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पतंजलि अभ्रक भस्म Patanjali Abhrak Bhasma

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अभ्रक भस्म को विभिन्न रोगों में दवा की तरह से इस्तेमाल किया जाता है। इसके सेवन से धातु की वृद्धि होती है, अंगों को ताकत मिलती है, एवं वीर्य बढ़ाता है। पुरुषों में इसके सेवन से मैथुन करने की शक्ति बढती है। फेफड़ों की टीबी कफक्षय, बढ़ी हुई खाँसी, कफ, दमा, धातुक्षय, मधुमेह, बहुमूत्र, बीसों प्रकार के प्रमेह, सोम रोग, शरीर का दुबलापन, प्रसूत रोग,अति कमजोरी, सूखी खाँसी, काली खाँसी, पाण्डु, दाह, नकसीर, जीर्णज्वर, संग्रहणी, शूल, गुल्म, आँव, अरुचि, अग्निमांद्य, अम्लपित्त, रक्तपित्त, कामला, खुनी अर्श (बवासीर), हृद्रोग, उन्माद, मृगी, भूत्रकृच्छ, पथरी, नेत्र-रोगों, गुप्त रोगों समेत यह अनेकों रोगों में फायदेमंद है। यह एक टॉनिक दवा है जिसे अकेले या अन्य दवाओं के साथ इस्तेमाल किया जाता है।

अभ्रक भस्म एक पारंपरिक और अत्यधिक प्रभावी आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन है जो आपको पुरानी और निरंतर खांसी और कमजोरी से राहत प्रदान करता है। अधिक समय तक रहने वाले कफ और निरंतर श्वास आपके फेफड़ों को कमजोर करता है। अभ्रक भस्मआपके फेफड़ों पर प्रदूषण के नुकसान को ठीक करता है, श्वसन प्रणाली को बढ़ाता है और आपके स्वास्थ्य को मजबूत करता है।

पतंजलि अभ्रक भस्म के 5 ग्राम पैक की कीमत 20 रुपये है।

सेवन की मात्रा

1 से 2 रत्ती प्रातः-सायं रोगानुसार अनुपान अथवा शहद के साथ।

अभ्रक भस्म का रोगानुसार अनुपान

अभ्रक भस्म को आप 125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम की मात्रा में निम्न के साथ ले सकते हैं:

  • अल्पशुक्राणुता: रजत भज्जा 125 मिलीग्राम + स्वर्ण भस्म 10 मिलीग्राम+ लीकोरिस पाउडर 1 ग्राम + अश्वगंध पाउडर 1 ग्राम
  • आलस्य और थकावट: अश्वगंध पाउडर 1 ग्राम + रस सिंदूर 25 मिलीग्राम + शिलाजीत (एस्फाल्टम) 250 मिलीग्राम
  • इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम: त्रिकटु आधा ग्राम + घी
  • एसिडिटी: आमला पाउडर एक ग्राम + प्रवाल पिष्टी 250 मिलीग्राम
  • खांसी: सितोपलादि दो ग्राम + श्रिंग भस्म 125 मिलीग्राम
  • दृष्टि बढ़ाने के लिए: त्रिफला पाउडर 2 ग्राम
  • नपुंसकता: लौंग पाउडर 500 मिलीग्राम +अश्वगंध पाउडर 1 ग्राम + जायफल पाउडर 500 मिलीग्राम + अकारकर (स्पिलेन्थेस एसीमेला) 250 मिलीग्राम
  • प्रदर: गिलोय सत्व आधा ग्राम
  • मानसिक कमजोरी और अवसाद: लोहा भस्म 60 मिलीग्राम + रजत भस्म 60 मिलीग्राम + जटामांसी पाउडर 1 ग्राम
  • मेमोरी लॉस, अल्जाइमर रोग या डिमेंशिया: ब्रह्मी (बाकोपा मोननेरी) 500 मिलीग्राम + शंखुष्पी ( कन्वोलवुलस प्लुरिकालिस ) 500 मिलीग्राम+लीकोरिस (ग्लाइसीरिझा ग्लाब्रा) 500 मिलीग्राम + गिलोय (टिनसपोरा कॉर्डिफोलिया) 500 मिलीग्राम
  • यक्ष्मा: स्वर्ण भस्म 1 से 15 मिलीग्राम + च्यवनप्राश 10 ग्राम + शहद

अभ्रक भस्म का आयुर्वेदिक गुण

  • वीर्य: शीतल
  • गुण: चिकना
  • विपाक: मधुर
  • रस: कसैला, मधुर

अभ्रक भस्म के संकेत

  • अम्लता, गैस्ट्र्रिटिस, जीईआरडी और अल्सर
  • आँतों में कीड़े
  • इरेक्शन में दिक्कत
  • कफ़रोग
  • कास
  • किडनी रोग
  • कुष्ठ
  • केशपतन
  • खून की कमी
  • गुप्त रोग
  • ग्रहणी
  • जरा
  • ज्वर
  • डिमेंशिया
  • त्वचा रोग
  • दमा
  • नपुंसकता
  • नासूर
  • पाचन की कमजोरी
  • पाचन रोग
  • पाण्डु
  • प्रमेह
  • प्लीहा रोग
  • बालों का गिरना
  • बालों का सफेद होना
  • ब्लीडिंग पाइल्स
  • मानसिक रोग, मिर्गी, उन्माद, नींद न आना, हिस्टीरिया
  • मिरगी
  • मूत्रकृच्छ
  • मूत्राघात
  • यकृत रोग
  • योनि से सफ़ेद पानी गिरना
  • यौन दुर्बलता
  • रक्तपित्त
  • रसायन
  • रेस्टलेस लेग सिंड्रोम
  • वीर्यपात
  • श्वास
  • स्पर्म की कम संख्या
  • स्मृति हानि, अल्जाइमर रोग
  • हृदय की दुर्बलता

अभ्रक भस्म के दुष्प्रभाव

  • अतिरिक्त मात्रा में इसे लेने से दिल की धड़कन बढ़ सकती है।
  • इसके सेवन से मुह में धात वाला स्वाद आता है।
  • साइड इफेक्ट्स से बचने के लिए, मेडिकल पर्यवेक्षण के तहत इस दवा का उपयोग करें। व्यक्तिगत आवश्यकता के हिसाब से खुराक समायोजन की भी आवश्यकता हो सकती है।

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