमाही सप्ताह 9-12 तक रहती है और उसके बाद दूसरी तिहाही शुरू हो जाती है। गर्भावस्था के नौ सप्ताह या गर्भाधान से सात सप्ताह में बच्चे का विकास तेज़ी से होता है और उसके चेहरे पर नाक, होंठ,

गर्भावस्था को तीन ट्राइमेस्टर में बांटा जा सकता है: Pregnancy is divided into three trimesters

  1. पहली तिमाही First trimester: गर्भाधान से 12 सप्ताह (conception to 12 weeks / 1-3 months)
  2. दूसरी तिमाही Second trimester: 12 से 24 सप्ताह 24 (12 to 24 weeks / 3-6 months)
  3. तीसरी तिमाही Third trimester: 24 से 40 सप्ताह (24 to 40 weeks / 6-9 months or till delivery)

Third month of pregnancy (9-12 weeks)

तीसरे महीने के दौरान बच्चे के दिल में बहुत विकास होता है। पलकें, उंगलियों, पैर की उंगलियों और त्वचा बन जाती हैं और बच्चा हिलना-डुलना, पेट में पैर चलाना शुरू करता है।

बच्चे का विकास

सप्ताह 9:

  1. इस सप्ताह के दौरान कान, दांत और तालू का विकास चल रहा है।
  2. उंगलियों और पैर की उंगलियों में अच्छी तरह से दिखने लगी है और उनमें कार्टिलेज व हड्डियों का विकास होने लगा है।
  3. ऊपरी होंठ के साथ ही नाक टिप का विकास हो रहा है।
  4. जीभ-गला विकसित हो रहा है।
  5. पलकें विकसित बन रही हैं लेकिन ये बंद रहेंगी।
  6. दिल की मुख्य निर्माण पूरा हो गया है।
  7. भ्रूण की लंबाई लगभग 30 मिमी (1.2 इंच) है।
  8. भ्रूण गर्भ में बन रहे तरल पदार्थ में पूरी तरह से तैर रहा है।
  9. बच्चा के हाथ-पैर की लम्बाई बढ़ गई है और वह कोहनी और कलाई को घुमा सकता है।
  10. गुदा का विकास भी हो रहा है।
  11. भ्रूण एमनियोटिक थैली में पूरी तरह से सुरक्षित है।
  12. सिर शरीर से बड़ा है क्योंकि मस्तिष्क बहुत तेजी से बढ़ रहा है।
  13. इस समय लड़का या लड़की दोनों के ही प्रजनन अंग एक जैसे लगते हैं।

सप्ताह 10:

  1. गर्भाधान के आठ सप्ताह हो चुके हैं।
  2. आप 10 सप्ताह की गर्भवती हैं।
  3. शिशु 1.2 इंच लंबा CRL और 2gm का है।
  4. इस सप्ताह से जन्म तक, विकासशील जीव एक फ़ीटस (गर्भस्थ शिशु) कहा जाता है।
  5. भ्रूण अब एक छोटे से स्ट्रॉबेरी के आकार है।
  6. पैर 2mm लंबे हैं ।
  7. गर्दन आकार लेने लगी है।
  8. शरीर की मांसपेशियों लगभग बन चुकी हैं।
  9. बच्चा अब हलचल करने लगा है। हालांकि आप अभी इसे महसूस नहीं कर पा रही होंगी।
  10. जबड़े बन गए हैं। मुंह और नाक जुड़ गए हैं।
  11. कान और नाक अब स्पष्ट रूप से देखे जा सकते है।
  12. उँगलियों के निशान Fingerprints त्वचा पर स्पष्ट हैं।
  13. निपल्स और बालों के रोम आकार लेने लगते हैं।
  14. बच्चे में अंडकोष testicles या अंडाशय ovaries बनने लगे हैं।
  15. गर्भाशय अब ग्रेपफ्रूट से थोडा बढ़ा है।
  16. अब माँ का पेट बाहर निकलने लगा है।

सप्ताह 11:

  1. शिशु 1.5 इंच लंबा CRL क्राउन-रम्प लेंथ और 2gm का है।
  2. हाथ-पैर की उंगलियाँ पोरी तरह से विकसित हो गयी हैं।
  3. मुंह में स्वाद के लिए टेस्ट बड्स विकसित हो रही हैं।
  4. बच्चे में दूध के बीस दांतों का विकास शुरू हो चूका है।
  5. बने हुए कार्टिलेज अब कुछ समय में हड्डियों में बदल जायेंगे।
  6. यदि शिशु एक लड़का है, तो अंडकोष से टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का उत्पादन शुरूहो जाएगा।
  7. मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं में तेजी से बढोतरी हो रही है और 250,000 से अधिक तंत्रिका कोशिकाओं का एक मिनट में निर्माण हो रहा है।
  8. हृदय पूरी तरह से विकसित है और बच्चा प्लेसेंटा के माध्यम से ऑक्सीजन ले रहा है।
  9. पलकें जुडी हैं और 27 सप्ताह तक ऐसे ही रहेंगी।
  10. उंगलियाँ, कलाई, एड़ियाँ स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं।
  11. प्रजनन अंग बन रहे हैं लेकिन अभी बच्चे का लिंग पता नहीं लग सकता।
  12. शिशु का आकार छोटे बेर जितना है।

सप्ताह 12:

  1. डॉक्टर अब पेट पर डॉपलर मॉनिटर लगाकर बच्चे के दिल की धड़कन सुन सकते हैं। यह करीब 160 पैर मिनट होती है।
  2. मस्तिष्क इतना बन चुका है की उसे दर्द का एहसास हो और वह अब रो भी सकता है।
  3. चेहरा एक बच्चे के चेहरे की तरह दिखने लगा है।
  4. इस सप्ताह किये गए अल्ट्रासाउंड से एक शिशु की आकृति को देख सकते है।
  5. बच्चा अंगूठे चूस सकता है।
  6. भ्रूण में मूवमेंट्स बढ़ गयी है।
  7. उसे हिचकी भी आती हैं।
  8. पैर लगभग आधा इंच (1 सेमी) के हैं।
  9. नाखून और पैर की उगलियों पर नाखून दिखाई देते हैं।
  10. शिशु 2.5 इंच लंबा CRL क्राउन-रम्प लेंथ और 20 ग्राम का है।
  11. पंक्रियास से इंसुलिन का उत्पादन शुरू हो चूका है।
  12. किडनी अब बन चुकी और शिशु मूत्र भी करने लगा है।
  13. सिर पर बाल आने लगे हैं।

सप्ताह 10 – 14 के बीच डॉक्टर न्यूकल ट्रांसुलेंसी स्कैन nuchal translucency (NT) scan कराते हैं। यह टेस्ट करीब आधे घंटे का होता है।

न्यूकल ट्रांसुलेंसी स्कैन What is a Nuchal Translucency Scan in Hindi?

  1. न्यूकल ट्रांसुलेंसी स्कैन, एक अल्ट्रासाउंड स्कैन है जो की 12-14 सप्ताह के बीच में किया जाता है। इसके बाद डॉक्टर कुछ ब्लड टेस्ट भी कराते हैं।
  2. सभी गर्भस्थ बच्चों की गर्दन के पीछे की त्वचा के नीचे तरल पदार्थ इकठ्ठा होता है। इस तरल पदार्थ की मोटाई को न्यूकल ट्रांसुलेंसी कहते हैं और इसी को अल्ट्रासाउंड द्वारा मापा जाता है। डाउन सिंड्रोम, या जेनिटिकल प्रॉब्लम वाले बच्चे में इसकी मोटाई ज्यादा होती है।
  3. तरल की थिकनेस आमतौर पर 2.5mm से कम होनी चाहिए।
  4. इस स्कैन में बच्चे की नाक की हड्डी nasal bone को भी देखा जाता है। क्योंकि ऐसा देखा गया है की चार में से करीब तीन डाउन सिंड्रोम पीड़ित बच्चों में यह नहीं होती।
  5. क्योंकि अल्ट्रासाउंड में साउंड वेव्स का प्रयोग किया जाता है, यह किसी प्रकार का नुक्सान नहीं करतीं।

Why Nuchal Translucency Scan is performed?

  1. यह स्कैन इसलिए किया जाता है की बच्चे में क्रोमोसोमल (गुणसूत्र की) असमान्यताओं जैसे की डाउन सिंड्रोम common chromosomal abnormalities such as Downs Syndrome का समय रहते पता लगाया जा सके। शोधों में ऐसा देखा गया है की नापे तरल की मोटाई इस तरह के डिफेक्ट को बता सकतेहैं ।
  2. मां की उम्र, वजन, रक्त परीक्षण आदि भी रिजल्ट्स के साथ जोड़ कर देखे जाते है और उन्ही के आधार पर आगे के परीक्षण की जरूरत है या नहीं इसका निर्णय किया जाता है।
  3. यह अल्ट्रासाउंड परिक्षण है और इसमें किसी भी तरह का दर्द नहीं होता। स्कैन के लिए पेट पर जेल लगाया जाता है और स्क्रीन पर देखा जाता है।
  4. कई मामलों में ट्रांसवजैनल (योनि से प्रोब को अन्दर डाल) स्कैन भी किया जाता है। स्कैन के रिजल्ट लेकर डॉक्टर को दिखाए जाते हैं।
  5. यह स्कैन 12-14 सप्ताह तक ही किया जाता है उसके बाद इसे करने का विशेष लाभ नहीं होता क्योंकि की जिन चीजों को इस स्कैन में नापा जाता है, वह इस समय सीमा के बाद नहीं पायी जाती। इसको करने से बच्चे में अगर कोई जेनेटिकल समस्या है तो समय रहते पता लग सकती है। अगर बच्चे में गंभीर समस्याएं हो सकती हैं तो उसे जल्द ही अबोर्ट abort भी कर सकते हैं।

मेथी Methi (Fenugreek) Information, Uses and Cautions in Hindi

$
0
0

मेथी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। हिन्दी में इसे मेथी और इंग्लिश में फेनुग्रीक कहते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम ट्रिगोनेला फीनम-ग्रेयकम Trigonella foenum-graecum है। यह फेबेसिएइ Fabaceae परिवार पौधा है। इसके बीजों और पत्तियों को भारतीय व्यंजनों में इस्तेमाल किया जाता है। मेंथी स्वाद में कड़वी और तेज गंध युक्त होती है।

Methi

आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसे बहुत से रोगों के उपचार में सफलता पूर्वक हजारों साल से प्रयोग किया जा रहा है। यह विरेचक laxative, शांतिदायक cooling (leaves), एलडीएल कोलेस्ट्रॉल LDL / bad cholesterol lowering कम करने वाली, सूजन दूर करने वाली, दूध स्राव के लिए उत्तेजक galactagogue, कीड़े दूर करने वाली औषधि है। जहाँ मेथी की पत्तियां तासीर में ठंडी हैं cool in potency वहीं बीज गर्म hot in potency हैं।

मेथी के पत्तों और बीजों दोनों का प्रयोग भारतीय रसोईं में होता है। मेथी के मुलायम पत्तों का साग प्रोटीन protein, फाइबर, विटामिन सी, आयरन, पोटैशियम से भरपूर होता है। मेथी स्वाद में कडवी होती है और मधुमेह में विशेष रूप से उपयोगी है। मेथी के दाने पेट रोगों व हाई ब्लड प्रेशर में लाभप्रद है।

Read in English: Fenugreek Health Benefits and Medicinal uses

मेथी के विभिन्न नाम

  1. Sanskrit : Methini, Methika, Methi, Kalanusari
  2. English : Fenugreek, Bird’s Foot or Greek Hay-Seed
  3. Gujrati : Methi
  4. Hindi : Methi
  5. Kannada : Menthe, Mente
  6. Malayalam : Uluva
  7. Marathi : Methi
  8. Punjabi : Methi
  9. Tamil : Mendium, Ventaiyam
  10. Telugu : Mentulu, Mentikura;
  11. Urdu : Methi
  12. Arab: Hulabaha

वैज्ञानिक वर्गीकरण Classification of Fenugreek in Hindi

  • किंगडम Kingdom: प्लांटी Plantae – Plants
  • सबकिंगडम Subkingdom: ट्रेकियोबाईओन्टा Tracheobionta संवहनी पौधे
  • सुपर डिवीज़न Superdivision: स्परमेटोफाईटा बीज वाले पौधे
  • डिवीज़न Division: मग्नोलिओफाईटा – Flowering plants फूल वाले पौधे
  • क्लास Class: मग्नोलिओप्सीडा – द्विबीजपत्री
  • सब क्लास Subclass: रोसीडए Rosidae
  • आर्डर Order: फेबल्स Fabales
  • परिवार Family: Fabaceae – मटर परिवार
  • जीनस Genus: Trigonella L.- मेथी पी
  • प्रजाति Species: Trigonella foenum-graecum

आयुर्वेदिक गुण और कर्म

मेथी स्वाद में कडवी और स्वभाव से गर्म only seeds है। आयुर्वेद में मेथी दाने जो की मेथी के बीज हैं का प्रयोग मुख्य रूप से कफ रोग, वात रोग और डायबिटीज में किया जाता है। यह वात विकार दूर करने वाली दवाई है इसलिए गठिया, जोड़ों के दर्द, पेट में अफारा, आदि दोषों में लाभप्रद है। गर्म तासीर के कारण यह पाचन को ठीक करती है। प्रसव के बाद इसका सेवन शरीर से गंदगी को बाहर करता है और साथ ही दूध की मात्रा और गुणवत्ता को भी अच्छा करता है।

आयुर्वेद में इसे ग्रहणी, बुखार, प्रमेह और अरुचि में प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है।

रस (taste on tongue): तिक्त

गुण (Pharmacological Action): स्निग्ध

वीर्य (Potency): उष्ण

विपाक (transformed state after digestion): कटु

कर्म:

दीपन, कफ हर, रुच्य, हृदय, अनुलोमना, वात हर

मेथी के बीज कडवे bitter, लस दार mucilaginous, खुशबूदार aromatic, वात हर carminative, टॉनिक tonic, मूत्रवर्धक diuretic, शरीर में गर्मी बढाने वाले thermogenic, दूध का स्राव करने वाले galactagogue, संकोचक astringent, एंटीरयुमेटिक anti-rheumatic, सीएनएस को दबाने वाले CNS depressant, हाइपोग्लिसीमिक hypoglycemic, रक्तचाप कम करने hypotensive, हृदय के लिए टॉनिक cardiotonic और सूजन को दूर और गर्भाधन को रोकने anti-implantation के गुणों से भरपूर हैं।

मेथी में पाए जाने वाले घटक

  1. Saponins Diosgenin
  2. Coumarins
  3. Flavonoids Quercetin, lilyn,
  4. Kaempferol
  5. Alkaloids Trigonelline, lecithin,
  6. Mucilage

मेथी के लाभ Health Benefits of Methi / Fenugreek

  1. मेथी रक्त में शर्करा के स्तर को कम करती है।
  2. मेथी इंसुलिन के लिए सेलुलर प्रतिरोध को कम करती है और मधुमेह के नियंत्रण में बहुत अच्छे परिणाम देती है।
  3. यह कोलेस्ट्रोल को भी कम करती है।
  4. यह एंटीऑक्सीडेंट यौगिकों और उनकी गतिविधियों को बढ़ाती है।
  5. यह लिपिड का ऑक्सीकरण कमती है।
  6. इसमें फाइबर है और यह भोजन के बाद रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करती है क्योंकि यह
  7. पाचन के बाद चीनी के अवशोषण को देर से होने देती है।
  8. यह आंत से कोलेस्ट्रॉल के अवशोषण को कम कर देता है।
  9. यह हृदय रोग और वजन बढ़ना से भी रक्षा करती है।
  10. मेथी वात और कफ दोष को संतुलित करती है।
  11. यह गर्म गुण के कारण वात को नीचे की ओर ले जाने में मदद करती है।
  12. कड़वे स्वाद के कारण यह कफ दोष को कम करने में मदद करती है।
  13. यह स्तनपान बढ़ाती है।

दवा की तरह मेथी को लेने की मात्रा

मेथी को 2 ग्राम से लेकर 60 ग्राम तक की मात्रा में लिया जा सकता है।

मेथी को विभिन्न रोगों में किस प्रकार दवा की तरह प्रयोग करें? Medicinal Use of Fenugreek / Methi in Hindi

मेथी दुनिया के सबसे प्राचीन ज्ञात औषधीय पौधों में से एक है। इसका प्रयोग न केवल भारत बल्कि मिस्र और यूनान में भी दवा की तरह होता रहा है। इसे डायबिटीज, वात-विकार, ब्रोंकाइटिस, जुकाम, बुखार, कामेच्छा की कमी आदि में प्रयोग करने से लाभ होता है।

सभी लोग जानते हैं की मेथी कितनी गुणकारी है और विभिन्न रोगों में दवा की तरह प्रयोग की जा सकती है। परन्तु कम ही लोगों को पता होता है किस तरह इसे दवा की तरह प्रयोग करें।

डायबिटीज Diabetes

  1. मेथी का सेवन किसी न किसी रूप में करें।
  2. मेथी के दानों का पाउडर 1 चम्मच की मात्रा में सुबह लें।
  3. मेथी के रस का सेवन करें।
  4. मेथी को अंकुरित कर खाएं।
  5. मेथी दाने को बारीक पीस लें। इसको करीब 60 ग्राम की मात्रा में एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह छान लें और दिन में दो बार पियें। 2 महीने तक नियमित ऐसा करें।

Read in English: Fenugreek seeds to control type 2 diabetes

गठिया, घुटने के दर्द, वात विकार में मेथी का प्रयोग Diseases due to vitiation of Vata

  1. रोज सुबह, एक छोटा चम्मच मेथी दाने का चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लेना चाहिए।
  2. रोजाना रात को सोने से पहले मेथी दाना का एक चम्मच, गिलास भर पानी में भिगो दें। सुबह इसका सेवन करें।
  3. मेथी दाना को पानी में भिगो दें। फिर इसे सूती कपड़े में बाँध कर रख लें। जब यह अंकुरित हो जाए, तो इसका सेवन करें।
  4. मेथी के साग का नियमित सेवन वात विकारों को दूर करता है।
  5. मेथी के दानों को घी में भून लें। इन्हें ग्राइंडर में पीस कर पाउडर बना लें। अब आटे को भी देसी घी में भून लें। अब इसमें पिसी चीनी डाल का लड्डू का आकार दे दें और नियमित खाएं।

मोटापा obesity

  1. वज़न कम करने के लिए खाली पेट मेथी के दानों का सेवन करना चाहिए।
  2. मेथी के दाने (2 चम्मच) को एक गिलास पानी में भिगों दें और अगली सुबह छानकर पी लें।

पाचन को बेहतर बनाने के लिए, शरीर से गंदगी बाहर निकलने के लिए, खांसी, जुखाम, फ्लू आदि श्वास रोग

  1. मेथी के दानों का सेवन करे। यह पंक्रियास से एंजाइम के स्राव को प्रेरित करता है अपच, अग्निमांद्य, पाचन विकृति को दूर करते हैं।
  2. मेथी के बीजों को चाय की तरह उबाल कर पियें।

प्रसव के बाद After delivery

  1. मेथी के दानों का काढ़ा बनाकर प्रसव बाद पिने से शरीर के विकार डोर होते हैं और रक्त शुद्ध होता है। यह गगर्भाशय के संकुचन में भी सहायक है।
  2. मेथी दाना घी में भून लें और पीस कर पाउडर बना लें। इस पाउडर को आटे के साथ मिलकर हलवा बनाकर खाएं।

पसीने के बदबू, मुंह से बदबू Bad breath

मेथी दाना की चाय का सेवन करें।

कफ विकार, जोड़ों का दर्द Cough, joint pain

मेथी के लड्डू सर्दियों में खाने से कफ तथा वात विकार दूर होते हैं।

पेट में दर्द

मेथी दाने का पाउडर गर्म पानी के साथ लें।

पेचिश, डायरिया, आंव पड़ना

  1. मेथी साग खाएं।
  2. मेथी दानों का पाउडर ३ ग्राम की मात्रा में दही के साथ दिन में चार बार खाएं।
  3. मेथी दाना की चाय बना कर, दिन में दो बार सुबह-शाम पियें।

सेक्स पॉवर बढ़ाने के लिए

  1. इसका सेवन नपुंसकता impotence, शीघ्रपतन premature ejaculation, और काम भावना की कमी loss of libido में किया जाता है। यह अपने गर्म गुण के कारण प्रजनन अंगों को उत्तेजित करती है और स्निग्ध गुणों के कारण शुक्र का पोषण करती है।
  2. मेथी का सेवन सेक्स पॉवर को बढाता है।
  3. मेथी दानों का सेवन वीर्य और स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभप्रद है।
  4. इसका सेवन ऊपर दिए गए किसी भी प्रकार से कर सकते हैं।

सावधानी Caution / Contraindications / Interactions

  1. मेथी दाना पित्त को बढ़ाते है Piita / bile इसलिए ज्यादा पित्त स्राव में इसका सेवन सावधानी से करें।
  2. मेथी दाना पित्त प्रकृति Pitta prakriti के लोगों के लिए उपयुक्त नहीं है।
  3. बीज तासीर में गर्म hot in potency हैं।
  4. मेथी दाना को शरीर में रक्तस्राव के विकार bleeding disorders में प्रयोग न करें। गर्म तासीर के कारण यह नकसीर epistaxis, योनि से ज्यादा खून आदि समस्याएं कर सकते हैं।
  5. मेथी दाना मासिक स्राव bleeding in mensuration को बढ़ा सकते हैं क्योंकि यह पेल्विस में खून का दौरा बढ़ा सकते हैं। इनका दवा की तरह गर्भावस्था में सेवन नहीं करें। Do not use fenugreek in pregnancy।
  6. इसमें डाईसजेनिन Diosgenin है जो की शरीर में एस्ट्रोजन phytoestrogen की तरह काम करता है।
  7. यह शुगर लेवल को कम करते है।
  8. कुछ लोगों में मेथी दाना का सेवन लूज़ मोशन, सिरदर्द, कर सकता है।
  9. इसके सेवन से पेशाब में कुछ गंध आ सकती है।
  10. जिन्हे मेथी से एलर्जी हो Allery to pea family उनमें इसके लक्षण त्वचा पर दाने, खुजली आदि के रूप में प्रकट हो सकते हैं।
  11. इसका अधिक मात्रा में सेवन लोहे के अवशोषण absorption of iron को प्रभावित करता है।
  12. मेथी दाना का सेवन रक्तस्राव विकारों, कम शुगर लेवल, ज्यादा पित्त, मुहं से ज्यादा लार, सर्जरी के पहले आदि में न करें।
  13. मेथी दाने की चाय बच्चों को न दें।

इसे बिना डॉक्टर की सलाह के इन्सुलिन, हेपरिन, वारफेरिन (खून को पतला करने की दवा blood thinning medicines ) के साथ प्रयोग न करें।

किसी भी दवा को लेने के समय और इसके सेवन में करीब 2 घंटे का अंतर रखें।

मेथी का सेवन (पत्ते या बीज) मसाले की तरह पूरे तरह से सुरक्षित है।

मेथी साग बनाने की विधि How to make Methi Sag?

मेथी साग बनाने के लिए आपको चाहिए मेथी के पत्ते, आलू, नमक, लहसुन, जीरा व लाल मिर्च छौंक के लिए और सरसों का तेल।

मेथी के साग को बनाने के लिए, सबसे पहले तो मेथी के मुलायम पत्तों को छांट लेते है। इन पत्तों को अच्छे से पानी से कई बार धोते हैं। पत्तों को धो कर काटना चाहिए। काट के धोने से पत्तों की पोषकता नष्ट हो जाती है,पत्तों का रस, आदि सभी पानी के साथ निकल जाता है।

अब कुछ लहसुन की कलियाँ और आलू छील लेते हैं। छिले लहसुन को पतला काट लेते हैं। आलू को भी पतला स्लाइस में काट लेते हैं।

एक मोटे पेंदे की कढ़ाही में आवश्यकता अनुसार सरसों का तेल डाल लेते है। इस तेल को गर्म कर लेते है। गर्म तेल में जीरे व सूखी मिर्च का तड़का लगा कर मेथी की पतियाँ, आलू डाल देते है। अब इसमें नमक, स्वादानुसार (साग में नमक कम ही डालते हैं) डाल मिला कर अच्छे से मिलाकर ढक देते है। थोड़ी-थोड़ी देर पर चलाते रहते हैं। कुछ समय में आलू को देख लेते हैं यह पक गया की नहीं। जब पक के यह मुलायम हो जाता है तो गैस बंद कर देते है। मेथी का साग तैयार है इसे रोटियों के साथ खाएं।

मेथी के पराठे Methi Paratha

मेथी के परांठे बनाने में काफी सरल है। इसके लिए मेथी के पत्तों को धो कर बारीक़ काट लेते हैं। कटे पत्तों को एक कटोरे में ले कर कुछ नमक मिला कर रख लेते है। नमक के डालते ही पत्तों से पानी निकलने लगता है। इस पानी को फेंकना नहीं है।

मेथी के कटे पत्तों को इसके छोड़े पानी समेत आंटे को गूथने के लिए प्रयोग करें। आटा अच्छी तरह से गूथें। हो सकता है यह हाथों में चिपके। जब ऐसा हो पानी से हाथों को अच्छे से धो कर फिर गूथें। अच्छी तरह से गुथे आटे को एक बर्तन में कपडे से ढक कर फ्रिज में रख दें। कुछ घंटों बाद इसकी लोई बना कर रोटी की तरह बेल लें और पराठे की तरह घी / तेल लगा कर तवे पर पका लें।

मेथी की चाय Methi Chai / Fenugreek Tea

मेथी पत्ती की चाय बनाने के लिए, 1 चम्मच सूखी पत्तियां या 3 चम्मच ताज़ी कटी पत्तियों को 1 कप उबलते पानी में डाल कर ढक दें और 10-15 मिनट बाद छान कर पियें। इसमें पुदीना की पत्तियां भी डाली जा सकती हैं।

मेथी के बीजों की चाय बनाने के लिए 1 चम्मच दानों को 1 कप पानी में तब तक उबालें जब तक बीज नर्म न हो जाएँ। इसमें बनने के बाद नींबू का रस या शहद डालें। बीजों को फेकें नहीं बल्कि चबा कर खा लें।

Viewing all 441 articles
Browse latest View live