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मेथी Methi (Fenugreek) Information, Uses and Cautions in Hindi

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मेथी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। हिन्दी में इसे मेथी और इंग्लिश में फेनुग्रीक कहते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम ट्रिगोनेला फीनम-ग्रेयकम Trigonella foenum-graecum है। यह फेबेसिएइ Fabaceae परिवार पौधा है। इसके बीजों और पत्तियों को भारतीय व्यंजनों में इस्तेमाल किया जाता है। मेंथी स्वाद में कड़वी और तेज गंध युक्त होती है।

Methi

आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसे बहुत से रोगों के उपचार में सफलता पूर्वक हजारों साल से प्रयोग किया जा रहा है। यह विरेचक laxative, शांतिदायक cooling (leaves), एलडीएल कोलेस्ट्रॉल LDL / bad cholesterol lowering कम करने वाली, सूजन दूर करने वाली, दूध स्राव के लिए उत्तेजक galactagogue, कीड़े दूर करने वाली औषधि है। जहाँ मेथी की पत्तियां तासीर में ठंडी हैं cool in potency वहीं बीज गर्म hot in potency हैं।

मेथी के पत्तों और बीजों दोनों का प्रयोग भारतीय रसोईं में होता है। मेथी के मुलायम पत्तों का साग प्रोटीन protein, फाइबर, विटामिन सी, आयरन, पोटैशियम से भरपूर होता है। मेथी स्वाद में कडवी होती है और मधुमेह में विशेष रूप से उपयोगी है। मेथी के दाने पेट रोगों व हाई ब्लड प्रेशर में लाभप्रद है।

Read in English: Fenugreek Health Benefits and Medicinal uses

मेथी के विभिन्न नाम

  1. Sanskrit : Methini, Methika, Methi, Kalanusari
  2. English : Fenugreek, Bird’s Foot or Greek Hay-Seed
  3. Gujrati : Methi
  4. Hindi : Methi
  5. Kannada : Menthe, Mente
  6. Malayalam : Uluva
  7. Marathi : Methi
  8. Punjabi : Methi
  9. Tamil : Mendium, Ventaiyam
  10. Telugu : Mentulu, Mentikura;
  11. Urdu : Methi
  12. Arab: Hulabaha

वैज्ञानिक वर्गीकरण Classification of Fenugreek in Hindi

  • किंगडम Kingdom: प्लांटी Plantae – Plants
  • सबकिंगडम Subkingdom: ट्रेकियोबाईओन्टा Tracheobionta संवहनी पौधे
  • सुपर डिवीज़न Superdivision: स्परमेटोफाईटा बीज वाले पौधे
  • डिवीज़न Division: मग्नोलिओफाईटा – Flowering plants फूल वाले पौधे
  • क्लास Class: मग्नोलिओप्सीडा – द्विबीजपत्री
  • सब क्लास Subclass: रोसीडए Rosidae
  • आर्डर Order: फेबल्स Fabales
  • परिवार Family: Fabaceae – मटर परिवार
  • जीनस Genus: Trigonella L.- मेथी पी
  • प्रजाति Species: Trigonella foenum-graecum

आयुर्वेदिक गुण और कर्म

मेथी स्वाद में कडवी और स्वभाव से गर्म only seeds है। आयुर्वेद में मेथी दाने जो की मेथी के बीज हैं का प्रयोग मुख्य रूप से कफ रोग, वात रोग और डायबिटीज में किया जाता है। यह वात विकार दूर करने वाली दवाई है इसलिए गठिया, जोड़ों के दर्द, पेट में अफारा, आदि दोषों में लाभप्रद है। गर्म तासीर के कारण यह पाचन को ठीक करती है। प्रसव के बाद इसका सेवन शरीर से गंदगी को बाहर करता है और साथ ही दूध की मात्रा और गुणवत्ता को भी अच्छा करता है।

आयुर्वेद में इसे ग्रहणी, बुखार, प्रमेह और अरुचि में प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है।

रस (taste on tongue): तिक्त

गुण (Pharmacological Action): स्निग्ध

वीर्य (Potency): उष्ण

विपाक (transformed state after digestion): कटु

कर्म:

दीपन, कफ हर, रुच्य, हृदय, अनुलोमना, वात हर

मेथी के बीज कडवे bitter, लस दार mucilaginous, खुशबूदार aromatic, वात हर carminative, टॉनिक tonic, मूत्रवर्धक diuretic, शरीर में गर्मी बढाने वाले thermogenic, दूध का स्राव करने वाले galactagogue, संकोचक astringent, एंटीरयुमेटिक anti-rheumatic, सीएनएस को दबाने वाले CNS depressant, हाइपोग्लिसीमिक hypoglycemic, रक्तचाप कम करने hypotensive, हृदय के लिए टॉनिक cardiotonic और सूजन को दूर और गर्भाधन को रोकने anti-implantation के गुणों से भरपूर हैं।

मेथी में पाए जाने वाले घटक

  1. Saponins Diosgenin
  2. Coumarins
  3. Flavonoids Quercetin, lilyn,
  4. Kaempferol
  5. Alkaloids Trigonelline, lecithin,
  6. Mucilage

मेथी के लाभ Health Benefits of Methi / Fenugreek

  1. मेथी रक्त में शर्करा के स्तर को कम करती है।
  2. मेथी इंसुलिन के लिए सेलुलर प्रतिरोध को कम करती है और मधुमेह के नियंत्रण में बहुत अच्छे परिणाम देती है।
  3. यह कोलेस्ट्रोल को भी कम करती है।
  4. यह एंटीऑक्सीडेंट यौगिकों और उनकी गतिविधियों को बढ़ाती है।
  5. यह लिपिड का ऑक्सीकरण कमती है।
  6. इसमें फाइबर है और यह भोजन के बाद रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करती है क्योंकि यह
  7. पाचन के बाद चीनी के अवशोषण को देर से होने देती है।
  8. यह आंत से कोलेस्ट्रॉल के अवशोषण को कम कर देता है।
  9. यह हृदय रोग और वजन बढ़ना से भी रक्षा करती है।
  10. मेथी वात और कफ दोष को संतुलित करती है।
  11. यह गर्म गुण के कारण वात को नीचे की ओर ले जाने में मदद करती है।
  12. कड़वे स्वाद के कारण यह कफ दोष को कम करने में मदद करती है।
  13. यह स्तनपान बढ़ाती है।

दवा की तरह मेथी को लेने की मात्रा

मेथी को 2 ग्राम से लेकर 60 ग्राम तक की मात्रा में लिया जा सकता है।

मेथी को विभिन्न रोगों में किस प्रकार दवा की तरह प्रयोग करें? Medicinal Use of Fenugreek / Methi in Hindi

मेथी दुनिया के सबसे प्राचीन ज्ञात औषधीय पौधों में से एक है। इसका प्रयोग न केवल भारत बल्कि मिस्र और यूनान में भी दवा की तरह होता रहा है। इसे डायबिटीज, वात-विकार, ब्रोंकाइटिस, जुकाम, बुखार, कामेच्छा की कमी आदि में प्रयोग करने से लाभ होता है।

सभी लोग जानते हैं की मेथी कितनी गुणकारी है और विभिन्न रोगों में दवा की तरह प्रयोग की जा सकती है। परन्तु कम ही लोगों को पता होता है किस तरह इसे दवा की तरह प्रयोग करें।

डायबिटीज Diabetes

  1. मेथी का सेवन किसी न किसी रूप में करें।
  2. मेथी के दानों का पाउडर 1 चम्मच की मात्रा में सुबह लें।
  3. मेथी के रस का सेवन करें।
  4. मेथी को अंकुरित कर खाएं।
  5. मेथी दाने को बारीक पीस लें। इसको करीब 60 ग्राम की मात्रा में एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह छान लें और दिन में दो बार पियें। 2 महीने तक नियमित ऐसा करें।

Read in English: Fenugreek seeds to control type 2 diabetes

गठिया, घुटने के दर्द, वात विकार में मेथी का प्रयोग Diseases due to vitiation of Vata

  1. रोज सुबह, एक छोटा चम्मच मेथी दाने का चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लेना चाहिए।
  2. रोजाना रात को सोने से पहले मेथी दाना का एक चम्मच, गिलास भर पानी में भिगो दें। सुबह इसका सेवन करें।
  3. मेथी दाना को पानी में भिगो दें। फिर इसे सूती कपड़े में बाँध कर रख लें। जब यह अंकुरित हो जाए, तो इसका सेवन करें।
  4. मेथी के साग का नियमित सेवन वात विकारों को दूर करता है।
  5. मेथी के दानों को घी में भून लें। इन्हें ग्राइंडर में पीस कर पाउडर बना लें। अब आटे को भी देसी घी में भून लें। अब इसमें पिसी चीनी डाल का लड्डू का आकार दे दें और नियमित खाएं।

मोटापा obesity

  1. वज़न कम करने के लिए खाली पेट मेथी के दानों का सेवन करना चाहिए।
  2. मेथी के दाने (2 चम्मच) को एक गिलास पानी में भिगों दें और अगली सुबह छानकर पी लें।

पाचन को बेहतर बनाने के लिए, शरीर से गंदगी बाहर निकलने के लिए, खांसी, जुखाम, फ्लू आदि श्वास रोग

  1. मेथी के दानों का सेवन करे। यह पंक्रियास से एंजाइम के स्राव को प्रेरित करता है अपच, अग्निमांद्य, पाचन विकृति को दूर करते हैं।
  2. मेथी के बीजों को चाय की तरह उबाल कर पियें।

प्रसव के बाद After delivery

  1. मेथी के दानों का काढ़ा बनाकर प्रसव बाद पिने से शरीर के विकार डोर होते हैं और रक्त शुद्ध होता है। यह गगर्भाशय के संकुचन में भी सहायक है।
  2. मेथी दाना घी में भून लें और पीस कर पाउडर बना लें। इस पाउडर को आटे के साथ मिलकर हलवा बनाकर खाएं।

पसीने के बदबू, मुंह से बदबू Bad breath

मेथी दाना की चाय का सेवन करें।

कफ विकार, जोड़ों का दर्द Cough, joint pain

मेथी के लड्डू सर्दियों में खाने से कफ तथा वात विकार दूर होते हैं।

पेट में दर्द

मेथी दाने का पाउडर गर्म पानी के साथ लें।

पेचिश, डायरिया, आंव पड़ना

  1. मेथी साग खाएं।
  2. मेथी दानों का पाउडर ३ ग्राम की मात्रा में दही के साथ दिन में चार बार खाएं।
  3. मेथी दाना की चाय बना कर, दिन में दो बार सुबह-शाम पियें।

सेक्स पॉवर बढ़ाने के लिए

  1. इसका सेवन नपुंसकता impotence, शीघ्रपतन premature ejaculation, और काम भावना की कमी loss of libido में किया जाता है। यह अपने गर्म गुण के कारण प्रजनन अंगों को उत्तेजित करती है और स्निग्ध गुणों के कारण शुक्र का पोषण करती है।
  2. मेथी का सेवन सेक्स पॉवर को बढाता है।
  3. मेथी दानों का सेवन वीर्य और स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभप्रद है।
  4. इसका सेवन ऊपर दिए गए किसी भी प्रकार से कर सकते हैं।

सावधानी Caution / Contraindications / Interactions

  1. मेथी दाना पित्त को बढ़ाते है Piita / bile इसलिए ज्यादा पित्त स्राव में इसका सेवन सावधानी से करें।
  2. मेथी दाना पित्त प्रकृति Pitta prakriti के लोगों के लिए उपयुक्त नहीं है।
  3. बीज तासीर में गर्म hot in potency हैं।
  4. मेथी दाना को शरीर में रक्तस्राव के विकार bleeding disorders में प्रयोग न करें। गर्म तासीर के कारण यह नकसीर epistaxis, योनि से ज्यादा खून आदि समस्याएं कर सकते हैं।
  5. मेथी दाना मासिक स्राव bleeding in mensuration को बढ़ा सकते हैं क्योंकि यह पेल्विस में खून का दौरा बढ़ा सकते हैं। इनका दवा की तरह गर्भावस्था में सेवन नहीं करें। Do not use fenugreek in pregnancy।
  6. इसमें डाईसजेनिन Diosgenin है जो की शरीर में एस्ट्रोजन phytoestrogen की तरह काम करता है।
  7. यह शुगर लेवल को कम करते है।
  8. कुछ लोगों में मेथी दाना का सेवन लूज़ मोशन, सिरदर्द, कर सकता है।
  9. इसके सेवन से पेशाब में कुछ गंध आ सकती है।
  10. जिन्हे मेथी से एलर्जी हो Allery to pea family उनमें इसके लक्षण त्वचा पर दाने, खुजली आदि के रूप में प्रकट हो सकते हैं।
  11. इसका अधिक मात्रा में सेवन लोहे के अवशोषण absorption of iron को प्रभावित करता है।
  12. मेथी दाना का सेवन रक्तस्राव विकारों, कम शुगर लेवल, ज्यादा पित्त, मुहं से ज्यादा लार, सर्जरी के पहले आदि में न करें।
  13. मेथी दाने की चाय बच्चों को न दें।

इसे बिना डॉक्टर की सलाह के इन्सुलिन, हेपरिन, वारफेरिन (खून को पतला करने की दवा blood thinning medicines ) के साथ प्रयोग न करें।

किसी भी दवा को लेने के समय और इसके सेवन में करीब 2 घंटे का अंतर रखें।

मेथी का सेवन (पत्ते या बीज) मसाले की तरह पूरे तरह से सुरक्षित है।

मेथी साग बनाने की विधि How to make Methi Sag?

मेथी साग बनाने के लिए आपको चाहिए मेथी के पत्ते, आलू, नमक, लहसुन, जीरा व लाल मिर्च छौंक के लिए और सरसों का तेल।

मेथी के साग को बनाने के लिए, सबसे पहले तो मेथी के मुलायम पत्तों को छांट लेते है। इन पत्तों को अच्छे से पानी से कई बार धोते हैं। पत्तों को धो कर काटना चाहिए। काट के धोने से पत्तों की पोषकता नष्ट हो जाती है,पत्तों का रस, आदि सभी पानी के साथ निकल जाता है।

अब कुछ लहसुन की कलियाँ और आलू छील लेते हैं। छिले लहसुन को पतला काट लेते हैं। आलू को भी पतला स्लाइस में काट लेते हैं।

एक मोटे पेंदे की कढ़ाही में आवश्यकता अनुसार सरसों का तेल डाल लेते है। इस तेल को गर्म कर लेते है। गर्म तेल में जीरे व सूखी मिर्च का तड़का लगा कर मेथी की पतियाँ, आलू डाल देते है। अब इसमें नमक, स्वादानुसार (साग में नमक कम ही डालते हैं) डाल मिला कर अच्छे से मिलाकर ढक देते है। थोड़ी-थोड़ी देर पर चलाते रहते हैं। कुछ समय में आलू को देख लेते हैं यह पक गया की नहीं। जब पक के यह मुलायम हो जाता है तो गैस बंद कर देते है। मेथी का साग तैयार है इसे रोटियों के साथ खाएं।

मेथी के पराठे Methi Paratha

मेथी के परांठे बनाने में काफी सरल है। इसके लिए मेथी के पत्तों को धो कर बारीक़ काट लेते हैं। कटे पत्तों को एक कटोरे में ले कर कुछ नमक मिला कर रख लेते है। नमक के डालते ही पत्तों से पानी निकलने लगता है। इस पानी को फेंकना नहीं है।

मेथी के कटे पत्तों को इसके छोड़े पानी समेत आंटे को गूथने के लिए प्रयोग करें। आटा अच्छी तरह से गूथें। हो सकता है यह हाथों में चिपके। जब ऐसा हो पानी से हाथों को अच्छे से धो कर फिर गूथें। अच्छी तरह से गुथे आटे को एक बर्तन में कपडे से ढक कर फ्रिज में रख दें। कुछ घंटों बाद इसकी लोई बना कर रोटी की तरह बेल लें और पराठे की तरह घी / तेल लगा कर तवे पर पका लें।

मेथी की चाय Methi Chai / Fenugreek Tea

मेथी पत्ती की चाय बनाने के लिए, 1 चम्मच सूखी पत्तियां या 3 चम्मच ताज़ी कटी पत्तियों को 1 कप उबलते पानी में डाल कर ढक दें और 10-15 मिनट बाद छान कर पियें। इसमें पुदीना की पत्तियां भी डाली जा सकती हैं।

मेथी के बीजों की चाय बनाने के लिए 1 चम्मच दानों को 1 कप पानी में तब तक उबालें जब तक बीज नर्म न हो जाएँ। इसमें बनने के बाद नींबू का रस या शहद डालें। बीजों को फेकें नहीं बल्कि चबा कर खा लें।


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