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सारस्वत चूर्ण Saraswat Churna Detail and Uses in Hindi

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सारस्वत चूर्ण एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है। ब्राह्मी, वच, शंखपुष्पि, अश्वगंधा जैसे रसायन द्रव्य हैं। यह मस्तिष्क के लिए टॉनिक है। यह आक्षेप, बेहोशी और नसों की कमजोरी में फायदेमंद है। This is beneficial in epilepsy, seizures, fainting, convulsions, nervous debility and other mental diseases.

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Saraswat Churna is a polyherbal Ayurvedic medicine used to treat epilepsy, psychoses, insomnia, memory loss and depression. The main ingredient of this formulation is Bramhi (Bacopa monnieri L. Pennell), which is used for revitalization of brain and nervous system, nourishing intellectual clarity and sharpness.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • पर्याय: Saraswatha Choornam, Saraswata Churna
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल आयुर्वेदिक दवा, OTC
  • मुख्य उपयोग: दिमागी रोगों को दूर करना
  • मुख्य गुण: मेद्य रसायन

सारस्वत चूर्ण के घटक Ingredients of Saraswat Churna

  • कूठ Kushtha (Rt.) 1 part
  • अश्वगंधा Ashvagandha (Rt.) 1 part
  • सेंधा नमक Lavana (Saindhava Lavana) 1 part
  • अजमोद Ajamoda (Fr.) 1 part
  • सफ़ेद जीरा Shveta Jiraka (Fr.) 1 part
  • काला जीरा Krishna Jiraka (Fr.) 1 part
  • सोंठ Shunthi (Rz.) 1 part
  • काली मिर्च Maricha (Fr.) 1 part
  • पिप्पली Pippali (Fr.) 1 part
  • पाठा Patha (Rt.) 1 part
  • शंखपुष्पि Mangalyapushpi (Shankhapushpi) (Pl.) 1 part
  • वच Vacha (Rz.) 1 part
  • ब्राह्मी स्वरस Brahmi rasa (Brahmi) (Pl.) Q.S. for bhavana

ब्राह्मी / बाकोपा मोनोरिए Bacopa monniera

ब्राह्मी स्वाद में कड़वी, गुण में लघु है। स्वभाव से यह शीत है और मधुर विपाक है। वीर्य का अर्थ होता है, वह शक्ति जिससे द्रव्य काम करता है। आचार्यों ने इसे मुख्य रूप से दो ही प्रकार का माना है, उष्ण या शीत। शीत वीर्य औषधि के सेवन से मन प्रसन्न होता है। यह जीवनीय होती हैं। यह स्तम्भनकारक और रक्त तथा पित्त को साफ़ / निर्मल करने वाली होती हैं।

  • रस (taste on tongue): कड़वी, मधुर
  • गुण (Pharmacological Action): लघु
  • वीर्य (Potency): शीत
  • विपाक (transformed state after digestion): मधुर
  • दोष: त्रिदोष संतुलित करना

विपाक का अर्थ है जठराग्नि के संयोग से पाचन के समय उत्पन्न रस। इस प्रकार पदार्थ के पाचन के बाद जो रस बना वह पदार्थ का विपाक है। शरीर के पाचक रस जब पदार्थ से मिलते हैं तो उसमें कई परिवर्तन आते है और पूरी पची अवस्था में जब द्रव्य का सार और मल अलग हो जाते है, और जो रस बनता है, वही रस उसका विपाक है। मधुर विपाक, भारी, मल-मूत्र को साफ़ करने वाला होता है। यह कफ या चिकनाई का पोषक है। शरीर में शुक्र धातु, जिसमें पुरुष का वीर्य और स्त्री का आर्तव आता को बढ़ाता है। इसके सेवन से शरीर में निर्माण होते हैं।

ब्राह्मी विशेष रूप से दिमाग के लिए फायदेमंद है। यह एक नर्वस टॉनिक, शामक, कायाकल्प, एंटीकनवेल्सेट और सूजन दूर करने वाली औषध है। आयुर्वेद में, ब्राह्मी को भावनात्मक तनाव, मानसिक थकान, स्मृति का नुकसान, और वात विकार को कम करने के लिए दिया जाता है। यह मस्तिष्क के कार्यों, स्मृति और सीखने को बढ़ावा देती है यह मिर्गी, दौरे, क्रोध, चिंता और उन्माद में लाभप्रद है गया है।

ब्राह्मी को वच के साथ देने से शरीर में कफ की मात्रा कम होती है। ब्राह्मी को जीरे के साथ देने से आंते रिलैक्स होती हैं।

शंखपुष्पि

आयुर्वेद में शंखपुष्पि Convolvulus pluricaulis दवा की तरह पूरे पौधे को प्रयोग करते हैं।  शंखपुष्पि उन्माद, पागलपण और अनिद्रा को दूर करने वाली औषध है। यह स्ट्रेस, एंग्जायटी, मानसिक रोग और मानसिक कमजोरी को दूर करती है। शंखपुष्पि एक ब्रेन टॉनिक है।

  • रस: कटु, तिक्त, काषाय
  • वीर्य: शीतल
  • विपाक: कटु
  • गुण: सार
  • दोष पर प्रभाव: कफ-पित्त कम करना
  • शंखपुष्पि पित्तहर, कफहर, रसायन, मेद्य, बल्य, मोहनाशक और आयुष्य है। यह मानसरोगों और अपस्मार के इलाज में प्रयोग की जाने वाली वनस्पति है।

वच

वच को कैलमस रूट, स्वीट फ्लैग, उग्रगंध आदि नामों से जानते हैं। इसका लैटिन नाम एकोरस कैलमस Acorus calamus है। वच का शाब्दिक अर्थ है बोलना, और यह हर्ब कंठ के लिए अच्छी है।

  • रस: कटु, तिक्त, काषाय
  • वीर्य: उष्ण
  • विपाक: कटु
  • गुण: लघु, रूक्ष
  • दोष पर प्रभाव: कफ-वात कम करना, पित्त बढ़ाना

 वच दीपन, पाचन, लेखन, प्रमाथि, कृमिनाशक, उन्मादनाशक, अपस्मारघ्न, और विरेचक है। यह मस्तिष्क के लिए रसायन है और शिरोविरेचन है।

वच को गर्भावस्था में प्रयोग करने का निषेध है।

त्रिकटु

त्रिकटु सौंठ, काली मिर्च और पिप्पली का संयोजन है। यह आम दोष (चयापचय अपशिष्ट और विषाक्त पदार्थों), जो सभी रोग का मुख्य कारण है उसको दूर करता है। यह बेहतर पाचन में सहायता करता है और यकृत को उत्तेजित करता है। यह तासीर में गर्म है और कफ दोष के संतुलन में मदद करता है।

अश्वगंधा

  • अश्वगंधा को असगंध, आसंध और विथानिया, विंटर चेरी आदि नामों से जाना जाता है। इसकी जड़ को सुखा, पाउडर बना आयुर्वेद में वात-कफ शामक, बलवर्धक रसायन की तरह प्रयोग किया जाता है।
  • यह एक टॉनिक दवा है। यह शरीर को बल देती है। असगंध तिक्त-कषाय, गुण में लघु, और मधुर विपाक है। यह एक उष्ण वीर्य औषधि है। यह वात-कफ शामक, अवसादक, मूत्रल, और रसायन है जो की स्पर्म काउंट को बढ़ाती है।

दवा के औषधीय कर्म

  • अनुलोमन: द्रव्य जो मल व् दोषों को पाक करके, मल के बंधाव को ढीला कर दोष मल बाहर निकाल दे।
  • आयुष्य: जीवनीय
  • उन्मादहर: उन्माद / पागलपन को दूर करना।
  • कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
  • कुष्ठघ्न: द्रव्य जो त्वचा रोगों में लाभप्रद हो।
  • निद्राजनन: नींद लाने वाला। sedative
  • बल्य: ताकत देना।
  • मज्जाधातु रसायन: नसों के लिए लाभदायक।
  • मनोरोग्घ्न: मानसिक रोगों को दूर करना। Alleviates mental diseases
  • मेद्य: बुद्धिवर्धक intellect-promoting
  • वातहर: द्रव्य जो वातदोष निवारक हो।
  • हृदय: द्रव्य जो हृदय के लिए लाभप्रद है।

सारस्वत चूर्ण के लाभ/फ़ायदे Benefits of Saraswat Churna

  • इसका प्रयोग शरीर में ठंडक देता है।
  • यह नेत्रों के लिए हितकर है।
  • यह प्राकृतिक है और किसी के भी द्वारा इस्तेमाल करने के लिए सुरक्षित है।
  • यह बेहोशी, दौरे पड़ना, मसों की कमजोरी को दूर करने वाली दवा है।
  • यह मस्तिष्क के लिए टॉनिक है।
  • यह मानसिक थकावट को कम करती है।
  • यह याददाश्त को बढ़ाती है।
  • यह वात, पित्त, और कफ को संतुलित करती है और त्रिदोषनाशक है।

सारस्वत चूर्ण के चिकित्सीय उपयोग Uses of Saraswat Churna

  • अनिद्रा
  • अपस्मार (Epilepsy) मिर्गी
  • अल्जाइमर
  • अवसाद, तनाव
  • अस्पष्ट भाषा (Incoherent speech)
  • मानस रोग (Mental disorders)
  • मानसिक थकान
  • मानसिक विकार
  • सिर में दर्द
  • स्मरण शक्ति की कमी
  • स्वर को उत्तम करने के लिए
  • स्वर विकार (Aphasia)
  • हकलाना, तुतलाना

मिर्गी में इसके प्रयोग से पहले डॉक्टर से कंसल्ट करें।

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Saraswat Churna

  • 1 ग्राम से 5 ग्राम, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे घी, शहद, दूध, के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  • गर्भावस्था में कोई दवा बिना डॉक्टर की सलाह के न लें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • नियमित व्यायाम करें।
  • दवा को अँधेरे और सूखे स्थान पर रखें।
  • यह दवा लम्बे समय तक के लेने के लिए है।
  • गर्भावस्था में इसका सेवन न करें।

उपलब्धता

  • इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
  • Baidyanath Saraswat Churna
  • Zandu Saraswat Churna
  • Vaidyaratnam Saraswatha Choornam 40 gram Price: Rs 45
  • Arya Vaidya Sala Kottakal Saraswata Churnam
  • Imis Saraswatadi Lehya
  • Vyas Saraswat Churna
  • तथा अन्य बहुत सी फर्मसियाँ।

डॉक्टर ऑर्थो तेल Dr. Ortho Oil

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डॉ. ऑर्थो के टीवी कमर्शियल आजकल टीवी पर बहुत देखे जा रहें है। डा। ऑर्थो प्रोडक्ट्स को जोड़ो के दर्द, कमर दर्द, घुटनो का दर्द, मांसपेशियों के दर्द आदि के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

डा. ऑर्थो के प्रोडक्ट रेंज में शामिल है, आयुर्वेदिक तेल, कैप्सूल, स्प्रे Ayurvedic Oil, Capsules, Spray & Ointment for your Healthy Joints और ऑइंटमेंट।

डॉक्टर ऑर्थो तेल, में 8 हर्बल द्रव्य है जिसमें दर्द निवारक और वातशामक गुण है। तेल दर्द वाले हिस्से पर बाहर से लगाकर मालिश करने के लिए है। इससे मालिश करने से दर्द तथा सूजन कम हो सकती है। तेल क्योंकि बाहरी इस्तेमाल के लिए है, आप इसे नियमित इस्तेमाल कर सकते हैं। मालिश किये जाने पर खून का दौरा ठीक से होता है और रुकावट, सूजन दूर होती है। इसे लगा कर तब तक की जानी चाहिए जब तक तेल शरीर के द्वारा सोख न लिया जाए। मालिश के बाद अंगों को गर्म कपड़े से तुरन्त ही ढक देना चाहिए। डा। ऑर्थो तेल को मुख्य रूप से जोड़ों की मालिश और दर्द में इस्तेमाल करते हैं।

इसका बेस तेल तिल का तेल है। तिल का तेल, भारी, संकोचक और स्वाभाव से गर्म है। मालिश करने के लिए यह बहुत ही लाभकारी है।  तिल के तेल को मालिश के तेल बनाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। यह शरीर में वात को कम करता है। इससे मालिश करने से गर्मी आती है। यह दर्द और जोड़ों की जकड़न को दूर करता है।

इसे प्रभावित जगह पर दिन में दो-तीन बार लगाया जाना चाहिए।तेल को हल्का गर्म करें। हथेली पर लेकर प्रभावित अंग पर लगाएं।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। मार्किट में इसी तरह के फोर्मुले की अन्य फार्मसियों द्वारा निर्मित दवाएं उपलब्ध हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Dr. Ortho is useul in joint pain, back pain, body pain, and other Vata Roga. It is used for massaging painful musculoskeletal tissues. It gives relief in inflammation or stiffness in the joints.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • पर्याय: डोक्टर ओर्थो, dr. Ortho Oil
  • निर्माता: SBS Biotech (Unit-II) Ayurvedic Division, Mouza Rampur Jattan, Himachal Pradesh
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: आयुर्वेदिक हर्बल तेल
  • मुख्य उपयोग: वात रोग
  • मुख्य गुण: वात दोष दूर करना
  • मूल्य MRP: डॉ ऑर्थो पेन रिलीफ आयल के 120 ml की कीमत 295 रुपए है।

डॉ. ऑर्थो तेल के घटक Ingredients of Dr. Ortho Oi

हर 100 मिलीलीटर तेल में शामिल हैं:

  • अलसी तेल Linum Usitatissimum (Alsi Oil) 5 मिलीलीटर
  • कपूर तेल Cinnamomum Camphora (Kapoor Oil) 5 मिलीलीटर
  • पुदीना तेल Mentha Piperata (Pudina Oil) 5 मिलीलीटर
  • चीड़ तेल Pinus Roxburghi (Cheed Oil) 8 मिलीलीटर
  • गंधपुरा तेल Gaultheria Fragrantissima (Gandhapura Oil) 8 मिलीलीटर
  • निर्गुन्डी तेल Vitex Negundo (Nirgundi Oil) 2 मिलीलीटर
  • ज्योतिष्मती तेल Celastrus Paniculatus (Jyotishmati Oil) 2 मिलीलीटर
  • तिल का तेल Sesamum Indicum (Til Oil) 65 मिलीलीटर

अलसी तेल या फ्लेक्ससीड आयल में उपचार करने वाले कई यौगिक और सूजन उतारने वाले यौगिक पाए जाते हैं। अलसी तेल में आवश्यक फैटी एसिड विशेष रूप से, ओमेगा 3-फैटी एसिड होता है , जिसमें जोड़ों और मांसपेशियों में सूजन को कम करने की क्षमता होती है।

कैम्फर ऑयल में एनाल्जेसिक प्रभाव है। यह कठोर मांसपेशियों और अंगों में रक्त परिसंचरण को उत्तेजित करने में मदद करता है। कैम्फर तेल विभिन्न दर्दनाक स्थितियों जैसे कि जोड़ों में दर्द और पीड़ादायक दर्द में बहुत उपयोगी है।

मेन्था पापीरिटा शरीर में दर्द, जोड़ और पेशी दर्द जैसी पुरानी दर्द की स्थिति में अत्यधिक लाभप्रद माना जाता है।

चीड़ तेल या पाईनेक्स रॉक्सबरी, एनाल्जेसिक और एंटीइन्फ्लेमेटरी गतिविधि के लिए जाना जाता है। चीड़ तेल saponins और flavonoids का एक समृद्ध स्रोत है जो सूजन कम करने में शामिल है। यह जोड़ो के दर्द, सूजन और दर्द के लिए सबसे अच्छा विकल्प है।

गन्धपूरा तेल / विंटरग्रीन आयल, पेड़ की पत्तियों Gaultheria procumbens से निकाला जाता है। पत्तियों को गर्म पानी में मिलाया जाता है, और एंजाइम की सहायता से मिथाइल सैलिसिलेट का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसके बाद, स्टीम डिस्टिलेशन / आसवन का उपयोग, मिथाइल सैलिसिलेट को अलग करने के लिए किया जाता है। विंटरग्रीन आयल का उपयोग सिर दर्द, तंत्रिका दर्द (विशेषकर कटिस्नायुशूल), गठिया, डिम्बग्रंथि के दर्द और मासिक धर्म में दर्द सहित दर्दनाक स्थितियों के लिए किया जाता है।

विंटरग्रीन तेल में मिथाइल सैलिसिलेट Methyl Salicylate होता है। मिथाइल सैलिसिलेट का प्रयोग कम दर्द और मांसपेशियों / जोड़ों के दर्द (जैसे, गठिया, पीठ दर्द, मोच) के इलाज के लिए किया जाता है। मिथाइल सैलिसिलेट टोपिकल (त्वचा के लिए) मांसपेशियों या जोड़ों में तनाव, मोच, संधिशोथ, चोट या पीठ दर्द के कारण अस्थाई राहत के लिए बाहर से लगाया जाता है।

  • मेन्थॉल और मिथाइल सैलिसिलेट को काउंटरिट्रिटेंट्स के रूप में जाना जाता है। वे त्वचा को शांत महसूस करने और फिर गर्म होने के कारण काम करते हैं।
  • गन्धपूरा तेल को मुंह में नहीं डालना चाहिए। यह विषाक्त है और शरीर में जाने पर मतली , उल्टी , दस्त, सिरदर्द , पेट दर्द , और भ्रम आदि कर सकता है।
  • गन्धपूरा तेल को पालतू जानवरों से दूर रखना चाहिए और पशुओं पर नहीं लगाना चाहिए।

निरगुंडी तंत्रिकादर्द, जोड़ों के दर्द और पेशी दर्द में फायदेमंद होता है। ज्योतिष्मति के बीज के तेल में प्रभावी पदार्थ मांसपेशियों, जोड़ों और कंधे से जुड़े दर्द को कम करने में मदद करता है।

डॉ. ऑर्थो तेल के लाभ/फ़ायदे Benefits of Dr. Ortho Oil in Hindi

  • डॉ. ऑर्थो आयुर्वेदिक औषधीय हर्बल फार्मूलेशन है, जिसमें 8 अलग-अलग आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां शामिल हैं, जिनका उपयोग संयुक्त दर्द से राहत पाने के लिए किया जाता है।
  • डॉ. ऑर्थो आयुर्वेदिक औषधीय तेल स्नायु, पैर, पीठ, गर्दन, जोड़ों और कंधे से जुड़े विभिन्न दर्द से राहत पाने के लिए सबसे अच्छा उपाय है।
  • हर्बल सक्रिय तत्व रक्त परिसंचरण, कठोर मांसपेशियों और अंगों, शरीर में दर्द, पेशी के दर्द, गंभीर जोड़ों में दर्द या सूजन, जोड़ों में दर्द और दर्द की उत्तेजना में सहायता करते हैं।
  • डा. ऑर्थो तेल एक आयुर्वेदिक तेल है जो पुराने जोड़ों के दर्द, मांसपेशियों में दर्द और गठिया, गाउट, आदि की वजह से जोड़ों में कठोरता में लाभप्रद है।
  • यह दर्द के लिए एक प्रभावी उपाय है।
  • नियमित रूप से डा। ऑर्थो तेल की मालिश खून के दौरे को बढ़ा देती है, जिससे आस-पास की मांसपेशियों में रक्त की आपूर्ति बढ़ जाती है और नसों को ताकत मिलती है जिससे दर्द से स्थायी राहत मिलती है।
  • तेल प्रभावित क्षेत्र में त्वरित अवशोषण के साथ अच्छी फैलता है।
  • डा. ऑर्थो तेल की मालिश दर्द को ठीक करने के लिए अच्छा प्राकृतिक उपाय है।

डॉ. ऑर्थो तेल के चिकित्सीय उपयोग Uses of Dr. Ortho Oil

  • ऑस्टियोआर्थराइटिस (अस्थिसंधिशोथ)
  • कंधे में दर्द
  • कमर दर्द
  • गठिया
  • गर्दन दर्द
  • घुटने का दर्द
  • जोड़ों का दर्द और जकड़न
  • पीठ दर्द
  • मांसपेशियों में दर्द और जकड़न

उपयोग विधि/ कैसे इस्तेमाल करे?

  • प्रभावित हिस्से पर 5 मिलीलीटर से 10 मिलीलीटर लगाना होता है। इतने तेल को निकाल कर हल्का गर्म करें।
  • धीरे-धीरे 5-20 मिनट के लिए मालिश करें। ऐसा दिन में दो बार करें या चिकित्सक द्वारा निर्देशित तरीके से करें।
  • गंभीर दर्द की स्थिति में, डॉ। ऑर्थो आयुर्वेदिक कैप्सूल का नियमित उपयोग + डॉ।ऑर्थो आयुर्वेदिक औषधीय तेल की मालिश, कम से कम 21 दिन में प्रभावी परिणाम में मदद करता है।

सावधनियाँ / साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • प्रयोग से पहले पैच टेस्ट करें।
  • यह तेल केवल बाहरी प्रयोग के लिए है इसका कोई साइड इफ़ेक्ट ज्ञात नहीं है।
  • तेल को कटे, छिले, जले, खुले घाव आदि पर प्रयोग नहीं करना चाहिए।

नवहृदय कल्प Navahridaya Kalpa Detail and Uses in Hindi

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नवहृदय कल्प, श्री श्री आयुर्वेदा के द्वारा निर्मित एक दवाई है। यह टेबलेट के रूप में है। यह हाइपरटेंशन की दवा है और बढ़े हुए ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रोल को कंट्रोल करने में सहायक है।

नवहृदय कल्प में अश्वगंधा, सर्पगंधा, अर्जुन, त्रिकटु आदि द्रव्य हैं, जो पुराने समय से ही हृदय रोगों में इस्तेमाल किये जाते हैं। अश्वगंधा होने से यह स्ट्रेस को कम करती है। सर्पगंधा अवसादक है और रक्तचाप को कम करती है। सर्पगंधा के सेवन से मस्तिष्क को आराम मिलता है और नींद अच्छी आती है।

यह हृदय रोग की दवा है इसलिए इसे लेने में विशेष सावधानी की ज़रूरत है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए उपलब्ध हैं।

इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Sri Sri Ayurveda, Navahridaya Kalpa is polyherbal proprietary Ayurvedic medicine indicated in hypertension. It is also helpful in reducing cholesterol level.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • निर्माता / ब्रांड: श्री श्री आयुर्वेदा
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: हृदय रोग
  • मुख्य गुण: रक्त चाप और कोलेस्ट्रोल कम करना

मूल्य: नवहृदय कल्प की 60 गोली की कीमत 140 रुपए है।

नवहृदय कल्प के घटक Ingredients of Navahridaya Kalpa

  • अश्वगंधा Ashwagandha Withania somnifera 58.15 mg
  • लाल कमल पुष्प Red Lotus Nelumbo Nucifera 46.52 mg
  • सफ़ेद कमल पुष्प White Lotus Nymphaea Lotus 46.52 mg
  • बिल्व Bilva Aegle Marmelos 46.52 mg
  • पुनर्नवा Punarnava Boerhavia Diffusa 34.89 mg
  • भृंगराज Bhringraj Eclipta Alba 34.89 mg
  • अर्जुन Arjuna Terminalia Arjuna 34.89 mg
  • मरिचा Maricha (Black Pepper) Piper Nigrum 23.26 mg
  • सोंठ Sonth (Ginger Rhizome) Zingiber Officinale 23.26 mg
  • पिप्पली Pippali Piper Longum 23.26 mg
  • पीपल Peepal (Sacred Fig) Ficus Religiosa Bark 23.26 mg
  • सर्पगंधा Sarpagandha (Indian Snakeroot) Rauwolfia Serpentina 23.26 mg
  • नीम Neem Azadirachta Indica 17.45 mg
  • तुलसी Tulsi (Holy Basil) Ocimum Sanctum 17.45 mg
  • रसना Rasna Pluchea Lanceolata 11.63 mg
  • मुलेठी Yashtimadhu Glycyrrhiza Glabra 11.63 mg
  • शंखपुष्पि Shankhpushpi Convolvulus Pluricaulis 11.63 mg
  • प्रीज़रवेटिव Preservatives:
  • पोटासियम सोरबेट Potassium Sorbate 1.2 mg
  • सोडियम बेन्जोएट Sodium Benzoate 0.6 mg
  • Excipients Q.S.

अश्वगंधा

अश्वगंधा (Withania somnifera) की जड़ें आयुर्वेद में टॉनिक, कामोद्दीपक, और शरीर की प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए improves immunity प्रयोग की जाती है। अश्वगंधा तंत्रिका कमजोरी, बेहोशी, चक्कर और अनिद्रा nervous weakness, fainting, giddiness and insomnia तथा अन्य मानसिक विकारों की भी अच्छी दवा है। यह पुरुषों में यौन शक्ति बढ़ाने के लिए प्रयोग की जाती है।

यह पुरुष प्रजनन अंगों पर विशेष प्रभाव डालती है। यह पुरुषों में जननांग के विकारों के लिए एक बहुत ही अच्छी हर्ब है। यह वीर्य की मात्रा और गुणवत्ता को बढ़ाने में भी मदद करती है।

अश्वगंधा जड़ में कई एल्कलॉइड होते हैं जैसे की, विथानिन, विथानानाइन, सोमनाइन, सोम्निफ़ेरिन आदि। भारतीय अश्वगंधा के पत्तों में विथफेरिन A समेत 12 विथनॉलिडेस होते हैं। जड़ में फ्री अमीनो एसिड में जैसे की एस्पार्टिक अम्ल, ग्लाइसिन, टाइरोसीन शामिल एलनाइन, प्रोलाइन, ट्रीप्टोफन,ग्लूटामिक एसिड और सीस्टीन aspartic acid, glycine, tyrosine, alanine, proline, tryptophan, glutamic acid and cysteine आदि भी पाए जाते हैं।

विथानिन में शामक और नींद दिलाने वाला गुण है sedative and hypnotic। विथफेरिन एक अर्बुदरोधी antitumor, एंटीऑर्थरिटिक anti-arthritic और जीवाणुरोधी antibacterial है। अश्वगंधा स्वाद में कसैला-कड़वा और मीठा होता है। तासीर में यह गर्म hot in potency है।

इसका सेवन वात और कफ को कम करता है लेकिन बहुत अधिक मात्रा में सेवन शरीर में पित्त और आम को बढ़ा सकता है। यह मुख्य रूप से मांसपेशियों muscles, वसा, अस्थि, मज्जा/नसों, प्रजनन अंगों reproductive organ, लेकिन पूरे शरीर पर काम करता है। यह मेधावर्धक, धातुवर्धक, स्मृतिवर्धक, और कामोद्दीपक है। यह बुढ़ापे को दूर करने वाली औषधि है।

सर्पगन्धा

स्वाद में कड़वी, गुण में रूखा करने वाला, और लघु है। स्वभाव से यह गर्म है और कटु विपाक है।

यह कटु रस औषधि है। कटु रस तीखा होता है और इसमें गर्मी के गुण होते हैं। गर्म गुण के कारण यह शरीर में पित्त बढ़ाता है, कफ को पतला करता है। यह पाचन और अवशोषण को सही करता है। इसमें खून साफ़ करने और त्वचा रोगों में लाभ करने के भी गुण हैं। कटु रस गर्म, हल्का, पसीना लाना वाला, कमजोरी लाने वाला, और प्यास बढ़ाने वाला होता है। यह रस कफ रोगों में बहुत लाभप्रद होता है। पित्त के असंतुलन होने पर कटु रस पदार्थों को सेवन नहीं करना चाहिए। इसमें रक्तचाप कम करने, निद्राजनन, हृदय की असामान्य बढ़ी गति को कम करना, एंग्जायटी, स्ट्रेस को कम करने आदि के गुण हैं।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि सर्पगंधा का सेवन रक्तचाप कम करता है. यह रक्त वाहिका को फैलता है और सेडेटिव प्रभाव डालता है। लेकिन सर्पगंधा के कई साइड इफेक्ट भी होते हैं। उदाहरण के लिए, एल्कालोइड रेसरपीन में शक्तिशाली hypotensive और tranquillizer प्रभाव होता है, लेकिन इसके लंबे समय तक उपयोग प्रोलेक्टिन को उत्तेजित करता है और स्तन कैंसर का कारण बनता है। सर्पगंधा के मांसपेशियों का रिलैक्स होना, प्रजनन क्षमता में कमी, पुरुष हार्मोन को कम करने, असामान्य हृदय धड़कन, आदि सहित कई अन्य दुष्प्रभाव हैं।

सर्पगंधा को अल्सर, अल्सरेटिव कोलाइटिस और अवसाद में नहीं लिया जाना चाहिए। सर्पगंधा से अवसादग्रस्तता का प्रभाव होता है जो इसके प्रयोग के लंबे समय तक जारी रह सकता है। इसलिए किसी भी व्यक्ति को अवसाद से पीड़ित होने पर सर्पगंधा को नहीं लेना चाहिए।

सर्पगंधा का स्वास्थ्य पर सबसे आम साइड इफेक्ट या नकारात्मक प्रभावों में चक्कर आना, सिरदर्द, बेहोशी, उनींदापन, आंखों की लाली, शुष्क मुंह, दस्त, नपुंसकता (इरेक्शन की समस्या) और कम सेक्स करने ड्राइव आदि शामिल हैं।

अन्य कम सामान्य दुष्प्रभाव अनियमित / धीमी गति से हराया, छाती में दर्द, सांस की तकलीफ, कठोरता, हाथों का कांपना, और पैरों में सूजन आदि हैं. कुछ दुर्लभ दुष्प्रभावों में दाने, त्वचा की खुजली, गले में खराश, बुखार, दर्द, मतली, उल्टी, ब्लीडिंग, डरावने सपने आना और मूत्र संबंधी समस्याएं आदि शामिल हैं.

मिर्गी से पीड़ित लोग, और जिन्होंने सामान्य या रीढ़ की हड्डी में संज्ञाहरण दिया है, उन्हें चिकित्सक से सलाह लेने के बाद ही इसे लेना चाहिए, 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को इसे लेने से बचना चाहिए।

अर्जुन

अर्जुन की छाल में करीब 20-24% टैनिन पाया जाता है। छाल में बीटा-सिटोस्टिरोल, इलेजिक एसिड, ट्राईहाइड्रोक्सी – ट्राईटरपीन मोनो कार्बोक्सिलिक एसिड, अर्जुनिक एसिड, आदि भी पाए जाते हैं। इसमें ग्लूकोसाइड अर्जुनीन, और अर्जुनोलीन भी इसमें पाया जाता है। पेड़ की छाल में पोटैशियम, कैल्शियम, मैगनिशियम के साल्ट भी पाए जाते हैं। अर्जुन की छाल, ज्वरनाशक, मूत्रल, और अतिसार नष्ट करने वाली होती है। यह उच्च रक्त्र्चाप को कम करती है।

त्रिकटु

त्रिकटु सौंठ, काली मिर्च और पिप्पली का संयोजन है। यह आम दोष (चयापचय अपशिष्ट और विषाक्त पदार्थों), जो सभी रोग का मुख्य कारण है उसको दूर करता है। यह बेहतर पाचन में सहायता करता है और यकृत को उत्तेजित करता है। यह तासीर में गर्म है और कफ दोष के संतुलन में मदद करता है।

नवहृदय कल्प के लाभ/फ़ायदे Benefits of Navahridaya Kalpa

  • यह हर्बल है।
  • यह नर्वस सिस्टम पर काम करती है।
  • यह उच्च रक्तचाप को कम करती है।
  • यह हृदय की असामान्य बढ़ी गति को कम करती है।
  • यह निद्राजनक है।
  • यह सेंट्रल नर्वस सिस्टम को डिप्रेस करती है।
  • इसे लेने से हृदय को बल मिलता है।
  • यह स्ट्रेस को कम करती है।
  • यह कोलेस्ट्रोल को कम करने में एशायक है।
  • यह एंग्जायटी, स्ट्रेस को कम करने में सहायक है।
  • इसमें हृदय के लिए आयुर्वेद में इस्तेमाल किए जाने वाले जाने माने द्रव्य हैं।
  • इसमें एंटीहाइपरटेंसिव, कार्डियोप्रोटेक्टीव और न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण हैं।

नवहृदय कल्प के चिकित्सीय उपयोग Uses of Navahridaya Kalpa

नवहृदय कल्प को मुख्य रूप से ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके सेवन से मस्तिष्क को आराम मिलता है और नींद अच्छी आती है।

उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रोल का स्तर कम करना

  • यह बड़े हुए रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक है, इसमें अश्वगंधा, अर्जुन, सर्पगंधा, आदि है जो उच्च रक्तचाप में इस्तेमाल की जाती है। यह स्ट्रेस को कम करती है और अच्छी नीद लाने में सहायक है।
  • क्योंकि यह रक्त्चाओ को कम करने वाली दवा है, इसे लो ब्लड प्रेशर में नहीं लेना चाहिए।

अनिद्रा

नींद नहीं आने की समस्या अनिद्रा कहलाती है। इसमें अश्वगंधा और सर्पगंधा है जिनका सेडेटिव असर होता है।

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Navahridaya Kalpa

  • 2 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे दूध, पानी के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ / साइड-इफेक्ट्स / कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  • इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  • यह दवा हृदय पर काम करती है, इसलिए इसके सेवन में बहुत सावधानी की आवश्यकता है।
  • दवा के द्रव्यों के बारे में जानें और साइड इफेक्ट्स को ध्यान में रखते हुए ही प्रयोग का निर्णय करें।
  • यह पित्त वर्धक है।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  • यदि आपको इसके सेवन के दौरान किसी भी प्रकार का साइड-इफेक्ट लगे या यह आपको सूट न करे तो कृपया इसे न लें।

अश्वगंधा Ashwagandha किसे नहीं लेनी चाहिए?

  • यदि शरीर में आम दोष है, स्रोतों में रूकावट है तो इसका सेवन सावधानी से करें।
  • बहुत अधिक मात्रा में इसका सेवन गर्भावस्था में नहीं किया जाना चाहिए। यद्यपि असगंध का प्रयोग गर्भावस्था में किया जाता है लेकिन इसकी मात्रा, गर्भावस्था का महिना, खतरा आदि सभी को देख कर ही इसकी मात्रा दी जाती है। यदि अधिक मात्रा में इसका सेवन किया जाता है तो यह पित्तवर्धक है। इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के गर्भावस्था में इसका सेवन न करे।
  • इसे अन्य सेडेटिव दवा के साथ न लें।
  • अश्वगंधा का सेवन रक्त में शुगर के लेवल को कम करता है। लेकिन यह असर बहुत अधिक नहीं होता।
  • दवा के सेवन का असर कुछ सप्ताह के प्रयोग के बाद आता है।

सर्पगन्धा Sarpgandha किसे नहीं लेनी चाहिए?

  • यह पित्त को बढ़ाती है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।
  • अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
  • जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, अल्सर, कोलाइटिस हो, वे इसका सेवन न करें।
  • शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है bleeding disorder, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
  • आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। इसका सेवन गर्भावस्था में न करें।
  • इसे स्तनपान के दौरान न खाएं।
  • इसे डिप्रेशन /अवसाद में न खाएं।
  • यदि अनिद्रा की समस्या के साथ कम रक्तचाप की शिकायत भी है तो इसका सेवन न करें।
  • अधिक मात्रा में सेवन न करें। इसमें सर्पगंधा और भांग है जिसका अधिक सेवन स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्प्रभाव डालता है।
  • इसे बच्चों को न दें। बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

मुलेठी licorice किसे नहीं लेनी चाहिए?

  • ज्यादा मात्रा में लम्बे समय तक लेने से उच्च रक्तचाप और शरीर में पोटैशियम की अधिक मात्रा हो जाती है।
  • यह बाहों और पैरों में मांसपेशियों में दर्द या सुन्नता कर सकती है।
  • 4 से 6 सप्ताह से अधिक समय तक किसी भी मुलेठी या इसके दवा वाले उत्पाद का सेवन नहीं किया जाना चाहिए।
  • उच्च रक्तचाप के लिए एसीई इनहिबिटर और मूत्रवर्धक लेते समय, मुलेठी उत्पादों का उपयोग न करें।
  • छोटी मात्रा में, यह उल्टी रोकती है लेकिन उच्च खुराक में, यह उल्टी लाती है।
  • यह कैल्शियम और पोटेशियम अवशोषण को रोकती है और इसलिए ऑस्टियोपोरोसिस में सावधानी से लिया जाना चाहिए।
  • 4-6 सप्ताह का उपयोग जारी रहता है तो हाइपोकैलेइमिया हो सकता है।
  • जब थियाज़ाइड मूत्रवर्धक के साथ संयोजन में लिया जाता है, जुलाब, यह पोटेशियम हानि बढ़ा सकती है।
  • डाइरेक्टिक्स, कार्डियक ग्लाइकोसाइड, कॉर्टिकॉस्टिरॉइड्स, उत्तेजक जुलाब या अन्य दवाओं के साथ इसका उपयोग इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन को बढ़ा सकते हैं।
  • यह उच्च नमक आहार के प्रभाव को बढ़ा सकती है।
  • यह गर्भनिरोधक गोली के प्रभाव को कम कर सकती है।
  • पर्याप्त डेटा की कमी के कारण 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों और किशोरों में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
  • शराब की दवा लेने वाले मरीजों को अन्य लिकोरिस वाले उत्पादों को नहीं लेना चाहिए क्योंकि गंभीर प्रतिकूल घटनाएं हो सकती हैं जैसे कि जल प्रतिधारण, हाइपोकलिमिया, उच्च रक्तचाप, हृदय विकार।
  • उच्च रक्तचाप, किडनी रोग, यकृत या हृदय संबंधी विकार या हाइपोक्लैमिया से प्रभावित मरीजों में शराब की दवा का इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि वे लिकोरिस के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील हैं।
  • लिकोरिस में एंटी-एस्ट्रोजेनिक और एस्ट्रोजेनिक गतिविधि होती है, जहां घटक ग्लोब्रिडिन में उच्च सांद्रता पर कम सांद्रता और एस्ट्रोजेनिक गतिविधि पर एस्ट्रोजेनिक गतिविधि होती है।
  • लीकोरिस युवा स्वस्थ पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन उत्पादन कम कर सकता है।
  • पोटेशियम की कमी से ग्रस्त व्यक्ति को लिकोरिस का उपयोग नहीं करना चाहिए।

त्रिकटु के सेवन में सावधानियाँ, साइड-इफेक्ट्स क्या हैं?

  • यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।
  • अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
  • जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, वे इसका सेवन न करें।
  • शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
  • आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। त्रिकटु का सेवन गर्भावस्था में न करें।

ट्रेसिना कैप्सूल Trasina Capsule Detail and Uses in Hindi

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ट्रेसिना कैप्सूल, हर्बल आयुर्वेदिक दवाई। यह दवा डे मेडिकल स्टोर द्वारा निर्मित है और मुख्य रूप से एंटीऑक्सीडेंट की तरह से ली जा सकती है। इसे अलजाइमर रोग, तनाव, चिंता, स्ट्रेस, इम्युनिटी की कमी, डायबिटीज, आर्थराइटिस, नींद नहीं आणि की समस्या, गंजापन, ट्यूमर आदि में ले सकते हैं। यह इम्युनिटी को बढ़ाती है और रोगों से शरीर की रक्षा करती है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

TRASINA CAPSULE (DEYS) is herbal Ayurvedic medicine containing Ashwagandha 80 mg, Tulsi 190 mg, Shilajit 20 mg, Guduchi 10 mg, Katuka 10 mg and Bhringraj 10 mg. It has significant antioxidant action. It improves body immunity and helps in various ailments.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  1. निर्माता: Dey’s Medical Stores
  2. उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  3. दवाई का प्रकार: हर्बल आयुर्वेदिक
  4. मुख्य गुण: एंटीऑक्सीडेंट
  5. मूल्य MRP: 10 कैप्सूल की कीमत रुपए 25 है।

ट्रेसिना कैप्सूल के घटक Ingredients of Trasina

Each Capsule Contains

  • Ashwagandha 60 mg
  • Tulsi 190 mg
  • Shilajeet 20 mg
  • Giloy 10 mg
  • Katuka 10 mg
  • Bhringraj 10 mg
  • As preservative Sodium Benzoate

जाने दवा में प्रयुक्त जड़ी-बूटियों को

तुलसी

इस दवा में मुख्य द्रव्य तुलसी है। तुलसी का सेवन कफ-खांसी, श्वशन अंगों के इन्फेक्शन, बुखार और इम्युनिटीबढ़ाने में आदि लाभप्रद है।

पवित्र तुलसी, हर हिन्दू के लिए पूजनीय है। यह एक औषधि भी है जो की रक्तविकार, पसली पीड़ा, पित्त की कमी, बुखार, कफ, अस्थमा आदि को दूर करती है। तुलसी के पत्तों का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

तुलसी स्वाद में कटुकड़वी, गुण में रूखा करने वाली और हलकी है। स्वभाव से यह गर्म है और कटु विपाक है। यह उष्ण वीर्य है। वीर्य का अर्थ होता है, वह शक्ति जिससे द्रव्य काम करता है। आचार्यों ने इसे मुख्य रूप से दो ही प्रकार का माना है, उष्ण या शीत। उष्ण वीर्य औषधि वात, और कफ दोषों का शमन करती है। यह शरीर में प्यास, पसीना, जलन, आदि करती हैं। इनके सेवन से भोजन जल्दी पचता (आशुपाकिता) है।

यह एंटीसेप्टिक, एंटीफंगल, एंटीमिक्रोबिअल, एंटीवायरल और एंटी-पाईरेटिक (बुखार को कम) है।

अश्वगंधा

अश्वगंधा आयुर्वेद की अत्यंत जानी-मानी जड़ी बूटी है। यह उत्तम रसायन है जो की शरीर को बल, ताकत, ओज, और आयुष्य प्रादान करती है। अश्वगंधा का वानस्पतिक नाम विथानिया सोमिनेफेरा है तथा औषधि के रूप में पौधे की जड़ ही मुख्य रूप से प्रयोग की जाती है। पौधे की जड़ को सुखा कर, कूट कर, पीस जो कपड़छन चूर्ण बनता है वही औषधि की तरह अकेले या अन्य द्रव्यों के साथ प्रयोग किया जाता है।

अश्वगंधा (Withania somnifera) की जड़ें आयुर्वेद में टॉनिक, कामोद्दीपक, और शरीर की प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए improves immunity प्रयोग की जाती है। अश्वगंधा तंत्रिका कमजोरी, बेहोशी, चक्कर और अनिद्रा nervous weakness, fainting, giddiness and insomnia तथा अन्य मानसिक विकारों की भी अच्छी दवा है। यह पुरुषों में यौन शक्ति बढ़ाने के लिए प्रयोग की जाती है।

यह पुरुष प्रजनन अंगों पर विशेष प्रभाव डालती है। यह पुरुषों में जननांग के विकारों के लिए एक बहुत ही अच्छी हर्ब है। यह वीर्य की मात्रा और गुणवत्ता को बढ़ाने में भी मदद करती है।

स्त्रियों में अश्वगंधा का सेवन स्तनपान breastfeeding कराते समय दूध की मात्रा में वृद्धि galactagogue करता है और हॉर्मोन के संतुलन में मदद करता है। इसका सेवन भ्रूण fetus को स्थिर करता है और हार्मोन पुन: बनाता है। प्रसव after delivery बाद इसका सेवन शरीर को बल देता है।

इसका सेवन वात और कफ को कम करता है लेकिन बहुत अधिक मात्रा में सेवन शरीर में पित्त और आम को बढ़ा सकता है। यह मुख्य रूप से मांसपेशियों muscles, वसा, अस्थि, मज्जा/नसों, प्रजनन अंगों reproductive organ, लेकिन पूरे शरीर पर काम करता है। यह मेधावर्धक, धातुवर्धक, स्मृतिवर्धक, और कामोद्दीपक है। यह बुढ़ापे को दूर करने वाली औषधि है।

भृंगराज

भृंगराज को हिंदी में भांगरा, भंगरिया, भंगरा, संस्कृत में केशराज, भृंगराज, भृंगरज, मार्कव, भृंग, अंगारक, केशरंजन आदि कहते है। इंग्लिश में ट्रेलिंग एक्लिप्टा और लैटिन में एक्लिप्टा अल्बा कहते हैं। यह वनस्पति नालियों के किनारे, खेतों के किनारे और पानी वाली जगहों पर पायी जाती है। यह एक खरपतवार है जो की बारिश के मौसम में स्वतः ही उग जाती है।

इसके पत्ते देखने में अनार के पत्ते जैसे पर उससे चौड़े और लम्बे होते हैं। इसके बीज बहुत छोटे और काले होते हैं।

औषधीय प्रयोग के लिए भृंगराज का पूरा पौधा ताज़ा या सूखा प्रयोग किया जाता है। यह केशों, त्वचा, नेत्रों और लीवर के लिए लाभप्रद है।

भृंगराज को लीवर सिरोसिस और हेपेटाइटिस में किया जाता है। यह रंजक पित्त को साफ़ करता है और लीवर की रक्षा करता है। यह बाइल का फ्लो बढ़ाता है और भूख को सही करता है। यह खून बढ़ाता है और लीवर फंक्शन को ठीक करता है। इसके सेवन से एनीमिया दूर होता है।

गिलोय (टिनोस्पोरा कोर्डिफोलिया)

गिलोय आयुर्वेद की बहुत ही मानी हुई औषध है। इसे गुडूची, गुर्च, मधु]पर्णी, टिनोस्पोरा, तंत्रिका, गुडिच आदि नामों से जाना जाता है। यह एक बेल है जो सहारे पर कुंडली मार कर आगे बढती जाती है। इसे इसके गुणों के कारण ही अमृता कहा गया है। यह जीवनीय है और शक्ति की वृद्धि करती है। इसे जीवन्तिका भी कहा जाता है।

दवा के रूप में गिलोय के अंगुली भर की मोटाई के तने का प्रयोग किया जाता है। जो गिलोय नीम के पेड़ पर चढ़ कर बढती है उसे और भी अधिक उत्तम माना जाता है। इसे सुखा कर या ताज़ा ही प्रयोग किया जा सकता है। ताज़ा गिलोय को चबा कर लिया जा सकता है, कूंच कर रात भर पानी में भिगो कर सुबह लिया जा सकता है अथवा इसका काढ़ा बना कर ले सकते है।

गिलोय वात-पित्त और कफ का संतुलन करने वाली दवाई है। यह रक्त से दूषित पदार्थो को नष्ट करती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। यह एक बहुत ही अच्छी ज्वरघ्न है और वायरस-बैक्टीरिया जनित बुखारों में अत्यंत लाभप्रद है। गिलोय के तने का काढ़ा दिन में तीन बार नियमित रूप से तीन से पांच दिन या आवश्कता हो तो उससे अधिक दिन पर लेने से ज्वर नष्ट होता है। किसी भी प्रकार के बुखार में लीवर पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में गिलोय का सवेन लीवर की रक्षा करता है। यदि रक्त विकार हो, पुराना बुखार हो, यकृत की कमजोरी हो, प्रमेह हो, तो इसका प्रयोग अवश्य करना चाहिए।

कटुकी Katuki (Picrorhiza kurroa)

कटुकी एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, और एंटीडायबिटिक है। यह स्वाद में कड़वी किन्तु सूजन को दूर करने वाली औषध है। इसे मुख्य रूप से गैस्ट्रिक जूस के कम स्राव, अपच, पीलिया, हेपेटाईटिस, सूजन दूर करने में, सिरोसिस, कब्ज़, मलेरिया, पेट के कीड़ों और डायबिटीज में प्रयोग किया जाता है।

कटुकी रस में कटु-तिक्त है। गुण में लघु है। तासीर में यह शीतल और कटु विपाक है। कर्म में यह ज्वरघ्न, पित्तहर, भेदी, दीपन और रक्तदोषहर है।

कटुकी का सेवन गर्भावस्था में नहीं करना चाहिए। यह लम्बे समय तक ली जा सकने वाली हर्ब है।

शिलाजीत

शिलाजीत, हिमालय की चट्टानों से निकलने वाला पदार्थ है। आयुर्वेद में औषधीय प्रयोजन के लिए शिलाजीत को शुद्ध करके प्रयोग किया जाता है। यह एक adaptogen है और एक प्रमुख आयुर्वेदिक कायाकल्प टॉनिक है। यह पाचन और आत्मसात में सुधार करता है। आयुर्वेद में, इसे हर रोग के इलाज में सक्षम माना जाता है। इसमें अत्यधिक सघन खनिज और अमीनो एसिड है।

  • शिलाजीत प्रजनन अंगों पर काम करता है। यह रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है और प्रतिरक्षा में सुधार करता है। यह पुरानी बीमारियों, शरीर में दर्द और मधुमेह में राहत देता है। इसके सेवन शारीरिक, मानसिक और यौन शक्ति देता है।
  • शिलाजीत रस में अम्लीय और कसैला, कटु विपाक और समशीतोष्ण (न अधिक गर्म न अधिक ठंडा) है।

ऐसा माना जाता है, संसार में रस-धातु विकृति से उत्पन्न होने वाला कोई भी रोग इसके सेवन से दूर हो जाता है। शिलाजीत शरीर को निरोगी और मज़बूत करता है।

  • यह पुरुषों के प्रमेह की अत्यंत उत्तम दवा है।
  • यह वाजीकारक है और इसके सेवन से शरीर में बल-ताकत की वृद्धि होती है।
  • यह पुराने रोगों, मेदवृद्धि, प्रमेह, मधुमेह, गठिया, कमर दर्द, कम्पवात, जोड़ो का दर्द, सूजन, सर्दी, खांसी, धातु रोग, रोगप्रतिरोधक क्षमता की कमी आदि सभी में लाभप्रद है।
  • यह शरीर में ताकत को बढाता है तथा थकान और कमजोरी को दूर करता है।
  • यह यौन शक्ति की कमी को दूर करता है।
  • यह भूख को बढाता है।
  • यह पुरुषों में नपुंसकता, शीघ्रपतन premature ejaculation, कम शुक्राणु low sperm count, स्तंभन erectile dysfunction में उपयोगी है।
  • यह शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने में मदद करता है।
  • शिलाजीत के सेवन के दौरान, आहार में दूध की प्रधानता रहनी चाहिए।

ट्रेसिना कैप्सूल के कर्म Principle Action

  • कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
  • दीपन: द्रव्य जो जठराग्नि तो बढ़ाये लेकिन आम को न पचाए।
  • पित्तकर: द्रव्य जो पित्त को बढ़ाये।
  • स्वेदल: द्रव्य जो स्वेद / पसीना लाये।
  • श्वास-कासहर: द्रव्य जो श्वशन में सहयोग करे और कफदोष दूर करे।
  • हृदय: द्रव्य जो हृदय के लिए लाभप्रद है।
  • कुष्ठघ्न: द्रव्य जो त्वचा रोगों में लाभप्रद हो।

ट्रेसिना कैप्सूल के लाभ/फ़ायदे Benefits of Trasina

  • इसका सेवन शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। यह बार-बार होने वाले इन्फेक्शन में लाभ करती है।
  • इसको लेना सरल है।
  • इसमें तुलसी के गुण हैं।
  • यह इम्युनिटी को बढ़ाती है।
  • यह एचआईवी वायरस के प्रतिरोध को कम करती है।
  • यह बालों के लिए फायदेमंद है।
  • यह बैक्टीरिया / वायरस / इन्फेक्शन के कारण तथा अन्य कारणों से होने वाले बुखार में बहुत प्रभावशाली है।
  • यह मस्तिष्क को बल देती है।
  • यह मस्तिष्क को शांत रखती है।
  • यह यकृत और गुर्दे के फंक्शन को सुधारती है।
  • यह यकृत की रक्षा करती है।
  • यह रक्तचाप को कम करने में सहायक है।
  • यह शरीर में फ्री रेडिकल को कम करती है।
  • यह शरीर में सूजन कम करती है।
  • यह हड्डियों के गठन के लिए कोशिकाओं के विकास को उत्तेजित करती है।

ट्रेसिना कैप्सूल के चिकित्सीय उपयोग Uses of Trasina

  • अनिद्रा
  • अल्जाइमर रोग
  • अल्सर Ulcers
  • अवसाद Depression
  • अस्थमा Asthma
  • इम्युनिटी कम हो जाना Immunosuppression
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल
  • एंग्जायटी Anxiety
  • एंटीऑक्सीडेंट Antioxidant
  • एलर्जिक राईनाइटिस
  • ऑक्सीडेटिव तनाव
  • कम इम्युनिटी Low immunity, Immunomodulator
  • कम कामेच्छा, सेक्स के लिए ठंडापन
  • गठिया, गाउट, आर्थराइटिस
  • चमड़ी के रोग
  • चिंता, तनाव, एंग्जायटी, मानसिक रोग
  • जोड़ों में सूजन Joint inflammation
  • ज्वर Fever
  • त्वचा रोग Skin disorders
  • थकावट Fatigue
  • परुषों में यौन दुर्बलता Male sexual dysfunction
  • प्रजनन और पेशाब अंगों के रोग Disorders of genito-urinary system
  • बार-बार होने वाला इन्फेक्शन Recurrent infections
  • बाल गिरना, गंजापन
  • ब्रोंकाइटिस Bronchitis
  • यकृत विकार, पीलिया, हेपेटाइटिस, लीवर बढ़ जाना
  • यक्ष्मा, hiv
  • रसायन As a tonic
  • समय से पहले एजिंग
  • सर्दी-खांसी-जुखाम Cold, Cough, Congestion
  • सामान्य जुखाम, बुखार, खांसी
  • हृदय रोग Cardiovascular diseases

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Trasina

  • 1 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे एक महीने तक लें।
  • इसे दूध, पानी के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  • निर्धारित मात्रा में लेने पर इस दवा के कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं देखे गए हैं।
  • इसे कुछ महीनों तक लिया जा सकता है।
  • तुलसी स्वभाव से गर्म Hot Potency है। पित्त की अधिकता में इसे सावधानी से लें।
  • गर्भावस्था में किसी भी हर्बल दवा का सेवन बिना डॉक्टर के परामर्श के न करें।
  • तुलसी का सेवन करने के तुरंत बाद दूध न पियें।
  • अश्वगंधा का सेवन रक्त में शुगर के लेवल को कम करता है।
  • दवा के सेवन का असर कुछ सप्ताह के प्रयोग के बाद आता है।
  • शिलाजीत के सीन के समय कुल्थी डाल का इस्तेमाल नहीं करें।
  • यदि आपको इसके सेवन के दौरान किसी भी प्रकार का साइड-इफेक्ट लगे या यह आपको सूट न करे तो कृपया इसे न लें।

अरसोल कैप्सूल Arsol Capsule Detail and Uses in Hindi

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अरसोल कैप्सूल (Arsol Capsule), बन लैब्स द्वारा निर्मित एक प्रोप्राइटरी हर्बल आयुर्वेदिक दवाई है तथा इसे पाइल्स की समस्या में इस्तेमाल किया जाता है। पाइल्स जिसे बवासीर और अर्श भी कहते हैं, में मलाशय के आसपास की रक्त वाहिकाएं जोर पड़ने से खिंच कर सूज जाती है। यह फूली हुई शिराएँ ही हेमेरोइड्स या मस्से हैं। यह मुख्य रूप से कब्ज़ और पेट का रोग है। लगातार रहने वाला कब्ज़ से मलाशय में घाव हो सकता है और कब्ज़ से आराम पाने के लिए खाए गए जुलाब से मलाशय की दीवारे कमजोर हो जाती है। इन सबसे शिराएँ सूज जाती है और म्यूकस झिल्ली में खून भर जाता है।

बवासीर का सबसे प्रमुख लक्षण है शौच के दौरान दर्द या दर्द व खून जाना। इसका इलाज़ जटिल होता है। क्योंकि जब तक कब्ज़ और कारणों को दूर नहीं कर दिया जाता तब तक यह बार-बार होता रहता है। सर्जरी के बाद भी इसके होने के आसार बने रहते हैं।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। मार्किट में इसी तरह के फोर्मुले की अन्य फार्मसियों द्वारा निर्मित दवाएं उपलब्ध हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Arsol Capsule from BAN labs, is an herbal remedy to get relief from piles. Piles is a difficult to treat disease. With the use of proper diet and appropriate lifestyle the risk factors can be reduced.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल दवाई
  • मुख्य उपयोग: पुरानी कब्ज़, बवासीर / पाइल्स अथवा अर्श
  • मुख्य गुण: विरेचन, एंटीसेप्टिक, पाइल्स के लक्षणों में आराम देना
  • मूल्य MRP:अरसोल के 10 कैप्सूल की कीमत 39.70 रुपए है.

अरसोल कैप्सूल के घटक Ingredients of Arsol Capsule

प्रत्येक कैप्सूल में:

  • अतीस Atish (Aconitum Heterophyllum) Ext 160 mg
  • सूरण Suran Kand (Amorphophallus Campanulatus) Ext 160 mg
  • रीठे की छाल Reetha Chhal (Sapindus Trifoliatus) 32 mg
  • रसोंत Rasot (Berberis Aristata) 16 mg
  • एलो वेरा Ghee Kunvar (Aloe Vera) 8 mg
  • वंश लोचन Vans Kapur (Bambusa Arundinacea) 8 mg
  • सनाए पट्टी Sonay (Cassia Angustifolia) 8 mg
  • सौंफ Saunf (Foenniculum Vulveri) 8 mg

जाने दवा में प्रयुक्त जड़ी-बूटियों को

अतीस पित्त वर्धक है और पाचन को सही करने वाली औषध है। अतीस रस में कटु, तिक्त है। गुण में लघु और रूक्ष है। तासीर में यह गर्म और कटु विपाक है। कर्म में यह भेदी, दीपन, पाचन, कफहर, वातदोषहर है।

जिमीकन्द, सूरण, कन्द, ओल, ओला, कांदल, अर्शोघ्न Sooran, Zamikand, Jimikand आदि सूरन के नाम हैं। पूरे भारत में इसे एक सब्जी के रूप पकाकर खाया जाता है।

यह फाइबर युक्त होता है और पुराने कब्ज़ और पाइल्स में लाभ करता है। आयुर्वेद में तो इसे अर्शोघ्न नाम दिया गया है है जिसका अर्थ होता है, अर्श अथवा पाइल्स को नष्ट करने वाला।

बवासीर के अतिरिक्त इसे ब्रोंकाइटिस, दमा, खांसी, अपच, पेट में दर्द, फ़ीलपाँव, त्वचा और रक्त रोग, नालव्रण, गर्दन की ग्रंथियों में सूजन, मूत्र रोगों और जलोदर के उपचार में एक दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह यकृत रोगों में विशेष रूप से उपयोगीहै। पुरानी कब्ज और बवासीर के रोगियों के लिए यह एक अच्छी सब्जी है।

दारुहल्दी के काढ़े को बहुत पकाने पर रसोंत बनती है। रसोंत Rasont or Rasaunt or Rasanjana / Rasanjana, Rasobhuta, Tarksa saila, varsika and Rasagry को दारुहल्दी के तने की छाल और जड़ से बनाया जाता है। इसे बहुत से रोगों में घरेलू उपचार के रूप में पुराने समय से लोग प्रयोग करते रहे हैं। यह रस में मधुर, गुण में लघु, रूक्ष, तथा वीर्य में शीत है। यह कटु विपाक है तथा अरुचि दूर करने वाली है। यह पित्तशामक है और विषतम्भी है।

रसोंत को रक्तार्श, आँखों के रोगों, चमड़ी के रोगों, अल्सर, पीलिया, यकृत-तिल्ली की वृद्धि आदि में प्रयोग करने से लाभ होता है। ब्लीडिंग पाइल्स जिसे रक्तार्श भी कहते हैं, में इसे बाह्य रूप से प्रभावित स्थान को धोने के लिए भी प्रयोग करते हैं। आंतरिक रूप से सेवन पर है यह शरीर में सूजन कम करती है। लीवर के रोगों में इसे यह लाभप्रद है। नीम और हल्दी की ही तरह यह भी शरीर से गंदगी दूर करती है।

कुमारी, घृत कुमारी, ग्वारपाठा, एलो वेरा का नाम है। रस में यह मधुर-तिक्त, गुण में गुरु, स्निग्ध, पिच्छल, वीर्य में शीत और विपाक में कटु है। यह त्रिदोषहर, शोथहर, वृष्य, और व्रण रोपण है। यह पेट के रोगों, यकृत / लीवर के विकारों, गुल्म समेत प्लीहा और यकृत वृद्धि में लाभप्रद है।

अरसोल कैप्सूल के मुख्य गुणधर्म Medicinal Properties

  • अनुलोमन: द्रव्य जो मल व् दोषों को पाक करके, मल के बंधाव को ढीला कर दोष मल बाहर निकाल दे।
  • शोथहर: द्रव्य जो शोथ / शरीर में सूजन, को दूर करे।
  • रक्त स्तंभक: जो चोट के कारण या आसामान्य कारण से होने वाले रक्त स्राव को रोक दे।
  • शोधक: द्रव्य जो शरीर की गंदगी को मुख द्वारा या मलद्वार से बाहर निकाल दे।
  • विरेचक: इसके सेवन से मलत्याग में आसानी होती है तथा ये मलाशय की सफाई करने का काम करती है।
  • अर्शोघ्न: अर्श को दूर करने का गुण।
  • दर्दनिवारक: दर्द को दूर करने का गुण।

अरसोल कैप्सूल के लाभ/फ़ायदे Benefits of Arsol Capsule

  • इस दवा में विरेचक गुण हैं।
  • यह कब्ज़ में राहत देती है।
  • यह आँतों की सूजन में लाभ करती है।
  • यह एंटीसेप्टिक है।
  • यह घावों को जल्दी ठीक करने में मदद करती है।
  • यह खून से विजातीय पदार्थों को दूर करती है।
  • यह हर्बल है और लम्बे समय तक लेने के लिए सुरक्षित है।

अरसोल कैप्सूल के चिकित्सीय उपयोग Uses of Arsol Capsule

  • यह दवा खूनी और बादी बवासीर में दी जाती है। इसका सेवन बवासीर में राहत देता है और बवासीर संबंधी जटिलताओं को कम करता है।
  • यह दवा अर्श की वजह से होने वाले दर्द और जलन pain, burning sensation को दूर करती है।
  • रक्तार्श bleeding piles
  • अर्श dry pile
  • अर्श के कारण दर्द, जलन complications related to piles
  • फिश्चूला / भंगदर fistula in ano
  • आँतों की सूजन inflammatory conditions of intestines
  • खून में अशुद्धियाँ toxins in blood
  • लगातार रहने वाला कब्ज़ chronic constipation

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Arsol Capsule

  • इसे लेने की निर्धारित मात्रा 1-2 गोलियाँ हैं।
  • सटीक मात्रा रोग की स्थिति को देख कर बताई जा सकती है।
  • इसे दिन में दो बार लेना है।
  • इसे प्रातः खाली पेट और शाम को खाने से एक घंटा पहले, पानी या छाछ के साथ लेना चाहिए।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  • इसे गर्भावस्था में नहीं लेना है।
  • इसे दस्त, पेचिश में नहीं लें।
  • इसके सेवन से पित्त बढ़ सकता है।
  • खान-पान में आवश्यक बदलाव करें।
  • सादा खाना खाएं। मिर्च-मसाले, तला भुना भोजन, जंक फूड्स, मैदे से बने पदार्थ, तथा कब्ज़ करने वाला भोजन न खाएं।
  • पानी पर्याप्त मात्रा में करें।
  • बहुत अधिक समय तक बैठे न रहें।
  • कुछ न कुछ व्यायाम अवश्य करें।

दिव्य कांति लेप Patanjali Kanti Lep Detail and Uses in Hindi

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दिव्य कान्ति लेप, स्वामी रामदेव की पतंजलि दिव्य फार्मेसी में निर्मित आयुर्वेदिक दवा है। यह दवा जड़ी-बूटियों, मोती पिष्टी, और स्फटिका से बनी है। यह एक फेस पैक है जिसे चेहरे पर नियमित देखभाल के लिए लगा सकते हैं। इसे शरीर के अन्य हिस्सों की त्वचा पर भी, एक्जिमा, शीत पित्त, जलने, सनबर्न पर लगा सकते हैं। चेहरे पर लगाने से त्वचा के अतिरिक्त आयल को सोख लेती है जिससे मुहांसे की समस्या कम होती है। त्वचा की जलन में इसे लगाने से ठंडक मिलती है।

इस फेस पैक को रोज एक बार चेहरे पर पन्द्रह मिनट तक लगा कर रखते हैं और फिर ताज़े पानी से धो लेते हैं। इसमें मेहँदी के बीज और मंजीठ है जिससे इसे लगाने के बाद चेहरा कुछ पीला सा दिखता है। इसलिए बेहतर होगा इसे जब बाहर नहीं जाना हो, शाम को लगाएं और 15 मिनट में धो लें। अगली सुबह चेहरे को अच्छे से साफ़ कर लें। इस लेप की गंध के कारण भी इसे तब लगाना चाहिए जब बाहर नहीं जाना है।

यह हर्बल है इसका कोई नुकसान नहीं है। जिन लोगों को एलो वेरा से एलर्जी है, उनको इसे लगाने पर खुजली हो सकती है। यह फेस पैक त्वचा को थोड़ा ड्राई कर देता है इसलिए ऑयली त्वचा वालों के लिए कोई दिक्कत नहीं है लेकिन ड्राई स्किन टाइप में इसे दूध-शहद मिलाकर इस्तेमाल करें तो ज्यादा बेहतर है।  यह फेस पैक लम्बे समय तक लगाने के लिए सेफ है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। मार्किट में इसी तरह के फोर्मुले की अन्य फार्मसियों द्वारा निर्मित दवाएं उपलब्ध हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Patanjali Divya Kanti Lep is an herbal face pack. It is applied on skin for improving skin condition. It helps in pimples, acne, blemishes, burning sensation etc. You may use it for regular skin care.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल फेस पैक
  • मुख्य उपयोग: त्वचा की देखभाल
  • मुख्य गुण: त्वचा से तेल हटाना, ठंडक देना, एंटीसेप्टिक आदि।
  • मूल्य MRP: 1 bottle of 50 grams @ Rupees 70.00

दिव्य कान्ति लेप के घटक Ingredients of Divya Kanti Lep

प्रत्येक 5 ग्राम में:

  • एलो वेरा Kumari (Aloe vera juice) 900 mg
  • चन्दन Chandan Safed (Santalum Album) 714 mg
  • अम्बा हल्दी Amba Haldi (Curcuma Amada) 470 mg
  • कत्था Katha (Acacia Catechu) 470 mg
  • मंजीठ Manjistha (Rubia Cordifolia) 470 mg
  • बड़ी इलाइची Sthool Ela (Amomum Subulatum) 356 mg
  • जावित्री Javitri (Myristica Fragrans) 356 mg
  • मेहँदी के बीज Mehndi Beej (Lawsonia Inermis) 238 mg
  • जायफल Jaiphal (Myristica Fragrans) 238 mg
  • सुगंध बला Sugandha Bala (Valeriana Wallichii) 238 mg
  • फिटकरी Sphatik Bhasma 238 mg
  • कपूर Kapoor (Cinnamomum Camphora) 238 mg
  • मोती पिष्टी Moti Pishti (Pearl Calcium) 118 mg

कुमारी, घृत कुमारी, ग्वारपाठा, मुसब्बर वेरा आदि एलो वेरा का नाम है। यह त्रिदोषहर, शोथहर, वृष्य, और व्रण रोपण है। त्वचा के रोगों के लिए बहुत अच्छी हर्ब है। इसके पत्तों से निकले जेल को जलने, धूप से जलने, निशान, घाव और खिंचाव के निशान, सूजन, एक्जिमा, अल्सर, मुँहासे आदि पर लगाया जाता है।

चंदन (संटलम एल्बम) त्वचा को ठंडक देता है और यह त्वचा की चकत्ते और जलने में बहुत प्रभावी है।

मेहँदी के बीज (लॉसनिया इनर्मिस) से त्वचा को ठंडक मिलती है। यह सनबर्न, जलन, दर्द आदि को कम करने में सहायक है। यह प्रभावी सन ब्लॉक की तरह काम करते हैं।

अम्बा हल्दी से सूजन कम हो जाती है। यह एंटीसेप्टिक भी है। इसे त्वचाशोथ, एक्जिमा, शीत पित्त, संधिशोथ गठिया, पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस में बाहरी रूप से इस्तेमाल होती है।

मंजीठ या रूबिया कॉर्डिफ़ोलिया अतिरिक्त पित्त, गर्मी और साफ़ करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसे एक्जिमा में खुजली, सूजन, विटिलिगो, मुँहासे, और दाद में सितेमाल करते हैं।

जायफल – मिरिस्टिका फ्रैगरन्स का उपयोग प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए किया जाता है।

सुगंध बाला (वेलेरियाना वालिची) एक कूलिंग जड़ी बूटी है जिसका इस्तेमाल सिरदर्द और नींद विकार जैसे अनिद्रा, के लिए किया जाता है।

फिटकरी को संस्कृत में स्फटिका, हिंदी में फिटकरी, इंग्लिश में पोटाश एलम कहते है।  कांक्षी, तुवरी, स्फटिका, सौराष्ट्री, शुभ्रा, स्फुटिका आदि नामों से जाना जाता है।  फिटकरी सफेद, पीले, लाल और कृष्ण की हो सकती है। स्फटिक भस्म, फिटकरी की भस्म को कहते हैं। इसे शुभ्रा भस्म के नाम से भी जानते हैं। आयुर्वेद में इसे आंतरिक और बाह्य दोनों ही तरीकों से प्रयोग करते हैं। इससे खून का बहना रुकता है और त्वचा के छिद्र सिकुड़ते हैं।

दिव्य कांति लेप के फायदे Benefits of Divya Kanti Lep

  • यह आयुर्वेदिक फेस पैक है।
  • इसे लगाने का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है।
  • यह ऑयली त्वचा से अतिरिक्त तेल को हटाता है।
  • इसमें ठंडक देने वाले द्रव्य है।
  • इसे सनबर्न में लगाने से ठंडक मिलती और त्वचा की हीलिंग होती है।
  • यह त्वचा की समस्याओं में लाभप्रद है।
  • चेहरे पर दाग-धब्बे, मुँहासे, हेर्पिज़ के दाने, धूप से निकलने वाले रैश आदि में लाभ होता है।
  • इसे लगाने से त्वचा साफ़ होती है। साफ़ त्वचा देखने में स्वस्थ्य और आकर्षक लगती है।
  • इसे लगाने से डेड स्किन, बैक्टीरिया आदि दूर होते हैं।
  • यह कीट के काटने के उपचार में सहायक भी है।
  • यह हर्पीस में उपयोगी है।
  • यह फंगस या कवक को ठीक करने में सहायक है।
  • यह मुँहासे को कम करने में मदद करता है।

दिव्य कान्ति लेप के चिकित्सीय उपयोग Uses of Divya Kanti Lep

दिव्य कान्ति लेप त्वचा की देखभाल के लिए आयुर्वेदिक फेस पैक है। यह तचा के लिए सेफ है और लम्बे समय तक इसे सितेमाल करने से त्वचा साफ़-सुथरी होती है।

  • आँखों के नीचे काले घेरे
  • कीड़ा काटना
  • चहरे पर दाग-धब्बे
  • जलने पर
  • त्वचा संक्रमण
  • धूप से चमड़ी जल जाना, सनबर्न
  • मुहांसे
  • रैश

दिव्य कान्ति लेप कैसे लगाएं?  पतंजलि कान्ति लेप की प्रयोग विधि क्या है?

  • एक टी स्पून या दो टी स्पून, पाउडर को डिब्बे से निकालें।
  • इसमें रोज़ वाटर या दूध को थोड़ी थोड़ी मात्रा कर के मिलाएं। एक बार में ज्यादा तरल नहीं डालें इसे यह एक दम पानी जैसा हो जाएगा। इसे लेप या पेस्ट जैसा रखना है जो की त्वचा पर टिके।
  • पेस्ट को अच्छे से मिलाएं।
  • लेप को उँगलियों की सहायता से त्वचा पर लगायें।
  • इसे यदि चेहरे पर लगा रहें हैं तो 15 मिनट तक लगाएं। शरीर के किसी दूसरे हिस्से पर लगा रहें है तो देर तक लगाकर रख सकते हैं।
  • तय समय लगाने के बाद इसे पानी से धो लें। साबुन या किसी फेस वश का इस्तेमाल नहीं करें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  • यह तेल केवल बाह्य प्रयोग के लिए है।
  • इसे प्रभावित स्थान पर लगायें।
  • इसे नियमित लगाएं।
  • यदि लगाने पर रैश, खुजली, आदि हो तो इसे न लगाएं।
  • कटे हुए घाव पर इसे नहीं लगाएं।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • इसमें एलो वेरा है जिससे कुछ लोगों को एलर्जी होती है।
  • इसे लगाने के बाद चेहरा कुछ पीला सा दिख सकता है। ऐसा इसमें मेहँदी के बीज, मंजीठ और अन्य जड़ी बूटियों के कारण है। इसका कोई नुकसान नहीं है।
  • कुछ लोगों को इसकी गंध तेज लगती है।
  • इससे त्वचा ड्राई हो सकती है।

अन्य सुझाव

  • चेहरे को 3-4 बार साफ पानी से रिंज करें। साबुन नहीं लगाएं। चेहरे को या तो अपने आप सूखने दें या साफ़ तौलिये या रुमाल से पैट ड्राई करें।
  • बालों में रूसी है तो उसका इलाज़ करें।
  • कब्ज़ को दूर करें। रात को सोते समय त्रिफला पाउडर का सेवन करें। मुनक्का और किशमिश खाने से भी पेट साफ़ होता है।
  • पिम्पल्स को किशोरावस्था में आप पूरी तरह से अवॉयड नहीं कर सकते। समय के साथ इनका निकलना भी बंद हो जाएगा।
  • अगर किशोरावस्था के बाद भी, पिम्पल निकलने जारी रहते हैं तो डॉक्टर से मिलें। कई बार यह शरीर में हार्मोनल असंतुलन को दिखाते हैं, जैसे की PCOD की समस्या। पीसीओडी, पोलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम हैं जिसमें ओवरी के अंदर सिस्ट बन जाते हैं और शरीर में होर्मोन का असंतुलन रहता है।
  • खाने में भारी भोजन, तेल, खटाई, आदि का सेवन नहीं करें और सुपाच्य भोजन, ताज़े फल और सब्जियों का सेवन करें।
  • त्वचा पर आयल कम करें और पिम्पल को न छुएं।
  • ऑयली फ़ूड, डेयरी प्रोडक्ट्स, जंक फ़ूड, मिठाई, चाकलेट फिज़्जी ड्रिक्स और कैफीन का सेवन कम करें, इनका अधिक मात्रा में सेवन करने से मुँहासे और त्वचा संबंधी अन्य समस्याएँ हो जाती हैं।
  • पिम्पल को दबाएँ या फोड़े नहीं। इससे सूजन और ज्यादा होगी, तेल अधिक बनेगा और बैक्टीरियल इन्फेक्शन होगा। इन्फेक्टेड पिम्पल से चेहरे पर घाव और गड्डे हो जायेंगे और चेहरे की त्वचा चिकनी नहीं रहेगी।
  • पानी दिन में ज्यादा पियें और कुछ एक्सरसाइज़ करें।
  • तनाव कम करने की कोशिश करें और प्राणायाम करें।

दिव्य मधुकल्प वटी Divya Madhukalp Vati Detail and Uses in Hindi

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मधुकल्प वटी (Divya Madhukalp), दिव्य फार्मेसी द्वारा निर्मित आयुर्वेदिक दवा है। यह दवा शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करती है। इसमें आयुर्वेद के जाने माने मधुमेह नियंत्रित करने वाले द्रव्य, जैसे की करेला, चिरायता, कुटकी, नीम, जामुन आदि हैं जो की एंटीऑक्सीडेंट और एंटीडायबिटिक है। इन सभी द्रव्यों को घरेलू उपचार की तरह भी मधुमेह के उपचार में प्रयोग किया जाता है। इस औषध के सभी घटक हर्बल होने से यह लम्बे समय तक लेने के लिए सुरक्षित है।

यह मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए एक अच्छी आयुर्वेदिक दवा है। यह अग्न्याशय से इंसुलिन का सही मात्रा में स्राव करा, रक्त में शर्करा की मात्रा पर बेहतर नियंत्रण प्राप्त करने में मदद करती है। मधुमेह (डायबिटीज) पूरे शरीर और विशेष प्रभाव नसों और रक्त वाहिकाओं की जीवन शक्ति को कम कर देता है। इस दवा के नियमित सेवन से पूरे स्वास्थ्य में सुधार होता है और तंत्रिकाओं, हृदय, रक्त वाहिकाओं, आँखें और गुर्दे की सुरक्षा होती है।

इस दवा के सेवन के दौरान ब्लड शुगर लेवल की बराबर जांच करते रहें। इसे आप एलोपैथी की दवा के सेवन के दौरान भी ले सकते हैं। जब शर्करा स्तर नियंत्रित हो जाए अलोपथिक दवा की मात्रा कम कर दें। दवा का काम ब्लड शुगर को कम करना है, इसलिए इसका सेवन केवल निर्धारित मात्रा में ही करें।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। मार्किट में इसी तरह के फोर्मुले की अन्य फार्मसियों द्वारा निर्मित दवाएं उपलब्ध हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Divya Madhukalp Vati is an herbal ayurvedic medicine used in management of diabetes. It helps to control blood sugar level.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • निर्माता: पतंजलि दिव्य फार्मेसी
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल आयुर्वेदिक
  • मुख्य उपयोग: मधुमेह को नियंत्रित करना
  • मुख्य गुण: एंटीडायबिटिक
  • मूल्य MRP: Divya Madhukalp Vati 40gram @ Rs. 60.00
  • दवा का अनुपान: गुनगुना जल
  • दवा को लेने का उचित समय: सुबह खाली पेट और शाम को भोजन से एक घंटे पहले

Patanjali Yogpeeth Medicines Madhukalp Vati and Madhunashini Vati for Diabetes

दिव्य मधुकल्प वटी Divya Madhukalp Vati, दिव्य फार्मेसी द्वारा निर्मित, एक और एंटीडायबिटिक दवा दिव्य मधुनाशिनी वटी Divya Madhunashini Vati से अलग है। Madhukalp Vati के 40 ग्राम की कीमत 60.00 रुपये है जबकि मधुनाशिनी वटी जिसमें अधिक घटक हैं, के 60 ग्राम की कीमत 200.00 रुपये है।

दिव्य मधुनाशिनी वटी और दिव्य मधुकल्प वटी दोनों ही मधुमेह अथवा डायबिटीज के लिए पतंजलि के द्वारा निर्मित दवाएं हैं। दिव्य मधुकल्प वटी में 9 द्रव्य (करेला, चिरायता, कटुकी, नीम (निम्ब), मेथी, जामुन (जम्बू), अश्वगंधा, अतीस, शुद्ध) है जबकि दिव्य मधुनाशिनी वटी में 23 द्रव्य हैं तथा इसमें शिलाजीत की मात्रा भी अधिक है। दिव्य मधुनाशिनी वटी में शुद्ध कुचला Strychnos nux-vomica भी है।

दिव्य मधुनाशिनी वटी, दिव्य मधुकल्प वटी की तुलना में शक्ति में अधिक है तथा इसे रक्त में अधिक शुगर, अनियंत्रित शुगर में इस्तेमाल कर सकते हैं। मधुनाशिनी वटी और मधुकल्प वटी, दोनों के संयोजन को अनियंत्रित शुगर में डॉक्टर की सलाह पर ले सकते हैं।

दिव्य मधुनाशिनी वटी को आपको डॉक्टर की सलाह पर इस्तेमाल करना चाहिए जबकि दिव्य मधुकल्प वटी को OTC दवा की तरह से ले सकते हैं। दिव्य मधुकल्प वटी में कोई भी ऐसा द्रव्य नहीं है जिसे लेने के लिए किसी विशेष सावधानी की ज़रूरत हो।

दिव्य मधुकल्प वटी के घटक Ingredients of Divya Madhukalp Vati

  • करेला 70.3 mg Potency Heating
  • चिरायता 70.3 mg Potency Cooling
  • कटुकी 70.3 mg Potency Cooling
  • नीम 70.3 mg Potency Cooling
  • मेथी 70.3 mg Potency Heating
  • जामुन 70.3 mg Potency Cooling
  • अश्वगंधा 35.2 mg Potency Heating
  • अतीस 35.2 mg Potency Heating
  • शिलाजीत 7.8 mg
  • Excipients: Gumacacia, Talcum, Magnesium Sterate QS

Karela Momordica charantia

करेला बहुत ही जाना माना मधुमेह नाशक है। करेले के पौधे का फल है जिसे हम सब्जी की तरह खाते हैं और पत्ते सभी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। यह स्वाद में अत्यंत कड़वा लेकिन गुणों में अत्यंत हितकारी है। करेले में पाए जाने वाले पदार्थ हाइपोग्लाईसिमिक और रक्त में शुगर लेवल को कम करने वाले होते हैं।

  • करेला आसानी से पचने वाला और रूक्ष है।
  • करेला रस में कटु, तिक्त है। गुण में लघु और रूक्ष है। तासीर में यह गर्म और कटु विपाक है। कर्म में यह भेदी, दीपन, हृदय, कफाहर, वातदोषहर और रक्तदोषहर है।
  • करेले को ज्यादा मात्रा में खाने से कई नुकसान भी हैं। जैसे की यह पेट में दर्द Enteralgia और लूज़ मोशन कर सकता है। यह हाइपोग्लाईसिमिक दवाओं के असर को और बढ़ा देता है।

Swertia chirata (Kirata, Kirataka, Bhunimba, Kiratatiktaka)

चिरायता Chiretta भी एक कड़वी हर्ब है। यह खून को साफ़ करता है और ग्लूकोस के लेवल को संतुलित करता है। यह लीवर से विजातीय पदार्थों को दूर करता है। चिरायता पेट से गैस्ट्रिक जूस gatric juicesके स्राव को उत्तेजित करता है, जिससे पाचन अच्छा होता है। यह हाइपोग्लाईसिमिक है डायबिटीज में दिया जाता है। इसके अतिरिक्त यह अपच, भूख न लगना, और पाचन सम्बन्धी अन्य समस्याओं में` भी अच्छे परिणाम देता है।

किसे चिरायता का सेवन नहीं करना चाहिए: चिरायता का सेवन गैस्ट्रिक और ड्यूडेनल अल्सर में नहीं करना चाहिए।

चिरायता रस में तिक्त है। गुण में लघु और रूक्ष है। तासीर में यह शीतल और कटु विपाक है। कर्म में यह ज्वरघ्न, व्रणशोधन, सारक, कफहर, पित्तहर और रक्तदोषहर है।

Katuki (Picrorhiza kurroa)

कटुकी एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, और एंटीडायबिटिक है। यह स्वाद में कड़वी किन्तु सूजन को दूर करने वाली औषध है। इसे मुख्य रूप से गैस्ट्रिक जूस के कम स्राव, अपच, पीलिया, हेपेटाईटिस, सूजन दूर करने में, सिरोसिस, कब्ज़, मलेरिया, पेट के कीड़ों और डायबिटीज में प्रयोग किया जाता है।

  • कटुकी रस में कटु-तिक्त है। गुण में लघु है। तासीर में यह शीतल और कटु विपाक है। कर्म में यह ज्वरघ्न, पित्तहर, भेदी, दीपन और रक्तदोषहर है।
  • कटुकी का सेवन गर्भावस्था में नहीं करना चाहिए। यह लम्बे समय तक ली जा सकने वाली हर्ब है।

Neem Azadirachta indica

  • नीम, आयुर्वेद में सर्वरोगनिवारिण औषधि है। कड़वे स्वाद के कारण यह रक्त दोषों और मधुमेह में विशेष रूप से लाभप्रद है।
  • नीम, रस में तिक्त है। गुण में लघु-रूक्ष है। तासीर में यह शीतल और कटु विपाक है। कर्म में यह ज्वरघ्न, पित्तहर, ग्राही और रक्तदोषहर है।
  • यह सूजन को दूर करने वाली और बुखार की अत्यंत अच्छी दवाई है।

Methi Trigonella foenum

  • मेथी के दाने का मधुमेह में प्रयोग सर्विदित है। मेथी के दानों को कफ रोगों, दूध क स्राव को बढ़ाने के लिए, और कोलाइटिस, हर्निया, बुखार, उल्टी, और ब्रोंकाइटिस के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
  • मेथी रस में तिक्त है। गुण में स्निग्ध है। तासीर में यह उष्ण और कटु विपाक है। कर्म में यह वातहर, कफहर, दीपन और रुच्य है।

Jambolan Syzygium cumini

  • जामुन गुठली, मधुमेह में अत्यंत प्रभावशाली है। यह सूजन दूर करने वाली और हाइपोग्लाईसिमिक दवा है। इसमें टैनिन होने से यह संकोचक है। यह मूत्रल है और मूत्र के स्राव को बढ़ाता है।
  • जामुन वातल, पित्तहर, कफहर, विषतम्भी और ग्राही है।

Ashvagandha Withania somnifera Dunal

अश्वगंधा आयुर्वेद की टॉनिक दवा है। यह शरीर को बल देती है। असगंध तिक्त-कषाय, गुण में लघु, और मधुर विपाक है। यह एक उष्ण वीर्य औषधि है। यह वात-कफ शामक, अवसादक, मूत्रल, और रसायन है जो की स्पर्म काउंट को बढ़ाती है।

Atis Root / Ativisha / Aconitum heterophyllum

  • अतीस पित्त वर्धक है और पाचन को सही करने वाली औषध है।
  • अतीस रस में कटु, तिक्त है। गुण में लघु और रूक्ष है। तासीर में यह गर्म और कटु विपाक है। कर्म में यह भेदी, दीपन, पाचन, कफहर, वातदोषहर है।

शिलाजीत

शिलाजीत, हिमालय की चट्टानों से निकलने वाला पदार्थ है। आयुर्वेद में औषधीय प्रयोजन के लिए शिलाजीत को शुद्ध करके प्रयोग किया जाता है। यह एक adaptogen है और एक प्रमुख आयुर्वेदिक कायाकल्प टॉनिक है। यह पाचन और आत्मसात में सुधार करता है। आयुर्वेद में, इसे हर रोग के इलाज में सक्षम माना जाता है। इसमें अत्यधिक सघन खनिज और अमीनो एसिड है।

शिलाजीत प्रजनन अंगों पर काम करता है। यह रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है और प्रतिरक्षा में सुधार करता है। यह पुरानी बीमारियों, शरीर में दर्द और मधुमेह में राहत देता है। इसके सेवन शारीरिक, मानसिक और यौन शक्ति देता है। शिलाजीत को हजारों साल से लगभग हर बीमारी के उपचार में प्रयोग किया जाता रहा है। आयुर्वेद में यह कहा गया है की कोई भी ऐसा साध्य रोग नहीं है जो की शिलाजतु के प्रयोग से नियंत्रित या ठीक नहीं किया जा सकता। शिलाजीत प्रमेह रोगों की उत्तम दवा है।

दिव्य मधुकल्प वटी के लाभ / फ़ायदे Benefits of Divya Madhukalp Vati

  • यह पेनक्रियास को उत्तेजित करती है।
  • यह पेन्क्रियास से संतुलित मात्रा में इन्सुइन का स्राव कराती है।
  • यह अतिरिक्त ग्लूकोस को ग्लाईकोजन में सहयोग करती है।
  • यह हाथ-पैर की जलन, बहुत पेशाब आना, बहुत प्यास लगना, नसों की दुर्बलता आदि में अच्छे परिणाम देती है।
  • यह शरीर को ताकत देती है।
  • इसमें अश्वगंधा और शिलाजीत हैं जो की शरीरिक शक्ति को बढ़ाते हैं।
  • यह मधुमेह में लम्बे समय तक बिना किसी नुकसान के प्रयोग की जा सकती है।

दिव्य मधुकल्प वटी के चिकित्सीय उपयोग Uses of Divya Madhukalp Vati

  • मधुमेह
  • कोलेस्ट्रॉल और लिपिड्स का बढ़ा स्तर
  • मधुमेह से सम्बंधित परेशानियाँ

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Divya Madhukalp Vati

  • 2 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे गुनगुने पानी के साथ लें।
  • इसे सुबह खाली पेट लें, और शाम को भोजन करने के एक घंटे पहले लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  • इस दवा में सभी हर्बल द्रव्य है इसलिए इसे लेने से कोई ज्ञात साइड इफ़ेक्ट नहीं है।
  • गर्भावस्था में किसी भी दवा का सेवन बिना डॉक्टर की सलाह के न करें।
  • इसे लम्बे समय तक लिया जा सकता है।
  • इसे एलोपैथिक दवाओं के साथ भी ले सकते हैं।
  • यदि कोई भी हर्बल दवा डायबिटीज के लिए लेते हैं तो शुगर चेक करना बहुत ज़रूरी है।
  • अगर शुगर नियंत्रण में है तो ठीक है नहीं तो दवा बदलने की ज़रूरत है।
  • यदि इसे एलोपैथिक दवा से इलाज़ के दौरान लिया जाता है तो आपको नियमित रूप से रक्त शर्करा का स्तर चेक कराएं। यदि दोनों दवाओं के असर से शुगर अधिक कम हो गई है ती हाइपोग्लाइसीमिया को रोकने के लिए एलोपैथिक एलोपैथिक दवाओं की खुराक कम करने की आवश्यकता हो सकती है।
  • कुछ लोगों में इसके सेवन से एसिडिटी हो सकती है। आंवले का रस एसिडिटी को कम करता है।
  • दवा के साथ साथ खान-पान और जीवनशैली में भी ज़रूरी बदलाव लायें।

औरतों में ठन्डेपन की समस्या का आयुर्वेदिक उपचार

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औरतों में ठन्डेपन की समस्या को इंग्लिश में फ्रिजिडिटी कहते हैं। जिन स्त्रियों का सेक्स के लिए मन नहीं करता, जो सेक्स के लिए उत्तेजित नहीं हो पाती और सेक्स के दौरान पति का साथ नहीं देती उन्हें फ्रिजिड कहा जाता है। क्योंकि ऐसी औरतें सेक्स को एन्जॉय नहीं करती इसलिए उनमें चरम या ओर्गास्म भी नहीं होता। कई बार वे सेक्स केवल पति के कहने पर अपने शरीर को इस्तेमाल होने देती है और कई बार मना ही कर देती है। सेक्स एक जरूरत है जिसके पूरा नहीं होने पर एक दूसरे के लिए असंतोष और गुस्सा बढ़ता है। कई बार नौबत तलाक तक की आ जाती है। पति में कोई समस्या न होते हुए भी वह सेक्स नहीं कर सकता। यह एक ऐसी समस्या है जिससे पति और पत्नी दोनों को ही मानसिक समस्या होने लगती है। पति सेक्स के लिए परेशान रहता है जबकि पत्नी सेक्स नहीं करने के लिए परेशान रहती है।

औरतों में ठन्डेपन की समस्या का कारण मनोवैज्ञानिक या शारीरिक हो सकता है। मानसिक कारणों में चिंता, डर, अवसाद, तनाव, बलात्कार, यौन दुर्व्यवहार, या पति पत्नी के बीच एक दूसरे के प्रति दुर्भावना हो सकती है। पत्नी का पति को नहीं पसंद करना भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारक हो सकता है। शारीरिक कारक मासिक धर्म चक्र, गर्भावस्था, बच्चे को दूध पिलाना, प्रसवोत्तर अवधि, रजोनिवृत्ति, श्रोणि क्षेत्र की चोट या गर्भनिरोधक गोलियां / हार्मोन हो सकते हैं।

यह ज़रूरी है कि यदि किसी पत्नी में सचमुच यह समस्या है तो वह इसे दूर करने की इच्छा रखे। तभी यह इस समस्या का निवारण कर सकती है। यदि वह सब कुछ जानते बूझते ऐसा कर रही है, तो इस समस्या का निवारण नहीं किया जा सकता।

बिस्तर पर औरतों में ठन्डेपन की समस्या – फ्रिजिडिटी क्या है?

ठंडापन अक्सर महिलाओं में कम कामेच्छा (सेक्स ड्राइव) के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह एक तरह का फीमेल सेक्सुअल डिसफंक्शन है।

फ्रिजिडिटी होने के कौन से कारण हैं? पत्नी का सेक्स के लिए मन क्यों नहीं करता?

ठंडापन या महिलाओं में कामेच्छा में कमी के कई कारण हो सकते हैं। यह समस्या मानसिक या शारीरिक कारण से हो सकती है। इस समस्या से पीड़ित महिला सहवास की इच्छुक नहीं रहती। सेक्स के दौरान भी वह कोई उत्तेजना नहीं दिखाती और मानसिक रूप से तैयार होने से योनि का सूखापन होता है जिससे सेक्स पति और पत्नी दोनी के लिए दर्दनाक हो सकता है। यदि पति सेक्स करे भी तो यह एक रूटीन का काम हो जाता है जिसमें कोई आनंद नहीं रहता।

ठंडेपन के भावनात्मक कारण

  • एक दूसरे से व्यवहार की समस्याएं, अनसुलझी भावनात्मक समस्या, लड़ाई-झगड़े
  • कम आत्मसम्मान या आत्मविश्वास की कमी
  • गर्भावस्था या यौन संचारित रोगों का डर
  • तनाव, चिंता, अवसाद
  • धार्मिक, व्यक्तिगत कारणों से अंतरंगता बाधाएं
  • नशे की लत
  • पति का पत्नी से बुरा व्यवहार
  • पति की हिंसक प्रवृति
  • पति को पसंद नहीं करना
  • पति पत्नी में स्वभाव का अंतर
  • पति से भावनात्मक दूरी
  • पिछला दर्दनाक यौन अनुभव जैसे बलात्कार, व्यभिचार, या यौन उत्पीड़न
  • रिश्ते में शर्म, अपराध, अवसाद, चिंता, या ऊब जैसी भावनाएं
  • ससुराल पक्ष से अनबन
  • सेक्स से घृणा महसूस होना, इसे गन्दा समझना

ठंडेपन के शारीरिक कारण

  • अन्य रोग के लिए ली जाने वाली दवाओं का प्रभाव
  • थकावट या थकान
  • पर्याप्त संभोग का अभाव
  • पुरुष का यौन प्रदर्शन अच्छा नहीं होना
  • योनि का सूखापन
  • रजोनिवृत्ति या हार्मोनल असंतुलन से संबंधित परिवर्तन
  • शराब या मादक द्रव्यों के सेवन के प्रभाव
  • संक्रमण या स्त्री रोग संबंधी समस्याएं
  • संभोग के दौरान दर्द या परेशानी (डिस्पेर्यूनिया)
  • सर्जरी या आघात के कारण नसों को नुकसान

औरतों में ठंडेपन के लिए घरेलू उपचार

Home Remedies for Frigidity

औरतों का ठंडापन, कामुक ठंडापन, औरत में सेक्स इच्छा की कमी, लो लिबिडो, frigidity आदि का अर्थ है किसी महिला में कम कामेच्छा या सेक्स ड्राइव की कमी। शरीरिक सम्बन्ध, वैवाहिक जीवन के लिए ज़रूरी है। पत्नी की सेक्स में रुचि न होने के कारण कई पुरुष घर के बाहर इसे पाने की कोशिश करते हैं या तलाक तक के बारे में सोच लेते हैं। इसलिए यह ज़रूरी है कि यदि किसी महिला में सेक्स में रूचि नहीं है तो वह इसे समझे और इसे दूर करने के उपाय करे। ज़रूरी हो तो डॉक्टर से भी सलाह ली जा सकती है। नीचे कुछ घरेलू उपचार दिए गए हैं, जो रसायन है और पूरे स्वास्थ्य को बेहतर करने में सहायक है। ये उपाय दिमाग और प्रजनन अंगों पर काम करते हैं और सेक्सुअल डिसफंक्शन को दूर करने में मदद करते है।

औरत को उत्तेजित करने के लिए शतावरी और विदारी का प्रयोग

शतावरी Asparagus racemosus पौधे की जड़ को आयुर्वेद में स्त्री रोगों को लिए प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है। यह एक एंटीऑक्सिडेंट और जीवाणुरोधी है, तथा प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करती है। यह खून की कमी से बचने में मदद करती है।

शतावर को माहवारी पूर्व सिंड्रोम (PMS), गर्भाशय से रक्तस्राव और नई मां में दूध उत्पादन शुरू करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त शतावर को अपच, कब्ज, पेट में ऐंठन, और पेट के अल्सर, दर्द, चिंता, कैंसर, दस्त, ब्रोंकाइटिस, क्षय रोग, मनोविकार, और मधुमेह के लिए भी प्रयोग किया जाता है। यह एक aphrodisiac के रूप में यौन इच्छा को बढ़ाने के लिए भी प्रयोग की जाती है। इसका शरीर में स्त्री हॉर्मोन एस्ट्रोजन जैसा असर होता है।

विदारी एक पौधे Pueraria tuberosa का कंद है। यह वातहर, पित्तहर, हृदय, पौष्टिक, शुक्रल, बल्य, कंठ के लिए उत्तम, वर्ण्य, रसायन और वाजीकारक है। इसके सेवन से रक्तपित्त, शुक्र क्षय, रक्त दोष, जलन, कफ, शूल, मूत्रकृच्छ, विसर्प और विषमज्वर आदि दूर होते हैं।

विदारी रस में मधुर और मधुर विपाक है। यह गुण में गुरु और स्निग्ध है। वीर्य में यह शीत है और शरीर को बल देने वाली रसायनी औषध है।

1- शतावरी एक भाग और विदारी कन्द का पाउडर आधा भाग को मिला कर रख लें।

इसे एक कप गर्म दूध के साथ रात को सोने से पहले लें। इससे स्वास्थ्य अच्छा होगा और यौनेच्छा बढ़ेगी।

2- शतावरी पाउडर एक भाग, विदारी कन्द पाउडर का पाउडर एक भाग, जायफल पाउडर ⅛ part और टगर आधा भाग मिला कर रख लें।

इस पाउडर को 1 टी स्पून की मात्रा में गर्म दूध के साथ सुबह और शाम लें। ऐसा 1 महीने तक करें।

मालिश erotic massage

आप बाला तेल, शतावरी घी, एरंडर तेल या ब्राह्मी घी के साथ जघन की हड्डी को धीरे से मालिश कर सकते हैं।

चमेली की गंध कामुक प्रेरणा पैदा करती है। जैस्मीन तेल के कुछ बूंदों को बादाम के तेल के साथ मिलाकर शरीर पर मालिश करने पर स्त्री ठंडेपन में मदद होती है।

सूखे मेवे का प्रयोग

नाश्ते में 10 बादाम खाएं। बादाम रात भर पानी में भिगोएँ, और अगली सुबह खाने से पहले छील लें।

नाश्ते के बाद, 1 चम्मच शहद के साथ 3 अंजीर खाएं। एक घंटे बाद, एक ग्लास लस्सी पियें।

औरत को गरम करने के लिए भोजन में शामिल करें कुछ खाद्य पदार्थ

भोजन में लहसुन और प्याज शामिल करें।

लहसुन वाले दूध में भी कामोत्तेजक गुण हैं। 1 कप दूध, ¼ कप पानी, और 1 लहसुन की कली को मिलाएं और उबालें जब तक 1 कप बचे। इसे सोने से पहले नियमित पियें।

1 चम्मच प्याज का रस 1/4 चम्मच ताजा अदरक का रस दिन में दो बार मिला कर लें।

कब्ज़, पेट साफ़ नहीं होना

जब पेट नहीं होता तो लिबिडो कम हो जाता है। पेट में गैस बनती है, दर्द होता है। पाचन की विकृति आ जाती है। कब्ज़ और ठंडापन अक्सर एक साथ देखा जाता है। इसलिए पहले पेट की समस्या दूर करनी चाहिए। पेट साफ़ करने के लिए त्रिफला 1 टीस्पून की मात्रा में रात को सोते समय गर्म पानी के साथ लेना चाहिए। यदि सूखा त्रिफला पाउडर लेने में दिक्कत है तो इसे थोड़े से पानी में भिगो लें और 10 मिनट उबाल कर, पीने लायक तापमान पर ठंडा होने पर पी लें।

ध्यान, प्राणायाम, और व्यायाम

तनाव और मनोवैज्ञानिक समस्याओं से लिबिडो पर सीधे असर होता है। एंग्जायटी, अवसाद, स्ट्रेस आदि के लिए योगाभ्यास और ध्यान से लाभ होता है।

सेक्स का आनंद महिला में सेक्स अंगों से ज्यादा दिमाग से जुड़ा है। मस्तिष्क को औरत के सेक्स में रुचो और चरम में पहुँचने में बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। उसके यौन प्रतिक्रिया चक्र के अधिकांश हिस्से उसके दिमाग में उत्पन्न होते है। दिमाग के केमिकल डोपामाइन, नोरेपिनफ्रिन, और सेरोटोनिन स्त्रियों में सेक्स में विशेष भूमिका निभाते हैं। ये रसायन न्यूरोट्रांसमीटर हैं और तंत्रिका तंत्र के माध्यम से मस्तिष्क और शरीर के अन्य भागों के बीच सिग्नल भेजने के लिए जिम्मेदार हैं। डोपामाइन, और नोरेपेनेफ्रिन यौन उत्तेजना में शामिल हैं। हालांकि, सेरोटोनिन यौन अवरोधन में योगदान देता है और सेक्स ड्राइव को कम कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि अगर ये रसायन संतुलन बिगड़ जाता है तो महिला में सेक्स के लिए रुचि कम हो सकती है। अगर डोपामिन और नॉरपिनफ्रिन का स्तर बहुत कम है और / या सेरोटोनिन का स्तर बहुत अधिक है – एक महिला को कम यौन इच्छा हो सकती है। जो महिलायें एंटी डिप्रेसेंट दवाएं लेती है उनमें सेरोटोनिन के लेवल बढ़ जाता है और सेक्स की इच्छा कम हो जाती है।

मानसिक समस्या के लिए योग और ध्यान से अच्छा कुछ नही है।

निम्न योगाभ्यास करने से लो लिबिडो की समस्या में विशेष लाभ होता है:

  • उष्ट्रासन
  • कुक्कुटासन
  • नटराजासन
  • वज्रासन

योग के हर सत्र के बाद करने से मस्तिष्क में जीएबीए GABA levels के स्तर में वृद्धि होती है। गामा-एमिनोब्यूटेरिक एसिड या जीएबीए, एक न्यूरोट्रांसमीटर है जो मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के माध्यम से रासायनिक संदेश भेजता है, और मस्तिष्क कोशिकाओं के बीच संचार को विनियमित करने में शामिल है। गाबा के सामान्य से कम स्तरों में मस्तिष्क में एक प्रकार का पागलपन, अवसाद, चिंता, और नींद संबंधी विकार देखे जाते है।

ध्यान

  • अनुलोम विलोम प्रणायाम
  • कपालभाति प्रणायाम
  • नाड़ीशोधन प्रणायाम
  • योग मुद्रा

मानसिक स्वास्थ्य ठीक करने में त्रिफला, त्रिकटु, जटामांसी, शतावर, ब्राह्मी, द्राक्षा, पेठे, आंवले, हींग और ब्राह्मी का सेवन भी लाभप्रद है। चिंता करना, काम, क्रोध, बहुत अधिक मेहनत करना, खाना नहीं खाना, तीखा, गर्म, भारी भोजन आदि को नहीं करने की सलाह दी जाती है। रात में बहुत देर तक नहीं जागने की भी सलाह दी जाती है। घी, दूध, फल और अन्य पौष्टिक पदार्थ खाने चाहिए। मानसिक रोगों में मेद्य रसायनों का प्रयोग किया जाना चाहिए। शंखपुष्पि के पौधे से निकाला ताजा रस भी अच्छा मेद्य रसायन है और मानसिक विकारों में प्रमुखता से प्रयोग होता है।

आहार, जीवन शैली और अन्य सुझाव

  • धूम्रपान, शराब, चाय, कॉफी और पैकेज या संसाधित भोजन से नहीं खाएं।
  • पॉलिश चावल का उपयोग नहीं करें।
  • सलाद, ताजे फल, ड्राई फ्रूट्स मूड अच्छा कर्ण एवाले भोजन का उपयोग बढ़ाएं।
  • पानी अधिक मात्रा में पिएं।
  • जिस चीज में रूचि हो वे करें और खुश रहें।
  • पेट की समस्या, कब्ज़ का इलाज़ करें।
  • अन्य यौन गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करें, न कि सिर्फ संभोग करें।
  • आराम करें और अच्छी तरह से खाएं।
  • कैगल व्यायाम करें।
  • जन्म नियंत्रण जो आप और आपके साथी दोनों के लिए काम करता है का उपयोग करें।
  • योनि के सूखेपन में योनि स्नेहक का प्रयोग करें।
  • संभोग के लिए विभिन्न स्थितियों का प्रयास करें।
  • सेक्स में जल्दबाजी नहीं करें। अधिक समय लें। सुनिश्चित करें कि आप संभोग से पहले उत्तेजित हैं।
  • सेक्स से पहले रिलेक्स करें।
  • सेक्स से पहले मूत्राशय को खाली करें।

यदि आप,

  • सेक्स के साथ एक समस्या से परेशान हैं
  • अपने रिश्ते के बारे में चिंतित हैं
  • यौन संबंध के साथ दर्द या अन्य लक्षण हैं

तो डॉक्टर से संपर्क करें। यदि यौन इच्छा की कमी आपके रिश्ते में एक समस्या बन गई है, तो कारणों और विशिष्ट लक्षणों के आधार उपचार विकल्प देखें। यदि समस्या भावनात्मक है, तो पति से बात करें, ज़रूरत हो तो मनोवैज्ञानिक से मिलें। कम कामेच्छा, शारीरिक समस्या के कारण भी संभव है। अगर संदेह है, स्त्री रोग विशेषज्ञ की राय लें।

Frigidity is a persistent or recurrent deficiency or absence of sexual fantasies and desire for sexual activity causing marked distress or interpersonal difficulty. It is the most common form of female sexual dysfunction, related to sexual arousal, orgasm, pain and desire that interfere with normal sexual function.

Causes

The causes of Frigidity involve a multitude of psychosocial and biologic factors and can be attributed to a complex interplay of these factors.

Imbalance of neurotransmitters, or chemicals in the brain, could be the root cause of persistent and recurrent low sexual desire. Sexaul pleasure requires the complex interaction of multiple neurotransmitters and hormones, both centrally and peripherally.

Psychosocial

Personal and job stress, life-stage stressors, body image self-consciousness, low or fragile self-regulation or self-esteem, depressed mood and anxiety

Self-focused attention, including worries about pleasing her partner, fear of partner rejection, fear of pregnancy and STI, unease related to the inability to reach orgasm

Sexual abuse and emotional neglect in childhood or traumatic experiences during puberty

Biological

Chronic illnesses or existing medical conditions, such as diabetes, depression and cancer

Side effects from certain medications, such as anti-depressants, psychiatrics medications and beta blockers

Fluctuations in hormone levels related to pregnancy and menopause

Painful intercourse due vaginal/pelvic floor conditions, such as vestibulitis, vulvodynia or endometriosis and bladder conditions, such as interstitial cystitis or urinary incontinence

 Treatment

General issues related to improved well-being, such as diet, exercise, stopping possible alcohol and chemical substance abuse, and sleep should be addressed in all women. In addition, there are common treatment options for including psychotherapy and pharmacotherapy.


दिव्य श्वासारि प्रवाही Divya Swasari Pravahi Detail and Uses in Hindi

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दिव्य श्वासारि प्रवाही  स्वामी रामदेव की पतंजलि दिव्य फार्मेसी में निर्मित आयुर्वेदिक दवा है। यह दवा प्राकृतिक जड़ी बूटियों और खनिजों से बनी है तथा इसका प्रयोग सांस सम्बन्धी respiratory ailment बिमारियों जैसे की सांस लेने में कठिनाई, difficult breathing, खाँसी coughing, श्वास रोग asthma, दमा, गले के विकारों throat disorders आदि में किया जाता है। यह दवा विशेषतः अस्थमा के उपचार में उपयोगी है। इस दवा के सेवन से श्वसन अंग respiratory organs के सही तरह से कार्य करने मे मदद मिलती है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। मार्किट में इसी तरह के फोर्मुले की अन्य फार्मसियों द्वारा निर्मित दवाएं उपलब्ध हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Divya Swasari Pravahi is Ayurvedic Proprietary Medicine from Swami Ramdev’s Divya pharmacy. It is a medicine to treat respiratory ailments.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • निर्माता: पतंजलि दिव्य फार्मेसी Patanjali
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल आयुर्वेदिक
  • मुख्य उपयोग: श्वास समस्याओं के लिए
  • मुख्य गुण: फेफड़ों के सही काम करने में सहयोग करना, पोषण देना और जमे कफ को कम करना
  • मूल्य MRP: DIVYA SWASARI PRAVAHI 1 Bottle 250 ml @ Rs. 50

दिव्य श्वासारि प्रवाही के घटक Ingredients of Divya Swasari Pravahi

Each 5 ml contains:

  • काली मिर्च Marich (Piper longum) 50 mg
  • मुलेठी Mulethi (Glycyrrhiza glabra) 50 mg
  • बड़ी कटीली Kateli badi (Solanum indicum) 50 mg
  • काला वासा Kala vasa (Justicia gendarussa) 50 mg
  • सफ़ेद वासा Safed vasa (Adhatoda vasica) 50 mg
  • बनफ्शा Banfsa (Viola osorata) 50 mg
  • छोटी पिप्पल Chhoti pipal (Piper longum) 50 mg
  • तुलसी देसी Tulsi Desi (Ocimum sanctum) 50 mg
  • दालचीनी Dalchini (Cinnamomum zeylanicum) 50 mg
  • लवंग Lavang (Syzgium aromaticum) 50 mg
  • सोंठ Sonth (Zingiber officinale) 50 mg
  • तेजपत्ता Tejpatra (Cinnamomum tamala) 50 mg
  • भृंगराज Bhangra (Eclipta alba) 50 mg
  • लसोड़ा Lishoda (Cordia dichotoma) 50 mg
  • अमलतास Amaltas (Cassia fistula) 50 mg
  • ईख Ikha (Saccharum officinarium)  70% w/v

काली मिर्च

काली मिर्च न केवल मसाला अपितु दवा भी है। इसे बहुत से पुराने समय से आयुर्वेद में दवाओं के बनाने और अकेले ही दवा की तरह प्रयोग किया जाता है। आयुर्वेद में इसे मरीच कहा जाता है। इसे गैस, वात व्याधियों, अपच, भूख न लगना, पाचन की कमी, धीमे मेटाबोलिज्म, कफ, अस्थमा, सांस लेने की तकलीफ आदि में प्रयोग किया जाता है। काली मिर्च पित्त वर्धक है। यह तासीर में गर्म है और वात और कफ को दूर करती है। इसके सेवन से शरीर में गर्माहट आती है।

काली मिर्च पित्तवर्धक है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।  आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। काली मिर्च को दवा की तरह  गर्भावस्था में न लें।

मुलेठी

मुलेठी की जड़ या लिकोरिस, को आयुर्वेद में यष्टिमधु कहते हैं।  मुलेठी को इसके मीठे स्वाद और एंटीअल्सर एक्शन के लिए जाना जाता है। लीकोरिस को कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने, श्वसन तंत्र संबंधी रोगों को ठीक करने और प्रतिरक्षा स्तर को बढ़ाने सहित विभिन्न बीमारियों के लिए प्रयोग किया जाता है। लीकोरिस का मुख्य घटक, ग्लिसरीफिसिन है। लीकोरिस में उपस्थित अन्य घटक ग्लूकोज, सूक्रोज, मैनाइट, स्टार्च, asparagine, कड़वाहट प्रिंसिपल, रेजिन, एक वाष्पशील तेल और रंग का पदार्थ है, जो सामूहिक रूप से औषधीय गुण लीकोरिस को देते हैं। यकृत पर इसकी लाभकारी कार्रवाई के माध्यम से, यह पित्त प्रवाह को बढ़ाता है और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है।

श्वसन रोग में इसके सेवन से जलन और सूजन कम हो जाती है। इंटरफेरोन के स्तर को बढ़ाकर यह प्रतिरक्षा को बढ़ाता है,  जिससे शरीर में वायरस रोगों से आराम होता है।  एंटी-एलर्जी गुण से यह एलर्जी रिनिटिस, नेत्रश्लेष्मलाशोथ और ब्रोन्कियल अस्थमा में उपयोगी होती है।

लीकोरिस युवा स्वस्थ पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन उत्पादन कम कर सकता है।  पोटेशियम की कमी से ग्रस्त व्यक्ति को लिकोरिस का उपयोग नहीं करना चाहिए।

बड़ी कटीली

आयुर्वेद में वृहती को बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है। यह दशमूल में प्रयोग की जाने वाली दस जड़ों में से एक है। यह लघु पञ्च मूल में आती है जिसमें अन्य चार जड़ें हैं, शालपर्णी, पृश्नीपर्णी, छोटी कटेरी और गोखरू।  दशमूल शरीर में सूजन और वात-व्याधि के उपचार में प्रयोग की जाने वाली एक बहुत ही उत्तम दवा है। इसमें ज्वर/बुखार और सूजन को कम करने के गुण हैं। दशमूल खांसी, गैस, भूख न लगना, थकावट, ख़राब पाचन, बार-बार होने वाला सिरदर्द, पार्किन्सन, पीठ दर्द, साइटिका, सूखी खांसी, आदि में  भी बहुत ही उपयोगी है।

शुंठी

अदरक का सूखा रूप सोंठ या शुंठी dry ginger is called Shunthi कहलाता है। एंटी-एलर्जी, वमनरोधी, सूजन दूर करने के, एंटीऑक्सिडेंट, एन्टीप्लेटलेट, ज्वरनाशक, एंटीसेप्टिक, कासरोधक, हृदय, पाचन, और ब्लड शुगर को कम करने गुण हैं। यह खुशबूदार, उत्तेजक, भूख बढ़ाने वाला और टॉनिक है। सोंठ का प्रयोग उलटी, मिचली को दूर करता है।

शुण्ठी पाचन और श्वास अंगों पर विशेष प्रभाव दिखाता है। इसमें दर्द निवारक गुण हैं। यह स्वाद में कटु और विपाक में मधुर है। यह स्वभाव से गर्म है।

दालचीनी

दालचीनी या दारुचिनी एक पेड़ की छाल है। यह वात और कफ को कम करती है, लेकिन पित्त को बढ़ाती है। यह मुख्य रूप से पाचन, श्वसन और मूत्र प्रणाली पर काम करती है। इसमें दर्द-निवारक / एनाल्जेसिक, जीवाणुरोधी, ऐंटिफंगल, एंटीसेप्टिक,  खुशबूदार, कसैले, वातहर, स्वेदजनक, पाचन, मूत्रवर्धक,  उत्तेजक और भूख बढ़ानेवाले गुण है। दालचीनी पाचन को बढ़ावा देती है और सांस की बीमारियों के इलाज में भी प्रभावी है।

तुलसी

तुलसी एक औषधीय वनस्पति है। आजकल किये जाने वाले वैज्ञानिक शोध भी इसके औषधीय गुणों और प्रयोगों को सही सिद्ध करते है।

डेंगू, चिकनगुनिया, फ्लू, आदि सभी वायरल जनित बुखारों में तुलसी बहुत ही सफलता से इलाज़ करती है। अन्य जड़ी बूटियों के साथ मिलाकर इसे लेने से इसका प्रभाव और बढ़ जाता है, जैसे डेंगू के बुखार में इसे गिलोय के साथ काढ़ा बनाकर दिया जाता है। कफ की अधिकता में इसे शहद के साथ देते है।

सामान्य रोगों जैसे की खांसी, जुखाम, बुखार, पेट में दर्द, सिर में दर्द, कास-श्वास, वमन, अजीर्ण, मन्दाग्नि, चरम रोग, कील-मुहांसे, पेट के कीड़े, लू लगना आदि सभी इसके सेवन से दूर होते हैं।

दिव्य श्वासारि प्रवाही के लाभ/फ़ायदे Benefits of Divya Swasari Pravahi

  • इस दवा में कफःनिस्सारक expectorant गुण है इसलिए यह कफ को ढीला कर उसे आसानी से निकालने में मदद करती है।
  • इसके सेवन से फेफड़े में बलगम का उत्पादन कम करने में मदद मिलती है।
  • इसके सेवन से सिर मे भारिपन,‍‌‍‍ साइनसाइटिस, खांसी, जुखाम, सर्दी, अस्थमा, छींकने, आदि मे विशेष लाभ होता है।
  • इसमें  ब्रोन्कोडायलेटर गुण है।
  • इसमें म्यूकोलाईटिक गुण है जिससे यह बलगम को ढीला करने में मदद करता है।
  • इसे इससे फेफड़ों के संक्रमण में ले सकते हैं।
  • इसे ब्रोंकाइटिस के उपचार में किया जा सकता है।
  • यह  छाती में श्लेष्मा cough/phlegm के अत्यधिक संचय को नष्ट करने में सहायक है।
  • यह  फेफड़ों lungs के सही काम करने मे मदद करता है।
  • यह  सांस की कोशिकाओं को पोषण प्रदान करता है।
  • यह  सीने में श्लेष्मा के आगे विकास को रोकने में मदद करता है।
  • यह अस्थमा/दमा का प्राकृतिक उपचार Asthma है।
  • यह गले में दर्द और जलन कम करता है। य
  • यह फेफड़ों lungs मे जमे कफ़ को बाहर निकलता है।
  • यह फेफड़ों में हवा के प्रवाह में सुधार करता है।
  • यह वायुमार्ग में रुकावट दूर कर सांस लेना आसान करता है।
  • यह शरीर के प्रतिरोध immunity में सुधार करता है।
  • यह सांस की नली में सूजन को कम करने में सहायक हो सकता है।
  • यह सांस की सभी बीमारियों के इलाज में मदद करता है।
  • श्वासारि प्रवाही  सेवन फेफड़ों की कोशिकाओं को और अधिक सक्रिय बनाता है, और ब्रांकिओल्स और ब्रांकाई की सूजन को दूर करता है।

कर्म

  • कफहर: कफ दूर करना
  • छेदन: जमे हुए कफ को दूर करना
  • दीपन: भूख बढ़ाना
  • पित्तकर: पित्त बढ़ाना
  • रुचिकारक: स्वाद बढ़ाना
  • वातहर: वात दोष को दूर करना
  • श्लेष्महर: कफ को दूर करना

दिव्य श्वासारि प्रवाही के चिकित्सीय उपयोग Uses of Divya Swasari Pravahi

श्वासारि प्रवाही  को आम सर्दी-खांसी के लक्षणों से लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह सांस लेना आसान बनाता है और सूजन को कम करता है। इसकी जड़ी बूटियाँ, आयुर्वेद में मुख्य रूप से कफ और श्वशन रोगों में पुराने समय से इस्तेमाल की जा रही है और बहुत सेफ हैं। इसके सेवन से नाक जाम होना, नाक बहना, साँस लेने में कठिनाई, छींकने, माथे में भारी लगना, कफ बनना और सिरदर्द आदि लक्षणों में लाभ मिला सकता है।

  • अस्थमा / दमा asthma
  • काली खांसी Whooping Cough
  • खांसी Cough
  • गले में खराश sore throat
  • टीबी की खाँसी Cough of TB
  • धूम्रपान करने वालों खांसी Smokers cough
  • फेफड़े के संक्रमण lung infection
  • बलगम वाली खांसी Productive Cough
  • ब्रोंकाइटिस bronchitis
  • सर्दी-खांसी-जुखाम common cold
  • साइनसाइटिस sinusitis
  • सूखी खाँसी Dry Cough

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Divya Swasari Pravahi

  • 1 टीस्पून / 5 ml की मात्रा दिन में दो बार या तीन बार लें।
  • इसे शहद और पानी के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के पहले लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  • इसे 4 से 6 सप्ताह से अधिक समय तक इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • कम दिन तक लेने में इसका कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं देखा जाता।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • गर्भावस्था में इसे नहीं लें।
  • इसमें मधु है इसलिए डायबिटीज में इसे सावधानी से प्रयोग करें। यदि अनियंत्रित शुगर है तो इसका सेवन न करें। यदि शुगर नियंत्रण में है और कुछ मात्रा में मीठे का प्रयोग कर सकते है तो इसे भी लिया जा सकता है।
  • इसके कुछ घटक उष्णवीर्य हैं, इसलिए अधिकता में सेवन पित्त बढ़ा सकता है जिससे पेट में जलन हो सकती है।
  • निर्धारित मात्रा में और निर्धारित समय तक लेने से इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है।

पतंजलि बॉडी लोशन Patanjali Body Lotion Detail and Uses in Hindi

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पतंजलि बॉडी लोशन, पतंजलि आयुर्वेद द्वारा निर्मित एक बॉडी लोशन है। बॉडी लोशन को त्वचा की ड्राईनेस दूर करने, चमक, ताजगी व सॉफ्टनेस के लिए इस्तेमाल करते हैं। यह चेहरे सहित पूरे शरीर पर लगाया जा सकता है। यह लोशन हल्का है और इसे रोजाना इस्तेमाल कर सकते हैं। यह एक मॉइस्चराइज़र है जो त्वचा को अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रखता है और ड्राईनेस नहीं होने देता।

पतंजलि बॉडी लोशन के लेबल पर बेस मटेरियल एक्वा लिखा है। एक्वा का मतलब पानी है। वाटर बेस्ड होने से यह हल्का है और त्वचा के रोम छिद्र ब्लाक नहीं करता। मार्किट आयल बेस्ड लोशन भी आते हैं। आयल बेस्ड लोशन भारी होते हैं और चेहरे पर लगाने से रोमछिद्र ब्लाक करते हैं जिससे कील-मुंहासे, ब्लैक हेड आदि की समस्या हो सकती है। आयल बेस्ड लोशन सर्दी में अधिक अच्छा काम करते हैं जब त्वचा को थोड़े हैवी मॉइस्चराइजर की ज़रूरत होती है जिससे त्वचा सर्दी-ठंडी हवा से खराब नहीं हो।

वाटर बेस्ड उत्पाद में आम तौर पर अधिक पानी होता है और वे पतले होते है। इन्हें आसानी से त्वचा पर लगाया जा सकता है। यह दैनिक रूप से इस्तेमाल किये जा सकते हैं। चूंकि इसमें पानी है यह त्वचा द्वारा जल्दी से अवशोषित कर लिया जाता है। लेकिन इसका नकारात्मक पक्ष यह है, कि अधिक पानी होने से यह जल्दी गायब हो जाएगा और आपको इसे अधिक बार लगाना पड़ेगा।

पतंजलि बॉडी लोशन एक सफेद 100 मिलीलीटर ट्यूब में आता है। इसे बैग में रख सकते हैं। इसकी ट्यूब की पैकेजिंग अच्छी है। यह उत्पाद बहुत आसानी से उपलब्ध है। यह अच्छा, हल्का और हाइड्रेटिंग लोशन है और गर्मियों के लिए सही है।

आप जो भी मॉइस्चराइजिंग लोशन चुनते हैं वह आपकी स्वयं की व्यक्तिगत प्राथमिकता के आधार पर होता है। जो उत्पाद आपकी त्वचा को सूट करे उसी उत्पाद को लगाना सही रहता है। यदि किसी उत्पाद के किसी अवयव से एलर्जी, दाने, रैश होती है तो उसे प्रयोग नहीं करना चाहिए।

उत्पाद के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें उत्पाद में इस्तेमाल द्रव्यों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह उत्पाद का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके उत्पाद आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। उत्पाद के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। मार्किट में इसी तरह के उत्पाद अन्य कंपनियों के द्वारा निर्मित दवाएं उपलब्ध हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस उत्पाद के बारे में बताना है। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Patanjali Body Lotion is body lotion from Patanjali Ayurveda. It is water based moisturizer and easily gets absorbed in skin. It can be daily applied on skin. It contains herbal ingredients but they are in very amount.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • निर्माता: पतंजलि
  • उत्पाद का नाम: पतंजलि बॉडी लोशन
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • मुख्य उपयोग: बॉडी लोशन
  • मुख्य गुण: त्वचा के रूखेपन को दूर करना
  • मूल्य MRP: PATANJALI BODY LOTION 100 ml @ Rs. 60.

पतंजलि बॉडी लोशन के घटक Ingredients of Patanjali Body Lotion

प्रत्येक 10 ग्राम में Each 10 gram contains

  • गेंहू का तेल Wheat-germ oil Triticum Aestivum 10 mg
  • लोध्र Lodhra Extract Symplocos Racemosa 2.5 mg
  • मंजीठ Manjistha Extract Rubia Cordifolia 2.5 mg
  • हल्दी Turmeric Extract Curcuma Longa 2.5 mg
  • एलो वेरा Aloe Vera Extract Aloe Barbadensis 2.5 mg
  • खीर Cucumber Extract Cacumis Sativus 2.5 mg
  • केसर Saffron Crocus Sativus 0.05 mg

मूलभूत सामग्री BASE MATERIAL

  • पानी aqwa
  • जेल बेस Gel base
  • डायजोलिनेइल यूरिया Diazolidinyl urea
  • सुगंधित द्रव्य क्यूएस

पतंजलि बॉडी लोशन के लाभ/फ़ायदे Benefits of Patanjali Body Lotion

  • पतंजली बॉडी लोशन त्वचा के रूखेपन को दूर करता है और इसके इस्तेमाल से त्वचा चिकनी और नरम होती है।
  • यह वाटर बेस्ड लोशन है और हल्का है।
  • यह रोमछिद्र को ब्लाक नहीं करता।
  • यह त्वचा अच्छी तरह से अवशोषित हो जाता है।
  •  यह त्वचा पर हल्का और नॉन ऑयली लगता है।
  • इसे सभी प्रकार की त्वचा पर लगाया जा सकता है ।
  • यह हाइड्रेशन को बनाए रखने में मदद करता है।
  • इसे लगाने से त्वचा को नरम लगती है।

कुल मिलाकर, यह हर रोज इस्तेमाल के लिए एक अच्छा शरीर लोशन है।

कैसे इस्तेमाल करें

  • यह एक बॉडी लोशन है और वैसे ही इस्तेमाल करना है। हथेली पर लेकर उँगलियों की सहायता से त्वचा पर रब करें जब तक की वह अब्सोर्ब नहीं हो जाए ।
  • इसे चेहरे को धोने के बाद या नहाने के बाद नमी युक्त त्वचा पर लगाएं।
  • इसे दिन में एक या दो बार या ज़रूरत के हिसाब से त्वचा पर लगाएं।
  • नहाने के बाद लगाने पर इसका अवशोषण अच्छा होता है।

सावधनियाँ / साइड-इफेक्ट्स / कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

  • इसका कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं है।
  • यह सर्दियों के दौरान और बहुत सूखी त्वचा पर उतना अच्छा काम नहीं करता।
  • यह लगाने के लिए है और इसका प्रयोग गर्भवती महिला भी कर सकती है।
  • उत्पाद का यह दावा कि यह त्वचा को ओज, तेज और चमक देगा सही नहीं लगता। यह एक बॉडी लोशन है और त्वचा को नमी देने का ही काम करता है। इसमें जड़ी बूटियाँ तो हैं लेकिन बहुत ही कम अमाउंट में।
  • इसे बार बार लगाने की ज़रूरत हो सकती है।
  • यह सन प्रोटेक्शन नहीं देता। इससे सूरज की यूवी रेज़ से बचाव नहीं होता।
  • इसे घाव, कटी त्वचा, चोट आदि पर नहीं लगाना है।

चरक हायपोनिड Hyponidd Detail and Uses in Hindi

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हायपोनिड गोली, चरक फार्मा द्वारा निर्मित दावे है जिसे डायबिटीज और पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम (पीसीओएस) के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे इन्सुलिन रेजिस्टेंस में इस्तेमाल करने से लाभ हो सकता है।

डायबिटीज जिसे मधुमेह, शुगर की समस्या भी कहते हैं, में रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने में और लिपिड को कम करने में भी लाभकारी साबित हो सकता है। विजयसार, अमलाकी, करेला, नीम और गुडमार शक्तिशाली मधुमेह विरोधी पदार्थ हैं। हायपोनिड में इंसुलिन संवेदीकरण, एंटीहाइपरग्लिसेमिक, हाइपोलिपिडिमिक, और एंटीऑक्सीडेंट है। Hyponidd मधुमेह की जटिलताओं की प्रगति को कम कर सकता है।

हायपोनिड गोली का प्रयोग पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम (पीसीओएस) के इलाज के लिए किया जाता है। पीसीओ 6-10% महिला आबादी को प्रभावित करता है और यह अक्सर इंसुलिन प्रतिरोध से जुड़ा होता है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) में स्त्री हार्मोन प्रभावित होते हैं जिससे शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। शरीर में बढ़े हुए हार्मोन और विशेष रूप से, पुरुष प्रकार के हार्मोन एण्ड्रोजन के कारण बहुत से के प्रभाव देखने को मिलते हैं। मासिक का कई महीने न होना, चेहरे पर बाल उगना, सिर के बाल गिरना, मुहांसे होना आदि इसके प्रमुख लक्षण है। पीरियड न आने पर जब स्त्री रोग विशेषज्ञ से कंसल्ट कराकर अल्ट्रासाउंड कराते हैं तो इस स्थिति का पता चलता है।

पीसीओएस में हाइपोनिड, ओवुलेशन फंक्शन में सुधार और इंसुलिन प्रतिरोध के कारण हो रहे कई चयापचयों सम्बन्धी स्थितियों में सुधार कर सकता है। हायपोनिड इंसुलिन प्रतिरोध को कम करता है और चयापचय, प्रजनन और स्टेरॉयडोजेनिक को ठीक कर सकता है। हरिद्रा में एंटीएंड्रोजेनिक, हाइपोलिपिडिमिक, एंटीऑबिसिटी और एंटीऑक्सीडेंट गुण हैं। गुडमार, अमलकी (एम्ब्लिका ऑफिफ़ाइनलिस), गुडूची (टिनेस्पोरा कॉर्डिफ़ोलिया), आदि में एंटीडायबिटिक, हाइपोलिपिडिमिक, कार्डियोप्रोटेक्टिव और एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं। इस प्रकार, पीसीओएस के प्रबंधन के लिए हायपोनिड सुरक्षित और प्रभावी हो सकती है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। मार्किट में इसी तरह के फोर्मुले की अन्य फार्मसियों द्वारा निर्मित दवाएं उपलब्ध हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Hyponidd from Charak Pharma is an Ayurvedic remedy to for PCOS and diabetes. It reduces insulin resistance and maintains normal blood glucose levels. It corrects acne and facial hair growth in PCOS and improves pregnancy outcome in PCOS-related female infertility. It normalizes lipid levels and protects against cardiovascular diseases. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: Hyponidd Tablet An herbal support for PCOS and diabetes
  • निर्माता: चरक फार्मा प्राइवेट लिमिटेड
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • दवाई लेने का समय: भोजन से 30 मिनट पहले
  • मुख्य उपयोग: पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम (पीसीओएस), रक्त शर्करा का उच्च स्तर
  • मुख्य गुण: एंटीडायबिटिक, हाइपोलिपिडिमिक, कार्डियोप्रोटेक्टिव और एंटीऑक्सिडेंट गुण
  • साइड इफ़ेक्ट: ज्ञात नहीं
  • गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं करें.
  • मूल्य MRP: Hyponidd Pack of 30 tablets की कीमत ₹ 103.00 है.

हायपोनिड के घटक Ingredients of Hyponidd

पाउडर

  • यशद भस्म Yashad Bhasma 37.5 mg
  • शिलाजीत Shilajit (Purified asphaltum) 37.5 mg
  • करेला Karela (Momordica charantia) 12 mg

एक्सट्रेक्ट Extracts derived from

  • हरिद्रा Haridra (Curcuma longa) 300 mg
  • तरवर Tarwar (Cassia auriculata) 225 mg
  • अमलकी Amalaki (Emblica officinalis) 150 mg
  • जामुन Jamun (Eugenia jambolana) 150 mg
  • ममेजवो Mamejavo (Enicostemma littorale) 112.5 mg
  • मेषश्रृंगी Meshashringi (Gymnema sylvestre) 112.5 mg
  • विजयसार Vijaysaar (Pterocarpus marsupium) 75 mg
  • गुडूची Guduchi (Tinospora cordifolia) 75 mg
  • नीम Neem (Melia azadirachta) 75 mg
  • किराततिक्त Kirat Tikta (Swertia chirata) 12 mg

हायपोनिड के लाभ/फ़ायदे Benefits of Hyponidd

  • इसके सेवन से रक्त शर्करा का स्तर सामान्य करने में मदद हो सकती है।
  • इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण हैं।
  • यह अग्न्याशय से इंसुलिन स्राव को उत्तेजित करती है।
  • यह इंसुलिन प्रतिरोध को कम कर सकती है।
  • यह इंसुलिन प्रतिरोध को कम करके कोशिकाओं में इंसुलिन के इस्तेमाल को बढ़ावा देती है।
  • यह एंटीहाइपरग्लाइसेमिक है।
  • यह पुरुषों में डायबिटीज के कारण न्यूरोपैथी, नसों की कमजोरी और नपुंसकता होने के खतरे को कम कर सकती है।
  • यह पॉलीसिस्टिक ओवरी के प्रबंधन में सहायक चिकित्सा के रूप में इस्तेमाल की जा सकती है।
  • यह पॉलीसिस्टिक ओवरी रोग से पीड़ित महिलाओं में माहवारी में सुधार कर सकती है जिससे प्रेगनेंसी ठहरने के चांस बढ़ते हैं।
  • यह मासिक धर्म चक्र को विनियमित करने में मदद करती है।
  • यह यकृत ग्लाइकोजन के स्तर को कम करती है।
  • यह लिपिड के स्तर को सामान्य करने में सहायक है।
  • यह हीमोग्लोबिन बढ़ा सकती है।

हायपोनिड के चिकित्सीय उपयोग Uses of Hyponidd

हायपोनिड को रक्त शर्करा के स्तर को कम करने और इन्सुलिन के शरीर में ठीक ढंग से काम करने के लिए दिया जाता है। इसे प्री डायबिटिक, डायबिटिक ओवरी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) में लिया जा सकता है।

  • प्री डायबिटीज के प्रबंधन के लिए
  • डायबिटीज के प्रबंधन के लिए
  • पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम (पीसीओएस)

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Hyponidd

प्री डायबिटीज (रक्त शर्करा का स्तर सामान्य से अधिक है, लेकिन टाइप 2 मधुमेह के रूप में वर्गीकृत होने के लिए अभी तक उच्च पर्याप्त नहीं है, 100 से 125 मिलीग्राम / डीएल का उपवास रक्त ग्लूकोज, ओजीटीटी रक्त ग्लूकोज 140 मिलीग्राम / डीएल – 199 मिलीग्राम / डीएल), 1 गोली रोज दो बार, भोजन से आधे घंटे पहले लें या चिकित्सक द्वारा निर्देशित रूप में लें।

मधुमेह के लिए, भोजन से आधे घंटे पहले 2 गोलियाँ दो बार / तीन बार लें।

पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम (पीसीओएस) में: सिफारिश की गई खुराक है, दो गोलियाँ भोजन से आधे घंटे पहले, 3-6 महीने तक या चिकित्सक द्वारा निर्देशित रूप में लें।

Hyponidd एक प्राकृतिक सामग्री युक्त हर्बल दवा है यह कई दवा महीनों तक लेने के लिए सुरक्षित है। मधुमेह के गंभीर मामलों में, इसे एलोपैथिक दवाओं के सहायक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

सावधनियाँ Cautions, साइड-इफेक्ट्स Side effects कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • इसे गर्भावस्था के दौरान न लें।
  • इसके सेवन से पित्त बढ़ सकता है, जिससे एसिडिटी हो सकती है। अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
  • इसके सेवन से शरीर में ड्राईनेस हो सकती है।
  • निर्धारित मात्रा में लेने किसी भी तरह का गंभीर साइड-इफ़ेक्ट नहीं है।

पोसेक्स फोर्ट Posex Forte Capsules Detail and Uses in Hindi

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पोसेक्स फोर्ट कैप्सूल POSEX FORTE CAPSULES in Hindi, चरक फार्मा द्वारा निर्मित अच्छी दवाई है। इस दवा में जड़ी बूटियों के साथ साथ भस्में भी हैं। इसमें चन्द्रकला रस, जहरमोहरा पिष्टी, लौह भस्म, मुक्ताशुक्ति भस्म, स्वर्णमाक्षिक भस्म, स्वर्णमाक्षिक भस्म, और शुद्ध फिटकरी है।

इसलिए इसे डॉक्टर की देख रेख में बताए हुए समय के अनुसार लिया जाना चाहिए।

पोसेक्स फोर्ट में प्राकृतिक ब्लीडिंग रोकने वाली हर्ब जैसे की खादिरा, लजालू, लोध्र, वंशलोचन आदि है जो शरीर से ब्लीडिंग को रोकते हैं । इसमें घाव भरने वाले गुण भी हैं।

पोसेक्स फोर्ट कैप्सूल को स्त्रियों में गर्भाशय के खून बहने के विकार, कॉपर टी लगवाने के बाद ब्लीडिंग, पीरियड में बहुत खून जाना, गर्भावस्था के दौरान बवासीर के मस्से से रक्तस्राव, और योनि से असामान्य ब्लीडिंग में दिया जाता है। इसे लेने से ब्लीडिंग होना कम होता है।

पोसेक्स फोर्ट कैप्सूल को स्त्री रोग के अतिरिक्त नाक से खून गिरना, खून की उलटी होन, ब्लीडिंग पाइल्स आदि में भी लिया जा सकता है। यह मुख्य रूप से आंतरिक ब्लीडिंग को रोकने की दवा है और इसी तरह के रोगों में इस्तेमाल की जाती है। पोसेक्स फोर्ट को लेने की मात्रा दो कैप्सूल दिन में तीन बार है। इसे कुछ मामलों में हर दो घंटे पर दो कैप्सूल की मात्रा में ली जा सकती है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Posex Forte Capsule from Charak is Ayurvedic medicine with haemostyptic and astringent activities. It contains Khadir (Acacia catechu), Lajjalu (Mimosa pudica), Lodhra (Symplocos racemosa), and Vanshlochan (Bombax malabaricum). The other ingredients enhance the coagulatory properties of these main haemostyptic agents. Posex forte is indicated in menorrhagia and metrorrhagia, management of post-partum bleeding, to check bleeding associated with IUCD insertion or MTP procedures, management of dysfunctional uterine bleeding and pre-menopausal bleeding. It is also indicated in capillary bleeding, blood-stained mucus, blood in the urine etc. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: पोसेक्स फोर्ट Posex Forte
  • निर्माता: चरक फार्मा प्राइवेट लिमिटेड
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: शरीर से असामान्य रक्त स्राव रोकना, प्रसूति रक्तस्राव के प्रबंधनManagement of post-partum bleeding
  • मुख्य गुण: ब्लीडिंग रोकना
  • साइड इफ़ेक्ट: ज्ञात नहीं
  • मूल्य MRP: Posex Forte Capsule 20 Capsule current market Price is Rupees 89.00.

पोसेक्स फोर्ट के घटक Ingredients of Posex Forte Capsules

  • चन्द्रकला रस Chandrakala Ras 30 mg
  • जहरमोहरा पिष्टी Jaharmohara pishti 30 mg
  • कुक्कुटाण्डत्वक भस्म Kukkutandtwak Bhasma 30 mg
  • लौह भस्म Loh bhasma 30 mg
  • मुक्ताशुक्ति भस्म Muktashukti Bhasma 30 mg
  • स्वर्णमाक्षिक भस्म Suvarnamakshik Bhasma 30 mg
  • यशद भस्म Yashad Bhasma 30 mg
  • शुद्ध फिटकरी Phitkari Shuddha 15 mg

Extracts of the following:

  • मुलेठी Yashtimadhu Glycyrrhiza glabra 300 mg
  • लोध्र Lodhra Symplocos racemosa 300 mg
  • आंवला Amalaki Emblica officinalis 150 mg
  • खदिरा Khadir chhal Acacia catechu 150 mg
  • वासा Vasa Adhatoda vasica 150 mg
  • अशोक Ashok Saraca indica 75 mg
  • कुटज Kutaj Holarrhena atidysenterica 75 mg
  • लज्जालु Lajjalu Mimosa pudica 75 mg
  • बोल Bola Commiphora myrrha 75 mg
  • शलमाली Shalmali Bombax malabaricum 75 mg

पोसेक्स फोर्ट के प्रमुख घटक

चन्द्रकला रस, रक्तस्राव विकारों, मधुमेह और इसके जटिलताओं के आयुर्वेदिक उपचार में प्रयोग किया जाता है। चन्द्रकला रस 20 प्रकार के प्रमेह, सफ़ेद पानी की समस्या, पेशाब में दर्द, पेशाब के साथ वीर्य जाना, स्वप्न दोष, वीर्य दोष वात-पित्त रोग, लीवर रोग, शरीर में गर्मी बढ़ जाने से ब्लीडिंग, सिर में दर्द, आँखे लाल होना, नाक-मुंह से ब्लीडिंग, ब्लीडिंग नहीं रुकना, रक्त पित्त, खून के साथ वमन, पित्त की अधिकता से रोग, आदि में किया जाता है। यह एक रस-रसायन है और इसमें शुद्ध पारा-शुद्ध गंधक, ताम्र भस्म, अभ्रक भस्म आदि हैं।

लोध्र, तिल, तिरीटक शाबर, मालव, गाल्व, हस्ती, हेमपुष्पक आदि नामों से जाना जाता है। हिंदी में इसे लोध, बंगाली में लोधकाष्ठ, मराठी में लोध, गुजरती में लोदर, पठानीलोध, और लैटिन में सिम्प्लेकोस रेसीमोसा कहते हैं। यह अतिसार, आम अथवा रक्तअतिसार, रक्त प्रदर तथा श्वेतप्रदर के उपचार में बहुत लाभप्रद है। यह स्त्रियों के प्रदर की समस्या की प्रमुख औषधि है।

  • रस (taste on tongue): कषाय astringent
  • गुण (Pharmacological Action): लघु, रुक्ष light and drying
  • वीर्य (Potency): शीत Cooling
  • विपाक (transformed state after digestion): कटु Pungent

आयुर्वेद में लोध को ग्राही, हल्का, शित्रल, नेत्रों के लिए हितकार, कसैला, कफ तथा पित्तहर बताया गया है। यह रक्तपित्त, रुधिरविकार, ज्वर, ज्वारातिसार, और शोथ को हरने वाली प्रभावी औषध है।

अशोक की छाल को आयुर्वेद में प्रमुखता से स्त्री रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है। यह स्वभाव से शीत होती और प्रजनन तथा मूत्र अंगों पर विशेष रूप से काम करती है। यह गर्भाशय की कमजोरी और योनी की शिथिलता को दूर करती है। यह संकोचक, कडवा, ग्राही, रंग को सुधारने वाला, सूजन दूर करने वाला और रक्त विकारों को नष्ट करने वाला है।

अशोक स्त्री रोगों में बहुत ही फायदा करता है। इसके सेवन से बाँझपन नष्ट होता है और राजोविकर दूर होते है। यह दर्द, सूजन, रक्त प्रदर, श्वेत प्रदर, दर्द, अतिसार, पथरी, पेशाब में दर्द, आदि में लाभप्रद है।

आंवला, ठंडक देने वाला, कसैला, पाचक, विरेचक, भूख बढ़ाने वाले और कामोद्दीपक माना गया है। इसमें ज्वरनाशक, सूजन दूर करने के और मूत्रवर्धक गुण है। आंवला एक रसायन है जो की शरीर में बल बढाता है और आयु की वृद्धि करता है। यह शरीर में इम्युनिटी boosts immunity को बढाता है। यह विटामिन सी vitamin C का उत्कृष्ट स्रोत है। इसके सेवन से बाल काले रहते है, वात, पित्त और कफ नष्ट होते है और शरीर में अधिक गर्मी का नाश होता है।

लौह भस्म आयरन का ऑक्साइड है और आयुर्वेद बहुत अधिक प्रयोग होता है। आयुर्वेद में लौह कल्प, वह दवाएं हैं जिनमे लौह भस्म मुख्य घटक है। लौह के अतिरिक्त इन दवाओं में हर्बल घटक भी होते हैं। लौह कल्प के नाम में ‘लौह’ शब्द का प्रयोग होता है। लौह कल्प को क्रोनिक बिमारियों के इलाज़ के लिए प्रयोग किया जाता है। यह पांडू रोग या अनीमिया को नष्ट करता है।

लौह भस्म को पाण्डु (anaemia), प्रमेह (diabetes), यक्ष्मा (tuberculosis), अर्श (piles), कुष्ठ (skin disorders), कृमि रोग (worm infestation), क्षीणतवा (cachexia), स्थूलया (obesity), ग्रहणी (bowel syndrome), प्लीहा रोग (spleenic disorders), मेदोरोगा (hyperlipidemia), अग्निमांद्य (dyspepsia), शूल (spasmodic pain), और विषविकार (poisoning) में प्रयोग किया जाता है।

फिटकरी का संस्कृत में नाम स्फटिका, कांक्षी, तुवरी, स्फटिका सौराष्ट्री, शुभ्रा, स्फुटिका आदि है। इसे इंग्लिश में पोटाश एलम कहते हैं। फिटकरी एक रंगहीन क्रिस्टलीय पदार्थ है। इसका रासयनिक नाम पोटेशियम एल्युमिनियम सल्फेट है तथा इसका केमिकल फार्मूला KAl(SO4)2।12H2O है।

आयुर्वेद में चिकित्सा के लिए फिटकरी का प्रयोग प्राचीन समय से किया जाता रहा है। चरक संहिता में भी इसके प्रयोग का वर्णन पाया जाता है। रत्न समुच्चय ग्रन्थ में इसे तुवरी कहा गया है। रसतरंगिणी में इसे पित्त-कफ नाशक, ज्वरनाशक, आँखों के रोगों में लाभप्रद, खून के बहने को रोकने वाली, मुख के रोगों, कान रोगों और नाक से खून बहने से रोकने वाली माना गया है।

पोसेक्स फोर्ट दवा के औषधीय कर्म

  • कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
  • गर्भाशयस्रावनाशक: गर्भाशय के स्राव को रोकने वाला।
  • ग्राही: द्रव्य जो दीपन और पाचन हो तथा शरीर के जल को सुखा दे।
  • प्रमेहहर: द्रव्य जो प्रमेह अर्थात मूत्र रोग को दूर करे।
  • रक्त स्तंभक: जो चोट के कारण या आसामान्य कारण से होने वाले रक्त स्राव को रोक दे।
  • रक्तप्रदरहर: द्रव्य जो रक्त प्रदर की समस्या को दूर करे।
  • व्रणरोपण: घाव ठीक करने के गुण।
  • शीतल: स्तंभक, ठंडा, सुखप्रद है, और प्यास, मूर्छा, पसीना आदि को दूर करता है।
  • शोथहर: द्रव्य जो शोथ / शरीर में सूजन, को दूर करे।
  • शोधक: द्रव्य जो शरीर की गंदगी को मुख द्वारा या मलद्वार से बाहर निकाल दे।
  • श्वेतप्रदरहर: द्रव्य जो सफ़ेद पानी की समस्या को दूर करे।

पोसेक्स फोर्ट के लाभ / फ़ायदे Benefits of Posex Forte Capsules

  • इसका एसट्रिनजेंट astringent गुण ब्लीडिंग डिसऑर्डर में लाभकारी है।
  • इसके सेवन से रोजोविकर/मासिक धर्म menstrual disorders के विकारों में लाभ होता है।
  • यह एक गर्भाशय का टॉनिक uterine tonic है और गर्भाशय को बल देता है।
  • यह इनफर्टिलिटी infertility में भी लाभप्रद है।
  • यह दवा प्रमेह, मधुमेह, शुक्रमेह, रक्त प्रदर आदि में लाभकारी है।

पोसेक्स फोर्ट के चिकित्सीय उपयोग Uses of Posex Forte Capsules

 स्त्री रोग में In Gynecology:

  • असामान्य गर्भाशय रक्तस्राव Abnormal uterine bleeding
  • प्रसव बाद रक्तस्राव Post-partum bleeding
  • आईयूसीडी, कॉपर टी या एमटीपी प्रक्रियाओं से संबंधित ब्लीडिंग To check bleeding associated with IUCD insertion or MTP procedures
  • रजोनिवृत्ति होने से पहले अनियमित ब्लीडिंग Pre-menopausal irregular bleeding
  • गर्भावस्था के दौरान रक्तस्राव Bleeding associated with haemorrhoids during pregnancy

सामान्य चिकित्सा / सर्जरी में In General Medicine/Surgery:

  • शल्य चिकित्सा से पहले Preoperative prophylaxis in minor surgery
  • नाक से खून आना Epistaxis
  • हेमोटाईसिस Haemoptysis
  • पेशाब में खून Haematuria
  • खून की उलटी Haematemesis
  • बवासीर Haemorrhoids

पोसेक्स फोर्ट की सेवन विधि और मात्रा Dosage of Posex Forte Capsules

2 गोली, दिन में तीन बार लें।

अधिक ब्लीडिंग में इसे हर दो घंटे पर 2 गोली लें, जबतक खून बहना रुक नहीं जाए। लेकिन 24 घंटे में 12 गोली से ज्यादा नहीं लें। इस प्रयोग को केवल डॉक्टर के निर्देश पर ही करें। इसमें मुलेठी है जिससे फ्लूइड रिटेंशन हो सकता है। मुलेठी का प्रयोग हृदय रोग में नहीं किया जाना चाहिए।

पूर्व ऑपरेटिव: ऑपरेशन / प्रक्रिया के दो दिन से दो कैप्सूल दिन में तीन बार और ऑपरेशन / प्रक्रिया होने के बाद अगले तीन दिनों तक लें। इस प्रयोग को भी डॉक्टर के निर्देश के बिना नहीं करें।

  • इसे पानी के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ/ साइड-इफेक्ट्स/ कब प्रयोग न करें Cautions/Side effects/Contraindications

सावधान: इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।

  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।

यह हमेशा ध्यान रखें की जिन दवाओं में खनिज होते हैं, उन दवाओं का सेवन लम्बे समय तक नहीं किया जाता। इसके अतिरिक्त इन्हें डॉक्टर के देख-रेख में बताई गई मात्रा और उपचार की अवधि तक ही लेना चाहिए।

मुलेठी licorice किसे नहीं लेनी चाहिए?

  • ज्यादा मात्रा में लम्बे समय तक लेने से उच्च रक्तचाप और शरीर में पोटैशियम की अधिक मात्रा हो जाती है।
  • यह बाहों और पैरों में मांसपेशियों में दर्द या सुन्नता कर सकती है।
  • 4 से 6 सप्ताह से अधिक समय तक किसी भी मुलेठी या इसके दवा वाले उत्पाद का सेवन नहीं किया जाना चाहिए।
  • उच्च रक्तचाप के लिए एसीई इनहिबिटर और मूत्रवर्धक लेते समय, मुलेठी उत्पादों का उपयोग न करें।
  • छोटी मात्रा में, यह उल्टी रोकती है लेकिन उच्च खुराक में, यह उल्टी लाती है।
  • यह कैल्शियम और पोटेशियम अवशोषण को रोकती है और इसलिए ऑस्टियोपोरोसिस में सावधानी से लिया जाना चाहिए।
  • 4-6 सप्ताह का उपयोग जारी रहता है तो हाइपोकैलेइमिया हो सकता है।
  • जब थियाज़ाइड मूत्रवर्धक के साथ संयोजन में लिया जाता है, जुलाब, यह पोटेशियम हानि बढ़ा सकती है।
  • डाइरेक्टिक्स, कार्डियक ग्लाइकोसाइड, कॉर्टिकॉस्टिरॉइड्स, उत्तेजक जुलाब या अन्य दवाओं के साथ इसका उपयोग इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन को बढ़ा सकते हैं।
  • यह उच्च नमक आहार के प्रभाव को बढ़ा सकती है।
  • यह गर्भनिरोधक गोली के प्रभाव को कम कर सकती है।
  • पर्याप्त डेटा की कमी के कारण 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों और किशोरों में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
  • शराब की दवा लेने वाले मरीजों को अन्य लिकोरिस वाले उत्पादों को नहीं लेना चाहिए क्योंकि गंभीर प्रतिकूल घटनाएं हो सकती हैं जैसे कि जल प्रतिधारण, हाइपोकलिमिया, उच्च रक्तचाप, हृदय विकार।
  • उच्च रक्तचाप, किडनी रोग, यकृत या हृदय संबंधी विकार या हाइपोक्लैमिया से प्रभावित मरीजों में शराब की दवा का इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि वे लिकोरिस के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील हैं।
  • लिकोरिस में एंटी-एस्ट्रोजेनिक और एस्ट्रोजेनिक गतिविधि होती है, जहां घटक ग्लोब्रिडिन में उच्च सांद्रता पर कम सांद्रता और एस्ट्रोजेनिक गतिविधि पर एस्ट्रोजेनिक गतिविधि होती है।
  • लीकोरिस युवा स्वस्थ पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन उत्पादन कम कर सकता है।
  • पोटेशियम की कमी से ग्रस्त व्यक्ति को लिकोरिस का उपयोग नहीं करना चाहिए।

महर्षि एनरजौल एम ए Maharishi Ayurveda Energol-MA Tablets Detail and Uses in Hindi

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एनरजौल एम ए, महर्षि आयुर्वेद द्वारा निर्मित एक प्रोप्राइटरी दवाई है। यह दवा पुरुषों के लिए है तथा यौन दुर्बलता, सेक्सुअल डिसऑर्डर जैसे की शीघ्रपतन, शिश्न में कड़ापन नहीं आना, इरेक्शन की समस्या, सेक्स करने की कम इच्छा, सेक्स कमजोरी, मर्दाना कमजोरी आदि में प्रयोग की जा सकती है।

क्योंकि इस दवा में स्वर्ण मकरध्वज, लोह-वंग-अभ्रक भस्में है, इसलिए इसे डॉक्टर की देखरेख में ही लेना उचित है। दवा की सटीक मात्रा भी डॉक्टर के द्वारा ही बताई जा सकती है क्योंकि यह व्यक्ति के स्वास्थ्य, पाचन, प्रकृति और रोग की स्थिति पर निर्भर है। दवा के पैक पर भी इसे डॉक्टर के निर्देशानुसार लेने को कहा गया है।

एनरजौल एम ए, में एंटीएजिंग, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी स्ट्रेस गुण है। इसके सेवन से तनाव और शारीरिक कमजोरी कम होती है। तनाव और दुर्बलता व्यक्ति को विवाहित जीवन आनंद नहीं लेने देते। एनर्जोल शरीर में मनोवैज्ञानिक और कार्यात्मक होमियोस्टेसिस को बहाल करने में मदद करता हैं जिससे शरीर और दिमाग में जोश और ताकत आती है। यह व्यक्ति को जीवन की वास्तविकताओं का सामना करने के लिए तैयार करता है।

एनरगोल टेबलेट्स में 31 जड़ी-बूटियाँ और भस्में हैं। यह एक गैर-हार्मोनल टॉनिक है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। मार्किट में इसी तरह के फोर्मुले की अन्य फार्मसियों द्वारा निर्मित दवाएं उपलब्ध हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Energol MA is manufactured by Maharishi Ayurveda. This medicine is for males only and helps to improve sexual functions, testicular functions, quality of the sperms, erection, sexual desire and sexual satisfaction.It helps to increase the sexual power.It is combination of non-hormonal, aphrodisiac, anxiolytic and rejuvenating drugs.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: एनरजौल एम ए
  • निर्माता: महर्षि आयुर्वेद
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: भस्म जड़ी-बूटी युक्त आयुर्वेदिक दवाई
  • मुख्य उपयोग: पुरुषों में दुर्बलता
  • मुख्य गुण: वृष्य, वाजिकारक, बलवर्धक, रसायन, शुक्रवर्धक, वीर्यवर्धक
  • मूल्य MRP: Maharishi Ayurveda Energol-MA Tablets (20 Tablets) @ INR 400.

एनरजौल- एम ए के घटक Ingredients of Energol – MA

Each 500 mg Pearl Contains

  • स्वर्ण सिद्ध मकरध्वज Swaran Sidha Makardhwaj  2.4 mg
  • लौह भस्म Lauh Bhasm  2.4 mg
  • अभ्रक भस्म Abhrak Bhasm  2.4 mg
  • वंग भस्म Vang Bhasm  2.4 mg
  • चोपचीनी Smilax China  2.4 mg
  • सेमल कन्द Salmali mala-baricum  2.4 mg
  • लवंग Syzgium aromaticum  2.4 mg
  • सफ़ेद जीरा Cuminum cyminum 2.4 mg
  • जातिफल Myristica fragrans  2.4 mg
  • विधारा Argyreia speciosa  2.4 mg
  • सोंठ Zingiber officinale  2.4 mg
  • काली मिर्च Piper nigrum  2.4 mg
  • पिप्पली Piper longum  2.4 mg
  • वंशलोचन Bambusa arundinacea  3.6 mg
  • जावित्री Myristica fragrans(Javitri)  9.6 mg
  • शतावर Asparagus racemosus  9.6 mg
  • द्राक्षा Vitis vinifera  9.6 mg
  • बला Sida cordifolia  9.6 mg
  • कर्कटा श्रृंगी Pistacia Intergerrima  9.6 mg
  • छोटी इला Elettaria cardamomum  9.6 mg
  • केवांच Mucuna prurita  9.6 mg
  • कूठ Saussurea Lappa  9.6 mg
  • नागरमोथा Cyperus scariosus  9.6 mg
  • विदारीकन्द Pueraria tuberose  9.6 mg
  • कुष्मांड Benincasa hispida  9.6 mg
  • नागकेशर Mesua ferrea  9.6 mg
  • जटामांसी Nardostachyas jatamansi  9.6 mg
  • कपूर Cinnamomum camphora  9.6 mg
  • कंकोल Piper Cubeba  9.6 mg
  • गोखरू Tribulus terrestris  9.6 mg
  • मिश्री Cyrstal Sugar  Q.S

एनरजौल- एम ए के लाभ/फ़ायदे Benefits of Energol – MA

  • यह एक टॉनिक, उत्तेजक और कमजोरी दूर करने में सहायक हो सकती है।
  • यह शुक्राणुजनन में मदद कर सकती है और एक कामोत्तेजक है।
  • यह पुरुषों के लिए वाज़िकारक और शक्तिवर्धक दवाई है।
  • यह पुरुषों की यौन शक्ति को बढ़ाती है और बहुत से यौन रोगों में उपयोगी है। यह गैर हार्मोनल, कामोत्तेजक, वाजीकारक और कायाकल्प दवाओं का एक उत्कृष्ट संयोजन है।
  • यह पाचन और आत्मसात में सुधार करती है।
  • यह शक्तिवर्धक, जोशवर्धक, वाजीकारक रसायन है।

आयुर्वेदिक गुण

  • बाजीकरण: द्रव्य जो रति शक्ति में वृद्धि करे।
  • रसायन: द्रव्य जो शरीर की बीमारियों से रक्षा करे और वृद्धवस्था को दूर रखे।
  • शुक्रल: द्रव्य जो शुक्र की वृद्धि करे।

एनरजौल- एम ए के चिकित्सीय उपयोग Uses of Energol – MA

आयुर्वेद की मुख्य 8 शाखाएं हैं, इनमें से वाज़ीकरण यौन-क्रियायों की विद्या तथा प्रजनन Sexology and reproductive medicine चिकित्सा से सम्बंधित है। वाज़ीकरण के लिए उत्तम वाजीकारक वनस्पतियाँ और खनिजों का प्रयोग किया जाता है जो की सम्पूर्ण स्वास्थ्य को सही करती हैं और जननांगों पर विशेष प्रभाव डालती है। आयुर्वेद में प्रयोग किये जाने वाले उत्तम वाजीकरण द्रव्यों में शामिल है, मूसली, अश्वगंधा, शतावरी, गोखरू, केवांच, शिलाजीत, विदारीकन्द आदि। यह द्रव्य कामोत्तेजक है, स्नायु, मांसपेशियों की दुर्बलता, को दूर करने वाले है तथा धातु वर्धक, वीर्यवर्धक, शक्तिवर्धक तथा बलवर्धक हैं।

  • यौन कमजोरी के लिए sexual disorders of male
  • स्वप्नदोष Nocturnal Emission (Night Fall)
  • शीघ्रपतन Premature Ejaculation
  • स्तम्भन दोष Erectile Dysfunction
  • पुरुषों में यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए
  • शारीरिक कमजोरी, स्ट्रेस
  • वाजीकरण improving Sexual Desire
  • लिबिडो कम होना Low Libido

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Energol – MA

  • 1 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे दूध के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सुझाव

  • यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता की यह दवा आपकी समस्या दूर करेगी की नहीं। इस दवा के मिक्स्ड रिव्यु हैं। कुछ लोगों कहते हैं इसके सेवन से उन्हें बहुत लाभ हुआ। लेकिन कुछ के अनुसार इससे जैसा वो चाहते थे, लाभ नहीं हुआ।
  • इसे लम्बे समय तक न लें।
  • दवा के साथ-साथ भोजन और व्यायाम पर भी ध्यान दें।
  • संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन करें।
  • खाने में दूध, फलों और सब्जियां को शामिल करें।
  • जंक फ़ूड न खाएं।
  • तले, भुने, खट्टे, मसालेदार भोजन न खाएं।
  • मादक पदार्थों, शराब, चाय और कॉफी का सेवन नहीं करें।
  • पानी पर्याप्त मात्रा में पियें।
  • प्राणायाम और व्यायाम करें।
  • खूब पानी पियें।
  • एक्सरसाइज करें।
  • तनाव कम करें।
  • कब्ज़ न रहने दें।
  • कब्ज़ में त्रिफला, इसबगोल आदि का सेवन कर सकते हैं। मुनक्का और किशमिश का सेवन भी कब्ज़ में लाभप्रद है।

सावधनियाँ Cautions

  • इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।

साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • अगर आप को कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या है तो दवा में प्रयुक्त जड़ी-बूटियाँ का उस रोग और उसकी दवाओं पर असर ज़रूर चेक करें।
  • इसके सेवन से पित्त बढ़ सकता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।
  • अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
  • जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, वे इसका सेवन सावधानी से करें।

कब प्रयोग न करें Contraindications

  • यह हमेशा ध्यान रखें की जिन दवाओं में पारद, गंधक, खनिज आदि होते हैं, उन दवाओं का सेवन लम्बे समय तक नहीं किया जाता। इसके अतिरिक्त इन्हें डॉक्टर के देख-रेख में बताई गई मात्रा और उपचार की अवधि तक ही लेना चाहिए।
  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।

कुक्कुटांडत्वक् भस्म Kukkutandatvak Bhasma Detail and Uses in Hindi

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कुक्कुटाण्डत्वक भस्म, एक क्लासिकल आयुर्वेदिक दवाई है। यह मुर्गी के अंडे के छिलके से तैयार की जाती है। कुक्कुट का अर्थ मुर्गी है, अंडात्वक का अर्थ अंडे का छिलका है। मुर्गी के अंडे का सफेद छिलका लेकर उसे मोटा-मोटा कूट लिया जाता है। इसे मिट्टी के बर्तन में रखकर चंगेरी पौधे Oxalis corniculata का रस इतना भरा जाता है जिससे छिलके डूब जाएँ। इस बर्तन को फिर बंद करके, संधिलेप लगा कर पुट में पकाते हैं। ठण्डा हो जाने पर बर्तन को खोलते हैं तो सफेद भस्म को देखते हैं। अगर यह बन गई होती है तो इसे रख लेते हैं, नहीं तो फिर से पकाना होता है। ज़रूरी होने पर इसे कई पुट देते हैं। इस तरह से कुक्कुटांडत्वक् भस्म बनती है। चंगेरी रस में अंडे के छिलके रख पकाने से इसमें होने वाली अशुद्धियों और टोक्सिन नष्ट हो जाते हैं और साथ ही मानव उपभोग के लिए इसकी उपयुक्तता बढ़ जाती है। पौधे के रस में पका होने से मानव शरीर में इसकी जैवउपलब्धता बढ़ जाती है।

यह दवा बहुत से रोगों में लाभ करती है। यह प्रमेह, धातु विकार, शुक्र दोष, स्वप्नदोष, स्त्री रोग, प्रसव बाद, कमजोरी आदि में लाभप्रद है। यह कैल्शियम का एक समृद्ध स्रोत है और स्वाभाविक रूप से अस्थि घनत्व में सुधार करने में मददगार है। यह आयुर्वेदिक कैल्शियम सप्लीमेंट है।

Kukkutandatvak bhasma is natural calcium supplement. It promotes healthy bone, improves bone mineral density, relieves bone and joint pains, and possesses anti-inflammatory property.

Kashaya Rasa is predominant in kukkutandtwak bhasma. It drives off kleda by virtue of sangrahi, soshana, stambhna, and shleshma prashamana properties of kashaya rasa. It is mainly having ruksha guna. It is sheeta virya. Sheeta virya drugs act in srotasa and cause stambhana.

In case of leucorrhoea, Kukkutanda twak bhasma is administered at the dose of 500 mg, twice daily orally for 3 months. It is to be taken with Honey, which is yogavahi, Lekhana, Ropana, and Sandhana karma and Brimhana.

Clinical Study done on Kukkutanda Twak Bhasma, suggests that the administration of Kukkutanda twak bhasma is highly significant in treating almost all the major symptoms of swetapradara (ie, discharge, itching, consistency, pH, pus cells).  In cases of anemia also this drug will provide satisfactory results.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: कुक्कुटाण्डत्वक भस्म, कुक्कुटांड त्वक भस्म Kukkutanda Twak Bhasma, Kukkutandatvak Bhasma, Twak Bhasm, Kukkutand bhasma, Eggshell Calcium, Egg Shell Calx, Eggshell Bhasma
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: Calcined Medicine
  • मुख्य उपयोग: कैल्शियम सप्लीमेंट
  • मुख्य गुण: कैल्शियम स्रोत

कुक्कुटांडत्वक् भस्म के घटक Ingredients of Kukkutandatvak Bhasma

मुर्गी के अंडे के छिलका

केमिकल कम्पोज़िशन

  • कैल्शियम कार्बोनेट Calcium Carbonate (CaCO3) 95%
  • कैल्शियम फॉस्फेट, मैग्नीशियम कार्बोनेट, प्रोटीन (घुलनशील और अघुलनशील) आदि। Calcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Proteins (Soluble and Insoluble) 5%

आयुर्वेदिक गुण और कर्म

  • रस (taste on tongue): मधुर/मीठा, कटु/तीखा,
  • गुण (Pharmacological Action): लघु/हल्का, मृदु / मुलायम, रुक्ष/सुखाने वाला
  • वीर्य (Potency): शीत/ ठंडक देने वाला,
  • विपाक (transformed state after digestion): मधुर/मीठा

औषधीय गुण

  • कफहर: द्रव्य जो कफदोष निवारक हो।
  • गर्भाशयस्राव नाशक: गर्भाशय के स्राव को रोकने वाला।
  • बल्य: द्रव्य जो बल दे।
  • बाजीकरण: द्रव्य जो रति शक्ति में वृद्धि करे।
  • मूत्रकृच्छघ्न: द्रव्य जो पेशाब की जलन में लाभप्रद हो।
  • रसायन: द्रव्य जो शरीर की बीमारियों से रक्षा करे और वृद्धवस्था को दूर रखे।
  • वाताघ्न: द्रव्य जो वात को कम करे।
  • शुक्रप्रवर्तक: द्रव्य जो वीर्य या शुक्र को उत्पन्न और प्रवर्तन करे।
  • शुक्रल: द्रव्य जो शुक्र की वृद्धि करे।
  • हृदय: द्रव्य जो हृदय के लिए लाभप्रद है।

कुक्कुटांडत्वक् भस्म के लाभ/फ़ायदे Benefits of Kukkutandatvak Bhasma

  • यह कैल्शियम का अच्छा स्रोत है।
  • इसके सेवन सेअस्थि घनत्व में सुधार लाने में मदद हो सकती है।
  • यह गठिया और हड्डियों की कमजोरी में लाभप्रद है।
  • श्वेत प्रदर में इसके सेवन से लाभ होता है।
  • महिलाओं में मासिक धर्म से संबंधित समस्याओं में भी इसका इस्तेमाल होता है।
  • चंद्रप्रभा वटी के साथ-साथ, कुक्कुटाण्डत्वक भस्म पेशाब को कम करने में मदद करता है।
  • यह जोड़ों के दर्द से राहत और शारीरिक क्षमता को प्राप्त करने में मदद करता है।
  • इसमें एन्टासिड गुण है।
  • यह रसायन है।
  • यह धातुवर्धक और शुक्र धातु को पुष्ट करता है।
  • इसके सेवन से ताकत, बल और उर्जा में बढ़ोतरी होती है।
  • यह स्पर्मेटोजेनिसिस को बढ़ाता है।
  • इसके सेवन से स्पर्म काउंट बढ़ता है।
  • यह वीर्य को गाढ़ा करता है।

कुक्कुटांडत्वक् भस्म के चिकित्सीय उपयोग Uses of Kukkutandatvak Bhasma

कुक्कुटांडत्वक् भस्म को एक आयुर्वेदिक कैल्शियम सप्लीमेंट के रूप में समझा जा सकता है। इसके सेवन से हड्डी का घनत्व बढ़ता है हड्डी-दांत मजबूत होते हैं। इससे जोड़ों में दर्द और हड्डियों के फ्रैक्चर होजाने पर भी लाभ होता है। इसके कुछ औषधीय उपयोगोंके बारे में यहाँ जानकारी डी गई है:

कैल्शियम की कमी

कुक्कुटांडत्वक् भस्म उन सभी स्थितियों में लिया जा सकता है जिसमें हड्डियाँ कमजोर होती है। यदि हड्डियों में खनिज घनत्व कम है, ऑस्टियोपोरोसिस, फ्रैक्चर, अस्थिभक्षण, ऑस्टियोआर्थराइटिस, गठिया, हड्डी में दर्द है, तो इसका सेवन करके देखना चाहिए।

  • हड्डियाँ टूट जाना
  • हड्डियां कमजोर होना
  • हड्डियों का कम घनत्व
  • ऑस्टियोपोरोसिस
  • ऑस्टियोआर्थराइटिस
  • ऑस्टियोपीनिया
  • दांत कमजोर होना

स्त्री रोग

  • यह स्त्रियों में प्रदर और सोम रोग में लाभप्रद है। सोम रोग में योनि से काफी मात्रा में पानी जैसा स्राव होता है। यह अक्सर कमजोर स्त्रियों में देखा जाता है।
  • प्रदर
  • सफ़ेद पानी की समस्या, लिकोरिया
  • कमजोरी
  • सोम रोग

पुरुषों की यौन समस्या

  • शारीरिक कमजोरी
  • धात गिरना
  • रात में सोये में स्खलन होना, नाईट फाल
  • वीर्य का पानी जैसा होना
  • धात गिरना

 पेशाब की समस्या

पेशाब के अधुइक जाने, बूँद बूँद करके जाने और रात में ज्यादा एशाब आना में इसे चन्द्रप्रभा वटी के साथ लेने से फायदा होता है।

बालों की समस्या

  • गंजापन, खालित्य
  • बालों का असमय सफ़ेद होना

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Kukkutandatvak Bhasma

कुक्कुटांडत्वक् भस्म को लेने की मात्रा 1 रत्ती से 3 रत्ती (125 mg to 375 mg) है। इसे शहद के साथ, दिन में दो बार सुबह और शाम लेना चाहिए। इसे अकेले ही या अन्य कई दवाओं के साथ रोगानुसार लेते हौं।

प्रमेह

कुक्कुटांडत्वक् भस्म 1 रत्ती ( =125 mg) + वंग भस्म 1 रत्ती, को मलाई के साथ खाना चाहिए।

धातु विकार, शुक्र दोष, वीर्य का पतला होना, धात गिरना, सपने में स्खलित हो जाना

कुक्कुटांडत्वक् भस्म 1 रत्ती + इलाइची चूर्ण 4 रत्ती + कान्तलौह भस्म 2 रत्ती, को मिलाकर द्राक्षासव के साथ लेना चाहिए।

स्त्रियों में प्रदर रोग, सफ़ेद पानी की समस्या, सोम रोग

कुक्कुटांडत्वक् भस्म का सेवन 2-3 रत्ती की मात्रा में करें।

प्रसव के बाद

कुक्कुटांडत्वक् भस्म 1 रत्ती + प्रतापलंकेश्वर रस (कुछ दिन के लिए) के साथ, अनार के जूस और दशमूलारिष्ट के साथ लेने से फायदा होता है।

सावधनियाँ Cautions

  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।

साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • यह आयुर्वेदिक कैल्शियम सप्लीमेंट है और ज्यादातर लोगों में इसके सेवन से कोई विशेष दुष्प्रभाव नहीं देखा गया है।
  • इसे आप 3 से 6 महीनों नियमित उपयोग कर सकते हैं।

कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था में बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लें।
  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।

उपलब्धता

  • इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
  • बैद्यनाथ Baidyanath Kukkutandatwak Bhasma (5gm) प्राइस MRP INR 75
  • श्री धूतपापेश्वर Shree Dhootapapeshwar Limited SDL Kukkutandatvak Bhasma
  • तथा अन्य बहुत सी फर्मसियाँ।

कुर्स कुश्ता बैजा मुर्ग Qurs Kushta Baiza Murgh in Hindi

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कुश्ता बैजा-ए-मुर्ग, एक यूनानी दवाई है। यूनानी चिकित्सा प्रणाली, ग्रीस में विकसित हुई और इसे अरबों द्वारा भारत में लाया गया। इसे ग्रीको-अरब दवा, यूनानी टिब्ब, अरब औषधि या इस्लामी दवा के रूप में भी कहा जाता है। हिप्पोक्रेट्स को इस प्रणाली के पिता के रूप में जाना जाता है। यूनानी चिकित्सा के सैद्धांतिक रूपरेखा उनकी शिक्षाओं पर आधारित है।  यूनाई में कुर्स, टेबलेट को कहते हैं। कुश्ता किसी धातु या खनिज के कैलक्लाइंड उत्पाद Bhasma को कहा जाता है।

यह यूनाई दवा समय से पहले स्खलन , नपुंसकता, बांझपन, नसों की दुर्बलता और दुर्बलता के उपचार में उपयोगी है। यह पुरुष प्रजनन और शक्ति को सुधारती है यह वीर्य को बढ़ाती है और रात के उत्सर्जन (स्वप्न दोष) को ठीक करती है।

कुश्ता बैजा मुर्ग को कैल्शियम की कमी दूर करने के लिए, इस्तेमाल कर सकते हैं। यह दवाई मुर्गी के अंडे के छिलके से तैयार की जाती है। इसलिए इसमें कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है।

कुश्ता बैजा मुर्ग को खाने से गुर्दे में ताकत आती है और पेशाब रोग में फायदा होता है। आदमियों में इसे खाने से पेनिस की नसों में ताकत आती है और सोए में वीर्य निकल जाना और प्रीमेच्योर एजाकुलेशन premature ejaculation जिसे शीघ्रपतन या शीघ्र स्खलन भी कहते हैं, में उपयोगी है। यह मुख्य रूप से वाजीकारक, पौष्टिक, और बलवर्धक दवाई है। इससे धातु की कमी दूर होती है और शरीर हृष्ट पुष्ट बनता है। यह स्पर्मेटोरिया में फायदा करती है। स्पर्मेटोरिया को धात गिरना, धात की समस्या, आदमियों का प्रमेह, गुप्त रोग, या धातु रोग के नाम से भी जानते हैं।

  • ब्रांड: हमदर्द, देहलवी
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: अंडे की खोल की भस्म
  • मुख्य उपयोग: टॉनिक, कैल्शियम सप्लीमेंट
  • मुख्य गुण: एंटीऑक्सीडेंट, रसायन, टॉनिक
  • दवा का अनुपान: दूध, मक्खन
  • दवा को लेने का समय: दिन में दो बार, प्रातः और सायं

Kushta Baiza Murgh is Unani medicine for diabetes. It stops excessive urination and strengthens the kidneys. It is aphrodisiac and general tonic. It is specially beneficial for males.

कुर्स कुश्ता बैजा मुर्ग का कम्पोज़िशन

Each 125mg tablet contains:

  • ओवी टेस्टा कैल्क्स Ovi Test (कुश्ता बाईज़ा मर्ग) 31.25 मिलीग्राम
  • स्टार्च (अररोट) क्यूएस Starch (Ararot) q.s.

Ovi Test or Hen’s Egg or Murghi Ka Anda is known as Baiza Murgh in Arabic. Qurs Kushta Baiza Murgh, is the Calx (Bhasma) of the hens’s egg shell. It is antacid and styptic. It is useful in diabetes, excessive urination and strengthens the kidneys, nocturnal emission, spermatorrhoea and leucorrhoea.

कुश्ता बैजा मुर्ग के फायदे

  • यह टॉनिक है।
  • यह धातुवर्धक और शुक्र धातु को पुष्ट करती है।
  • इसके सेवन से ताकत, बल और उर्जा में बढ़ोतरी होती है।
  • यह स्पर्मेटोजेनिसिस को बढ़ाती है।
  • इसके सेवन से स्पर्म काउंट बढ़ता है।
  • यह स्पर्म की गुणवत्ता को सुधारती है।
  • यह वाजीकारक है और सेक्स करने की इच्छा को बढ़ाती है।
  • यह वीर्य को गाढ़ा करती है।
  • यह कैल्शियम का अच्छा स्रोत है।
  • इसके सेवन सेअस्थि घनत्व में सुधार लाने में मदद हो सकती है।
  • यह गठिया और हड्डियों की कमजोरी में लाभप्रद है।
  • श्वेत प्रदर में इसके सेवन से लाभ होता है।
  • महिलाओं में मासिक धर्म से संबंधित समस्याओं में भी इसका इस्तेमाल होता है।
  • चंद्रप्रभा वटी के साथ-साथ, कुक्कुटाण्डत्वक भस्म पेशाब को कम करने में मदद करता है।
  • यह जोड़ों के दर्द से राहत और शारीरिक क्षमता को प्राप्त करने में मदद करता है।

कुर्स कुश्ता बैजा मुर्ग के इस्तेमाल

  • ऑस्टियोआर्थराइटिस
  • ऑस्टियोपीनिया
  • ऑस्टियोपोरोसिस
  • औरतों को सफेद पानी की समस्या Sailan-ur- Rahem (Leucorrhoea)
  • कामेच्छा की कमी low libido muqawwi-e-bah (aphrodisiac)
  • गुर्दा रोग Kidney Diseases
  • टॉनिक Muqawwi-e-Badan (General tonic)
  • ताकत की कमी loss of strength
  • दांत कमजोर होना
  • धात गिरना spermatorrhoea Jiryan (Dhat Syndrome)
  • बहुत पेशाब होना Excessive urination
  • वीर्य का पतलापन hydrospermia (riqqat-e-mani or watery semen)
  • वीर्य के दोष semen disorders
  • शरीर में बल, ओज की कमी low energy level
  • शीघ्रपतन premature ejaculation
  • शुगर Diabetes (Ziabetus)
  • सेक्स करने की क्षमता में कमी, मेल सेक्सुअल वीकनेस sexual weakness
  • स्तम्भन दोष / इरेक्टाइल डिसफंक्शन ED
  • स्पर्म / शुक्राणुओं की कमी low sperm count
  • स्वपन दोष nocturnal emission / nightfall
  • हड्डियाँ टूट जाना
  • हड्डियां कमजोर होना
  • हड्डियों का कम घनत्व

कुश्ता बैजा मुर्ग की डोज़

  • मक्खन और एक गिलास दूध के साथ 2 गोलियां लेनी चाहिए।
  • इसे दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे खाने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ Cautions

  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।

साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • यह कैल्शियम सप्लीमेंट है और ज्यादातर लोगों में इसके सेवन से कोई विशेष दुष्प्रभाव नहीं देखा गया है।
  • इसे आप 3 से 6 महीनों नियमित उपयोगकर सकते हैं।

कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।

हिमालया रिओस्टो Himalaya Reosto Tablet Detail and Uses in Hindi

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रिओस्टो टैबलेट, हिमालय ड्रग कंपनी द्वारा निर्मित एक आयुर्वेदिक दवा है। इसका उपयोग ऑस्टियोपोरोसिस और कम अस्थि घनत्व के उपचार में किया जाता है।

रिओस्टो टैबलेट, में गोदंती भस्म, गुग्गुलु और कुक्कुटाण्डत्वक भस्म के साथ साथ बला और अर्जुन हैं। कुक्कुटाण्डत्वक भस्म मुर्गी के अंडे के छिलके से तैयार की जाती है। यह कैल्शियम का एक समृद्ध स्रोत है और स्वाभाविक रूप से अस्थि घनत्व में सुधार करने में मददगार है। गोदंती भस्म, एक आयुर्वेदिक औषधि है जो जिप्सम Gypsum से तैयार की जाती है। गोदंती भस्म कैल्शियम और अन्य खनिजों में समृद्ध है। यह कैल्शियम की कमी, हड्डियों की कमज़ोरी, उल्टी, अत्यधिक प्यास, सिरदर्द, जीर्ण ज्वर, श्वेत प्रदर आदि में लाभप्रद है।

भारतीय बैडेलियम (गग्गुलू) हड्डियो को मजबूत करने में मदद करता है, अस्थि खनिज घनत्व (बीएमडी) को बढ़ाता है और संयोजी ऊतकों का समर्थन करता है। हड्डी के दर्द को कम करने में इसके सूजन कम करने और एनाल्जेसिक गुण फायदेमंद हैं।

बला में फ़्योटोस्ट्रोजन होते हैं, जो हड्डियों के रीमॉडेलिंग में मदद करते हैं।

अर्जुन (टर्मिनलिया अर्जुन) एक शक्तिशाली सूजन कम करने वाला एंटीऑक्सीडेंट है, और कैल्शियम अवशोषण के लिए जरूरी एक बायोएक्टीव कम्पाउंड है। शरीर में अस्थि ऊतक विकास और मरम्मत के लिए कैल्शियम की अधिकतम जैवउपलब्धता सुनिश्चित करना ज़रूरी है, जिसमें अर्जुन सहायक है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Himalaya Reosto is herbal formulation from Himalaya. It supports better bone health and maintain bone density. It has significant antiinflammatory and analgesic activities. Reosto tablet is useful for the treatment of Senile osteoporosis, Postmenopausal osteoporosis, Prolonged immobilization following multiple or complex fractures, or surgery for multiple fractures.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: रीस्टो टैबलेट, हिमालया रिओस्टो टेबलेट
  • निर्माता: Himalaya Drug Company
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: Bone Health Supplement
  • मुख्य गुण: हड्डियों को मजबूत करना
  • साइड इफ़ेक्ट: ज्ञात नहीं
  • गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं करें
  • मूल्य MRP: Himalaya Reosto Tablet 1 pack of 60 tablets @ Rs. 240.00

रिओस्टो के घटक Ingredients of Reosto

Each Reosto tablet contains:

Pdrs.

  • अर्जुन Arjuna (Terminalia arjuna) 45mg
  • गुग्गुलु Guggulu (Commiphora wightii) 235mg
  • अश्वगंधा Ashvagandha (Withania somnifera) 45mg
  • गोदंती भस्म Godanti bhasma 120mg
  • बला Bala (Sida cordifolia) 45mg
  • कुक्कुटाण्डत्वक भस्म Kukkutandatvak bhasma 35mg

रिओस्टो के लाभ/फ़ायदे Benefits of Reosto

  • रिओस्टो में फाइटोएस्ट्रोजन हैं जो हड्डियों को टूटने से रोकता है।
  • यह पैराथाइरोइड हार्मोन और प्रोस्टाग्लैंडीन से हड्डियों के कमजोर होने वाले प्रभावों को कम करने में मदद देता है।
  • यह दवा कैल्शियम में समृद्ध है, जो खनिज की बेहतर जैवउपलब्धता में सहायता करता है। यह अस्थि में अधिकतम मात्रा में अवशोषित होने की अनुमति देता है।
  • रिओस्टो हड्डियों के गठन को उत्तेजित करता है और ओस्टियोपोरोसिस फ्रैक्चर के जोखिम को रोकता है।
  • इसके सूजन कम करने के गुण से, हड्डी के फ्रैक्चर और ऑस्टियोपोरोसिस से के कारण होने वाले सूजन और दर्द में आराम होता है।
  • इसमें सूजन कम करने, दर्द निवारक, एंटीऑक्सीडेंट अंड शुगर लेवल कम करने के गुण है।
  • यह हर्बल है और लम्बे समय तक लेने में सुरक्षित है।

रिओस्टो के चिकित्सीय उपयोग Uses of Reosto

  • ऑस्टियोपोरोसिस का प्रबंधन
  • एकाधिक या जटिल फ्रैक्चर से चले में समस्या Prolonged immobilization following multiple or complex fractures, or surgery for multiple fractures
  • सूजन कम करना
  • ऑस्टियोपोरोसिस Osteoporosis हड्डी की घनत्व में कमी), जैसे कि
  • सेनाइल ऑस्टियोपोरोसिस Senile osteoporosis
  • पोस्टमेनोपॉज़िकल ऑस्टियोपोरोसिस Postmenopausal osteoporosis

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Reosto

  • शुरू में 2 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • बाद में प्रबंधन के लिए 1 गोली, दिन में दो बार लें।
  • फ्रैक्चर में इसे लक्षादी गुग्गुलु के साथ लेने से ज्यादा लाभ होता है।
  • इसे दूध, पानी के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ Cautions

  • इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।

साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • निर्धारित खुराक के अनुसार अगर रिओस्टो को कोई दुष्प्रभाव नहीं मिला है।
  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।

कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।

गोदंती भस्म Godanti Bhasma Detail and Uses in Hindi

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गोदंती भस्म, एक क्लासिकल आयुर्वेदिक दवाई है, जिसे जिप्सम से तैयार किया जाता है। गोदंती भस्म का उपयोग कास, श्वास, सिर दर्द, पुराने बुखार, पित्तज ज्वर, सफ़ेद पानी की समस्या, कैल्शियम की कमी, आदि के आयुर्वेदिक उपचार में किया जाता है।

गोदंती Selenite (CaSO4, 2H2O) एक खनिज है। इसे इंग्लिश में जिप्सम कहते हैं। यह कार्बोनेट ऑफ़ लाइम है। देखने में यह गो यानि गाय के दांत जैसा दिखता है इसलिए इसे गोदंती नाम दिया गया है।

गोदंती, तलछटी में चूना पत्थर, लाल शील्स और मिट्टी के पत्थरों के साथ मिलता है। यह आमतौर पर शुद्ध खनिज रूप में मिलता है। भारत में, नेल्लोर, प्रकासम, गुंटूर और बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, नागौर, गंगानगर और राजस्थान में इसके प्रमुख उत्पादन राज्य हैं। आयुर्वेद के अनुसार, चिकित्सीय प्रयोजनों के लिए स्वीकृति से पहले इसे शुद्ध करना चाहिए। गोदंती की शोधन, मारण प्रक्रिया के बाद भस्म बनाई जाती है।

गोदंती भस्म में शरीर में ठंडक देने, पित्त कम करने, एंटासिड और एसट्रिनजेंट गुण हैं। यह किसी भी प्रकार के बुखार में दी जा सकती है.

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Godanti Bhasma is preparation of Gypsum. It is rich in calcium and other minerals. Godanti Bhasma is useful in headaches, fever, cold, cough, low calcium level, leucorrhea, chronic bronchitis, digestive disorders, inflammatory bowel disease, and other conditions.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: गोदंती भस्म, गोदंती हरिताल भस्म, गोदंती (हरिताल) भस्म, हरिताल गोदंती भस्म
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: भस्म
  • मुख्य उपयोग: बुखार (पित्तज्वर, जीर्ण ज्वर, मलेरिया, विषम ज्वर, आम ज्वर), सिर दर्द, कैल्शियम कमी, सूखी खांसी, जुखाम आदि
  • मुख्य गुण: पित्त कम करना, बुखार कम करना, एंटासिड
  • गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं करें।

गोदंती भस्म के घटक Ingredients of Godanti Bhasma

  • गोदंती Godanta (Godanti) Q.S.
  • नींबू रस Nimbu nira (nimbu) (Fr.) Q.S. for Svedana
  • or
  • द्रोणपुष्पि रस Dronapushpi rasa (Pl.)

गोदंती भस्म के लाभ/फ़ायदे Benefits of Godanti Bhasma

  • यह प्रकृति में ठंडी है।
  • यह पित्त असंतुलन विकार के उपचार में लाभप्रद है।
  • इसके सेवन से शरीर में गर्मी कम होती है।
  • इससे पित्त रोगों में आराम मिलता है।
  • यह मस्तिष्क, रक्त वाहिकाओं और फेफड़ों पर काम करने वाली दवा है।
  • इसका असर पैरासिटामोल जैसा हो सकता है।
  • इससे बुखार उतारने, सिर दर्द और शरीर में पित्त की अधिकता से होने वाले रोगों में प्रमुखता से इस्तेमाल करते हैं।

कर्म

  • एंटासिड: पित्त कम करना
  • कफहर: कफ दूर करना
  • छेदन: जमे हुए कफ को दूर करना
  • ज्वरघ्न: बुखार कम करना
  • वातहर: वात दोष को दूर करना
  • शोथहर: सूजन कम करना
  • श्लेष्महर: कफ को दूर करना

गोदंती भस्म के चिकित्सीय उपयोग Uses of Godanti Bhasma

गोदंती भस्म को सिरदर्द, पुराना बुखार, मलेरिया, योनि में सूजन, योनि से ब्लीडिंग, योनि से सफेद पानी जानां, खाँसी और ब्लीडिंग डिसऑर्डर में दिया जाता है। इसे अक्सर अन्य दवाओं के साथ दिया जाता है। इसे उच्च रक्तचाप, अनिद्रा, कब्ज, अपच, कम अस्थि खनिज घनत्व, ऑस्टियोपोरोसि आदि में भी दिया जाता है ।

  • अग्निमांद्य Agnimandya (Digestive impairment)
  • सिर में दर्द Shira Shula (Headache)
  • उच्च रक्तचाप से सिरदर्द
  • ऑस्टियोपोरोसिस
  • कम अस्थि खनिज घनत्व
  • कास Kasa (Cough)
  • कैल्शियम पूरक
  • जुखाम
  • जोड़ों में सूजन
  • टाइफाइड बुखार
  • तनाव से सिरदर्द
  • पित्त के कारण बुखार Pitta Jvara (Fever due to Pitta dosha), Jirnajvara (Chronic fever)
  • बहुत प्यास लगना
  • मलेरिया
  • माइग्रेन
  • योनिशोथ
  • ल्यूकोरिया
  • विषम ज्वर
  • शरीर में पित्त के कारण जलन
  • श्वास Shvasa (Dyspnoea/Asthma)

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Godanti Bhasma

  • 125mg – 250mg दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे शहद, घी, तुलसी स्वरस, मिश्री के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

कुछ प्रयोग

मलेरिया में

  • गोदंती भस्म + सुदर्शन चूर्ण फांट + सुदर्शन अर्क
  • गोदंती भस्म 2 रत्ती + फिटकरी भस्म 2 रत्ती + सफ़ेद जीरे का पाउडर 4 रत्ती, को तुलसी के पत्ते के रस + शहद के साथ दें. सुदर्शन अर्क 50 ml भी पीने को दें.

सिर दर्द, माइग्रेन, सूर्यावर्त्त, अध कपारी, अर्धावभेदक

  • गोदंती भस्म 3 रत्ती + मिश्री 1 ग्राम + गाय का घी 10 ग्राम, दिन में 2-3 बार
  • सूर्यावर्त्त, अध कपारी, अर्धावभेदक, में इसे सूरज के उगने से हर चार घंटे पर दें.

योनि से सफेद पानी जाना, लिकोरिया, योनि से ब्लड जाना, श्वेत प्रदर, रक्त प्रदर

  • गोदंती भस्म + प्रवाल पिष्टी
  • गोदंती भस्म 6 रत्ती + त्रिवंग भस्म 1 रत्ती को शर्बत बनफ्सा के साथ दें.

कैल्शियम की कमी

गोदंती भस्म

फ्लू, खांसी-जुखाम

गोदंती भस्म + लक्ष्मीविलास रस + शहद + मिश्री

सावधनियाँ Cautions

  • इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  • विषम ज्वर में जब तक बुखार का वेग कम नहीं हो, तब तक इसे लेना चाहिए. बुखार कम हो जाने पर इसे नहीं लें. तब डॉक्टर की सलाह से, दूसरी दवाएं जैसे कि महाज्वरांकुश रस दी जा सकती है.
  • सिर दर्द में इसे केवल एक या दो दिन तक ही लें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • इसे एक महीने से ज्यादा नहीं लें।
  • अधिक लेने पर या लम्बे समय तक लेने से इससे लीवर प्रभावित हो सकता है।

गोदंती भस्म साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।
  • ज्यादा गोदंती लेने से लीवर डैमेज हो सकता है।
  • इसमें कैल्शियम होता है, इसलिए अधिक सेवन से किडनी पर जोर पड़ता है।

गोदंती भस्म कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • कैल्शियम की शरीर में अधिकता होने पर इसे इस्तेमाल नहीं करें।

गोदंती भस्म की उपलब्धता

  • इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
  • बैद्यनाथ Baidyanath HARTAL (Godanti) Bhasma (Siddha Yog Sangraha)
  • श्री धूतपापेश्वर Shree Dhootapapeshwar Limited SDL Godanti Bhasma
  • पतंजलि Patanjali Divya Pharmacy – Divya Godanti Bhasma
  • डाबर Dabur Dabur Harital Godanti Bhasma
  • तथा अन्य बहुत सी फर्मसियाँ।

शुक्र वल्लभ रस Shukra Vallabh Ras Detail and Uses in Hindi

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शुक्र वल्लभ रस या शक्रवल्लभ रस, आयुर्वेद की एक रस औषधि है, जिसे शुद्ध पारद, शुद्ध गंधक, भस्में और भांग के बीजों से बनाया गया है। इसमें भांग के रस की भावना दी गई है। यह दवा मुख्य रूप से पुरुष रोग की चिकित्सा में इस्तेमाल करते हैं। यह वीर्य विकार को ठीक करती है। क्योंकि यह आयुर्वेद की क्लासिकल दवा है इसलिए यह बहुत सी आयुर्वेदिक फार्मेसियों दवा निर्मित की जाती है।

शुक्र वल्लभ रस को लिबिडो को बढ़ाने, शीघ्रपतन, नामर्दी, इरेक्शन नहीं होने, आदि में दिया जाता है। यह दवा वात को संतुलित करती है।

यह एक आयुर्वेदिक रस-औषधि है जिसमें रस, पारा है। पारे को ही आयुर्वेद में रस या पारद कहा जाता है और बहुत सी दवाओं के निर्माण में प्रयोग किया जाता है। रस औषधियां शरीर पर शीघ्र प्रभाव डालती हैं। इन्हें डॉक्टर की देख-रेख में ही लेना सही रहता है। रस औषधियों के निर्माण में शुद्ध पारे और शुद्ध गंधक को मिलाकर पहले कज्जली बनायी जाती है जो की काले रंग की होती है। रासायनिक रूप से कज्जली, ब्लैक सल्फाइड ऑफ़ मरक्युरी है। कज्जली को रसायन माना गया है जो की त्रिदोष को संतुलित करती है। यदि इसे अन्य उपयुक्त घटकों के साथ मिलाकर दवा बनाई जाती है तो यह लगभग हर रोग को दूर कर सकती है। कज्जली वाजीकारक, रसायन, योगवाही है।

इसमें विजया या भांग हैं। भाग का लैटिन नाम कैनाबिस सतिवा है। इंग्लिश में इसे इंडियन हेम्प कहते हैं। भांग एक नारकोटिक है। यह नशा करती है और मूड पर असर डालती है। यह सेंसेस को धीमा करती है और नींद लाती है। कम मात्रा में दवा की तरह इसका सेवन दर्द निवारक और निद्रा लाने वाला है। दैनिक इसका सेवन करने से व्यक्ति इसका आदी, नशेड़ी हो जाता है। अधिक मात्रा में भांग का सेवन शरीर को कमजोर करता है, नपुंसकता लाता है और मस्तिष्क ठीक से काम नहीं करता। भांग कुछ समय तक तो किसी पुरुष में सेक्स उत्तेजना ला सकता है, मन का उत्तेजित कर सकता है, लेकिन लम्बे समय तक यह सेक्स लाइफ को नष्ट कर देता है।

इस दवा के अच्छे प्रभाव और कई खतरनाक दुष्प्रभाव भी है। इसलिए यह बहुत ही आवश्यक है की दवा के बारे में विस्तार से जाना जाए। इसके सेवन से आपके शरीर पर किस तरह का प्रभाव पड़ेगा और कैसे यह स्वास्थ्य को प्रभावित करेगी, यह सभी जानकारी दवा को प्रयोग करने से पहले ही भली-भांति जान लेना चाहिए। यदि दवा ऐसी हो की जिसे प्रयोग करने से शरीर पर अच्छे परिणाम कम और दुष्प्रभाव अधिक हों, तो ऐसी दवा को न लेने में ही भलाई है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Shukra Vallabh Ras is Mercurial Ayurvedic Formulation. It is indicated in treatment of male sexual weakness. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: Shakravallabha Ras, Shukra Vallabh Rasa
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: पारे वाली आयुर्वेदिक दवा
  • मुख्य उपयोग: वाजीकरण, वीर्य विकार
  • मुख्य गुण: कमजोरी दूर करना
  • गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं करते हैं।

शुक्र वल्लभ रस के घटक Ingredients of Shukra Vallabh Ras

  • शुद्ध पारद 3 ग्राम
  • शुद्ध गंधक 3 ग्राम
  • लौह भस्म 3 ग्राम
  • अभ्रक भस्म 3 ग्राम
  • चांदी भस्म 3 ग्राम
  • स्वर्ण भस्म 3 ग्राम
  • स्वर्ण माक्षिक भस्म 3 ग्राम
  • वंशलोचन 10 ग्राम
  • भांग के बीज 40 ग्राम

सबसे पहले पारा – गंधक की कज्जली बनाते हैं। फिर इसमें अन्य जड़ी-बूटियों का कपड़छन चूर्ण मिलाते हैं। सब को भांग के रस में खरल करके 2-2 रत्ती की लोइयां बना कर छाया में सुखाते हैं। इसमें अश्वगंधा का इस्तेमाल भांग के बीजों से निकले तेल को अवशोषित करने के लिए होता है।

शुक्र वल्लभ रस के लाभ/फ़ायदे Benefits of Shukra Vallabh Ras

  • यह रसायन है।
  • यह सारे वीर्य विकार के रोगों में लाभप्रद है।
  • पेनिस में कमजोरी, शिथिलता, में इसका इस्तेमाल लाभ करता है।
  • यह शरीर के बल को बढ़ाने वाली औषध है।
  • यह शीघ्रपतन, नामर्दी, नपुंसकता, वीर्य की कमी में ली जा सकती है।
  • इसके सेवन लिबिडो बढ़ता है।
  • यह स्तम्भन में सहायक है।
  • यह नाड़ियों को ताकत देता है।
  • यह शीघ्रपतन में लाभदायक है।
  • यह रस यौन प्रदर्शन को सुधारने में सहायक है।

शुक्र वल्लभ रस के आयुर्वेदिक गुण

  • बाजीकरण: द्रव्य जो रति शक्ति में वृद्धि करे।
  • रसायन: द्रव्य जो शरीर की बीमारियों से रक्षा करे और वृद्धवस्था को दूर रखे।
  • शुक्रल: द्रव्य जो शुक्र की वृद्धि करे।

शुक्र वल्लभ रस के चिकित्सीय उपयोग Uses of Shukra Vallabh Ras

  • कामेच्छा की कमी
  • नपुंसकता Impotency
  • पुरुषों में यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए
  • यौन कमजोरी के लिए sexual disorders of male
  • यौन दुर्बलता
  • यौन विकार
  • लिबिडो कम होना Low Libido
  • वाजीकरण improving Sexual Desire
  • शारीरिक कमजोरी, स्ट्रेस
  • शीघ्रपतन, समयपूर्व स्खलन Premature ejaculation
  • सामान्य दुर्बलता General debility
  • स्तम्भन दोष Erectile Dysfunction
  • स्वप्नदोष Nocturnal Emission (Night Fall)

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Shukra Vallabh Ras

  • 1-2 / 125 mg -250 mg गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इसे शहद व मिश्री मिले दूध, के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ Cautions

  • यह दवा लम्बे समय तक लेने के लिए नहीं है।
  • इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • यह हमेशा ध्यान रखें की जिन दवाओं में पारद, गंधक, खनिज आदि होते हैं, उन दवाओं का सेवन लम्बे समय तक नहीं किया जाता। इसके अतिरिक्त इन्हें डॉक्टर के देख-रेख में बताई गई मात्रा और उपचार की अवधि तक ही लेना चाहिए।

साइड-इफेक्ट्स Side effects ऑफ़ Shukra Vallabh Ras

  • अधिक मात्रा में इसे कंपकंपी, चक्कर आना आदि हो सकता है।
  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।
  • यह मस्तिष्क समेत कई अंगों पर असर डाल सकती है।
  • अधिक समय तक सेवन करने के कई नुकसान हो सकते है।
  • भांग अथवा अफीम युक्त दवाएं कुछ दिन तक तो शायद अच्छे परिणाम दें। लेकिन बाद में यह रोग को और अधिक जटिल बना देती है और साथ ही मनुष्य के पूरे स्वास्थ्य को ही नष्ट कर सकती हैं।

कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।

उपलब्धता

  • इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
  • बैद्यनाथ Baidyanath Shukra Vallabh Ras प्राइस 500 mg (5 Tab) की कीमत Rs। 220।00 है।
  • उंझा Unjha Shakravallabh Ras with Gold
  • तथा अन्य बहुत सी फर्मसियाँ।

रिवाइवहिल्स Revivehills (Herbal Hills) Detail and Uses in Hindi

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रिवाइवहिल्स सॉफ्ट कैप्सूल, हर्बल हिल्स द्वारा निर्मित आयुर्वेदिक दवा है। यह जीवन शक्ति,  शक्ति और सहनशक्ति बढ़ाने में मदद करें वाली दवा है। इस दवा का सेवन यौन इच्छा बढ़ाता है और यौन प्रदर्शन में सुधार करता है।

इस दवा में आयुर्वेदिक ग्रंथों में निर्दिष्ट कामोत्तेजक जड़ी बूटियों का एक शक्तिशाली संयोजन है। इसमें वजीकारक,  रसायन, शक्तिवर्धक कामोद्दीपक जड़ी बूटियाँ हैं जो जीवन शक्ति और उत्साह और कार्यों को बढ़ाती है।

मूसली को वियाग्रा का विकल्प कहा जा सकता है। मुस्ली का सेवन शरीर और मन को फिर से दुर्बलता को दूर करता है। इसके सेवन से कामेच्छा, शुक्राणुओं की संख्या बढ़ जाती है और सामान्य दुर्बलता का इलाज होता है। यह एक शक्तिशाली पुरुष और महिला यौन उत्तेजक के रूप में काम करता है। यह रक्त और वीर्य वर्धक है।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। मार्किट में इसी तरह के फोर्मुले की अन्य फार्मसियों द्वारा निर्मित दवाएं उपलब्ध हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

Herbal Hills Revivehills, is aphrodisiac, rejuvenative, nutritive and It improve sexual health, vigor and vitality. It improves physical strength and stamina.

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: Revivehills
  • निर्माता: Herbal Hills
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्ब और शिलाजीत युक्त दवा
  • मुख्य उपयोग: पुरुषों के लिए टॉनिक
  • मुख्य गुण: एंटीऑक्सीडेंट, रसायन, टॉनिक
  • दवा का अनुपान: गर्म जल अथवा गर्म दूध
  • दवा को लेने का समय: दिन में एक या दो बार, केवल रात को या प्रातः और सायं
  • मूल्य MRP: इसके 60 कैप्सूल की कीमत रुपये 395.00 है.

रिवाइवहिल्स के घटक Ingredients of Revivehills

  • सफ़ेद मूसली पाउडर 150 mg
  • अश्वगंधा घन 40 mg
  • शिग्रु घन 20 mg
  • आंवला घन 10 mg
  • गोखरू घन 20 mg
  • अकरकरा घन 15 mg
  • जायफल 10 mg
  • शुद्ध शिलाजीत 40 mg
  • विदारी कन्द 35 mg

जानिए रिवाइवहिल्स की मुख्य जड़ी-बूटियों को

मुसली को हर्बल वियाग्रा के रूप में जाना जाता है। यह पुरुष प्रजनन प्रणाली को दुरुस्त करती है। मुसली की जड़ों को पुरुषों की यौन कमजोरी दूर करने के लिए पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। यह पुरुषों में यौन कमजोरी के लिए एक पोषक टॉनिक के रूप में कार्य करती है।

अश्वगंधा को असगंध, आसंध और विथानिया, विंटर चेरी आदि नामों से जाना जाता है। इसकी जड़ को सुखा, पाउडर बना आयुर्वेद में वात-कफ शामक, बलवर्धक रसायन की तरह प्रयोग किया जाता है। यह एक टॉनिक दवा है। यह शरीर को बल देती है। असगंध तिक्त-कषाय, गुण में लघु, और मधुर विपाक है। यह एक उष्ण वीर्य औषधि है। यह वात-कफ शामक, अवसादक, मूत्रल, और रसायन है जो की स्पर्म काउंट को बढ़ाती है।

  • अश्वगंधा जड़ी बूटी पुरुषों में यौन शक्ति बढ़ाने के लिए प्रयोग की जाती है।
  • यह पुरुष प्रजनन अंगों पर विशेष प्रभाव डालती है।
  • यह पुरुषों में जननांग के विकारों के लिए एक बहुत ही अच्छी दवा है।
  • यह वीर्य की मात्रा और गुणवत्ता को बढ़ाने में भी मदद करती है।
  • यह शुक्र धातु की कमी, उच्च रक्तचाप, मूर्छा भ्रम, अनिद्रा, श्वास रोगों, को दूर करने वाली उत्तम वाजीकारक औषधि है।

गोखरू आयुर्वेद की एक प्रमुख औषधि है। इस मुख्य रूप से पेशाब रोगों और पुरुषों में यौन कमजोरी के लिए प्रयोग किया जाता है। गोखरू शीतल, मूत्रशोधक, मूत्रवर्धक, वीर्यवर्धक, और शक्तिवर्धक है। यह पथरी, पुरुषों के प्रमेह, सांस की तकलीफों, शरीर में वायु दोष के कारण होने वाले रोगों, हृदयरोग और प्रजनन अंगों सम्बन्धी रोगों की उत्तम दवा है। यह वाजीकारक है और पुरुषों के यौन प्रदर्शन में सुधार करता है।

गोखरू का प्रयोग यौन शक्ति को बढ़ाने में बहुत लाभकारी माना गया है। यह नपुंसकता, किडनी/गुर्दे के विकारों, प्रजनन अंगों की कमजोरी-संक्रमण, आदि को दूर करता है।

जायफल या जातीफल एक प्रसिद्ध मसाला है। यह मिरिस्टिका फ्रेगरेंस वृक्ष के फल में पाए जाने वाले बीज की सुखाई हुई गिरी है। जायफल और जावित्री दोनों एक ही बीज से प्राप्त होते हैं। जायफल की बाहरी खोल outer covering या एरिल को जावित्री Mace कहते है और इसे भी मसाले की तरह प्रयोग किया जाता है। भारत में जायफल के वृक्ष तमिलनाडु में और कुछ संख्या में केरल, आंध्र प्रदेश, निलगिरी की पहाड़ियों में पाए जाते है।

जायफल को बाजिकारक aphrodisiac दवाओं और तेल को तिलाओं में डाला जाता है। यह पुरुषों की इनफर्टिलिटी, नपुंसकता, शीघ्रपतन premature ejaculationकी दवाओं में भी डाला जाता है। यह इरेक्शन को बढ़ाता है लेकिन स्खलन को रोकता है। यह शुक्र धातु को बढ़ाता है। यह बार-बार मूत्र आने की शिकायत को दूर करता है तथा वात-कफ को कम करता है।

शिलाजीत पहाड़ों से प्राप्त, सफेद-भूरा मोटा, चिपचिपा राल जैसा पदार्थ है (संस्कृत शिलाजतु) जिसमे सूजन कम करने, दर्द दूर करने, अवसाद दूर करने, टॉनिक के, और एंटी-ऐजिंग गुण होते हैं। इसमें कम से कम 85 खनिजों पाए जाते है। शिलाजीत एक टॉनिक है जो पुरुषों में यौन विकारों के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है। शिलाजीत रस में अम्लीय और कसैला, कटु विपाक और समशीतोष्ण (न अधिक गर्म न अधिक ठंडा) है।

  • ऐसा माना जाता है, संसार में रस-धातु विकृति से उत्पन्न होने वाला कोई भी रोग इसके सेवन से दूर हो जाता है। शिलाजीत शरीर को निरोगी और मज़बूत करता है।
  • शिलाजीत पुरुषों के प्रमेह की अत्यंत उत्तम दवा है।
  • शिलाजीत वाजीकारक है और इसके सेवन से शरीर में बल-ताकत की वृद्धि होती है।
  • शिलाजीत पुराने रोगों, मेदवृद्धि, प्रमेह, मधुमेह, गठिया, कमर दर्द, कम्पवात, जोड़ो का दर्द, सूजन, सर्दी, खांसी, धातु रोग, रोगप्रतिरोधक क्षमता की कमी आदि सभी में लाभप्रद है।
  • शिलाजीत शरीर में ताकत को बढाता है तथा थकान और कमजोरी को दूर करता है।
  • शिलाजीत यौन शक्ति की कमी को दूर करता है।
  • शिलाजीत भूख को बढाता है।
  • शिलाजीत पुरुषों में नपुंसकता, शीघ्रपतन premature ejaculation, कम शुक्राणु low sperm count, स्तंभन erectile dysfunction में उपयोगी है।
  • शिलाजीत शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने में मदद करता है।
  • शिलाजीत के सेवन के दौरान, आहार में दूध की प्रधानता रहनी चाहिए।
  • इस कैप्सूल में भी आयुर्वेद के प्रमुख वाजीकारक, बलवर्धक, जोशवर्धक और जीवनीय द्रव्य हैं। यह दवा शरीर और नाड़ियों में ताकत का संचार कर यौन प्रदर्शन को ठीक करती है।

रिवाइवहिल्स के चिकित्सीय उपयोग Uses of Revivehills

आयुर्वेद की मुख्य 8 शाखाएं हैं, इनमें से वाज़ीकरण यौन-क्रियायों की विद्या तथा प्रजनन Sexology and reproductive medicine चिकित्सा से सम्बंधित है। वाज़ीकरण के लिए उत्तम वाजीकारक वनस्पतियाँ और खनिजों का प्रयोग किया जाता है जो की सम्पूर्ण स्वास्थ्य को सही करती हैं और जननांगों पर विशेष प्रभाव डालती है। आयुर्वेद में प्रयोग किये जाने वाले उत्तम वाजीकरण द्रव्यों में शामिल है, मूसली, अश्वगंधा,, गोखरू, केवांच, शिलाजीत, विधारा, आदि। यह द्रव्य कामोत्तेजक है, स्नायु, मांसपेशियों की दुर्बलता, को दूर करने वाले है तथा धातु वर्धक, वीर्यवर्धक, शक्तिवर्धक तथा बलवर्धक हैं।

शरीर में यदि कमजोरी है तो सेक्स परफॉरमेंस भी कमजोर होगा। इस कैप्सूल में मूसली, अश्वगंधा, कौंच, आदि जैसे द्रव्य जाते हैं जो प्रजनन अंगों को पुष्ट करते हैं और वीर्य की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार करते हैं। शुक्राणुओं के संख्या में इसके सेवन से वृद्धि संभव है।

इसके सेवन से स्तम्भन दोष जिसे इरेक्टाइल डिसफंक्शन भी कहते हैं, में भी लाभ हो सकता है। यह उत्तम वाजीकारक हैं और कामेच्छा शक्ति को बढ़ाता है।

  • थकावट, स्टैमिना कम होना fatigue
  • पुरुष बाँझपन male infertility
  • बल और ताकत की कमी low strength-stamina
  • मांसपेशियों में कमजोरी muscles weakness
  • यौन दुर्बलता Male Sexual Weakness
  • लिबिडो कम होना कामेच्छा की कमी Low Libido
  • वाजीकरण improving Sexual Desire
  • वीर्य और शुक्र की कमी low semen volume, low sperm count
  • शरीर पर चर्बी की कमी, बहुत पतला होना emaciation
  • शीघ्रपतन Premature Ejaculation
  • शुक्र कीटों को बढ़ाना increasing Sperm Count
  • समय से पहले बाल गिरना premature hair fall
  • सेक्सुअल टॉनिक sexual tonic
  • स्तम्भन दोष Erectile Dysfunction
  • स्वप्नदोष Nocturnal Emission (Night Fall)

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Revivehills

  • 1 कैप्सूल, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • इस दवा को मूसली और अश्वगंधा के कैप्सूल / पाउडर के साथ ले सकते हैं।
  • इसे  दूध अथवा गर्म पानी के साथ लें।
  • इसे भोजन करने के बाद लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

सावधनियाँ Cautions

  • इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में लें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • इसे ज्यादा मात्रा में न लें।
  • इसके सेवन से वज़न बढ़ सकता है।
  • परिणाम अनिश्चित हैं और अलग-अलग व्यक्तिओं में भिन्न हो सकते हैं।
  • यह दवा आपके लिए प्रभावी हो भी सकती है और नहीं भी।
  • दवा के साथ-साथ भोजन और व्यायाम पर भी ध्यान दें।
  • पानी ज्यादा मात्रा में पियें।
  • पाचन ठीक करें।
  • दवा के सेवन के दौरान दूध, घी, मक्खन, केला, खजूर आदि वीर्यवर्धक आहारों का सेवन अवश्य करें।
  • जंक फ़ूड न खाएं।
  • तले, भुने, खट्टे, मसालेदार भोजन न खाएं।
  • एक्सरसाइज करें।
  • तनाव कम करें।
  • कब्ज़ में त्रिफला, इसबगोल आदि का सेवन कर सकते हैं। मुनक्का और किशमिश का सेवन भी कब्ज़ में लाभप्रद है।

रिवाइवहिल्स के साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
  • इससे कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।

कब प्रयोग न करें Contraindications

  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।

निर्गुन्डी क्वाथ Patanjali Nirgundi Kwath Detail and Uses in Hindi

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निर्गुण्डी क्वाथ, निर्गुण्डी का काढ़ा बनाने के लिए मिलने वाला दरदरा पाउडर है। निर्गुन्डी क्वाथ का प्रयोग वात रोगों जैसे की आर्थराइटिस, रह्युमेटिज्म, मांसपेशियों क़ी सूजन, आदि में किया जाता है।

निरगुंडी – विटेक्स नेगुंडो, आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक प्रतिष्ठित दवा है। निरगुंडी, सिंधुका, सिंधुवरा, सुवाहा, सुगंधिका निला, नील निरुगुंडी , श्वेत निरगुंडी और सिंधुबार के रूप में संस्कृत में, बंगाली में निशिंद, हिंदी में सांभालु, उड़िया में बेगुनिया, अरबी में असलाक और फरसी में फ़ानजान ख़िस्त के रूप में जाना जाता है।

निरगुंडी को मांसपेशी शिथिलता, दर्द, खाँसी, अस्थमा, नेत्र रोग, सूजन, ग्रंथियों और संधिशोथ सूजन, आंत्र कीड़े, बुखार, अल्सर, त्वचा रोग, तंत्रिका संबंधी विकार और कुष्ठ रोग में दवा रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

निरगुंडी काढ़ा, शरीर में वात और कफ को कम करता है लेकिन अधिकता में इसका सेवन पित्तवर्धक है। इसके पत्ते स्वभाव से गर्म हैं, लेकिन फल, फूल और बीज शीतल हैं। दवा की तरह निर्गुन्डी के पत्ते और जड़ इस्तेमाल होते हैं। निर्गुन्डी को फांट, काढ़े, रस और तेल की तरह से इस्तेमाल किया जाता है।

निर्गुन्डी प्लाज्मा, रक्त, मांसपेशी, नर्व, मज्जा और प्रजनन अंगों पर असर दिखाती है। यह परिसंचरण और पाचन अंगों पर प्रभाव डालती है। इसमें दर्द निवारक, कृमिघ्न, सूजन कम करने के, टॉनिक, बुखार कम करने के, कफ ढीला करने के और एंटीसेप्टिक गुण हैं।

यह पेल्विव क्षेत्र में खून बढ़ाती है इसलिए इसे प्रेगनेंसी में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

दवा के बारे में इस पेज पर जो जानकारी दी गई है वह इसमें प्रयुक्त जड़ी-बूटियों के आधार पर है। हम इस प्रोडक्ट को एंडोर्स नहीं कर रहे। यह दवा का प्रचार नहीं है। हमारा यह भी दावा नहीं है कि यह आपके रोग को एकदम ठीक कर देगी। यह आपके लिए फायदेमंद हो भी सकती हैं और नहीं भी। दवा के फोर्मुलेशन के आधार और यह मानते हुए की इसमें यह सभी द्रव्य उत्तम क्वालिटी के हैं, इसके लाभ बताये गए हैं। इस पेज पर जो जानकारी दी गई है उसका उद्देश्य इस दवा के बारे में बताना है। कृपया इसका प्रयोग स्वयं उपचार करने के लिए न करें। हमारा उद्देश्य दवा के लेबल के अनुसार आपको जानकारी देना है।

DIVYA NIRGUNDI KWATH is an herbal ayurvedic medicine from Patanjali Ayurved and Divya Pharmacy. Divya Nirgundi Kwath is good muscle relaxant, pain relieving. It is useful in Arthritis & Rheumatism. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language.

  • दवा का नाम: Patanjali Nirgundi Kwath
  • निर्माता: पतंजलि दिव्य फार्मेसी
  • उपलब्धता: यह ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध है।
  • दवाई का प्रकार: हर्बल
  • मुख्य उपयोग: निर्गुन्डी का इस्तेमाल आर्थराइटिस, पेशी के दर्द, मोच, सिर में दर्द, पेट के कीड़े, घाव, यौन रोग, बुखार, पाइल्स आदि में लाभप्रद है।
  • मुख्य गुण: दर्द, सूजन और वात कम करना
  • गर्भावस्था में प्रयोग: नहीं करना
  • मूल्य MRP: Patanjali Nirgundi Kwath  100 gm @ Rs. 15.00

निर्गुन्डी क्वाथ के घटक Ingredients of Patanjali Nirgundi Kwath

निर्गुन्डी क्वाथ में निर्गुन्डी पौधे के सुखाए हुए हिस्से हैं।

आयुर्वेदिक गुण और कर्म

स्वाद में कटु, तिक्त, गुण में लघु और रुक्ष है। स्वभाव से यह गर्म है और कटु विपाक है। यह उष्ण वीर्य है। वीर्य का अर्थ होता है, वह शक्ति जिससे द्रव्य काम करता है। आचार्यों ने इसे मुख्य रूप से दो ही प्रकार का माना है, उष्ण या शीत। उष्ण वीर्य औषधि वात, और कफ दोषों का शमन करती है। यह शरीर में प्यास, पसीना, जलन, आदि करती हैं। इनके सेवन से भोजन जल्दी पचता (आशुपाकिता) है।

  • रस (taste on tongue): कटु/तीखा, तिक्त/कड़वा
  • गुण (Pharmacological Action): लघु/हल्का, रुक्ष/सुखाने वाला, 
  • वीर्य (Potency):उष्ण / गर्मी बढ़ाने वाला
  • विपाक (transformed state after digestion): कटु/तीखा

विपाक का अर्थ है जठराग्नि के संयोग से पाचन के समय उत्पन्न रस। इस प्रकार पदार्थ के पाचन के बाद जो रस बना वह पदार्थ का विपाक है। शरीर के पाचक रस जब पदार्थ से मिलते हैं तो उसमें कई परिवर्तन आते है और पूरी पची अवस्था में जब द्रव्य का सार और मल अलग हो जाते है, और जो रस बनता है, वही रस उसका विपाक है। कटु विपाक, द्रव्य आमतौर पर वातवर्धक, मल-मूत्र को बांधने वाले होते हैं। यह शुक्रनाशक माने जाते हैं। और शरीर में गर्मी या पित्त को बढ़ाते है।

प्रधान कर्म 

  • कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
  • छेदन: द्रव्य जो श्वास नलिका, फुफ्फुस, कंठ से लगे मलको बलपूर्वक निकाल दे।
  • दीपन: द्रव्य जो जठराग्नि तो बढ़ाये लेकिन आम को न पचाए।
  • पित्तकर: द्रव्य जो पित्त को बढ़ाये।
  • रसायन: द्रव्य जो शरीर की बीमारियों से रक्षा करे और वृद्धवस्था को दूर रखे।
  • वातहर: द्रव्य जो वातदोष निवारक हो।
  • वाताघ्न: द्रव्य जो वात को कम करे।
  • शोथहर: द्रव्य जो शोथ / शरीर में सूजन, को दूर करे। antihydropic
  • श्लेष्महर: द्रव्य जो चिपचिपे पदार्थ, कफ को दूर करे।

निर्गुन्डी क्वाथ के लाभ/फ़ायदे Benefits of Patanjali Nirgundi Kwath

  • निर्गुन्डी के पत्ते स्वाभाव से गर्म होते हैं और शरीर में गर्मी लाते हैं। यह खून के दौरे को सुधारते है।
  • निर्गुन्डी काढ़ा मांसपेशियों के दर्द, सूजन को कम करता है। इस गुण से यह गठिया, ओस्टोआर्थराइटिस, स्प्रेन, दर्द और मोच में लाभदायक अहि।
  • निर्गुन्डी के काढ़े को नाड़ी स्वेदन के लिए इस्तेमाल करते हैं। नाड़ी स्वेदन में प्रभावित जगह पर निर्गुन्डी के काढ़े की भाप दी जाती है और फिर ददशमूल तेल या महानारायण तेल से मालिश की जाती है।
  • निर्गुन्डी को गुग्गुलु, सलाई गुग्गुल, हल्दी, सोंठ, अजवाइन आदि के साथ रूमेटिज्म में आंतरिक रूप से लेने में आराम होता है।

निर्गुन्डी क्वाथ के चिकित्सीय उपयोग Uses of Patanjali Nirgundi Kwath

  • आम वात गठिया Rheumatoid Arthritis(Amavata)
  • ओस्टोआर्थराइटिस Osteoarthritis
  • गर्दन और कंधे का दर्द Neck & Shoulder Pain
  • घुटनों का दर्द Knee Pain
  • जोड़ों का दर्द Joint Pain
  • जोड़ों के डिसऑर्डर Joint Disorder
  • पीठ में दर्द Low Back Pain
  • मांसपेशियों का दर्द Muscle Pain
  • मोच Sprain
  • वात रोग Vata Vyadhi
  • सपोंडिलोसिस Spondylosis
  • साइटिका Sciatica

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Patanjali Nirgundi Kwath

  • 1 चम्मच या 5 ग्राम, काढ़े का पाउडर लें।
  • इसे 200 मिलीलीटर पानी में उबाल लें।
  • जब पानी की 50 मिलीलीटर बचे, स्टोव बंद करें।
  • इसे छान लें।
  • इसे नाश्ते और रात के भोजन करने से पहले लें।
  • या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।

निर्गुन्डी क्वाथ सावधनियाँ Cautions

  • इस दवा को डॉक्टर की देख-रेख में ही लें।
  • इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • यदि बच्चे के इए तरी कर रहीं हैं तो इसे लेने मे सावधानी रखे। विटेक्स प्रोजेस्टेरोन के उत्पादन को बढ़ावा देता है। इसे गर्भनिरोधक के रूप में भी जाना जाता है।यह इसे ओव्यूलेशन से पहले नहीं लिया जाना चाहिए, क्योंकि यह ओवल्यूलेशन में देरी करता है या रोक सकता है।
  • सिज़ोफ्रेनिया वाले लोग या जहां डोपामिन का स्तर प्रभावित होता है, स्वास्थ्य पेशेवरों की देखरेख में विटेक्स का उपयोग करना चाहिए।
  • यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।

निर्गुन्डी क्वाथ साइड-इफेक्ट्स Side effects

  • निर्धारित खुराक में लेने से दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
  • अधिक मात्रा में लेने से कुछ लोगों में पेट में जलन हो सकती है।
  • यह लिबिडो को कम कर सकता है।
  • जानवरों और मानव अध्ययनों पर प्रायोगिक आंकड़ों ने बताया है कि विटेक्स हार्मोन संबंधी गतिविधियों के phytocomponents और हार्मोनल दवाओं के औषधीय प्रभावों को प्रभावित कर सकते हैं।
  • यह ओरल गर्भ निरोधकों या महिला हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के प्रभाव को कम कर सकते हैं।
  • अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।

निर्गुन्डी क्वाथ कब प्रयोग न करें Contraindications

  • एंडोमेट्रियोसिस, फाइब्रॉएड या स्तन, गर्भाशय, और सैस्टर के कैंसर के रूप में हार्मोनल रोगों वाले लोग विटेक्स को नहीं लेना चाहिए।
  • आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। इसका सेवन गर्भावस्था में न करें।
  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • छोटी मात्रा में इससे दूध उत्पादन में वृद्धि हो सकती है और उच्च खुराक यह कम कर सकती है।
  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
  • इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें।
  • जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, वे इसका सेवन न करें।
  • शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है bleeding disorder, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
  • इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें।
  • यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें।
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